आज का राशिफल

मेष : व्यावसायिक क्षेत्र में लाभ के आसार हैं। सब कुछ सामान्य होते हुए भी मन अरुचि का शिकार होगा। शासन-सत्ता व राजकीय क्षेत्र के लोगों की क्रियाशीलता बढ़ेगी। पुराने संबंध प्रगाढ़ होंगे।

बृषभ : दायित्वों की समयानुकूल पूर्ति हेतु प्रयत्नशील होंगे। पुरानी बातों को भूलने की चेष्ठा करें। आलस्य का त्याग करें। किसी नई योजना पर विचारमग्न होंगे। उच्च महत्वाकांक्षा ऊंची प्रगति के लिए प्रेरित करेगी।

मिथुन : महत्वपूर्ण जगहों पर अपनी वाणी पर संयम रखने की चेष्ठा करें। कोई अप्रत्यासित समाचार अचम्भित कर सकता है। कहीं-कहीं अत्याधिक बोलना आपके लिए हानिकारक हो सकता है।

कर्क : नौकरी का वातावरण सुखद होगा। असमाजिक तत्वों से दूरी बनायें। निकट संबंधों में कुछ अप्रिय बातें दूरी पैदा करेंगी। राजनीतिज्ञों के लिए लाभप्रद स्थितियों के आसार हैं।

सिंह : मूल्यवान समय को ब्यर्थ में जाया न करें। ईरीय आस्था में वृद्धि होगी। स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें। आर्थिक क्षेत्र में परिश्रम का लाभ प्राप्त होगा। भौतिक आकांक्षाएं मन को उद्वेलित करेंगी।

कन्या : महत्वाकांक्षाओं को फलित करने में असमर्थता संभव। जीवनसाथी से वैचारिक मतभेद संभव। माता के स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें। परिजनों की छोटी-छोटी बातों का बुरा न मानें।

तुला : स्वास्थ्य संबंधी कुछ कठिनाइयां मन को दुखित कर सकती हैं। कुछ पारिवारिक चिंताएं मन को दुखित करेंगी। पुरानी मर्मस्पर्शी बातें आपको भावनात्मक रुप से नीरस बना सकती हैं।

वृश्चिक : महत्वपूर्ण दायित्वों की पूर्ति हेतु मन पर दबाव बनेगा। अत्याधिक कार्यों के बोझ से मन बोझिल होगा। मन को सकारात्मक दिशा की ओर सक्रिय करते हुए अपनी क्षमता का लाभ उठाएं।

धनु : जीवनसाथी के भावनात्मक सहयोग उत्साह का संचार होगा। कोई महत्वपूर्ण कार्य सार्थक होने का योग है। मधुरवाणी से संबंधों को प्रगाढ़ बनाएंगे। आलस्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अवरोधक होगा।

मकर : जीविका क्षेत्र में लाभ के अच्छे अवसर प्राप्त होंगे। सामान्य दिनचर्या के साथ बीत रहे जीवन में उत्साह का अभाव होगा। किसी संबंधी अथवा खुद की अस्वस्थता से परेशान हो सकतें हैं।

कुंभ : नये कार्यों में ब्यस्तता बढ़ेगी। किसी इच्छित कार्य की पूर्ति से प्रसन्नता संभव। सगे-संबंधों में नैतिक कर्तव्यों से विमुख न हों। पूरा दिन अध्यात्मिक व पारम्परिक कायरें में ब्यतीत होगा।

मीन : अच्छे आचार-विचार से संबंधों में लोकप्रिय बनेंगे। नयी आकांक्षाएं मन को उद्वेलित करेंगी। अपने स्वास्थ्य का पूरा ख्याल रखें। भावुकता व्यावहारिक जगत के अनुकूल चलने में बाधक बनेगी।

मजदूर की दिहाड़ी से कम वेतन में शिक्षक

विश्वनाथ सचदेव – 
आपने भी देखी होगी शायद वह तस्वीर टी.वी. पर, जिसमें मोहाली के कुछ अध्यापक पानी की टंकी पर चढ़े हुए हैं। यह उनके विरोध-प्रदर्शन का तरीका है। विरोध इस बात का कि पिछले 18-18 साल से काम करने के बावजूद उन्हें स्थाई नौकरी क्यों नहीं मिल रही? मीरा रानी इनमें से एक हैं, पिछले ग्यारह साल से ‘कांट्रेक्ट टीचरÓ के रूप में बच्चों को पढ़ा रही हैं। देश का भविष्य बना रही हैं मीरा रानी, पर उनके वर्तमान की हालत यह है कि ग्यारह साल से उनका वेतन छह हज़ार प्रति माह ही है। यानी दिन के दो सौ रुपये!
कांट्रेक्ट टीचर अर्थात् नियोजित शिक्षक। यह पूछे जाने पर कि वे घर का नियोजन कैसे करती हैं, मीरा रानी की आंखों में आंसू बहने लगे थे। मनीष शर्मा ने भी अपनी हालत रोते हुए ही बयां की थी। मनीष शर्मा अंग्रेजी में एम.ए. हैं। कंप्यूटर का कोर्स भी कर चुके हैं। उन्हें भी प्रति माह छह हज़ार रुपये ही मिलते हैं। आय बढ़ाने के लिए वे मज़दूरी करते हैं। जब उनसे बात की गयी तो वे एक निर्माणाधीन मकान में इंटें ढोने का काम कर रहे थे। इस काम में उन्हें 450 रुपये रोज़ मिलते हैं! मोहाली में पानी की टंकी पर चढ़कर प्रदर्शन करने वाले इन ‘बेचारे अध्यापकोंÓ को समझाने के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री तो नहीं पहुंचे पर दिल्ली के मुख्यमंत्री पहुंचे हुए थे। वे अध्यापकों से खतरनाक टंकी से नीचे उतरने का आग्रह करते हुए यह आश्वासन दे रहे थे कि यदि पंजाब में उनकी सरकार बनी तो वे ‘दिल्ली की तरहÓ ही पंजाब में भी अध्यापकों की स्थिति बेहतर बना देंगे।
विडम्बना यह है कि टी.वी के जिस कार्यक्रम में मोहाली का यह दृश्य दिखाया जा रहा था, उसी में एक समाचार यह भी था कि पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष सिद्धू दिल्ली के मुख्यमंत्री के घर के सामने प्रदर्शन करने वाले अध्यापकों की भीड़ में शामिल थे। दिल्ली का मुख्यमंत्री मोहाली में जाकर स्थिति सुधारने का आश्वासन दे रहा है और पंजाब की सरकारी पार्टी का अध्यक्ष दिल्ली में स्थिति सुधारने की मांग कर रहा है।
बरसों पहले एक फिल्म आयी थी ‘शोलेÓ। शायद इसी फिल्म में पहली बार फिल्म के हीरो को पानी की ऊंची टंकी पर चढ़कर अपनी मांग मनवाते हुए देखा गया था। शायद उसी से प्रेरणा लेकर मोहाली के नियोजित अध्यापक पानी की टंकी पर चढ़ गये थे। पता नहीं उन्हें संबंधित अधिकारियों ने कोई ठोस आश्वासन दिया या नहीं, पर यह दृश्य देश की शिक्षा-व्यवस्था की दुर्दशा को अच्छी तरह दिखा रहा था।
सरकारें भले ही कुछ भी दावे करती रहें पर देश की शिक्षा-व्यवस्था की एक सच्चाई यह भी है कि आज देश में मीरा रानी और मनीष शर्मा जैसे बारह लाख अध्यापक हैं जो सालों से ‘कांट्रेक्ट टीचरÓ की तरह दो सौ रुपये की दिहाड़ी पर देश का भविष्य संवारने का काम कर रहे हैं। पंजाब की शिक्षा-व्यवस्था का सच देश के अनेक राज्यों की स्थिति का प्रतिनिधित्व करने वाला है। अरुणाचल, मेघालय, मिजोरम जैसे कुछ राज्यों में तो आधे से अधिक अध्यापक ठेके पर पढ़ा रहे हैं। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2019-2020 में देश में कुल मिलाकर लगभग दस लाख दिहाड़ी अध्यापक हैं। कहीं इन्हें कांट्रेक्ट टीचर कहा जाता है, कहीं ‘गेस्ट टीचरÓ और कहीं शिक्षा मित्र। पंजाब, बंगाल और उत्तर प्रदेश उन राज्यों में से हैं जहां कुछ अध्यापकों की एक-तिहाई संख्या इसी तरह के ‘अस्थाई अध्यापकोंÓ की है।
यह व्यवस्था किस तरह और क्यों काम कर रही है, यह सवाल विस्तृत सर्वेक्षण की अपेक्षा करता है। महत्वपूर्ण यह है कि हमारे हुक्मरानों की दृष्टि में शिक्षा जैसा महत्वपूर्ण मुद्दा वरीयता के क्रम में इतना नीचे क्यों है? क्यों उन्हें नहीं लगता कि शिक्षा की इस तरह उपेक्षा करके वे देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं? हमारी नयी शिक्षा-नीति में शिक्षकों को स्थाई बनाने का उल्लेख तो है, पर फिलहाल इस स्थिति से शिक्षकों और शिक्षा का जो नुकसान हो रहा है, उसकी भरपाई कैसे होगी, उसकी बात कोई नहीं कर रहा। क्यों ऐसी स्थिति आये कि किसी मीरा रानी को पानी की ऊंची टंकी पर चढ़कर यह कहना पड़े कि वह दो सौ रुपये से अपने परिवार को दिनभर का खाना नहीं खिला सकती। मोहाली के प्रदर्शनकारी अध्यापकों ने यह भी बताया कि 2016 के चुनाव से पहले अमरेंद्र सिंह ने ऐसे ही टीचरों के किसी प्रदर्शन-स्थल पर जाकर वादा किया था कि ‘सत्ता में आते ही मैं इन अध्यापकों की नौकरी को नियमित करूंगा।Ó वे सत्ता में आये भी, और सत्ता से चले भी गये, पर ‘बेचारे अध्यापकोंÓ का जीवन ‘अनियमितÓ ही बना रहा।
सच तो यह है कि हमारे राजनेताओं के लिए ऐसी स्थितियां वोट कमाने का साधन बन कर आती हैं। हर चुनाव से पहले राजनीतिक दल और राजनेता वादों की झड़ी लगा देते हैं और फिर चुनाव के बाद ऐसे अधिकांश वादे ठंडे बस्ते में डाल दिये जाते हैं— अगले चुनावों में भुनाने के लिए। पंजाब समेत देश के पांच राज्यों में फिर चुनाव होने वाले हैं। दावों और वादों की बरसात शुरू हो गयी है। शिलान्यासों और योजनाओं के उद्घाटन की झड़ी लगी हुई है। राज्यों के नेताओं से लेकर प्रधानमंत्री तक, आये दिन अरबों-खरबों की योजनाओं की घोषणा कर रहे हैं। सवाल उठता है कि यह सब कुछ चुनावों से पहले ही क्यों शुरू होता है, और चुनावों के बाद अक्सर भुला क्यों दिया जाता है? सवाल यह भी उठता है कि क्या यह मात्र संयोग ही है कि शिक्षा जैसा महत्वपूर्ण मुद्दा चुनावी मुद्दा क्यों नहीं बनता? क्यों किसी नेता को यह अहसास नहीं होता कि कोई मीरा रानी छह हज़ार रुपये महीना में कैसे जीवन-यापन कर सकती है? क्यों एम.ए. पास मनीष शर्मा को बाध्य होना पड़ता है मुंह छिपा कर ईंटें ढोने के लिए? जी हां, दो सौ रुपये रोज़ की दर से बच्चों को पढ़ाने वाले मनीष शर्मा को शर्म आती है, कहीं कोई छात्र उसे ईंटें ढोते हुए देख न ले।
सच यह भी है कि ‘शर्म उनको नहीं आतीÓ जिन्हें आनी चाहिए। शिक्षा के क्षेत्र में यह स्थिति उन सबके लिए शर्म की बात है, जिनके हाथों में देश का वर्तमान संवारने और भविष्य बनाने का काम सौंपा गया है। शानदार सड़कें, भव्य इमारतें, विशालकाय मूर्तियां, इन सबकी भी जगह होती है जीवन में, पर उस शिक्षा की अवहेलना किसी अपराध से कम नहीं है जो देश का भविष्य बनाती है। एक आदत-सी बन गयी है हमारे नेताओं को यह कहने की कि पिछली सरकारों ने वह काम नहीं किया जो उन्हें करना चाहिए था। सही हो सकती है यह बात, पर सही यह भी है कि आज की सरकारें भी शिक्षा, स्वास्थ्य, बेरोजग़ारी जैसे मुद्दों को वह वरीयता नहीं दे रहीं जो देनी चाहिए। बुनियादी मुद्दे हैं यह, उनकी उपेक्षा किसी अपराध से कम नहीं है। इस अपराध की सज़ा भी तो किसी को मिलनी चाहिए।
किसी मोहाली में पानी की टंकी पर चढ़कर प्रदर्शन करने वाला दिहाड़ी अध्यापक उन सब प्रदर्शनकारियों से अधिक महत्वपूर्ण है नमाज़ और आरती के नाम पर नारे लगा रहे हैं। शिक्षा के मंदिरों को प्राथमिकता कब मिलेगी? कब हमारे हुक्मरानों का ध्यान इस ओर जायेगा कि अकेले मध्य प्रदेश में 21 हज़ार स्कूलों में एक शिक्षक चार-चार कक्षाओं को पढ़ा रहा है। और इस बात की पूरी संभावना है कि वह ‘दिहाड़ी शिक्षकÓ हो और उसे हमने शिक्षा-मित्र का नाम दे रखा हो!
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

आज का राशिफल

मेष  : नई-नई युक्तियों के साथ लाभ के नए साधन सुलभ होंगे। समय का लाभ उठाते हुए कार्य क्षेत्र में अनवरत् परिश्रम की आवश्यकता है। पारिवारिक समस्याएं आपको थोड़ा चिन्तित कर सकती हैं।

बृषभ : निराशा त्याग मन को आशावादी विचारों से सिंचित करें। कुछ कठिनाईयों से मन में नकारात्मक विचार स्थान पायेंगे। कुछ भावनात्मक संबंधों को लेकर मन परेशान हो सकता है।

मिथुन : निर्थक दूसरों की आलोचना करना अच्छी बात नहीं। अत्यधिक कायरे में व्यस्तता से मन परेशान होगा। पुरानी समस्याओं को हल कर सुख की अनुभूति करेंगे। संबंधों में मधुर वाणी का प्रयोग करें।

ककर् : सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति से निकट संबंधों आपकी अच्छी छबि बनेगी। किसी महत्वपूर्ण कार्य की तैयारी में समुचित व्यवस्था के लिए मन चिन्तित होगा। नैतिक जिम्मेदारियों में सजगता काबिले तारीफ होगी।

सिंह : परिश्रम के लिए मन चिन्तित होगा। किसी महत्वपूर्ण कार्य में थोड़ी कठिनाई का आभास होगा। महत्वपूर्ण कायरे के प्रति आलस्य न करें। शिक्षा-प्रतियोगिता में समुचित प्रयत्न की आवश्यकता है।

कन्या : जीवन साथी के स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें। आवेश में कोई कार्य से हानि संभव। बहुत सारे अवरोधित कायरे के हल होने के आसार बन रहे हैं। किसी नए कार्य की सार्थकता के लिए मन प्रयत्नशील होगा।

तुला : महत्हपूर्ण क्षेत्रों में उच्चस्तरीय व्यक्तियों का सहयोग प्राप्त होगा। किसी महत्वपूर्ण क्षेत्र में संबंधों का सहयोग प्राप्त होगा। कार्य क्षेत्र में अपने बौद्धिक क्षमता का लाभ उठाएंगे।

वृश्चिक : किसी नए कार्य में मन केन्द्रित होगा। शिक्षा-प्रतियोगिता में समुचित परिश्रम के लिए उत्साहित होंगे। हर बात को लेकर मन को दुखी न होने दें। भावनाओं से उद्वेलित मन से गलतियां स्वाभाविक हैं।

धनु : कुछ नई जिम्मेदारियां मन पर दबाव बनाएंगी। दूसरों की प्रगति से मन में ईष्र्या एवं हीनता न पैदा होने दें। निकटस्थ संबंधों में किसी की कटु वाणी मन को दुखित कर सकती है।

मकर : किसी महत्पूर्ण कार्य में धनाभाव अवरोधक होगा। जीवन की कठिनाईयों के कारण मन में हीन भावना न लाएं। अपनी क्षमताओं पर भरोसा करें। लेकिन प्रियजनों के सहयोग से समस्याएं हल होंगी।

कुंभ : कार्यकुशलता व सुन्दर बौद्धिक क्षमता से जीविका क्षेत्र में सफलता अर्जित करेंगे। शासन-सत्ता से जुड़े व्यक्तियों के लिए लाभ केअवसर प्राप्त होंगे। आर्थिक समृद्धि और प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।

मीन : पूर्वाग्रह वश मन में संबंधों के प्रति राजनीतिज्ञों की व्यस्तता व क्रियाशीलता बढ़ेगी। किसी नए रिश्तें में प्रगाढ़ता बढ़ेगी। अच्छी आशाएं आप में क्रियाशीलता बढ़ाएंगी।
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आम नागरिकों को कब सुलभ होंगे मानवाधिकार

10 दिसंबर  विश्व मानवाधिकार दिवस

विकास कुमार –
प्रत्येक वर्ष 10 दिसंबर को विश्व मानवाधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह पहल संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 10 दिसंबर ,1948 से की गयी थी। 1939 से 1945 द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात वैश्विक राजनीति के चिंतकों एवं विचार को ने मानवीय गरिमा एवं मनुष्य के मूलभूत अधिकारों से ओतप्रोत होकर इस नवाचार की पहल को संयुक्त राष्ट्र संघ के सिद्धांतों एवं उद्देश्य में लागू किया। तत्पश्चात सदस्य देशों को भी निर्देशित किया गया की वह अपने देश में मानवाधिकार से संबंधित आयोग कि स्थापना करें जो देश में रहने वाले नागरिकों के मूलभूत अधिकारों की रक्षा कर सकें जिनको सरकारें और शासन नकार देती हैं एवं अनदेखा कर देती हैं। भारत में भी इस अनुक्रम को अपनाते हुए 1993 में मानवाधिकार आयोग की स्थापना की गई जिसका कार्य नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करता है। यह एक यात्रा का परिणाम है सर्वप्रथम 1215 में ब्रिटेन में मैग्नाकार्टा के रूप में नागरिकों के कुछ अधिकारों को सुनिश्चित किया गया था। यही पहल अमेरिका के स्वतंत्रता की घोषणा पत्र 1776 में मानव गरिमा को प्रमुख मानते हुए अधिकारों को सक्रियता प्रदान की गई थी। यही कारण रहा कि अमेरिका जैसे विकसित देश ने संविधान अपनाते समय मौलिक अधिकारों का समायोजन एवं संकलन अपने संविधान में किया। 1789 की फ्रांसीसी क्रांति स्वतंत्रता, समानता एवं बंधुत्व के नारे पर हुई थी जिन में मानवाधिकारों के मूलभूत प्रावधान देखने को मिलते हैं। 1946 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा मानवाधिकार आयोग का गठन किया गया एवं 1948 में सार्वभौमिक रूप से मानव अधिकार दिवस की घोषणा की गई। इन्हीं आयामों से संबंधित 1949 में जिलों में संधि हुई तथा 1950 में मानव अधिकार तथा मौलिक स्वतंत्रता ओं के संरक्षण हेतु यूरोपीय संधि हुई। इसी प्रक्रिया में 1961 में यूरोपीय सामाजिक घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर की हुई तथा 1966 में आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों की अंतरराष्ट्रीय संधि ,नागरिक एवं राजनैतिक अधिकारों की अंतरराष्ट्रीय संधि, नागरिक एवं राजनीतिक अधिकारों से जुड़ी ऐच्छिक संधि का प्रावधान किया गया। इस प्रकार से आधुनिक समय में मानव अधिकारों का विकास हुआ। भारत में 1993 के अधिनियम के द्वारा राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग एवं राज्य के मानव अधिकार आयोग से संबंधित प्रावधान किए गए। मानव अधिकार आयोग के धारा 2(1) स्र में प्रावधान मिलता है कि जो मानव गरिमा एवं मानव सम्मान को प्रबलता प्रदान करते हैं ऐसे अधिकारों को मानव अधिकार की श्रेणी में रखा जाएगा। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भी कई मामलों में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 एवं भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 को मानवाधिकार से संबंधित बताया है। संविधान का अनुच्छेद 21 जीवन के अधिकार से संबंधित है जिसमें जीवन से संबंधित इन मूलभूत अन्य अधिकारों की भी वृहद एवं विस्तृत चर्चा की गई है। कई अन्य मामलों की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कई प्रकार की श्रेणियों के अधिकारों को अनुच्छेद 21 में सम्मिलित करने का निर्देश देते रहे हैं। आज विश्व सार्वभौमिक रूप से मानव अधिकारों की अवधारणा को अपना चुका है। यह कहना बिल्कुल सत्य है कि इस अवधारणा को अपनाने के पश्चात मनुष्य में मानव अधिकारों के प्रति जागरूकता एवं उनके अधिकार कुछ हद तक सुरक्षित एवं संरक्षित हुए हैं परंतु जिस संरचना के संरक्षण के तहत इनकी परिकल्पना की गई थी क्या वह आज साकार होते दिख रहे हैं? यह समाज और शासन दोनों के समक्ष एक बड़ा प्रश्न है? जिसको ना अकादमिक जगत के लोग, नाही न्यायिक प्रक्रिया से जुड़े लोग और स्वयं मानव अधिकारों के सक्रिय लोग भी इसको नकार नहीं सकते। सामान्य तौर पर शिक्षित नागरिकों के भी अधिकार सुरक्षित होते नहीं दिखाई दे रहे हैं कई प्रकार के मानवाधिकारों से मेल न खाने वाली गतिविधियों का प्रयोजन बता कर उनके अधिकारों को ठेस पहुंचाई जाती है। यहां पर एक पक्ष लेना उचित नहीं होगा। यह भी स्पष्ट करना आवश्यक है कि कई संगठन और राजनेताओं का जत्था मानवाधिकारों की दुहाई देकर प्रशासन की गरिमा को भी ठेस पहुंचाते हैं। परंतु यह अल्प संख्या में होता है। गरीब लोगों को नाही कानून की जानकारी होती है और ना ही मानवाधिकारों की। छोटे से छोटे काम के लिए उनसे व्यापक रूप से रिश्वत ली जाती है। फुटपाथ पर सोने वाले बिहारी मजदूरों से वसूली की जाती है। रिक्शा चलाने वाले दैनिक रूप से दो से ?300 कमाने वाले असंगठित मजदूर से छोटे से कानून के उल्लंघन पर पैसा लिया जाता है। किसानों के क्रेडिट कार्ड बनवाने एवं सरकारी योजनाओं से लाभान्वित प्रक्रिया में पहले से ही परसेंटेज तय कर दिया जाता है। आवास एवं सरकारों द्वारा संचालित आवंटित राशन में कई तकनीकी समस्याओं का हवाला देकर परेशान किया जाता है। सरकारी अस्पतालों में अच्छी दवा लेने के लिए डॉक्टर को अलग से पैसा देना होता है। एक ग्लोबल सूचकांक के अनुसार एवं यूएनडीपी के रिपोर्ट के अनुसार 27 फ़ीसद से अधिक भारत की जनसंख्या मूलभूत प्राथमिक शिक्षा और स्वास्थ्य से वंचित है। आज भ्रष्टाचार का स्तर बढ़ता जा रहा है, लोकतांत्रिक शासन प्रक्रिया में आम नागरिकों को महत्वहीन समझा जा रहा है। केवल मतदान के समय ही उसका महत्व समझा जाता है। कई प्रकार के प्रोटोकॉल और कानूनों को केवल आम नागरिकों पर ही लागू किया जाता है। आज तक किसी सामंत, बड़े घराने, राजनेताओं एवं पूंजी पतियों को किसी भी प्रकार की गतिविधियों में लाइन में खड़े होते हुए नहीं देखा गया है। जब तक मानव अधिकारों का प्रावधान आम जनमानस को नहीं मिलेगा तब तक तब तक मानव अधिकारों का श्रेष्ठ उद्देश्य साकार नहीं होगा। क्योंकि यह अधिकार संपूर्ण मानव के विकास के लिए एवं मानवता के रक्षा के लिए निर्धारित किए गए हैं। यदि किसी वर्ग विशेष को इससे वंचित रखा जाएगा तो इनका सिद्धांत और सपना अधूरा रह जाएगा। संस्थाओं और सरकारों को चाहिए कि मानव अधिकारों से संबंधित गतिविधियों को कानून पर आधारित प्रक्रिया के माध्यम से संचालित करें। जिससे विधि का शासन सुनिश्चित होगा और लोकतंत्र अधिक मजबूत बन सकेगा। 1992 के पश्चात नागरिक समाज कि अधिक सक्रियता और गतिविधियों को सुनिश्चित करने के लिए सुशासन की अवधारणा लोकतंत्र में सुनिश्चित हुई जिसमें मानवाधिकार से संबंधित संरक्षण का प्रावधान एक अहम मूल्य है। क्योंकि मानवाधिकारों का मूल्यांकन शासन की जवाबदेही, उत्तरदाई, विधि के शासन, संविधानवाद, एवं मानव गरिमा को सुदृढ़ता प्रदान करने के लिए किया जाता है। आज आवश्यकता इस बात की है कि मानव अधिकारों का लाभ संपूर्ण मानव समुदाय को मिले। इसके प्रति सभी जागरूक हों। तभी वास्तविकता मानवाधिकारों के उद्देश्यों का सपना साकार हो सकेगा।
( लेखक- केंद्रीय विश्वविद्यालय अमरकंटक में रिसर्च स्कॉलर हैं एवं राजनीति विज्ञान में गोल्ड मेडलिस्ट है।)

आज का राशिफल

मेष : असंयमित शब्दों का प्रयोग सगे-संबंधों में कटुता ला सकता है। प्रियजनों के सहयोग से समस्याएं हल होंगी। क्षमता से अधिक व्यय भविष्य के लिए चिंता उत्पन्न करेगा। पारम्परिक कार्यों में ब्यस्तता बढ़ेगी।

बृषभ : वाक्यपटुता व मधुर वाणी से सगे-संबंधियों के बीच प्रभावशाली होंगे। अत: अपने दिनचर्या को सुधार, समय का पूर्ण उपयोग करें। परिवार में सुखद माहौल बनेगा। जीवन साथी का सहयोग मिलेगा।

मिथुन : भौतिक जगत की चकाचौंध से प्रभावित होंगे। आवेश में लिये गये निर्णय से हानि संभव। परिजनों से किसी प्रकार की शिकायत पर खुलकर बात करें। खराब संगत से दूरी बनाकर रखें।

कर्क : भावनाओं से उद्वेलित मन से गलतियां स्वभाविक हैं। आकस्मिक नई आशंकाओं से प्रभावित मन कोई गलत निर्णय ले सकता है। अत्याधिक कार्यों का बोझ अकेली जान पर पड़ सकता है।

सिंह : संतान संबंधी दायित्वों की पूर्ति हेतु मन चिंतित होगा। भौतिक आकांक्षाएं बलवती होंगी। राजनीतिज्ञों की अपने क्षेत्र में ब्यस्तता व क्रियाशीलता बढ़ेगी। शासन-सत्ता से जुड़े लोगों के लिए समय काफी अच्छा होगा।

कन्या : निराशा त्याग मन को आशावादी विचारों से सिंचित करें। क्रोध व शंकाए छोड़ सगे-संबंधों में प्यार बिखेरें। अत्याधिक कार्यों की ब्यस्तता से मन परेशान होगा। कार्यक्षेत्र में बौद्धिक क्षमता का लाभ उठाएंगे।

तुला : किसी महत्वपूर्ण कार्य में धनाभाव अवरोधक होगा। किसी महत्वपूर्ण कार्य में संबंधों का सहयोग मिलेगा। स्वयं को लाचार बनाए रखना ठीक नहीं है। स्वयं को सकारात्मक दिशा की ओर केंद्रित करें।

वृश्चिक : गैर सांस्कारिक कार्यों की ओर आकषिर्त मन पर अंकुश लगायें। शासन-सत्ता के सहयोग से कार्यक्षेत्र के अवरेाध समाप्त होंगे। अच्छी व्यवहार कुशलता से सामाजिक मान-मर्यादा में वृिद्ध होगी।

धनु : पूर्वाग्रहवश मन में सगे-संबंधों के प्रति नकारात्मकता को न पालें। महत्वपूर्ण जिम्मेदारी में ब्यस्तता से मन बोझिल होगा। परिश्रम द्वारा नये अवसरों का लाभ उठाएंगे। कोई नई योजना उत्साहित करेगी।

मकर : किसी की कटु वाणी मन को दुखित कर सकती है। कार्यक्षेत्र में लोकप्रियता व वर्चस्व बढ़ेगा। पुरानी समस्याओं को हल कर सुख की अनुभूति करेंगे। जीवन साथी का भावनात्मक स्नेह प्राप्त होगा।

कुंभ : कुछ नई प्रबल इच्छाएं आपको उद्वेलित करेंगी। महत्वपूर्ण कार्य में सफलता के आसार बढ़ेंगे। कार्यक्षेत्र में ब्यस्तता बढ़ेगी। व्यावसायिक क्षेत्र के लोगों को लाभ के अच्छे अवसर प्राप्त होंगे।

मीन : नैतिक जिम्मेदारियों में सजगता काबिले तारीफ होगी। किसी नये कार्य में मन केंद्रित होगा। साधनाभाव से मन चिंतित होगा। अच्छी आशाएं आप में क्रियाशीलता बढ़ाएंगी। जीवन साथी का सहयोग मिलेगा।

राज्य के विकास में सहकारिता का महत्वपूर्ण स्थान  :  श्री बादल

कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग (सहकारिता प्रभाग) द्वारा

सहकार से समृद्धि – सह लोकार्पण एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ आयोजन

राज्य की 3 सर्वश्रेष्ठ सहकारी समिति को किया गया सम्मानित।

500 लैंप्स/पैक्स को 2-2 लाख के कार्यशील पूंजी उपलब्ध कराई जाएगी।

रांची, हमने कृषि के क्षेत्र में विकास का बीड़ा उठाया है। हम इंटीग्रेटेड फार्मिंग की सोच को धरातल पर उतारने की दिशा में काम कर रहे हैं। राज्य में सहकारिता को लेकर कई तरह की चुनौतियां हैं और उन चुनौतियों का सामना कर हमने विभिन्न क्षेत्रों में बेहतर काम किया है। उक्त बातें राज्य के कृषि,पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री माननीय श्री बादल ने हेसाग स्थित पशुपालन भवन में सहकारिता सभागार में आयोजित सहकार से समृद्धि – सह –  लोकार्पण- सह-  प्रशिक्षण कार्यक्रम मैं बतौर मुख्य अतिथि कहीं।

एनसीडीसी द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम श्री बादल ने कहा कि सोच को बदलने की जरूरत है। 1904 से मद्रास से चला सहकारिता आंदोलन विभिन्न क्षेत्रों में सफलता के कई नए आयाम गढ़ चुका है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ हमारे साथ ही अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आया था लेकिन आज वह कृषि के क्षेत्र में तेजी से काम कर रहा है और वहाँ सहकारी समितियां काफी सक्रिय है। श्री बादल ने 500 लैंप्स /पैक्स के बीच दस करोड़ रुपए की कार्यशील पूँजी के वितरण की शुरुआत करते हुए कहा कि कार्यशील पूंजी का सदुपयोग सुनिश्चित होना चाहिए साथ ही जिला स्तर पर इसकी मॉनिटरिंग सुनिश्चित की जाए।

कृषि मंत्री ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान हमारे सहकारी बंधुओं ने जान की परवाह किये बिना धान उत्पादन के क्षेत्र में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर लक्ष्य से ज्यादा धान की अधिप्राप्ति की है। 60 लाख मैट्रिक टन के विरुद्ध 62.85 लाख मैट्रिक टन धान की अधिप्राप्ति हुई है। साथ ही हमने अगले वित्तीय वर्ष के लिए 80 लाख मैट्रिक टन का लक्ष्य रखा है।

उन्होंने बताया कि कृषि विभाग राज्य में धान स्टॉक के लिए 200 यार्ड्स बनाने की योजना पर काम चल रहा है साथ ही राज्य में कम से कम 100 राइस मिल के लिए संबंधित विभाग को जमीन के लिए भी लिखा जा चुका है। राइस मिल प्रोजेक्ट को हम पायलट प्रोजेक्ट के रूप में ले रहे हैं और 5000 मेट्रिक टन क्षमता का कोल्ड स्टोरेज और 30 मेट्रिक टन क्षमता के कई कोल्ड रूम तैयार किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि विभाग कृषि के क्षेत्र में के आधारभूत संरचनाओं का विकास करने जा रहा है।

विभागीय सचिव श्री अबूबक्कर सिद्दीक पी. ने कहा कि एनसीडीसी ने पहली बार सहकारी समिति को सम्मानित करने का काम किया है उन्होंने कहा कि सहकारिता के क्षेत्र में असीम संभावनाएं हैं इस पर और ज्यादा काम करने की जरूरत है। सरकार की विभिन्न योजनाओं को सहकारिता के माध्यम से कार्यान्वित करने से बेहतर नतीजे दिखाई देते हैं।

कार्यक्रम में निबंधक, सहयोग समितियाँ कार्यालय की ओर से  प्रकाशित होने वाले मासिक पत्रिका”सहकार संवाद” के प्रवेशांक का तथा झारखण्ड सहकारी मैनुअल का लोकार्पण क कृषि मंत्री के द्वारा किया गया।

कार्यशाला में मुख्य रूप से एनसीडीसी के क्षेत्रीय निदेशक श्री सिद्धार्थ कुमार, रजिस्ट्रार  सहकारिता श्री मृत्युंजय कुमार बरनवाल, निदेशक पशुपालन श्री शशि प्रकाश झा सहित कई पदाधिकारी व सहकारी समिति के सदस्य उपस्थित थे।

रोजगार व संप्रभुता हेतु संरक्षणवाद जरूरी

भरत झुनझुनवाला –
बीते वर्ष में अपने निर्यातों में 10 अरब डालर की वृद्धि हुई है तो आयातों में 21 अरब डालर की। सच यह है कि निर्यात बढ़ाने के प्रयास में हमारे आयात बढ़ रहे हैं और हम दबते जा रहे हैं। सरकार ने पिछले वर्ष इस समस्या का संज्ञान लेते हुए चीन के की एप जैसे जूम और कैम स्कैनर पर और रक्षा से सम्बन्धित लगभग 100 वस्तुओं पर प्रतिबन्ध लगाया था। कोट, पैंट, ज्यूलरी, प्लास्टिक, केमिकल, चमड़ा इत्यादि पर आयात कर बढ़ाए थे। लेकिन ये कदम पर्याप्त सिद्ध नहीं हुए हैं। हमारे आयात दिनोंदिन बढ़ते ही जा रहे हैं। कारण यह है कि हमने खुले व्यापार को अपना रखा है।
अर्थव्यवस्था को चलाने के दो माडल हैं। एक यह कि हम खुले व्यापार को अपनाएं और अपने माल का निर्यात करने का प्रयास करें। विदेशी माल आयात करने की छूट दें ताकि हमारे निर्यात क्षेत्र में रोजगार उत्पन्न हो सके और हमारे उपभोक्ता को सस्ता विदेशी माल उपलब्ध हो। इस माडल की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि हम कितना निर्यात कर पाते हैं। सस्ते आयातों का पेमेंट करने के लिए निर्यात से डॉलर अर्जित करना जरूरी होता है। पिछले वर्ष का अनुभव प्रमाणित करता है कि खुले व्यापार के माडल से हमें सफलता नहीं मिल रही है। निर्यातों में वृद्धि कम और आयातों में वृद्धि अधिक हो रही है। इसलिए हमें दूसरे संरक्षणवाद के माडल को अपनाना चाहिए।
इस माडल में हम केवल अति जरूरी माल के आयात को छूट देते हैं। शेष माल पर भारी आयात कर लगा देते हैं, जिससे कि अधिकाधिक माल का उत्पादन अपने देश में हो। संरक्षणवाद का लाभ यह है कि हम अधिकतर माल में आत्मनिर्भर हो जाते हैं। हमारी आर्थिक संप्रभुता की रक्षा होती है। नुकसान यह है कि हमें विदेशों में बना सस्ता माल नहीं मिलता। दूसरा नुकसान है कि हमारे उद्यमी अकुशल उत्पादन में लिप्त हो जाते हैं। विदेशी माल पर आयात कर अधिक होने से आयातित माल महंगा पड़ता है और हमारे उद्यमी मुनाफाखोरी करते हैं या अकुशल उत्पादन करते हैं क्योंकि उन्हें सस्ते विदेशी माल से प्रतिस्पर्धा करने की जरूरत नहीं रह जाती। इस तथ्य के बावजूद हमें संरक्षणवाद को अपनाना चाहिए।
मान लें कि संरक्षणवाद को अपनाने से अपने देश में अकुशल उत्पादन होता है तो भी इस अकुशल उत्पादन में हमारे श्रमिकों को रोजगार मिलता ही है। उनकी क्रय शक्ति में वृद्धि होती है। अत: प्रश्न यह है कि हम अपने श्रमिकों को रोजगार के साथ महंगा घरेलू माल परोसेंगे या बेरोजगारी के साथ सस्ता विदेशी माल? यदि हम खुले व्यापार को अपनाते हैं और सस्ता विदेशी माल अपने देश में आता है तो हमारे उद्योग बंद हो जाते हैं। हमारे श्रमिक बेरोजगार हो जाते हैं। विदेश का बना सस्ता माल हमारी दुकानों में उपलब्ध तो होता है लेकिन श्रमिक की जेब में नकद नहीं होता कि वह उस माल को खरीद सके। सस्ता माल उपलब्ध कराकर उन्हें बेरोजगारी के साथ भुखमरी की कगार पर लाने की तुलना में रोजगार के साथ महंगा माल उपलब्ध कराना उत्तम है। तब माल कम भी मिलेगा तो भी वे कुछ खपत तो कर ही सकेंगे। भूखे नहीं मरेंगे।
खुले व्यापार का सिद्धांत है कि हर देश उस माल का उत्पादन करेगा, जिसे वह कुशलतापूर्वक बना सकता है। जैसे भारत गलीचे का कुशल उत्पादन करे और चीन बिजली के बल्ब का कुशल उत्पादन करे। भारत सस्ते गलीचों का निर्यात करे और चीन सस्ते बल्ब का निर्यात करे। तब भारत में गलीचे के उत्पादन में रोजगार बनेंगे और उस आय से भारतीय नागरिक चीन के सस्ते बल्ब को खरीद सकेंगे। इसी प्रकार चीन के नागरिक को बल्ब के उत्पादन में रोजगार मिलेंगे और उस आय से वे भारत में बने सस्ते गलीचे को खरीद सकेंगे।
यह सिद्धांत सही है लेकिन यह गैर आवश्यक माल मात्र पर लागू होता है। जैसे मान लीजिये हम स्टील का आयात चीन से करने लगें तब हम अपने देश में बंदूक, पनडुब्बियां, हवाई जहाज इत्यादि का उत्पादन भी नहीं कर सकेंगे क्योंकि इनके उत्पादन के लिए हमें स्टील चाहिए, जिसे प्राप्त करने के लिए हम चीन पर आश्रित हो जायेंगे। इसलिए अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए जरूरी है कि हम आवश्यक वस्तुओं का उत्पादन अपने देश में ही करें, यह चाहे महंगा ही क्यों न पड़े। जैसे यदि देश में उत्पादित स्टील का दाम 50 रुपये प्रति किलो है और विदेश में उत्पादित स्टील का दाम 40 रुपयेे प्रति किलो है तो हम विदेशी स्टील पर 10 रुपये का संप्रभुता अधिभार लगा सकते हैं। चूंकि हमारे लिए अपने ही देश में स्टील का उत्पादन करना आवश्यक है। तब अपने देश में बने स्टील और आयातित स्टील दोनों का दाम 50 रुपये प्रति किलो हो जाएगा और अपने देश में स्टील का उत्पादन हो सकेगा। फिर हम चीन पर आश्रित नहीं होंगे।
संरक्षणवाद के विरोध में तर्क 1950 से 1990 की हमारी दुर्गति का दिया जाता है। यह सही है कि उस समय हमने संरक्षणवाद को अपनाया और और अपना देश वांछित प्रगति नहीं कर सका लेकिन इसका कारण केवल संरक्षणवाद को ही नहीं ठहराया जा सकता है। सही बात यह है कि यदि हम संरक्षणवाद के साथ अपने घरेलू उद्यमियों के बीच प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहन दें तो आपसी प्रतिस्पर्धा में ये स्वयं कुशल उत्पादन करने लगेंगे। फिर उद्यमी कुशल भी हो जायेंगे और हम निर्यातों का सामना भी कर सकेंगे।
आश्चर्य की बात है कि इस तथ्य को हमारे सरकारी अधिकारी क्यों नहीं समझते? अधिकांश अधिकारियों और नेताओं के संतानें बहुराष्ट्रीय कम्पनियों में कार्य करती हैं। सेवानिवृत्ति के बाद ये स्वयं विश्व बैंक की सलाहकारी करने को उत्सुक रहते हैं। इसलिए इनकी मानसिकता ही बन जाती है कि बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के हितों को साधें और वे अनजाने में ही देश हित की ऐसी गलत परिभाषा कर बैठते हैं जिसके अंतर्गत हम आयातों पर निर्भर होते जा रहे हैं और हमारे नागरिक बेरोजगार होते जा रहे हैं।

आज का राशिफल

मेष : व्यवसायिक क्षेत्र में उच्च अधिकारियों के साथ आवश्यक विषयो पर चर्चा होगी। आपके किसी परियोजना को सरकारी लाभ प्राप्त होने की संभावना है। कार्यालय से जुड़े कार्य के लिए प्रवास के भी योग हैं। परिवार में आनंद का वातावरण छाया रहेगा।

वृषभ : आज का दिन मिश्र फलदायी रहेगा। व्यापारी अपने व्यापार में धन लगाकर नए कार्य का प्रारंभ कर सकेंगे और भविष्य के लिए योजना भी बना पाएंगे। विदेशगमन की संभावना भी है। किसी धार्मिक स्थल की भेंट से सात्विकता में वृद्धि होगी। फिर भी स्वास्थ्य संभालिएगा। कार्यभार आज कुछ अधिक रहेगा।

मिथुन : रोगी का इलाज या शल्यचिकित्सा संभवत: आज टालिए। क्रोध से स्वयं कोई हानि होने की संभावना अधिक है। दिमाग को शांत रखिएगा। मानहानि न हो जाय इसका ध्यान रखिएगा। शारीरिक और मानसिकरूप से आज आप अस्वस्थ रहेंगे, इसलिए वाणी पर संयम रखने से वाद-विवाद को टालने में सफलता प्राप्त होगी।

ककर् : आज का दिन मित्रों और स्वजनों के साथ आनंदपूर्वक बिता सकेंगे। मनोरंजक प्रवृत्तियों का भी आनंद प्राप्त होगा। व्यापार के क्षेत्र में भी लाभ होने की संभावना अधिक है। भागीदारों से भी लाभ होगा। छोटा सा प्रवास या पर्यटन की स्मृति लंबे समय तक बनी रहेगी।

सिंह : मानसिक रूप से चिंता से मन व्यग्र रहेगा। शंका और उदासी भी मन पर छाए रहेंगे। इसलिए आज मन भारी रहेगा। किसी कारणवश दैनिक कार्यों में विध्न आ सकते है। व्यवसाय में सहकर्मियों का सहयोग आज नहीं के बराबर मिलेगा। उच्च अधिकारी से भी संभलकर चलिएगा।

कन्या : आज विद्यार्थियों के लिए समय कठिन है। संतानों के विषय में आपको चिंता बनी रहेगी। शेयर-सट्टे में संभलकर चलिएगा। मन में खिन्नता का अनुभव होगा। आज बौद्धिक चर्चाओं में न उतरने की सलाह है।

तुला : आज आप शारीरिकरूप से शिथिलता और मानसिकरूप से व्यग्रता का अनुभव करेंगे। माता के विषय में चिंता रहेगी। स्थावर संपत्ति से संबंधित दस्तावेजी कार्य सावधानी से करें। प्रवास को आज संभव हो तो टाल दीजिएगा।

वृश्चिक : आज आपके लिए लाभदायी दिन है। आज आर्थिक लाभ होने के साथ-साथ भाग्य में भी लाभ होगा। स्नेहीजनों के साथ सम्बंधों में प्रेम की अधिकता रहेगी। नए कार्य का शुभारंभ करने के लिए समय शुभ है। छोटे से प्रवास का आयोजन आप कर पाएंगे। मानसिकरूप से प्रसन्नता बनी रहेगी।

धनु : आज आपका मन दुविधा में फंसा रहेगा। पारिवारिक वातावरण क्लेशपूर्ण रहेगा। निर्धारित कार्यों को पूर्ण न कर पाने से मन में हताशा भी बनी रहेगी। किसी महत्त्वपूर्ण निर्णय को आज न लेने की सलाह है। घर या व्यवसाय के क्षेत्र में कार्यभार अधिक रहेगा।

मकर : आज निर्धारित कार्य सरलतापूर्वक पूरे होंगे। आफिस या व्यवसायिक स्थान पर आपका वर्चस्व बढ़ेगा। गृहजीवन में आनंद का वातावरण रहेगा। स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। मानसिक स्वस्थता बनी रहेगी। मित्रों और स्नेहीजों के साथ की मुलाकात से खुशी का वातावरण रहेगा।

कुंभ : आज किसी की जमानत लेने तथा आर्थिक लेन-देन नहीं करने की सलाह है। खर्च की मात्रा अधिक रहेगी। शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ्य नहीं रहेगें। स्वजनों के साथ मतभेद खड़े होंगे। किसी का हित करने में स्वंय परेशानी में पड़ जाने की संभावना है। क्रोध पर नियंत्रण रखें।

मीन : सामाजिक कार्यों या समारोहों में भाग लेने का अवसर आएगा। मित्रों-स्नेहीजनों के साथ की मुलाकात मन को खुशी देगी। सुंदर स्थान पर पर्यटन का आयोजन होगा। शुभ समाचार मिलेगा। पत्नी और संतानों से लाभ प्राप्त होगा। आकस्मिक धन प्राप्त होने की संभावना है।

प्रधानमंत्री ने हेलीकॉप्टर दुर्घटना में जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और सशस्त्र बलों के अन्य कर्मियों के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने तमिलनाडु में एक हेली‍कॉप्टर दुर्घटना में जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और सशस्त्र बलों के अन्य कर्मियों के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।

प्रधानमंत्री ने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा –

‘तमिलनाडु में हेली‍कॉप्टर दुर्घटना से मैं अत्‍यंत दुखी हूं, जिसमें हमने जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और सशस्त्र बलों के अन्य कर्मियों को खो दिया। उन्होंने अत्यंत कर्मठता से भारत की सेवा की। मेरी गहरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिवारों के साथ हैं।

जनरल बिपिन रावत एक उत्कृष्ट सैनिक थे। एक सच्चे देशभक्त के रूप में उन्होंने सशस्त्र बलों और समस्‍त सुरक्षा व्‍यवस्‍था के आधुनिकीकरण में बहुमूल्‍य योगदान दिया। सामरिक मामलों में उनकी दूरदृष्टि असाधारण थी। उनके निधन से मुझे गहरा सदमा पहुंचा है। ओम शांति।

भारत के प्रथम ‘सीडीएस’ के रूप में जनरल बिपिन रावत ने रक्षा सुधारों सहित सशस्त्र बलों से संबंधित विभिन्न आयामों पर उत्‍कृष्‍ट काम किया। उन्‍हें सेना में अपनी सेवाएं देने का व्‍यापक अनुभव था। भारत कभी भी उनकी असाधारण सेवा को नहीं भूलेगा।’

 

 

कुसुमलता गोयल ,एक ममतामयी मां का जाना!

डॉ श्रीगोपाल नारसन (एडवोकेट) –
जीवन के आखिरी दिनों में शारिरीक रुग्णता के कारण असहाय रही कुसुमलता गोयल ने जीवटता कभी नही छोड़ी।रुग्णता के दौर में जब वे बेसुध पड़ी रहती थी तब भी,मेरे आने की आहट सुनते ही न जाने कहा से उनमे चेतना और स्फूर्ति आ जाती ।वे उठकर बैठ जाती।फिर शिकायत भरे लहजे में कहती,भाई !कहां है तू,लगता है हमें भूल गया?या फिर मेरे मरने पर ही आएगा।लेकिन जैसे ही मैं उन्हें कहता,चाची जी,क्यो ऐसा कहती हो,आप कही नही जाने वाली,मैंने ऊपरवाले से आपका स्टे लिया हुआ है।इतना सुनते ही ,वे खिलखिला कर हंसने लगती थी।फिर कहती भाई तू ,आता रहा कर,बहु व बच्चों को भी लेकर आना,बहुत मन करता है ,उन्हें देखने का।यह आत्मीय लगाव ही मुझे बार बार उनसे मिलने को लालायित करता था।मेरा उनसे मात्र कुछ वर्षों का सम्बंध नही था ।बल्कि लगभग 35 वर्षों से मुझे उनका सानीदय,स्नेह,आशीर्वाद, पालना निरंतर मिलता रहा ।सहारनपुर के प्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व पूर्व विधान परिषद सदस्य डॉ जयगोपाल के माध्यम से मुझे ग्रामीण जनता से जुडऩे और पत्र के सम्पादक डॉ एनआर गोयल की छत्रछाया में रहने का सौभाग्य मिला।ग्रामीण जनता के लिए पहले कई वर्षों तक नारसन क्षेत्र से प्रतिनिधित्व किया और फिर रुड़की में ग्रामीण जनता के समाचार सम्पादक के रूप में कार्य किया।जिसके लिए मेरी नियमित सिटिंग ग्रामीण जनता कार्यालय में होने लगी।सात आठ साल तक चले इस सेवा कार्य के दौरान प्राय: हर रोज़ चाची जी के हाथ की बनी चाय पीने को मिलती।वे मुझे हमेशा खाना खाने के लिए कहती और मना करने पर नाराज़ भी हो जाती थी।सचमुच अन्नपूर्णा थी हमारी कुसुमलता गोयल चाची जी।जहां डॉ एनआर गोयल जी मुझकर बेहद विश्वास करते थे,वही चाची जी का मेरे प्रति विश्वास कम नही था।
तभी तो उन्होंने उस दौर में जब मेरी वकालत शुरू ही हुई थी और आमदनी बहुत कम थी,मुझे आर्थिक मजबूती देने के लिए डॉ एनआर गोयल जिन्हें हमेशा मैंने चाचाजी सम्बोधन के साथ अपना गुरु माना से ग्रामीण जनता द्वारा जो मानदेय मिलता था,उसका चैक हमेशा बिना धनराशि अंकित किए ही मुझे मिलता था,गोयल साहब ,हमेशा चैक देते हुए कहते थे,बेटा ,जितने पैसों की जरूरत हो ,उतने भर लेना, ग्रामीण जनता की प्रोपराइटर होने के नाते चैक पर हस्ताक्षर चाची जी कुसुमलता गोयल के होते थे,यह बात दीगर है कि मैंने चैक में पांच सौ रुपये से अधिक की राशि कभी नही भरी,क्योंकि मुझे उस समय उतनी ही राशि मानदेय के रूप में उचित लगती थी।ग्रामीण जनता वालो के यहां रामायण का पाठ वर्षो तक निर्बाध होता रहा।उस घर मे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हेमवतीनंदन बहुगुणा से लेकर मुख्य सचिव तक आए, उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मंत्री चौधरी यशपाल सिंह का तो ग्रामीण जनता दूसरा घर था।वही पंजाब के गर्वनर वीरेंद्र वर्मा भी ग्रामीण जनता और पत्र के प्रधान सम्पादक डॉ एनआर गोयल के मुरीद थे।विधान परिषद सदस्य रहे स्वाधीनता सेनानी डॉ जयगोपाल, पंडित ताराचंद वत्स जो मेरे मामा जी थे,भी गोयल साहब को बहुत मानते थे।इस घर मे नवभारत टाइम्स के सम्पादक राजेंद्र माथुर ,कन्हैया लाल मिश्र प्रभाकर जैसी बड़ी हस्तियां समय समय पर आती रही,जिनकी सेवा भाव के लिए कुसुमलता गोयल हमेशा तत्पर रही।उनकी रसोई में बने पकवानों की तारीफ़ हर कोई करता था।हरिद्वार के तत्कालीन जिलाधिकारी भगत सिंह वर्मा तो प्राय: हर सप्ताह ही ग्रामीण जनता के कार्यालय आ जाते थे।उन्होंने गोयल साहब को एक कार भी भेंट करने की कोशिश की,ताकि स्कूटर से उन्हें आना जाना न पड़े,लेकिन गोयल साहब ने विन्रमता से उनका आग्रह अस्वीकार कर दिया।कुसुमलता गोयल ने कभी गोयल साहब को ऐसे धन के लिए नही कहा,जो अनुचित हो।वे जब कभी पैसों की तंगी हुई तब भी खुश रहती थी और कम खर्च में अच्छा गुजारा करना उन्हें अच्छे से आता था।धार्मिक विचारों से ओतप्रोत कुसुमलता गोयल की आध्यात्मिक सोच के चलते ही उनके घर स्वामी कल्याण देव,पथिक जी महाराज, स्वामी सत्यमित्रानंद जैसे सन्तो के चरण पड़ते थे।ऐसी महान विदुषी कुसुमलता गोयल चाची जी,जो मेरे किए मां ही थी, को शत शत नमन।

कोविड से अनाथ

कोविड-19 ने हमारे समाज को आर्थिक व सामाजिक रूप से बुरी तरह झकझोरा है। सरकारी आंकड़ों पर विश्वास करें तो देश में ऐसे बच्चों की संख्या लाखों में है जिन्होंने माता-पिता या दोनों में से एक को कोरोना महामारी में खोया है। इस संकट के दौरान देश में मानवता के जीवंत उदाहरण तब नजर आये जब व्यक्ति व संस्था के स्तर पर लोग जरूरतमंदों की मदद को आगे आये। उन्होंने खाने, पैसे, दवा व अन्य संसाधनों से मुसीबत के मारे लोगों की मदद की। लेकिन इस संकट में समाज का स्याह पक्ष भी उजागर हुआ, जब कुछ लोगों ने संकट को अवसर बनाया। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो महामारी से अनाथ हुए बच्चों का शोषण करने पर उतारू हैं। अमानवीयता की हद देखिये कि कोरोना महामारी में अपनों को खोने वाले मुसीबत के मारे बच्चों की सौदेबाजी की जा रही है। एक समाचार संगठन की पड़ताल और जम्मू-कश्मीर में अधिकारियों की जांच के बाद दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। वे बच्चों के लिये एनजीओ चलाने की आड़ में गैरकानूनी रूप से बच्चों को गोद देने का रैकेट चला रहे थे। प्रपंच करके लाये गये बच्चों में से एक बच्चे को पौने लाख से पौने दो लाख रुपये में बेचने की कोशिश हो रही थी। दिल्ली में एक अन्य एजेंसी बिना कागजी कार्रवाई पूरी किये बच्चों का व्यापार करती नजर आई। यह गंभीर चिंता का विषय है।
निस्संदेह समाज में ऐसे अनैतिक कार्यों में लिप्त लोग सख्त सजा के अधिकारी हैं। वास्तव में देश में आई कोरोना की दूसरी लहर से देश में जनधन की व्यापक क्षति हुई। इसके बाद सोशल मीडिया पर माता-पिता या दोनों में एक अभिभावक को खोने वाले बच्चों की खबरें बड़ी संख्या में देखी गईं। अनाथ बच्चों के विवरण के साथ उन्हें गोद लेने के आग्रह भी शामिल थे। एक अनुमान के अनुसार एक लाख बच्चों ने माता-पिता में से एक को खो दिया। तब भी बाल अधिकारों से जुड़े कार्यकर्ताओं और कानून क्रियान्वयन करने वाली संस्थाओं ने इन पोस्टों की वस्तुस्थिति पर शंका जताते हुए इनके जरिये बाल तस्करी के बढऩे की आशंका जतायी थी। ऐसे में जब राज्य सरकारें इन बच्चों की अभिभावक हैं तो अधिकारियों से ऐसे मामलों में जिम्मेदारी की भूमिका की उम्मीद की जाती है। दरअसल, किशोर न्याय अधिनियम 2015 गोद लेने की प्रक्रिया शुरू करने से पहले रिश्तेदारों द्वारा उनकी देखभाल को प्राथमिकता देता है। यानी जहां परिवार के सदस्य बच्चे को रखने के इच्छुक हों, तो उन्हें वरीयता दी जाती है। ऐसे में जब महामारी का संकट पूरी तरह टला नहीं है और तीसरी लहर की आशंका जाहिर की जा रही है तो प्रभावित बच्चों का भरोसमंद रिकॉर्ड रखा जाना चाहिए। ताकि उन्हें बाल तस्करी करने वालों के चंगुल में आने से बचाया जाये। जो लोग बच्चों को गोद लेने के वास्तव में इच्छुक हैं, उनकी विश्वसनीयता को गंभीरता के साथ जांचा जाना चाहिए। जिला स्तर पर अधिकारियों को सतर्कता के साथ मामले की पूरी पड़ताल करनी चाहिए।

आज का राशिफल

मेष : व्यावसायिक स्थल पर आज ऊपरी अधिकारियों के साभ प्रेम से कार्य संपन्न कीजिएगा, उग्र चर्चा में न उतरें वही आप के लिए हितकारी रहेगा। आज भाग्य साथ नहीं दे रहा है, ऐसा अनुभव हो सकता है। कार्य में सफलता भी शीघ्र नहीं मिलेगी परंतु मध्याहन के बाद परिस्थिति में सुधार होगा। गृहस्थजीवन में भी आनंदपूर्ण वातावरण रहेगा।

वृषभ : शारीरिक स्वास्थ्य पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ सकता है। नए कार्य का प्रारंभ आज न करिएगा। साथ में वाणी और वर्तन पर संयम बरतिएगा। खान-पान में ध्यान रखिएगा। व्यवसायिक क्षेत्र में विध्न उपस्थित हो सकता हैं। उच्च अधिकारियों के साथ घर्षण के प्रसंगों को

टाल दीजिएगा।
मिथुन : मनोरंजन प्रवृत्ति में आप खोए से रहेंगे। मित्रों के साथ प्रवास- पर्यटन का आयोजन होगा। अच्छे खान-पान और अच्छे वस्त्रालंकार उपलब्ध होंगे। मध्याहन के बाद आप कुछ अधिक ही भावुक बनेंगे। इससे मन की व्यथा में वृद्धि भी हो सकती है। धन के खर्च में वृद्धि होगी।

कर्क : मायके से अच्छे समाचार मिलेंगे। पारिवारिक वातावरण भी अनुकूल रहेगा। प्रतिस्पर्धियों को भी अधिक लाभ प्राप्त नहीं हो पाएगा। शारीरिक और मानसिक रूप से आप स्वस्थ रहेंगे। बौद्धिक चर्चा में अपने तार्किक विचारों को प्रदान करने के लिए समय अनुकूल है।

कन्या : सामाजिक रूप से अपमान न हो इसका ध्यान रखिएगा। धन हानि होने की संभावना है। क्रोध पर संयम रखिएगा। कार्य सफलता न मिलने के कारण निराशा होगी। संतानों के विषय में चिंता सताएगी। प्रवास को संभवत: टाल दीजिएगा।

तुला : नए कार्य का शुभारंभ करने के लिए आज का दिन अच्छा है। प्रिय व्यक्ति के साथ हुई भेंट आनंददायी रहेगी। भाग्यवृद्धि होगी। सामाजिक रुप से मान-सम्मान प्राप्त होगा। पारिवारिक वातावरण क्लेशमय रहेगा। स्थावर संपत्ति से संबंधित पत्रों के विषय में सावधानी बरतिएगा। माता का स्वास्थ्य भी बिगड़ सकता है।

वृश्चिक : निर्धारित कार्य संपन्न न होने के कारण हताशा का अनुभव होगा। पारिवारिक वातावरण में क्लेश की मात्रा अधिक रहेगी। परंतु मध्याहन के बाद परिवार जनों तथा भाई- बहनों के साथ समय आनंदपूर्वक बिता पाएंगे। प्रतिस्पर्धियों को पराजित कर पाएंगे।

धनु: कार्यसिद्धि और लक्ष्मी प्राप्ति दोनों की आज प्राप्ति होगी। शारीरिक और मानसिक रूप से आप उत्साही तथा प्रफुल्लित रहेंगे, इसलिए प्रत्येक कार्य करने में आप को उत्साह रहेगा। कहीं यात्रा होने की संभावना है। मध्याहन के बाद आप कुछ दुविधा में रहेंगे। घर में तथा व्यवसायिक स्थल पर कार्यभार रहेगा। अधिक खर्च या निरर्थक खर्च हो सकता है।

मकर : वाणी और वर्तन के कारण भ्रांति न हो जाए इसका ध्यान रखिएगा। क्रोध की मात्रा बढ़ जाने से किसी के साथ उग्र चर्चा या विवाद न हो जाय। मन में व्यग्रता रहेगी। इसलिए आध्यात्मिकता का आश्रय लेने से मन शांत होगा। मध्याहन के बाद स्फूर्ति और उल्लास का अनुभव करेंगे। पारिवारिक वातावरण आनंदप्रद और शांत रहेगा।

कुंभ: सामाजिक क्षेत्र में आप अधिक सक्रिय रहेंगे और उस के फलस्वरूप मान प्रतिष्ठा में भी वृद्धि होगी। विवाहोत्सुकों को अनुकूल जीवनसाथी मिलने से दिन के आनंद में भी अभिवृद्धि होगी। परंतु मध्याहन के बाद घर का वातावरण कलुषित होगा। शारीरिक स्वास्थ्य बिगडऩे की संभावना है, इसलिए आवेशपूर्ण मन को संयम में रखिएगा।

मीन : किसी परोपकार का कार्य आप के द्वारा होगा। व्यापार में उचित आयोजन के द्वारा व्यापार- वृद्धि कर सकेंगे। उच्च अधिकारीगण आप के कार्य की प्रशंसा आनंदपूर्वक करेंगे। व्यापार से सम्बंधित प्रवास का योग है। पिता और बड़ों के आशीर्वाद और उनसे लाभ भी मिलेगा। आय में वृद्धि होने की भी संभावना है।

कहीं खत्म न हो जाए गरीबों का रिजर्वेशन

वेदप्रताप वैदिक –
आजकल सर्वोच्च न्यायालय में मलाईदार परत (क्रीमी लेयर) को लेकर जोरदार बहस चल रही है। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि क्रीमी लेयर का पैमाना सबके लिए एक-जैसा क्यों हो? उसने पूछा है कि 8 लाख रुपये की सालाना आमदनी की सीमा सब पर एक-जैसी क्यों थोपी गई है? ऊंची जातियों के गरीब लोगों को जो 10 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है, उसका आधार क्या है? गरीब पिछड़ों और गरीब अगड़ों को एक ही तुला पर क्यों तोला जा रहा है? सरकार ने संकेत दिए हैं कि वह 8 लाख रुपये की सीमा को बढ़ाकर 12 लाख करना चाहती है। यानी जिन परिवारों की आमदनी 1 लाख रुपये प्रतिमाह से कम है, उनके सदस्यों को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण दिया जाए। यदि यह छूट दोनों वर्गों को समान रूप से दी जाएगी तो क्या अन्य पिछड़े वर्ग के साथ अन्याय नहीं होगा?
कमजोर आधार
अदालत का कहना है कि जो लोग सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े हुए हैं, क्या सरकार ने विस्तृत जांच करके मालूम किया है कि वे लोग ऊंची जातियों या सवर्णों की तरह ही वंचित हैं? क्या उनकी वंचना या गरीबी ऊंची जाति के लोगों की गरीबी और वंचना-जैसी ही है? सचाई तो यह है कि सरकार ने इस तरह का कोई भी व्यवस्थित अध्ययन अभी तक नहीं करवाया है। ऐसे में यही आशंका है कि कहीं सरकार ऊंची जातियों के इस 10 प्रतिशत आरक्षण को खत्म ही न कर दे।
यह आरक्षण 2019 में मोदी सरकार ने संविधान में 103 वां संशोधन करके स्वीकृत करवाया था। जब यह प्रावधान पहले कांग्रेस सरकार करवाना चाहती थी, तब सर्वोच्च न्यायालय ने इसे रद्द कर दिया और कहा कि संविधान आर्थिक पिछड़ेपन को मान्यता नहीं देता है। अब डर यह है कि सरकार कहीं इस प्रावधान को ही ताक पर न रख डाले। बीजेपी सरकार, जो जातीय वोटों पर कभी आधारित नहीं रही, उसने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करते समय कुछ हफ्ते पहले अपने नए मंत्रियों की जातीय पहचान पर भी जोर दिया था। सरकार को ज्यादा सुविधा इसी हल में महसूस होगी कि वह 10 प्रतिशत का यह विशेष कोटा खत्म कर दे, क्योंकि आरक्षण के आर्थिक आधार को सिद्ध करना बड़ा पेचीदा मामला है। जो आर्थिक आधार एक राज्य में जीवन-यापन के लिए पर्याप्त है, वही दूसरे राज्य में अपर्याप्त हो सकता है। एक ही राज्य के दो जिलों में भी प्रति व्यक्ति आमदनी और खर्च में काफी अंतर हो सकता है। गांव और शहर तथा नगर और महानगर में भी काफी अंतर होता है। इसीलिए अकेले आर्थिक आधार पर आरक्षण की सीमा कैसे बांधी जा सकती है और यदि बांधी ही गई तो उसके दर्जनों संस्करण सरकार और लोगों को तंग करके रख देंगे।
अभी वास्तव में आर्थिक आधार पर आरक्षण मांगने वालों की संख्या 10 प्रतिशत से कम ही रही है। यह आरक्षण दो साल पहले शुरू हुआ था। अभी भी ऊंची जातियों के गरीब लोगों को आरक्षण की यह कला पूरी तरह आकर्षित नहीं कर सकी है लेकिन ज्यों-ज्यों समय गुजरेगा, यह मांग 10 प्रतिशत से भी ज्यादा बढ़ सकती है। अगड़ी जातियों के ये गरीब लोग शिक्षित और जागरूक ज्यादा होते हैं। वे अपने विशेषाधिकारों के लिए नया राजनीतिक अभियान भी छेड़ सकते हैं। इस समय देश में अनुसूचितों और पिछड़ों की संख्या देश के अगड़ों से कई गुना ज्यादा है। जो सरकार लोकप्रिय बने रहना चाहती है और वोट-प्राप्ति ही जिसकी प्राणवायु है, वह देश की बहुसंख्या को खुश रखने के लिए जो कुछ कर सकती है, जरूर करेगी।
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि अगड़ों को जब पिछड़ों के बाद 10 प्रतिशत का आरक्षण दिया गया तो उनके पैरों में काफी चुभीली जंजीरें बांध दी गई थीं। अगड़ों की आठ लाख रुपये की वार्षिक आय में उनका वेतन जोड़ा जाता रहा है जबकि पिछड़ों को जो वेतन मिलता है, वह नहीं जोड़ा जाता है। यदि वे किसान हैं तो उनकी खेती की आय भी नहीं जोड़ी जाती है। पिछड़ी जातियों में मालदार किसानों की भी कमी नहीं है। अदालत के जोर देने पर यह संभव है कि सरकार दोनों वर्गों को दी जा रही सुविधाओं और रियायतों पर शीघ्र ही पुनर्विचार करे और अदालत के सामने आरक्षण का नया नक्शा पेश कर दे।
यहां मूल प्रश्न यह है कि यह जातीय आरक्षण और गरीबी-आरक्षण कब तक चलता रहेगा? यह तो ठीक है कि सदियों से चले आ रहे जातीय भेदभाव से भारतीय जनता को मुक्त करने के लिए ही हमारे संविधान निर्माताओं ने आरक्षण का प्रावधान किया था लेकिन स्वयं डॉ. आंबेडकर की इच्छा के विपरीत यह अल्पकालिक दवाई भारत की सर्वकालिक खुराक बन गई है। इसमें मु_ीभर लोगों को आरक्षण का झांसा देकर करोड़ों गरीबों को जस का तस सड़ते रहने के लिए मजबूर कर दिया है। मेहनतकश मजदूर लोग, वे किसी भी जाति या मजहब के हों या किसी भी गांव या शहर के हों, गरीबी का नरक भोगने के लिए विवश हैं।
गाढ़ा होता जातिवाद
नौकरियों और शिक्षा में जातीय आरक्षण ने हमारे देश में जातिवाद के जहर को पहले से भी गाढ़ा कर दिया है। कोई भी पार्टी जातिवाद का सहारा लिए बिना चुनाव की वैतरणी पार नहीं कर सकती। जातिवाद के जहर से भारत के सभी धर्म त्रस्त हैं। जो धर्म, जातियों को मानते ही नहीं, उनमें भी जातीय ऊंच-नीच का भाव जीवित है। भारत ही नहीं, मैंने भारत के पड़ोसी देशों में भी देखा है कि जातिवाद ने उनके सामाजिक जीवन को डस रखा है। यदि भारत में शिक्षा और चिकित्सा लगभग मुफ्त कर दी जाए और वह सबको समान रूप से उपलब्ध हो तो नौकरियों में जातीय आरक्षण की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। जिन्हें पिछड़ा और अनुसूचित कहते हैं, वे लगभग 100 करोड़ लोग कुछ ही वर्षों में भारत को एक महाशक्ति और महासंपन्न राष्ट्र में परिवर्तित कर सकते हैं।

कॉमन रूम : कानून है फिर भी लड़नी पड़ रही हक की लड़ाई

देवेन्द्रराज सुथार –
पिछले दिनों कोलकाता पुलिस में इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा का विज्ञापन निकला तो पल्लवी ने इस परीक्षा में बैठने का मन बना लिया। जब उसने आवेदन पत्र डाउनलोड किया तो उसमें जेंडर के केवल दो ही कॉलम थे एक पुरुष और दूसरा महिला। मजबूरन उनको हाईकोर्ट की शरण में जाना पड़ा।
अपने वकील के जरिए उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की और 2014 के ट्रांसजेंडर एक्ट और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए अपनी दलील रखी। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के अधिवक्ता से इस मामले पर राय पेश करने को कहा। अगली तारीख पर राज्य सरकार के अधिवक्ता ने हाईकोर्ट को बताया कि सरकार आवेदन के प्रारूप में पुरुष और महिला के साथ-साथ ट्रांसजेंडर कॉलम रखने के लिए सहमत हो गई है। अब पल्लवी पुलिस अफसर बनें या ना बनें, उन्होंने भारत भर के ट्रांसजेंडर्स के लिए एक खिड़की तो खोल ही दी है।
ऐसे ही पुलिस में भर्ती होने वाली देश की पहली ट्रांसजेंडर और तमिलनाडु पुलिस का हिस्सा पृथिका यशिनी की ऐप्लिकेशन रिक्रूटमेंट बोर्ड ने खारिज कर दी थी, क्योंकि फॉर्म में उनके जेंडर का विकल्प नहीं था। ट्रांसजेंडर्स के लिए लिखित, फिजिकल परीक्षा या इंटरव्यू के लिए कोई कट-ऑफ का ऑप्शन भी नहीं था। इन सब परेशानियों के बावजूद पृथिका ने हार नहीं मानी और कोर्ट में याचिका दायर की। उनके केस में कटऑफ को 28.5 से 25 किया गया। पृथिका हर टेस्ट में पास हो गई थी, बस 100 मीटर की दौड़ में वह 1 सेकेंड से पीछे रह गई। मगर उनके हौसले को देखते हुए उनकी भर्ती कर ली गई। मद्रास हाईकोर्ट ने 2015 में तमिलनाडु यूनिफॉर्म्ड सर्विसेज रिक्रूटमेंट बोर्ड को ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्यों को भी मौका देने के निर्देश दिए। इस फैसले के बाद से प्रवेश फॉर्म के जेंडर में तीन कॉलम जोड़े गए।
तमिलनाडु में ही क्यों, राजस्थान में भी यही हुआ था। जालोर जिले के रानीवाड़ा इलाके की गंगा कुमारी ने वर्ष 2013 में पुलिस भर्ती परीक्षा पास की थी। हालांकि, मेडिकल जांच के बाद उनकी नियुक्ति को किन्नर होने के कारण रोक दिया गया था। गंगा कुमारी हाईकोर्ट चली गईं, और दो साल के संघर्ष के बाद उन्हें सफलता मिली। ये फैसले बताते हैं कि जरूरत इस बात की है कि समाज के हर व्यक्ति का नजरिया बदले नहीं तो कुर्सी पर विराजमान अधिकारी अपने नजरिए से ही समुदाय को देखेगा।
2011 की जनगणना के अनुसार हमारे देश में लगभग पांच लाख ट्रांसजेंडर्स हैं। अक्सर इस समुदाय के लोगों को समाज में भेदभाव, फटकार, अपमान का सामना करना पड़ता है। अधिकांश लोग भिखारी या सेक्स वर्कर के रूप में अपनी जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं। 15 अप्रैल, 2014 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने थर्ड जेंडर को संवैधानिक अधिकार दिए और सरकार को इन अधिकारों को लागू करने का निर्देश दिया। उसके बाद 5 दिसंबर, 2019 को राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद थर्ड जेंडर के अधिकारों को कानूनी मान्यता मिल गई।
लैंगिकता पर सभी देशों में चर्चा होती है, उन्हें समान अधिकार और स्वतंत्रता दिए जाने की वकालत होती है। बावजूद इसके लिंग के आधार पर सभी को समान अधिकार और स्वतंत्रता अभी भी नहीं मिल पाई है। 2011 की जनगणना बताती है कि महज 38 प्रतिशत किन्नरों के पास नौकरियां हैं जबकि सामान्य जनसंख्या का प्रतिशत 46 है। 2011 की जनगणना यह भी बताती है कि केवल 46 प्रतिशत किन्नर साक्षर हैं, जबकि समूचे भारत की साक्षरता दर 76 प्रतिशत है। किन्नर समाज अत्याचार, शोषण, उत्पीडऩ का शिकार है। इनको नौकरी और शिक्षा पाने का अधिकार बहुत कम मिलता है। जीवन के सुअवसर प्राप्त न होने के कारण इन्हें अपने स्वास्थ्य की समुचित देखभाल करने में भी दिक्कत आती है।
विकास के इस दौर में किन्नर समाज आज भी हाशिए पर खड़ा है। किन्नर समुदाय के विकास की अनदेखी एक गंभीर विषय है। सभी समुदायों के हक तथा अधिकारों के बारे में चर्चा की जाती है, लेकिन किन्नर समुदाय के विषय में चर्चा तक नहीं होती। हर किन्नर पल्लवी जितने मजबूत मन का भी नहीं होता कि लड़कर अपना हक ले ले। सवाल है कि आखिर वह स्थिति कब आएगी जब समाज के सामान्य सदस्यों की तरह इन्हें भी सहजता से इनका हक उपलब्ध रहेगा।

ज्ञान विज्ञान – ब्रह्मांड की गहराई को देखेगी अब एक नई आंख

मुकुल व्यास –
अमेरिकी खगोल वैज्ञानिक एडविन हबल ने सबसे पहले यह सिद्ध किया था कि हमारी मिल्की-वे आकाशगंगा के आगे दिखने वाले अनेक ऑब्जेक्ट दरअसल दूसरी आकाशगंगाओं की मौजूदगी दर्शाते हैं। तब से खगोल वैज्ञानिक यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि सबसे पुरानी आकाशगंगाएं कितनी पुरानी हैं, उनका गठन कैसे हुआ और बाद में उनमें क्या बदलाव हुए?
हबल के नाम से मशहूर हो चुके नासा के टेलिस्कोप ने ब्रह्मांड के बारे में बहुत सी नई जानकारियां हमें दी हैं। लेकिन उसके बहुत से रहस्य अनसुलझे हैं, बहुत से सवालों के जवाब खोजे जाने बाकी हैं। खगोल वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि नए जेम्स वेब टेलिस्कोप से ब्रह्मांड में ज्यादा गहराई तक झांका जा सकेगा। यह टेलिस्कोप 22 दिसंबर को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। ब्रह्मांड में दूर तक झांकने के लिए इस टेलिस्कोप में बहुत बड़ा दर्पण लगाया गया है। यह दर्पण करीब 6 मीटर चौड़ा है। इस पर एक शेड लगा हुआ है जिसका आकार टेनिस कोर्ट के बराबर है। यह शेड सूरज के विकिरण को अवरुद्ध करेगा।
इसके अलावा टेलिस्कोप में चार पृथक कैमरे और सेंसर सिस्टम हैं। यह टेलिस्कोप एक सैटलाइट डिश की तरह काम करता है। किसी तारे या आकाशगंगा से आने वाली रोशनी टेलिस्कोप के मुख में प्रवेश करेगी और प्राथमिक दर्पण से टकराकर चार सेंसरों तक जाएगी। एक सेंसर प्रकाश को विभिन्न रंगों में विभक्त करेगा और हर एक रंग की ताकत को नापेगा। एक अन्य सेंसर प्रकाश की वेवलेंथ को नापेगा। जेम्स वेब टेलिस्कोप से वैज्ञानिक यह पता लगाने की कोशिश करेंगे कि हमारी मिल्की-वे आकाशगंगा में तारों का गठन किस प्रकार होता है। साथ ही इससे सौर मंडल के बाहर दूसरे ग्रहों के वायुमंडलों का भी अध्ययन किया जा सकेगा।

इस टेलिस्कोप का एक प्रमुख लक्ष्य पर्यवेक्षण के लायक ब्रह्मांड के छोर के पास स्थित आकाशगंगाओं का अध्ययन करना है। इन आकाशगंगाओं के प्रकाश को ब्रह्मांड पार कर पृथ्वी तक पहुंचने में अरबों वर्ष लगते हैं। टेलिस्कोप से जुड़े एक वैज्ञानिक के अनुसार टेलिस्कोप द्वारा ली जाने वाली तस्वीरों में उन प्राथमिक आकाशगंगाओं को देखा जा सकेगा, जिनका गठन बिग बैंग घटना के 30 करोड़ वर्ष बाद हुआ था। बिग बैंग थियरी के मुताबिक ब्रह्मांडीय महाविस्फोट से ब्रह्मांड की शुरुआत हुई थी। बिग बैंग के बाद बने तारों के पहले जमघट को खोजना बहुत ही जटिल काम है क्योंकि ये प्राथमिक आकाशगंगाए बहुत दूर हैं और मंद दिखाई देती हैं।
वेब टेलिस्कोप के दर्पण में 16 भाग हैं और वह हबल टेलिस्कोप के दर्पण के मुकाबले 6 गुणा ज्यादा प्रकाश एकत्र कर सकता है। वेब टेलिस्कोप को पर्यवेक्षण के दौरान एक बड़ी जटिल समस्या का सामना करना पड़ेगा। चूंकि ब्रह्मांड का विस्तार हो रहा है, वे आकाशगंगाएं भी पृथ्वी से दूर जा रही हैं जिनका वैज्ञानिकों द्वारा अध्ययन किया जाएगा। दूर जाने वाली आकाशगंगाओं के प्रकाश की वेवलेंथ दृश्य प्रकाश से इंफ्रारेड लाइट में तब्दील हो जाएगी। इंफ्रारेड लाइट एक विद्युत- चुंबकीय रेडिएशन है जिसकी वेवलेंथ दृश्य प्रकाश से बड़ी होती है। वेब टेलिस्कोप इंफ्रारेड प्रकाश को डिटेक्ट कर सकता है लेकिन मंद आकाशगंगाओं को इंफ्रारेड प्रकाश में देखने के लिए टेलिस्कोप का अत्यंत ठंडा होना जरूरी है, नहीं तो वह अपना ही इंफ्रारेड रेडिएशन देखने लगेगा। इसी वजह से टेलिस्कोप के कैमरों और सेंसरों को माइनस 224 सेल्सियस तापमान पर रखने के लिए उसमें एक विशेष हीट शील्ड बनाई गई है।
जेम्स वेब टेलिस्कोप आधुनिक इंजीनियरिंग का उत्कृष्ट नमूना है। इसका विकास नासा, यूरोपियन एजेंसी और कैनेडियन स्पेस एजेंसी ने मिल कर किया है। इस प्रॉजेक्ट पर काम 1996 में शुरू हुआ था। इसे पहले 2005 में अंतरिक्ष में स्थापित किया जाना था, लेकिन प्रक्षेपण की तारीख आगे खिसकती रही। इस दौरान टेलिस्कोप के डिजाइन में सुधार होते रहे। 2016 में टेलिस्कोप के निर्माण का कार्य पूरा हुआ। इसके पश्चात इसके विस्तृत परीक्षण का दौर शुरू हुआ। 2018 में परीक्षण के दौरान टेलिस्कोप की शील्ड फट जाने के बाद नासा ने इसका प्रक्षेपण स्थगित कर दिया। मार्च 2020 में कोविड महामारी के कारण टेलिस्कोप के एकीकरण और परीक्षण के काम को स्थगित करना पड़ा। टेलिस्कोप की टीम ने अब यान की रवानगी से पहले हर उपकरण को अंतरिक्ष की विषम परिस्थितियों में आजमा कर देख लिया है।

  तीसरी लहर का खतरा

कोविड-19 वायरस के अब तक के सबसे संक्रामक रूप ओमिक्रॉन के मरीज कर्नाटक के बाद महाराष्ट्र, गुजरात और दिल्ली में भी मिले हैं। यह बात सही है कि अभी भारत में इसके मामले बहुत कम हैं, लेकिन इसकी संक्रामकता को ध्यान में रखते हुए जानकार यहां कोविड की तीसरी लहर की भविष्यवाणी करने लगे हैं। एक और दिक्कत यह है कि ओमिक्रॉन के मामले में वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां भी अपने टीकों को लेकर श्योर नहीं हो पा रही हैं।
पिछले दिनों अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना के सीईओ ने कहा भी था कि ओमिक्रॉन के स्पाइक प्रोटीन में इतनी बड़ी संख्या में म्यूटेशन हो रहे हैं कि यह वैक्सीन लगाने के बाद बनी एंटीबॉडीज से बचने में कामयाब हो सकता है। इससे ओमिक्रॉन को लेकर फिक्र बढ़ी है। इसके साथ यह भी कहा गया है कि ओमिक्रॉन भले ही संक्रामकता के मामले में कोविड-19 वायरस की दूसरी किस्मों से आगे है, लेकिन यह उतना जानलेवा नहीं है। यों तो इस बारे में समय के साथ अधिक जानकारी सामने आएगी, लेकिन यह मानी हुई बात है कि म्यूटेशन के साथ वायरस कम जानलेवा होता जाता है।
अभी तक दुनिया के जिन देशों में ओमिक्रॉन के मरीज मिले हैं, उनमें से किसी के भी मरने की खबर नहीं आई है। फिर भी एक्सपर्ट्स की भविष्यवाणी को देखते हुए केंद्र और राज्य सरकारों को संभावित तीसरी लहर से निपटने की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। इस मामले में दूसरी लहर के दौरान के सबक याद रखने होंगे, जब स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से लाचार दिख रही थी। तीसरी लहर से निपटने की तैयारियों के साथ कुछ और बातों पर भी ध्यान देने की जरूरत है। इधर, वैक्सिनेशन की रफ्तार धीमी पड़ी है। ऐसे लोगों की भी कमी नहीं, जो वैक्सीन की पहली डोज लेने के बाद दूसरी डोज लगवाने में लापरवाही बरत रहे हैं।
इस मामले में केंद्र और खासतौर पर राज्य सरकारों को खास पहल करनी होगी। राज्यों को यह भी पक्का करना होगा कि कोविड की जांच की रफ्तार धीमी ना पड़े। दूसरी लहर के बाद कोरोना के मामलों के कम होने के साथ लोग सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क लगाने को भी लेकर लापरवाह हुए हैं। याद रखना होगा कि कोविड-19 महामारी खत्म नहीं हुई है और इससे बचने का पहला उपाय सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क का प्रयोग है। सरकार को भी ओमिक्रॉन को लेकर चौकस रहना होगा। अगर इसके हॉट स्पॉट उभरते हैं तो जल्द से जल्द वहां से दूसरी जगहों पर संक्रमण रोकने के उपाय करने होंगे। दूसरी लहर के दौरान जिस तरह से पूर्ण लॉकडाउन से बचा गया, वह इकॉनमिक रिकवरी में मददगार साबित हुआ।
संभावित तीसरी लहर में यह सबक भी याद रखना होगा। आखिर में, ओमिक्रॉन को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है। जिस तरह से दुनिया से कोरोना महामारी से निपटने के लिए रेकॉर्ड समय में वैक्सीन बनाई। जिस तरह से सामान्य जिंदगी की ओर लौटने की कोशिश हो रही है, वह काबिल-ए-तारीफ है। इसमें कोई शक नहीं है कि दुनिया ओमिक्रॉन के खतरे से भी उबर जाएगी।

आज का राशिफल

मेष : आज आपको ताजगी और स्फूर्ति का अभाव रहेगा। उसके साथ ही क्रोध की अधिकता रहेगी। इसके परिणाम स्वरूप आपका काम बिगडऩे की संभावना रहेगी। अत: गुस्से पर नियंत्रण रखना पड़ेगा। आफिस में अधिकारियों और घर में कुटुंबीजनों तथा विरोधियों के साथ वाद-विवाद में पड़े बिना मौन रहकर दिन व्यतीत करना बेहतर रहेगा।

वृष : अत्यधिक कार्यभार और खानपान में लापरवाही से आपका स्वास्थ्य खराब होगा। समय से भोजन और नींद न लेने के कारण मानसिक रूप से बेचैनी अनुभव होगी। प्रवास में विघ्न आने की संभावना होने से प्रवास न करें। निर्धारित समय कार्य पूरा नहीं कर सकने से रोष रह सकता है।

मिथुन : मौज-मस्ती और मनोरंजन की प्रवृत्तियों में आपको विशेष रुचि होगी। कुटुंबीजन मित्र मंडल या प्रिय व्यक्ति के साथ बाहर घूमने-फिरने जाने का आयोजन होगा। सार्वजनिक जीवन में मान प्रतिष्ठा की वृद्धि होगी। विपरीत लिंगीय व्यक्तियों के प्रति आकर्षण बढ़ेगा। प्रणय प्रसंगों की पूर्व भूमिका निर्मित होगी। सार्वजनिक जीवन में मान-सम्मान के अधिकारी बनेंगे।

कर्क : आज का दिन खुशी और सफलता का है। परिवार में सुख-शांति बनी रहेगी। नौकरीपेशा वालों को ऑफिस में अनुकूल वातावरण रहेगा। नौकर वर्ग औऱ ननिहाल पक्ष से लाभ होगा। स्वास्थ्य बना रहेगा। आर्थिक लाभ होगा। आवश्यक खर्च होंगे।

सिंह : आज आप शारीरिक मानसिक स्वस्थता से काम करेंगे। सृजनात्मक प्रवृत्तियों में विशेष दिलचस्पी रहेगी। साहित्य और कला के क्षेत्र में कुछ नए सृजन करके प्रेरणा मिलेगी। प्रेमीजनों एवं प्रिय व्यक्तियों के साथ मिलन मुलाकात होगा। संतानों के शुभ समाचार मिलेंगे। धार्मिक या परोपकार कार्य आपके मन को आनंदित करेंगे।

कन्या : आज आपको प्रतिकूलताओं का सामना करने के लिए तैयार रहना पड़ेगा। शारीरिक स्वास्थ्य के संबंध में शिकायत रहेगी। मन पर चिंता का बोझ रहने से मानसिक बेचैनी का अनुभव होगा। पारिवारिक सदस्यों के साथ खटराग होगा। पढ़ाई के लिए अनुकूल समय नहीं है। धन खर्च होगा।

तुला : वर्तमान समय भाग्यवृद्धि का होने से साहस और कार्य हाथ में लेने के लिए आज शुभ दिन है। योग्य जगह पर पूंजी निवेश आपको लाभदायक रहेगा। परिवार में भाई-बंधुओं के साथ आत्मीयता और मेल-मिलाप रहेगा। छोटे धार्मिक यात्रा का आयोजन कर सकेंगे।

वृश्चिक : न बोलने में नौगुण की नीति अपनाकर चलेंगे, तो पारिवारिक सदस्यों के साथ संघर्ष से बच सकेंगे। स्वास्थ्य संबंधी शिकायत रहेगी। अनावश्यक खर्च पर अंकुश लगाना आवश्यक है। विद्यार्थियों को पढ़ाई में बधाई होगी।

धनु : आज आपके निर्धारित कार्य में सफलता और आर्थिक लाभ की संभावना है। सपरिवार मांगलिक प्रसंग में उपस्थित होंगे। प्रवास की, विशेष रूप से किसी तीर्थयात्रा की संभावना है। स्वजनों के साथ मिलन आपको हर्षित करेगा।

मकर : आज आप धार्मिक और आध्यात्मिक प्रवृत्तियों में अत्यधिक व्यस्त रहेंगे। पूजा-पाठ या धार्मिक कार्य के पीछे आपका धन खर्च होगा। सगे-संबंधियों तथा परिजनों के साथ संभलकर बोलें, क्योंकि आपकी वाणी से किसी को चोट पहुंचने की संभावना है।

कुंभ : नए कार्य या आयोजन हाथ में ले सकेंगे। नौकरी धंधे में लाभ के साथ अतिरिक्त आय खड़ी कर सकेंगे। मित्र वर्ग, विशेष रूप से स्त्री मित्रों से आपको लाभ होगा। सामाजिक मंडल में आप ख्याति और प्रतिष्ठा प्राप्त कर सकेंगे। पत्नी और पुत्र की तरफ से आप सुख और संतोष अनुभव करेंगे।

मीन : आपके लिए आज का दिन शुभ फलदायक है। काम की सफलता और उच्च पदाधिकारियों का प्रोत्साहन आपके उत्साह को दोगुना करेंगे। व्यापारियों को भी व्यापार और आय में वृद्धि होगी। बकाया राशि का भुगतान होगा।
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स्वस्थ परंपराओं का निर्वहन करें पक्ष-विपक्ष

विश्वनाथ सचदेव –
पिछले दिनों हमने संविधान-दिवस मनाया था। 26 नवम्बर 1949 को देश ने अपना संविधान पूरा करके उस पर हस्ताक्षर किये थे। हमारे संविधान-निर्माताओं के ये हस्ताक्षर देश के हर नागरिक का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये हस्ताक्षर कुल मिलाकर इस बात की सहमति और स्वीकृति हैं कि देश का संविधान सर्वोपरि है। हमारे प्रधानमंत्री कई बार इसे ‘हमारा सबसे बड़ाÓ धर्म ग्रंथ कह चुके हैं। प्रधानमंत्री मोदी जब सांसद बनकर पहली बार संसद भवन पहुंचे थे तो उन्होंने संसद भवन की सीढिय़ों पर शीश झुकाकर जनतंत्र के सर्वोच्च मंदिर को प्रणाम किया था। जनतंत्र का यह मंदिर और धर्म ग्रंथ, दोनों, हमारे देश की गरिमा के प्रतीक हैं। इनका सम्मान उन मूल्यों और आदर्शों का सम्मान है जो जनतांत्रिक व्यवस्था की महत्ता को रेखांकित करते हैं।
उस दिन जब संसद में संविधान-दिवस मनाया गया तो सांसदों को प्रधानमंत्री के अलावा राष्ट्रपति ने भी संबोधित किया था। एक चीज़ जो खलने वाली थी, वह कार्यक्रम का विपक्ष द्वारा बहिष्कार था। यह कार्यक्रम सरकार का नहीं था, पूरी संसद का था। संविधान में अपनी आस्था और निष्ठा प्रकट करने के इस अवसर को किसी भी पक्ष द्वारा राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति का माध्यम बनाना उचित नहीं कहा जा सकता। सरकार और विपक्ष दोनों का कर्तव्य बनता था कि वे इस अवसर की गरिमा और पवित्रता की रक्षा के प्रति सजग दिखाई देते। पर ऐसा हुआ नहीं। दोनों पक्षों की बराबर की भागीदारी होनी चाहिए थी इस कार्यक्रम में। सभी पक्षों को अवसर मिलना चाहिए था संविधान के प्रति अपनी निष्ठा को स्वर देने का। यह सहभागिता ही जनतांत्रिक व्यवस्था को महत्वपूर्ण बनाती है। गरिमा प्रदान करती है।
अच्छी बात है कि इस सहभागिता को संसद का सत्र प्रारंभ होने से पहले प्रधानमंत्री ने फिर से रेखांकित किया। पर इसे सुनिश्चित करने का काम भी मुख्यत: सत्ता पक्ष को ही करना होता है। पर, दुर्भाग्य से, संसद के पिछले कई सत्रों में सहभागिता की भावना का अभाव दिखाई दिया है। दोनों पक्ष इसके लिए एक-दूसरे को दोषी ठहरा सकते हैं, ठहराते भी हैं। लेकिन इस बात को नहीं भुलाया जाना चाहिए कि संसद की कार्रवाई सुचारु रूप से चले, इसका दायित्व मुख्यत: सत्तारूढ़ पक्ष पर ही होता है।
जनतंत्र में यह अवसर संसद के कामकाज में सहभागिता से परिभाषित होता है। सहभागिता का अर्थ है विचार-विमर्श में हिस्सेदारी। मुद्दों पर बहस ही वह माध्यम है, जिससे सदन में सदस्यों की सहभागिता सुनिश्चित होती है। लेकिन, जिस तरह से संसद में विवादास्पद कृषि-कानूनों की वापसी का विधेयक पारित हुआ, वह इस सहभागिता को अंगूठा दिखाने वाला काम ही कहा जा सकता है। लोकसभा में सिर्फ तीन मिनट और राज्यसभा में नौ मिनट में इन कानूनों को वापस ले लिया गया। कानूनों की वापसी करने का निर्णय लेने में सरकार को पूरा एक साल लग गया, और मिनटों में कानूनों को निरस्त कर दिया गया। कोई बहस नहीं, कोई विचार-विमर्श नहीं। तीनों कानूनों को वापस लेने की घोषणा भी प्रधानमंत्री ने सदन के बजाय मीडिया में राष्ट्र के नाम संदेश में करना बेहतर समझा। संसद को इस बारे में सरकार से सवाल-जवाब का अवसर मिलना ही चाहिए था। कानून वापस लेने के कुछ घंटे पहले ही प्रधानमंत्री ने यह कहा था कि सरकार खुले दिमाग से हर मुद्दे पर सभी सवालों के जवाब देने के लिए तैयार है।
वे तो यह भी कह चुके हैं कि सीमित समय के लिए ही सही, कुछ बहस तो राजनीतिक छींटाकशी के बगैर भी होनी चाहिए। पर सिर्फ बातों से बात नहीं बनती। संसद की गरिमा और महत्व का तकाज़ा है कि सांसदों को गंभीर बहस का अवसर मिले। मुद्दों पर विचार-विमर्श हो। संसद के पिछले सत्र में पंद्रह कानून दस मिनट से भी कम समय में पारित हुए थे। स्पष्ट है, यह काम विचार-विमर्श के बिना ही हुआ होगा। कृषि-कानूनों पर ज़रूर दोनों सदनों में लगभग दो-दो घंटे तक बहस हुई थी, पर शायद पर्याप्त नहीं था इतना समय। समुचित समय मिलता तो शायद कोई स्वीकार्य कानून बन सकते। अब भी जब कृषि कानूनों को निरस्त करने वाला विधेयक पारित हुआ तो विपक्ष की बहस की मांग को ठुकरा दिया गया।
बहरहाल, संसद के शीतकालीन सत्र का पहला ही कानून बिना किसी बहस के पारित हो, यह कोई शुभ संकेत नहीं है। उम्मीद की जानी चाहिए कि दोनों पक्ष, सरकार और विपक्ष, इस संदर्भ में अपने-अपने दामन में झाकेंगे। पर इससे भी महत्वपूर्ण बात उस मतदाता के सम्मान की है, जिसने दोनों को चुना है। कृषि कानूनों को वापस लेने के प्रधानमंत्री के निर्णय को उनके समर्थक ‘राष्ट्र-हितÓ में लिया गया ‘महानÓ निर्णय बता रहे हैं, लेकिन यह बात सदन में होती तो बेहतर होता। तब यह भी पूछा जा सकता कि कृषि-कानूनों के संदर्भ में वह क्या था जो राष्ट्र-हित में नहीं था? इस तरह के अवसर बहस से ही मिल सकते हैं। सत्तारूढ़ पक्ष और विपक्ष, दोनों को ऐसे अवसरों की संभावनाएं बढ़ाने के बारे में सोचना होगा। यह याद रखना ज़रूरी है कि बहस संसद की प्राणवायु है!

आज का राशिफल

मेष : आज के दिन का प्रारंभ का समय आनंद-प्रमोद में बीतेगा। शारीरिक और मानसिक आरोग्य अच्छा रहेगा। वाणी और व्यवहार पर संयम बरतिएगा, वह आप ही के हित में रहेगा। राग-द्वेष से दूर रहिएगा तथा अपने शत्रुओं से संभलकर चलिएगा। स्वास्थ्य भी संभालिएगा।

वृषभ : व्यवसायीजनों को यश और सफलता मिलेगी। सहकर्मचारियों का पूर्ण सहकार आप को मिल पाएगा। आर्थिक लाभ भी होगा। प्रतिस्पर्धीयों को आश्चर्य होगा। मध्याहन के बाद मनोरंजन की दुनिया में आप सैर करेंगे।

मिथुन : आज का आप का दिन बौद्धिक कार्य और चर्चा में बीतेगा। आप अपनी कल्पनाशक्ति और सृजनशक्ति को कार्य में जोड़ देंगे। शारीरिक और मानसिकरुप से सावघान रहेंगे। मध्याहन के बाद व्यावसायिक वर्ग को व्यवसाय में लाभ की संभावनाएं खडी़ होंगी।

कर्क  : हताशा मानसिक रूप से अस्वस्थ बनाएगी। जिस के कारण शारीरिक रूप से आप अस्वस्थता का अनुभव करेंगे। प्रवास के लिए आज का दिन अनुकूल नहीं है। जमीन और वाहनों से जुड़ी समस्याएं सताएंगी।

सिंह : विदेशवासियों को अच्छे समाचार मिलेंगे। धन लाभ होगा। नए कार्य के लिए अच्छा समय है। निवेशकारों के लिए दिन लाभदायी है। परंतु मध्याहन के बाद आप अधिक सहनशील बनेंगे। मानसिक हताशा का अनुभव होगा।

कन्या : वाणी पर संयम न रहेगा तो मनदु:ख के प्रसंग उपस्थित होंगे। परिवारजनों के साथ वाद-विवाद हो सकता है। शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रख पाऐंगे। परंतु मध्याहन के बाद आप का समय अनूकुल दिखेगा। भाई-बंधुओं के साथ महत्त्वपूर्ण विषयों पर चर्चा होगी।

तुला : आज की कलात्मक और सृजनात्मक शक्ति में बहुत निर्धारपूर्वक निखार आएगा। शारीरिक और मानसिक रूप से संपूर्ण स्वस्थ रहेंगे। वैचारिक दृढ़ता और समतोल विचारधारा से कार्य को संपन्न करना सरल हो जाएगा।

वृश्चिक : आपका उग्र और असंयमित व्यवहार आपको समस्या में डाल सकता है। संबंधियों के साथ सहसा कोई अनिष्ट घटना बन सकती है। परंतु मध्याहन के बाद शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रख पाएंगे। आर्थिक विषयों का व्यवस्थित रूप से आयोजन कर सकेंगे।

धनु : परिवार-जीवन में आनंद का वातावरण रहेगा। कार्य में पदोन्नति होगी। मित्रों के साथ बाहर जाना होगा। व्यापारीवर्ग को भी लाभ होगा। अविचारी कार्य अथवा व्यवहार आपको समस्या में डाल सकता है। व्यावसायिक क्षेत्र में ऊंचे स्वर में बोलने से पहले अपनी गरिमा पर ध्यान दीजिएगा।

मकर : आज का दिन गृहस्थजीवन की दृष्टि से आनंदमय रहेगा। परिवारजनों के साथ आनंद का वातावरण बना रहेगा। व्यवसाय में पदोन्नति के योग हैं। व्यावसायिक क्षेत्र में भी अनुकूल वातावरण रहेगा। आय में वृद्धि होने का योग है।

कुंभ : नए कार्य का आज से प्रारंभ कर सकते हैं। लंबे प्रवास का या धार्मिक यात्रा का आयोजन होने की भी संभावना है। व्यवसाय में लाभ का अवसर मिलेगा। थोडा़ संभलकर चलना पड़ेगा। स्वास्थ्य का ध्यान रखिएगा, परंतु मध्याहन के बाद पारिवारिक जीवन में हर्षोल्लास का वातावरण बना रहेगा।

मीन : हितशत्रुओं से सावधान रहिएगा। स्वास्थ्य का ध्यान रखिएगा। गूढ़ विद्या का ज्ञान प्राप्त करने के लिए दिन अच्छा है। मघ्याहन के बाद विदेश में स्थित मित्र तथा स्नेहीजनों के समाचार आपको मिलेंगे। व्यावसायिक स्थल पर सहकार मिलेगा।

22 माह से बंद नर्सरी से पांच की पढ़ाई शुरू करें हेमन्त सरकार – रामप्रकाश तिवारी

स्वतंत्र राष्ट्रवादी पार्टी के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष रामप्रकाश तिवारी ने 22 माह से बंद कक्षा नर्सरी से लेकर पांचवीं की पढ़ाई लिखाई सभी स्कूलों में शूरू करने के लिए और यू-डायस कोडधारी गैर मान्यता प्राइवेट स्कूलों के लाखों बच्चों बच्चियों को तत्काल आठवीं बोर्ड परीक्षा-2022 में शामिल करने हेतु जैंक द्वारा पंजीयन करने और परीक्षा में शामिल करने हेतु मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन से तत्काल कार्रवाई करने का मांग किया।
प्राइमरी शिक्षा नर्सरी से पांच की पढ़ाई लिखाई बंद रखने के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के आदेश के बावजूद झारखंड राज्य के सभी सरकारी स्कूलों, प्राइवेट स्कूलों में कक्षा नर्सरी से पांच कक्षा के बच्चों बच्चियों को पिछले दो माह से लगातार बुलाकर पढ़ाई लिखाई शुरू करने वाले सभी साहसी शिक्षकों शिक्षिकाओं के प्रति झारखंड के करोड़ों अभिभावक गण ऋणी है इस दौरान एक भी बच्चा कोरोना से संक्रमित नहीं हुआ है नर्सरी से पांचवीं की पढ़ाई शुरू करने वाले प्राइवेट स्कूलों में बीआरसी,प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी द्वारा भयादौहन कार्रवाई करने के धमकियों का विरोध करने वाले हजारो प्राइवेट स्कूल संचालक गण बधाई के पात्र हैं।
प्रदेश अध्यक्ष रामप्रकाश तिवारी ने यूपीए कांग्रेस,राजद, झारखंड मुक्ति मोर्चा गठबंधन सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन की नेतृत्व में चल रही सरकार हर मोर्चे पर विफल है सभी सरकारी कार्यालयों में खुले आम रिश्र्वत लिया जा रहा है, ठेकेदारों द्वारा घटिया सड़क निर्माण किया जा रहा है बाकी विकास के कार्य ठप्प है। मजदूरों को मनरेगा के तहत काम नहीं मिल रहा है बेमौसम बारिश में धान की फसल,सब्जी,अन्य फसल खराबे होने के नुकसान झेल रहे लाखों किसानों को मुआवजा देने के लिए और आगे खेती-बाड़ी करने के लिए बीज खाद सिंचाई की सुविधा किसानों को उपलब्ध नहीं कराने के हेमन्त सोरेन की सरकार की मजदूर किसान विरोधी नीतियों का स्वतंत्र राष्ट्रवादी पार्टी कड़ा विरोध करती है।
श्री रामप्रकाश तिवारी ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन की सरकार ने अभी तक पांच लाख बेरोजगार युवाओं को सरकारी नौकरी उपलब्ध नहीं कराया और लाखों शिक्षित बेरोजगार युवाओं को अपने चुनावी वादेनुसार प्रति माह सात हजार रुपए बेरोजगारी भत्ता अभी तक नहीं दिया,यह युवा विरोधी सरकार है जल्द युवाओं को संगठित करके आंदोलन किया जायेगा। सबसे बुरा हाल बेरोजगार महिलाओं, लड़कियों का है बढ़ती मंहगाई में घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है।
झारखंड के तमाम बेरोजगार युवाओं, महिलाओं, किसानों, मजदूरों, प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों के साथ हेमन्त सरकार घोर अन्याय कर रही है यह सरकार भ्रष्टाचारियो, माफियाओं, अपराधियों,दलालों ठेकेदारों की रहनुमा सरकार है मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन अपने कैबिनेट के कांग्रेसी मंत्रियों के मांग पर कोरोना महामारी कम होने के बावजूद सभी प्राइमरी,मिडिल स्कूलों में नर्सरी से पांच की पढ़ाई स्कूलों में शुरू नहीं करने के तानाशाही रूख अपनाये हूए है ऐसे जन विरोधी सरकार को सत्ता में रहने का अधिकार नहीं है कांग्रेस तत्काल हेमन्त सरकार से समर्थन वापस ले।
उक्त जानकारी रामप्रकाश तिवारी,प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र राष्ट्रवादी पार्टी, झारखंड प्रदेश,राॅंची ने दी

लोकतंत्र की बुनियादी आधार हैं पंचायती व्यवस्थाएं

विकास कुमार –
पंचायती व्यवस्थाओं को स्थानीय प्रशासन का मूल आधार स्तंभ माना जाता है। भारत में प्राचीन काल से ही स्थानीय स्वशासन का प्रावधान मिलता है। भारतीय लोकतंत्र में आजादी के बाद से ही पंचायती व्यवस्थाओं को महत्व दिया जाने लगा था। यही कारण है कि भारतीय संविधान के निर्माताओं ने इसके लिए अलग से प्रावधान जोड़े थे। भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है जिसमें चुनाव आयोग के 2019 के सूची के अनुसार ,लगभग 90 करोड़ मतदाता पंजीकृत हैं। रूरल कनेक्शन नेटवर्क के अनुसार, पूरे देश में 239000 ग्राम पंचायतें हैं, जो संविधान के सातवीं अनुसूची में वर्णित राज्य सूची का विषय है। इनके प्रबंधन, वित्तीय व्यवस्था ,निर्वाचन एवं संरचना की व्यवस्था का दायित्व राज्य सरकार पर निर्भर होता है।भारत की शासन व्यवस्था तीन स्तर पर कार्य करती है। जिसमें तीसरा स्तर स्थानीय स्वशासन (पंचायती व्यवस्था) हैं। भारतीय संविधान के भाग 4 अनुच्छेद 40 में इससे संबंधित उपबंध थे जो प्रवर्तनीय प्रक्रिया नहीं थी।पंचायती व्यवस्थाओं को संवैधानिक दर्जा देने के पीछे राज्य संघात्मक व्यवस्था का उल्लंघन बताकर इसके पक्ष में नहीं थे। यही कारण रहा कि राजीव गांधी जी का 64 वां संशोधन (1989) और वी0पी0 सिंह का संवैधानिक प्रयास (1 जून 1990) असफल रहा। पंचायतों को संवैधानिक दर्जा 1992 और 1993 में 73 वे संवैधानिक संशोधन के द्वारा दिया गया था जिसमें नरसिम्हा राव जी ने अथक प्रयास किया था।इनके चुनाव कराने की जिम्मेदारी राज्य निर्वाचन आयोग की होती है जिसका उपबंध भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243 का (्य) करता है।कुछ राज्यों ने इसके चुनाव की घोषणा कर दिया है क्योंकि संविधान था इनका कार्यकाल 5 वर्ष रखा गया है जिसका प्रावधान भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243( श्व) ही करता है। सभी प्रत्याशी शासनादेश का इंतजार कर रहे हैं और अपनी -अपनी सुविधानुसार तैयारियां भी आरंभ कर दिया है।मतदाताओं और प्रत्याशियों के मध्य वार्तालाप प्रारंभ हो चुका है परंतु संवाद प्रारंभ नहीं हुआ, क्योंकि संवाद की प्रक्रिया तो चुनाव में अक्सर रिक्त रहती है। संवाद की स्थिति में ना ही मतदाता है और ना ही प्रत्याशी। राजनीतिक दलों के बड़े-बड़े नेताओं का भी इन चुनावों में आगमन होगा जिससे वह अपनी उपलब्धियां गिनाते हैं।मतदाता भी सुनकर आनंदित होता है और बाद में नेता जी जिंदाबाद भी बोलता है क्योंकि वह भूल चुका होता है कि हमारी स्थानीय समस्याएं लोन के पैसों का कमीशन, आवास कमीशन ,सड़क और पानी की समस्याएं क्या है? शिक्षा और स्वास्थ्य तो इन चुनावों में गौड मुद्दे बन जाते हैं । प्राथमिक विद्यालयों की स्थिति और अन्य सभी स्थानीय कार्य मतदाता भूल चुका होता है और मुखिया भी उसी को बना देता है, जिसका कोसों इनसे संबंध नहीं होता। इन चुनाव में उम्मीदवारों का उद्देश्य और कार्य अनुभव भी नहीं पूछा जाता जिसका कारण जागरूकता की कमी कहें या शिक्षा का अभाव ।
हालांकि पंचायती व्यवस्थाओं से स्थानीय निकायों में सुधार भी हुआ है परंतु उन सभी परियोजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता जो ग्रामीणों के लिए होती हैं। ऐसे में सभी मतदाताओं को चाहिए कि जातिवाद, धर्म, क्षेत्रवाद और व्यक्तिगत लाभ पहुंचाने वाले ‘केवल’ प्रत्याशी को ना चुनकर सार्वजनिक आकांक्षाओं में खरे उतरने वाले प्रत्याशी का चयन करें। जब स्थानीय स्तर पर सुधार होगा तभी यह प्रक्रिया आगे बढ़ सकेगी। मतदाता को अपने मत का प्रयोग स्वेच्छा और सोच विचार कर करना चाहिए जिससे 5 वर्षों के लिए योग्य नेता के निर्देश लागू हो सके और स्थानीय संस्थाओं की स्थिति मजबूत हो जिससे अन्य स्तरों पर भी सुधार हो।

आज लगभग पूरे देश में पंचायती राज पद्धतियों का गठन किया जा चुका है ,परंतु वास्तविक स्थिति में उतनी आत्मनिर्भर निर्भरता देखने को नहीं मिली, जितना कि इसको लागू करने के समय सपना देखा गया था। आरक्षण का प्रावधान पंचायती पद्धतियों में अनुच्छेद 243 क (ष्ठ,4) किया तो गया है, परंतु उसका पूरा लाभ ना महिलाएं ले पाती पाती हैं और ना ही नीचे तबके के वर्ग, क्योंकि आज भी कई पूर्वाग्रह प्रवृत्तियों से प्रेरित होकर ग्रामीण क्षेत्रों में मतदान किया जाता है द्य जब पंचायती व्यवस्था सुदृढ़ और आत्मनिर्भर बनेगी तभी भारत का लोकतंत्र और मजबूत होगा द्य सुधार की प्रक्रिया ग्रामीण से ही शुरू हो सकती है। महिलाएं सरपंच तो बन जाती हैं परंतु वह प्रशासन नहीं चलाती हैं प्रशासन उसके पति द्वारा चलाया जाता है। एससी एसटी वर्ग का व्यक्ति सरपंच तो बन जाता है परंतु प्रशासन किसी धनाढ्य लोगों द्वारा चलाया जाता है। आज भी कई राज्य ऐसे हैं जिन्होंने पंचायती व्यवस्थाओं को उनके संपूर्ण विषयों को हस्तांतरित नहीं किया है। पंचायत के चुनाव में भी छल और बल से काम लिया जाता है। किस व्यक्ति की पहुंच शासन प्रशासन के ऊपर तक होती है प्रमुख पदों पर वही आसीन होता है। यही कारण है कि जिन उद्देश्य से भी का निर्माण किया गया था वह पूरा नहीं हो पा रहा है। गांव के विकास के नाम पर करोड़ों का फंड सरकारों के द्वारा दिया जाता है, परंतु उसका संपूर्ण लाभ गांव के सही व्यक्ति पर नहीं खर्च होता है।यही कारण रहा कि आज तक पंचायती व्यवस्था पूर्णतया आत्मनिर्भर और उन संपूर्ण सपनों को साकार नहीं कर सकी जिनके लिए इनको संगठित किया गया है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि पंचायती राज को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रयास करें और इस प्रयास में सबसे बड़ा कदम हो सकता है शिक्षा।बिना शिक्षा के जागरूकता संभव नहीं है और जब नागरिक और मतदाता जागरूक होंगे तभी यह सब संभव हो पाएगा।
( लेखक – केंद्रीय विश्वविद्यालय अमरकंटक में रिसर्च स्कॉलर हैं एवं राजनीति विज्ञान में गोल्ड मेडलिस्ट है।)

आज का राशिफल

मेष : ईश्वरीय आस्था से भौतिक कष्ट दूर होंगे। बुद्धिमत्ता द्वारा हर दिशा में स्वयं को पारंगत सबित करेंगे। जीवन साथी से कुछ मुद्दों पर वैचारिक मतभेद की आशंका है। घर में खुशहाली रहेगी।

बृषभ : अपने अनुकूल अपेक्षा रखना ठीक नहीं है। व्यावसायिक योजनाएं फलीभूत होती नजर आएंगी। मन में कुछ नयी इच्छाएं बलवती होंगी। माता के स्वास्थ्य के प्रति कुछ चिंताएं रहेंगी।

मिथुन : आंतरिक प्रतिभाओं द्वारा सगे-संबंधों में प्रभावी बनेंगे। भबिष्य संबंधी कुछ चिंताएं नकारात्मक विचार ला सकती हैं किंतु कुछ अच्छे आसारों से मन में प्रसन्नता संभव। कार्यक्षेत्र में ब्यस्तता बढ़ेगी।

कर्क : अंतर्मुखी स्वभाव को त्याग बाह्यमुखी बनायें। भौतिकता की लोलुपतावश दूसरों के चढ़ाने में आकर अपनी आर्थिक क्षति कर सकते हैं। रोजगार में अच्छी आशाएं प्रसन्नता लाएंगी।

सिंह : भौतिकता के आधार पर थोड़ा असंतोष हो सकता है। किसी पुराने संबंधी से निकटता बढ़ेगी। घरेलू दायित्वों के प्रति सक्रियता से आपकी महत्ता बढ़ेगी। पूजा-पाठ में पूरा दिन मन केंद्रित होगा।

कन्या : सगे-संबंधों में व्यवहार कुशल बनें। घरेलू वातावरण उत्साहित रहेगा। विपरीतलिंगी संबंधों के प्रति आकषर्ण बढ़ेगा। कुछ नयी अभिलाषाएं आपको हतोत्साहित करेंगी। नये दायित्वों की पूर्ति होगी।

तुला : दुबिधाओं को त्याग सही योजनाओं पर केंद्रित हों। भावना प्रधान मन रिश्तों से सहज ही प्रभावित हो जाता है किंतु भावनात्मक अपेक्षाएं कष्ट की जननी बनेंगी। आवेश व उच्छृंखलता पर नियंत्रण रखें।

वृश्चिक : अर्थिक सुदृढ़ता हेतु मन प्रयत्नशील होगा। कार्यक्षेत्र में लोकप्रियता बढ़ेगी। निकट संबंधों में मधुर वाणी का प्रयोग करें। क्षमता से अधिक जिम्मेदारियां परेशान करेंगी। विद्यार्थियों का मन पढ़ाई में लगेगा।

धनु : दुनियादारी में समय देने से अच्छा होगा कि थोड़ा घर में समय देने की चेष्ठा करें। नई सकारात्मक सोच से प्रगति के आसार बढ़ेंगे। दूसरों की सफलता को देख अपने अंदर हीनता न आने दें।

मकर : धनागम के नये स्रोत बनेंगे। भावनाओं पर नियंत्रण रख अपने दायित्वों के प्रति सजग हों। अच्छी योजनाओं द्वारा महत्वपूर्ण कार्यों की समयानुकूल पूर्ति करेंगे। जीवन साथी का सहयोग मिलेगा।
कुंभ : कुछ नयी आकांक्षाएं मन पर प्रभावी होंगी। किसी महत्वपूर्ण दायित्व की पूर्ति हेतु समुचित साधन व्यवस्था के लिए मन चिंतित होगा। नौकरी-पेशे में सहकर्मियो के सहयोग से वातावरण सुखद होगा।

मीन : बीती बातों को भूल वर्तमान में जीने का प्रयास करें। प्रणय संबंधों में प्रगाढ़ता बढ़ेगी किंतु सामाजिक मर्यादा का उल्लंघन न होने दें। भौतिक-सुख साधन में व्यय संभव। राजनीतिज्ञों का सहयोग प्राप्त होगा।

बदलते वैश्विक परिदृश्य में ब्रिक्स की गतिशीलता

विकास कुमार –
ब्रिक्स संगठन की संकल्पना का प्रावधान जिम ओ नील ने किया, जब उन्होंने एक रिसर्च में बताया कि आने वाले समय में यह देश विश्व के आर्थिक विकास के इंजन साबित होंगे। वर्तमान समय में यह एक महत्वपूर्ण संगठन बनकर के उभरा है। समय-समय पर सभी सदस्य देश मिलकर इसमें बैठक संपन्न करते रहते हैं। इस संगठन में चीन और भारत दोनों सदस्य हैं। कई प्रकार की गतिविधियों को लेकर इसमें विवाद चलता रहता है, परंतु इसका भी समाधान किया जाता है। वर्तमान समय में इसमें 5 सदस्य हैं ,जिनमें ब्राजील ,रूस, भारत ,चीन एवं दक्षिण अफ्रीका हैं।बदलते वैश्विक संरचना के साथ कई अंतरराष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय संगठन गतिशील हैं। जिसमें सभी नई आर्थिक संरचना के नव निर्माण के लिए प्रयासरत हैं। आज पूरा विश्व कोरोनावायरस संकट से परेशान है इसलिए सभी संगठनों में करोना महामारी का मुद्दा, जलवायु परिवर्तन ,आतंकवादी गतिविधियों से निपटारा, एवं सतत विकास के लक्ष्य के मुद्दे समान रूप से चर्चा में रहते हैं। ब्रिक्स के इस बैठक में भी इन मुद्दों पर चर्चा की गई, जिनमें सहयोग एवं सामंजस्य से इन सभी मुद्दों को व्यवहारिक जामा पहनाने की सहमत भी जताई गई। इस संगठन की स्थापना एक ध्रुवीय वैश्विक संरचना के परिवर्तन के उद्देश्य हेतु हुई थी, । ब्रिक्स सदस्य देशों की कुल जीडीपी 16.6 खरब अमेरिकी डॉलर है। जो किसी भी नव निर्माण एवं नव संरचना के कार्यक्रम को संचालित करने के लिए काफी है। इस संगठन के देश दुनिया के कुल आबादी का 41 फ़ीसदी( 360 करोड़) का प्रतिनिधित्व करते हैं। चीन के सामने प्रमुख समस्या कोविड-19 के टीकाकरण की है। चीन के विदेश मंत्री श्री वांगी यी ने कहा चीन भारत के साथ इस महामारी से निपटने के लिए हर संभावित सहयोग करने के लिए तैयार है, परंतु इस सहमति के बावजूद जब अन्य प्रकार के विवाद चीन के आते हैं तो वह मुखर जाता है । एक तरफ सहयोग की बात कर रहा है, दूसरी ओर सीमा विवाद में उलझा रहता है। चीन इस संगठन में द्विपक्षीय विवादों को भी उठाता है। जिसमें केवल उसके ही विवाद सम्मिलित नहीं होते बल्कि दक्षिण एशियाई देशों के कई विवादों को वह इस मंच में उठाता है , जिसका भारत ने सदैव विरोध किया है। ऐसे में क्या यह सभी उद्देश्यों पर सहमति है? चीन सदैव भारत को पड़ोसी राजनीति में ही उलझ आए रखना चाहता है। लद्दाख विवाद , लिपुलेखा , लिपियाधूरा विवाद हो या पाकिस्तान के आतंकवादी गतिविधियों को लेकर हो। यही कारण रहा कि जब 2017 में शंघाई सहयोग संगठन की सदस्यता भारत ने ली, उसी समय चीन ने पाकिस्तान को भी उस में सम्मिलित किया। एक और कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंकवाद को खत्म करने की सहमति देता है दूसरी ओर यू एन ओ में इस संबंध में भी तो कर देता है। यह चीन का दोहरा रवैया है। इस सम्मेलन में सम्मिलित दक्षिण अफ्रीका के अंतरराष्ट्रीय संबंध एवं सहयोग मंत्री श्रुति नलेदी मंडीसा पंडोर ने कहा हमें टीकाकरण पर विचार करना चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए की सदस्य देशों के नागरिकों को जल्द से जल्द टीकाकरण हो । कोरोनावायरस की दूसरी लहर से सर्वाधिक प्रभावित भारत हुआ है ऐसे में भारत के सहयोग के लिए सभी सदस्य देशों को एकजुट होना चाहिए। रूस के विदेश मंत्री सरगेई लावरोव ने एवं ब्राजील के विदेश मंत्री कार्लोस फ्रैंको फ्रांका ने आतंकवादी गतिविधियों के उन्मूलन एवं सतत विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने की बात कही। इस महामारी के पश्चात सतत विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने की समस्या विकासशील देशों पर निश्चित रूप से आ सकती है ,क्योंकि इस दौर में सभी देशों के अर्थव्यवस्था का स्तर गिरा है। सबसे बड़ा प्रश्न यह है , जो भविष्यवाणी 2003 में गोल्डमैन चेंज कंपनी के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री जिम ओ नील द्वारा ब्रिक्स सदस्य देशों के लिए की गई है क्या वह ऐसे में पूरी हो पाएगी? उन्होंने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि 2050 तक यह देश विश्व अर्थव्यवस्था के इंजन साबित होंगे। यदि सभी देश सहयोग और सामंजस्य की रणनीति बनाकर प्रगति करें तो निश्चित रूप से यह सच साबित हो सकता है। वैश्विक परिदृश्य बदल गया है ।सभी देश अपने विचारधारा के दोनों को छोड़कर आर्थिक विकास और प्रगति की पहल कर रहे हैं। अपने आर्थिक हितों को देखते हुए एक देश कई संगठनों की सदस्यता लिए हुए हैं ,जिससे उसके आर्थिक हितों और व्यापारिक बाजार का साझा सहयोग हो सके। इस बदलती गतिशीलता का अनुसरण करते हुए वृक्ष को भी अपने उद्देश्य में परिवर्तन करना होगा। केवल उद्देश्यों में नहीं बल्कि रणनीतिक और सामरिक संरचनाओं में भी परिवर्तन करना होगा। चीन को भी यह समझना होगा कि आतंकवाद की समस्या सभी देशों को किसी न किसी रूप से प्रभावित करती है। इसका निपटारा सभी मिलकर ही कर सकते हैं। क्योंकि आज इस ग्लोबल दौर में सभी प्रकार के संगठन और व्यक्ति एक दूसरे से कनेक्ट हैं। वर्तमान समय में दक्षिण चीन सागर को लेकर चीन और फिलीपींस का विवाद चल रहा है। चीन का कहना है कि यह संपूर्ण क्षेत्र उसका है जबकि फिलिपिंस का कहना है कि यह क्षेत्र उसका है। दक्षिण चीन सागर में हो रही तमाम गतिविधियों का अमेरिका सहित अन्य कई देशों ने आलोचना किया है। इस प्रकार से विवादों वाले मुद्दों में सदस्य देश चाह करके भी एक दूसरे का सहयोग नहीं कर पा रहे हैं। इन सभी सदस्य देशों में चीन का हस्तक्षेप किसी ना किसी भूभाग या सीमा या फिर समुद्री क्षेत्र पर होता ही रहता है। इन विवादों को सुलझाते ,सभी प्रकार के उद्देश्यों को चिन्हित करके जब सदस्य देश व्यवहारिक रूप पर लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रयासरत होंगे, तभी इस ग्लोबल दौर में ब्रिक्स और गतिशील बन सकेगा।
(लेखक- केंद्रीय विश्वविद्यालय अमरकंटक में रिसर्च स्कॉलर है एवं राजनीति विज्ञान में गोल्ड मेडलिस्ट हैं।)

आज का राशिफल

मेष : आज आपकी राशि वालों के लिए आर्थिक मामलों में शुभ योग बन रहे हैं। शाम तक आप कोई बड़ी डील फाइनल कर सकते हैं। आज आपको कहीं से विशेष सम्मान प्राप्त हो सकता है और भाग्य भी आपका साथ देगा। भौतिक विकास का योग अच्छा है। मंगलोत्सवों में शामिल होने का मौका मिलेगा। समाज में शुभ व्यय से आपकी कीर्ति बढ़ेगी।

वृषभ : आज का दिन आपके लिए शुभ है और आज आपका ध्यान नई योजनाओं में लगेगा। भाग्य का साथ प्राप्त होगा और किसी मामले में आज आपको मनचाहे परिणाम मिलने से हर्ष होगा। कानूनी विवाद में सफलता प्राप्त होगी और छात्रों को भी उनकी मेहनत का बेहतर परिणाम मिलेगा। कार्यालय में भी आपके अनुकूल वातावरण बनेगा तथा आपके साथी आपका सहयोग करेंगे।

मिथुन : आपके लिए आज का दिन काफी रचनात्मक है और भाग्य का साथ प्राप्त होगा। किसी क्रिएटिव काम को पूरा करने में आप दिन बिता सकते हैं। जो काम आपको सबसे प्रिय है, आज वही करने को मिलेगा। नई योजनाएं भी दिमाग में आएंगी। अपने से सीनियर का सहयोग पाने में सफलता मिलेगी।

कर्क : आज का दिन काफी सृजनात्मक है, जो भी काम लगन के साथ करेंगे, आज उसमें पूर्ण सफलता मिलेगी। अधूरे काम निपट जाएंगे और महत्वपूर्ण चर्चाएं भी होंगी। आज आपको भाग्य का साथ मिलेगा और पुराने पड़े काम भी पूरे होंगे। आपके साथी भी आपका सहयोग करेंगे। दोस्तों के साथ आप कहीं बाहर जाने का प्लान बना सकते हैं।

सिंह : आपके लिए आज का दिन काफी व्यस्त रहने वाला होगा। पढ़ाई-लिखाई के लिए थोड़ा समय निकाल लेना ही अच्छा होगा। कार्यक्षेत्र में वरिष्ठ अधिकारी आपके कार्यों में रुकावट डालने की कोशिश करेंगे। लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिलेगी और आप अपने कार्य पूर्ण कर लेंगे।

कन्या : आज आपसी वार्ता व्यवहार में संयम और सावधानी बरतें। बेहतर होगा कि आसपास के लोगों से टकराव की नौबत न आए इस बात का ध्यान रखें। किसी शुभ मंगल कार्य की चर्चा हो सकती है और भाग्य भी आपका साथ देगा। भाग्य पर भरोसा रखें और आत्मविश्वास के साथ कार्य करें।

तुला : आज का दिन आपके लिए लाभ देने वाला है। करियर और आर्थिक मामलों में भाग्य आपका साथ देगा। सभी विवाद आज सुलझ सकते हैं, जिससे आपके मन को संतोष प्राप्त होगा। नए प्रॉजेक्ट पर भी काम शुरू हो सकता है। जमीन और जायदाद के मामले में आपको अपनी सूझबूझ और संयम के साथ आगे बढऩा होगा।

वृश्चिक : आज आपकी माली हालत को लें तो आज का दिन काफी मजबूत है। दिनभर लाभ के अवसर प्राप्त होंगे। परिवार में सुख-शांति और स्थिरता प्राप्त होगी। नौकरी और व्यापार में कुछ नवीनता ला सकें तो आगे चलकर लाभ होगा। काम में नई जान आएगी।धनु:आज का दिन सावधानी और सतर्कता बरतने का है। बिजनस के मामले में थोड़ा-सा जोखिम उठाएंगे, तो बड़ा लाभ होने की आशा है। रोजमर्रा के काम से दूर कुछ नए कामों में हाथ आजमाएं। किसी के लिए कुछ पैसों का इंतजाम करना पड़ सकता है। नया मौका आपके आस-पास है।

मकर : आपके लिए आज का दिन भाग्य वाला है। भागीदारी के मामले में व्यापार काफी फायदा पहुंचाएगा। रोजमर्रा के घरेलू कामों को निपटाने का आज सुनहरा मौका है। ईमानदारी और निर्धारित नियमों का ध्यान रखें। कई प्रकार के काम एक साथ हाथ में आने से व्यग्रता बढ़ सकती है और आप फालतू में ही परेशान होंगे।

कुंभ : आज का दिन आपके स्वास्थ्य के प्रति सावधानी बरतने का है। मौसम परिवर्तन से शीतोष्ण विकार उत्पन्न हो सकते हैं। खान-पान में लापरवाही न बरतें। आज आपको नौकरी के मामले में काफी मशक्कत करनी पड़ सकती है। जल्दबाजी में कोई भूल हो सकती है, इसलिए हर काम सोच-समझकर करें तो फायदे में रहेंगे।

मीन : आज का दिन आपको लाभ देने वाला हो सकता है। व्यापार में जोखिम उठाने का परिणाम आज आपको सकारात्मक मिलेगा। अपनी बुद्धि का प्रयोग कर आप वह सब कुछ पा सकते हैं, जिसकी आपको अभी तक कमी रही है। किसी संकटग्रस्त व्यक्ति की सहायता कर सकें तो शुभ रहेगा।

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