“ये तस्वीर व खबर आपको सुकून देगी”
सीकर,01 अगस्त (आरएनएस/FJ)। मां : बूढ़े मां- बाप को मारने- पीटने, घर से बेदखल करने व वृद्धाश्रमों में भेजने के निर्मम मामलों के बीच ये तस्वीर आपको सुकून की सांसे देगी। प्रेम से भरने के साथ रोम- रोम को रोमांचित, अंतरमन को आनंदित और आत्मा तक को आह्लादित कर देगी। दरअसल तस्वीर में कांवड़ में बैठी दिखाई दे रही ये मां सांवलोदा धायलान निवासी उगम कंवर है। जो भक्तिमय जीवन के साथ 100 साल की उम्र के करीब है।
अपने जीवन में लोहागर्ल की 15 यात्राएं कर चुकी इस मां का उम्र की ढलान पर जब फिर लोहागर्ल यात्रा का मन हुआ तो उसने जीवन की अंतिम इच्छा के रूप में प्रस्ताव बेेटे सुमेर सिंह के सामने रख दिया। जिसे बेटे ने भी तुरंत पूरा करने का संकल्प ले लिया। एक पीढे की कावड़ तैयार कर उसने परिवार को साथ लिया और लोहागर्ल के लिए निकल पड़ा।
जहां मां को तीर्थ स्नान करवाकर उसने वहां से गांव तक की यात्रा मां को कावड़ में बिठाकर कंधे पर पूरी करवाई। करीब 54 किलोमीटर की यात्रा में उगम कंवर के पोते व पोतियों ने भी पूरा साथ दिया। भजनों व भगवान शिव के जयकारों के बीच दादी को कंधे पर ले जाकर उन्होंने भी उनकी अंतिम इच्छा को धूमधाम से पूरा किया।
दामन फैलाकर दुआएं देती रही मां, बेटे ने कहा सफल हुआ जीवन
भरे- पूरे परिवार के बीच कांवड़ में बैठी उगम कंवर ने तीर्थ यात्रा दौरान काफी भावुक दिखी। दामन फैलाकर बेटे व पोते- पोतियों को दुआ देती हुई उसकी आंखों में पल पल में नमी उतर रही थी। इधर, सरलता से भरे बेटे सुमेर सिंह का कहना था कि वह माता- पिता का कर्ज कभी नहीं उतार सकते।
कावड़ में मां को तीर्थ करवाने का सौभाग्य व रास्ते में मिले हजारों लोगों की सराहना से ही उनका जीवन सफल हो गया है। उन्होंने अपील की कि गाय व मां की बहुत दुर्दशा हो रही है। जिन्हें बचाना हर इंसान का कर्तव्य है।
पिता की भी लगवा चुके हैं मूर्ति
सुमेर सिंह चार साल पहले ही इराक से लौटे हैं। जिसके बाद से वह खेती कर गुजारा कर रहे हैं। उनके पिता गोरसिंह गोगाजी के परम भक्त थे। जिनके निधन के बाद 2016 में उन्होंने जन सहयोग से गांव के मंदिर के पास उनकी भी मूर्ति लगवाई थी। तीसरे नम्बर के भाई सुमेर के तीन भाई व बहुएं भी खेती के साथ मां का पूरा ख्याल रखते हैं।
25 घंटे में पूरी की 54 किलोमीटर की यात्रा
उगम कंवर की ये यात्रा 25 घंटे में पूरी हुई। पोते पृथ्वी सिंह ने बताया कि तीर्थ स्नान के बाद वे शनिवार शाम पांच बजे दादी को लेकर लोहागर्ल से गांव के लिए रवाना हुए थे। जो रुक रुककर चलते हुए उन्होंने रविवार शाम साढ़े छह बजे गांव के शिव मंदिर पहुंचकर पूरी की।
इस दौरान उगम कंवर के पोते प्रेम सिंह, मोहन सिंह, पृत्वी सिंह, जीवराज सिंह, महिपाल सिंह, कुलदीप सिंह, सुगम सिंह, भैरूं, सिंह, मंागू सिंह व रतन खीचड़, पोती सोनिया, पूजा, अंकिता,शयन्ति कंवर, भतीजी सरदार कंवर यात्रा में सहयोगी रहे।
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