सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, अविवाहित महिलाओं को भी गर्भपात का अधिकार

नई दिल्ली 29 Sep. (Rns/FJ): सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के हक में आज एक बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा कि भारत में अविवाहित महिलाओं को भी MTP एक्ट के तहत गर्भपात का अधिकार है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत में सभी महिलाओं को चुनने का अधिकार है।

अदालत ने कहा कि भारत में अविवाहित महिलाओं को भी एमटीपी एक्ट के तहत गर्भपात कराने का अधिकार है। भारत में गर्भपात कानून के तहत विवाहित और अविवाहित महिलाओं में भेद नहीं किया गया है।

गर्भपात के उद्देश्य से रेप में वैवाहिक रेप भी शामिल है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने एमटीपी कानून और इससे संबंधित नियमों के बदलाव को लेकर यह फैसला सुनाया है।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा कि एक अविवाहित महिला को अनचाहे गर्भ का शिकार होने देना मेडिकल टर्मिनेशन आफ प्रेग्नेंसी (MTP) अधिनियम के उद्देश्य और भावना के विपरीत होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कहा कि 2021 के संशोधन के बाद मेडिकल टर्मिनेशन आफ प्रेग्नेंसी एक्ट की धारा-तीन में पति के बजाय पार्टनर शब्द का उपयोग किया गया है। यह अधिनियम में अविवाहित महिलाओं को कवर करने के लिए विधायी मंशा को दर्शाता है।

साथ ही कोर्ट ने एम्स निदेशक को एक मेडिकल बोर्ड का गठन करने के लिए कहा जो यह देखेगा कि गर्भपात से महिला के जीवन को कोई खतरा तो नहीं होगा।

दरअसल, एक महिला ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी रूल्स, 2003 के नियम-3 बी को चुनौती दी थी, जो कि केवल कुछ श्रेणियों की महिलाओं को 20 से 24 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति देता है।

पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को केवल इस आधार पर लाभ से वंचित नहीं किया जाना चाहिए कि वह अविवाहित महिला है।

कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया लगता है कि दिल्ली हाई कोर्ट ने अनुचित प्रतिबंधात्मक दृष्टिकोण अपनाया है।

बता दें कि 16 जुलाई को दिल्ली हाईकोर्ट ने 23 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करने की मांग वाली अविवाहित मणिपुरी महिला की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था।

कोर्ट ने कहा था कि गर्भ सहमति से धारण किया गया है और यह स्पष्ट रूप से मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी रूल्स, 2003 के तहत किसी भी खंड में शामिल नहीं है।

महिला ने अपनी याचिका में कहा कि वह बच्चे को जन्म नहीं दे सकती क्योंकि वह एक अविवाहित महिला है और उसके साथी ने उससे शादी करने से मना कर दिया है।

इसमें आगे कहा गया कि अविवाहित तौर पर बच्चे को जन्म देने से उसका बहिष्कार होगा और साथ ही मानसिक पीड़ा भी होगी।

दिल्ली हाईकोर्ट के इसी फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनोती दी गयी थी।

*************************

इसे भी पढ़ें : आबादी पर राजनीति मत कीजिए

इसे भी पढ़ें : भारत में ‘पुलिस राज’ कब खत्म होगा?

इसे भी पढ़ें : प्लास्टिक मुक्त भारत कैसे हो

इसे भी पढ़ें : इलायची की चाय पीने से मिलते हैं ये स्वास्थ्य लाभ

तपती धरती का जिम्मेदार कौन?

मिलावटखोरों को सजा-ए-मौत ही इसका इसका सही जवाब

जल शक्ति अभियान ने प्रत्येक को जल संरक्षण से जोड़ दिया है

इसे भी पढ़ें : भारत और उसके पड़ौसी देश

इसे भी पढ़ें : चुनावी मुद्दा नहीं बनता नदियों का जीना-मरना

इसे भी पढ़ें : *मैरिटल रेप या वैवाहिक दुष्कर्म के सवाल पर अदालत में..

इसे भी पढ़ें : अनोखी आकृतियों से गहराया ब्रह्मांड का रहस्य

इसे भी पढ़ें : आर्द्रभूमि का संरक्षण, गंगा का कायाकल्प

इसे भी पढ़ें : गुणवत्ता की मुफ्त शिक्षा का वादा करें दल

इसे भी पढ़ें : अदालत का सुझाव स्थाई व्यवस्था बने

इसे भी पढ़ें : भारत की जवाबी परमाणु नीति के

Leave a Reply

Exit mobile version