महाराष्ट्र के रायगढ़ में नाव में मिला अवैध हथियारों का जखीरा, एनआईए की टीम रवाना

नई दिल्ली ,18 अगस्त (आरएनएस/FJ)। महाराष्ट्र के रायगढ़ के हरिहरेश्वर समुद्र तट पर संदिग्ध नाव में हथियारों का जखीरा मिलने के बाद महाराष्ट्र सरकार ने पूरी घटना की जानकारी केंद्रीय एजेंसियों से साझा की है। जांच एजेंसी एनआईए भी पूरी घटना पर नजर बनाये हुए है। एनआईए मुंबई की एक टीम को भी रायगढ़ रवाना किया गया है। महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के हरिहरेश्वर समुद्री तट पर एक संदिग्ध लाइफबोट मिली है, जिसमें 3 एके-47 राइफल और विस्फोटक बरामद हुआ है।

घटना के बाद पूरे इलाके में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक केंद्रीय जांच एजेंसियों ने भी महाराष्ट्र के गृह मंत्रालय से घटना की जानकारी ली है। भारतीय कोस्ट गार्ड और केंद्रीय जांच एजेंसी एनआईए भी पूरी घटना पर नजर रखे हुए है। एनआईए की एक टीम को रायगढ़ रवाना किया गया है।

अभी तक की जानकारी के मुताबिक नाव का नाम लेडीहान है और ये मस्कट से यूरोप की तरफ जा रही थी। ये नाव एक ऑस्ट्रेलियाई नागरिक के नाम से रजिस्टर है। महाराष्ट्र के गृह मंत्रालय के मुताबिक समुद्र में नाव का इंजन फटा और लोगों को निकालने के बाद ये नाव बहकर रायगढ़ के समुद्र तट पर पहुंच गई। इसके बाद भी प्रशासन कोई लापरवाही नहीं बरतना चाहता।

महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि पूरे मामले की हर एंगिल से जांच की जा रही है। इसके अलावा संबंधित केंद्रीय एजेंसियों से भी घटना की जानकारी साझा की गई है।

गौरतलब है कि त्योहारों का सीजन होने के चलते रायगढ़ के पूरे इलाके में हाई अलर्ट कर दिया गया है। महाराष्ट्र एटीएस की टीम भी घटनास्थल पर पहुंच गई है। एनआईए की टीम भी जांच में शामिल होने रवाना की गई है।

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रेप केस में राहत के लिए SC पहुंचे शाहनवाज हुसैन

*हाई कोर्ट ने दिया था FIR का आदेश*

नई दिल्ली 18 Aug. (Rns/FJ)   रेप के मामले में एफआईआर से बचने के लिए भाजपा के सीनियर नेता शाहनवाज हुसैन ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। दिल्ली हाई कोर्ट ने उनके खिलाफ रेप केस में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था और तीन महीने में जांच पूरी करने की समयसीमा भी तय की थी। उस आदेश पर रोक की मांग को लेकर ही अब शाहनवाज हुसैन शीर्ष अदालत पहुंच गए हैं। 2018 के रेप मामले में हाई कोर्ट का आदेश शाहनवाज हुसैन के लिए करारा झटका माना जा रहा है। शाहनवाज के वकील ने उनकी अर्जी को चीफ जस्टिस एनवी रमना की बेंच के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए पेश किया है।

शाहनवाज हुसैन के वकील ने कहा कि इस मामले की तत्काल सुनवाई होनी चाहिए क्योंकि देरी होने पर एक राजनीतिक नेता की छवि खराब हो सकती है। चीफ जस्टिस की बेंच ने कहा कि अगले सप्ताह इस मामले की सुनवाई की जाएगी। शाहनवाज के वकील ने शीर्ष अदालत में कहा, ‘मेरे मुवक्किल का 30 सालों का सार्वजनिक जीवन है। उन्हें बेवजह बदनाम किया जा रहा है। यदि इस पर तत्काल सुनवाई नहीं होगी तो पुलिस एफआईआर दर्ज कर लेगी और ऐसी स्थिति में इस अर्जी का कोई अर्थ नहीं रह जाएगा।’ बता दें कि  दिल्ली हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा था, जिसमें शाहनवाज हुसैन के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया गया था।

उच्च न्यायालय ने कहा था कि शाहनवाज हुसैन की याचिका की कोई मेरिट नहीं है। इसलिए उसे खारिज किया जाता है। अदालत ने कहा था कि इस मामले में एफआईआर दर्ज की जाए और तीन महीने के अंदर रिपोर्ट सौंपी जाए कि कितनी जांच हुई है और क्या पाया गया है। जस्टिस आशा मेनन की बेंच ने अपने आदेश में कहा, ‘मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की ओर से एफआईआर का जो आदेश दिया गया है, उसमें कोई खामी नहीं पाई गई है।’ अदालत का कहना था कि पुलिस इस केस में एफआईआर दर्ज करे और फिर सीआरपीसी के सेक्शन 173 के तहत वह रिपोर्ट जमा कराए।

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देश की छवि बिगाडऩे वालों पर केंद्र सख्त, 8 यूट्यूब चैनलों पर लगाया प्रतिबंध

नई दिल्ली ,18 अगस्त (एजेंसी )। केंद्र सरकार देश के खिलाफ दुष्प्रचार फैलाने वाले यूट्यूब चैनलों के खिलाफ बड़े एक्शन के मूड में है। केंद्र ने आज राष्ट्रीय सुरक्षा पर ‘दुष्प्रचार’ फैलाने के लिए 8 यूट्यूब चैनलों पर प्रतिबंध लगाया है जिनमें 7 भारतीय और 1 पाकिस्तान का चैनल है।

बता दें कि इससे पहले भी सरकार कई यूट्यूब चैनलों पर एक्शन ले चुकी है। वहीं केन्द्र सरकार ने आज एक बार फिर यूट्यूब चैनलों पर शिकंजा कसा है। केन्द्र ने ऐसे 8 यूट्यूब चैनलों को प्रतिबंधित किया है जो कथित रूप से दुष्प्रचार कर रहे थे। प्रतिबंधित किए गए 8 चैनलों में सात भारतीय हैं और सिर्फ एक चैनल पाकिस्तानी है।

केन्द्र ने इसके पीछे राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला दिया है। यह प्रतिबंध उन यूट्यूब चैनलों पर लगाए गए हैं जो राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश संबंधों और सार्वजनकि व्यवस्था से संबंधित ख़बरें चलाकर दुष्प्रचार कर रहे थे।

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मुख्‍तार अंसारी के घर समेत करीबियों के यहां छापेमारी

*ED का बड़ा एक्शन*

लखनऊ 18 Aug. (Rns/FJ): गाजीपुर में मुख्तार अंसारी में घर पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने छापा मारा है। मुख्तार अंसारी के गाजीपुर स्थित मुहम्मदाबाद घर पर और उनके करीबियों के यहां भी छापेमारी की है। ईडी की कई टीमें अलग-अलग जगहों पर कार्रवाई कर रही हैं।

बताया जा रहा है कि ईडी टीम आज सुबह ही मुहम्मदाबाद स्थित मुख्तार अंसारी के पैतृक घर पहुंची और छापेमारी शुरू कर दी। इतना ही नहीं, माफिया मुख्तार अंसारी के करीबियों विक्रम अग्रहरी, गणेश मिश्रा के ठिकानों पर छापेमारी हो रही है। साथ ही ईडी टीम ने खान बस सर्विस के मालिक के ठिकानों पर भी छापा मारा है।

सूत्रों की मानें तो दिल्ली और यूपी मिलाकर बाहुबली मुख्तार अंसारी और उसके करीबियों से जुड़े 11 ठिकानों पर ईडी की छापेमारी जारी है। मुख्तार अंसारी के परिवार के सदस्यों, सीए और करीबी सहयोगियों के यहां भी रेड चल रही है। दिल्ली, लखनऊ और गाजीपुर समेत कई ठिकानों पर यह कार्रवाई जारी है।

बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने माफिया से राजनेता बने मुख्तार अंसारी और उसके गिरोह के सदस्यों द्वारा संचालित भूमि हथियाने और अवैध व्यवसायों से संबंधित कई मामलों के आधार पर 1 जुलाई, 2021 को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) यानी मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था। बता दें कि मुख्तार अंसारी बांदा जेल में बंद है।

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टेरर कनेक्शन पर STF का बड़ा एक्शन

*अलकायदा के 2 संदिग्ध आतंकी दबोचे*

गलुरु 18 Aug. (Rns/FJ) : टेरर कनेक्शन पर STF का बड़ा एक्शनसंगठन अलकायदा के दो संदिग्ध सदस्यों को गिरफ्तार किया।

वे भारतीय उप-महाद्वीप (AQIS) में प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन अल-कायदा के सक्रिय सदस्य हो सकते हैं। जानकारी के मुताबिक स्पेशल टास्क फोर्स ने बुधवार रात करीब 8 बजे दोनों को हिरासत में लिया।

एसटीएफ सूत्रों का कहना है कि हिरासत में लिए गए लोगों की पहचान गंगारामपुर, जिला दक्षिण दिनाजपुर निवासी अब्दुर रकीब सरकार और हुगली जिले के आरामबाग निवासी काजी अहसन उल्लाह के रूप में हुई है।

पश्चिम बंगाल पुलिस के एसटीएफ ने दावा किया कि उनके कब्जे से भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने का संकेत देने वाले कई कट्टरपंथी साहित्य जब्त किए गए हैं। हिरासत में लिए गए दो आरोपियों के खिलाफ यूएपीए और आईपीसी के तमाम धाराओं के तहत एक विशिष्ट मामला दर्ज किया जा रहा है और अन्य 17 FIR का नाम अब तक की पूछताछ के दौरान सामने आया है।

आतंकवादी सैफुल्ला 5 साल से इंटरनेट के जरिए ले रहा था आतंकी गतिविधियों की जानकारी

इधर, यूपी के फतेहपुर से लखनऊ एटीएस की टीम ने हबीबुल इस्लाम उर्फ सैफुल्ला को देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने चलते गिरफ्तार किया था। अब उसने अपने कई राज उगले हैं। सैफुल्ला ने बताया कि पिछले 5 साल से वह इंटरनेट के जरिए आतंकी गतिविधियों की जानकारी ले रहा था। वह आतंकी संगठनों से प्रभावित था क्योंकि वह भारत को इस्लामिक देश बनाने का सपना देख रहा था।

उसने बताया कि करीब ढाई साल पहले सोशल मीडिया के जरिए आतंकी संगठनों के ग्रुप से जुड़ा। उसने अपने आसपास के युवाओं को जोड़ने का अभियान चलाया था। उसके ग्रुप में फतेहपुर, कानपुर, प्रयागराज के युवा जुड़े थे। उत्तर प्रदेश के अलावा झारखंड, महाराष्ट्र, कश्मीर और गुजरात में भी आतंक से जुड़े सक्रिय लोगों की पुष्टि की है। सैफुल्ला उर्फ हबीबुल ने इनमें से 8 लोगों के नाम एटीएस को बताए हैं।

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मद्रास हाईकोर्ट ने पनीरसेल्वम के पक्ष में फैसला दिया

*ईपीएस गुट से बढ़ सकती है तकरार*

चेन्नई 18 Aug. (Rns/FJ): मद्रास उच्च न्यायालय का फैसला ओपीएस के पक्ष में आने के बाद ओ. पनीरसेल्वम (ओपीएस) और एडप्पादी के. पलानीस्वामी (ईपीएस) के नेतृत्व वाले गुटों के बीच संघर्ष और बढ़ सकता है। मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जी. जयचंद्रन ने बुधवार को 23 जून की यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया, जिसका मतलब था कि ओपीएस समन्वयक के रूप में और पलानीस्वामी एआईएडीएमके के संयुक्त समन्वयक के रूप में काम करेंगे।

इस प्रक्रिया में अदालत ने ईपीएस को अंतरिम महासचिव के रूप में नियुक्त करने और ओपीएस और उनके करीबी लोगों को पार्टी से निष्कासित करने के 11 जुलाई के जनरल काउंसिल (जीसी) के फैसले को रद्द कर दिया।

मद्रास उच्च न्यायालय की एकल पीठ के फैसले को ईपीएस गुट द्वारा चुनौती दिए जाने की संभावना है। ईपीएस के करीबी विश्वासपात्र के.पी. मुनुस्वामी ने बुधवार को मीडियाकर्मियों से कहा कि वे फैसले का पूरा अध्ययन करने के बाद आगे की कार्रवाई करेंगे।

जहां ओपीएस गुट को अन्नाद्रमुक पर कब्जा करने के लिए सत्ता संघर्ष में राहत मिली है, वहीं दोनों नेताओं और उनसे जुड़े लोगों के बीच युद्ध के आगे बढ़ने की संभावना है। 23 जून को पहली सामान्य परिषद की बैठक के दौरान ईपीएस के करीबी लोगों द्वारा ओपीएस को उकसाया और अपमानित किया गया था।

गौरतलब है कि ओपीएस ने ईपीएस को पार्टी से निष्कासित भी कर दिया था। मीडियाकर्मियों द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या ईपीएस को पार्टी में वापस लिया जाएगा, ओपीएस ने कहा कि अदालत के आदेश के अनुसार 23 जून को यथास्थिति बनाए रखी जाएगी। इसे एक उम्मीद की किरण के रूप में देखा जाता है, क्योंकि यथास्थिति का अर्थ है, ईपीएस को संयुक्त समन्वयक के रूप में बनाए रखा जाएगा।

राजनीतिक विश्लेषकों और सामाजिक आर्थिक विकास फाउंडेशन के निदेशक, डॉ.आर पद्मनाभन ने हालांकि कहा कि दोनों नेताओं के बीच लड़ाई कम से कम कुछ समय के लिए बढ़ेगी, क्योंकि ओपीएस को थेवर समुदाय का भी सक्रिय समर्थन मिला है।

उन्होंने यह भी कहा कि अन्नाद्रमुक के दो मुख्य नेताओं के बीच लगातार लड़ाई से अन्नाद्रमुक कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरेगा और इससे पार्टी प्रभावित होगी।

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विवादित टिप्पणी पर बढ़ा विवाद तो कर्नाटक भाजपा विधायक ने मांगी माफी

बेंगलुरु 18 Aug. (Rns/FJ): विवादित टिप्पणी : कर्नाटक में कांग्रेस विधायक प्रियांक खड़गे के विवादित बयान पर विवाद तब और बढ़ गया जब एक भाजपा विधायक ने व्यक्तिगत टिप्पणी कर दी और बाद में गुरुवार को इसके लिए माफी भी मांगी।

कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के मीडिया सेल के प्रभारी प्रियांक खड़गे ने 13 अगस्त को कहा था, “सरकारी नौकरी पाने के लिए, युवा महिलाओं को बिस्तर पर जाना होगा और पुरुषों को कर्नाटक में रिश्वत देनी होगी।” उन्होंने भर्ती घोटालों की विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराने और फास्ट ट्रैक कोर्ट (एफटीसी) बनाने की मांग की।

बयान से भाजपा को काफी शमिर्ंदगी उठानी पड़ी।

उत्तर कर्नाटक के भाजपा विधायक राजकुमार पाटिल तेलकुर ने खड़गे की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए सवाल किया कि क्या उनकी बहनों को उसी तरह से नौकरी मिली?

इसके बाद प्रियांक खड़गे के समर्थकों ने भाजपा विधायक तेलकुर की टिप्पणी की आलोचना की। उन्होंने भाजपा विधायक को सीधे फोन कर उनकी टिप्पणी पर सवाल किया।

इसके बाद बीजेपी विधायक तेलकुर ने गुरुवार को एक वीडियो जारी कर अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांगी, “यह एक व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं है। प्रियांक खड़गे की बहनें मेरी बहनों की तरह हैं। मैंने खड़गे के परिवार को इस मुद्दे में नहीं घसीटा है। मैंने उनसे सभी भारतीय महिलाओं का सम्मान करने के लिए कहा है। अगर मैंने खड़गे और उनकी भावनाओं को आहत किया है तो मैं माफी मांगता हूं।”

सत्ताधारी भाजपा ने प्रियांक खड़गे से कहा कि वे अपनी बुद्धि और मेहनत से पद पाने वाली महिलाओं पर अपमानजनक बयान देने के लिए माफी मांगें।

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करोड़ों की प्रॉपर्टी, लग्जरी कारें-फार्महाउस,घर में थिएटर

*शिकायत के बाद EOW ने RTO अफसर के आवास पर मारी रेड

भोपाल 18 Aug. (Rns/FJ): करोड़ों की प्रॉपर्टी : क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (आरटीओ) संतोष पाल के शताब्दीपुरम स्थित घर पर बुधवार रात ईओडब्ल्यू टीम ने छापामार अंदाज में सर्च कार्रवाई शुरू की। रात करीब 10.30 बजे टीम ने डोरवेल बजाकर आरटीओ के घर का दरवाजा खुलवाया। घंटी की आवाज सुनकर आरटीओ पाल ने स्वयं दरवाजा खोला। टीम भीतर पहुंची तो आरटीओ का आलीशान घर और भीतर रखा साजो-सामान देखकर अवाक रह गई। छापेमारी में संतोष पाल धन कुबेर निकला क्योंकि यहां से आय से 600 गुना ज्यादा संपत्ति का खुलासा हुआ है।

दरअसल, ईओडब्ल्यू की छापामार कार्रवाई में संतोष के पास से 6 आलीशान मकान, 1 फार्म हाउस, दो कार और मोटर साइकिल बरामद हुई। और बताया जा रहा है कि यह सब सपंत्ति काली कमाई से अर्जित की गई है। अब तक की कार्यवाई में ईओडब्ल्यू ने 16 लाख कैश, सोने, चांदी के जेवर बरामद किए हैं।

जानकारी के अनुसार संतोष पाल के 10 हजार वर्ग फुट में बने आलीशान घर को देखकर ईओडब्ल्यू की टीम हैरान भी रह गई। बेसमेंट वाली तीन मंजिला घर में सारा सामान लग्जरी था। घर में लिफ्ट से लेकर महंगी शराब रखने की लकड़ी का केस, गार्डन, स्विमिंग पूल, झूमर, थिएटर और अन्य ऐसी चीजे घर पर दिखी।

बता दें कि कोर्ट के आदेश के बाद ईओडब्ल्यू ने संतोष के घर पर छापेमारी की। जिसके लिए स्पेशल कोर्ट ने जांच के आदेश दिए थे। संतोष के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की याचिका लगी थी। जिसके बाद अब संतोष पॉल और उनकी पत्नी रेखा पॉल की मुश्किल बढ़ सकती है।

मीडिया रिपोर्ट्स के हिसाब से संतोष को घर में पढ़ने वाले छापे की भनक लग चुकी थी। जिसके बाद संतोष ने कुछ लग्जरी सामान को दूसरी जगह शिफ्ट करना शुरू कर दिया था। इसलिए ईओडब्ल्यू की 30 सदस्यों टीम को देर रात छापा मार कार्रवाई करनी पड़ी।

वहीं पुलिस अधीक्षक ईओडब्ल्यू ने कहा कि सर्चिग अभी जारी है। संपत्ति, दस्तावेज के जो भी साथ में लेंगे उनके आधार पर आरोपित की संपत्ति का आकलन किया जाएगा। साथ ही इसके संतोष पाल व और उनकी पत्नी रेखा पाल के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है।

कार्रवाई के दौरान संतोष पोल की पत्नी रेखा पाल घर में मौजूद नहीं थी। जिसके बाद टीम को आशंका है कि एआरटीओ संतोष पाल के द्वारा जरूरी दस्तावेज व समान कहीं भेज कर छिपा दिया गया है।

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चौकीदार से लेकर दारोगा तक सब नकली

*बिहार में पिछले 8 महीने से चल रहा था फर्जी थाना*

बांका ,17 अगस्त (एजेंसी)।चौकीदार से लेकर दारोगा तक सब नकली. आज तक आपने फर्जी ‘पुलिस’ के बारे में सुना होगा, लेकिन बिहार इस मामले में कहीं आगे निकला। यहां, फर्जी पुलिसवाले तो पकड़ाते रहे हैं, लेकिन इस बार पूरा का पूरा एक थाना ही फर्जी पाया गया।

जानकारी के अनुसार यह फर्जी थाना पिछले 8 महीने से इलाके में एक्टिव था और लोगों से पैसे ऐंठ रहा था। हैरानी की बात तो यह है कि जिला मुख्यालय में चल रहे इस फर्जी थाने की किसी को भनक भी नहीं थी। यह फर्जी थाना बांका शहर के एक निजी गेस्ट हाउस में चल रहा था।

इस बारे में बांका थानाध्यक्ष ने बताया कि एक गुप्त सूचना के आधार पर किसी अपराधी की गिरफ्तारी के लिए पुलिस गई थी। जब वह छापेमारी कर थाना लौट रही थी तो उसी समय बांका गेस्ट हाउस के सामने सड़क पर एक अनजान महिला और युवक पुलिस ड्रेस में दिखाई दिए। जिसके बाद शक होने पर जब उनसे पूछताछ की गई तो फर्जी थाने का मामला सामने आया।

थानाध्यक्ष ने बताया कि गिरफ्तार महिला अनिता खुद को दारोगा बता रही थी और वह बिहार पुलिस के फुल ड्रेसअप में थी। उसके पास से एक अवैध पिस्टल भी बरामद हुआ, जबकि पकड़े गए दूसरे आरोपी का नाम आकाश कुमार है। वह खुद को थाने का चौकीदार बता रहा था। गिरफ्तार अनिता बांका जिले के फुल्लीडुमर के दुधघटिया की रहने वाली है।

इस बारे में महिला ने बताया कि फुल्लीडुमर के भोला यादव ने दारोगा में भर्ती कर बांका के इस कार्यालय में तैनात किया था। अपने काम के बारे में अनिता ने बताया कि जहां भी सरकारी आवास बनते थे, वहां जांच करने के लिए वह जाती थी। वहीं, गिरफ्तार आकाश के मुताबिक, भोला यादव को 70 हजार रुपए देकर वह फर्जी थाने में चौकीदार की नौकरी कर रहा था।

थानाध्यक्ष के मुताबिक, इस कार्यालय में बहाल सभी कर्मियों को पुलिस वर्दी और अवैध पिस्टल उपलब्ध कराने में फुल्लीडुमर के भोला यादव का नाम मुख्य सरगना के रूप में सामने आ रहा है।

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मोदी कैबिनेट ने दी किसानों को राहत

*3 लाख रुपये तक के कृषि ऋण पर मिलेगी 1.5 प्रतिशत ब्याज सहायता*

नई दिल्ली ,17 अगस्त (एजेंसी। कर्ज पर ब्याज की दरों में वृद्धि के रुझान के बीच केंद्र सरकार ने किसानों को राहत देने के लिए तीन लाख रुपये तक के लघु अवधि के कृषि ऋण पर 1.5 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज सहायता बहाल करने का निर्णय किया है। यह निर्णय तीन वर्ष तक लागू रहेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने बुधवार को सभी वित्तीय संस्थानों के लिए अल्पकालिक कृषि ऋणों पर ब्याज सबवेंशन (ब्याज सहायता) योजना को बहाल करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी।

निर्णय की जानकारी देते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि बैंकों और कृषि कर्ज देने वाली संस्थाओं को लघु अवधि के कृषि कर्ज पर सरकार की ओर से 1.5 प्रतिशत तक की ब्याज सहायता देने का फैसला किया गया है। ठाकुर ने कहा, इससे किसानों को सस्ते कर्ज का फायदा होगा और बैंकों पर इसका बोझ नहीं पड़ेगा।?

ठाकुर ने कहा कि किसानों को सस्ती दर पर परेशानी मुक्त ऋण उपलब्धता सुनिश्चित करना भारत सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। मंत्रिमंडल की बैठक के बाद जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है, वित्तीय वर्ष 2022-23 से 2024-25 तक के लिए किसानों को तीन लाख रुपये तक की लघु अवधि के कृषि ऋण देने वाली वित्तीय संस्थाओं (सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, निजी क्षेत्र के बैंक, लघु वित्त बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, सहकारी बैंक और सीधे वाणिज्यिक बैंकों से जुड़ी कम्प्यूटरीकृत प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (पैक) को 1.5 प्रतिशत की ब्याज सबवेंशन (सहायता) प्रदान की जाएगी।

विज्ञप्ति में कहा गया है कि समय पर ऋण चुकाता करने वाले किसानों को चार प्रतिशत प्रति वर्ष की ब्याज दर पर अल्पकालिक कृषि ऋण प्राप्त करना जारी रखेंगे। सरकार ने कहा है कि ब्याज सबवेंशन सहायता के इस निर्णय को लागू करने के लिए 2022-23 से 2024-25 की अवधि के लिए 34,856 करोड़ रुपये के अतिरिक्त बजटीय प्रावधानों की आवश्यकता होगी। हाल में बैंकों के कोष की लागत बढऩे के परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इन वित्तीय संस्थानों को प्रदान की जाने वाली ब्याज सबवेंशन की दर की समीक्षा की है।

इस चुनौती से निपटने के लिए सरकार ने सभी वित्तीय संस्थानों के लिए अल्पकालिक कृषि ऋणों पर ब्याज सबवेंशन को 1.5 प्रतिशत तक बहाल करने का निर्णय लिया है।

अनुराग ठाकुर ने कहा कि कृषि कर्ज पर ब्याज सहायता में वृद्धि से कृषि क्षेत्र में ऋण प्रवाह की स्थिरता सुनिश्चित होगी और पर्याप्त कृषि ऋण सुनिश्चित होगा। सरकार का मानना है कि इससे रोजगार भी पैदा होगा क्योंकि पशुपालन, डेयरी, पोल्ट्री, मत्स्य पालन सहित सभी गतिविधियों के लिए अल्पावधि कृषि ऋण प्रदान किया जाता है।

किसानों को खेती-बाड़ी के लिए पर्याप्त कर्ज सुनिश्चित करने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड योजना शुरू की गई थी।

आपात ऋण सहायता गारंटी स्कीम की सीमा हुई पांच लाख करोड़

सरकार ने आतिथ्य और इससे जुड़े क्षेत्रों को गति देने के उद्देश्य से आपात ऋण सहायता गारंटी स्कीम (ईसीएलजीएस) की सीमा को 50 हजार करोड़ रुपये बढ़ाकर पांच लाख करोड़ करने को मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुयी केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी।

अभी ईसीएलजीएस की सीमा 4.5 लाख करोड़ रुपये है। अब इसमें आतिथ्य एवं इससे जुड़े क्षेत्रों के लिए 50 हजार करोड़ रुपये की अतिरिक्त व्यवस्था की गयी है। कोरोना महामारी के कारण बुरी तरह से प्रभावित आतिथ्य एवं इससे जुड़े क्षेत्रों को वित्त उपलब्ध कराने के उद्देश्य से यह बढोतरी की गयी है। इस स्कीम के तहत अब तक 3.67 लाख करोड़ रुपये के ऋण स्वीकृत किये जा चुके हैं।

यह स्कीम अभी जारी है। यह अतिरिक्त 50 हजार करोड़ रुपये आतिथ्य एवं इससे जुड़े क्षेत्रों के लिए 31 मार्च 2023 तक उपलब्ध रहेगा।

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सीबीआई ने टीएमसी नेता अनुब्रत मंडल की 16 करोड़ रुपये से अधिक की एफडी जब्त की

कोलकाता,17 अगस्त (एजेंसी)। पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के पशु तस्करी मामले की जांच कर रही केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बुधवार को तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेता अनुब्रत मंडल और उनके करीबी रिश्तेदारों के नाम से 16.97 करोड़ रुपये की बैंक सावधि जमा (एफडी) जब्त कर ली।

सीबीआई के एक अधिकारी ने कहा, पिछले कुछ दिनों से, हम मंडल और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा रखे गए विभिन्न बैंक खातों पर नजर रख रहे थे। इस प्रक्रिया में हमने 16.97 करोड़ रुपये की इन एफडी को ट्रैक किया, जिनके स्रोत अत्यधिक काल्पनिक थे। अब हमारा सवाल इस बात से शुरू होगा कि इतने अधिक मूल्य के सावधि जमा को बनाए रखने के लिए धन का स्रोत क्या था। मंडल के अलावा, उनकी बेटी सुकन्या मंडल और उनके कुछ करीबी रिश्तेदार ऐसे खातों के धारक थे।

इनमें से अधिकांश सावधि जमा बैंक ऑफ इंडिया (बीओआई) की बोलपुर शाखा में थे, जो वहां मंडल के पैतृक निवास के पास स्थित है। एक सावधि जमा ने मंडल की मृतक पत्नी चोबी मंडल को भी खाताधारक के रूप में दिखाया।

जांच में सामने आया कि बैंक खातों को जब्त करने की प्रक्रिया बुधवार सुबह से ही शुरू हो गई थी।
इससे पहले, मंडल के चार्टर्ड अकाउंटेंट मनीष कोठारी और बीओआई के बोलपुर शाखा के दो अधिकारियों से बुधवार सुबह सीबीआई अधिकारियों ने पूछताछ की।

बाद में, सीबीआई के अधिकारियों की एक टीम बैंक गई, शाखा प्रबंधक से मुलाकात की और बैंक खातों को जब्त करने के लिए प्राधिकरण दिखाया।

शाखा प्रबंधक ने तुरंत बैंक के क्षेत्रीय मुख्यालय को घटनाक्रम की जानकारी दी, जिसके बाद केंद्रीय एजेंसी ने बैंक खातों को जब्त कर लिया।
सीबीआई की टीम द्वारा भारी मात्रा में सावधि जमा की यह पहली बड़ी जब्ती है। प्रवर्तन निदेशालय ने पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग भर्ती अनियमितता घोटाले के सिलसिले में पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी की करीबी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के दो आवासों से 50 करोड़ रुपये नकद जब्त किए।

इस राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर टीएमसी नेताओं की ओर से कोई आधिकारिक संवाद नहीं किया गया। हालांकि विपक्षी दल के नेताओं ने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधा है।

पश्चिम बंगाल भाजपा प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने कहा कि सिर्फ 14 अगस्त को मुख्यमंत्री ने मंडल का बचाव किया और कहा कि उन्हें सीबीआई ने झूठा फंसाया है। अब शायद वह जवाब दें कि इतनी बड़ी रकम कहां से आई?

माकपा केंद्रीय समिति के सदस्य सुजान चक्रवर्ती ने कहा कि टीएमसी नेता से धन की यह वसूली केवल एक छोटा सा ही हिस्सा है।
उन्होंने कहा, जैसे-जैसे सीबीआई जांच में गहराई तक जाएगी, ऐसे और भी खजाने का खुलासा होगा। मुख्यमंत्री कब तक मंडल का बचाव कर पाएंगी?

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कश्मीरी पंडित हत्याकांड: आतंकियों के घर कुर्क

*पिता और भाई गिरफ्तार किए गए*

श्रीनगर ,17 अगस्त (एजेंसी)।  शोपियां में कश्मीरी पंडित की हत्या करने वाले संदिग्ध आतंकियों का घर प्रशासन ने कुर्क कर दिया है। एक दिन पहले ही आतंकी के पिता और तीन भाइयों को गिरफ्तार कर लिया गया था। उनपर  आतंकी को शरण देने का आरोप है। पुलिस का कहना है कि आदिल वानी ने सुनली कुमार भट्ट की हत्या की है। इसके बाद वह कुटपुरा में अपने घर चल गया था।

पुलिस ने कहा, पुलिस ने घेराबंदी और सर्च ऑपरेशन शुरू किया था लेकिन वानी भाग निकला। वह प्रतिबंधत अल-बदर संगठन से ताल्लुक रखता है। पुलिस पार्टी पर ग्रेनड फेंकने के बाद वह अंधेरे का फायदा उठाकर भाग निकला था। कश्मीर के एडीजी विजय कुमार ने पुष्टि की है कि वानी के घर को सील कर दिया गया है। मंगलवार को उन्होंने कहा था कि आतंकी और उसके सहयोगी या तो गिरफ्तार होंगे या फिर मारे जाएंगे।

पिछले महीने पुलिस ने श्रीनगर में पांच घरों को कुर्क किया था। इन घरों में आतंकी पनाह लिया करते थे। इस साल अब तक कश्मीर में इस तरह के 10 घर अटैच किए जा चुके हैं।  1 मई से जम्मू-कश्मीर में 8 आम नागरिक टारगेट किलिंग का शिकार हो चुके हैं। 48 साल के भट्ट एक फल उत्पादक थे। इस  हमले में उनके रिश्तेदार पीतांबर नाथ भट घायल हो गए हैं जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा है कि हत्या करने वालों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। वहीं आतंकी संगठन केएफएफ ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है।

इस संगठन को पाकिस्तान के लश्कर-ए-तैयबा का ही हिस्सा माना जाता है। सुनील भट्टी की हत्या करने वालों ने पहले उनका नाम पूछा था और इसके बाद उनपर फायरिंग कर दी। केएफएफ ने कहा था कि भट्ट तिरंगा रैली में शामिल हुए ते इसलिए उनकी हत्या की गई।

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हजारों आदिवासियों का 30 वर्षों का संघर्ष होगा समाप्त – मुख्यमंत्री

*नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज को पुनः अधिसूचित नहीं करने का लिया निर्णय*

*1964 में शुरू हुआ था नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज*

रांची,17.08.2022 – मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के अवधि विस्तार के प्रस्ताव को विचाराधीन प्रतीत नहीं होने के बिंदु पर अनुमोदन दे दिया है। 1964 में शुरू हुए नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज का तत्कालीन बिहार सरकार द्वारा 1999 में अवधि विस्तार किया गया था। मुख्यमंत्री ने जनहित को ध्यान में रखते हुए नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज को पुनः अधिसूचित नहीं करने के प्रस्ताव पर सहमति प्रदान की है।

*राजस्व ग्रामों ने सौंपा था ज्ञापन*

नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के विरोध में लातेहार जिला के करीब 39 राजस्व ग्रामों द्वारा आम सभा के माध्यम से राज्यपाल, झारखण्ड सरकार को भी ज्ञापन सौंपा गया था, जिसमें नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज से प्रभावित जनता द्वारा बताया गया था कि लातेहार व गुमला जिला पांचवी अनुसूची के अन्तर्गत आता है। यहां पेसा एक्ट 1996 लागू है, जिसके तहत् ग्राम सभा को संवैधानिक अधिकार प्राप्त है। इसी के तहत् नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के प्रभावित इलाके के ग्राम प्रधानों ने प्रभावित जनता की मांग पर ग्राम सभा का आयोजन कर नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के लिए गांव की सीमा के अन्दर की जमीन सेना के फायरिंग अभ्यास के लिए उपलब्ध नहीं कराने का निर्णय लिया था। साथ ही नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज की अधिसूचना को आगे और विस्तार न कर विधिवत् अधिसूचना प्रकाशित कर परियोजना को रद्द करने का अनुरोध किया था।

*ग्रामीण 30 वर्ष से कर रहें थे विरोध*

नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज से प्रभावित जनता द्वारा पिछले लगभग 30 वर्षो से लगातार नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज की अधिसूचना को रद्द करने हेतु विरोध प्रदर्शन किया जा रहा था। वर्तमान में भी प्रत्येक वर्ष की भांति नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के विरोध में 22-23 मार्च को विरोध प्रदर्शन किया गया था।

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उच्चत्तम न्यायालय ने झारखण्ड हाई कोर्ट में चल रहे शेल कंपनियों, माईनिंग लीज एवं मनरेगा से जुड़े मामलों की सुनवाई पर लगायी रोक

नई दिल्ली/रांची,17.08.2022 (FJ) – बुधवार को माननीय उच्चत्तम न्यायालय में शेल कंपनियों, माईनिंग लीज एवं मनरेगा से जुड़े मामलों पर सुनवाई हुई। उच्चत्तम न्यायालय ने अपने आदेश को रिजर्व करते हुए झारखण्ड हाई कोर्ट में चल रहे इन मामलों की सुनवाई पर रोक लगा दी।

गौरतलब है कि शेल कंपनी से संबंधित केस न0 4290/21, माईनिंग लीज से संबंधित केस न0 727/2022 एवं मनरेगा से संबंधित केस न0 4632/2019 झारखण्ड उच्च न्यायालय में चल रहा है।

उच्चत्तम न्यायालय में सुनवाई के दौरान झारखण्ड सरकार के वकील श्री कपिल सिब्बल एवं महाधिवक्ता उपस्थित थे।

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समस्याओं का निस्तारण न होने पर सीधे मुझे लिखें कार्यकर्ता : मुख्यमंत्री

*सहारनपुर पहुंचे योगी आदित्यनाथ*

सहारनपुर ,17 अगस्त (आरएनएस/FJ)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहारनपुर पहुंच गए हैं। सबसे पहले यहां उन्होंने जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक कर फीड बैक लिया और लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं के मान सम्मान का पूरा ध्यान रखें।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बुधवार को सरसावा एयरपोर्ट पहुंचे वहां से हेलीकॉप्टर के माध्यम से पुलिस लाइन उतरे। यहां उनका भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष मोहित बेनीवाल, जिला अध्यक्ष महेंद्र सैनी, महानगर अध्यक्ष राकेश जैन, राज्यमंत्री कुंवर बृजेश सिंह व जसवंत सैनी ने स्वागत किया।

पुलिस लाइन सभागार में बैठक करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भाजपा पदाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक में कहा कि कार्यकर्ताओं का पूरा मान सम्मान रखें और अधिकारियों से मिलकर उनकी समस्याओं का निस्तारण कराएं। यदि लखनऊ स्तर की समस्याएं हैं तो लखनऊ आकर उनका समाधान कराएं।

भाजपा नेताओं ने विकास कार्यों की रफ्तार धीमी होने की कही बात

यहां कोर कमेटी की मीटिंग में मुख्यमंत्री ने भाजपाइयों से स्थानीय फीडबैक लिया। इस दौरान भाजपा नेताओं ने विकास कार्यों की रफ्तार धीमी होने की बात कही। स्थानीय समस्याओं को उठाते हुए भाजपाइयों ने जनहित वाले मामलों में तेजी लाने और उन्हें समय पर पूरा कराने की बात कही।

इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कोई भी कार्यकर्ता ये ना समझें कि उन्हें किसी सीढ़ी की आवश्यकता है। हेल्पलाइन नंबर पर कार्यकर्ता बात कर सकते हैं।

मुख्यमंत्री पोर्टल पर लिख सकते हैं सभी समस्याओं का जल्द निस्तारण होगा। अगर तब भी निस्तारण ठीक से नहीं होता है तो सीधे उन्हें लिख सकते हैं। राजनीति के जानकारों का कहना है कि लोकसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री ने संगठन की अंतिम सीढ़ी कार्यकर्ता को हिम्मत दी है। पुलिस लाइन से मीटिंग करने के बाद मुख्यमंत्री मां शाकंभरी देवी विश्वविद्यालय के निरीक्षण  के लिए रवाना हो गए।

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मथुरा में कल जन्मेंगे कान्हा, गोकुल में आज पुजेगी छटी

*जन्मदिन के पूर्व संध्या पर होता है लाला का छटी पूजन*

मथुरा ,17 अगस्त (आरएनएस/FJ)।  कंस के कारागार में भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी को अजन्मे का जन्म होगा। भगवान श्रीकृष्ण रात रात के 12 बजे मथुरा में कंस के कारागार में अवतरित होंगे। इससे पहले जन्मोत्सव की पूर्व संध्या पर यानी सप्तमी की शाम को गोकुल के नंद भवन में लाला की छटी पूजन होगा। बच्चे के जन्म के छटवें दिन छटी पूजन होता है लेकिन कान्हा छटी पूजन उनके जन्म के ठीक एक साल बाद यानी पहले जन्मदिन की पूर्व संध्या पर हुआ था।

गोकुल के नंदभवन नंदकिला मंदिर में जन्मोत्सव से एक दिन पहले छठ पूजन किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि छठ पूजन करने से महिलाओं को पुत्र प्राप्ति होती है। छठ पूजन में हलवा, पूड़ी का प्रसाद वितरित किया जाता है। पुजारी मथुरादास का कहना है कि मैया यशोदा ने राक्षसों के डर से लाला का छठ पूजन नहीं किया था। मथुरा में कंस के कारागार में जन्मे भगवान श्रीकृष्ण को वासुदेव जी रात में ही उफनती यमुना नदी से होकर गोकुल में नदबाबा के यहां पहुंचा आए थे। रात में कंस के कारागार में जन्मे देवकीनंदन सुबह गोकुल में नंदनंदन हो गए। गोकुल वासी हर्षित हो उठे लेकिन कान्हा के आगमन की खुशियां नहीं मना पाए। रात में ही आकाशवाणी हुई और कंस को यह अवगत हो चुका था उसके मारने वाला ब्रज में पैदा हो चुका है।

कंस ने नवजातों को मारने का आदेश दे दिया था। कान्हा के आगमन की कंस को पता न चले इसके लिए कान्हा को छुपा कर रखा गया। इस आपाधापी में माता यशोदा लाला की छटी पूजना भी भूल गई। जब कान्हा एक साल के हो गए और पहला जन्मदिन मनाने का अवसर आया तो शाम को नंदबाबा ब्राह्मणों के पास पहुंचे लेकिन उन्हें पता चला कि लाला का छठी पूजन नहीं हुआ है और अभी तक सोबर चल रही है। ऐसे में जन्मोत्सव पर पूजन नहीं हो सकता।

आनन फानन में जन्मोत्सव की पूर्व संध्या पर लाला की छटी पूजी गई। इस परंपरा को गोकुलवासी परंपरागत रूप से आज भी निर्वान्ह कर रहे हैं। नंद भवन में जन्माष्टमी की पूर्व संध्या पर प्रतिवर्ष लाला का छठी पूजन विधि विधान से किया जाता है।

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बादल दल ने दिल्ली गुरूद्वारा कमेटी के कार्यालय में बेवजह हंगामा किया : कालका

नई दिल्ली, 17 अगस्त( आरएनएस/FJ) । दिल्ली सिक्ख गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका व महासचिव जगदीप सिंह काहलों ने संयुक्त तौर पर आरोप लगाया कि डीएसजीएमसी के पूर्व अध्यक्ष मनजीत सिंह जी.के., परमजीत सिंह सरना-हरविन्दर सिंह सरना और बादल दल दिल्ली गुरूद्वारा कमेटी का अक्स खराब करने के लिए हर समय लालायित रहता है इसीलिए इन्होंने हमारे साथ कार्यालय में मीटिंग करने का समय माँग कर माहौल में हंगामा कायम किया ताकि किसी तरह मीडिया की सुर्खियाँ बटोरी जा सकें।

श्री कालका ने कहा कि सरना बंधूओं द्वारा 1984 में हजारों सिक्खों का कत्लेआम और श्री अकाल तख्त साहिब पर हमला करने वाली काँग्रेस पार्टी के नेता श्रीप्रकाश जायसवाल को खुश करने के लिए गुरूद्वारा साहिब में कार्यक्रम करवाये जाते थे। जिन लोगों पर कभी बरगाड़ी कांड और श्री गुरू ग्रंथ साहिब के पावन सरूपों की बेअदबी का आरोप लगा आज वो लोग सुखबीर बादल के मार्ग-दर्शन में हर बात को बेअदबी से जोडऩे की कोशिश कर रहे हैं परन्तु संगत इनके भ्रम में नहीं आयेगी।

कालका ने कहा कि पूर्व अध्यक्ष जी.के. द्वारा गुरूद्वारा रकाब गंज परिसर में हुई कथित बेअदबी मामले पर उनसे मीटिंग करने का समय माँगा गया था परन्तु इनके पास कोई एंजेडा नहीं होने के कारण जी.के.-सरना-बादल गुट द्वारा मीटिंग को पहले प्रतिनिधिमंडल में परिवर्तित किया गया बाद में इसको धरना पॉल्टिकस बना दिया गया जो कि निंदनीय है। मीटिंग दौरान सरना बंधू और जी.के. बार-बार एक-दूसरे की बात को ही काट रहे थे।

उन्होंने कहा कि हमने जी.के., सरना बंधू व शिरोमणी अकाली दल बादल की बीबी रणजीत कौर के नेतृत्व में आये लोगों के एक-एक सवाल का जवाब दिया परन्तु इनका लक्ष्य तो सिर्फ हंगामा खड़ा करना था। इन लोगों को अब यह भी याद नहीं कि इनके कार्यकाल के दौरान भी गुरूद्वारों में हजारों की तादाद में संगत को ठहराया जाता रहा है परन्तु किसी का स्टिंग आपरेशन करके कभी तलाशी नहीं ली गई।

महासचिव जगदीप सिंह काहलों ने कहा कि डीएसजीएमसी ने भारत सरकार द्वारा मनाये गये भाई लक्खी शाह वणजारा के 444वें जन्मोत्सव समागम में सहयोग किया था। उन्होंने कहा कि वणजारा समाज की जड़ें सिक्ख समुदाय से जुड़ी हैं, तालकटोरा स्टेडियम में करवाये गये समागम से श्री गुरू तेग बहादुर जी और भाई लक्खी शाह वणजारा के इतिहास का संदेश दूर-दूर तक गया है।

काहलों ने बताया कि हमें महाराष्ट्र, हैदराबाद व तेलंगाना आदि से वणजारा समाज के कई लोगों द्वारा विनती की गई है कि डीएसजीएमसी उनके राज्यों में आकर ऐसे कई समागम आयोजित करें।

इस अवसर पर डीएसजीएमसी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष हरविन्दर सिंह के.पी., उपाध्यक्ष आत्मा सिंह लुभाणा, धर्म प्रचार कमेटी के चेयरमैन जसप्रीत सिंह करमसर, एम.पी.एस. चढडा, विक्रम सिंह रोहिणी, भूपिन्दर सिंह भुल्लर सहित तमाम गुरूद्वारा कमेटी सदस्य मौजूद थे।

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राहुल और प्रियंका सलेक्टिव पॉलिटिक्स करते हैं : गजेंद्र सिंह शेखावत

नई दिल्ली, 17 अगस्त (आरएनएस/FJ) । केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता गजेंद्र सिंह शेखावत ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से सवाल पूछते हुए कहा कि राजस्थान में सबसे ज्यादा महिलाओं-बच्चियों के साथ बलात्कार हो रहे हैं, आम जनता त्रस्त हैं अपराधियों एवं माफिया का बोलबाला है।

गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी केवल सलेक्टिव पॉलिटिक्स करने के लिए जाने जाते हैं क्योंकि राजस्थान मॉब लिंचिंग, महिलाओं के खिलाफ दुराचार, नाबालिग बच्चियों की तस्करी, दलितों के खिलाफ अत्याचार, हिंदुओं के खिलाफ बर्बरता और हर तरह के अपराध में सारे रिकॉर्ड तोड़ रहा है।

इससे पहले सरेआम कन्हैया लाल की हत्या हुई, फिर एक सिख के साथ मॉब लिंचिंग की गई लेकिन कांग्रेस की गहलोत सरकार अपने वोट बैंक की राजनीति के चलते चुप्पी साधी रही।हाथरस और उन्नाव की घटना पर घडिय़ाली आंसू बहाने वाले राहुल गाँधी और उनकी बहन प्रियंका वाड्रा प्रायोजित दौरा करते हैं लेकिन राजस्थान की घटना पर चुप्पी साध जाते हैं।

राहुल और प्रियंका, कुछ दिन तो गुजारें राजस्थान में। गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि राहुल गाँधी, प्रियंका वाड्रा, सोनिया गाँधी और ह्यूमन राइट्स के चैम्पियंस कहाँ है? येलोग लोग राजस्थान के करोड़ों लोगों के लिए चुप्पी कब तोड़ेंगे? जब देश आजादी का 76वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा था, उसी दिन राजस्थान के अलवर जिले में मुस्लिमों ने गोविंदगढ़ थाना क्षेत्र के रामबास गांव में सब्जी का ठेला लगा कर गुजर बसर करने वाले चिरंजी लाल की पीट-पीट कर हत्या कर दी।

गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि एनसीआरबी के मुताबिक एक साल में राजस्थान में 53 नाबालिग लड़कियों की तस्करी के मामले सामने आए। इनमें अधिकतर मामले ट्राइबल बेल्ट के हैं। हाल ही में खुलासा हुआ कि प्रदेश की 12 नाबालिग बच्चियों को तस्करी करके केरल ले जाया गया। आश्चर्य की बात है कि राजस्थान पुलिस की मानव तस्करी निरोधी यूनिट को इसकी भनक तक नहीं। शेखावत ने कहा कि जल्लौर में जो घटना घटी है वह दुर्भाग्यपूर्ण है, किन्तु यह कहना सरासर गलत होगा कि  राजस्थान में अगड़े पिछड़ों के बीच वैमन्स्य बढ़ रहा है।

सच्चाई है कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार लॉ आर्डर लागू करने में पूरी तरह विफल है।  जिस तरह की रिपोर्ट आयी है उसके अनुसार सभी बच्चे एक ही मटके में पानी पीते थे। शिक्षक भी हर वर्ग से हैं। अगर यह केवल एक घटना होती तो राजस्थान के लोग शायद माफ कर देते, किन्तु राजस्थान ऐसी कई घटनाएं हुई है।

राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक राजस्थान रेप के मामले में पहले नंबर पर और 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों कि तस्करी के मामले में देश में दूसरे नंबर पर है। क्यों यूपी में ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूंÓ का नारा देने वाली कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी को राजस्थान में लड़कियों की बदहाली नहीं दिख रही है।

सबसे महत्वपूर्ण है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार समय रहते सही कार्रवाई क्यों नहीं की? कांग्रेस के आपसी कलह का खामियाजा राजस्थान की जनता भुगत रही है।दलितों के खिलाफ भी राजस्थान में जम कर अत्याचार हो रहा है।

कांग्रेस के विधायक पानाचंद मेघवाल ने दलितों पर हो रहे लगातार अत्याचार से आहत होकर अपनी ही सरकार पर सवाल खड़े किये और अपना इस्तीफा दिया है।

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गुजरात सरकार द्वारा 11 बलात्कारियों को माफ किया गया : कांग्रेस

नई दिल्ली, 17 अगस्त (आरएनएस/FJ) । कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने गुजरात सरकार द्वारा बलात्कार और हत्या के 11 अभियुक्तों के क्षमा और रिहाई देने के मामले को लेकर कहा कि गुजरात सरकार का दावा है कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार अभियुक्तों को रिहा किया है। जबकि माननीय सर्वोच्च अदालत ने गुजरात सरकार को 3 महीने के भीतर रिहाई पर विचार करने को कहा था।

इसलिए बलात्कार एवं हत्या के अभियुक्तों को रिहा करने का फैसला पूर्ण रूप से कार्यपालिका का है न कि न्यायपालिका का है। पवन खेड़ा ने कहा कि गुजरात सरकार के अनुसार अभियुक्तों के क्षमा एवं रिहाई का निर्णय 1992 की नीति के तहत लिया गया है। लेकिन सच्चाई ये है कि 8 मई 2013 को गुजरात सरकार द्वारा यह नीति समाप्त कर दी गई थी।

पवन खेड़ा ने कहा कि आपको याद दिलाना चाहूंगा कि उस समय नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। पवन खेड़ा ने कहा कि गुजरात सरकार का वह परिपत्र भी लाया हूं। जिसके अनुसार 1992 की नीति को समाप्त किया गया था।पवन खेड़ा ने कहा कि गुजरात सरकार की ऑफिशियल वेबसाइट पर भी 1992 की नीति का कोई जिक्र नहीं है।

यह नीति वहां भी दिखाई नहीं देती। पवन खेड़ा ने कहा कि 2014 के केंद्रीय गृह मंत्रालय के दिशा निर्देशों के अनुसार भी हत्या, सामूहिक बलात्कार जैसे मामलों में अभियुक्तों की क्षमा या रिहाई पर रोक लगा दी गई है। पवन खेड़ा ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण कानूनी तथ्य यह है कि ऐसे किसी भी अपराध जिसकी जांच केंद्रीय एजेंसी द्वारा की गई हो, जैसा इस प्रकरण में सीबीआई द्वारा जांच की गई, तो राज्य सरकार अभियुक्तों की रिहाई या क्षमा का निर्णय नहीं ले सकती।

पवन खेड़ा ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 435 के तहत राज्य सरकार को केंद्र सरकार से अनुमति लेनी होती है। मैं आपको याद दिला दूं जब तमिलनाडु की मुख्यमंत्री सुश्री जयललिता जी ने राजीव गांधी जी के हत्यारों को रिहा करने का फैसला लिया था कब सुप्रीम कोर्ट ने क्या आदेश दिया था।

ऐसे में हम केंद्रीय गृह मंत्री एवं प्रधानमंत्री से जानना चाहते हैं कि क्या गुजरात सरकार ने रिहाई देते समय आपकी अनुमति ली थी? अगर राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से अनुमति नहीं ली थी तो क्या गुजरात सरकार के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। पवन खेड़ा ने कहा कि  गुजरात सरकार के मुख्यमंत्री से भी पूछना चाहेंगे कि क्या सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में यह बात लाई गई कि 8 मई 2013 को 1992 की नीति को समाप्त कर दिया गया था।

हम गुजरात के मुख्यमंत्री से यह भी जानना चाहेंगे कि जेल सलाहकार समिति में कौन-कौन लोग हैं जिन्होंने सर्वप्रथम इन अभियुक्तों को रियायत और क्षमा करने की अनुशंसा की गई

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हिमाचल कांग्रेस के दो दिग्गज कांग्रेसी विधायक हुए भाजपा में शामिल

नई दिल्ली ,17 अगस्त (आरएनएस/FJ)। भाजपा ने हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस को बड़ा राजनीतिक झटका देते हुए इनके दो दिग्गज विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल करा लिया है।

हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष पवन कुमार काजल और कांग्रेस के उपाध्यक्ष लखविंदर सिंह राणा ने दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की मौजूदगी में भाजपा का दामन थाम लिया।

कांग्रेस के इन दोनों दिग्गज नेताओं का भाजपा में स्वागत करते हुए हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में नवंबर में चुनाव हो सकते हैं और कांग्रेस विधायकों के पार्टी में शामिल होने से भाजपा लगातार मजबूत हो रही है।

ठाकुर ने प्रदेश में हर पांच वर्ष में सरकार बदल जाने के रिवाज को तोडऩे का दावा करते हुए कहा कि जिस तरह से कांग्रेस देश भर में समाप्त हो गई है उसी तरह से हिमाचल प्रदेश में भी कांग्रेस का कोई भविष्य नहीं है।

राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के हिमाचल प्रदेश से जुड़े होने पर गर्व की बात कहते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके मार्गदर्शन से ताकत मिलती है और भाजपा सरकार नहीं, रिवाज बदलना है के नारे को लेकर चुनाव लडऩे जा रही है।

भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी ने दोनों विधायकों का स्वागत करते हुए कहा कि दो बार के विधायक पवन कुमार काजल, कांगड़ा जिले से आते हैं और ओबीसी समाज के बड़े नेता हैं और लखविंदर सिंह राणा भी दो बार से विधायक बन रहे हैं।

इन दोनों नेताओं के भाजपा में शामिल होने से पार्टी और मजबूत होगी। बलूनी ने बताता कि ये दोनों नेता मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के साथ जाकर राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाकात कर उनका मार्गदर्शन प्राप्त करेंगे।

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तमिलनाडु सरकार पत्थर खदानों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी

चेन्नई 17 Aug. (Rns/FJ) : तमिलनाडु सरकार को अवैध रूप से पत्थरों को तोड़ने और खदानों में विस्फोट करने की कई शिकायतें मिली हैं। सरकार अब राज्य की पत्थर खदानों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने पर विचार कर रही है।

राज्य के मुख्य सचिव से उपलब्ध जानकारी के अनुसार, सभी जिला कलेक्टरों को अपने-अपने जिलों में मौजूद पत्थर की खदानों की संख्या का उचित सर्वे करने और इस बात की उचित जांच करने का निर्देश दिया है कि क्या ये सभी खदानें निर्धारित प्रोटोकॉल के अनुसार काम कर रही हैं।

पर्यावरणविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की ओर से पानी के प्रदूषण समेत पर्यावरणीय खतरे पैदा करने वाली खदानों पर बड़ी संख्या में शिकायतें आ रही हैं।

विल्लुपुरम के जिला कलेक्टर डी. मोहन ने जिले के सभी खदान मालिकों को प्रोटोकॉल और सरकारी नियमों का सख्ती से पालन करने और पुलिस कार्रवाई का सामना करने का निर्देश दिया।

उन्होंने खदान मालिकों को खदानों के आसपास रहने वाले लोगों की सुरक्षा के बारे में जागरूक होने और खदानों से पत्थर ले जाने वाले ट्रकों में अनुभवी ड्राइवरों को नियुक्त करने के लिए भी सूचित किया है।

जिला कलेक्टर ने खदान मालिकों को इन खदानों में पत्थर तोड़ने से पहले स्थानीय लोगों को सूचित करने का भी निर्देश दिया है।

जिला कलेक्टर ने खदान मालिकों को चेतावनी भी दी है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और सरकार के अन्य विभागों द्वारा नियमित निरीक्षण किया जाएगा और उन्हें सभी रिकॉर्ड रखने के निर्देश दिए हैं।

गौरतलब है कि कई पर्यावरणविदों ने तमिलनाडु के दक्षिणी जिलों में खदानों से होने वाले प्रदूषण की शिकायत की थी।

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भारतीय सेना के हेलीकॉप्टर्स को मिला खास डिवाइस

*अब दुश्मन के मूवमेंट का झट से लगेगा पता*

नई दिल्ली ,17 अगस्त (आरएनएस/FJ)।  एलएसी पर चीन के साथ चल रहे विवाद के बीच भारतीय सेना के हेलीकॉप्टर्स को एक ऐसा खास डिवाइस मिला है जो सीमा पर निगरानी के दौरान दुश्मन के बंकर और तोपखाने की लोकेशन से लेकर सैनिकों की मूवमेंट तक की सटीक जानकारी के साथ साथ वीडियो रिकॉर्डिंग भी प्रदान करेगा।

इस डिवाइज का नाम है डाउनलिंक इक्विपमेंट

भारत की ही कंपनी, एक्सीकॉम प्राईवेट लिमिटेड ने भारतीय सेना के एएलएच-मार्क 3 ‘ध्रुव और एएलएच-डब्लू एसआई (‘रुद्र) हेलीकॉप्टर्स के लिए ‘डाउनलिंक इक्विपमेंट विद रिकॉर्डिंग फैसेलिटी तैयार किया है। डाउनलिंक इक्विपमेंट सर्विलांस हेलिकॉप्टर्स को सीमाओं में परिचालन क्षेत्रों में निगरानी करने में मदद करते हैं।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस डाउनलिंक इक्विपमेंट को भारतीय सेना को सौंप दिया। भारतीय सेना की एविएशन कोर के पास ऐसे स्वदेशी हेलीकॉप्टर तो पहले से ही थे जिनमें इलेक्ट्रो ऑप्टिक पॉड लगे थे जिनसे रिकॉनेसेंस एंड सर्विलांस रखी जा सकती थी.

लेकिन किसी ऑपरेशन के लिए दुश्मन की लोकेशन का सही पता लगाकर उस हिसाब से प्लानिंग करना और ऑपरेशन के बाद दुश्मन को हुए नुकसान की बिलकुल सही जानकारी के लिए एक रिकॉर्डर की सख्त जरूरत थी।

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38 साल बाद शहीद चंद्रशेखर हरबोला का पार्थिव शरीर पहुंचा घर

*हल्दवानी में होगा अंतिम संस्कार*

हल्द्वानी 17 Aug. (Rns/FJ): सेना के जवान लांस नायक चंद्रशेखर हरबोला का पार्थिव शरीर हल्द्वानी स्थित उनके आवास पर लाया गया। सेना के जवान, जिला प्रशासन और पुलिस के जवान चंद्रशेखर हरबोला के पार्थिव शरीर को लेकर पहुंचे। चंद्रशेखर हरबोला के अंतिम संस्कार को लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। हल्द्वानी निवासी लाइंस नायक चंद्रशेखर हरबोला का 38 साल बाद पार्थिव शरीर उनके आवास पहुंचा जहां परिवार के लोग अंतिम दर्शन कर रहे हैं।

पार्थिव शरीर घर में पहुंचते ही परिवार में कोहराम मच गया। उनका पार्थिव शरीर हल्द्वानी के आर्मी ग्राउंड हेलीपैड पहुंचा। जहां सड़क मार्ग के रास्ते उनके सरस्वती विहार धान मिल स्थित आवास लाया गया। पार्थिव शरीर उनके आवास पर पहुंचते ही भारत माता की जयकारों से गूंज उठा।

सेना के जवान लांस नायक चंद्रशेखर हरबोला का अंतिम संस्कार पूरे सैनिक सम्मान के साथ रानीबाग के चित्रशिला घाट पर किया जाएगा। बताया जा रहा है कि सीएम धामी भी शहीद के परिवार से मिलने पहुंचेंगे। सीएम धामी शहीद चंद्रशेखर हरबोला के अंतिम दर्शन कर उन्हें श्रद्धांजलि देंगे।

मूल रूप से अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट के हाथीगुर बिंता निवासी चंद्रशेखर हरबोला 19 कुमाऊं रेजीमेंट में लांसनायक थे। वह 1975 में सेना में भर्ती हुए थे। वे 38 साल पहले सियाचिन में शहीद हुए थे। 1984 में भारत और पाकिस्तान के बीच सियाचिन के लिए झड़प हो गई थी। भारत ने इस मिशन का नाम ऑपरेशन मेघदूत रखा था।

भारत की ओर से मई 1984 में सियाचिन में पेट्रोलिंग के लिए 20 सैनिकों की टुकड़ी भेजी गई। इसमें लांसनायक चंद्रशेखर हरबोला भी शामिल थे। सभी सैनिक सियाचिन में ग्लेशियर टूटने की वजह से इसकी चपेट में आ गए। जिसके बाद किसी भी सैनिक के बचने की उम्मीद नहीं रही।

भारत सरकार और सेना की ओर से सैनिकों को ढूंढने के लिए सर्च ऑपरेशन चलाया गया। इसमें 15 सैनिकों के पार्थिव शरीर मिल गए थे लेकिन पांच सैनिकों का पता नहीं चल सका था। 38 साल बाद शव मिलने के बाद उनका चंद्रशेखर का पार्थिव शरीर हल्दवानी लाया गया।

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BJP के नए संसदीय बोर्ड का ऐलान, शिवराज और नितिन गडकरी बाहर

*येदियुरप्पा समेत इन्हें मिली जगह*

नई दिल्ली 17 Aug. (Rns/FJ): भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के संसदीय बोर्ड से केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को बाहर कर दिया गया है और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा और केन्द्रीय मंत्री सर्वानंद सोनोवाल को शामिल किया गया है। भाजपा के महासचिव अरुण सिंह ने आज यहां एक विज्ञप्ति में बताया कि पार्टी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने भाजपा के 11 सदस्यीय नए संसदीय बोर्ड का गठन किया है।

विज्ञप्ति के अनुसार नये सदस्यों में भाजपा अध्यक्ष नड्डा के अलावा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा, केन्द्रीय मंत्री एवं असम के पूर्व मुख्यमंत्री सोनोवाल, महासचिव के. लक्ष्मण, इकबाल सिंह लालपुरा, राष्ट्रीय सचिव सुधा यादव, लंबे समय से हाशिये पर चल रहे पूर्व केन्द्रीय मंत्री सत्यनारायण जटिया तथा भाजपा के संगठन महासचिव बी एल संतोष शामिल है।

निवर्तमान संसदीय बोर्ड के सदस्य गडकरी और चौहान को नए संसदीय बोर्ड में जगह नहीं मिली है। नये संसदीय बोर्ड में राज्यों में नेतृत्व करने वाले किसी भी सदस्य को स्थान नहीं दिया गया है।

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