उच्चतम न्यायालय ने सीतलवाड़ की जमानत अर्जी पर गुजरात सरकार को भेजा नोटिस

नईदिल्ली,22 अगस्त (आरएनएस/FJ)। उच्चतम न्यायालय ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका पर सोमवार को गुजरात सरकार से जवाब मांगा और मामले पर सुनवाई के लिए 25 अगस्त की तारीख तय की. सीतलवाड़ को 2002 के गुजरात दंगे मामलों में निर्दोष लोगों को फंसाने के वास्ते कथित तौर पर सबूत गढऩे के लिए जून में गिरफ्तार किया गया था.

न्यायमूर्ति यू यू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने सीतलवाड़ की याचिका पर राज्य को नोटिस जारी किया. गुजरात उच्च न्यायालय ने याचिका पर तीन अगस्त को राज्य सरकार को नोटिस जारी किया था और मामले पर सुनवाई के लिए 19 सितंबर की तारीख तय की थी. इससे पहले, 30 जुलाई को अहमदाबाद में एक सत्र अदालत ने मामले में सीतलवाड़ तथा पूर्व पुलिस महानिदेशक आर बी श्रीकुमार की जमानत याचिकाएं खारिज करते हुए कहा था कि उनकी रिहाई से गलत काम करने वाले लोगों को संदेश जाएगा कि कोई भी आरोप लगा सकता है और सजा से बच सकता है.

सीतलवाड़ और श्रीकुमार को जून में गिरफ्तार किया गया था और उन पर गोधरा दंगों के बाद के मामलों में निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए सबूत गढऩे का आरोप है. मामले में तीसरे आरोपी पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट ने जमानत के लिए अर्जी नहीं दी है. भट को जब इस मामले में गिरफ्तार किया गया था तब वह एक अन्य आपराधिक मामले में पहले ही जेल में थे.

********************************

इसे भी पढ़ें : मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक योजना

इसे भी पढ़ें : आबादी पर राजनीति मत कीजिए

इसे भी पढ़ें : भारत में ‘पुलिस राज’ कब खत्म होगा?

इसे भी पढ़ें : प्लास्टिक मुक्त भारत कैसे हो

इसे भी पढ़ें : इलायची की चाय पीने से मिलते हैं ये स्वास्थ्य लाभ

तपती धरती का जिम्मेदार कौन?

मिलावटखोरों को सजा-ए-मौत ही इसका इसका सही जवाब

जल शक्ति अभियान ने प्रत्येक को जल संरक्षण से जोड़ दिया है

इसे भी पढ़ें : भारत और उसके पड़ौसी देश

इसे भी पढ़ें : चुनावी मुद्दा नहीं बनता नदियों का जीना-मरना

इसे भी पढ़ें : *मैरिटल रेप या वैवाहिक दुष्कर्म के सवाल पर अदालत में..

इसे भी पढ़ें : अनोखी आकृतियों से गहराया ब्रह्मांड का रहस्य

इसे भी पढ़ें : आर्द्रभूमि का संरक्षण, गंगा का कायाकल्प

इसे भी पढ़ें : गुणवत्ता की मुफ्त शिक्षा का वादा करें दल

इसे भी पढ़ें : अदालत का सुझाव स्थाई व्यवस्था बने

इसे भी पढ़ें : भारत की जवाबी परमाणु नीति के

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version