गढ़वा, कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग झारखंड, रांची के माननीय मंत्री -सह- प्रभारी मंत्री बादल की अध्यक्षता में बैठक का आयोजन परिसदन भवन गढ़वा में किया गया, जिसमें मुख्य रूप से कृषि, पशुपालन, सहकारिता, आपूर्ति, भूमि संरक्षण आदि विभागों का समीक्षा किया गया। मौके पर उपायुक्त, राजेश कुमार पाठक, पुलिस अधीक्षक, अंजनी कुमार झा, जिला कृषि पदाधिकारी, रामाश्रय राम, जिला सहकारिता पदाधिकारी अमिता कुमारी, नजारत उप समाहर्ता, संजीव कुमार सिंह एवं वन प्रमंडल पदाधिकारी गढ़वा आदि उपस्थित थें। माननीय प्रभारी मंत्री श्री बादल के द्वारा बारी-बारी सभी विभागों के उपस्थित अधिकारियों से उनके विभाग से चल रहे विभिन्न योजनाओं की जानकारी ली गई एवं उसमें सुधार तथा लक्ष्य प्राप्ति हेतु आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए। उन्होंने मौके पर उपस्थित सभी जिला स्तर के पदाधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों से अपेक्षित सहयोग करने की बात कही है। माननीय प्रभारी मंत्री श्री बादल द्वारा 20 सूत्री के उपाध्यक्ष एवं प्रखंड स्तर पर मनोनीत सदस्यों/पदाधिकारियों से समन्वय बनाकर काम करने हेतु जिला स्तर एवं प्रखंड स्तर के सभी पदाधिकारियो को निदेशित करने की बात कही गई। इसके अतिरिक्त मेराल प्रखंड में धान उठाव में अनियमितता पाए जाने की शिकायत पर प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी मनोज प्रसाद गुप्ता के विरुद्ध पाए गए शिकायतों की जांच कर आवश्यक कार्रवाई करने हेतु जिला सहकारिता पदाधिकारी अमिता कुमारी को निदेशित किया गया। साथ ही सभी पैक्सों से धान उठाव करने एवं पैक्सों की संख्या बढ़ाने की दिशा में कार्य करने हेतु कहा गया। सिंचाई योजनाओं की अद्यतन स्थिति के बारे में चर्चा की गई। प्रखंड गढ़वा में लाभुक के साथ हुए मारपीट की घटना पर खेद व्यक्त किया एवं इसकी चर्चा करते हुए माननीय मंत्री द्वारा इसकी आवश्यक जांच कर दोषियों पर कार्यवाही करने की बात कही गई। जल-नल योजना के तहत शहरी क्षेत्रों में जो जलापूर्ति हेतु कार्य किए गए हैं उसके दरम्यान सड़कों को क्षतिग्रस्त कर के ठेकेदारों द्वारा छोड़ दिया गया है, जिसे माननीय प्रभारी मंत्री श्री बादल द्वारा गंभीरता से लिया गया है तथा उसकी मरम्मती करने हेतु आवश्यक दिशा निर्देश दिया गया है। यदि संबंधित ठेकेदारों द्वारा उक्त सड़कों की मरम्मत नहीं की जाती है तो उनके विरुद्ध कार्यवाही करने का निदेश भी दिया गया। माननीय प्रभारी मंत्री श्री बादल द्वारा आगामी 20 सूत्री की बैठक जल्द ही होने की बात कही गई एवं अपेक्षित सफलता पूर्वक लक्ष्य प्राप्ति की कामना करते हुए बैठक को समाप्त किया गया।
बसंत पंचमी को लेकर उपायुक्त ने किया बाबा मंदिर व आसपास के क्षेत्रों का निरीक्षण
*देवतुल्य श्रद्धालुओं की सुविधा व सुरक्षा के पुख्ता होंगे इंतजाम
*सुरक्षित और सुलभ जलार्पण कराना हो प्राथमिकता
देवघर, (By Divya Rajan) बसंत पंचमी के अवसर पर श्रद्धालुओं को हर संभव सुविधा व सुरक्षा-व्यवस्था को लेकर उपायुक्त सह जिला दण्डाधिकारी श्री मंजूनाथ भजंत्री ने बाबा मंदिर व आसपास के क्षेत्रों का निरीक्षण कर की जा रही तैयारियों का जायजा लिया। इस दौरान उपायुक्त ने मंदिर प्रांगण व आसपास के क्षेत्रों में साफ-सफाई के अलावा श्रद्धालुओं की सुविधा हेतु स्पाईरल की व्यवस्था, बैरिकेटिंग, दंडाधिकारियों एवं सुरक्षा कर्मियों की प्रतिनियुक्ति के साथ स्वच्छ शौचालय, पेयजल की दुरूस्थ सुविधा हेतु विभिन्न बिंदुओं का अवलोकन करते हुए संबंधित अधिकारियों को आवश्यक व उचित दिशा निर्देश दिया।
इसके अलावे उपायुक्त श्री मंजूनाथ भजंत्री ने मंदिर प्रांगण का निरीक्षण करते हुए बसंत पंचमी को लेकर श्रद्धालुओं को हर संभव आवश्यक सुविधा के अलावा स्वास्थ्य-व्यवस्था व कोविड नियमों के अनुपालन और मास्क की अनिवार्यता को लागू करने व मंदिर प्रांगण में व्यापक प्रचार प्रसार करने का निदेश दिया। साथ हीं उपायुक्त द्वारा संबंधित अधिकारियों को निदेशित किया कि आने वाले दिनों में बसंत पंचमी, महाशिवरात्री को लेकर देवतुल्य श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा होगा। ऐसे में सुरक्षा व्यवस्था एवं विधि व्यवस्था के अलावा कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए स्वास्थ्य सुरक्षा मानकों के साथ मास्क की अनिवार्यता मंदिर प्रांगण में पूर्ण रूप से लागू हो, ताकि सभी की बेहतरी का ख्याल रखा जा सके। आगे उपायुक्त ने संबंधित वरीय अधिकारियों को निदेशित किया गया कि कोविड नियमों के अनुपालन के साथ बाबा मंदिर में जलार्पण के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा हेतु बसंत पंचमी के दिन क्यू काॅम्प्लेक्स के हाॅलों में स्पाईरल की व्यवस्था, सभी शौचालय की सफाई, पेयजल की दुरूस्थ व्यवस्था के साथ स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने का निर्देश दिया, ताकि आने वाले श्रद्धालु बाबा का जलार्पण के पश्चात एक सुखद अनुभूति प्राप्त कर अपने गंतव्य की ओर प्रास्थान करें।
इस दौरान उपरोक्त के अलावे मुख्य प्रबंधक श्री रमेश परिहस्त प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी, सहायक जनसंपर्क पदाधिकारी रोहित कुमार विद्यार्थी एवं संबंधित पुलिस अधिकारी आदि उपस्थित थे।
नहीं रहे दिग्गज अभिनेता रमेश देव
हिंदी और मराठी फिल्म उद्योग के दिग्गज अभिनेता रमेश देव का बुधवार रात 8.30 बजे कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वो 93 वर्ष के थे। रमेश देव ने 1962 में फिल्म ‘आरती’ से बतौर खलनायक अपना फिल्मी सफर शुरू किया था। साल 1962 में उनकी फिल्म ‘वरदक्षिणा’ आई थी। इस फिल्म की नायिका सीमा देव से उन्होंने प्रेम विवाह किया था। बाद में दोनों कई फिल्मों में एक साथ नज़र आये। रमेश देव ने अपने फिल्मी करियर में 280 से अधिक फिल्मों में काम किया था। जिसमें ‘आनंद’ ‘मेरे अपने’ ‘ड्रीमगर्ल’ ‘आप की कसम’ ‘मिस्टर इंडिया’, ‘प्रेम नगर’, ‘दौलत’, ‘श्रीमान श्रीमती’, ‘प्यार किया है प्यार करेंगे’, ‘यही है जिंदगी’, ‘जोरू का गुलाम’, ‘जमीर’, ‘कोरा कागज’, ‘संजोग’, ‘कसौटी’, ‘खिलौना’, ‘दहशत’, ‘हथकड़ी’, ‘सुनहरा संसार, ‘सलाखें’ और ‘फकीरा’ जैसी कई फिल्में शामिल है।
प्रस्तुति – काली दास पाण्डेय
ग्रामीण महिलाओं के मेट बनने के बाद बदल रहे आर्थिक हालत
*सरकारी योजनाओं ने बदली ग्रामीण महिलाओं की जिंदगी
*हुईं आत्मनिर्भर मिल रहा सम्मान
रांची ( By – Divya Rajan) राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से जुड़कर ग्रामीण महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं। इन योजनाओं से जुड़कर उन्होंने न सिर्फ अपनी आर्थिक हालत सुधारी, बल्कि गांव के लोगों को भी सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाया। इन योजनाओं के तहत राज्य सरकार ग्रामीण महिलाओं को मेट बनाने का भी कार्य कर रही है।ये मेट गांव के लोगों को सरकारी योजनाओं की जानकारी, उन योजनाओं से जोडने की पहल, गांव में मनरेगा के तहत हो रहे कार्यों में संलग्न करते हुए उन्हें पारिश्रमिक का भुगतान समेत अन्य कार्य करतीं हैं, जिसके एवज में राज्य सरकार उन्हें राशि का भुगतान करती है। अब ये मेट अपने आर्थिक स्वावलंबन का मार्ग प्रशस्त करते हुए गांव के लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गई हैं।
मेट बनने के बाद सुधरी अवेदा की आर्थिक हालत
लोहरदगा की 8वीं पास अवेदा खातून ने मेट बनने के बाद अपने अपने परिवार का भरण पोषण बेहतर ढंग से कर रही है। अवेदा कहती है मेट के रूप में उसका काम करने का अनुभव अच्छा रहा है। गरीब ग्रामीणों को कार्य देकर उन्हें समय पर भुगतान करा कर काफी खुशी होती है। अवेदा मेट के रूप में चयन होने से पहले खेती-मजदूरी करके किसी तरह अपने परिवार का भरण-पोषण करती थी। अब मेट बनने के बाद उसका परिवार आर्थिक रूप से अच्छा हो गया है। अवेदा की तरह ही, सिमडेगा के कोलेबिरा की शाहपुर पंचायत की सबिता कुमारी इंटर पास हैं। उन्हें मनरेगा में मेट का काम मिला। मेट में रजिस्टर होते ही सबिता आत्मनिर्भर हो गई। सरकारी पदाधिकारियों और कर्मचारियों से संपर्क होने के कारण उसे कई सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी मिली। इन जानकारियों को उसने ग्रामीणों के साथ बांटा और उन्हें भी सरकारी योजनाओं से जोड़ा।
मेट बुधनी ने बंजर जमीन में उगाई खुशहाली की फसल
बुधनी उरांव लोहरदगा के जोरी ब्लॉक की रहने वाली है। मेट बनने के बाद उसे मनरेगा से सिंचाई कूप दिया गया। जिससे उसने 2021 में सब्जी और आम की बागवानी शुरू की। बंजर जमीन को कृषि योग्य बनाया और किसानों को रोजगार मुहैया कराया। किसानों को कूप के लाभ के बारे में बताया। महिलाओं का समूह तैयार कर उन्हें मनरेगा समेत सरकार की अन्य लाभकारी योजनाओं के बारे में बताया, जिससे दूसरे ग्रामीण भी सब्जियों की खेती कर अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं।
मनरेगा योजना वर्तमान समय में ग्रामीणों के लिए वरदान बन गया है। इस बदलाव के पथ प्रदर्शक बने है मनरेगा के महिला मेट। ये मनरेगा योजना से जुड़कर अपने परिवार का भरण पोषण तो कर ही रही हैं। साथ ही, जीवन को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया है।
स्थानीय विस्थापितों को एक करोड़ रुपये तक का कॉन्ट्रैक्ट मिलने का मार्ग प्रशस्त
रांची, मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन और केंद्रीय कोयला मंत्री के बीच नवंबर 2021 में हुई बैठक का प्रतिफल है कि कोल इंडिया द्वारा अधिग्रहण की गई भूमि से विस्थापित स्थानीय लोगों को अब एक करोड़ रुपये तक का कॉन्ट्रैक्ट मिलेगा। केंद्रीय कोयला मंत्रालय ने इसपर अपनी सहमति दे दी है। इससे विस्थापितों की आर्थिक आजीविका को मजबूत आधार मिल सकेगा।
मुख्यमंत्री ने रखा था सरकार का पक्ष
मुख्यमंत्री ने केंद्रीय कोयला मंत्री से कहा था कि एक करोड़ तक का ठेका स्थानीय लोगों को देने की योजना बने। इसके बाद समिति का गठन हुआ और स्थानीय विस्थापितों को कॉन्ट्रैक्ट देने की सिफारिश हुई है।
इन कार्यों में मिलेगी प्राथमिकता
कोयला परिवहन के तहत विभिन्न क्षेत्रों में कोयले की लोडिंग एवं परिवहन कार्य। सिविल कार्य के तहत अकुशल कार्यबल की व्यवस्था करना। साफ- सफाई, रखरखाव, बागवानी कार्य समेत अन्य कार्य। कोल इंडिया द्वारा स्थानीय लोगों से वाहन किराया पर लेने को भी प्राथमिकता दी जाएगी।
https://twitter.com/JharkhandCMO/status/1488369725197348868?t=wrRWdyBaG6AyYh89XnqqFw&s=09
‘राम सेतु’ की शूटिंग कंप्लीट
अक्षय कुमार के फैंस ‘राम सेतु’ को लेकर काफी एक्साइटेड हैं। साथ ही साथ फिल्मी और राजनीतिक गलियारों में इस फिल्म को लेकर अक्षय कुमार की चर्चा कुछ अलग तरह से होने लगी है और सिनेदर्शकों की जिज्ञासा बढ़ी है कि फिल्म-‘राम सेतु’ में है क्या ? वैसे तो अक्षय कुमार ने पहले ही एलान कर ही दिया है कि ‘राम सेतु’ मूल रूप से पीढ़ियों के अतीत वर्तमान और भविष्य के बीच का सेतु है।
प्रस्तुति – काली दास पाण्डेय
केंद्रीय बजट में सूक्ष्म आर्थिक स्तर पर सभी समेकित कल्याण पर ध्यान देने के साथ बृहद आर्थिक स्तर वृद्धि पर जोर देने की कल्पना की गई
केंद्रीय बजट 2022-23 की मुख्य बातें
New Delhi, केंद्रीय बजट में सूक्ष्म आर्थिक स्तर पर सभी समेकित कल्याण पर ध्यान देने के साथ बृहद आर्थिक स्तर वृद्धि पर जोर देने की कल्पना की गई है। केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में केन्द्रीय बजट 2022-23 पेश किया।
बजट की मुख्य बातें निम्न हैं –
- भारत की आर्थिक वृद्धि दर 9.2 प्रतिशत अनुमानित है, जो सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक है।
- 14 क्षेत्रों में उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना के तहत 60 लाख नए रोजगार का सृजन होगा।
- पीएलआई योजना में 30 लाख करोड़ रुपए के अतिरिक्त उत्पादन बढ़ाने की क्षमता है।
- अगले 25 साल भारत@100 के अमृत काल में प्रवेश करते हुए बजट में 4 प्राथमिकताओं में विकास पर जोर दिया गया हैः
- पीएम गतिशक्ति
- समेकित विकास
- उत्पाद संवर्धन एवं निवेश, सनराइज अवसर, ऊर्जा संक्रमण और जलवायु कार्य
- निवेश को वित्तीय मदद
पीएम गतिशक्तिः
पीएम गतिशक्ति को बढ़ावा देने वाले 7 कारक सड़क, रेल मार्ग, हवाई मार्ग, विमानपत्तन, माल परिवहन, जल मार्ग और लॉजिस्टिक अवसंरचना हैं।
पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान
- पीएम गतिशक्ति मास्टर प्लान के दायरे में आर्थिक बदलाव के सभी 7 कारक, निर्बाध बहुपक्षीय कनेक्टिविटी और लॉजिस्टिक के दायरे में आ जाएंगे।
- राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन में इन 7 कारकों से जुड़ी परियोजनाओं को पीएम गतिशक्ति फ्रेमवर्क से जोड़ दिया जाएगा।
सड़क परिवहन
- राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क में 2022-23 में 25000 किलोमीटर का विस्तार दिया जाएगा।
- राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क में विस्तार के लिए 20000 रुपए जुटाए जाएंगे।
मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक पार्क
- 2022-23 में 4 स्थानों पर मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक पार्क बनाने के लिए पीपीपी प्रारूप के जरिए संविदाएं प्रदान की जाएंगी।
रेल मार्ग
- स्थानीय व्यापार और आपूर्ति श्रृंखलाओं को बढ़ाने के लिए एक स्टेशन एक उत्पाद की संकल्पना।
- 2022-23 में देसी विश्व स्तरीय प्रौद्योगिकी और क्षमता वृद्धि कवच के तहत रेल मार्ग नेटवर्क में 2000 किलोमीटर जोड़ा जाएगा।
- अगले 3 साल के दौरान 400 उत्कृष्ट वंदे भारत रेलगाड़ियों का निर्माण होगा।
- अगले 3 साल के दौरान मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक के लिए 100 पीएम गतिशक्ति कार्गो टर्मिनल विकसित किए जाएंगे।
पर्वतमाला
- राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम, पर्वतमाला को पीपीपी प्रारूप में लाया जाएगा।
- 2022-23 में 60 किलोमीटर लंबी 8 रोपवे परियोजनाओं के लिए संविदाएं प्रदान की जाएंगी।
समेकित विकास
कृषि
- गेहूं और धान की खरीद के लिए 1.63 करोड़ किसानों को 2.37 लाख करोड़ रुपए का सीधा भुगतान।
- देशभर में रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। शुरू में गंगा नदी से सटे 5 किलोमीटर की चौड़ाई तक के गलियारे वाले किसानों की जमीनों पर ध्यान दिया जाएगा।
- नाबार्ड कृषि और ग्रामीण उद्यम से जुड़े स्टार्टप्स को वित्तीय मदद के लिए मिश्रित पूंजी कोष की सुविधा देगा।
- फसलों के आकलन, भूमि रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण, कीटनाशकों एवं पोषक तत्वों के छिड़काव के लिए “किसान ड्रोन।“
- केन बेतवा परियोजना
- केन-बेतवा लिंक परियोजना के क्रियान्वयन के लिए 1400 करोड़ परिव्यय।
- केन-बेतवा लिंक परियोजना से किसानों की 9.08 लाख हेक्टेयर जमीनों को सिंचाई की सुविधा मिलेगी।
एमएसएमई
- उद्यम, ई-श्रम, एनसीएस और असीम पोर्टलों को आपस में जोड़ा जाएगा।
- 130 लाख एमएसएमई को इमरजेंसी क्रेडिट लिंक्ड गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) के तहत अतिरिक्त कर्ज दिया गया।
- ईसीएलजीएस को मार्च 2023 तक बढ़ाया जाएगा।
- ईसीएलजीएस के तहत गारंटी कवर को 50000 करोड़ रुपए बढ़ाकर कुल 5 लाख करोड़ कर दिया जाएगा।
- सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों को सूक्ष्म एवं लघु उद्यम क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट (सीजीटीएमएसई) के तहत 2 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त क्रेडिट दिया जाएगा।
- रेजिंग एंड एसिलेरेटिंग एमएसएमई परफोर्मेंस (आरएएमपी) प्रोग्राम 6000 करोड़ रुपए के परिव्यय से शुरू किया जाएगा।
कौशल विकास
- ऑनलाइन प्रशिक्षण के जरिए नागरिकों की कुशलता बढ़ाने के लिए डिजिटल इकोसिस्टम फॉर स्किलिंग एंड लिवलीहुड (डीईएसएच-स्टैक ई-पोर्टल) लॉन्च किया जाएगा।
- ‘ड्रोन शक्ति’ की सुविधा और सेवा के रूप में ड्रोन (डीआरएएएस) के लिए स्टार्टप्स को बढ़ावा दिया जाएगा।
शिक्षा
- पीएम ई-विद्या के एक कक्षा एक टीवी चैनल कार्यक्रम को 200 टीवी चैनलों पर दिखाया जाएगा।
- महत्वपूर्ण चिंतन कौशल और प्रभावी शिक्षण वातावरण को बढ़ावा देने के लिए वर्चुअल प्रयोगशाला और कौशल ई-प्रयोगशाला की स्थापना।
- डिजिटल शिक्षकों के माध्यम से पढ़ाई के लिए उच्च गुणवत्ता वाली ई-कंटेंट विकसित किया जाएगा।
- व्यक्तिगत तौर पर पढ़ाई करने के लिए विश्व स्तरीय शिक्षा के लिए डिजिटल विश्व विद्यालय की स्थापना की जाएगी।
स्वास्थ्य
- राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य इकोसिस्टम के लिए खुला मंच शुरू किया जाएगा।
- गुणवत्तापूर्ण मानसिक स्वास्थ्य परामर्श और देखरेख सेवाओं के लिए राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम शुरू किया जाएगा।
- 23 टेली मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों का एक नेटवर्क स्थापित किया जाएगा। इसका नोडल सेंटर निम्हांस (एनआईएमएचएएनएस) होगा और अंतर्राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान बेंगलुरू (आईआईआईटीबी) इसे प्रौद्योगिकी सहायता देगा।
सक्षम आंगनबाड़ी
- मिशन शक्ति, मिशन वात्सल्य, सक्षम आंगनबाड़ी और पोषण 2.0 के जरिए महिलाओं और बच्चों को एकीकृत लाभ प्रदान किए जाएंगे।
- दो लाख आंगनवाडि़यों को सक्षम आंगनवाडि़यों में उन्नयन
हर घर, नल से जल
- हर घर, नल से जल के तहत वर्ष 2022-23 में 3.8 करोड़ परिवारों को शामिल करने के लिए 60,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए।
सभी के लिए आवास
- प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत वर्ष 2022-23 में 80 लाख घरों को पूरा करने के लिए 48 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए।
पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए प्रधानमंत्री की विकास पहल
- पूर्वोत्तर में बुनियादी ढांचे एवं सामाजिक विकास परियोजनाओं और वित्त पोषण के लिए नई योजना पीएम-डीईवीआईएनई शुरू की गई।
- इस योजना के तहत युवा और महिलाओं को आजीविका गतिविधियों में समर्थ बनाने के लिए 1500 करोड़ रुपये का शुरूआती आवंटन।
जीवंत ग्राम कार्यक्रम
- उत्तर सीमा पर छिटपुट आबादी, सीमित सम्पर्क और बुनियादी ढांचे वाले सीमावर्ती गांवों के विकास के लिए जीवंत ग्राम कार्यक्रम।
बैंकिंग
- शत-प्रतिशत 1.5 लाख डाकघरों को मुख्य बैंकिंग प्रणाली में शामिल किया जाएगा।
- अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक 75 जिलों में 75 डिजिटल बैंकिंग इकाइयां (डीबीयू) स्थापित करेंगे।
ई-पासपोर्ट
- इम्बेडेड चिप और भावी प्रौद्योगिकी वाले ई-पासपोर्ट शुरू किए जाएंगे।
शहरी नियोजन
- भवन उपनियमों शहरी नियोजन योजना, पारगमन उन्मुखी विकास का आधुनिकीकरण लागू किया गया जाएगा।
- शहरी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए बैट्री अदला-बदला नीति लाई जाएगी।
भूमि रिकॉर्ड प्रबंधन
- भूमि के रिकॉर्ड के आईटी आधारित प्रबंधन के लिए विशिष्ट भूमि पार्सल पहचान संख्या।
त्वरित कॉरपोरेट बहिर्गमन
- कंपनियों को तेजी से बंद करने के लिए सेन्टर फॉर प्रोसेसिंग एक्सिलरेटिड कॉरपोरेट एक्जिट (सी-पीएसी) स्थापित।
एवीजीसी संवर्द्धन कार्य बल
- इस क्षेत्र की संभावना का पता लगाने के लिए एक एनीमेशन, विजुअल प्रभाव, गेमिंग और कॉमिक (एवीजीसी) संवर्द्धन कार्य बल की स्थापना।
दूरसंचार क्षेत्र
- उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना के एक हिस्से के रूप में 5जी के लिए एक मजबूत इको-सिस्टम स्थापित करने के लिए डिजाइन जनहित विनिर्माण के लिए योजना।
निर्यात संवर्द्धन
- उद्यम एवं सेवा केन्द्रों के विकास में भागीदारी बनने के लिए राज्यों को समर्थ बनाने हेतु विशेष आर्थिक जोन अधिनियम को एक नए विधान से प्रतिस्थापित किया जाएगा।
रक्षा में आत्मनिर्भरता
- 2022-23 में घरेलू उद्योग के लिए निर्धारित पूंजीगत खरीदारी बजट का 68 प्रतिशत निर्धारित किया गया, जो 2021 में 58 प्रतिशत के मुकाबले अधिक है।
- 25 प्रतिशत रक्षा अनुसंधान विकास बजट के साथ उद्योग स्टार्टअप्स और शिक्षा के लिए रक्षा अनुसंधान विकास खोला जाएगा।
- जांच और प्रमाणीकरण जरूरतों को पूरा करने के लिए स्वतंत्र नोडल अम्ब्रेला निकाय स्थापित किया जाएगा।
सनराइज अवसर
- आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, भू-स्थानिक प्रणालियों और ड्रोनों, सेमीकंडक्टर और इसके इको-सिस्टम अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था, जीनोमिक्स और फार्मास्युटिकल्स हरित ऊर्जा और स्वच्छ गतिशीलता प्रणालियों जैसे सनराइज अवसरों में अनुसंधान और विकास के लिए सरकारी योगदान उपलब्ध कराया जाएगा।
ऊर्जा पारगमन और जलवायु कार्रवाई
- वर्ष 2030 तक स्थापित सौर विद्युत का 280 गीगावॉट लक्ष्य हासिल करने के लिए उच्च दक्षता के सौर मॉड्यूल्स के निर्माण के लिए उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन के लिए 19,500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आवंटन।
- ताप विद्युत संयंत्रों में 5 से 7 प्रतिशत बायोमास पैलेट्स फॉयर किए जाएंगे।
- वार्षिक रूप से 38 एमएमटी कार्बनडाई ऑक्साइड की बचत।
- किसानों के लिए अतिरिक्त आय और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर।
- खेतों में पराली जलाने से रोकने में मदद मिलेगी।
कोयला गैसीकरण करने तथा उद्योग के लिए कोयले को रसायनों में परिवर्तित करने के लिए चार पायलट परियोजनाओं की स्थापना की जाएगा।
कृषि वानिकी अपनाने वाले अनुसूचित जाति और जनजातियों से संबंधित किसानों को वित्तीय सहायता।
सार्वजनिक पूंजीगत निवेश
- 2022-23 में निजी निवेश और मांग को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक निवेश को जारी रखना।
- वर्ष 2022-23 में पूंजीगत व्यय के लिए परिव्यय 35.4 प्रतिशत तेजी से बढ़कर 7.50 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो मौजूदा वर्ष में 5.54 लाख करोड़ रुपये था।
- वर्ष 2022-23 में परिव्यय सकल घरेलू उत्पाद का 2.9 प्रतिशत रहेगा।
- केन्द्र सरकार का प्रभावी पूंजीगत व्यय 2022-23 में 10.68 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जो जीडीपी का लगभग 4.1 प्रतिशत है।
जीआईएफटी-आईएफएससी
- जीआईएफटी शहर में विश्वस्तरीय विदेशी विश्वविद्यालयों और संस्थानों को अनुमति दी जाएगी।
- अंतर्राष्ट्रीय अधिकांश क्षेत्र के तहत विवादों के समय पर निपटान के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केन्द्र की स्थापना की जाएगी।
संसाधनों को जुटाना
- डेटा केन्द्रों और ऊर्जा भंडार प्रणालियों को बुनियादी ढांचे का दर्जा दिया जाएगा।
- उद्यम पूंजी और निजी इक्विटी ने पिछले साल 5.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया और एक सबसे बड़े स्टार्टअप और विकास इको-सिस्टम में सुविधा प्रदान की। इस निवेश को बढ़ाने के लिए उपाय किये जा रहे हैं।
- सनराइज क्षेत्रों के लिए बलेंडिंड निधियों को बढ़ावा दिया जाएगा।
- हरित बुनियादी ढांचे के लिए संसाधन जुटाने के लिए सॉवरिन ग्रीन बॉण्ड जारी किए जाएंगे1
डिजिटल रूपया
- भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा डिजिटल रूपए की शुरूआत 2022-23 में की।
राज्यों को वृहद राजकोषीय स्पेस उपलब्ध कराना
- पूंजीगत निवेश के लिए राज्यों को वित्तीय सहायता की योजना के लिए अधिक परिव्यय :
- यह परिव्यय बजट अनुमानों में 10 हजार करोड़ रुपये था, जो वर्तमान वर्ष के लिए संशोधित अनुमानों में 15 हजार करोड़ रुपये कर दिया गया।
अर्थव्यवस्था में समग्र प्रोत्साहन के लिए राज्यों को सहायता के लिए वर्ष 2022-23 में एक लाख करोड़ रुपये का आवंटन, 50 वर्षीय ब्याज मुक्त ऋण प्रदान करना, जो सामान्य ऋण के अतिरिक्त है।
2022-23 में राज्यों को जीएसडीपी के 4 प्रतिशत का वित्तीय घाटे की अनुमति होगी, जिसका 0.5 प्रतिशत विद्युत क्षेत्र सुधारों में उपयोग किया जाएगा।
राजकोषीय प्रबंधन
बजट अनुमान 2021-22 : 34.83 लाख करोड़ रुपये
संशोधित अनुमान 2021-22 : 37.70 लाख करोड़ रुपये
वर्ष 2022-23 में कुल अनुमानित व्यय : 39.45 लाख करोड़ रुपये
वर्ष 2022-23 में उधारी के अलावा कुल प्राप्तियां : 22.84 लाख करोड़ रुपये
चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 6.9 प्रतिशत (बजट अनुमानों में 6.8 प्रतिशत की तुलना में)
वर्ष 2022-23 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 6.4 प्रतिशत अनुमानित।
प्रत्यक्ष कर
स्थिर एवं संभावित कर व्यवस्था संबंधी नीति को आगे बढ़ाया जाएगा :
- विश्वसनीय कर व्यवस्था स्थापित करने का दृष्टिकोण।
- कर प्रणाली को सरल बनाना और मुकदमेबाजी को कम करना।
नई ‘अद्यतनीकृत विवरणी’ का चलन शुरू करना
- अतिरिक्त कर की अदायगी करके अद्यतन विवरणी दाखिल करने के लिए नया प्रावधान।
- करदाता को आय के आकलन में की गई गलतियों को सुधार कर अद्यतन विवरणी दाखिल करने का अवसर मिलेगा।
- अद्यतन विवरणी संबंधित आकलन वर्ष के अंत से दो वर्षों के भीतर दाखिल की जा सकती है।
सहकारी समितियां
- सहकारी समितियों के लिए वैकल्पिक न्यूनतम कर भुगतान को 18.5 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत किया गया।
- सहकारी समितियों और कंपनियों के लिए समान अवसर उपलब्ध होंगे।
- उन सहकारी समितियों के लिए अधिभार की मौजूदा दर को 12 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत किया गया, जिनकी कुल आमदनी एक करोड़ रुपये से अधिक और 10 करोड़ रुपये तक है।
दिव्यांगजनों को कर राहत
- दिव्यांग आश्रितों को उनके माता-पिता/अभिभावकों के जीवनकाल के दौरान यानी माता-पिता/अभिभावकों के साठ वर्ष की आयु प्राप्त करने पर भी बीमा योजनाओं से वार्षिकी और एकमुश्त राशि की अदायगी की अनुमति।
राष्ट्रीय पेंशन योजना के योगदान में समानता
- राज्य सरकार के कर्मचारियों के एनपीएस खाते में नियोक्ता के योगदान पर कर कटौती की सीमा को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 14 प्रतिशत करने का प्रस्ताव।
- इससे राज्य सरकार के कर्मचारियों को केन्द्रीय कर्मचारियों के समान सुविधा प्रदान करने में मदद मिलेगी।
- राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए सामाजिक सुरक्षा लाभ को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
स्टार्टअप के लिए प्रोत्साहन
- कर प्रोत्साहन उपलब्ध कराने के लिए पात्र स्टार्टअप के निगमन की अवधि को एक साल बढ़ाकर 31.03.2023 तक करने का प्रस्ताव।
- पहले निगमन की अवधि 31.03.2022 तक वैध।
रियायती कर व्यवस्था के अंतर्गत प्रोत्साहन
- धारा 115बीएबी के तहत विनिर्माण एवं उत्पादन शुरू करने की अंतिम तिथि को एक साल के लिए यानी 31 मार्च, 2023 से बढ़ाकर 31 मार्च, 2024 कर दिया गया है।
वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्तियों के कराधान के लिए योजना
- वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्तियों के लिए विशेष कर प्रणाली लागू की गई।
- किसी भी वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्ति के हस्तांतरण से होने वाली आय पर कर दी दर 30 प्रतिशत होगी।
- इस प्रकार की आय की गणना करते समय अधिग्रहण लागत को छोड़कर को किसी भी खर्च अथवा भत्ते के लिए कटौती नहीं होगी।
- वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्ति के हस्तांतरण से हुए नुकसान की भरपाई किसी अन्य आय से नहीं की जा सकती।
- लेन-देन के विवरण के लिए वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्ति के हस्तांतरण के संबंध में किए गए भुगतान पर एक निश्चित मौद्रिक सीमा से ऊपर की रकम के लिए 1 प्रतिशत की दर से टीडीएस देय होगा।
- वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्ति के उपहार पर भी प्राप्तकर्ता के यहाँ कर देय होगा।
मुकदमा प्रबंधन
- यदि किसी मामले में कानून उसी तरह का हो जिससे संबंधित कोई मामला उच्च न्यायालय अथवा सर्वोच्च न्यायालय में लंबित हो तो विभाग द्वारा अपील दायर करने की प्रक्रिया को अदालय द्वारा उस कानून के संबंध में फैसला दिये जाने तक टाल दिया जाए।
- करदाताओं और विभाग के बीच दोहरायी जाने वाली मुकदमेबाजी को कम करने में इससे काफी मदद मिलेगी।
आईएफएससी को कर प्रोत्साहन
- निम्नलिखित को निर्धारित शर्तों के साथ कर से छूट प्रदान की गई :
- विदेशी डेरीवेटिव प्रपत्रों से किसी प्रवासी को कोई आमदनी।
- किसी विदेशी बैंकिंग इकाई द्वारा जारी काउंटर डेरीवेटिव्स से होने वाली आय।
- जहाज के पट्टे से मिली रायलटी एवं ब्याज आय।
- आईएफएससी में पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाओं से प्राप्त आय।
अधिभार का यौक्तिकीकरण
- एओपी (अनुबंध के निष्पादन के लिए गठित कंसोर्टियम) पर अधिभार की उच्चतम सीमा 15 प्रतिशत निर्धारित की गई है।
- व्यक्तिगत कंपनियों और एओपी के बीच अधिभार में अंतर को कम किया गया है।
- किसी भी प्रकार की परिसंपत्ति के हस्तांतरण से होने वाले दीर्घावधि पूंजीगत लाभ पर अधिभार की अधिकतम सीमा 15 प्रतिशत होगी।
- इससे स्टार्ट-अप समुदाय को नुकसान मिलेगा।
स्वास्थ्य एवं शिक्षा उपकर
- आय और मुनाफे पर किसी भी अधिभार अथवा उपकर को कारोबारी खर्च की श्रेणी में रखने की अनुमति नहीं होगी।
कर-वंचन की रोकथाम
- तलाशी एवं सर्वेक्षण कार्रवाइयों के दौरान पता लगे और प्रकट आए के संबंध में किसी भी प्रकार की हानि के प्रति समंजन की अनुमति नहीं दी जाएगी।
टीडीएस प्रावधानों को युक्तिसंगत बनाना
- कारोबार को बढ़ावा देने की रणनीति के तहत हित लाभ एजेंटों के हाथों में कर योग्य होते है, इसलिए लाभ एजेंटों तक अग्रसारित किया जाएगा।
- हित लाभ देने वाले व्यक्ति द्वारा कर कटौती के लिए उपबंध करने का प्रस्ताव होगा, बशर्ते वित्त वर्ष के दौरान ऐसे हितलाभों का कुल मूल्य 20,000 रुपये से अधिक न हो।
अप्रत्यक्ष कर
जीएसटी में असाधारण प्रगति
- वैश्विक महामारी के बावजूद जीएसटी राजस्व में उछाल है। इस बढ़ोतरी के लिए करदाता सराहना के पात्र है।
विशेष आर्थिक क्षेत्र
- एसईजेड का सीमा शुल्क प्रशासन पूरी तरह आईटी से संचालित होगा और कस्टम्स नेशनल पोर्टल पर कार्य करेगा, जिसे 30 सितंबर, 2022 से क्रियान्वित किया जाएगा।
सीमा शुल्क सुधार एवं शुल्क दर में बदलाव
- फेसलेस सीमा शुल्क पूरी तरह स्थापित कर दिया गया है। कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान सीमा शुल्क संगठनों ने चपलता और संकल्प प्रदर्शित करते हुए सभी मुश्किलों के प्रति असाधारण फ्रंट लाइन कार्य किया है।
परियोजनागत आयात एवं पूंजीगत वस्तुएं
- पूंजीगत वस्तुओं और परियोजनागत आयातों में रियायती दरों को क्रमिक रूप से हटाने और 7.5 प्रतिशत असाधारण शुल्क लगाने का प्रस्ताव। इससे घरेलू क्षेत्र और ‘मेक इन इंडिया’ के विकास को बढ़ावा मिलेगा।
- उन उन्नत मशीनरियों के लिए कतिपय छूट बनी रहेंगी, जिनका देश के भीतर विनिर्माण नहीं किया जाता है।
- विशेषीकृत कॉस्टिंग्स, बॉल स्क्रू और लीनियर मोशन गाइड पर कुछेक छूट देने का चलन शुरू किया जा रहा है ताकि पूंजीगत वस्तुओं के घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित किया जा सके।
सीमा शुल्क छूट एवं शुल्क सरलीकरण की समीक्षा
- 350 से अधिक प्रस्तावित छूट प्रविष्टियों को धीरे-धीरे हटाए जाने का प्रस्ताव है। इनमें कई कृषि उत्पाद, रसायन, वस्त्र, चिकित्सा उपकरण और दवाएं शामिल हैं जिनके लिए पर्याप्त घरेलू क्षमता मौजूद है।
विशेषकर रसायन, कपड़ा और धातु जैसे क्षेत्रों के लिए सीमा शुल्क दर एवं शुल्क दर संरचना सरल हो जाएंगी और विवाद कम हो जाएगा। जो वस्तुएं भारत में विनिर्मित की जाती है या की जा सकती है उनके लिए छूट हटाने से और अर्धनिर्मित उत्पादों के विनिर्माण में प्रयुक्त होने वाले कच्चे माल पर रियायती शुल्क लगाने से ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के हमारे लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी।
क्षेत्र विशेष प्रस्ताव
इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र
- देश में पहनने वाले उपकरणों, सुने जा सकने वाले उपकरणों और इलेक्ट्रॉनिक्स स्मार्ट मीटरों के निर्माण को सुविधाजनक बनाने हेतु श्रेणीबद्ध दरें तय करने के लिए सीमा शुल्क दरों में संशोधन किया जाएगा।
- देश में ज्यादा वृद्धि दर वाले इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं का निर्माण करने के लिए मोबाइल फोन के चार्जर के ट्रांसफॉर्मर के कलपुर्जों और मोबाइल कैमरा मॉड्यूल के कैमरा लेंस और कुछ अन्य वस्तुओं पर शुल्क में छूट दी जाएगी।
रत्न एवं आभूषण
- रत्न व आभूषण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए तराशे एवं पॉलिश किए गए हीरों और रत्न पत्थरों पर सीमा शुल्क घटाकर 5 प्रतिशत किया जा रहा है; केवल तराशे गए हीरे पर कुछ भी सीमा शुल्क नहीं लगेगा।
- ई-कॉमर्स के जरिए आभषूण निर्यात को सुविधाजनक बनाने के लिए एक सरल नियामकीय रूपरेखा इस वर्ष जून तक लागू की जाएगी।
- कम मूल्य वाले इमिटेशन आभूषण का आयात हतोत्साहित करने के लिए इमिटेशन आभूषण के आयात पर प्रति किलो कम-से-कम 400 रुपये का सीमा शुल्क लगाया जाएगा।
रसायन
- कुछ महत्वपूर्ण रसायनों यथा मेथानॉल, एसिटिक एसिड और पेट्रोलियम शोधन से जुड़े हेवी फीड स्टॉक पर सीमा शुल्क घटाया जा रहा है; देश में पर्याप्त क्षमता वाले सोडियम साइनाइड पर सीमा शुल्क बढ़ाया जा रहा है- इससे देश में मूल्यवर्धन करने में मदद मिलेगी।
एमएसएमई
- छतरी पर सीमा शुल्क बढ़ाकर 20 प्रतिशत किया जा रहा है। छतरी के कलपुर्जों पर दी जा रही शुल्क छूट को वापस लिया जा रहा है।
- भारत में निर्मित किए जाने वाले कृषि क्षेत्र से जुड़े कलपुर्जों पर दी जा रही शुल्क छूट को तर्कसंगत बनाया जा रहा है।
- पिछले साल स्टील स्क्रैप पर दी गई सीमा शुल्क छूट अब एक साल और दी जाएगी, ताकि एमएसएमई से जुड़े द्वितीयक इस्पात उत्पादकों को राहत मिल सके।
- स्टेनलेस स्टील एवं इस्पात के कोटेड चौरस उत्पादों, एलॉय स्टील एवं हाई-स्पीड स्टील की छड़ों पर कुछ एंटी-डंपिंग शुल्क एवं सीवीडी को वापस लिया जा रहा है, ताकि जन हित में इस धातु की मौजूदा ऊंची कीमतों से निपटा जा सके।
निर्यात
- निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कुछ वस्तुओं जैसे कि फास्टनर्स, बटन, जिपर, लाइनिंग मैटेरियल, विशेष चमड़ा, फर्नीचर फिटिंग्स एवं पैकेजिंग बॉक्स पर छूट दी जा रही हैं।
- झींगा जलीय कृषि के लिए आवश्यक कुछ कच्चे माल पर शुल्क घटाया जा रहा है, ताकि इसके निर्यात को बढ़ावा दिया जा सके।
ईंधन के मिश्रण को बढ़ावा देने के लिए शुल्क संबंधी उपाय
गैर-मिश्रित ईंधन पर 1 अक्टूबर, 2022 से प्रति लीटर 2 रुपये का अतिरिक्त विभेदक उत्पाद शुल्क लगेगा, ताकि ईंधन के मिश्रण को बढ़ावा दिया जा सके।
टला नहीं संकट
यह अच्छी बात है कि कई राज्यों में कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की तीव्रता कम होने के बाद कई तरह के प्रतिबंधों में ढील दी गई है। कुछ राज्यों में स्कूल खोलने की तैयारी की जा रही है। कोरोना संकट से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य महाराष्ट्र में राजनीतिक विरोध के बावजूद स्कूल खोल दिये गये हैं। हालांकि, दिल्ली में सम-विषम के आधार पर दुकानों की बंदी और सप्ताहांत का कर्फ्यू हटाने के साथ कुछ अन्य छूट दी गई हैं लेकिन स्कूलों को खोलने पर अभी अंतिम फैसला नहीं लिया गया। दिल्ली सरकार का मानना है कि किशोरों का टीकाकरण हो जाने के बाद स्कूल खोलने का उचित माहौल बन पायेगा। यह अच्छी बात है कि कुछ राज्यों में कोरोना के मामलों में गिरावट के बाद प्रतिबंधों का दायरा सीमित करने का प्रयास किया जा रहा है। इसी क्रम में स्कूलों को खोलने की प्रक्रिया आरंभ हुई है। दरअसल, विशेषज्ञों का मानना है कि लंबे समय तक कोरोना संकट के चलते स्कूल बंद होने का बच्चों के मानसिक विकास पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। वहीं कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि बच्चों में प्राकृतिक तौर पर रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है। लेकिन बच्चों से अधिक भावनात्मक लगाव के कारण अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने से कतराते हैं। तभी सरकारों ने तय किया है कि विद्यार्थी अभिभावकों की सहमति से स्कूल जा सकेंगे। स्कूलों को भी कोरोना से बचाव के उपायों पर सख्ती बरतने को कहा गया है। कोरोना संक्रमण रोकने को लगी बंदिशों का दायरा घटाने की खबरें ऐसे समय में आ रही हैं जब इंडियन सार्स-कोव-2 जीनोम कंसोर्शियम के अनुसार, कोविड-19 भारत में कम्युनिटी ट्रांसमिशन की स्थिति में पहुंच गया है, जिससे अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ी है। इसके बावजूद ओमीक्रोन के ज्यादा मामले हल्के-बिना लक्षण वाले हैं, जिसमें यह पता लगाना कठिन होता है कि व्यक्ति किसके संपर्क में आने से संक्रमित हुआ।
बहरहाल, ऐसी स्थिति में समाज के बीच मौजूद वायरस के संक्रमण की चेन तोडऩा कठिन होता है। यह तेजी से प्रसार करता है। तभी स्वास्थ्य मंत्रालय टेस्टिंग-टीकाकरण के साथ ही टेली कंसल्टेशन पर जोर दे रहा है, ताकि अस्पतालों में ज्यादा भीड़ संक्रमण की वाहक न बने। इसके बावजूद कई राज्यों में बंदिशों में ढील देकर जान के साथ जहान बचाने की प्रक्रिया शुरू हुई है। दरअसल, पहली कोरोना लहर में सख्त बंदिशों के चलते अर्थव्यवस्था ने तेजी से गोता लगाया और करोड़ों लोग बेरोजगारी की कगार पर जा पहुंचे थे। अब संकट के बीच जीवन जीने को न्यू नॉर्मल बनाने की कोशिश हो रही है। हरियाणा में भी दसवीं से बारहवीं तक के स्कूल एक फरवरी से खोले जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश में ठंड व कोरोना प्रकोप के चलते स्कूलों को 31 जनवरी के बाद भी 15 फरवरी तक के लिये बंद कर दिया गया है। वहीं उत्तराखंड में नौवीं तक के स्कूल जनवरी के अंत तक बंद रहेंगे। झारखंड में फरवरी से स्कूल खोले जायेंगे। इसके बावजूद सामुदायिक संक्रमण की खबरें चिंता बढ़ाने वाली हैं। इसके शहरों के बाद ग्रामीण इलाकों में पांव पसारने की आशंका बनी हुई है। लेकिन राहत की बात यह है कि जनवरी के तीसरे सप्ताह में संक्रमण की आर वैल्यू में गिरावट आई है जो अभी डेढ़ के करीब है और उसके एक से कम होने पर महामारी के खत्म होने का संकेत माना जायेगा। वहीं आईआईटी मद्रास के प्रारंभिक विश्लेषण के अनुसार, अगले पखवाड़े में महामारी की तीसरी लहर अपने पीक पर पहुंच सकती है। वहीं इसी बीच केंद्र सरकार ने कोविशील्ड और कोवैक्सीन को कुछ शर्तों के साथ बाजार में बेचने की अनुमति दे दी है। ये टीके अस्पताल व क्लीनिक में उपलब्ध रहेंगे और 18 वर्ष या उससे अधिक का व्यक्ति कोविन पोर्टल पर जानकारी देकर व पंजीयन करवाकर टीके खरीद सकता है। इसके बावजूद जब देश में संक्रमितों का आंकड़ा प्रतिदिन ढाई लाख से अधिक है और चार सौ जिलों में संक्रमण की दर दस फीसदी से अधिक है तो हर स्तर पर सावधानी जरूरी है। यही वजह है कि केंद्र ने कोरोना प्रतिबंधों को 28 फरवरी तक बढ़ाया है।
बेवजह का गुस्सा बिगाड़ सकता है काम, इन प्राणायामों के अभ्यास से खुद को रखें शांत
अगर आप अपने गुस्से को नियंत्रित नहीं कर पाते हैं और अपने आस-पास की वस्तुओं को तोडऩे या चिल्लाने लगते हैं, तो इससे आप खुद को ही मानसिक और शारीरिक तौर पर नुकसान पहुंचाते हैं। इतना ही नहीं, गुस्सा आपके काम और निजी संबंधों में तनाव पैदा करता है। आइए आज हम आपको कुछ ऐसे प्राणायामों के अभ्यास का तरीका बताते हैं, जो गुस्से को नियंत्रित करने के साथ आपको शांत रखने में मदद कर सकते हैं।
नाड़ी शोधन प्राणायाम
नाड़ी शोधन प्राणायाम के लिए सबसे पहले योगा मैट पर सुखासन की मुद्रा में बैठें, फिर दाएं हाथ की पहली दो उंगलियों को माथे के बीचों-बीच रखें। अब अंगूठे से नाक के दाएं छिद्र को बंद करके नाक के बाएं छिद्र से सांस लें, फिर अनामिका उंगली से नाक के बाएं छिद्र को बंद करके दाएं छिद्र से सांस छोड़ें। इस दौरान अपनी दोनों आंखें बंद करके अपनी सांस पर ध्यान दें। कुछ देर बाद प्राणायाम छोड़ दें।
कपालभाति प्राणायाम
कपालभाति प्राणायाम के अभ्यास के लिए पहले योगा मैट पर पद्मासन की मुद्रा में बैठें और अपने दोनों हाथों को घुटनों पर ज्ञान मुद्रा में रखें। इसके बाद अपनी दोनों आंखों को बंद करें और अपने पूरे शरीर को ढीला छोड़कर नाक से गहरी सांस लें, फिर पेट की मांसपेशियों को सिकोड़ते हुए इस सांस को छोड़ें। कुछ मिनट तक इस प्रक्रिया को दोहराते रहें। इसके बाद धीरे-धीरे अपनी आंखों को खोलें और प्राणायाम का अभ्यास बंद कर दें।
अनुलोम विलोम प्राणायाम
अनुलोम विलोम प्राणायाम के लिए पहले योगा मैट पर पद्मासन की मुद्रा में बैठें और अपनी दोनों आंखों को बंद कर लें। अब अपने दाएं हाथ के अंगूठे से नाक के दाएं छिद्र को बंद करके नाक के बाएं छिद्र से सांस लें, फिर अपने दाएं हाथ की अनामिका उंगली से नाक के बाएं छिद्र को बंद करके दाएं छिद्र से सांस छोड़ें। कुछ मिनट इस प्रक्रिया दोहराने के बाद धीरे-धीरे अपनी आंखें खोलें और प्राणायाम का अभ्यास छोड़ दें।
उद्गीथ प्राणायाम
सबसे पहले योगा मैट पर पद्मासन या सुखासन की मुद्रा में बैठें और अपने दोनों हाथों को घुटनों पर ज्ञान मुद्रा में रख लें। अब दोनों आंखों को बंद करके गहरी सांस लें और इसे धीरे-धीरे छोड़ते हुए ओम का जाप करें। ध्यान रखें की जब आप यह उच्चारण कर रहे हों, तब आपका ध्यान आपकी सांसों पर केंद्रित हो। शुरूआत में इस प्राणायाम का अभ्यास 5-10 मिनट तक करें और फिर धीरे-धीरे समय बढ़ाएं। (एजेंसी)
श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा के साथ सुरक्षित जलार्पण कराना जिला प्रशासन की प्राथमिकता – उपायुक्त
*बसंत पंचमी को लेकर उपायुक्त व पुलिस अधीक्षक ने किया रुटलाइन
क्यू कॉम्प्लेक्स, बाबा मंदिर प्रांगण व आसपास के क्षेत्रों का निरीक्षण
*मास्क व साफ-सफाई का अनुपालन को हर हाल में करें लागू
*सेवा भाव व आपसी समन्वय के साथ कार्यों को तय समय के अनुरूप कर लें पूर्ण
*शीघ्र दर्शनम सुविधा को व्यवस्थित और कतारबद्ध करने का दिया निर्देश
*उपायुक्त ने बीएड कॉलेज परिसर में होल्डिंग पॉइंट और रुटलाइन को अतिक्रमण मुक्त करने का निर्देश
Deoghar (Divya Rajan)
उपायुक्त-सह-जिला दण्डाधिकारी श्री मंजूनाथ भजंत्री व पुलिस अधीक्षक श्री धनंजय कुमार सिंह द्वारा पैदल भर्मण कर आगामी बसंत पंचमी के अवसर पर श्रद्धालुओं को हर संभव सुविधा, सुरक्षा एवं स्वास्थ्य-व्यवस्था को लेकर रुटलाइन, बाबा मंदिर प्रांगण व आसपास के क्षेत्रों का निरीक्षण कर की जाने वाली तैयारियों का जायजा लिया गया। इस दौरान उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी व पुलिस अधीक्षक द्वारा सरकार भवन मोड़, बीएड कॉलेज, तिवारी चैक, नेहरू पार्क, क्यू कॉम्प्लेक्स, फुट ओवरब्रिज, बाबा मंदिर प्रांगण व आसपास के क्षेत्रों का निरीक्षण कर विधि-व्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था को लेकर संबंधित विभाग के अधिकारियों को आवश्यक व उचित दिशानिर्देश दिया गया।
इसके अलावे रूटलाइन निरीक्षण के क्रम में उपायुक्त श्री मंजुनाथ भजंत्री द्वारा बीएड कॉलेज परिसर में श्रद्धालुओं की सुविधा हेतु होल्डिंग पॉइंट बनाने के अलावा रुटलाइन में अतिक्रमण, साफ-सफाई, सड़क किनारे नालों की सफाई व स्लैब की आवश्यकताओं को दुरुस्त करने का निर्देश नगर निगम के अधिकारियों को दिया। साथ ही बाबा मंदिर में जलार्पण के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा हेतु क्यू काॅम्प्लेक्स के हाॅलों में स्पाईरल की व्यवस्था, सभी शौचालय की सफाई, शुद्ध पेयजल की व्यापक व्यवस्था के साथ स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने का निर्देश नगर निगम के वरीय अधिकारियों को दिया, ताकि आने वाले श्रद्धालु बाबा का जलार्पण के पश्चात एक सुखद अनुभूति प्राप्त कर अपने गंतव्य की ओर प्रास्थान करें। साथ ही उपायुक्त ने रुटलाइन, क्यू कॉम्प्लेक्स, मानसिंघी फुट ओवर ब्रिज, मंदिर प्रांगण का निरीक्षण कर विद्युत एवं जलापूर्ति संबंधी कार्यों का अवलोकन कर उसे समेकित ढंग से सम्पादित कराते हुए इधर-उधर दिख रहे बिजली के तारों को सुव्यवस्थित कराने का निर्देश कार्यपालक अभियन्ता विद्युत को दिया गया।
*मनसिंघी तालाब व आसपास के क्षेत्रों में साफ-सफाई को रखें दुरुस्त
निरीक्षण के क्रम में उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी श्री मंजुनाथ भजंत्री ने मनसिंघी तालाब व आसपास के क्षेत्रों की सफाई और मनसिंघी तालाब को स्वच्छ रखने के संबंध में नगर निगम के अधिकारियों को निर्देशित किया कि शहर के साथ-साथ मंदिर के आसपास के क्षेत्रों में स्वच्छता पर विशेष रूप से ध्यान रखें। इसके अलावे बाबा मंदिर में साफ-सफाई, सुरक्षा-व्यवस्था, सुलभ जलार्पण, शीघ्र दर्शनम व्यवस्था को लेकर दण्डाधिकारियों व पुलिस प्रतिनियुक्ति के साथ मंदिर प्रांगण व आस-पास लगे सीसीटीवी कैमरे की उपलब्धता एवं अन्य सुरक्षा मानकों को लेकर संबंधित अधिकारियों को आवश्यक व उचित दिशा निर्देश दिया गया।
इसके अलावे निरीक्षण के क्रम में उपायुक्त श्री मंजूनाथ भजंत्री संबंधित अधिकारियों को निदेशित किया कि आने वाले दिनों में बसंत पंचमी, महाशिवरात्री को लेकर देवतुल्य श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा होगा। ऐसे में कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए स्वास्थ्य सुरक्षा मानकों के साथ मास्क की अनिवार्यता मंदिर प्रांगण में पूर्ण रूप से लागू हो, ताकि सभी की बेहतरी का ख्याल रखा जा सके। साथ हीं उपायुक्त ने शीघ्र दर्शन कूपन काउंटर की व्यवस्था व मंदिर प्रांगण में श्रद्धालुओं की सुविधाओं को दिन प्रतिदिन और भी बेहतर करने का निर्देश दिया गया। साथ ही उपायुक्त ने शीघ्र दर्शनम सुविधा हेतु व्यवस्थित कतार को लेकर संबंधित अधिकारियों को आवश्यक व उचित दिशा निर्देश दिया।
*श्रद्धालुओं को न हो पेयजल व शौचालय से जुड़ी समस्या
इस दौरान विभिन्न बिन्दुओं पर चर्चा करते हुए उपायुक्त ने संबंधित अधिकारियों को निदेशित किया कि क्यू काॅम्प्लैक्स, रूट लाईन, बीएड काॅलेज क्षेत्र में पेयजल व साफ-सफाई की समुचित व्यवस्था के साथ-साथ शौचालय में हाथ धोने हेतु साबुन की समुचित व्यवस्था करने का निदेश दिया। इसके अलावे निरीक्षण के क्रम में पुलिस अधीक्षक श्री धनंजय कुमार सिंह ने सुरक्षा व्यवस्था को लेकर संबंधित पुलिस पदाधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिया। साथ ही आवश्यक सुरक्षा बिंदुओं की वस्तुस्थिति का जायजा लेते हुए उन्होंने अतिरिक्त पुलिस बल की प्रतिनियुक्ति को लेकर विभाग को पत्राचार करने का निर्देश दिया।
इस दौरान उपरोक्त के अलावे नगर आयुक्त श्री शैलेंद्र कुमार लाल, बाबा मंदिर प्रभारी सह अनुमंडल पदाधिकारी श्री दिनेश यादव, प्रशिक्षु आईएएस श्री अनिकेत सच्चान, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी श्री रवि कुमार, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी श्री पवन कुमार, एनडीसी श्री परमेश्वर मुंडा, गोपनीय प्रभारी श्री विवेक मेहता, संबंधित विभाग के कार्यपालक अभियंता, सहायक जनसंपर्क पदाधिकारी रोहित कुमार विद्यार्थी, सहायक नाजिर समीर चैबे एवं संबंधित विभाग के अधिकारी व कर्मी आदि उपस्थित थे।
चेहरों पर सिमटती पंजाब की चुनावी जंग
राजकुमार सिंह –
पंजाब में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान अभी दूर है, लेकिन मुफ्त-रेवडिय़ों की राजनीति से शुरू हुई चुनावी जंग तेजी से चेहरों तक सिमटती दिख रही है। प्रकाश सिंह बादल परिवार के वर्चस्व वाले शिरोमणि अकाली दल और उसके गठबंधन के चेहरे को लेकर कभी संदेह नहीं रहा। पिछले विधानसभा चुनाव तक बिना घोषणा के भी यह सभी को पता रहता था कि बहुमत मिलने पर मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ही होंगे। 94 वर्ष की उम्र में प्रकाश सिंह बादल इस बार भी लंबी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव तो लड़ रहे हैं, लेकिन पिछले मुख्यमंत्रित्वकाल में ही शिरोमणि अकाली दल की कमान अपने बेटे सुखबीर सिंह बादल को सौंप चुकने के बाद इस बार सत्ता की बागडोर भी उन्हें सौंप उत्तराधिकार की राजनीतिक प्रक्रिया पूरी कर देना चाहते हैं। तीन दर्जन से भी ज्यादा सीटों पर असरदार भूमिका वाले हिंदू मतों के समर्थन के लिए भाजपा से गठबंधन की जरूरत प्रकाश सिंह बादल को भी पड़ती थी। फिर सुखबीर बादल को तो पंजाब की राजनीति में अपनी व्यापक स्वीकार्यता अभी साबित करना शेष है। इसीलिए भाजपा से अलगाव के बाद शिरोमणि अकाली दल, 25 साल लंबे अंतराल के बाद फिर बसपा से गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरा है।
यह पहेली व्यापक राजनीतिक-सामाजिक चिंतन-मनन की मांग करती है कि उत्तर भारत में दलितों की राजनीतिक अस्मिता की पहचान बन कर उभरी बसपा, देश में सर्वाधिक दलित आबादी (लगभग 32 प्रतिशत) पंजाब में होने के बावजूद, यहां अपनी बड़ी लकीर क्यों नहीं खींच पायी—जबकि उसके संस्थापक कांशीराम मूलत – यहीं के निवासी थे? बहरहाल अकाली-बसपा गठबंधन ने ऐलान किया है कि बहुमत मिलने पर मुख्यमंत्री तो सुखबीर बादल ही होंगे, लेकिन दलित और हिंदू समुदाय से एक-एक उपमुख्यमंत्री बनाया जायेगा। अब जबकि उतावले नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के बाद कांग्रेस आलाकमान ने कैप्टन अमरेंद्र सिंह को अपमानजनक ढंग से हटाते हुए दलित समुदाय से आने वाले चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री ही बना दिया है, यह देखना दिलचस्प होगा कि अकाली-बसपा गठबंधन का दलित उपमुख्यमंत्री का दांव चुनाव में कितना प्रभावी होगा। चन्नी के मुख्यमंत्री बनने के बाद यह तथ्य बार-बार रेखांकित किया जा रहा है कि पंजाब में सर्वाधिक आबादी होने के बावजूद इससे पहले ज्ञानी जैल सिंह के रूप में सिर्फ एक बार ही दलित को मुख्यमंत्री बनाया गया। हालांकि जैल सिंह को मुख्यमंत्री बनाये जाने के वास्तविक कारण पंजाब की तत्कालीन, खासकर कांग्रेसी राजनीति पर करीबी नजर रखने वाले बखूबी जानते-समझते हैं, लेकिन कांग्रेस आज चुनाव प्रचार में यह दावा तो कर ही सकती है कि राज्य में दोनों बार दलित मुख्यमंत्री देने का श्रेय उसे ही प्राप्त है। हालांकि हर दांव के दोनों तरह के परिणाम निकल सकते हैं, लेकिन विडंबना देखिए कि कांग्रेस चुनाव प्रचार में दलित मुख्यमंत्री का अपना ट्रंप कार्ड ही खुल कर नहीं चल पा रही, क्योंकि चंद महीने पहले प्रदेश अध्यक्ष बनने को आतुर सिद्धू अब मुख्यमंत्री का चेहरा बनने को उतावले हैं।
दरअसल सिद्धू को यह अहसास ही नहीं था कि कैप्टन अमरेंद्र सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटवाने में उन्हें इतनी जल्दी सफलता मिल जायेगी, वरना वह प्रदेश अध्यक्ष बनने के लिए आलाकमान पर इतना दबाव नहीं बनाते। अब सिद्धू को लगता है कि कैप्टन अमरेंद्र सिंह की बेआबरू विदाई की पटकथा तो उन्होंने लिखी; तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ समेत तमाम दिग्गजों को विरोधी भी बना लिया— पर फलस्वरूप मुख्यमंत्री का पद चन्नी की झोली में जा गिरा। न सिर्फ तब जा गिरा, बल्कि पंजाब के राजनीतिक-सामाजिक समीकरण का चुनावी दबाव ऐसा है कि भविष्य में अवसर आने पर उसके फिर उसी झोली में गिरने की प्रबल संभावना है। इसलिए अब चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंकने से पहले ही सिद्धू की सुई एक बार फिर ‘दूल्हा कौन’ पर अटक गयी है। ज्यादातर राजनीतिक प्रेक्षक मानते हैं कि कांग्रेस के लिए आदर्श स्थिति मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किये बिना ही चुनाव लडऩे की होगी, क्योंकि तब उसे दलित मुख्यमंत्री का तो लाभ मिलेगा ही, सिद्धू के चेहरे से जट्ट सिख समुदाय समेत युवा भी आकर्षित हो सकते हैं। लेकिन बृहस्पतिवार को पंजाब दौरे पर आये पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी कार्यकर्ताओं से चर्चा के बाद मुख्यमंत्री चेहरा घोषित करने की बात कह कर विवाद को नये सिरे से हवा दे गये हैं। बेशक अब ऐसा करने का दबाव सिद्धू और चन्नी, दोनों की ओर से है। सिद्धू बेचैन हैं कि अगर उन्हें चेहरा घोषित किये बिना ही लड़े चुनाव में कांग्रेस को बहुमत मिल गया तो चन्नी के दावे को नजरअंदाज कर पाना मुश्किल होगा, क्योंकि पार्टी उन्हीं के 111 दिन के शासन के आधार पर वोट मांग रही है। चन्नी को भी लगता है कि खुद को चेहरा घोषित करवाने का उनके पास चुनाव पूर्व से बेहतर मौका दूसरा नहीं हो सकता, क्योंकि ऐतिहासिक राजनीतिक पराभव के दौर से गुजर रही कांग्रेस मौजूदा दलित मुख्यमंत्री को नजरअंदाज करने का जोखिम कम से कम चुनाव के दौरान तो नहीं ही उठायेगी।
वैसे सिद्धू के दावे के मद्देनजर दिलचस्प तथ्य यह भी है कि सत्ता के तमाम प्रमुख दावेदार लगभग 20 प्रतिशत आबादी वाले जट्ट सिख मतदाताओं पर ही दांव खेलने को बेताब हैं। अकाली-बसपा गठबंधन के मुख्यमंत्री चेहरा सुखबीर बादल इसी समुदाय से आते हैं तो मुख्य विपक्षी दल आम आदमी पार्टी ने पंजाब की जनता में राय शुमारी से जिन भगवंत मान को चेहरा चुनने का दावा किया है, वह भी जट्ट सिख ही हैं। आबादी के आंकड़ों की दृष्टि से यह स्थिति चौंकाने वाली लग सकती है, लेकिन वास्तविकता यही है कि खासकर 1966 में विभाजन के बाद से पंजाब की सत्ता में जट्ट सिख समुदाय का ही दबदबा रहा है। दलित समुदाय से चन्नी के रूप में दूसरा मुख्यमंत्री पंजाब को मिला है तो हिंदू मुख्यमंत्री का दांव चलने का राजनीतिक साहस अभी तक कोई राजनीतिक दल नहीं दिखा पाया है। जबकि लगभग सवा करोड़ सिख मतदाताओं के मुकाबले हिंदू मतदाताओं की संख्या 82 लाख है। 117 विधानसभा सीटों में से 78 सीटें सिख बहुल हैं, तो 37 हिंदू बहुल, जबकि शेष दो मुस्लिम बहुल। कैप्टन अमरेंद्र सिंह की पहले मुख्यमंत्री पद और फिर कांग्रेस से भी विदाई के बाद बागी अकाली नेता सुखदेव सिंह ढींढसा के साथ मिल कर भाजपा ने जो गठबंधन बनाया है, उसने मुख्यमंत्री के चेहरे पर अपने पत्ते अभी तक नहीं खोले हैं। पंजाब में सत्ता संघर्ष के चौथे कोण के रूप में उभर रहे इस गठबंधन में भाजपा सबसे बड़ा दल है, जो दशकों तक शिरोमणि अकाली दल के साथ गठबंधन में जूनियर पार्टनर रहा। अगर राहुल गांधी के संकेत के मुताबिक कांग्रेस ने वाकई मुख्यमंत्री चेहरा घोषित किया तो उसकी पार्टी के अंदर क्या प्रतिक्रिया होगी, और उसके बाद क्या भाजपा-पंजाब लोक कांग्रेस- अकाली दल (संयुक्त) गठबंधन भी मुख्यमंत्री चेहरे का दांव चलेगा— यह देखना बेहद दिलचस्प होगा।
बहुत लोगों को लगता है मैं अब भी सलमान पर निर्भर हुं, पर ऐसा नहीं है – जरीन खान
अभिनेत्री जरीन खान भले ही लंबे समय से बॉलीवुड में हैं, लेकिन अभी तक उन्होंने इंडस्ट्री में खुद की कोई पहचान नहीं बनाई है। जरीन को बॉलीवुड में सलमान खान लेकर आए थे। सलमान ने उसके बाद भी जरीन को मौके दिए, लेकिन जरीन अपना जादू नहीं चला पाईं। हाल ही में जरीन ने कहा कि बहुत से लोगों को लगता है कि वह अब भी सलमान पर निर्भर हैं, जबकि ऐसा नहीं है।
जरीन ने कहा, बहुत से लोगों की अब भी यह धारणा है कि सलमान मेरी मदद करते रहे हैं। मैं सलमान का शुक्रिया अदा करती हूं, क्योंकि उन्होंने ही मुझे इंडस्ट्री में घुसने का मौका दिया, लेकिन मेरा संघर्ष तब शुरू हुआ, जब मैं इस इंडस्ट्री का हिस्सा बनी। उस समय मैं कुछ नहीं जानती थी। जरीन ने यह भी कहा, जब तक आप ए-लिस्टर नहीं होंगे, लोग आपका इंतजार नहीं करेंगे।
जरीन ने कहा, सलमान बेहद व्यस्त रहते हैं। मैं हर छोटी बात के लिए सलमान और उनके भाइयों की पीठ पर बंदर नहीं बन सकती। आज तक बहुत से लोग सोचते हैं कि मैं जो भी काम करती हूं, वह सलमान के जरिए होता है, जबकि यह सच नहीं है। उन्होंने कहा, सलमान एक दोस्त हैं और बस एक फोन कॉल दूर हैं, लेकिन मैं उन्हें परेशान नहीं करती हूं। ऐसा करना मेरे संघर्ष, कड़ी मेहनत को कमजोर करता है।
जरीन कहती हैं, मेरे पिताजी ने हमें छोड़ दिया था, इसलिए मैं ही थी, जिसने अपने परिवार की जिम्मेदारी ली। मेरे पास मेरी मदद करने या मेरा मार्गदर्शन करने वाला कोई नहीं था। उन्होंने कहा, कई बार ऐसा भी हुआ, जब मैंने इंडस्ट्री में खुद को खोया हुआ महसूस किया। मैं अच्छा काम करना चाहती थी, लेकिन मुझे अपना एक्टिंग टैलेंट दिखाने की अनुमति नहीं मिली। लोगों ने अनुमान लगा लिया कि मैं बस खूबसूरत हूं। इससे ज्यादा कुछ नहीं।
इससे पहले जरीन ने कहा था, काम के लिए फिल्ममेकर बोल्ड तस्वीरों की डिमांड करते हैं। ओटीटी प्लेटफॉर्म पर भी लोग बड़े चेहरे को देखना चाहते हैं। मुझे जो भी प्रोजेक्ट मिलता है, उसके लिए मुझसे हॉट तस्वीरें दिखाने को कहा जाता है या तो बोल्ड सीन से भरे प्रोजेक्ट ही मिलते हैं। उन्होंने कहा था, मैं अब तब तक अभिनय नहीं करूंगी, जब तक मुझे मेरी पसंद का प्रोजेक्ट नहीं मिल जाता, जिसे करने में मैं सहज महसूस करूं। (एजेंसी)
श्री अमित शाह ने गुजरात के अहमदाबाद में साबरमती रिवरफ्रंट पर मिट्टी के कुल्हड़ों से बने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के भित्ति चित्र का अनावरण किया
New Delhi, 2975 लाल रंग की ग्लेज्ड मिट्टी के कुल्हड़ों से दीवार पर बना 100 वर्ग मीटर भित्ति चित्र भारत में अपनी तरह का केवल दूसरा और गुजरात में पहला है
स्मारक भित्ति चित्र देशभर से एकत्र की गई मिट्टी से बनाया गया है और इसमें इस्तेमाल किए गए कुल्हड़ KVIC की “कुम्हार सशक्तिकरण योजना” के तहत प्रशिक्षित 75 कुम्हारों द्वारा बनाए गए हैं
30 जनवरी को, 1857 से लेकर 1947 तक आज़ादी के आंदोलन में जिन लोगों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया, उनकी स्मृति में पूरा राष्ट्र आज शहीद दिवस मनाता है
यह वर्ष हमारी आज़ादी के अमृत महोत्सव का वर्ष है और 75वें साल को देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने अत्यंत उत्साह के साथ मनाने का निर्णय लिया
इस निर्णय के पीछे दो उद्देश्य हैं- पहला, नई पीढ़ी को आज़ादी के संग्राम – 1857 से 1947 तक की लड़ाई के हर संघर्ष के महत्व के बारे में बताया जाए और आज़ादी के लिए जिन्होंने अपना सर्वस्व न्यौछावर किया, अपार यातनाएं सहीं, उनके संघर्ष की जानकारी भी नई पीढ़ी तक पहुंचा कर राष्ट्र के पुनर्निर्माण का एक संकल्प नई पीढ़ी के मन में जागृत किया जाए
दूसरा उद्देश्य- प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने देश के सामने एक विचार रखा है कि हम आज आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं और जब आज़ादी के 100 साल होंगे, तब हर क्षेत्र में भारत कहां होगा, उसका लक्ष्य तय करना है और उसका संकल्प लेना है
आज़ादी के अमृत महोत्सव का वर्ष संकल्प लेने का वर्ष है और 75वें साल से 100 साल तक की हमारी यात्रा, संकल्प यात्रा है जिसमें हमें अपने लक्ष्य तय करने हैं और भारत की जनता को उन लक्ष्यों की सिद्धि के लिए तैयार भी करना है
बापू ने ना सिर्फ आज़ादी की लड़ाई की शुरूआत की, बल्कि आज़ादी की लड़ाई में, स्वराज की लड़ाई के दौरान कई ऐसे विचार रखे जो आज़ादी पाने के लिए तो ज़रूरी थे ही, परंतु आज़ादी के बाद भारत के पुनर्निर्माण के लिए भी आवश्यक है
स्वदेशी, स्वभाषा, सत्याग्रह, प्रार्थना, उपवास, साधनशुद्धि, अपरिग्रह, सादगी – यह सिद्धांत गांधीजी ने आज़ादी की लड़ाई के दौरान देश की जनता के भीतर सींचे और इनके आधार पर ही भारत के पुनर्निर्माण की शुरूआत हुई
दुर्भाग्य की बात थी कि अनेक सालों तक बापू की तस्वीर को तो श्रद्धांजलि दी गई, प्रवचनों में बापू का जिक्र तो हुआ, किंतु खादी, हस्तशिल्प, स्वभाषा के उपयोग और स्वदेशी की बात को भुला दिया गया
श्री नरेन्द्र मोदी ने देश का प्रधानमंत्री बनने के बाद बापू के इन सारे सिद्धांतों को पुनर्जीवित करने का काम किया
आज़ादी के अमृत महोत्सव में नई शिक्षा नीति लाई गई, जिसने ये बताया कि ज्ञान पाने के लिये स्वभाषा से मजबूत और कोई साधन नहीं हो सकता, भारतीय भाषाएं सदैव विश्व के विकास में योगदान दे सकें, ऐसी व्यवस्था नई शिक्षा नीति में भारत के प्रधानमंत्री ने की
मेक इन इन्डिया, आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल – स्वदेशी की नई परिभाषा है, भारत के आर्थिक उत्थान के लिए आत्मनिर्भरता की कल्पना, भारत को विश्व में उत्पादन का केन्द्र बनाने की कल्पना और 130 करोड़ भारतीय, भारतीय उत्पादों का ही इस्तेमाल करें, ऐसा आग्रह – यह तीनों बातें बापू के स्वदेशी के सिद्धांत से ही निकली हुई हैं
खादी को पुनर्जीवित करने का काम भी देश के प्रधानमंत्री ने किया है, जब श्री नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तभी से उन्होंने खादी के प्रयोग को प्रोत्साहित करने का काम शुरू किया
मैं गुजरात की जनता से अपील करता हूं कि आप अपने घर और जीवन में ज़्यादा से ज़्यादा खादी का इस्तेमाल करें
खादी का उपयोग न सिर्फ गरीब व्यक्ति के रोजगार का साधन है, बल्कि देश के स्वाभिमान का प्रतीक है और महात्मा गांधी ने आज़ादी के आंदोलन के समय खादी का विचार, विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार से शुरू किया था और वो विचार आज भी उतना ही प्रासंगिक है
खादी के इस विचार को, स्वदेशी के विचार को और स्वभाषा को सम्मान देने का कार्य देश के प्रधानमंत्री और गुजरात के सुपुत्र श्री नरेन्द्र मोदी जी ने किया, विश्व के किसी भी मंच पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी हिन्दी में ही बोलते हैं
अपनी भाषा को जानते ही बच्चा अपनी संस्कृति और भारत के इतिहास के साथ अपना नाता जोड़ लेता है और जब एक बच्चा अपनी भाषा से रिश्ता तोड़ लेता है, तब भारतीय संस्कृति और भारत के इतिहास से भी उसका रिश्ता तूट जाता है
स्वभाषा को मजबूत बनाने की नींव श्री नरेन्द्र मोदी ने नई शिक्षा नीति में रखी है और मुझे विश्वास है कि देश जब आज़ादी की शताब्दी मना रहा होगा, तब निश्चय ही हर भारतीय भाषा का गौरव शीर्ष पर होगा
आज महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने का एक बहुत सुंदर कार्यक्रम खादी ग्रामोद्योग आयोग ने किया है जिसमें कुल्हड़ों से बना महात्मा गांधी का भित्ति चित्र दर्शाया गया है और इसके लिए जगह भी ऐसी चुनी गई है कि ज्यादा से ज्यादा युवा और बच्चे यहां आते हैं और महात्मा गांधी के संदेश के साथ ही खादी और स्वदेशी का संदेश भी उन तक पहुंचेगा
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों की आय दोगुनी करने के लिए संबद्ध व्यवसाय किस तरह से बढ़ाने हैं, इस पर काफी जोर दिया है
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज गुजरात के अहमदाबाद में साबरमती रिवरफ्रंट पर राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के कुल्हड़ों से बने भित्तिचित्र का अनावरण किया। श्री अमित शाह ने प्रशिक्षित कुम्हारों और मधुमक्खी पालकों को 200 इलेक्ट्रिक पॉटर व्हील और 400 मधुमक्खी बक्से भी वितरित किए। स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 74वीं शहीदी दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) द्वारा ये भित्ति चित्र तैयार किया गया है। 2975 लाल रंग की ग्लेज्ड मिट्टी के कुल्हड़ों से दीवार पर बना 100 वर्ग मीटर भित्ति चित्र भारत में अपनी तरह का केवल दूसरा और गुजरात में पहला है। स्मारक भित्ति चित्र देशभर से एकत्र की गई मिट्टी से बनाया गया है और इसमें इस्तेमाल किए गए कुल्हड़ KVIC द्वारा “कुम्हार सशक्तिकरण योजना” के तहत प्रशिक्षित 75 कुम्हारों द्वारा बनाए गए हैं। इस अवसर पर केन्द्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री श्री नारायण राणे, केन्द्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम राज्य मंत्री श्री भानु प्रताप सिंह वर्मा और गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र पटेल समेत अनेक गणमान्य व्यक्ति भी मौजूद थे।
इस अवसर पर अपने संबोधन में केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि आज 30 जनवरी बापू का भी स्मृति दिन है, इसीलिए 30 जनवरी को 1857 से लेकर 1947 तक आज़ादी के आंदोलन में जिन लोगों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया, उनकी स्मृति में पूरा राष्ट्र आज शहीद दिवस मनाता है। आज के दिन ही साबरमती के जिस तट पर बापू ने आज़ादी के आंदोलन का आयोजन किया, उसी तट से आज उनके दिए आत्मनिर्भरता के मंत्र को साकार करते हुए मिट्टी के कुल्हड़ों से तैयार भित्ति चित्र के उदघाटन का कार्यक्रम आयोजित हुआ है और बापू को इससे बड़ी श्रद्धांजलि नहीं हो सकती। श्री शाह ने कहा कि इस स्मृति दिन पर इस श्रद्धांजलि का एक और भी महत्व है कि यह वर्ष हमारी आज़ादी के अमृत महोत्सव का वर्ष है। देश की आज़ादी का 75वां साल है और 75वें साल को देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने अत्यंत उत्साह के साथ मनाने का निर्णय लिया है। इस निर्णय के पीछे दो उद्देश्य हैं- पहला, नई पीढ़ी, जो भविष्य के भारत की रचना करेगी, उन्हें आज़ादी के समग्र संग्राम – 1857 से 1947 तक की लड़ाई के हर संघर्ष के महत्व के बारे में बताया जाए और आज़ादी के लिए जिन्होंने अपना सर्वस्व न्यौछावर किया और अपार यातनाएं भुगतीं, उनके संघर्ष की जानकारी भी नई पीढ़ी तक पहुंचा कर राष्ट्र के पुनर्निर्माण का एक संकल्प नई पीढ़ी के मन में जागृत किया जाए। दूसरा उद्देश्य है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने देश के सामने एक विचार रखा है कि हम आज आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं और जब आज़ादी के 100 साल होंगे, तब हर क्षेत्र में भारत कहां होगा, उसका लक्ष्य तय करना है और उसका संकल्प लेना है। 25 साल बाद आज़ादी के 100 साल पूरे होने पर आर्थिक, रोजगार, शिक्षा के क्षेत्रों में कौन-कौन से लक्ष्य सिद्ध करने हैं।
इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्रमें भारत को विश्व में सर्वोच्च स्थान पर स्थापित करने के लिए क्या संकल्प लेना है, पर्यावरण जागरुकता और पूरी पृथ्वी
के वातावरण को अच्छा रखने के लिए भारत का क्या योगदान रहेगा, इन सारे क्षेत्रों में भारत की आज़ादी के 100 साल पूरे होने पर हम कहां
होंगे और वहां पहुंचने के लिए हमें आज क्या संकल्प करना है, उसका निर्णय करना है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि ये आज़ादी के अमृत महोत्सव का वर्ष संकल्प लेने का वर्ष है और 75वें साल से 100 साल तक की हमारी यात्रा, संकल्प यात्रा है जिसमें हमें अपने लक्ष्य तय करने हैं और भारत की जनता को उन लक्ष्यों की सिद्धि के लिए तैयार भी करना है। महात्मा गांधी के स्मृति दिन पर साबरमति रिवरफ्रन्ट पे साबरमति नदी में बहते हुए नर्मदा के जल को देखते हुए ये विचार आ रहा है कि बापू ने उस जमाने में कैसे माहौल में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई शुरू की होगी। एक निशस्त्र व्यक्ति जब अंग्रेजों के पूरे साम्राज्य को उखाड़ फेंकने का संकल्प करता है, उस संकल्प की शक्ति कहां से आई होगी, वह हम सबके लिए प्रेरणास्त्रोत है। बापू ने ना सिर्फ आज़ादी की लड़ाई की शुरूआत की, बल्कि आज़ादी की लड़ाई में, स्वराज की लड़ाई के दौरान कई ऐसे विचार रखे जो आज़ादी पाने के लिए तो ज़रूरी थे ही, परंतु आज़ादी के बाद भारत के पुनर्निर्माण के लिए भी आवश्यक है। स्वदेशी, स्वभाषा, सत्याग्रह, प्रार्थना, उपवास, साधनशुद्धि, अपरिग्रह, सादगी – यह सिद्धांत गांधीजी ने आज़ादी की लड़ाई के दौरान देश की जनता के भीतर सींचे और इनके आधार पर ही भारत के पुनर्निर्माण की शुरूआत हुई।
प्रधानमंत्री ने महात्मा गांधी को उनकी पुण्यतिथि पर याद किया
New Delhi,प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने महात्मा गांधी को उनकी पुण्य तिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की है। आज शहीद दिवस पर, प्रधानमंत्री ने उन सभी महान लोगों को भी श्रद्धांजलि दी है,जिन्होंने साहसपूर्वक हमारे देश की रक्षा की।
प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा;
“बापू को उनकी पुण्य तिथि पर स्मरण कर रहा हूँ। उनके महान आदर्शों को और लोकप्रिय बनाना, हमारा सामूहिक प्रयास होना चाहिए।
आज शहीद दिवस पर, उन सभी महान लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ, जिन्होंने साहसपूर्वक हमारे देश की रक्षा की। उनकी सेवा और बहादुरी को हमेशा याद किया जाएगा।”
राज्यपाल श्री रमेश बैस एवं मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर उन्हें नमन किया
रांची (Divya Rajan) –
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर सर्वोदय आश्रम (तिरिल, धुर्वा) स्थित राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा पर राज्यपाल श्री रमेश बैस एवं मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित की। राज्यपाल श्री रमेश बैस ने कहा कि देश की आजादी के लिए कई आंदोलन हुए , लेकिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने सत्य एवं अहिंसा के रास्ते पर चलकर देश को आज़ादी दिलाई। बापू ने सत्य एवं अहिंसा के रास्ते पर चलने का मंत्र पूरा विश्व को दिया । उन्होंने कहा कि आज हम खुले आसमां में सांस ले रहे हैं, इसमें बापू का सबसे अहम योगदान है।
मौके पर मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि समाज में हिंसा का कोई स्थान नहीं है, इसकी प्रेरणा बापू ने देशवासियों को दी है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की बदौलत दुनिया का सबसे मजबूत लोकतंत्र वाला देश भारत है। ऐसे महापुरुषों का मार्गदर्शन निश्चित रूप से किसी भी राष्ट्र के लिए वरदान होता है। आज हमसभी बापू को उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर याद करते हुए उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित कर नमन कर रहे हैं।
मौके पर मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री राजीव अरुण एक्का, दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडलीय आयुक्त श्री नितिन मदन कुलकर्णी, उपायुक्त रांची श्री छवि रंजन, एसएसपी रांची श्री सुरेंद्र कुमार झा, सर्वोदय आश्रम के संरक्षक श्री अभय कुमार चौधरी सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।
जारा के हौसलों ने नाप दी दुनिया
अरुण नैथानी –
आमतौर पर भारत में जिस उम्र में बेटियां पढ़ाई पूरी कर करिअर की दिशा तलाश रही होती हैं, उस छोटी-सी उम्र में बेल्जियम की जारा रदरफोर्ड ने पूरी दुनिया का चक्कर लगा दिया। वह भी अकेले अपने छोटे से हवाई जहाज से। उसने दुष्यंत के कथन को सार्थक कर दिया कि तबीयत से पत्थर उछालो तो आसमान में भी छेद हो सकता है। जारा विश्व में सबसे कम उम्र में दुनिया का चक्कर लगाने वाली महिला बन गई हैं। मगर पांच माह का यह सफर कम खतरों से भरा नहीं था। कहीं रक्त जमाती ठंड, कहीं ज्वालामुखी के ऊपर से उडऩा, कहीं ठहरी तो भूकंप के झटकों से हिल गई। मगर खतरों की यह खिलाड़ी थमी नहीं। मौसम की खराबियों से उसका तीन माह का सफर तब पांच माह में पूरा हुआ जब वह पिछले दिनों बेल्जियम के कॉर्टिज्क-वेवेलगेम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरी, जहां उसके परिवार व देशवासियों ने उसका जोरदार स्वागत किया।
महज उन्नीस साल की उम्र में अकेले दुनिया घूमने वाली पायलट जारा तमाम झंझावातों से गुजरते हुए इस मुकाम तक पहुंची। कई बार तो उसे लगा कि अब जीवन खत्म होने को है। वह बर्फीले बियाबान इलाकों में फंसी। एक महीने उसे अलास्का के नोम और करीब इकतालीस दिन रूस के अयान में बर्फीले तूफान के कारण फंसना पड़ा। वहीं एक बार तूफान के चलते कोलंबिया में रुकना पड़ा तो कहीं नौकरशाही की जटिलताओं से वीजा की दिक्कतों के कारण फंसना पड़ा। बेहद हल्के शार्क यूएल अल्ट्रालाइट स्पोर्ट प्लेन के जरिये अपने भारी-भरकम इरादों को पूरा करने के लिये निकली जारा ने आखिर अपने जुनून को हकीकत में बदला। वह पांच महीनों में पांच महाद्वीपों की यात्रा पूरी कर पायी। उसने करीब 51 हजार किलोमीटर का सफर बावन देशों से गुजर कर पूरा किया। वह 18 अगस्त, 2021 को अपने इस जुनून भरे सफर पर निकली थी।
जारा कहती है कि यह अनुभव रोमांचित करने वाला था। वह अलास्का में मौसम खराब होने के कारण फंसी। पूर्वी रूस में तूफान आने के कारण उलझकर रह गई। आइसलैंड में ज्वालामुखी की चुनौती का सामना किया। साइबेरिया व उत्तरी कोरिया के हवाई स्पेस से निकलते हुए लगा कि कहीं जीवन खत्म न हो जाये। इस दौरान उत्तरी कोरिया मिसाइल परीक्षण कर रहा था, लेकिन किसी तरह की चेतावनी नहीं दी थी। इस यात्रा में पृथ्वी के दो विपरीत सिरों को छूने की जिद में वह इंडोनेशिया के जांबी और कोलंबिया के टुमाको में उतरी। इस तरह जारा ने अमेरिका की अफगान मूल की शाइस्ता वैस का वह रिकॉर्ड तोड़ दिया, जो उसने तीस साल की उम्र में बनाया था। वैसे पुरुषों में यह रिकॉर्ड 18 साल के एक युवक का है। लेकिन पुरुष और महिलाओं की उम्र का जो फासला पहले ग्यारह साल का था, उसे जारा ने महज ग्यारह महीने का कर दिया।
दरअसल, जारा रदरफोर्ड पायलट मां-बाप की बेटी है। ऊंची उड़ान के सपने उसने बचपन में ही देखने शुरू कर दिये थे। ब्रिटेन में हैंपशायर के एक स्कूल में जारा ने प्रारंभिक पढ़ाई की, लेकिन उसका परिवार बेल्जियम में रहता है। उसने चौदह साल की उम्र में हवाई जहाज उड़ाने का प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया था। वर्ष 2020 में ही उसे पायलट का लाइसेंस मिला और 2021 में वह विश्व जीतने निकल पड़ी। अब उसका सपना एक सफल अंतरिक्ष यात्री बनने का है। वह कहती है कि उसकी यह सफल उड़ान निश्चय ही महिलाओं को विज्ञान, तकनीक और हवाई क्षेत्र में उम्दा करने के लिये प्रेरित करेगी। वह कहती है कि आमतौर पर लड़कियों से उम्मीद की जाती है कि वे सुंदर बनें, दयालु बनें तथा दूसरों की सहायता करने वाली बनें, लेकिन मैंने सिद्ध किया कि यदि मौका मिले तो वे अपनी तमाम महत्वाकांक्षाओं को पूरा कर सकती हैं। प्रफुल्लित जारा मानती है कि यह अनुभव उद्वेलित करने वाला था। हालांकि, राह में बाधाएं कम न थीं। खासकर साइबेरिया की ठंड में, जहां यदि इंजन बंद हो जाता तो बचना मुश्किल था। लेकिन इसके बावजूद हमें रोमांच की राह चुनने से कतराना नहीं चाहिए। वह कहती है कि इस यात्रा का एक मकसद है कि लड़कियां विज्ञान, तकनीकी, इंजीनियरिंग व गणित के क्षेत्र में अपना भविष्य तलाशें।
जारा की इस यात्रा के लिये परिवार व प्रायोजकों का भरपूर साथ मिला। उनके स्कूल ने भी उनका मनोबल बढ़ाया। वहीं शार्क अल्ट्रालाइट विमान बनाने वाली स्लोवानिया की कंपनी शार्क ने भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस तरह जारा के नाम कई रिकॉर्ड बन गये हैं। वह सबसे छोटी उम्र की अकेली दुनिया का सफर तय करने वाली पहली महिला के रूप में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो गई हैं। वह विमान से दुनिया घूमने वाली बेल्जियम की पहली नागरिक भी बन गई हैं लेकिन यह यात्रा इतनी आसान भी नहीं थी।
साइबेरिया में एक समय वहां का तापमान सतह पर माइनस 35 डिग्री व और हवा में माइनस 20 डिग्री था। इसी तरह इंडोनेशिया में खराब मौसम के कारण दो दिन रुकना पड़ा और टर्मिनल में ही सोना पड़ा क्योंकि वहां से बाहर निकलने के दस्तावेज नहीं थे। कैलिफोर्निया में जंगल की आग के धुएं में विमान उड़ाया, मैक्सिको में उनके विमान में खराबी आ गई, सिंगापुर में उनके विमान का टायर फट गया। उसे यह भी खला कि वह क्रिसमस व नये साल पर परिवार से दूर है। सफर में गाने सुनकर वह अपना मन बहलाती रही। सोशल मीडिया में अपने वीडियो पोस्ट करके अपने परिजनों के साथ जुड़ी रही।
सभी बिरसा किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराएँ – श्री बादल, कृषि मंत्री
*हर दो पंचायत पर एक लैम्प-पैक्स की उपलब्धता करें सुनिश्चित
रांची, माननीय कृषि मंत्री श्री बादल ने कहा कि राज्य के सभी बिरसा किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराना है। सभी बिरसा कृषक चाहे वे पी.एच कार्ड, हरा राशन कार्ड, सफेद राशन कार्ड धारक हों अथवा बटाईदार हों उन्हें किसान क्रेडिट कार्ड से जोड़कर लाभांवित कराना हमारा लक्ष्य है। श्री बादल ने कहा कि बैंक से सामंजस्य स्थापित कर अधिक से अधिक जरूरतमंद कृषकों को इसका लाभ दिलवाएं, बेवजह किसी का आवेदन बैंक द्वारा रिजेक्ट न किया जाए। वे आज नेपाल हाउस में आयोजित प्रमण्डलस्तरीय समीक्षा बैठक में दक्षिण छोटानागपुर प्रमण्डल के विभिन्न जिलों के उपायुक्तों के साथ कृषि विभाग द्वारा किये जा रहे कार्यों की समीक्षा कर रहे थे।
श्री बादल ने कहा कि राज्य में हर दो पंचायत पर एक धान अधिप्राप्ति केंद्र खोला जाए तथा उसे लैंप्स पैक्स से जोड़ा जाए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसी व्यवस्था कराई जाए जिससे किसानों को उनके आवास के निकट ही धान के सैंपल को चेक किया जा सके। श्री बादल ने कहा कि मत्स्य उत्पादन के लिये तालाबों की नीलामी में पारदर्शिता लाई जाए जिससे इसमें अधिक लोग शामिल हो सकें। अधिक लोगों के शामिल होने से सरकार के राजस्व में भी वृद्धि होगी ।
माननीय मंत्री ने कहा कि राज्य में सिंचाई व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिये नए तालाबों के निर्माण के साथ-साथ पुराने तालाबों के जिर्णोद्धार पर भी विशेष ध्यान देना है। डोभा निर्माण एवं डीप बोरिंग सिस्टम की व्यवस्था भी किसानों को कराई जाए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पशुधन योजना से लोगों को जोड़ें जिससे कृषकों के सर्वांगीण विकास में सहायता प्राप्त होगी।
उपायुक्तों द्वारा कृषि विभाग में मैन पावर की कमी कि ओर विभाग का ध्यान आकृष्ट कराया गया जिस वजह से योजनाओं को मूर्त रूप देने में समस्या आ रही है। इसपर कृषि सचिव ने कहा कि नियमावली के अनुसार ऑऊटसोर्स से भी मैनपॉवर बहाल कर लें एवं झारखण्ड बनने के बाद के जो नए जिले बने हैं वे कृषि विभाग के सैंक्सन पद हेतु आवेदन मुख्यालय को उपलब्ध करा दें।
समीक्षा बैठक में कृषि निदेशक श्रीमती निशा उरांव, पशुपालन निदेशक श्री शशिप्रकाश झा, मत्स्य निदेशक श्री एच.एन.द्विवेदी, सहकारिता निबंधक श्री मृंत्यजंय वर्णवाल, समिति निदेशक श्री सुभाष सिंह एवं विशेष सचिव श्री प्रदीप हजारे सहित विभाग के पदाधिकारी उपस्थित थे।
अपर समाहर्ता ने टीबी जागरूकता रथ को किया रवाना
पिरामल स्वास्थ्य द्वारा 100 दिनों तक रामगढ़ जिले के गोला एवं
पतरातू प्रखंड में चलाया जाएगा जागरूकता एवं जांच अभियान
रामगढ़, भारत सरकार के निर्देश पर टीबी रोग उन्मूलन हेतु देशभर के 100 अनुसूचित जनजाति बहुल जिलों में संचालित 100 दिन का 100 जिला अभियान के तहत बृहस्पतिवार को जिले के अपर समाहर्ता श्री नेल्सम एयोन बागे द्वारा समाहरणालय परिसर से फीता काटकर के उपरांत जागरूकता वाहन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया।
100 दिन 100 जिला अभियान के तहत पीरामल स्वास्थ्य द्वारा रामगढ़ जिले के गोला एवं पतरातू प्रखंड में बृहद रूप से लोगों को टीवी रोग एवं कोरोना टिकाकरण के फायदों के प्रति जागरूक किया जाएगा। इस दौरान टीम के द्वारा गांव स्तर पर टीबी के संभावित मरीजों की सक्रिय खोज अभियान के माध्यम से पहचान करने के उपरांत संबंधित मरीज के लक्षणों के आधार पर बलगम की जांच की जाएगी। रोग की पुष्टि होने के उपरांत मरीज को स्वास्थ्य विभाग द्वारा निशुल्क रूप से टीबी का उपचार प्रदान किया जाएगा एवं दवाइयां उपलब्ध कराई जाएंगी।
टीबी जैसे संक्रामक रोग को फैलने से रोकने हेतु पिरामल स्वास्थ्य द्वारा विशेष पहल करते हुए मरीज के घर पर ही उसके जांच की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। इसके साथ ही जागरूकता वाहन के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के बीच कोरोना टीकाकरण से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने का कार्य किया जा रहा है एवं उन्हें अनिवार्य रूप से कोरोना का टीका लेने हेतु प्रेरित किया जा रहा है।
इस संबंध में जानकारी देते हुए पिरामल स्वास्थ्य से डॉक्टर अजय नारायण दुबे द्वारा बताया गया कि जागरूकता कार्यक्रम को प्रभावी बनाने के उद्देश्य से ग्रामीण क्षेत्रों में प्रभावशाली लोगों, जनप्रतिनिधियों एवं परंपरागत चिकित्सकों की भी सहायता ली जाएगी।
गौरतलब हो कि भारत सरकार द्वारा 2025 तक पूरे देश को टीबी मुक्त करने का निर्णय लिया गया है। इसी उद्देश्य से देशभर में विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों एवं अन्य माध्यमों का इस्तेमाल करते हुए लोगों को जागरूक एवं संभावितों की जांच की जा रही है।
इस दौरान सिविल सर्जन रामगढ़ डॉ प्रभात कुमार, जिला यक्ष्मा नियंत्रण पदाधिकारी डॉक्टर स्वराज, डीपीएम एनएचएम श्री देवेंद्र भूषण श्रीवास्तव, जिला कार्यक्रम समन्वयक श्री रंजीत कुमार, पिरामल स्वास्थ्य से जिला समन्वयक डॉ अजय नारायण दुबे, श्री अनूप सिंह, श्री सुभाष कुमार एवं कीर्ति कुमार वार्ष्णेय सहित अन्य उपस्थित थे।
बालों के लिए सबसे बेहतरीन है चुकंदर, जानिए इसके फायदे
आजकल बालों का झडऩा लोगों के लिए बहुत आम हो चुका है। यह समस्या महिला हो या पुरुष सभी में नजर आती है। जी हाँ और इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिसमें खराब लाइफस्टाइल और वातावरण को होने वाला नुकसान भी शामिल हैं। हालाँकि आप इन सभी से राहत पाने के लिए चुकंदर का इस्तेमाल कर सकते हैं। आज हम आपको चुकंदर के रस से बालों के लिए होने वाले फायदों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हे जानकर आपको यकीन नहीं होगा।
ड्राईनेस- ठंड के मौसम में बालों में नमी की कमी हो जाती है और ऐसे में ड्राईनेस का आना आम होता है। ऐसे में इस समस्या से निजात पाने के लिए आप चुकंदर के रस को स्कैल्प में लगा सकते हैं। आप सभी को बता दें कि चुकंदर में मौजूद विटामिन ई और ए बालों की ड्राईनेस को दूर करने में कारगर होते हैं। इसके लिए चुकंदर को कद्दूकस करके इसका रस निकालें और स्कैल्प में इसे 30 मिनट तक लगा रहने दें। इसके बाद नहाते समय इसे गुनगुने पानी से रिमूव करें।
डैंड्रफ- बालों में डैंड्रफ के कारण खुजली की समस्या भी होने लगती है और ऐसे में डैंड्रफ से निजात पाने के लिए भी स्कैल्प में चुंकदर का रस लगाना बेस्ट रहते हैं। जी दरअसल इसके लिए चुकंदर के रस को बालों में शैंपू करने से ठीक 15 मिनट पहले लगाएं और फिर नहा लें।
ब्लड सर्कुलेशन करें ठीक- चुकंदर के रस का सेवन करने से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है, हालाँकि अगर स्कैल्प में इसे नियमित रूप से लगाया जाए, तो ऊपर से भी ब्लड सर्कुलेशन में सुधार लाता है। अगर आप चाहे तो गुनगुने पानी में चुकंदर के रस को मिलाकर इसकी सिर में मालिश करें।
हेयर फॉल- इस समस्या के लिए भी आप चुकंदर के रस की मदद ले सकते हैं। चुकंदर के रस को लगाने से बालों की जड़े मजबूत होती है। जी दरअसल इसमें पोटेशियम भी मौजूद होता है, जो बालों को पतला और कमजोर होने से बचाता है। (एजेंसी)
25 फरवरी को रिलीज होगी आलिया की फिल्म गंगूबाई काठियावाड़ी
आलिया भट्ट पिछले काफी समय से फिल्म गंगूबाई काठियावाड़ी को लेकर सुर्खियों में हैं। उनकी इस फिल्म का दर्शकों को बेसब्री से इंतजार है, क्योंकि इसमें आलिया एक अनदेखे अवतार में नजर आने वाली हैं। इस बहुप्रतीक्षित फिल्म की रिलीज कई बार टल चुकी है। पिछले साल नवंबर में फिल्म की रिलीज डेट 18 फरवरी, 2022 तय की गई थी, हालांकि, अब इसे फिर आगे बढ़ा दिया गया है।
निर्देशक संजय लीला भंसाली ने सोशल मीडिया पर फिल्म की नई रिलीज डेट का ऐलान किया है। कई बार फिल्म की रिलीज टलने के बाद अब आखिरकार यह 25 फरवरी को रिलीज हो रही है। इसके एक दिन पहले यानी 24 फरवरी को भंसाली का जन्मदिन होता है। फिल्म की शूटिंग 2019 में ही शुरू हो गई थी। पहले यह फिल्म 11 सितंबर, 2020 को रिलीज होने वाली थी। कोरोना महामारी के चलते फिल्म की रिलीज में देरी हुई है।
गंगूबाई काठियावाड़ी एक असल जिंदगी से प्रेरित कहानी है। इसमें मुंबई के कमाठीपुरा की माफिया क्वीन गंगूबाई की कहानी को दिखाया गया है। गंगूबाई को कम उम्र में कोठे पर बेच दिया गया था। तमाम संघर्ष के बाद वह मुंबई की माफिया क्वीन बनी थीं। फिल्म में इस किरदार को आलिया ने निभाया है। वह पहली बार अपने करियर में लेडी डॉन की भूमिका निभाने जा रही हैं। अजय देवगन और इमरान हाशमी भी इसमें अहम भूमिका निभा रहे हैं।
गंगूबाई का असली नाम गंगा हरजीवनदास था, जो गुजरात के काठियावाड़ी की रहने वाली थीं। उन्हें 16 साल की उम्र में अपने पिता के अकाउंटेट से प्यार हो गया था और वह उससे शादी करके मुंबई भाग आई थीं। कहा जाता है कि उनके पति ने उन्हें 500 रुपये में बेच दिया था। इसके बाद वह वेश्यावृत्ति करने लगीं। उन्होंने बाद में अपने जीवन में महिलाओं के हित में कई काम किए और गंगूबाई काठियावाड़ी के नाम से मशहूर हुईं।
भले ही गंगूबाई कोठे चलाती थीं, लेकिन उन्होंने अपने रसूख का इस्तेमाल वेश्यालयों की हालत सुधारने में भी किया था। वह किसी को भी जबरन अपने कोठे में नहीं रखती थीं। जो भी इस धंधे से बाहर जाता था, वह उसकी मदद भी करती थीं।
आलिया फिल्म आरआरआर से साउथ इंडस्ट्री में कदम रखने वाली हैं। उन्हें निर्देशक अयान मुखर्जी की फिल्म ब्रह्मास्त्र में रणबीर कपूर के साथ देखा जाएगा। आलिया करण जौहर की फिल्म तख्त में भी एक अहम भूमिका निभाएंगी। वह शाहरुख खान के होम प्रोडक्शन में बन रही फिल्म डार्लिंग्स का हिस्सा हैं। इससे पहले दोनों डियर जिंदगी में साथ काम कर चुके हैं। करण जौहर की रोमांटिक फिल्म रॉकी और रानी की प्रेम कहानी में भी आलिया अपनी मौजूदगी दर्ज कराएंगी। (एजेंसी)
इस साल काफी व्यस्त रहेगीं रकुलप्रीत सिंह, रिलीज को तैयार हैं सात फिल्में
अभिनेत्री रकुल प्रीत सिंह के लिए वर्ष 2022 काफी व्यस्त साल है। इस साल रकुल की 7 फिल्में रिलीज के लिए तैयार है, जिनमें से छह हिंदी फिल्में हैं। बॉलीवुड में उनके शीर्षकों में आयुष्मान के साथ ‘डॉक्टर जीÓ, अमिताभ बच्चन और अजय देवगन के साथ ‘रनवे 34Ó, अजय देवगन और सिद्धार्थ मल्होत्रा के साथ ‘थैंक गॉडÓ, ‘छतरीवालीÓ, ‘अटैकÓ और अक्षय कुमार के साथ एक अनटाइटल्ड फिल्म शामिल हैं।
उत्साहित रकुल ने साझा किया कि मैं उम्मीद कर रही हूं कि 2022 मेरे सबसे अच्छे वर्षों में से एक होगा। मैं वास्तव में 2022 का इंतजार कर रही थी, क्योंकि 7 फिल्में हैं जो रिलीज के लिए तैयार हैं, 6 हिंदी में। मुझे उन सभी की शूटिंग करने में एक अद्भुत अनुभव हुआ है। प्रत्येक चरित्र एक दूसरे से बहुत अलग है, प्रत्येक फिल्म एक अलग शैली की है।
रकुलप्रीत सिंह कहती है कि अटैक एक एक्शन फिल्म है तो रनवे 34 में मैं एक पायलट की भूमिका निभा रही हूं तो डॉक्टर जी में मैं एक स्त्री रोग विशेषज्ञ की भूमिका निभा रही हूं, थैंक गॉड कमर्शियल है। वह आगे कहती हैं, मुझे उम्मीद है कि लोग वास्तव में इसे पसंद करेंगे। इन फिल्मों के लिए शूटिंग करना एक अद्भुत अनुभव रहा है और अब उनके बाहर आने का समय है। मैं बस इन फिल्मों के शुरू होने का इंतजार कर रही हूं। (एजेंसी)
कैसे कपड़ों से हटा सकते हैं रोएं, अपनाएं ये घरेलू उपाय
आज के समय में कई ऐसे कपड़ें हैं जिनके रोएं बहुत जल्दी आ जाते हैं और फिर वह कपड़े अच्छे नहीं लगते हैं। कई लोग ऐसे कपड़े पहनना छोड़ देते हैं तो कई लोग कपड़ों से रोएं निकालने के लिए नए-नए तरीके खोजने लगते हैं। ऐसे में अगर आप भी इन रोएं से परेशान हैं तो हम आपको बताने जा रहे हैं आज कुछ टिप्स जिससे आप इन रोएं से छुटकारा पा सकते हैं। आइए जानते हैं।
घरेलू सामानों की मदद से रोएं को हटाएं-
रेगमाल का इस्तेमाल करें – अगर आप कपड़ों को इससे रगड़ेंगे, तो कपड़ों का रुआँ निकल जाएगा!
कैंची से रोएं को काटें – अगर रोएं की मात्रा और आकार अधिक है तो उन्हें ध्यान में रखते हुए, आप इसको कैंची से भी काट सकते हैं। जी दरअसल इसके लिए कपड़ों को किसी सपाट जगह पर फैलाया जाए। उसके बाद एक-एक रोएं को हाथ से उठाकर कैंची से काट दिया जाए। वैसे आप एक हाथ कपड़ों के नीचे डाल सकते हैं, ताकि रोएं को अच्छे से ऊपर उठाया जा सके और फिर इसको आसानी से काटा जा सके।
शेविंग रेजऱ का इस्तेमाल करें – इसके लिए एक डिस्पोजेबल रेजऱ लिया जाए और कपड़े को किसी सपाट जगह पर बिछा दिया जाए। उसके बाद रेजऱ को इस्तेमाल करने वाली जगह पर कपड़े को एक हाथ से खींचकर पकड़ें, ऐसा करने से कपड़े को रेजऱ से नुकसान नहीं पहुंचेगा। ध्यान रहे थोड़ा-थोड़ा करके बहुत आराम से रेजर से इसको साफ किया जाए।
स्वेटर कॉम्ब खरीदें – अगर आप रोएं से परेशान हैं तो स्वेटर कॉम्ब लें जो एक छोटा सा कंघा होता है। इसके दाँते खासतौर पर कपड़ों का रुआँ निकालने के लिए बनाए जाते हैं। जी हाँ और यह कंघा बालों वाले कंघे से पूरी तरह अलग होता है, क्योंकि इसके दांते छोटे और एक दूसरे के करीब होते हैं। इसे इस्तेमाल करने के लिए कपड़े को तान कर रखें और फिर रोएं वाली जगह पर इसको आराम से चलाएं।
(एजेंसी)
एयर फ्रायर में बहुत आसानी से बनाए जा सकते हैं ये स्वादिष्ट व्यंजन, जानिए रेसिपी
एयर फ्रायर की मदद से डीप फ्राई व्यंजनों को कम तेल में बनाया जाता है, जिसके कारण ऐसे व्यंजनों का सेवन सेहत को नुकसान नहीं पहुंचता है। हालांकि, अगर आपने हाल ही में एयर फ्रायर खरीदा है और आपको समझ नहीं आ रहा है कि इसमें क्या-क्या बनाया जा सकता है तो आपकी इस उलझन को हम दूर किए देते हैं। आइए आज हम आपको कुछ ऐसे स्वादिष्ट व्यंजनों की रेसिपी बताते हैं, जिन्हें एयर फ्रायर में बनाना आसान है।
फ्रेंच फ्राइज
सबसे पहले एयर फ्रायर को प्रीहीट करें और इसकी टोकरी में नॉन-स्टिक स्प्रे छिड़कें। इसके बाद आवश्यकतानुसार आलू को पानी से धोकर छिलें, फिर सारे आलू को फ्रेंच फ्राइज की तरह काट लें। इसके बाद आलू को पेपर से थपथपा कर सुखाएं। अब एक बड़े कटोरे में सारे कटे आलू, एक चम्मच तेल और स्वादानुसार नमक को मिलाकर एयर फ्रायर की टोकरी में रखें और जब फ्रेंच फ्राइज क्रिस्पी दिखें तो एयर फ्रायर को बंद करके इसे परोसें।
गार्लिक ब्रेड
गार्लिक ब्रेड बनाने के लिए सबसे पहले एयर फ्रायर को प्रीहीट करें। इसके बाद एक कटोरे में मक्खन, परमेसन चीज़, बारीक पीसी लहसुन की कुछ कलियां और बारीक कटा पार्सले और स्वादानुसार नमक मिलाएं। अब इस मिश्रण को ब्रेड की स्लाइस पर समान रूप से फैलाएं और इन्हें एयर फ्रायर की टोकरी में रखकर इसे चालू कर दें। दो से तीन मिनट के अंदर गर्लिक ब्रेड बनकर तैयार हो जाएगीं, जिसे आप टोमैटो सॉस के साथ परोस सकते हैं।
आलू के चिप्स
इसके लिए भी सबसे पहले एयर फ्रायर को प्रीहीट करें। इसके बाद आवश्यकतानुसार आलू को पानी से धोकर छिलें, फिर सब्जी के छिलके छिलने वाले चाकू का इस्तेमाल करके आलू पतला-पतला काट लें। अब सारी आलू की स्लाइस को एक बड़े बाउल में बर्फ के पानी में 15 मिनट के लिए भिगो दें, फिर सारी स्लाइस को छानकर सुखाएं, फिर इन पर कुकिंग ऑयल और नमक छिड़ककर पांच से आठ मिनट के लिए एयर फ्रायर में पकाएं।
स्टफ शकरकंद
सबसे पहले एयर फ्रायर को प्रीहीट करें और इसकी टोकरी में चार शकरकंद को रखकर ब्रश से जैतून का तेल लगाएं, फिर एयर फ्रायर को शकरकंद के गलने तक चलाएं। इसके बाद शकरकंद को लंबाई में काटकर इनका गूदा एक कोटरे में निकालें, फिर कटोरे में पालक, पनीर, प्याज को स्वादानुसार नमक और एक चुटकी काली मिर्च के साथ मैश करें। अब इस मिश्रण को शकरकंद के छिलके में डालकर एयर फ्रायर में 10 मिनट तक पकाने के बाद परोसें।
(एजेंसी)
इन पर राजनीति ना हो
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 125वीं जन्मतिथि के मौके पर उनकी होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण करते हुए कहा कि देश अतीत की गलतियों को दुरुस्त करने की राह पर है। उनका मतलब आजादी के योद्धाओं की आजाद भारत में हुई उपेक्षा से था। इस क्रम में उन्होंने इंडिया गेट पर नेताजी की भव्य मूर्ति स्थापित करने की घोषणा के साथ ही सरदार वल्लभभाई पटेल, बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर और बिरसा मुंडा जैसी विभूतियों की स्मृतियों को सम्मान देने के लिए सरकार की ओर से उठाए गए कदमों का जिक्र किया।
इसमें संदेह नहीं कि देश की आजादी के लिए लाखों लोगों ने कुर्बानियां दीं और इन सबकी तपस्या के परिणाम के रूप में देश को आजादी हासिल हुई। खास तौर पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की बात की जाए तो यह सच है कि आजादी की लड़ाई में उनके योगदान को उस रूप में मान्यता नहीं मिल सकी, जैसी मिलनी चाहिए थी। कांग्रेस और महात्मा गांधी के नेतृत्व में चली आंदोलन की अहिंसक धारा की बहुत ज्यादा चर्चा हुई, इस मुकाबले नेताजी और उनकी आजाद हिंद फौज की प्रभावी भूमिका काफी हद तक पृष्ठभूमि में रह गई। मगर इसके बावजूद देश के आम जनमानस में नेताजी का स्थान कहीं से भी कम महत्वपूर्ण नहीं रहा। आज भी देशवासियों के मन में नेताजी के लिए वैसा ही आदर और सम्मान है जैसा गांधी, नेहरू और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के लिए।
दूसरी बात यह कि आजादी की लड़ाई के दौरान इसमें अलग-अलग तरह से योगदान कर रहे इन व्यक्तित्वों में विभिन्न बिंदुओं पर असहमतियों के बावजूद आपसी तालमेल और परस्पर सम्मान की भावना लगातार बनी रही। उन सबको पता था कि रास्तों को लेकर उनकी प्राथमिकताओं में भले अंतर हो, मंजिल सबकी एक है। वे सब भारत को एक स्वतंत्र, सम्मानित और संपन्न देश के रूप में देखना चाहते थे। इसलिए चाहे नेताजी हों या स्वतंत्रता संग्राम के अन्य सेनानी, उनके योगदान को रेखांकित करना, उनके लिए अलग-अलग तरह से सम्मान प्रदर्शित करना तो स्वाभाविक है, हर कृतज्ञ राष्ट्र ऐसा करता है, लेकिन गलती से भी इसे राजनीति का हिस्सा नहीं बनने देना चाहिए। ऐसा हुआ तो यह एक गलत और खतरनाक परंपरा को जन्म दे सकता है। ये स्वतंत्रता सेनानी देशवासियों की साझा विरासत का हिस्सा हैं।
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