नई दिल्ली 06 Aug. (Rns/FJ): सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू सेना की उस जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें सिख यात्रियों को घरेलू उड़ानों में कृपाण ले जाने की अनुमति देने के नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो के फैसले को चुनौती दी गई है। न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति जे. के. माहेश्वरी की पीठ ने याचिकाकर्ता संगठन को हाईकोर्ट जाने को कहा। पीठ ने कहा, आप हाईकोर्ट जाइए। उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता के साथ अपील खारिज की जाती है।
याचिका हिंदू सेना नाम के एक संगठन ने दायर की थी, जिसमें नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो द्वारा सिख समुदाय को दी गई छूट को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता ने 4 मार्च, 2022 को ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी द्वारा जारी आदेश को चुनौती दी है, जिसमें कहा गया था कि केवल सिख यात्री घरेलू उड़ानों में ‘कृपाण’ लेकर जा सकते है, बशर्ते उसके ब्लेड की लंबाई 15.24 सेमी (6 इंच) से अधिक न हो और उसकी कुल लंबाई 22.86 सेमी (9 इंच) से अधिक नहीं हो।
याचिका में कहा गया है, “सिख यात्रियों/कर्मचारियों/हितधारकों को उक्त आदेश के तहत दी गई स्वतंत्रता साथी यात्रियों और कर्मचारियों की सुरक्षा को खतरे में डाल सकती है। आदेश यह सुनिश्चित नहीं करता है कि क्या हवाई अड्डे और विमान जैसे उच्च सुरक्षा वाले क्षेत्रों में कृपाण ले जाने वाला व्यक्ति एक वास्तविक सिख है या फिर कोई ऐसा धोखेबाज है, जो स्वतंत्रता का दुरुपयोग कर सकता है।”
याचिका में कहा गया है कि सिख यात्रियों को दी गई स्वतंत्रता मनमानी है और धर्म के आधार पर किए गए भेदभाव के संबंध में अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 15 का उल्लंघन है, क्योंकि किसी भी गैर-सिख व्यक्ति को ऐसी कोई भी वस्तु ले जाने की अनुमति नहीं है, जो सह-यात्रियों के लिए संभावित तौर पर खतरा पैदा कर सकती है।
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