450 टैंकरों से धूल हटाने में अब तक 45 लाख लीटर पानी का हो चुका है इस्तेमाल

नोएडा 29 Aug. (Rns/FJ): ट्विन टावर ध्वस्तीकरण के बाद अब सफाई का काम जोरों पर है। नोएडा प्राधिकरण सफाई कर्मचारी लगातार कल शाम से ही ट्विन टावर के आसपास की बिल्डिंग में पानी से जमी धूल मिट्टी को हटाने का काम कर रहे हैं। सुपरटेक एमराल्ड और एटीएस को धूल मुक्त बनाने के लिए अब 450 टैंकर पानी के यूज हो चुके हैं। जिसमें ब्लास्ट के बाद 350 टैंकर और सोमवार को सुबह से 150 टैंकर पानी साइट और आसपास डाला जा चुका है। ये पानी स्मॉग गन में भी प्रयोग किया जा रहा है।

प्राधिकरण से मिली जानकारी के मुताबिक एक टैंकर की क्षमता करीब 10 हजार लीटर की है। ऐसे में 45 लाख लीटर पानी अब तक यूज हो चुका है। अभी भी कई जगहों पर काम किया जा रहा है। धूल के कारण चारों तरफ काफी मोटी परत जमा हो गई है। खासतौर पर आसपास के ग्रीन बेल्ट में लगे पेड़ पौधों और सड़कों पर जमी धूल को हटाने का काम तेजी से किया जा रहा है।

प्राधिकरण ये काम जल्द से जल्द पूरा करना चाहता है। क्योंकि अगर हवा का बहाव तेज होता है तो बार बार सफाई होने के बाद भी जमी धूल लोगो की परेशानी का कारण बन सकती है। इस धूल से लोगों को सबसे ज्यादा आंखो में जलन, सांस की परेशानी और त्वचा संबंधी बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। इस ब्लास्ट में इस्तेमाल हुए बारूद और सीमेंट के कड़ वातावरण में फैले हुए हैं। अगर मौसम अच्छा हुआ और बारिश होती है तो नोएडा अथॉरिटी का काम आधा हो जाएगा और खर्चा भी बचेगा।

*************************************

इसे भी पढ़ें : आबादी पर राजनीति मत कीजिए

इसे भी पढ़ें : भारत में ‘पुलिस राज’ कब खत्म होगा?

इसे भी पढ़ें : प्लास्टिक मुक्त भारत कैसे हो

इसे भी पढ़ें : इलायची की चाय पीने से मिलते हैं ये स्वास्थ्य लाभ

तपती धरती का जिम्मेदार कौन?

मिलावटखोरों को सजा-ए-मौत ही इसका इसका सही जवाब

जल शक्ति अभियान ने प्रत्येक को जल संरक्षण से जोड़ दिया है

इसे भी पढ़ें : भारत और उसके पड़ौसी देश

इसे भी पढ़ें : चुनावी मुद्दा नहीं बनता नदियों का जीना-मरना

इसे भी पढ़ें : *मैरिटल रेप या वैवाहिक दुष्कर्म के सवाल पर अदालत में..

इसे भी पढ़ें : अनोखी आकृतियों से गहराया ब्रह्मांड का रहस्य

इसे भी पढ़ें : आर्द्रभूमि का संरक्षण, गंगा का कायाकल्प

इसे भी पढ़ें : गुणवत्ता की मुफ्त शिक्षा का वादा करें दल

इसे भी पढ़ें : अदालत का सुझाव स्थाई व्यवस्था बने

इसे भी पढ़ें : भारत की जवाबी परमाणु नीति के

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version