केजरीवाल का फ्री वाला राजनीति उद्देश केवल सत्ता में आना : संबित पात्रा

नई दिल्ली, 12 अगस्त (आरएनएस) । भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर आरोप लगाते हुए कहा कि झूठे वादे और बिजली फ्री कहानी यह है कि अरविंद केजरीवाल अपने महत्वाकांक्षा को आगे बढ़ाने के लिए राजनीति कर रहे हैं। संबित पात्रा ने कहा कि अरविंद केजरीवाल को मालूम ही नहीं है कि जनता को जनाना जरूरी है कि फ्रीबीज क्या है और जनकल्याणकारी योजनाएं क्या है। संबित पात्रा ने कहा कि जनकल्याणकारी बेनिफिट का अर्थ होता है एक टारगेट ग्रुप को सबल और स्वालंबी की योजना और कार्यक्रम चलाना।

फ्रीबिज सबके लिए होता है उसका उद्देष्य चुनावी लाभ उठाना है। जबकि जनकल्याणकारी योजनाओं के माध्यक से गरीबों को आत्मनिर्भर बनाना है। उदाहरण के तौर पर प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना है। कोरोना संक्रमण के दौरान 80 करोड़ जनता की आर्थिक परिस्थिति बहुत खराब हो जाती। उस वक्त प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के माध्यम से 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज उपलब्ध कराया।संबित पात्रा ने कहा कि अरविंद केजरीवाल फ्री बिजली मे राज सत्ता पाने के उद्देष्य से काम किया जाता है। यह मुफ्तखोरी हैं। फ्री बिज में कोई दीर्घकालीक लाभ पहुंचाने का उद्देयष्य नहीं रहता है।

इसमें एक पार्टी या एक व्यक्ति के लिए अल्पकालिक फायादा उठाना मुख्य उद्देष्य है। अरविन्द केजरीवाल को नेता बनाना और आम आदमी पार्टी को सत्ता लाना ही उनका शार्ट टर्म बेनिफिट है।इसे अंग्रेजी में बेट अर्थात दाना डालकर मछली पकड़ने की कोषिष कहते हैं। फ्री बिजली भी ठीक वैसा ही एक बेट है। दाना डालकर फंसाने की कोषिष है ताकि अरविन्द केजरीवाल जी की महात्वाकांक्षा को पूरा हो सके। अरविन्द केजरीवाल एक्टिंग करते है कि उन्हें ही पूरी दुनिया की चिंता है।

जबकि सच्चाई है कि मैं औ मेरी महात्वकांक्षा को पूरा करने के लिए राजनीति कर रहे हैं।  संबित पात्रा ने कहा कि प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी ने गरीब और गरीब कल्याण को लेकर काम करते हैं। इसी कारण आज देष में दस फीसदी आबादी गरीबी रेखा से उपर उठ गया है। सयुक्त राष्ट ने इस पर रिपोर्ट दी है और विष्व में चर्चा हो रही है कि श्री नरेन्द्र मोदी के आठ वर्ष के कार्यकाल में भारत में परिवर्तन आया है। देष में अति गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों की संख्या में वृद्धि नहीं हुई है और जो गरीबी रेखा से नीचे थे वे उपर उठ गए हैं।

यह है जनकल्याणकारी योजना एवं कार्यक्रम। संबित पात्रा ने कहा कि अरविन्द केजरीवाल पूरे दिन टीवी पर रहते है। 2015 में केजरीवाल सरकार के षिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कौषल विकास गरंटी योजना लाया था, जो आजकल शराब घोटाला को लेकर चर्चा में हैं। इसमे ंग्यारहवीं और बारहवीं के बच्चों को उच्च षिक्षा के लिए अधिकत्तम 10 लाख रूप्ए का लोन देने की योजना बनायी थी, जिसके लिए कोई कोलाइटरल रखने की जरूरत नहीं थी। इस साल 89 बच्चों ने इस योजना से लोन पाने के लिए आवदेन दिया था और केजरीवाल सरकार ने महज दो बच्चों को ऋण उपलब्ध कराया।

सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त सूचना के अनुसार केजरीवाल सरकार ने इस योजना को प्रचारित करने के लिए 19.50 करोड़ रूप्ए का विज्ञापन दिया। है।  इलेक्टानिक मीडिया में 18 करोड़ रूप्ए, प्रिंट मीडिया में 47 लाख रूप्ए आदि विज्ञापन पर खर्च किया है। संबित पात्रा ने कहा कि केजरीवाल जी ने कहावत को चरितार्थ करता है कि जितने का बबूआ नहीं उतने का झूनझूना है। अरविन्द केजरीवाल की सरकार सुबह से शाम तक झुनझुना अर्थात विज्ञापन से चल रहा है।

कोरोना संक्रमण काल में अरविन्द केजरीवल ने टीवी पर आकर कहा था कि प्रदूषण कम करने के लिए बायो डिक्मपोज्ड केमिकल विकसित कराया है। इस केमिकल छिड़कने से दिल्ली प्रदूषण मुक्त हो जाएगा। बाद मे मालूम पडा कि 60 लाख रूप्ए का केमिकल बनाया और उसके विज्ञापन पर 24 करोड़ रूप्ए खर्च किए गए।  अरविन्द केजरीवाल जी सिर्फ इलेक्षन बी अर्थात चुनावी मधुमक्खी है। चुनाव आता है तो चुनावी मधुमक्खी भनभनाने लगता है। ये लोग कोई काम नहीं करते हैं सिर्फ माहौल को खराब करते है और विज्ञापन देना।

अरविन्द केजरीवाल जी पढ़े लिखे व्यक्ति हैं, क्या उन्हें वेब ऑफ और राईट ऑफ में अन्तर पता नहीं है? अरविन्द केजरीवाल कह रहे हैं कि अमीर लोगों के 10 लाख करोड़ रूप्ए का ऋण राईट ऑफ हो गया है। रिजर्व बैक ऑफ इंडिया का गाइड लाइन होता है कि राइट ऑफ होने पर अलग कॉलम बनता है। िउफाल्टर से बकाया वापस लेने की प्रक्रिया को राइट ऑफ कहते हैं। यूपीए ऐरा में जिन लोगों ने कर्ज लेकर नहीं लौटाया है, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार उनसे पैसा वापस लेने का काम कर रही है।

अरविन्द केजरीवाल कहा है कि अमीरों को लाभ पहुंचाने के लिए कॉरपोरेट टैक्स कम किया गया है। सच्चाई है कि कोरोना महामारी के बावजूद  वित्तीय वर्ष 2018-19 में कॉरपोरेट टैक्स संग्रहण 6.63 लाख करोड रूप्ए का था और वित्तीय वर्ष 2021-22 में 7.01 लाख करोड़ रूप्ए था। यह पैसा गरीबों के जनकल्याण पर खर्च होता है।

आशा करते हैं कि इस प्रेस कांफ्रेंस के बाद अरविन्द केजरीवल जी तुरंत एक प्रेस कांफ्रेंस करके यह कौन सी अर्थनीति है।

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