नई दिल्ली ,26 जुलाई (आरएनएस/FJ)। चुनाव के दौरान लोगों को मुफ्त की चीजें बांटने का वादा करने वाली पार्टियों पर नियंत्रण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को अपना रुख साफ करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि ये बेहद गंभीर मामला है। आखिर सरकार इसे लेकर अपना रुख स्पष्ट करने में हिचक क्यों कर रही है।
कोर्ट ने केंद्र की बीजेपी सरकार से कहा है कि वह वित्त आयोग से इस विषय पर राय पूछे और कोर्ट को अवगत करवाए।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिका में इस बात की मांग की गई है कि ऐसे राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द होनी चाहिए जो चुनाव जीतने के लिए जनता को मुफ्त सुविधा या चीजें बांटने के वायदे करते हैं। लोगों को लालच देकर राजनीतिक दल उनके वोट को खरीदने की कोशिश करते हैं। ये चुनाव प्रकिया को दूषित करता है और सरकारी खजाने पर बेवजह बोझ का कारण बनता है।
अब आज कोर्ट ने जैसे ही मामला शुरू हुआ चुनाव आयोग और केंद्र सरकार दोनों ही इस मसले पर पल्ला झाड़ते दिखाई दिए। चुनाव आयोग के वकील अनिल शर्मा ने कहा कि आयोग ऐसी घोषणाओं पर रोक नहीं लगा सकता, केंद्र सरकार कानून बनाकर ही इससे निपट सकती है।
तो वहीं, केंद्र सरकार की ओर से 3 एएसजी के एम नटराज ने कहा कि ये मामला चुनाव आयोग के दायरे में आता है।
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