प्रधानमंत्री को मुफ्त की रेवड़ियां तो दिखती हैं, लेकिन मुफ्त की जो गजक बंट रही : कांग्रेस

नई दिल्ली, 12 अगस्त (आरएनएस/FJ) । कांग्रेस प्रवक्ता गौरव बल्लव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रेवड़ी वाले बयान और कहा कि देश में इस बार 14 जनवरी से पहले, मकर संक्रांति से पहले ही रेवड़ियों की चर्चा बहुत हो रही थी। पर समस्या ये है कि देश के लोगों को और देश की सरकार को मुफ्त की रेवड़ियां तो दिखती हैं, लेकिन मुफ्त की जो गजक बंट रही है, वो किसी को नहीं दिख रही। अब आप कहेंगे, रेवड़ी और गजक में क्या अंतर है? रेवड़ी बनती है, गुड़, चाशनी, तिल और घी के मिश्रण से।

अब इस एक मिश्रण में, जिसमें एक डला अगर गजक बनती है, उसमें सैंकड़ों रेवड़ियां बन जाती है, तो यदि मुफ्त की रेवड़ियाँ खराब हैं, तो मोदी  मुफ्त की गजक अच्छी कैसे हो गई? दूसरा सवाल ये है कि देश को रेवड़ी कल्चर नहीं, झूठ की गठरी कल्चर से मुक्त कराना है औऱ आज पूरे डाटा सहित ये बातें, जो मैंने आपको कही कि मुफ्त की रेवड़ियाँ खराब और मुफ्त की गजक अच्छी; रेवड़ियाँ खराब पर झूठ की गठरी कल्चर अच्छी। इस पूरे मुद्दे पर आज हम बात करेंगे।

गौरव बल्लव ने कहा कि देश में फूड सिक्योरिटी एक्ट, 2013 में लाया गया और उसी को आधार बनाकर कोरोना की आपदा के समय भारत सरकार ने लोगों के घरों में राशन पहुंचाने का काम किया। 80 करोड़ लोगों को उससे लाभ मिला, मतलब 60 प्रतिशत देश की जनता को राशन पहुंचाने का काम फूड सिक्योरिटी एक्ट, 2013, यूपीए के दौरान जो फूड सिक्योरिटी एक्ट बना, उसको बेस बनाकर वो राशन पहुंचाने का काम हुआ। अब इस फूड सिक्योरिटी एक्ट में एक तरफ तो आप राशन दे रहे हो आपदा के समय, दूसरी तरफ उस राशन को आप एमएसपी पर किसानों से खरीद रहे हो।

वो तो हो गया रेवड़ी कल्चर, पर 10 लाख करोड़ का लोन बट्टे खाते में डालना, उस गजक कल्चर पर प्रधानमंत्री जी कब डिस्कशन होगा। आप कहेंगे, सर बट्टे खाते में डालना और लोन माफी में अंतर होता है, बहुत सही सवाल है, बट्टे खाते में डालना अलग बात होती है, ऋण माफी अलग होती है। गौरव बलम ने कहा कि संसद में भाजपा की सरकार ने, स्वयं बताया कि पिछले 5 सालों में 10 लाख करोड़ रुपए का लोन बट्टे खाते में डाला, जिसमें 7,27,000 करोड़ का लोन सरकारी बैंकों ने बट्टे खाते में डाला और उसी 5 सालों में सरकारी बैंको ने उस बट्टे खाते में डाले गए लोन में से मात्र 1,03,000 करोड़ रिकवर किया।

तो 7,27,000 में से 1,03,000 करोड़ रिकवर हुआ, अर्थात जितना सरकारी बैंकों ने बट्टे खाते में डाला, रिकवरी मात्र 14 प्रतिशत हुई, मान लेतें हैं, 6 प्रतिशत और वो रिकवरी कर लेंगे, आने वाले समय में, मैं मान लेता हूँ, 20 प्रतिशत रिकवरी हो जाएगी, तब भी 5,80,000 करोड़ का लोन तो डूब गया न। पैसा जब सरकारी बैंकों का डूबा, तो किसका डूबा? हर उस कर दाता का डूबा, जिसने भारत सरकार को समय पर जीएसटी दिया। हर उस किसान का डूबा, जब उसने अपने ट्रैक्टर में डीजल भरवाया, तो भारत सरकार को एक्साइज ड्यूटी का पैसा दिया। जो बट्टे खाते में 5,80,000 करोड़ रुपए सरकार बैंको का डूबा है, उस गजक के बारे में डिस्कशन कब होगा।

गौरव वल्लभ ने कहा कि रेवड़ी कल्चर से ज्यादा झूठ की गठरी कल्चर से देश ज्यादा परेशान है और झूठ की गठरी से मुक्त कराना देश को बहुत जरुरी है, साथियों। दो दिन बाद, हम भारत की स्वाधीनता के 75 वर्ष मनाएंगे, दो दिन बचे हैं। आज 12 है, 13 और 14, 15 को 75 वर्ष पूर्ण हो जाएंगे। साथियों, मुझे 75 वर्ष, जब  देश हमारी आजादी के मनाएगा और हमारे प्रधानमंत्री जी उस दिन उदास रहेंगे। गौरव बल्लव ने कहा की फ्रीबीस के बारे में, मुफ्त की रेवड़ी के बारे में सब तरफ हल्ला-गुल्ला है, पर प्रधानमंत्री जी, जो पिछले 5 सालों में सरकारी बैंकों के 5,80,000 करोड़ रुपए डूबे हैं, बट्टे खाते में डालने के कारण, उसके बारे में संसद में चर्चा कब होगी?

उसके बारे में वित्तमंत्री व्हाइट पेपर कब निकालेंगी और वो कौन लोग हैं, प्रधानमंत्री जी, जिनके 5,80,000 करोड़ रुपए डूब गए हैं, उन सबका विवरण देश के सामने आप कब रखोगे। यदि किसानों को एमएसपी देना मुफ्त की रेवड़ी है, प्रधानमंत्री जी के लिए, मनरेगा में हर रुरल ग्रामीण परिवार को सौ दिन का रोजगार देना मुफ्त की रेवड़ी है, प्रधानमंत्री जी की नजरों में, 12 करोड़ बच्चों को मिड डे मील के तहत भोजन कराना मुफ्त की रेवड़ी है, प्रधानमंत्री जी की नजरों में; मुफ्त राशन देना, कोरोना आपदा के दौरान, राइट टू फूड सिक्योरिटी एक्ट के तहत, वो मुफ्त की रेवड़ी है, तो ये 1,45,000 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष भारत सरकार को हानि होती है, क्योंकि कॉर्पोरेट टैक्स की रेट्स में कटौती की गई, 2019 में, इस हानि पर कब चर्चा होगी, इस गजक पर कब चर्चा होगी?

3. छोटी-छोटी असिस्टेंस देना देश के लोगों को, देश के लोगों का मुसीबत के समय हाथ पकड़ना, मुफ्त की रेवड़ी है, पर लाखों-करोड़ों रुपए के लोन, 5,80,000 करोड़ का लोन जो नॉन परफॉर्मिंग हो गया है, जिसको बैंक्स वापस कलैक्ट नहीं कर पाई, बट्टे खाते में डालने के बाद, उसके बारे में विमर्श कब होगा। कब और कैसे ये झूठ की गठरी, ये रेवड़ी कल्चर तो प्रधानमंत्री जी बाद में आएगी, पर ये झूठ की गठरी कल्चर से कब देश को निजात मिलेगा।

क्या प्रधानमंत्री अब स्वाधीनता दिवस पर अपने भाषण में ये जो बुलेट ट्रेन, 5 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी, किसानों की आय दोगुनी करना, हर हिंदुस्तानी को पक्का घर, इसकी नई डेड लाइन बताएंगे, क्या? क्योंकि अब 2022 तो आ गया, प्रधानमंत्री इसकी नई डेड लाइन आप क्या घोषित करोगे और आपके सपने अगर पूरे नहीं होते हैं, तो हिंदुस्तान के प्रत्येक व्यक्ति के सपने पूरे नहीं होते।

मेरे प्रधानमंत्री का सपना पूरा नहीं हो रहा, वो कितने गमगीन होंगे, 15 अगस्त के दिन, इसके कारण तो मैं चाहूंगा कि क्या वो नई डेड लाइन, आपके सपनों की आप नई डेड लाइन देने वाले हो?

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