संसदीय पैनल ने दिया था 81 बदलावों का सुझाव
नई दिल्ली ,03 अगस्त (आरएनएस/FJ)। केंद्र सरकार ने बुधवार को डेटा प्रोटेक्शन बिल को लोकसभा से वापस ले लिया है। विधेयक को 11 दिसंबर, 2019 को लोकसभा में पेश किया गया था। विधेयक पेश किए जाने के बाद इसे संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा गया था। समिति ने इस विधेयक में 81 संशोधनों का सुझाव दिया था। बिल को वापस लेते हुए केंद्र सरकार ने कहा कि इतने बड़े पैमाने पर सिफारिशों पर विचार करने के लिए इसे वापस लिया गया है।
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव की ओर से वापस लिए गए बिल का उद्देश्य व्यक्तियों को उनेक पर्सनल डेटा को सुरक्षा प्रदान करना, डेटा के उपयोग को निर्दिष्ट करना और डेटा को संसाधित करने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं के बीच विश्वास का संबंध बनाना है। इसके अलावा इसमें और कई बिन्दुओं का जिक्र किया गया था।
कई कंपनियों ने भी किया था विरोध
सरकार ने पिछले साल विधेयक का मसौदा जारी किया था, जिसका कई वैश्विक कंपनियों ने विरोध किया था। कंपनियों का कहना था कि इससे उनका कारोबार प्रभावित होगा। साथ ही परिचालन व्यय भी बढ़ेगा। विधेयक का मसौदा जस्टिस बीएन श्रीकृष्ण द्वारा जुलाई, 2018 में सौंपी गई रिपोर्ट पर आधारित था।
देश में ही सर्वर स्थापित करने का जिक्र था
मसौदा विधेयक में लोगों के डाटा का इस्तेमाल उनकी अनुमति से ही करने का प्रावधान किया गया था। साथ ही डाटा संग्रह के लिए देश में ही सर्वर स्थापित करने का जिक्र था। विधेयक में प्रस्ताव था कि कानून तोडऩे पर कंपनी पर 15 करोड़ या उसके ग्लोबल टर्नओवर के 4 परसेंट तक का जुर्माना लगाया जाए। संवेदनशील डेटा को भारत के अंदर सर्वर पर स्टोर करना होगा।
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