मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक योजना से आदिवासियों को मिल रहा है नया जीवन

*सुदूर क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीणों के घरों तक खुद पहुंच रहा है चलित अस्पताल

*ग्रामीणों की मांग पर बढ़ाए जा रहे हैं हाट बाजार क्लिनिक एवं एमएमयू की संख्यामनोज सिंहछत्तीसगढ़ का आदिवासी ग्रामीण जीवन, पूरी तरह से प्रकृति पर निर्भर रहा है।

मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक योजना से आदिवासियों को मिल रहा है नया जीवन. देवी देवताओं पर विश्वास इतना ज्यादा कि कितनी भी बड़ी विपदा आ जाए बैगा पहले और डाक्टर बाद में या फिर डाक्टर के पास तो जाना ही नहीं। सरगुजा संभाग पूरी तरह से प्राकृतिक वन संसाधनों से आच्छादित है। साल और सागौन के साथ बांस के घने जंगल यहां के आदिवासियों के लिए स्वर्ग के समान हैं तभी तो वो जंगल और पहाड़ छोड़कर गांवों में बसने के लिए आना ही नहीं चाहते थे। सरगुजा संभाग में उरांव, कंवर, कोरवा, बिंझवार, नगेशिया जनजाति बहुतायत मात्रा में रहती है और इनमें से ज्यादातर कृषि एवं अपने पुरखो के पारंपरिक कार्यों में ही लिप्त है। छत्तीसगढ़ एक आदिवासी प्रधान राज्य है जहां के 146 में 85 विकासखंड आदिवासी घोषित हैं।

ऐसे में आदिवासियों के उत्थान के लिए राज्य सरकार का कार्य करना लाजमी है। हालांकि पिछले साढ़े तीन वर्षों में जो परिवर्तन आया है वो पहले कभी देखने को नहीं मिला। खास तौर पर आदिवासियों के स्वास्थ्य को लेकर जो परिवर्तन आया है उसकी पुष्टि केंद्र सरकार के आंकड़ों से भी हुयी है और ये सब कुछ मुमकिन हुआ है मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के निर्देशों पर चलाए जा रहे आदिवासी कल्याण की योजनाओं से। इन्हीं योजनाओं में से एक है मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक योजना। सुदूर अंचल तक तक पहुंच रही है

हाट बाजार क्लिनिक योजनाआदिम समुदाय भले ही जंगलों एवं पहाड़ों को आम तौर पर न छोड़े , लेकिन बाजार करने के लिए वो नियमित रूप से गांवों में आते ही हैं। यही वजह रही की मुख्यमंत्री की दूरदर्शी सोच ने हाट बाजार क्लिनिक योजना का रूप लिया। अब आदिवासी जनता को अस्पतालों तक पहुंचने की जरूरत नहीं है, बल्कि अस्पताल खुद उनके घरों के पास पहुंचता है। सरगुजा संभाग के कोरिया जिले में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की महत्वाकांक्षी हाट बाजार क्लिनिक योजना से सुदूर एवं पहुंच विहीन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों तक बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुँच अब काफी आसान हो गई है।

शहरों से लेकर दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों के हाट बाज़ारों तक हाट बाजार क्लिनिक के माध्यम से नि:शुल्क परामर्श ,जांच तथा दवाइयां उपलब्ध हो रही हैं और इससे योजना की लोकप्रियता लगातार बढ़ती जा रही है।एक समय ऐसा था कि कोरिया के सुदूर क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीणो को मौसमी बीमारियों की चपेट में आकर अपनी जान गंवानी पड़ती थी, लेकिन बीते साढ़े तीन साल में परिवर्तन ये आया है कि अब इनहें अस्पताल तक नहीं जाना पड़ता, अस्पताल की सारी सुविधाएं हाट बाजार के जरिए इन तक पहुंच रही हैं।ग्रामीणों की मांग पर बढ़ रही है हाट बाजार क्लिनिक एवं एमएमयू की संख्याकोरिया जिले में 35 हाट बाज़ार क्लीनिक का संचालन किया जा रहा था, इसके लिए 5 एमएमयू की सेवाएं ली जा रही हैं।

लेकिन ग्रामीणों की लगातार मांग पर योजना की लोकप्रियता को देखते हुए कोरिया जिला प्रशासन द्वारा 3 अन्य हाट बाजारों का चिन्हांकन किया गया है जिससे अब जिले के लोगों को 35 की बजाए 38 हाट बाज़ारों में स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिलेगा। डेडिकेडेट वाहनों पर मरीजों का बोझ ना पड़े इसके लिए मोबाइल मेडिकल यूनिट यानि की एमएमयू की संख्या भी बढ़ाई जाने का प्रावधान किया गया है। 3 महीने में 35 हजार से अधिक को मिला नि:शुल्क जांच एवं दवाईयों का लाभवनाच्छादित कोरिया जिले में मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक योजना के तहत वर्तमान में 35 साप्ताहिक हाट बाजारों में 5 एमएमयू के द्वारा स्वास्थ्य विभाग की टीम प्रत्येक विकासखण्ड के हाट बाजार में स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करा रही है।

मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक योजना की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 1 अप्रैल 2022 से अभी तक कुल 35 हजार 675 मरीजों ने स्वास्थ्य परीक्षण करवाया तथा नि:शुल्क दवा वितरण का लाभ लिया। इस समयावधि में योजना के अंतर्गत एमएमयू वाहन 538 साप्ताहिक हाट बाजारों में पहुंचे। इस दौरान 53 जरूरतमंदों लोगों को बेहतर स्वास्थ्य हेतु जिला अस्पताल रेफर किया गया ।

आदिवासी अंचल में सुदूर गांवों में रहने वालों को मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक योजना के तहत ज्यादा सुविधाएं मिली इसके लिए प्रत्येक सप्ताह नेत्र सहायक के द्वारा नेत्र परीक्षण उपचार एवं दंत चिकित्सक द्वारा दांतों से संबंधित बीमारियों की भी जांच की जा रही है।

इस तरह से मुख्यमंत्री हाटल बाजार योजना से मरीजों को बेहतर चिकित्सा परामर्श, नि:शुल्क दवा वितरण के साथ ही गंभीर मरीजों को उचित इलाज के लिए उच्च चिकित्सकीय संस्थाओं में रेफर भी किया जा रहा है।

(लेखक सहायक संचालक हैं)

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