मैसूरु 02 Oct. (Rns/FJ)- कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर रविवार को कहा कि ब्रिटिश राज के खिलाफ गांधीजी की लड़ाई की तरह ही कांग्रेस विभाजनकारी विचारधारा के खिलाफ लड़ाई लड़ रही है।
गांधी ने कर्नाटक के मैसूरु में कहा कि यह लड़ाई एक ऐसी विचारधारा से खिलाफ है जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के नेतृत्व में पिछले आठ वर्षों से हमारी कड़ी मेहनत से प्राप्त की गई स्वतंत्रता का हनन किया गया है और जिसमें असमानता एवं विभाजनकारी सोच हावी है।
गांधी ने कहा, “आज महात्मा गांधी की 153वीं जयंती के अवसर पर हम भारत के महान सपूत को याद करते हैं और अपनी सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। हमारी याद इस तथ्य से और ज्यादा हृदयस्पर्शी हो जाती है कि आज हमारी भारत जोड़ो यात्रा का 25वां दिन हैं, एक ऐसी पदयात्रा जिसमें हम महात्मा गांधी द्वारा बताए गए अहिंसा, एकता, समानता और न्याय के मार्ग पर चल रहे हैं।”
राहुल गांधी ने कहा, “जिस तरह गांधीजी ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी, आज हम उसी तरह की विचारधारा के साथ लड़ाई कर रहे हैं जिसने गांधी की हत्या की थी। इस विचारधारा ने पिछले आठ वर्षों में असमानता, विभाजन और कड़ी मेहनत से प्राप्त स्वतंत्रता का हनन किया है।”
गांधी ने ये बातें मैसूर के पास बदनवालु ग्रामोद्योग केंद्र में एक सभा को संबोधित करते हुए कही, जहां गांधीजी ने 1927 में दौरा किया था।
गांधी ने कहा कि अहिंसा और असत्य की इस राजनीति के खिलाफ भारत जोड़ो यात्रा कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक अहिंसा और स्वराज का संदेश फैलाएगी। उन्होंने कहा कि ‘स्वराज’ के कई मायने हैं, यह डर से मुक्ति है जो हमारे किसान, युवा और लघु और मध्यम उद्यमी चाहते हैं।
यह हमारे राज्यों द्वारा संवैधानिक स्वतंत्रता का उपयोग करना और हमारे गांवों में पंचायती राज चलाने की स्वतंत्रता भी है। राहुल गांधी ने कहा कि स्वराज अपने आप में एक विजय भी है, चाहे वह भारत यात्री हों जो 3,600 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर रहा हो या वो लाखों नागरिक जो छोटी अवधि के लिए यात्रा कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि उनकी यात्रा डर, घृणा और विभाजन वाली राजनीति के खिलाफ देशवासियों की दृढ़ आवाज है। उन्होंने कहा,“सत्ता में बैठे हुए लोगों के लिए गांधी की विरासत हथियाना आसान हो सकता है लेकिन उनके नक्शे कदम पर चलना बहुत कठिन है।
” गांधी ने कहा कि इस यात्रा में बड़ी संख्या में पुरुष, महिलाएं और बच्चे शामिल हुए हैं और कई लोगों का मानना है कि जिन मूल्यों के लिए गांधीजी ने जान दी वो मूल्य तथा हमारे संवैधानिक अधिकार आज खतरे में हैं।
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