न्यू इंडिया व जम्मू-कश्मीर के बेहतर भविष्य के लिए काम कर रहे हैं मोदी सरकार के मंत्री

*पिछले 30 वर्षों से सीमा-पार आतंक और उग्रवाद के कारण हम पीछे रह गए हैं

*चरार-ए-शरीफ में एसडीएच एक उच्च गुणवत्ता युक्त केंद्र है

– सभी आधुनिक सुविधा मौजूद हैं

* छात्रों ने अवसरों के लिए अनुरोध किया तथा ऑटोमोबाइल सहायक उद्योगों

को जिले में स्थापित करने की बात कही

– राजीव चंद्रशेखर
मैंने हाल ही में सितंबर के अंतिम सप्ताह में पहली बार जम्मू-कश्मीर का दौरा किया। यह यात्रा कई बातें को स्पष्ट करती है। पिछले कई वर्षों में, मैंने देश-विदेश की यात्राएँ की, तो मैं अब-तक जम्मू-कश्मीर नहीं जा सका/नहीं गया। निराशा होती है, लेकिन यह सच है। न्यू इंडिया के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर के बेहतर भविष्य के लिए काम कर रहे हैं मोदी सरकार के मंत्री
मुझे ईमानदार होना चाहिए – कुछ लोगों द्वारा जारी अशांति के इस अंतर्निहित विवरण की पृष्ठभूमि में एक प्रौद्योगिकी और कौशल विकास मंत्री के रूप में मुझे क्या कहना चाहिए या क्या करना चाहिए, इस बारे में मैं घबराहट का अनुभव करता था।
मैंने जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर, बडगाम और बारामूला जिलों की यात्रा की। हमारे प्रधानमंत्री की अपेक्षा के अनुरूप, मेरा कार्यक्रम लोगों से मिलने और बातचीत करने पर आधारित था। इसके साथ ही मुझे कुछ विकास परियोजनाओं का शुभारम्भ करना था, जिन्हें इस चुनौतीपूर्ण कोविड अवधि के दौरान पूरा किया गया था।
यात्रा की शुरुआत में जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक अधिकारी ने मुझसे एक बात कही और यह बात पूरी यात्रा में मेरे साथ रही। पुलिस अधिकारी भी मेरी पूरी यात्रा के दौरान मेरे साथ रहे थे। उन्होंने कहा, हमारे राज्य के बच्चे जानते हैं कि पिछले 30 वर्षों से सीमा-पार आतंक और उग्रवाद के कारण हम पीछे रह गए हैं। शेष भारत और दुनिया की तरह हम भी बेहतर जीवन चाहते हैं।
मैंने एक नए सब-डिवीजन अस्पताल और चरार-ए-शरीफ दरगाह का दौरा किया तथा युवा कश्मीरियों, उद्यमियों, किसानों, सरपंचों और जनजातीय समुदाय के सदस्यों और इन जिलों के प्रशासनिक अधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण बैठकें कीं। प्रत्येक बैठक में, बातचीत के विषय, उनकी मांग और उनके अनुरोध वर्तमान और भविष्य के सम्बन्ध में थे। कोई उन खोए हुए वर्षों को पीछे मुड़कर नहीं देख रहा था। उन्हें खोए हुए अवसरों पर पश्चाताप जरूर था। जिन युवा छात्रों से मुझे बडगाम, बारामूला और श्रीनगर में बातचीत करने का मौका मिला, तो मैंने यह महसूस किया कि वे सभी अपने कौशल को बेहतर करने या नौकरी पाने के अवसरों में सुधार करने को लेकर गंभीर थे। चरार-ए-शरीफ में एसडीएच एक उच्च गुणवत्ता युक्त केंद्र है – सभी आधुनिक सुविधा मौजूद हैं, स्वास्थ्यकर्मियों की एक सक्षम टीम है और दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों से जिला अस्पताल तक की लंबी कठिन यात्रा से लोगों को राहत मिली।
बडगाम डिग्री कॉलेज की एक बैठक में, पॉलिटेक्निक कॉलेज की छात्राओं ने बातचीत के क्रम में कहा, हम अपने पॉलिटेक्निक में नए पाठ्यक्रम चाहते हैं – हम केवल मैकेनिकल और सिविल डिप्लोमा की बजाय इलेक्ट्रॉनिक्स और कंप्यूटर पाठ्यक्रम चाहते हैं। वे उत्साहित और आश्वस्त थीं। मैंने जितने भी तकनीकी कॉलेजों को अब-तक देखा है, उनमें आईटीआई, बडगाम को शीर्ष पायदान पर रखा जा सकता है। इस कॉलेज में एक उत्कृष्ट मोटर वाहन रखरखाव प्रशिक्षण सुविधा है, जहां मैंने यहाँ छात्रों को प्रमाण पत्र सौंपे। प्रमाण पत्र पाने वालों में कई युवा छात्राएं थीं।
बातचीत में छात्रों ने अवसरों के लिए अनुरोध किया तथा ऑटोमोबाइल सहायक उद्योगों को जिले में स्थापित करने की बात कही, ताकि प्रशिक्षण के बाद रोजगार मिल सके। गृह मंत्री अमित शाह द्वारा 50,000 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करने की उत्सुकता थी, क्योंकि वे महसूस करते हैं कि नरेन्द्र मोदी सरकार के रिकॉर्ड को देखते हुए यह घोषणा पिछली सरकारों से अलग होगी। यह सुनिश्चित किया जायेगा कि 3 स्तरीय प्रणाली के माध्यम से, यह पैसा आर्थिक गतिविधि का विस्तार करे और / या सीधे लोगों तक पहुंचे। मैंने कहा कि पीएम नरेन्द्र मोदी कौशल विकास को रोजगार का प्रवेश द्वार मानते हैं और रोजगार को कौशल विकास के साथ जोडऩे की जरूरत पर बल देते हैं। प्रधानमंत्री मोदी के विजऩ के बारे में जानकर छात्र वास्तव में उत्साहित हुए। दूसरे राज्यों की तरह यहां के युवा भी आईटी उद्योग के विकास में शामिल होना चाहते हैं, क्योंकि वे शेष भारत में प्रगति के बारे में पढ़ते और सुनते हैं।
मैंने बडगाम और बारामूला में दो पारंपरिक कौशल क्लस्टर का भी दौरा किया। यहाँ स्थानीय कारीगर कालीन, कागज़ की लुगदी और परिधानों का उत्पादन करते हैं तथा उद्यमी इनका निर्यात करते हैं। पिछले कई वर्षों में, इन उद्यमों के लिए जरूरी कार्य-कुशलता में और कारीगरों की संख्या में गिरावट आई है। इन सुन्दर उत्पादों का जम्मू-कश्मीर से वर्तमान निर्यात 600 करोड़ रुपये का है और दुनिया में मांग लगभग 10-15 हज़ार करोड़ रुपयों की है, जो करीब 25-30 लाख कारीगरों को रोजगार दे सकता है। पारंपरिक कौशल से जुड़े उद्योग के सन्दर्भ में पीएम के विजन को ध्यान में रखते हुए, मैंने इन समूहों के विकास, उनके व्यापार और इन व्यवसायों को विकसित करने हेतु आवश्यक, कारीगरों के कौशल-विकास के लिए समर्थन देने का निर्णय लिया है।
किसी भी बैठक में मेरे सामने सुरक्षा या आतंक का मुद्दा एक बार भी नहीं उठा। यह मेरे स्वयं के अनुभव के लिए उल्लेखनीय था। श्रीनगर का खतरनाक माने जाने वाला लाल चौक भी चहल-पहल से भरा हुआ था और रोज शाम को यहाँ तिरंगे की आभा फैलती थी।
मेरा मानना है कि एक राजनीतिक नेता के लिए सर्वोत्तम उपायों में से एक यह है कि वह अपने लोगों के दिल और दिमाग में कितनी अधिक आकांक्षा और महत्वाकांक्षा पैदा करता है। इस सन्दर्भ में, हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले 75 वर्षों की तुलना में जम्मू-कश्मीर में आकांक्षाओं को एक नया प्रोत्साहन दिया है। निस्संदेह जम्मू-कश्मीर प्रशासन, पुलिस और सुरक्षा बलों ने बहुत प्रयास किये हैं, सेवा और बलिदान का उदाहरण प्रस्तुत किया है तथा लोगों को सुरक्षित रखने के लिए चौबीसों घंटे काम किया है। ऐसे समय में जब हमारे पड़ोस और दुनिया के कई हिस्सों में, महिलाएं और युवा दमनकारी शासन के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं, क्योंकि निरंकुश शासन उनकी आशाओं और आकांक्षाओं को नष्ट कर रहे हैं, पीएम मोदी सरकार दृढ़ संकल्प के साथ हमारे युवाओं को अधिक से अधिक सपने देखने और आकांक्षाओं को पूरा करने में सक्षम बना रही है – सरकार की भूमिका, पूरे देश में हमारे युवाओं के लिए आशा और आकांक्षा की किरण बनना है, क्योंकि भारत अपनी स्वतंत्रता के 100वें वर्ष की ओर आगे बढ़ रहा है।
यात्रा के दौरान यह कहने में मुझे आनंद का अनुभव हुआ कि जम्मू-कश्मीर का भाग्य 3 सामंती परिवारों और शायद एक केंद्रीय मंत्री द्वारा नियंत्रित किया जाता था।न्यू इंडिया के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर के बेहतर भविष्य के लिए काम कर रहे हैं मोदी सरकार के मंत्री अब नरेन्द्र मोदी सरकार की पूरी ताकत है और 77 मंत्रियों की उनकी टीम, भारत के सभी लोगों के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर के लोगों के बेहतर भविष्य के लिए काम कर रही है। सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास का प्रेरणादायी विचार, न्यू इंडिया को गति दे रहा है।

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आम जनता को झटका देने की तैयारी में सरकार, जीएसटी में बढ़ोतरी पर कर रही विचार

नई दिल्ली, ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मोदी सरकार कुछ सामान और सेवाओं पर टैक्स बढ़ाने पर विचार कर रही है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इस कदम पर ज्यादा सरल टैक्स रेट स्ट्रक्चर करने के मकसद के साथ विचार किया जा रहा है। जीएसटी दरों को बढ़ाने की यह योजना ऐसा समय पर की जा रही है, जब अगले साल की शुरुआत में देश के बड़े राज्यों में चुनाव होने वाले हैं। जीएसटी पर पैनल की बैठक दिसंबर में होने की उम्मीद है। इस पैनल की अध्यक्षता वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कर रही हैं। इसमें वर्तमान के चार रेट वाले सिस्टम से बदलाव किया जा सकता है। इस समय देश में 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी की दर से जीएसटी लगाया जाता है। इसमें कुछ जरूरी सामान जैसे खाने की चीजों पर सबसे कम दर और लग्जरी सामान पर सबसे ज्यादा रेट से टैक्स लगता है। इस मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने ब्लूमबर्ग को बताया है कि अगली बार सबसे कम दो रेट में बढ़ोतरी की जा सकती है।
रिपोर्ट के मुताबिक सबसे कम दो दरों में से एक 5 फीसद को बढ़ाकर 6 फीसद और 12 को 13 फीसदी किया जा सकता है। इन दो दरों से सबसे ज्यादा प्रभावित आम आदमी ही होता है। इस चरणबद्ध योजना के तहत दरों को चार से घटाकर तीन पर लाया जाएगा। राज्य के वित्त मंत्री अगले महीने के आखिर तक इस मामले में अपने प्रस्तावों को रख सकते हैं। ब्लूमबर्ग ने वित्त मंत्रालय को इस पर प्रतिक्रिया लेने के लिए संपर्क किया, लेकिन वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता ने अभी तक इस पर कोई जवाब नहीं दिया है।
बता दें जुलाई 2017 से मोदी सरकार ने जीएसटी लागू किया था। जीएसटी की एक देश, एक टैक्स व्यवस्था के तहत आपको एक ही टैक्स देना होता है। जीएसटी की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि किसी भी सामान या सर्विस पर इस टैक्स की दर पूरे देश में एक जैसी होती है। यानी देश के किसी हिस्से में मौजूद कस्टमर या कंज्यूमर को उस वस्तु या सेवा पर एक जैसा ही टैक्स देना होता है. जीएसटी को 3 प्रकार में बांटा गया है— सेंट्रल जीएसटी(ष्टत्रस्ञ्ज), स्टेट जीएसटी(स्त्रस्ञ्ज) और इंटीग्रेटेड जीएसटी(ढ्ढत्रस्ञ्ज)।  (एजेंसी)

मानवाधिकारों के नाम पर देश की छवि खराब करते हैं कुछ लोग, रहना होगा सावधान – मोदी

*महिलाओं की सुरक्षा के लिए 700 जिलों में वन स्टॉप सेंटर स्थापित किए गए हैं

*यहां मेडिकल. पुलिस, मेंटल काउंसिलिंग और लीगल हेल्प दी जाती है

*650 से ज्यादा फास्ट ट्रैक कोर्ट भी स्थापित किए गए हैं

(आरएनएस) पीएम नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि कुछ लोग मानवाधिकारों के नाम पर देश की छवि खराब करने की कोशिश करते हैं। हमें ऐसे लोगों से सावधान रहने की जरूरत है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के स्थापना दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए पीएम मोदी ने यह बात कही। इसके साथ ही उन्होंने मानवाधिकारों और महिलाओं के लिए किए गए कामों का भी जिक्र किया। पीएम मोदी ने कहा, महिलाओं की सुरक्षा के लिए 700 जिलों में वन स्टॉप सेंटर स्थापित किए गए हैं। यहां मेडिकल. पुलिस, मेंटल काउंसिलिंग और लीगल हेल्प दी जाती है। इसके अलावा 650 से ज्यादा फास्ट ट्रैक कोर्ट भी स्थापित किए गए हैं। इनमें रेप जैसे गंभीर मामलों की सुनवाई की जा रही है।
मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाए जाने का भी उन्होंने जिक्र किया। पीएम मोदी ने कहा, दशकों से मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक के खिलाफ कानून की मांग कर रही थीं। हमने उनके अधिकारों को प्रदान किया। इसके अलावा हज के दौरान मुस्लिम महिलाओं को हमने महरम से भी मुक्त करने का काम किया है। अपने नेतृत्व वाली सरकार की पीठ थपथपाते हुए पीएम मोदी ने कहा, गरीब लोगों को जब टॉयलेट, कुकिंग गैस जैसी मूलभूत सुविधाएं मिलती हैं तो उनकी आकांक्षाएं बढ़ती हैं और उन्हें अपने अधिकारों के बारे में जानकारी मिलती है।
तीन तलाक के खिलाफ कानून के अलावा मैटरनिटी लीव का भी किया जिक्र
तीन तलाक के खिलाफ कानून के अलावा पीएम मोदी ने महिलाओं के लिए 26 सप्ताह की मैटरनिटी लीव के प्रावधान का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि आजादी के लिए संघर्ष और हमारा इतिहास मानवाधिकारों के मूल्यों और उनके लिए प्रेरणा का बहुत बड़ा स्रोत है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद हमारे यहां लोकतंत्र और अधिकार कायम रहे हैं। लेकिन कई ऐसे देश हैं, जहां बीते दशकों में ये अधिकार छीने गए हैं।
मानवाधिकारों पर सेलेक्टिव रवैये से होगा देश को नुकसान
पीएम नरेंद्र मोदी ने मानवाधिकारों को लेकर सेलेक्टिव अप्रोच अपनाने वालों पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि कुछ लोग किसी घटना में मानवाधिकारों के उल्लंघन की बात करते हैं, लेकिन वैसी ही किसी दूसरी घटना पर चुप्पी साध जाते हैं। पीएम मोदी ने कहा कि इस तरह का सेलेक्टिव व्यवहार लोकतंत्र के लिए हानिकारक है। ऐसे लोग अपने बर्ताव से देश की छवि को खराब करने की कोशिश करते हैं। इस कार्यक्रम में होम मिनिस्टर अमित शाह भी मौजूद थे।

 

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हिमाचल प्रदेश में झारखंड के मजदूरों के साथ मारपीट की घटना पर झारखंड सरकार ने लिया संज्ञान

*राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष ने कंपनी से बात कर मामले को सुलझाया

*मारपीट की घटना के बाद कई मजदूरों ने वापस आने की इच्छा जताई

*पहले समूह के 16 मजदूरों के वापस आने के लिए ट्रेन टिकट की व्यवस्था की गई

रांची,  राज्य सरकार ने हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिला स्थित लंबर नामक स्थान पर झारखंड के मजदूरों के साथ बीते दिनों हुई मारपीट की घटना पर संज्ञान लिया है। मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर श्रम विभाग के राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष के पदाधिकारियों ने किन्नौर के लंबर में स्थित नोरवेन कंपनी के मालिक धर्मेंद्र राठी से बातचीत की। नोरवेन वहीं कंपनी है जिसमें झारखंड के मजदूर काम करने गए थे।

झारखंड के मजदूरों के साथ मारपीट की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष ने मजदूरों को राहत पहुंचाने के लिए कंपनी से कहा है।

कंपनी के मालिक धर्मेंद्र राठी ने जानकारी दी है कि घटना में घायल हुए मजदूरों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। कंपनी झारखंड के उन मजदूरों को, जो वापस लौटना चाहते हैं, आवेदन देने को कहा है।

इसके अलावा पहले समूह के 16 मजदूरों को वापस झारखंड भेजने के लिए ट्रेन टिकट की व्यवस्था की गई है। ये मजदूर रविवार (10 अक्टूबर) को झारखंड आने के लिए ट्रेन में बैठ गए हैं। सभी मंगलवार को कोडरमा पहुंचेंगे। वहां से बस से वापस अपने  गृह जिला  खूंटी लौटेंगे।

मजदूरों को 1 माह का वेतन और बकाया उनके बैंक खाते में भेज देने की मांग कंपनी ने स्वीकार कर ली है। कंपनी ने कहा है कि झारखंड के जो भी  मजदूर वापस घर लौटना चाहते हैं, वे आवेदन दें। कंपनी समूह में उनके लौटने की व्यवस्था करेगी।

मारपीट की घटना के बाद मामले में किन्नौर में एफआईआर दर्ज किया गया है। इस पर भी पहल कर समझौता कराने का प्रयास किया जा रहा है।

कंपनी की ओर से कहा गया है कि बीते 40 वर्षों से झारखंड के मजदूर हिमाचल प्रदेश आकर काम करते रहे हैं और झारखंड के मजदूरों के साथ उनकी सहानुभूति है। वे झारखंड सरकार से इस मामले में सहयोग करते रहेंगे।

बता दें कि झारखंड के खूंटी सहित अन्य जिलों के 150 मजदूर हिमाचल प्रदेश में काम करने गए थे। बीते दिनों किसी बात पर विवाद होने पर वहां के स्थानीय मजदूरों ने झारखंड के मजदूरों की पिटाई कर दी थी।

इसमें झारखंड के दो तीन मजदूरों की हालत गंभीर बताई जा रही है, जिनका इलाज हिमाचल प्रदेश के अस्पताल में चल रहा है।

इधर वापस लौट रहे मजदूरों ने राहत की सांस ली है। उन्होंने घर वापसी पर पहल करने के लिए मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन और श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता सहित राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष के प्रति आभार जताया है।

 

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खाद्य सुरक्षा के तहत खाद्य सुरक्षा जांच अभियान चलाया गया

देवघर, अभिहित अधिकारी सह अनुमंडल पदाधिकारी श्री दिनेश कुमार यादव के निर्देशानुसार  “eatrightdeoghar” कैम्पिंग के तहत शहरी क्षेत्र में खाद्य सुरक्षा के तहत खाद्य सुरक्षा पदाधिकारी दिनेश मरांडी द्वारा जांच अभियान चलाया गया। जिसके तहत शहरी क्षेत्र के विभिन्न होटल, रेस्टोरेंट से सैंपल लेकर जांच की गई।

                       Food safety checkup campaign was launched under food security

इसके अलावा शहर के आज़ाद चौक में मिलावटी पनीर बेचने वाले दुकानदार का पनीर को सीज कर 2000 का जुर्माना किया गया। साथ ही इसके गंदगी, साफ-सफाई, गैर खाद्य colour का प्रयोग करने वाले दुकानों पर फाइन किया गया जिसमें चंदवंसी होटल पर 1000,यादव होटल पर 2000,संतोष मिस्ठान भंडार पर 10000,बासुकी मिस्ठान भंडार पर 5000, पीपल छाया पर 3000, माँ तारा स्वीट्स पर 3000 पर जुर्माना किया गया। वही अभिहित अधिकारी द्वारा जानकारी दी गई कि आने वाले दिनों में खाद्य सामग्री बेचने वालों पर छापेमारी की जाएगी एवं खाद्य सुरक्षा के नियमों के उल्लंघन पर कड़ी करवाई की जाएगी।

 

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‘31 दिसंबर तक करें मजदूरों का पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन’

ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन को लेकर जिला क्रियान्वयन समिति की बैठक

उपविकास आयुक्त श्री विशाल सागर की अध्यक्षता में बैठक

पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन निःशुल्क है

रांची, असंगठित क्षेत्र का मजदूरों का ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन को लेकर आज दिनांक 08 अक्टूबर 2021 को उप विकास आयुक्त, रांची श्री विशाल सागर की अध्यक्षता में जिला क्रियान्वयन समिति की बैठक आयोजित की गई। वर्चुअल माध्यम से आयोजित बैठक में जिला श्रम अधीक्षक, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी, जिला पंचायती राज पदाधिकारी, जिला सूचना विज्ञान पदाधिकारी, महाप्रबंधक जिला उद्योग केंद्र, बाल विकास परियोजना पदाधिकारी रांची, कार्यपालक अभियंता पेयजल एवं स्वच्छता रांची पूर्वी एवं पश्चिमी प्रमंडल, कार्यपालक अभियंता पथ प्रमंडल रांची शहरी एवं ग्रामीण, कार्यपालक अभियंता ग्रामीण कार्य विभाग कार्य मामले रांची, कार्यपालक अभियंता भवन प्रमंडल-1 एवं 2, कार्यपालक अभियंता भवन निर्माण निगम, कार्यपालक अभियंता लघु सिंचाई प्रमंडल रांची, डीपीएम जेएसएलपीएस, सभी प्रखंड विकास पदाधिकारी, अंचल अधिकारी एवं जिला समन्वयक सीएससी जुड़े थे।

‘31 दिसंबर तक करें मजदूरों का पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन’

बैठक के दौरान उप विकास आयुक्त श्री विशाल सागर ने असंगठित क्षेत्र के मजदूरों का ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन को लेकर पदाधिकारियों के साथ आवश्यक जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि पोर्टल पर मजदूरों का रजिस्ट्रेशन 31 दिसंबर 2021 तक पूरा किया जाना है। इस कार्य हेतु सभी विभागों में नोडल ऑफिसर बनाए गए हैं, जिन्हें उप विकास आयुक्त द्वारा निर्देश दिया गया कि विभाग अंतर्गत जो भी असंगठित मजदूर हैं, उनका पोर्टल में रजिस्ट्रेशन कराने हेतु आवश्यक कार्यवाही करें।

रजिस्ट्रेशन के बाद मजदूरों को मिलेगा लाभ

ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन के बाद असंगठित क्षेत्र के मजदूरों का डाटाबेस तैयार किया जाएगा और इसके बाद उन्हें केंद्र एवं राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ आसानी से मिल पाएगा। पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन से संबंधित विस्तृत जानकारी नोडल पदाधिकारियों को देने का निर्देश उप विकास आयुक्त द्वारा दिया गया। बैठक में उप विकास आयुक्त ने कहा कि ई-श्रम पोर्टल पर मजदूरों के रजिस्ट्रेशन में सीएससी की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। उन्होंने जिला समन्वयक सीएससी को इसे लेकर आवश्यक दिशा निर्देश दिए।

ये हैं असंगठित मजदूर, जिनका हो सकेगा पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन

सन्निर्माण कामगार, प्रवासी कामगार, खेतीहर कामगार, पशुपालन मजदूर, आशा एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, घरेलू कामगार, मछुआरा, ईट भट्ठा/क्रशर में काम करने वाले मजदूर, मनरेगा कामगार, एनआरएलएम/एनयूएलएम के अंतर्गत एसएसजी सदस्य, स्ट्रीट वेंडर्स, रिक्शा चालक, मिड डे मील कामगार, फेरीवाला इत्यादि।

*ई-श्रम पोर्टल पर निबंधन के लिए आवश्यक पात्रता

*श्रमिक की उम्र 16 से 59 वर्ष के बीच होनी चाहिए।

*जो आयकर दाता न हो।

*ईपीएफओ/ईएसआईसी/एनपीएस का सदस्य न हो।

*असंगठित श्रमिक श्रेणियों में कार्यरत हो।

*पोर्टल पर निबंधन के लिए आवश्यक

*आधार संख्या

*आधार से जुड़ा मोबाइल एवं एक्टिव मोबाइल नंबर।

*आईएफएससी कोड के साथ बचत बैंक खाता।

श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के मुताबिक अगर किसी भी श्रमिक के पास उसका आधार लिंक मोबाइल नंबर नहीं है तो वह अपने नजदीकी सीएससी सेंटर में बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन के द्वारा रजिस्ट्रेशन करवा सकता है।

ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन से लाभ

श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के मुताबिक रजिस्ट्रेशन के बाद असंगठित कामगारों को पीएमएसबीवाई के तहत दो लाभ का दुर्घटना बीमा कवर मिलेगा। भविष्य में ऐसे कामगारों के सभी सामाजिक सुरक्षा लाभ इस पोर्टल के माध्यम से प्रदान किये जाएंगे। यह कार्ड पूरे देश में मान्य होगा तथा असंगठित कामगारों को पहचान मिलेगी। आपातकालीन और राष्ट्रीय महामारी जैसी स्थितियों में पात्र असंगठित कामगारों को आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए इस डेटाबेस का उपयोग किया जाएगा।

कैसे होगा निबंधन

असंगठित कामगार इस पोर्टल पर या निकटतम सीएससी सेंटर पर जाकर अपना पंजीकरण करवा सकते हैं। पंजीकरण निःशुल्क है। कामगारों को सीएससी ऑपरेटर सहित किसी तरह की कोई शुल्क देने की आवश्यकता नहीं है।

 

आर्थिक रूप से कमजोर युवा भी कर सकेंगे सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी

नाले में गिरते लोग कुम्भकर्णी नीद में रांची नगर निगम अधिकारी

नर्सरी से पांच के बच्चों की पढ़ाई तत्काल शुरू करे झारखण्ड सरकार – रामप्रकाश तिवारी

रांची,09.10.2021 – स्वतंत्र राष्ट्रवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रामप्रकाश तिवारी ने कहा कि 20 माह से झारखंड राज्य के सभी सरकारी/गैरसरकारी प्राइवेट स्कूलों में कक्षा-नर्सरी से पांच की पढ़ाई बंद करके झारखण्ड सरकार झारखंड के लाखों गरीब आदिवासी दलित पिछड़े अगड़े अल्पसंख्यक बच्चों बच्चियों का भविष्य चौपट कर रहे हैं बिहार यूपी छत्तीसगढ़ राजस्थान मध्यप्रदेश इत्यादि राज्यों में कक्षा-1 से 12 की पढ़ाई शुरू कर चुकी है लगभग सभी स्कूलों को खोल दिया गया है लेकिन झारखण्ड सरकार ने अभी तक नर्सरी से पांच कक्षा की पढ़ाई शुरू नहीं करके झारखंड के भविष्य लाखों छोटे बच्चों बच्चियों को निरक्षर रख रहे हैं। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब बच्चों की पढ़ाई का अधिक नुकसान हो रहा है,कोरोना महामारी कम होने के बावजूद प्ले, प्राइमरी स्कूलों को बंद रखने का क्या औचित्य है?
स्वतंत्र राष्ट्रवादी पार्टी के प्रदेश प्रधान महासचिव श्री रामरंजन कुमार सिंह ने  झारखण्ड सरकार मांग  कि अगर सरकार ने तत्काल कक्षा-नर्सरी से पांच की पढ़ाई लिखाई दशहरा पूजा के बाद शुरू नहीं किया तो स्वतंत्र राष्ट्रवादी पार्टी द्वारा पांच सूत्री मांग को लेकर राजभवन,राॅंची के सामने एकदिवसीय धरना देकर आंदोलन शुरू करेगी, चरणबद्ध आंदोलन पुरे झारखंड राज्य में छेड़ा जायेगा,धरना देने संबंधित तारीख की घोषणा शीघ्र ही किया जायेगा।
उक्त जानकारी स्वतंत्र राष्ट्रवादी पार्टी, झारखंड प्रदेश के प्रधान महासचिव श्री रामरंजन कुमार सिंह और प्रदेश अध्यक्ष श्री रामप्रकाश तिवारी ने संयुक्त प्रेस बयान जारी किया।

 

आर्थिक रूप से कमजोर युवा भी कर सकेंगे सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी

लातेहार में शुरू हुआ निःशुल्क कोचिंग सेन्टर

रांची, नक्सल प्रभावित लातेहार जिला के युवाओं का स्वर्णिम भविष्य गढ़ने की तैयारी शुरू कर दी गयी है। अब यहाँ निवास करने वाले आर्थिक रूप से कमजोर युवा देश की प्रतिष्ठित सिविल सेवा परीक्षा की कोचिंग निःशुल्क ले सकेंगे। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद लातेहार ऐसा पहला जिला बन गया गया है, जिसने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे युवकों के लिए इंटीग्रेटेड कोचिंग कार्यक्रमउपलब्ध कराया है। कोडरमा में भी इस तरह की इंटीग्रेटेड कोचिंग कार्यक्रम शुरू करने की योजना पर कार्य किया जा रहा है।

Economically weak youth will also be able to prepare for civil services exam

 सैकड़ों युवाओं को मिलेगी कोचिंग

 लातेहार की अधिकतर आबादी गरीबी रेखा के नीचे की श्रेणी में आती है। निजी कोचिंग संस्थान की ऊंची फीस वहन करने में असक्षम होने के कारण ऐसे युवाओं की आकांक्षाएं दम तोड़ देती हैं। इन युवाओं की परिस्थिति को समझते हुए जिला प्रशासन द्वारा महत्वाकांक्षी कदम उठाते हुए इंटीग्रेटेड कोचिंग कार्यक्रमका शुभारंभ किया गया। जिसके तहत 100 से 130 युवाओं को सिविल सेवा परीक्षाएं की तैयारी करवाने हेतु मुफ्त कोचिंग सेवा प्रदान करने की परिकल्पना ने मूर्त रूप लिया।

 गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की पहल

 कार्यक्रम के अंदर यूपीएससी, जेपीएससी एवं अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के कई चरणों में सफल हो चुके अनुभवी एवं योग्य शिक्षकों द्वारा शिक्षण सेवा दी जा रही है। कोचिंग संस्थान के अंदर लाइब्रेरी की भी व्यवस्था की गई है। साथ ही, अन्य राज्यों और जिलों के अनुभवी शिक्षकों से डिजिटल माध्यम से पढ़वाने हेतु भी डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित किया गया है।

 सरकार का प्रयास है कि राज्य के कमजोर वर्ग के युवाओं को सिविल सेवा परीक्षा की गुणवत्तापूर्ण निःशुल्क कोचिंग प्राप्त हो। ताकि उनका भविष्य उज्जवल हो सके। इस निमित कोचिंग सेन्टर शुरू किया गया है। आने वाले दिनों में इसका विस्तार अन्य जिलों में भी किया जायेगा।

 

उपायुक्त ने “टीका एक्सप्रेस” को हरी झंडी दिखाकर किया रवाना

नाले में गिरते लोग कुम्भकर्णी नीद में रांची नगर निगम अधिकारी

साहिबगंज में खिलाड़ियों ने स्वच्छ भारत कार्यक्रम के तहत किया कचरा संग्रह

साहिबगंज, 07.10.2021  –  युवा मामले एवम् खेल मंत्रालय भारत सरकार के निर्देश के आलोक में आजादी के अमृत महोत्सव अंतर्गत  नेहरू युवा केन्द्र, साहेबगंज एवम जिला प्रशासन साहेबगंज के संयुक्त तत्वावधान में 01  से 31 अक्टूबर तक चलने वाले कार्यक्रम में जिले के सभी  गाॅव – गाॅव से  30 -30 किलो   प्लास्टिक कचरा संग्रह करते हुए जिले से कुल 11000 किलो पलास्टिक कचरा का संग्रह करने का निर्णय लिया गया है।

जिसके अंतर्गत 06 -07 अक्टूबर  *”स्वच्छ भारत” अभियान चलाया जा रहा है आज जिले के खिलाड़ियों ने सिदो कान्हु स्टेडियम, बस स्टैंड, सदर अस्पताल के निकट पलास्टिक कचरा का संग्रह किया एवं लोगों को प्लास्टिक कचरा ना फैलाने एवं सिंगल न्यूज़ प्लास्टिक का उपयोग न करने हेतु जागरूक किया।

जिले में खिलाड़ियों द्वारा कल भी प्लास्टिक कचरा संग्रहण किया जाएगा और इसका उचित प्रबंध भी किया जाना है।स्वच्छ भारत अभियान के तहत आयोजित किए जा रहे विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से सभी लोगों को यह संदेश दिया जा रहा है कि प्लास्टिक हमारे वातावरण एवं हमारे स्वास्थ्य के लिए कितना हानिकारक है इसलिए जिले वासी भी प्लास्टिक कचरा का सही प्रबंधन करने के साथ-साथ सिंगल यूज़ प्लास्टिक का उपयोग ना करें।

In Sahibganj, players did garbage collection under the Swachh Bharat program

इस अवसर पर जिला खेल पदाधिकारी दिलीप कुमार नेहरू युवा केंद्र के जिला युवा अधिकारी शुभम चंद्रन, राष्ट्रीय कोच योगेश यादव, डे बोर्डिग कोच मो बेलाल,डे बोर्डिग बालिका एवम् आवासीय बालक एथलेटिक्स केन्द्र के खिलाड़ी , एन वाई के कार्यकर्ता समेत अन्य उपस्थित थे।

 

नाले में गिरते लोग कुम्भकर्णी नीद में रांची नगर निगम अधिकारी

डॉ. जाकिर हुसैन पार्क का 75 घंटे में हुआ जीर्णोद्धार

 

 

 

उपायुक्त ने “टीका एक्सप्रेस” को हरी झंडी दिखाकर किया रवाना

उपायुक्त श्री संदीप सिंह ने  समाहरणालय से टीका एक्सप्रेस नामक मोबाइल वैक्सीनेशन वैन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

धनबाद,केयर इंडिया संस्था द्वारा जिले को टीका एक्सप्रेस नामक 4 मोबाइल वैक्सीनेशन वैन प्रदान की गई है। इससे जिले के सुदूरवर्ती और अग्नि प्रभावित क्षेत्रों में जाकर लोगों को कोरोना से सुरक्षित रखने के लिए उनका वैक्सीनेशन किया जाएगा। संस्था द्वारा रांची, जमशेदपुर तथा साहिबगंज में भी ऐसी मोबाइल वैक्सीनेशन वन प्रदान की गई है। जिससे उन जिलों के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में टीकाकरण अभियान चल रहा है।

 इस मौके पर सिविल सर्जन डॉ एस के कांत, डीआरसीएचओ डॉ संजीव कुमार, कोविड वैक्सीनेशन के नोडल पदाधिकारी डॉ विकास कुमार राणा, केयर इंडिया के जिला समन्वयक श्री दिव्य प्रकाश, स्वास्थ्य विभाग के डीपीएम, डीपीसी व अन्य लोग उपस्थित थे।

 

एसडीओ के नेतृत्व में मधुलिका, शाही दरबार, रसोई में छापामारी

सामान्य परिस्थितियों में डीएनए जांच के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट

 

नाले में गिरते लोग कुम्भकर्णी नीद में रांची नगर निगम अधिकारी

रांची, 07.10.2021 – कल रात दुर्घटना को आमंत्रण देती इसी खुले नाले में बाइक सवार गिर पड़े. सूत्रों के अनुसार एक गाड़ी से टक्कर लगने के बाद बाइक सवार इस खुले नाले में गिर गये. गनीमत यह रही कि किसी को गंभीर चोट नही लगी. इस घटना की सुचना एक प्रत्यक्षदर्शी ने फ़ाइनल जस्टिस के कार्यालय में हमें फोन के द्वारा दी. यह पुलिया अपर बाज़ार में बरालाल स्ट्रीट के पश्चिम में स्थित है. जहाँ ट्रेफिक का दवाब बहुत ज्यादा रहता है. इस  पुलिया में किनारे में सेफ्टी गार्ड नहीं बना होने के कारण अक्सर यहाँ दुर्घटना होते रहता है. इसी पुलिया से छोटे ही नही बल्कि बड़े वाहनों का भी आवागमन भारी संख्या में होता है| आप देख सकते हैं कि इस पुलिया के किनारे  बचाव का कोई पुख्ता इंतजाम नही किया गया है. इस ओर रांची नगर निगम के अधिकारियों की अनदेखी समझ से परे है..?

इस घटना के सम्बन्ध में वार्ड 20 के वार्ड पार्षद से आज बातचीत की गयी, इस दौरान उन्होंने जल्द से जल्द इस असुविधा को दूर करने की बात कही है. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि पहले यह क्षेत्र उनके वार्ड के अंतर्गत नहीं आती थी. साथ ही उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि वे जल्द ही इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाएंगे. फ़ाइनल जस्टिस की पूरी टीम उक्त प्रत्यक्षदर्शी का धन्यवाद व्यक्त करती है कि उन्होंने हमारा ध्यान उस ओर आकृष्ट किया तथा एक नागरिक का फ़र्ज़ निभाया. सुरक्षित रहें स्वस्थ्य रहें

 

डॉ. जाकिर हुसैन पार्क का 75 घंटे में हुआ जीर्णोद्धार

आजादी के अमृत महोत्सव के तहत राष्ट्रीय कानूनी जागरूकता एवं आउटरीच कार्यक्रम का आयोजन

 

 

 

 

आजादी के अमृत महोत्सव के तहत राष्ट्रीय कानूनी जागरूकता एवं आउटरीच कार्यक्रम का आयोजन

रेलवे स्टेशन और रिनपास में कार्यक्रम का आयोजन

नशा उन्मूलन पर आमजनों को दी गयी जानकारी

रांची, झारखण्ड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार, रांची के निर्देश पर अखिल भारतीय जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन 02 अक्टूबर से 14 नवम्बर, 2021 तक रांची जिला के सभी ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में किया जा रहा है। इसी कड़ी में आज दिनांक 05 अक्टूबर 2021 को रांची रेलवे स्टेशन और रिनपास, कांके में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

इस दौरान नशीली दवाओं के दुरूपयोग और खतरे के उन्मूलन हेतु पीड़ितों को कानूनी सेवाओं की जानकारी दी गयी। कार्यक्रम में नशापान से होने वाले नुकसान पर विचार विमर्श किया गया।

कार्यक्रम के दौरान श्रीमती कमला, कुमारी डालसा सचिव और रेलवे मजिस्ट्रेट श्री गौतम गोविंदा ने नशे से होने वाले नुकसान के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि आपकी समस्याओं का समाधान जिला विधिक सेवा प्राधिकार के कार्यालय के माध्यम से किया जा सकता है, आप अपने अधिकारों को समझें और कानून का पालन करें।

रिनपास कांके में भी डालसा टीम द्वारा जागरूकता फैलाया गया। पीएलवी के द्वारा झालसा द्वारा निर्मित सरल भाषा में कानून की जानकारी से संबंधित पम्फलेट का वितरण आमलोगों में किया गया।

कार्यक्रम में श्रीमति कमला कुमारी, डालसा सचिव, श्री गौतम गोविंदा, रेलवे मजिस्ट्रेट, श्री रूपेश कुमार सिंह, जी.आर.पी., रांची, श्री सुमन कुमार झा, श्री संजय कुमार शर्मा, पैनल अधिवक्ता, एस दास, प्रीति पाल, मानव कुमार सिंह, मुक्तेश्वर पाहन, पिंकू कुमारी, सगीता देवी, भारती देवी, मालती देवी पीएलवी समेत अन्य लोग उपस्थित थे।

 

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डॉ. जाकिर हुसैन पार्क का 75 घंटे में हुआ जीर्णोद्धार

डॉ. जाकिर हुसैन पार्क का 75 घंटे में हुआ जीर्णोद्धार

आम लोगों के लिए फिर से खुला पार्क

तनाव से मिलेगी मुक्ति, बच्चों के मनोरंजन की होगी पूरी व्यवस्था

रांची, शहर के बीचो-बीच स्थित डॉ. जाकिर हुसैन पार्क में अब फिर से बच्चों की खिलखिलाहट गूंजने लगी है। तरह-तरह के रंग बिरंगे झूलों पर उन्हें झूलने का मौका मिल रहा है। पार्क में बच्चों के साथ पहुंचनेवाले अभिभावकों के चेहरे पर भी मुस्कान दिखती है। बच्चों व उनके अभिभावकों के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए रांची जिला प्रशासन और नगर निगम की टीम ने दिन रात मेहनत की। सिर्फ 75 घंटे में ही डॉ. जाकिर हुसैन पार्क का जीर्णोद्धार का काम किया गया है। जीर्णोद्धार के बाद यह पार्क शहरवासियों के लिए खोल दिया गया है।

मुख्यमंत्री का मिला था आदेश

हाल ही में मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन ने अधिकारियों को राजधानी शहर के सौंदर्यीकरण और पार्कों के उचित देखभाल का निर्देश दिया था। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद नगर प्राधिकरण निदेशालय, झारखंड के तहत रांची नगर निगम ने शहर के लोगों के लिए स्वच्छ वातावरण बनाने के लिए कई योजनाएं शुरू की है। इसके तहत ‘रमनीक रांची’ नामक एक समर्पित योजना भी शुरू की गई है।

खराब थी पार्क की स्थिति

मालूम हो कि डॉ. जाकिर हुसैन पार्क की स्थिति काफी खराब थी। विगत आठ वर्ष से पार्क बंद पड़ा था और देखभाल के अभाव में जहां-तहां घनी झाड़ियां उग आई थीं। पार्क में लगे झूले खराब हो चुके थे। गेट में भी जंग लगा हुआ था और जहां तहां गंदगी का अंबार था। लोगों को याद भी नहीं रहा था कि वहां कोई पार्क भी था। लेकिन, नगर निगम की टीम ने दिन- रात मेहनत कर झाड़ियों व गंदगी को साफ किया। पार्क में लगे झूलों को दुरुस्त किया गया। नये झूले भी लगाये गये हैं। पार्क में रोशनी की बेहतरीन व्यवस्था की गई है और रात में भी वह जगमगा रहा है। रंग-रोगन और नये स्वरूप में पार्क जनता को समर्पित किया जा चुका है। यह पार्क जनता के लिए है और जनसहयोग से ही यह आगे भी उपयोग में लाया जायेगा। गौरतलब है कि कोरोना की वजह से पौने दो साल से लोगों की जिंदगी में एक ठहराव आ गया था। कहीं भी आना-जाना बंद था और एक तनाव भरी जिंदगी जी रहे थें। पर, अब डॉ.जाकिर हुसैन पार्क का फिर से खुलना और उसमें लोगों की खिलखिलाहट यह बता रही है कि जिंदगी अब धीरे-धीरे फिर से सामान्य हो रही है।

डॉ. जाकिर हुसैन पार्क  केजीर्णोद्धार के बारे में मुकेश कुमार, नगर आयुक्त ने बताया कि ” पार्क को सुव्यवस्थित स्थिति में लाना एक कठिन लक्ष्य था, लेकिन हमने समय सीमा के भीतर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए एक मिशन मोड पर काम किया। यह हमारे सहयोगी, सफाई कर्मचारियों एवं अन्य का संयुक्त प्रयास था। अब हम सभी को यह देखकर गर्व होता है कि अगर हम प्रतिबद्धता के साथ काम करते हैं, तो सुखद परिणाम हमारे सामने आता है।”

 

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पति-पत्नी साथ नहीं रह सकते तो एक-दूसरे को छोडऩा ही बेहतर : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली  (आरएनएस)  एक पति-पत्नी के मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यदि पति पत्नी एक साथ नहीं रह सकते हें तो उन्हें एक-दूसरे को छोडऩा ही बेहतर होगा। दरअसल यह मामला एक दंपती का है, जो 1995 में शादी के बाद से महज 5 दिन साथ रहा है।
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने हाईकोर्ट के तलाक के आदेश के खिलाफ अपील करने वाली पत्नी से कहा कि आपको व्यवहारिक होना चाहिए, पूरी जिंदगी अदालत में एक दूसरे से लड़ते हुए नहीं बिताई जा सकती। आपकी उम्र 50 साल और पति 55 साल के हैं। पीठ ने दंपती को स्थायी गुजारा भत्ता पर पारस्परिक रूप से निर्णय लेने के लिए कहा और दिसंबर में याचिका पर विचार करने का निर्णय लिया है।

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पत्नी की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि हाईकोर्ट द्वारा तलाक को मंजूरी देना गलत था। हाईकोर्ट ने इस बात की भी अनदेखी की कि समझौते का सम्मान नहीं किया गया था। वहीं पति की ओर से पेश वकील ने कहा कि वर्ष 1995 में शादी के बाद से उसका जीवन बर्बाद हो गया है। दांपत्य संबंध सिर्फ पांच-छह दिन तक चला।
उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा क्रूरता और शादी के अपरिवर्तनीय टूट के आधार पर तलाक की अनुमति देना बिल्कुल सही था। वकील ने कहा कि पति पत्नी के साथ नहीं रहना चाहता और वह स्थायी गुजारा भत्ता देने को तैयार है।
पति ने दावा किया कि 13 जुलाई, 1995 को शादी के बाद उच्च शिक्षित और संपन्न परिवार से आने वाली उनकी पत्नी ने उन पर अपनी बूढ़ी मां और बेरोजगार भाई को छोड़ अगरतला स्थित अपने घर में ‘घर जमाई’ बनकर रहने के लिए दबाव डाला। पत्नी के पिता आईएएस अधिकारी थे। पति ने मामले को शांत करने की हरसंभव कोशिश की लेकिन पत्नी ससुराल छोड़कर अपने मायके चली गई। तब से दोनों अलग रह रहे हैं।

 

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एसडीओ के नेतृत्व में मधुलिका, शाही दरबार, रसोई में छापामारी

तीनों प्रतिष्ठान में मिली भारी अनियमितता, वसूला गया 1.22 लाख जुर्माना।

मधुलिका पर ₹21000 की फाइन की गई।

शाही दरबार पर 51000 तथा रसोई पर ₹50000 की फाइन लगाई।

धनबाद, अभिहित पदाधिकारी सह अनुमंडल पदाधिकारी श्री प्रेम कुमार तिवारी के नेतृत्व में फूड सेफ्टी ऑफिसर अदिति सिंह ने संयुक्त रूप से आज शहर के कई फूड आउटलेट्स में छापामारी अभियान चलाया। अभियान के तहत कई स्थान से खाद्य पदार्थ का नमूना लिया गया। अनियमितता मिलने वाले प्रतिष्ठानों पर भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) अधिनियम 2006 के शिड्यूल्ड 4 के तहत कार्रवाई की गई। ऐसे 3 प्रतिष्ठानों से ₹1,22,000 की फाइन वसूली गई।

इस संबंध में एसडीओ ने बताया कि आज हीरापुर स्थित मधुलिका तथा आईआईटी आईएसएम के पास स्थित शाही दरबार व रसोई में टीम द्वारा छापामारी की गई।

हीरापुर स्थित मधुलिका से टीम ने मैसूर पाक, पेंडा, काजू बर्फी के सैंपल एकत्रित किए। शेल्फ पर एक्सपायरी डेट की ब्रेड मिली। क्लिनिंग शेड्यूल, मेडिकल फिटनेस रिपोर्ट तथा खाद्य सुरक्षा प्रशिक्षण और प्रमाणन (फोस्टेक) के तहत प्रशिक्षित सुपरवाइजर नहीं मिला। मधुलिका पर ₹21000 की फाइन की गई।

फूड सेफ्टी ऑफिसर ने बताया कि इसके बाद टीम जब आईआईटी आईएसएम के पास स्थित शाही दरबार एवं रसोई में पहुंची तो वहां भारी गंदगी देखने को मिली। तंदूरी आइटम में तय मानक से अधिक मात्रा में रंग का उपयोग पाया गया। जो सेहत के लिए बहुत ही हानिकारक है। शाही दरबार एवं रसोई के फ्रिज में सड़ा गला सामान मिला। बिना ढंकी हुई ग्रेवी मिली।

शाही दरबार पर 51000 तथा रसोई पर ₹50000 की फाइन लगाई।

एसडीओ ने बताया कि इसी तरह का अभियान आगे भी निरंतर जारी रहेगा। वही एकत्रित किए गए खाद्य पदार्थ को जांच के लिए लेबोरेटरी भेजा जाएगा।

सामान्य परिस्थितियों में डीएनए जांच के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट

एजुकेशन और हेल्थ हब के रूप में विकसित होगी रांची – विनय कुमार चौबे

सामान्य परिस्थितियों में डीएनए जांच के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली, (आरएनएस)। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि सामान्य परिस्थितियों में किसी व्यक्ति को डीएनए जांच के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय की पीठ ने पैतृक संपत्ति के मालिकाना हक से जुड़े एक विवाद में डीएनए जांच के आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका पर शुक्रवार को अपने फैसले में ये रेखांकित किया। शीर्ष अदालत ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा संबंधित पक्ष के एक व्यक्ति का डीएनए जांच कराने के आदेश को पलटते हुए कहा कि वैकल्पिक सबूतों के रहते डीएनए जांच का आदेश देना उस व्यक्ति के व्यक्तिगत स्वतंत्रता एवं निजता के अधिकार का उल्लंघन है। उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा कि डीएनए जांच के आदेश देने से पहले अदालतों को यह देखना चाहिए कि संबंधित मामले में सबूत के तौर पर वह जांच कितने महत्वपूर्ण हैं। डीएनए जांच का आदेश विशेष परिस्थितिओं ही दिया जा सकता है। किसी व्यक्ति की पहचान जानने, पारिवारिक संबंधों का पता लगाने और स्वास्थ्य संबंधी अनिवार्य जानकारी हासिल करने आदि परिस्थितियों में संबंधित व्यक्ति की सहमति से किया जा सकता है। शीर्ष अदालत ने कहा कि डीएनए जांच संबंधित व्यक्ति की सहमति के विपरीत नहीं किया जा सकता है। बिना सहमति जांच का आदेश न केवल उस व्यक्ति के संवैधानिक अधिकारों का हनन है, बल्कि संबंधित पक्ष पर एक बोझ की तरह है। न्यायालय ने इस संबंध में के एस पुट्टास्वामी बनाम भारत संघ मामले में नौ न्यायाधीशों के सर्वसम्मत फैसले का उल्लेख किया। अदालत ने कहा सामान्य परिस्थितियों में डीएनए जांच के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। संविधान में इसे संरक्षित किया गया है। उच्चतम न्यायालय ने हिमाचल प्रदेश के कालका के एडिशनल सिविल जज (सीनियर डिवीजन) के 2017 उस फैसले को बहाल करने का कभी आदेश दिया, जिसमें डीएनए जांच कराने की मांग को खारिज कर दी गई थी। यह मामला वर्ष 2013 से हिमाचल प्रदेश के कालका जिले की अदालत में दाखिल किया गया था, जिसमें अशोक कुमार नाम के एक व्यक्ति ने दिवंगत त्रिलोक चंद्र गुप्ता और सोना देवी का बेटा होने के साथ-साथ उनकी रिहायशी पैतृक संपत्ति पर मालिकाना हक का दावा किया था। सुनवाई के दौरान दिवंगत दंपति की तीन बेटियों ने कहा कि अशोक (दिवंगत गुप्ता दंपति) का बेटा नहीं है। तीनों बेटियों ने सच्चाई का पता लगाने के लिए अदालत से अशोक का डीएनए जांच कराने की मांग उठाई थी, जिसे निचली अदालत ने खारिज कर दिया था। दंपति की बेटियों का कहना था कि अशोक से उनका खून का कोई नाता नहीं है। निचली अदालत ने जमीन संबंधी कागजातों में अशोक का नाम पाया था। अशोक के अन्य प्रमाण पत्रों में त्रिलोकचंद और सोना देवी का नाम दर्ज किए जाने को सबूत मानते हुए अपना फैसला दिया था।

 

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पुनर्वितरण ज़रूरी लेकिन विकास की कीमत पर नहीं

अमिताभ कांत
हमारी आजादी के बाद के सालों में भारत में आर्थिक विकास के बजाय संपदा के पुनर्वितरण को तरजीह दी गई। हालांकि, ये पुनर्वितरण नीतियां गरीबी के स्तर में गंभीर चोट कर पाने में नाकाम रहीं, और इन्होंने आर्थिक विकास को सुस्त रखा। जहां 90 के दशक की शुरुआत में उदारीकरण की कोशिशों से संपदा के सृजन में विस्फोट हुआ और गरीबी में काफी कमी आई, वहीं उसके बाद के दशकों में इस सुधार के एजेंडे का असर खत्म हो गया। इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च और सुधारों में बढ़ोतरी के नतीजतन जो असरदार विकास हुआ उसकी बुनियाद पर 2000 के दशक के आखिर में भारत में बड़े पैमाने पर पुनर्वितरण नीतियां लाई गईं। हालांकि, वैश्विक वित्तीय संकट के बाद जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था धीमी हुई, सरकारी खर्च का दायरा टिकाऊ नहीं रहा।
यहां कहने का मतलब ये नहीं है कि पुनर्वितरण नहीं करना चाहिए। जिन साधनों से पुनर्वितरण किया जाता है वे बड़े महत्वपूर्ण हैं। आईएमएफ के एक पेपर के मुताबिक कैश ट्रांसफर, प्रगतिशील टैक्स व्यवस्था और मानव पूंजी में निवेश ही वे मुख्य साधन हैं जिनके ज़रिए पुनर्वितरण किया जाता है। बेशक, यहां ऐसी सीमाएं हैं जिनमें से पहले और दूसरे साधन का इस्तेमाल किया जा सकता है। मसलन, 1970 के दशक की शुरुआत को ही लीजिए। इस दौरान व्यक्तिगत आयकर का सबसे ऊंचा ब्रैकेट 95त्न से ज्यादा था। किसी प्रगतिशील टैक्स व्यवस्था में, एक चौड़े टैक्स बेस के जरिए सरकारी राजस्व को बढ़ाने की कोशिशें की जानी चाहिए, न कि मार्जिनल टैक्स रेट्स को बढ़ाकर। ठीक इसी तरह, कैश ट्रांसफर जहां महत्वपूर्ण हैं लेकिन इन्हें सरकारी लाभों और सेवाओं तक पहुंच बढ़ाने की कोशिशों के साथ किया जाना चाहिए। मानव पूंजी में निवेश की भी नियमित रूप से निगरानी और मूल्यांकन किया जाना चाहिए, सिर्फ इनपुट के लिहाज से ही नहीं बल्कि आउटपुट और नतीजों के लिहाज से भी।
बड़े पैमाने वाले पुनर्वितरण कार्यक्रमों की अपनी वित्तीय लागत भी होती है। सरकारी राजस्व या तो कर राजस्व से आ सकता है या फिर गैर-कर राजस्व से। कर राजस्व भारत में राजस्व का एक बड़ा हिस्सा है। जिसके नतीजतन कर राजस्व हमारी अर्थव्यवस्था की पूरी सेहत से बहुत महत्वपूर्ण रूप से जुड़ा हुआ है। इसका तर्क बड़ा सीधा सा है। जैसे-जैसे लोग ज्यादा कमाते हैं, टैक्स भी उतना ही ज्यादा इक_ा किया जाता है। कर संग्रह तंत्र भी खासा महत्वपूर्ण है, जिसे स्वैच्छिक अनुपालन को बढ़ावा देना चाहिए। घाटे के वित्तपोषण को तब उपयोग में लाया जाता है जब सरकारी खर्च उसके राजस्व से ज्यादा होता है। इसका मतलब ये है कि सरकार अपने खर्चों को पूरा करने के लिए बाजार से पैसा उधार ले रही है। इसे ही राजकोषीय घाटा कहा गया है।
अब जब हमने ये स्थापित कर लिया है कि टैक्स कलेक्शंस का निर्धारण करने में अर्थव्यवस्था की सेहत बड़ी महत्वपूर्ण है, तो फिर हम अनुमान लगा सकते हैं कि टैक्स कलेक्शन को बढ़ाने के लिए अर्थव्यवस्था को बूस्ट करना यानी आर्थिक टुकड़े के आकार को बढ़ाना महत्वपूर्ण है। नॉर्डिक देशों का ही उदाहरण लीजिए। इन देशों को रहने के लिए लगातार सबसे अच्छी जगहें कहा गया है। फिर भी, उनकी अर्थव्यवस्थाएं सबसे ज्यादा गतिशील भी हैं। इन देशों ने इकोनॉमिक फ्रीडम इंडेक्स में लगातार ऊंचा स्थान पाया है, जो कि एक देश में आर्थिक स्वतंत्रता की हद को मापता है। न्यूजीलैंड, जिसे आर्थिक स्वतंत्रता और ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिजऩेस’ इन दोनों सूचकांकों में शीर्ष पर रखा गया है, उसकी अपने मजबूत सोशल सिक्योरिटी नेट्स के लिए काफी तारीफ की गई है। इसलिए, टिकाऊ और परिवर्तनकारी पुनर्वितरण नीतियों को चलाने की चाबी एक मजबूत और गतिशील अर्थव्यवस्था है।

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भारतीय अर्थव्यवस्था को औपचारिक रूप देने और लंबे समय से चली आ रही अक्षमताओं को दूर करने के लिए, हमारे देश की मौजूदा सरकार ने खासे महत्वपूर्ण संरचनात्मक सुधार, शासनात्मक सुधार और नियामक सुधार किए हैं। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों करों में एक नई कर व्यवस्था शुरू की गई है। भारत की टैक्स प्रणाली में जो प्रतिकूल व्यवस्था निर्मित हो गई थी, उसके मुकाबले ये नई प्रणाली स्वैच्छिक अनुपालन और भरोसे को बढ़ावा देती है। फेसलेस मूल्यांकन और अपीलें, कॉर्पोरेट और व्यक्तिगत आयकर दरों में कमी, लंबित विवादों के लिए एक समाधान तंत्र, इनपुट टैक्स क्रेडिट के साथ जीएसटी, ये सब इस बात के सबूत हैं कि कराधान की एक नियम आधारित, स्वैच्छिक अनुपालन की प्रणाली लाई जा रही है।
भारत में हमने पुनर्वितरण नीतियों के तीनों साधनों को अभी और अतीत में भी सक्रिय देखा है। हालांकि, पहुंच इसमें एक प्रमुख बाधा बनी रही। क्योंकि सरकार द्वारा खर्च किया जा रहा पैसा उसके इच्छित लाभार्थियों तक नहीं पहुंच रहा था। मुझे याद है एक अधिकारी के तौर पर मेरे शुरुआती दिनों में तत्कालीन प्रधानमंत्री ने कहा था कि सरकार द्वारा खर्च किए गए हर एक रुपये में से 85 पैसे लीक हो गए। तब से इसमें एक बड़ा कायापलट हुआ है, खासकर हाल के कुछ बरसों में। बीते कुछ सालों में एक बड़ा फर्क लाने वाली चीज ये रही है कि तकनीक से सक्षम सर्विस डिलिवरी, जवाबदेही और पारदर्शिता पर ध्यान केंद्रित किया गया है। गैर-बराबरी का मुकाबला करने के लिए पहुंच यानी एक्सेस के मसलों को हल करना बड़ा जरूरी है। स्वास्थ्य सेवा, स्वच्छता, पीने का पानी, बिजली, रसोई गैस, इंटरनेट, आवास और वित्त तक पहुंच, ये कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें बड़ी छलांग लगाई गई है। इसमें रिकॉर्ड सबके सामने है। पहुंच के मुद्दों को संबोधित करके ज्यादा संपदा और आय में असमानता की दिशा में एक बड़ी बाधा को दूर किया गया है। और इसे मार्जिनल टैक्स व्यवस्था में कोई खास बढ़ोतरी किए बिना हासिल किया गया है। पीएम-किसान योजना और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के जरिए बड़े पैमाने पर कैश ट्रांसफर भी हो रहे हैं। मानव पूंजी पर भी उचित ध्यान दिया जा रहा है। दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना भारत में चलाई जा रही है। अब शिक्षा की गुणवत्ता को मापने और शिक्षा तक हासिल की गई पहुंच पर ध्यान केंद्रित किया गया है। एक नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति शुरू की गई है, जो तीन दशकों में पहली बार हुआ है।
भारत में बीते सालों में असमानता से लडऩे के लिए बहुत कुछ किया गया है, जिसमें सरकारी लाभ और सेवाओं तक पहुंच में सुधार लाने पर जोर दिया गया है। इसे व्यय में किसी बड़ी बढ़ोतरी के जरिए नहीं, बल्कि कई कारकों के संयोजन के जरिए हासिल किया है। सबसे पहले तो बजट में बढ़ोतरी की गई। हालांकि, इसके साथ शासन में सुधार भी किए गए जिन्होंने जवाबदेही और पारदर्शिता को बढ़ावा दिया। तकनीक ने इसमें बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिसने मजबूत निगरानी और मूल्यांकन प्रणालियों को सक्षम किया। इसका नतीजा ये था कि पिरामिड के एकदम नीचे तक सेवाओं का कुशल वितरण हुआ। ठीक उसी वक्त, कई संरचनात्मक सुधारों के जरिए हमारी अर्थव्यवस्था की संभावित विकास दर को बढ़ावा देने की कोशिशें की गई हैं, जिनमें से प्रत्येक ने हमारी अर्थव्यवस्था में अंतर्निहित अक्षमताओं को संबोधित किया है। कोई जरूरी नहीं कि पुनर्वितरण और विकास, प्रतिस्पर्धी नीतिगत लक्ष्य हों। पुनर्वितरण कार्यक्रमों के वित्तपोषण के लिए एक मजबूत अर्थव्यवस्था बड़ी जरूरी है। जिसके बदले में, पुनर्वितरण में इन निवेशों का लंबी अवधि में अर्थव्यवस्था पर कई गुना असर पड़ता है।
*लेखक नीति आयोग के सीईओ हैं। ये उनके व्यक्तिगत विचार हैं।

लगभग 70 वर्षों से, जम्मू एवं कश्मीर एक संवैधानिक विसंगति की छाया में जी रहा था

‘कल्पनाशील जम्मू एवं कश्मीर

–  डॉ. जितेंद्र सिंह
लगभग 70 वर्षों से, जम्मू एवं कश्मीर एक संवैधानिक विसंगति की छाया में जी रहा था। यह विसंगति वास्तव में इतिहास के साथ–साथ सभी मनुष्यों के समान अधिकारों के सिद्धांत के साथ भी एक दुर्घटना जैसी थी। शायद यह ईश्वर की इच्छा थी कि श्री नरेन्द्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बनें और जम्मू एवं कश्मीर के लोगों को अनुच्छेद 370 और 35-ए के बंधनों से मुक्त करायें।
विभिन्न किस्म के बदलावों और नई प्रशासनिक एवं संवैधानिक व्यवस्थाओं के अस्तित्व में आने के बाद, जम्मू एवं कश्मीर ने न सिर्फ विकास की एक तेज गति वाली यात्रा शुरू की है, बल्कि उन मानसिक बाधाओं से भी मुक्ति प्राप्त की है जिसने यहां लोगों को शेष भारत के लोगों की तुलना में अलग महसूस कराया और इसी तरह, शेष भारत को भी जम्मू एवं कश्मीर के साथ एक अलग तरह से बर्ताव करने के लिए तैयार किया।
सभी स्तरों पर संपूर्ण एकीकरण के साथ, जम्मू एवं कश्मीर के लोग आज श्री मोदी के न्यू इंडिया का एक अनिवार्य घटक बनने के अपने सपने को साकार करने की संभावना और इससे होने वाले लाभों को लेकर उत्साहित हैं।
इस कल्पनाशील जम्मू एवं कश्मीर ने न सिर्फ अतीत की एक अप्रिय विरासत को प्रभावी तरीके से पीछे छोड़ा है, बल्कि शेष भारत के साथ एक जैसी आकांक्षाओं को पोषित करना भी सीख लिया है।
आज जम्मू एवं कश्मीर ने विकास की एक नई यात्रा शुरू कर दी है। 170 केंद्रीय कानून, जो पहले लागू नहीं थे, अब लागू कर दिए गए हैं। इसी तरह, सभी केंद्रीय कानून केंद्र-शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर में लागू होते हैं।
बाल विवाह अधिनियम, शिक्षा का अधिकार, सूचना का अधिकार (आरटीआई) और भूमि सुधार जैसे कई कानून भी अब प्रभावी हैं। दशकों से यहां रह रहे वाल्मीकि, दलित और गोरखा समुदायों को भी अब अन्य निवासियों के समान अधिकार प्राप्त हैं। अब स्थानीय निवासियों और अन्य राज्यों के निवासियों को समान अधिकार प्राप्त हैं। राज्य के 334 कानूनों में से, 164 कानूनों को निरस्त कर दिया गया है और 167 कानूनों को भारतीय संविधान के अनुरूप बनाया गया है। अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में तीन प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है।

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15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान केंद्र-शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर और केंद्र-शासित प्रदेश लद्दाख को क्रमश: 30,757 करोड़ रुपये और 5,959 करोड़ रुपये का अनुदान मंजूर किया गया है।
पिछले वर्ष पहली बार ग्राम पंचायतों और जिला पंचायतों के चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न हुए है। कई सालों के बाद 2018 में पंचायत चुनाव हुए थे और उनमें 74.1 प्रतिशत मतदान हुआ था। 2019 में ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल के चुनाव पहली बार हुए और उनमें 98.3 प्रतिशत मतदान हुआ। हाल ही में संपन्न जिला स्तरीय चुनावों में भी लोगों की रिकॉर्ड भागीदारी रही।
आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत जम्मू एवं कश्मीर में 51.7 लाख लाभार्थियों की पहचान की गई है। इस योजना के तहत, जम्मू एवं कश्मीर के विभिन्न अस्पतालों में 2.24 लाख उपचारों को अधिकृत किया गया है और इसके लिए 223 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की गई है। पीएम किसान योजना के तहत अब तक 12.03 लाख लाभार्थियों को शामिल किया जा चुका है।
अधिवास कानून को लागू किया गया है और 1990 में कश्मीर घाटी से निकाले गए कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए मार्ग प्रशस्त किया गया है, जिसके लिए 6000 नौकरियों और 6000 पारगमन आवास के प्रावधान की दिशा में काम चल रहा है।
सेब की खेती के लिए एक बाजार हस्तक्षेप योजना लागू की गई है। इस योजना के तहत केंद्रीय खरीद एजेंसी द्वारा डीबीटी भुगतान और परिवहन की व्यवस्था ने सेब की कीमतों में स्थिरता ला दी है।
कश्मीरी केसर को जी. आई. टैग मिल गया है। अब कश्मीरी केसर पूर्वोत्तर राज्यों तक भी पहुंच रहा है। पुलवामा के उखु गांव को ‘पेंसिल वाला गांवÓ का उपनाम मिलने वाला है।
श्रीनगर के बहुप्रतीक्षित रामबाग फ्लाईओवर को आवागमन के लिए खोल दिया गया है। आईआईटी जम्मू को अपना परिसर मिल गया है और एम्स, जम्मू का काम भी शुरू हो गया है। प्रधानमंत्री द्वारा अटल सुरंग को राष्ट्र को समर्पित करने के साथ ही इसका इंतजार खत्म हुआ। जम्मू सेमी रिंग रोड और 8.45 किलोमीटर लंबी नई बनिहाल सुरंग को इसी साल आवाजाही के लिए खोल दिया जाएगा।
आतंक की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है और घाटी में शांति एवं सुरक्षा का एक नया वातावरण बना है। पर्यटन के क्षेत्र में तेज वृद्धि का रुझान दिखाई दे रहा है।
40 साल से ठप पड़ी शाहपुर-कंडी बांध परियोजना पर फिर से काम शुरू हो गया है। रतले पनबिजली परियोजना का काम भी फिर से शुरू किया जा रहा है।
ऐसा पहली बार है जब भारत सरकार की औद्योगिक प्रोत्साहन योजना के तहत जम्मू एवं कश्मीर में औद्योगिक विकास को ब्लॉक स्तर तक ले जाया जाएगा। नई केंद्रीय योजना के तहत, अगले 15 वर्षों में 28,400 करोड़ रुपये के प्रोत्साहन से राज्य में विकास के नए द्वार खुलेंगे।
प्राथमिक क्षेत्र में रोजगार सृजन के अलावा, इस योजना से कृषि, बागवानी, रेशम उत्पादन, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी उद्योग के क्षेत्र में और 4.5 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने की उम्मीद है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जम्मू एवं कश्मीर आज तेज गति से आगे बढ़ रहा है। आज का कल्पनाशील जम्मू एवं कश्मीर भविष्य का आदर्श (रोल मॉडल) बनने की ओर अग्रसर है।
– केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार);पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार);प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत,पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग राज्यमंत्री हैं

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स्वतंत्र राष्ट्रवादी पार्टी प्रदेश कार्यकारिणी के नव निर्वाचित सभी पदाधिकारियों, सदस्यों को पदभार और प्रमाणपत्र दिया गया

रांची, 03.10.2021 को राॅंची कारमेल स्कूल,हरमू बाईपास रोड,राॅंची में स्वतंत्र राष्ट्रवादी पार्टी, झारखंड प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक हुई।

बैठक की अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष श्री रामप्रकाश तिवारी ने किया।

बैठक में प्रदेश अध्यक्ष श्री रामप्रकाश तिवारी जी और प्रदेश प्रधान महासचिव श्री रामरंजन कुमार सिंह जी ने पूर्व दिनांक-26.09.2021 को स्वतंत्र राष्ट्रवादी पार्टी प्रदेश कार्यकारिणी के  नव निर्वाचित सभी पदाधिकारियों, सदस्यों को पदभार सौंपते हूए प्रमाणपत्र दिया गया।

बैठक में पार्टी कार्यकारिणी के प्रदेश पदाधिकारियों, सदस्यों को सम्बोधित करते हुए प्रदेश अध्यक्ष श्री राम प्रकाश तिवारी ने कहा कि झारखंड की आम जनता एनडीए,यूपीए गठबंधन सरकारों से निराश हो चुकी है अब उन्हें स्वतंत्र राष्ट्रवादी पार्टी आगामी झारखंड विधानसभा चुनाव-2024 में  विकल्प देने के लिए 81 सीट पर शिक्षित युवाओं को खड़ा करने जा रही है आपलोग पार्टी के नीतियों,सिद्धान्तो, कार्यक्रमो के प्रचार-प्रसार करने के लिए आगे रणनीति अनुसार युद्धस्तर पर कार्य करें।

बैठक को सम्बोधित करते हुए पार्टी के प्रदेश प्रधान महासचिव श्री रामरंजन कुमार सिंह ने कहा हेमन्त सरकार के आदेश पर लाखों गरीब आदिवासी दलित पिछड़े अगड़े अल्पसंख्यक बच्चों बच्चियों की पढ़ाई लिखाई पिछले 19 माह से बंद है बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए हेमन्त सरकार तत्काल कक्षा-नर्सरी से पांच की पढ़ाई शुरू करें और आरटीई प्रथम संशोधित नियमावली-2019 का काला कानून रद्द करें। बिना शर्त सभी प्राइवेट स्कूलों को मान्यता दे।

बैठक को संबोधित करते हुए प्रदेश उपाध्यक्ष श्री शंभू लाल वर्णवाल ने कहा मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन हम जी 2019 के अपने चुनावी वादेनुसार झारखंड के पांच लाख बेरोजगारो को सरकारी नौकरी दे और सभी शिक्षित बेरोजगार युवाओं को बेरोजगारी भत्ता दे यह दुर्भाग्यपूर्ण है हेमन्त सरकार ने अभी तक बेरोजगारी भत्ता देना शुरू नहीं किया है।

बैठक को सम्बोधित करते हूए प्रदेश महासचिव श्री अजय शंकर कुमार ने कहा कोरोना महामारी में बेरोजगार हूए लाखों मजदूरों,आर्थिक संकट झेल रहे किसानों, प्राइवेट स्कूल संचालकों, शिक्षकों,छोटे कारोबारियों को हेमन्त सरकार तत्काल आर्थिक सहायता उपलब्ध करायें।

बैठक को संबोधित करते हुए प्रदेश उपाध्यक्ष प्रहलाद महतो ने कहा हेमन्त सरकार हर मोर्चे पर विफल है झारखंड में भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, मंहगाई अपराध चरम सीमा तक पहुंच गया है आम जनता परेशान हैं हेमंत सरकार इसपर ध्यान दें।

बैठक में राजनीतिक प्रस्ताव पारित करते हूए हेमंत सरकार से सभी नागरिकों को मुफ्त बिजली पेयजल शिक्षा चिकित्सा सुविधा के साथ गरीब परिवारों को पक्का मकान बनाकर और सभी शिक्षित अशिक्षित बेरोजगार युवाओं को सरकारी नौकरी,रोजी रोजगार के साधन उपलब्ध करायें,सभी सरकारी/प्राइवेट स्कूलों में कक्षा-नर्सरी से पांच की पढ़ाई शुरू करें।

अन्य प्रस्ताव पारित करते हुए प्रदेश अध्यक्ष रामप्रकाश तिवारी,प्रदेश प्रधान महासचिव श्री रामरंजन कुमार को पार्टी के भावी कार्यक्रमो, आंदोलन की घोषणा करने और झारखंड के सभी जिला संयोजक,जिला अध्यक्ष मनोनित करने का अधिकार दिया गया।

प्रदेश उपाध्यक्ष श्री मनोरंजन कुमार ने धंन्यवाद ज्ञापन देते हूए कहा हेमन्त सरकार लगभग 22 माह शासन कर चुकी है अब मात्र तीन वर्ष दो माह शेष कार्यकाल बचा है यूपीए गठबंधन के सभी सहयोगियों मंत्रियो, झारखंड सरकार के विभागीय अधिकारियों के बीच तालमेल का घोर अभाव है हेमन्त सरकार ट्राॅस्फर पोस्टिंग उद्योग चला रही है।

बैठक में सर्वश्री इरफान खान,केडी मोदी(प्रदेश महासचिव) सुरेंद्र भगत(प्रदेश उपाध्यक्ष), केदारनाथ प्रसाद,बमदत्त शंभू मिश्रा,(संगठन सचिव),बिमल डे, कार्यकारिणी सदस्य इत्यदि उपस्थित थे।

इसकी जानकारी  पीयूष झा और विवेक कुमार त्रिपाठी ने दी.

 

 

एजुकेशन और हेल्थ हब के रूप में विकसित होगी रांची – विनय कुमार चौबे

*रांची स्मार्ट सिटी का इन्वेस्टर्स मीट संपन्न

*प्रदेश  के डेढ़ सौ से ज्यादा संभावित निवेशक ने लिया मीट में हिस्सा

*एजुकेशन और हेल्थ हब के रूप में  विकसित होगी रांची

*स्मार्ट सिटी के विकास में  शैक्षणिक और स्वास्थ्य क्षेत्र राज्य सरकार की प्राथमिकता

*पूरा स्मार्ट सिटी हाई सिक्योरिटी जोन  होगा

रांची, रांची शहर को एजुकेशनल हब एवं मेडिकल हब के रूप में विकसित करना राज्य सरकार की प्राथमिकता है, इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए रांची स्मार्ट सिटी  में  शैक्षणिक  संस्थान  एवं  मेडिकल सेक्टर को विकसित करने की प्राथमिकता दी गई है. रांची  शैक्षणिक राजधानी के रूप में विकसित हो  इस हेतु  रांची स्मार्ट सिटी के अंदर 21% भूमि शैक्षणिक संस्थानों के लिए रखी गई है  साथ ही अभी हाल में ही लांच की गई नई उद्योग नीति के तहत  मेडिकल सेक्टर के निर्माण  को ध्यान में रखते हुए आकर्षक नीति बनाई गई है .उक्त बातें श्री विनय कुमार चौबे, सचिव,  नगर  विकास  एवं आवास विभाग ने कही. वे आज  रांची स्मार्ट सिटी कॉरपोरेशन लिमिटेड  द्वारा होटल बीएनआर चाणक्य  में आयोजित  इन्वेस्टर मीट 2021 में उपस्थित उद्योग जगत के प्रतिनिधियों को  संबोधित कर रहे थे.

पूरा स्मार्ट सिटी होगा हाई सिक्योरिटी जोन में

श्री विनय कुमार चौबे ने कहा कि रांची  स्मार्ट सिटी के अंदर ही  राज्य सरकार का मंत्रालय होगा साथ ही सभी मंत्रियों का  आवास भी स्मार्ट सिटी  के अंदर ही बनेगा.इस तरह से  यह पूरा स्मार्ट सिटी   हाई सिक्योरिटी जोन में होगा.

रांची शहर को विकसित करने में रांची स्मार्ट सिटी काफी महत्वपूर्ण

श्री विनय कुमार चौबे ने कहा कि  रांची शहर का फैलाओ  काफी जरुरी हो गया है .इस दिशा में रांची स्मार्ट सिटी का महत्वपूर्ण योगदान होगा. रांची स्मार्ट सिटी के डेवलप होने से इस एरिया में शहर का फैलाओ बढ़ेगा.

नए विधानसभा के पीछे हाउसिंग कॉलोनी बनेगी

सचिव श्री विनय कुमार चौबे ने कहा कि जी आर डी ए एरिया में  शैक्षणिक संस्थाओं को जमीन दी जाएगी साथ ही नए विधानसभा के पीछे 100 एकड़ में हाउसिंग कॉलोनी बनने जा रही है ,जहां सभी तरह की मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध होगी. SKIPA के निर्माण के लिए भी 25 एकड़ जमीन चिन्हित की गई है.

मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन का निर्देश ,रांची को पूरे झारखंड के लोगों की आकांक्षाओं एवं आशाओं के अनुरूप बनाएं

रांची स्मार्ट सिटी कॉरपोरेशन के सीईओ श्री अमित कुमार ने कहा है कि मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन का स्पष्ट निर्देश है कि रांची को झारखंड के लोगों की आकांक्षाओं एवं आशाओं के अनुरूप बनाया जाए. इसलिए यहां पर हर आय वर्ग के लोगों के लिए आवासीय फ्लैट निर्माण को ध्यान में रखते हुए लैंड प्लॉट चिन्हित किए गए हैं.. उन्होंने कहा  कि स्मार्ट सिटी में  रोड, ड्रेनेज , यूटिलिटी सर्विसेज,जलापूर्ति, विद्युत आपूर्ति  विश्व स्तरीय होगी.

सीईओ श्री अमित कुमार ने कहा कि  विश्व के टॉप 100 यूनिवर्सिटी का कोई भी एक विश्वविद्यालय अगर दिलचस्पी दिखाता है तो उसे ₹1 में 25 एकड़ जमीन उपलब्ध कराई जाएगी. किसी भी प्लॉट 400 मीटर की दूरी के अंदर ही पब्लिक ट्रांसपोर्ट उपलब्ध होगा.निर्बाध बिजली आपूर्ति के लिए जीआईएस सब स्टेशन का निर्माण हो रहा है.कोई भी तार स्मार्ट सिटी के अंदर ओवरहेड वायर के रूप में नहीं दिखाई देगा.सभी यूटिलिटी सर्विसेज यूटिलिटी डक्ट के अंदर से होकर हर प्लॉट तक पहुंचेगा. उन्होंने कहा कि ई ऑक्शन प्रक्रिया में शामिल होने से जुड़ी अन्य जानकारी के लिए किसी भी एजेंसी का प्रतिनिधि स्मार्ट सिटी कारपोरेशन के वेबसाइट  rsccl.in  और  eauction.rsccl.in पर विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.

प्रेजेंटेशन के माध्यम से स्मार्ट सिटी की बताई गई खूबियां

इससे पहले कार्यक्रम में स्मार्ट सिटी के महाप्रबंधक राकेश कुमार नंदकुलयार ने पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के जरिए स्मार्ट सिटी योजना की पूरी जानकारी निवेशकों के समक्ष रखा ..और आश्वस्त किया कि अगर कोई तकनीकी दिक्कत होती है तो जगह-जगह पर स्मार्ट सिटी की ओर से आपको फैसिलिटेट किया जाएगा..

ई ऑक्शन के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है तैयार

प्लॉट्स के ई निलामी के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म तैयार है और इस ऑक्शन में दुनियां में कहीं भी बैठा व्यक्ति वहीं से भाग ले सकता है। पारदर्शिता  का भी पूरा ख्याल रखा गया है । इसके साथ हीं ई ऑक्शन से जुड़ी जानकारी लोग कॉरपोरेशन के वेबसाइट rsccl.in और eauction.rsccl.in पर जाकर प्राप्त कर सकते हैं।

कार्यक्रम में रांची धनबाद,जमशेदपुर हजारीबाग,बोकारो सहित प्रदेश के सभी महत्वपूर्ण शहरों के निवेशक शामिल हुए। उद्योग जगत के इन प्रतिनिधियों ने भी अपने विचार रखें. सभी प्रतिनिधियों ने राज्य सरकार की सराहना करते हुए कहा कि सरकार ने जिस प्रकार शिक्षा के क्षेत्र सहित अन्य क्षेत्र में निवेशकों को ध्यान में रखते हुए जितनी सहूलियते दी हैं वह काबिले तारीफ है.

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मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने ईटखोरी, चतरा में नवनिर्मित ग्रिड सब स्टेशन और चतरा- लातेहार ट्रांसमिशन लाइन का उद्घाटन किया

*सोलर पावर प्लांट लगाने वालों को सब्सिडी देगी सरकार, जल्द ही शुरू होगी नई

योजना

*आप सोलर पावर प्लांट लगाएं, आपकी सरप्लस बिजली खरीदेगी सरकार

*सरकार की योजनाओं से जुड़कर राज्य के विकास में  भागीदार बनें – श्री हेमंत सोरेन

 मुख्यमंत्री झारखंड

ईटखोरी, चतरा, मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने आज ईटखोरी में नवनिर्मित ग्रिड सब स्टेशन एवं चतरा- लातेहार ट्रांसमिशन लाइन का    शुभारम्भ  कर चतरा जिले को बड़ी सौगात दी । अब इस जिले के बड़े हिस्से को निर्बाध और गुणवत्ता युक्त बिजली मिलेगी। लो वोल्टेज की समस्या नही होगी। मुख्यमंत्री ने  कहा कि  ग्रिड सब स्टेशन और ट्रांसमिशन लाइन के चालू होने से यहां के लोगों की वर्षों की चिर प्रतिक्षित मांग पूरी हो गई है । अब यहां का हर घर ना सिर्फ रोशन होगा बल्कि नई ऊर्जा के साथ विकास के रास्ते पर चतरा जिला तेजी से आगे बढ़ेगा ।

  विकास के लिए बिजली अहम

मुख्यमंत्री ने कहा कि विकास के लिए बिजली बेहद अहम है । यही वजह है कि सरकार पूरे राज्य में ग्रिड सब स्टेशन और संचरण लाइन का जाल बिछा रही है, ताकि राज्य वासियों को बिजली की आंख मिचौली नहीं झेलनी पड़े । निर्बाध और क्वालिटी बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित हो सके।

सोलर पावर प्लांट्स को बढ़ावा दे रही सरकार

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा सोलर पावर प्लांट्स को बढ़ावा दिया जा रहा है ।  उन्होंने लोगों से कहा कि वे खेती की तरह बिजली की भी खेती करें।     अपनी बंजर भूमि और घर की छत का इस्तेमाल सोलर पावर प्लांट लगाने में करे । इससे ना सिर्फ अपने लिए बिजली का उत्पादन कर सकेंगे, बल्कि सरप्लस बिजली को सरकार खरीदेगी । इससे आपकी आमदनी में इज़ाफ़ा होगा और आप राज्य के विकास में भागीदार बनेंगे। सोलर पावर प्लांट लगाने के लिए सरकार सब्सिडी देगी । इसके लिए बहुत जल्द एक नई योजना लांच की जाएगी ।

आपकी भावनाओं के अनुरूप काम कर रही सरकार

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह आपकी सरकार है । आपकी भावनाओं के अनुरूप हमारी सरकार काम कर रही है । राज्यवासियों के कल्याण और  विकास के लिए कार्य योजना बनाई जाती है । उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे सरकार की योजनाओं से जुड़े और उसका लाभ ले ।उन्होंने पदाधिकारियों व जनप्रतिनिधियों से कहा कि वे ग्रामीण इलाकों में लोगों को सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से अवगत कराएं ताकि वे इन योजनाओं के माध्यम से स्वावलंबी बन सके ।

पिछड़े जिलों के विकास पर विशेष फोकस

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार की नजर चतरा, गढ़वा, लातेहार जैसे पिछड़े जिलों पर विशेष रूप से है । इसलिए ऐसे जिलों के लिए विशेष योजना भी बनाई जा रही है । इससे पहले गृह गढ़वा में भी सब स्टेशन का उद्घाटन इसी का परिचायक है।

शहरों में बाईपास बनाए जाएंगे

मुख्यमंत्री ने चतरा शहर में बाईपास की मांग पर कहा कि  इस दिशा में सरकार लगातार मंथन कर रही है । वैसे शहर, जहां बाईपास की जरूरत है, इसकी योजना स्वीकृत की जाएगी ।इतना ही नहीं , भविष्य की जरूरतों को देखते हुए भी शहरों के लिए बाईपास की  योजना बनाई जा रही है । उन्होंने बताया कि चतरा शहर के लिए बाईपास की स्वीकृति दे दी गई है । इसकी नींव अगले साल जनवरी में रखी जाएगी । उन्होंने यहां एक डेहरी प्लांट स्थापित करने की भी बात कही।

 कोरोना काल से निकलकर विकास को दे रहे गति

मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले लगभग डेढ़ साल कोविड-19 की वजह से काफी चुनौती भरा रहा। व्यवस्थाएं अस्त व्यस्त हो गई थी । लेकिन अब कोरोना काल से निकलते हुए विकास को गति दी जा रही है । राज्य के विकास और लोगों के कल्याण के लिए कई योजनाएं शुरू की गई है ।इस मौके पर उन्होंने सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं और उपलब्धियों से लोगों को अवगत कराया ।

अफीम की खेती रोकने के लिए उठाए जा रहे कदम

मुख्यमंत्री ने कहा कि चतरा समेत कई जिलों में बड़े पैमाने पर अवैध रूप से अफीम की खेती होती है । इसे रोकने की दिशा में कई कदम उठाए जा रहे हैं । अफीम की बजाय मेडिसिनल प्लांट्स आदि की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है ।इससे लोगों की आमदनी में काफी इजाफा होगा ।उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि जो भी लोग अफीम की खेती से जुड़े होंगे, उनके खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।  उन्होंने कहा कि अफीम अथवा अन्य मादक पदार्थों का सेवन करने वाले लोग ना सिर्फ अपना बल्कि अपनी आने वाली पीढ़ी को भी बर्बाद कर रहे हैं।  ऐसे में हम सभी को इससे दूर रहने की जरूरत है ।

189.70 करोड़ की लागत से बना है ग्रिड सब स्टेशन और ट्रांसमिशन लाइन

ईटखोरी, चतरा में नवनिर्मित  220 /132/ 33 केवी ग्रिड की कुल क्षमता 400 मेगावाट है, जबकि 220 केवी चतरा- लातेहार ट्रांसमिशन लाइन की कुल लंबाई 108 किलोमीटर है । इस परियोजना की कुल लागत 189. 70 करोड़ रुपए है । इस ग्रिड सब स्टेशन और ट्रांसमिशन लाइन के चालू होने से चतरा जिले के इटखोरी, मयूरहंड, सिमरिया, गिद्धौर, हंटरगंज, कान्हाचट्टी, कुन्दा,  प्रतापपुर, डाढा आदि प्रखंडों और हजारीबाग जिले के बरही अनुमंडल में बेहतर विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी ।

82 योजनाओं का उद्घाटन और 18 योजनाओं का शिलान्यास

मुख्यमंत्री ने यहां आयोजित कार्यक्रम में विभिन्न विभागों की 100 योजनाओं का उद्घाटन शिलान्यास किया । इन योजनाओं की कुल लागत राशि 467.28 करोड़ रुपए है । इनमें 275.45 करोड़ रुपए की 82 योजनाओं का उद्घाटन और 91.79 करोड़ रुपए की 18 योजनाओं की आधारशिला रखी गई । इस मौके पर उन्होंने विभिन्न योजनाओं के लाभुकों के बीच परिसंपत्तियों का वितरण किया। इसके अलावा अफीम की खेती को रोकने की दिशा में चतरा जिला प्रशासन द्वारा शुरू किए जा रहे अभियान के पोस्टर की लॉन्चिंग की।

इस मौके पर मंत्री श्री सत्यानंद भोक्ता,सांसद श्री सुनील कुमार सिंह, विधायक श्री उमा शंकर अकेला, सुश्री अम्बा प्रसाद और श्री किशुन कुमार दास, ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव श्री अविनाश कुमार, उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल के आयुक्त श्री कमल जॉन लकड़ा, झारखंड ऊर्जा संचरण निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक श्री के के वर्मा एवं जिले की उपायुक्त श्रीमती अंजली यादव तथा पुलिस अधीक्षक श्री राकेश रंजन  समेत कई पदाधिकारी उपस्थित थे ।

प्राकृतिक आपदा में जान गंवाने वालों के परिजनों को तार्किक व राहतकारी हो अनुग्रह राशि

अनूप भटनागर –

यह कितना विचित्र लगता है कि प्राकृतिक आपदा में जान गंवाने वालों के परिजनों को दो से पांच लाख रुपए तक की अनुग्रह राशि दी जाती है लेकिन सरकार वैश्विक महामारी कोविड से जान गंवाने वालों के परिजनों को सिर्फ पचास-पचास हजार रुपये ही अनुग्रह राशि देना चाहती है। कोरोना महामारी की चपेट में आये लोगों के इलाज, कई मामलों में सिर्फ ऑक्सीजन, पर परिवारों का 50,000 रुपए से ज्यादा खर्च हुआ और वे प्रियजनों का ठीक से अंतिम संस्कार भी नहीं कर सके। क्या 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि ऊंट के मुंह में जीरे की कहावत चरितार्थ नहीं करती है? यानी महामारी में जान गंवाने वालों की जिंदगी की कीमत सरकार ने सिर्फ 50,000 रुपये ही निर्धारित की है।
यही नहीं, यह अनुग्रह राशि उन्हीं परिवारों को मिलेगी, जिनके परिवार के मृत सदस्य के मृत्यु प्रमाणपत्र पर मृत्यु का कारण कोरोना या कोविड दर्ज होगा। मृत्यु प्रमाणपत्र पर मृत्यु का कारण दर्ज होना या कराना भी एक चुनौती भरा काम है क्योंकि अस्पताल से जारी होने वाले प्रमाणपत्र में मृत्यु का कारण अलग ही दर्ज होता है। तभी उच्चतम न्यायालय को हस्तक्षेप करके सरकार को यह निर्देश देना पड़ा था कि कोरोना महामारी से जान गंवाने वाले व्यक्तियों के मृत्यु प्रमाणपत्र पर स्पष्ट रूप से मृत्यु का कारण ‘कोरोनाÓ दर्ज होना चाहिए।
मृतकों के प्रमाणपत्र पर मृत्यु का कारण कोरोना दर्ज नहीं होने और पीडि़त परिजनों के लिए अनुग्रह राशि के मामले में सरकार के टाल-मटोल के रवैये की वजह से ही शीर्ष अदालत को इसमें हस्तक्षेप करना पड़ा था। वैसे भी गृह मंत्रालय ने न्यायालय में तर्क दिया था कि आपदा प्रबंधन कानून के अंतर्गत शामिल भूकंप और बाढ़ सहित 12 अधिसूचित प्राकृतिक आपदा इस महामारी से एकदम भिन्न हैं।
कानून में अधिसूचित प्राकृतिक आपदाओं के मामले में आमतौर पर राज्य आपदा मोचन कोष से चार-चार लाख रुपये की अनुग्रह राशि देते हैं। यह सही है कि कोरोना महामारी ने एक अलग किस्म की चुनौती पेश की लेकिन क्या इसे दिसंबर, 2004 में आई सुनामी से अलग रखा जा सकता है। शायद नहीं। न्यायालय ने कोरोना से पीडि़त परिवारों के प्रति सरकार के इस रवैये पर नाराजगी व्यक्त करते हुए उसे कोविड पीडि़तों के लिए योजना तैयार करने का निर्देश दिया था। उच्चतम न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद बनाए गए दिशा-निर्देशों के अंतर्गत राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने कोविड-19 से मरने वाले लोगों के परिजन को 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि देने की सिफारिश की है।
कोविड-19 राहत कार्य में शामिल रहने या महामारी से निपटने की तैयारियों से जुड़ी गतिविधियों में शामिल होने के कारण इस संक्रमण से जान गंवाने वालों के परिजन को भी अनुग्रह राशि दी जाएगी। सरकार कहती है कि जीवन को पहुंची क्षति की भरपाई तो नहीं की जा सकती लेकिन पीडि़त परिवारों के लिए देश यथासंभव कर रहा है। लेकिन इस महामारी से जान गंवाने वाले व्यक्तियों का अभी तक सही आंकड़ा भी उपलब्ध नहीं है। शीर्ष अदालत को भी विचार करना होगा कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान कोरोना पीडि़तों और उनके परिजनों में कैसी बदहवासी व्याप्त थी। जीवनरक्षक दवाओं और ऑक्सीजन की अनुपलब्धता ने कोरोना पीडि़तों की जिंदगी पर समय से पहले ही विराम लगा दिया और सत्ताधीश नेता आरोप-प्रत्यारोपों में व्यस्त रहे।
कोरोना के कारण माता-पिता को खोने वाले बच्चों के निमित्त कल्याणकारी योजनाओं के लाभ के लिए मृत्यु प्रमाणपत्र पर मृत्यु का कारण ‘कोविड-19Ó दर्ज होना जरूरी था। लेकिन नौकरशाही के उदासीन रवैये के कारण इस तरह का मृत्यु प्रमाणपत्र हासिल करना भी एक चुनौती थी। मृत्यु प्रमाणपत्र में इस खामी का भी संज्ञान देश की सर्वोच्च न्यायपालिका ने लिया है। ऐसी शिकायतें मिल रही थीं कि एक समान मृत्यु प्रमाणपत्र की नीति के अभाव में प्राधिकारी मृत्यु प्रमाणपत्र में मृत्यु का कारण कोविड-19 या कोरोना संक्रमण की बजाय दूसरी बीमारियों का उल्लेख कर रहे थे या फिर उस कालम को रिक्त छोड़ रहे थे।
इस खामी के मद्देनजर न्यायालय ने सरकार से कहा कि अस्पतालों में कोविड की वजह मरने वाले व्यक्तियों के मृत्यु प्रमाणपत्र में वे सभी तथ्य परिलक्षित होने चाहिए जो मरीज के साथ घटित हुई ताकि परिवार भविष्य में मिलने वाले लाभ प्राप्त कर सकें। न्यायालय को इस बात का अहसास है कि इसके बाद भी मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने में कई तरह के विवाद हो सकते हैं। इसकी संभावना देखते हुए अब न्यायालय ने संकेत दिया है कि ऐसा कोई विवाद होने पर जिला स्तर पर शिकायत निवारण समितियों को मृतक का अस्पताल का रिकॉर्ड मंगाने के लिए अधिकृत किया जा सकता है। न्यायालय को यह भी सुनिश्चित कराना होगा कि जिला स्तर की शिकायत निवारण समितियां एक निश्चित अवधि में इन शिकायतों का समाधान करें।
कोरोना महामारी की विभीषिका से उत्पन्न स्थिति में न्यायपालिका के हस्तक्षेप ने कई समस्याओं के तेजी से समाधान के लिए कदम उठाने पर सरकार को बाध्य किया। न्यायिक हस्तक्षेप का ही परिणाम है कि देश में अब ऑक्सीजन या जीवनरक्षक दवाओं की कमी की कोई खबर नहीं है और कोरोना से पीडि़त मरीजों का सही तरीके से उपचार हो रहा है।
मृत्यु प्रमाणपत्र में कोविड दर्ज होने तथा परिजनों को उचित अनुग्रह राशि पर अब उच्चतम न्यायालय चार अक्तूबर को आदेश पारित करेगा। साथ ही इस आदेश में केन्द्र और राज्यों के लिए कुछ दिशा-निर्देश भी होंगे।
उम्मीद की जानी चाहिए कि शीर्ष अदालत राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा कोविड के कारण जान गंवाने वालों के परिजनों के लिए पचास पचास हजार रुपये की अनुग्रह राशि देने की सिफारिश के बावजूद इस राशि को बढ़ाने पर विचार करने का निर्देश सरकार को देगी।

यह दौलत किस काम की जो मां-बाप को अपनी औलाद से दूर कर दे?

संस्कारों की दौलत ही सच्चा धन

योगेंद्र नाथ शर्मा ‘अरुण –

आजकल समाज में संस्कारों की कमी देखकर कभी-कभी मन उद्वेलित हो उठता है। समाचारपत्रों में ऐसे समाचार देखकर कि कोई वृद्धा मां या वृद्ध पिता विदेश में या किसी बड़े शहर में नौकरी करने गए अपने पुत्र को देखने को तरसते रहते हैं और एकाकी रहते हुए जब मर जाते हैं, तो भी पुत्र अंतिम संस्कार के लिए नहीं आ पाते तो मन व्यथित हो उठता है। तब मन में एक ही सवाल कौंधता है कि यह दौलत किस काम की जो मां-बाप को अपनी औलाद से दूर कर दे?
लोकजीवन में बार-बार सुनी हुई एक कहावत मन में अनायास ही गूंज उठती है—पूत सपूत तो क्यों धन संचै, पूत कपूत तो क्या धन संचै अर्थात् अगर किसी का पुत्र कपूत हो तो उसके लिए धन एकत्र करना बेकार ही है, क्योंकि वह तो मुफ्त मिले धन को उड़ा ही देगा। और अगर पुत्र सपूत है तो उसके लिए धन एकत्र करना व्यर्थ है क्योंकि वह तो स्वयं ही अपने संस्कारों के बल पर इतना धन कमा लेगा कि किसी और के धन की उसे जरूरत ही नहीं होगी।
आज सबसे बड़ा सवाल यही है कि माता-पिता अपने बच्चों को इंजीनियर और डॉक्टर बनाकर विदेशों में धन कमाने तो भेज देते हैं और फिर अकेले वृद्धावस्था में उन्हें देखने तक को तरस जाते हैं। समाज में वृद्धाश्रम आखिर क्यों हैं? क्या हमारी संयुक्त परिवार-प्रथा से मिले संस्कारों से हमारा जीवन सुख से भरापूरा नहीं रहता था? एकल परिवार हमारे अवसाद का बड़ा कारण बनते जा रहे हैं, यह आज का ऐसा भीषण सच है, जिसने समाजशास्त्रियों को बेचैन कर दिया है।
लगभग दस साल की उम्र का अख़बार बेचने वाला एक बालक एक मकान का गेट बजा रहा था, तभी मालकिन ने बाहर आकर पूछा, ‘क्या बात है? बालक बोला, ,आंटी जी, क्या मैं आपका गार्डेन साफ कर दूं?, तो मालकिन ने उसे मना कर दिया। बालक ने हाथ जोड़ते हुए दयनीय स्वर में उस महिला से कहा, ‘प्लीज आंटी जी, करा लीजिये न, मैं बहुत अच्छे से साफ करूंगा। द्रवित होकर मालकिन ने पूछा, ‘क्या लेगा? तो बालक बोला कि पैसा नहीं देना आंटी जी, मुझे तो आप खाना दे देना। मालकिन बोली, ‘लेकिन अच्छे से काम करना है। औरत ने सोचा कि शायद लड़का भूखा है तो मैं पहले इसे खाना दे देती हूं।
उसने लड़के से कहा कि बेटे पहले खाना खा ले, फिर काम कर लेना। लड़के ने उत्तर दिया, ‘नहीं, नहीं, आंटी जी, पहले आपका काम कर लूं, फिर आप मुझे खाना दे देना। एक घंटे बाद लड़के ने मालकिन को बुलाकर कहा, ‘आंटी जी, देख लीजिए, सफाई अच्छे से हुई है कि नहीं। मालकिन खुश होकर बोली, ‘अरे वाह! तूने तो बहुत ही बढिय़ा सफाई की है, सारे गमले भी करीने से जमा दिए हैं। यहां बैठ, मैं तेरे लिए खाना लाती हूं। जैसे ही मालकिन ने उसे खाना लाकर दिया, तुरंत बालक अपने जेब से एक पन्नी का लिफाफा निकाल कर उसमें खाना रखने लगा। यह देखकर मालकिन बोली कि तूने भूखे ही सारा काम किया है, अब खाना तो यहीं बैठ कर खा ले। यह सुनकर बालक ने कहा, ‘नहीं, नहीं आंटी जी, मेरी बीमार मां घर पर है। सरकारी अस्पताल से उसके लिए दवा तो मिल गयी है, पर डॉ. साहब ने कहा है कि यह दवा खाली पेट नहीं खानी है। मैं मां के लिए खाना घर ले जाऊंगा और मां को खिलाकर दवाई भी दे दूंगा।
लड़के की यह बात सुनकर मालकिन रो पड़ी और अपने हाथों से उस मासूम को, उसकी दूसरी मां बनकर खुद खाना खिलाया और फिर उसकी मां के लिए भी रोटियां बनाई और लड़के के साथ उसके घर जाकर उसकी मां को रोटियां खिलाकर आयी। भावुक होकर लड़के की मां से उसने कहा, ‘बहन, आप तो बहुत अमीर हो। जो दौलत आपने अपने बेटे को दी है, वो तो हम अपने बच्चों को दे ही नहीं पाते हैं! आज तुम्हारे बेटे ने मुझे अहसास कराया है कि मां-बाप का सम्मान कैसे किया जाता है? बहन, मेरे पास चांदी-सोना तो बहुत है, लेकिन तुम्हारे जैसा ऐसा बेटा नहीं है। क्या हमने खुद अपने जीवन को सिर्फ और सिर्फ धन-दौलत की चमक का गुलाम नहीं बना लिया है? किसी के घर कार आ जाए तो हम उसे बधाइयां देते हैं, लेकिन जब संस्कार मिट रहे हों, तो हमें बिल्कुल चिन्ता या दु:ख नहीं होता? महाकवि जयशंकर प्रसाद की ‘श्रद्धा ने ‘मनु को यही तो कहा था :-
अपने में भर सब कुछ कैसे,
व्यक्ति विकास करेगा?
यह एकांत स्वार्थ है भीषण,
अपना नाश करेगा।
क्या अपने लिए जीना ही जीना होता है? प्रश्न सभी को चौंकाता है, लेकिन हम दौलत की अंधी दौड़ में इस प्रश्न का उत्तर कभी खोजने की कोशिश ही नहीं करते। आज इतना तो संकल्प ले ही लें कि अपने बच्चों को हम संस्कारों की दौलत जरूर देंगे, ताकि कारों की दौड़ में वे अपने माता-पिता और बड़ों को भूल न जाएं।

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