केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा किसानों के लिये चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं को ससमय पूरा करायें ताकि किसानों को उन योजनाओं का लाभ मिल सके। इन योजनाओं को धरातल पर उतराने हेतु विभिन्न आयामों का प्रयोग करते हुये योजनाओ को पूर्ण कराना सुनिश्चित करें। उक्त निदेश कृषि मंत्री श्री बादल ने वीडियो कॉन्फ्रसिंग के माध्यम से पलामू, लातेहार एवं गढ़वा उपायुक्त एवं कृषि विभाग के पदाधिकारियों को दी। वे आज नेपाल हाउस में आयोजित प्रमण्डीय स्तरीय समीक्षा बैठक में पलामू प्रमण्डल में कृषि विभाग द्वारा किये जा रहे कार्यों की समीक्षा कर रहे थे।
कृषि ऋण माफी सरकार की प्राथमिकता
कृषि मंत्री श्री बादल ने अधिकारियों निदेश दिया कि कृषि ऋण माफी योजना में लाभुकों के चयन में तेजी लायें ताकि अधिक से अधिक किसानों का ऋण माफ किया जा सके। उन्होंने निदेश दिया कि इस कार्य को अभियान चलाकर पूरा करें।
योजनाओं का प्रचार-प्रसार सुनिश्चित करें
कृषि मंत्री श्री बादल ने कहा कि सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी किसानों तक पंहुचे, इस हेतु प्रयास करें। प्रत्येक प्रखण्ड में योजनाओं की जानकारी दें। इसके लिये प्रखण्ड के प्रमुख स्थानों को चिहिन्त करें एवं वहां पर फ्लैक्स लगाकर सरकार द्वारा किसानों के लिये चलाई जा रही महत्वपूर्ण योजनाओ की जानकारी दें। जिला,प्रमण्डल एवं प्रखण्ड स्तर पर कृषि विभागों के भवनों के दीवारों पर दीवार लेखन कर योजनाओं की जानकारी दे सकतें हैं। कृषि मंत्री ने कहा कि कोविड गाईडलाईन का पालन करते हुये स्थानीय कलाकारों का सहयोग लेकर नुक्कड़-नाटक के माध्यम से भी लोगों को योजनाओं की जानकारी दे सकते हैं। इस तरह से प्रचार-प्रसार होने से अधिक से अधिक किसान योजनाओं के प्रति जागरुक होकर उन योजनाओं का लाभ ले सकेंगे।
बीज वितरण का कार्य ससमय सुनिश्चित करें
समीक्षा बैठक में कृषि मंत्री ने कहा कि बीज वितरण का कार्य ससमय सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि जिन प्रमण्डल में जिस बीज की मांग अधिक है उसे ध्यान में ही रखकर बीज वितरण कार्य किया जाये। बैठक में बतलाया गया कि लातेहार में 7 दाल मिल, पलामू में 8 और गढ़वा मे 7 दाल मिल लगाया जायेगा। कृषि मंत्री ने पलामू उपायुक्त को निदेश दिया कि पलामू का दाल कॉफी प्रसिद्ध है इसे विदेशों तक पंहुचायें और इस कार्य में विभाग पूरी मदद करेगा। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना को धरातल पर उतारने के जिसे उसके विभिन्न आयामों को पूराकर इस योजना को शत-प्रतिशत पूरा करायें।
केसीसी कार्ड बनाने में तेजी लायें
कृषि मंत्री श्री बादल ने कहा कि राज्य के सभी किसानों का केसीसी कार्ड बनना हैं। उन्होंने पलामू प्रमण्डल के सभी उपायुक्तों को निदेश दिया कि पलामू प्रमण्डल में सभी किसानों का केसीसी कार्ड बनना है इसे सुनिश्चित करें। इस कार्य के लिये बैंक के साथ बात करें साथ ही उन्हें जल्द से जल्द इस कार्य मे तेजी लाने का निदेश दें।
कृषि विभाग सुझावों पर करेगा अमल
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में तीनों जिले ने लक्ष्य के विरुद्ध काफी कम प्रगति की है इसे जल्द से जल्द पूरा करायें। मिट्टी संरक्षण योजना में तालाबों के जीर्णोंद्धार का काम जल्द से जल्द पूरा करायें साथ ही डीप बोरिंग का काम पूरा करायें। बैठक में कृषि मंत्री ने तीनों जिलों के उपायुक्तों से सुझाव मांगा कि तालाब जीर्णोंद्धार योजना के लक्ष्य को बढ़ाया जाये या नहीं। सभी उपायुक्तों ने कहा कि जितने तालाब मिले है उससे ज्यादा लाभुक हो जाते हैं, अतः लक्ष्य बढ़ाने से ही अधिक से अधिक लाभुकों को ही इसका लाभ मिलेगा।
प्रत्येक पंचायत स्तर पर बनाई जाये मत्स्य सहयोग समिति
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना एवं फीड बेस्ड फिशरीज योजना पर भी विस्तार से चर्चा की गई जिसमें केज कल्चर को बढ़ावा देने पर विचार किया गया। इस चर्चा में कृषि मंत्री ने निदेश दिया कि प्रत्येक पंचायत स्तर पर मत्स्य सहयोग समिति बनाई जाये साथ ही माननीय मुख्यमंत्री की अध्यक्षता एवं विभागीय मंत्री की उपाध्यक्षता में राज्य में वन एवं कृषि उपज को बढ़ाव देने एवं उचित बाजार उपलब्ध कराने हेतु राज्य स्तरीय सिदो-कान्हू सहकारी समिति एवं जिला स्तर पर उपायुक्त की अध्यक्षता में जिला स्तरीय सहकारी समिति के गठन का निर्णय लिया। जिला स्तरीय सहकारी समिति के सदस्यों का चयन मनोनयन/चुनाव हेतु अविलंब आवश्यक कार्रवाई करने का निदेश सभी उपायुक्तों को दिया।
पलामू एवं लातेहार पशुपालन पदाधिकारी को शॉ-काज
मुख्यमंत्री पशुधन योजना की समीक्षा में पलामू एवं लातेहार जिला द्वारा लक्ष्य के विरुद्ध कम लाभुकों को गाय वितरित करने पर कृषि मंत्री ने दोनो जिलों के जिला पशुपालन पदाधिकारी को शॉ-काज करने का निदेश दिया। साथ ही पलामू प्रमण्डल के तीनों जिलों के जिला पशुपालन पदाधिकारी को निदेश दिया कि सुकर पालन,बकरा पालन,ब्रायलर-कुकुक्ट पालन, बत्तख पालन में शत-प्रतिशत लाभुकों का चयन कर येाजना को पूर्ण करें ।
अधिक से अधिक लाभुकों को लाभ दिलाना प्राथमिकता
कृषि सचिव श्री अबु बकर सिद्दकी ने पलामू प्रमण्डल के उपायुक्तों एवं कृषि विभाग के पदाधिकारियों को निदेश दिया कि कृषि विभाग चलाई जा रही योजनाओं को प्राथमिकता के आधार पर लेकर इसे पूर्ण करायें ताकि अधिक से अधिक लाभुकों को इसका लाभ मिल सके। इस दिशा में विभाग का पूरा सहयोग मिलेगा। हमारी प्राथमिकता अधिक से अधिक लाभुकों को लाभ दिलाना हैं ।
समीक्षा बैठक में कृषि निदेशक श्रीमती निशा उरांव, पशुपालन निदेशक श्री शशिप्रकाश झा,मत्स्य निदेशक श्री एच.एन.द्विवेदी, सहकारिता निबंधक श्री मृंत्यजंय वर्णवाल, समिति निदेशक श्री सुभाष सिंह एव विशेष सचिव श्री प्रदीप हजारे सहित विभाग के पदाधिकारी उपस्थित थे।
रांची, मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने कांके रोड रांची स्थित मुख्यमंत्री आवासीय कार्यालय में आज राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने एवं हर हाल में अपराध रोकने का निर्देश पुलिस पदाधिकारियों को दिया है। उच्चस्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि पुलिस पेशेवर अपराधियों को चिन्हित कर उनसे सख्ती से निपटने का कार्य करे। राज्य में अपराध नियंत्रण को लेकर पुलिस संवेदनशील और तत्पर रहे। मुख्यमंत्री ने कहा कि विधि व्यवस्था बनाए रखना राज्य सरकार की अहम जिम्मेदारी है। अपराध नियंत्रण एवं कानून व्यवस्था के सख्त होने से राज्य में चल रहे विकास कार्यों की गति बढ़ेगी तथा योजनाओं का वास्तविक लाभ लोगों को मिल सकेगा। मुख्यमंत्री ने रांची के मोरहाबादी मैदान में दिनदहाड़े हुई गोलीबारी की घटना को लेकर चिंता जताई। मुख्यमंत्री ने पुलिस पदाधिकारियों को निर्देश दिया कि मोरहाबादी घटना में शामिल अपराधियों को किसी भी हाल में बख्शा नही जाना चाहिए जाए। दोषियों पर कड़ी से कड़ी कानूनी-कार्रवाई सुनिश्चित हो।
बैठक में राज्य के मुख्य सचिव श्री सुखदेव सिंह, डीजीपी श्री नीरज सिन्हा, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव-सह-गृह विभाग के प्रधान सचिव श्री राजीव अरुण एक्का, नगर आयुक्त श्री मुकेश कुमार, एसएसपी रांची श्री सुरेंद्र कुमार झा सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
भारतीय सिनेजगत की चर्चित फिल्मकार अश्विनी अय्यर तिवारी के द्वारा सोनी लिव के सहयोग से डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए बनाई जा रही वेब-सीरीज ‘फाडू’ में अभिनेत्री सैयामी खेर तेज तर्रार युवती मंजिरी की भूमिका में नज़र आएंगी। आज के प्रयोगात्मक दौर में अश्विनी अय्यर तिवारी को मानवीय संवेदनाओं से जुड़ी हृदयस्पर्शी सम्मोहक कहानियों को सेल्युलाइड के कैनवास पर चित्रित करने में माहिर फिल्मकार के रूप में जाना जाता है। ‘नील बटे सन्नाटा’, ‘बरेली की बर्फी’ और ‘पंगा’ जैसी शानदार फिल्मों की निर्देशिका अश्विनी अय्यर तिवारी ने हाल ही में अपना पहला उपन्यास मैपिंग लव लॉन्च भी किया है। उनकी खेल-आधारित श्रृंखला, ब्रेक प्वाइंट को आलोचकों और दर्शकों से काफी सराहना मिली है। अब वो फिल्म प्रोडक्शन हाउस सोनी लिव के साथ अपनी नवीनतम प्रोजेक्ट ‘फाडू’ को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाने की तैयारी में लगी हुई हैं। इस वेब सीरीज की शूटिंग जारी है। अभिनेत्री सैयामी खेर को इस शो से काफी उम्मीद है। इस शो के अलावा सैयामी खेर ताहिरा कश्यप की अपकमिंग फिल्म ‘शर्माजी की बेटी’ में नजर आने वाली है तथा ‘न्यू सीजन ब्रीद : इनटू द शैडो’ और आनंद देवरकोंडा के साथ ‘हाईवे’ में भी दिखाई देंगी।
*साहेबगंज के बरहेट स्थित चपेल पहाड़, बास्को पहाड़ और टेंगरा पहाड़ गांव हुए रोशन
*हजारीबाग का इचाक, चतरा के सिमरिया के एक-एक गांव एवं सिमडेगा के चार गांवों को सौर ऊर्जा से
आच्छादित करने का कार्य जारी
रांची, सौर ऊर्जा से झारखण्ड के सुदूर और दुर्गम स्थानों पर स्थित गांव अब रोशनी से जगमग हो रहे हैं। झारखण्ड राज्य के ये वैसे गांव हैं, जहां ग्रिड के माध्यम से विद्युतीकरण संभव नहीं हो पाया था। अंततः कुल 246 गांवों में सोलर पावर प्लॉट (मिनी और माइक्रो), सोलर स्टैण्ड एलोन सिस्टम से विद्युतीकरण किया गया है। वहीं वैसे अविद्युतीकृत घर, जिसके रहवासी विद्युत से वंचित रह गये थे, ऐसे 209 गांवों में क्रमश: 3494 एवं 4245 अविद्युतीकृत घरों अर्थात कुल 7740 घरों को सोलर स्टैण्ड ऍलोन सिस्टम से विद्युतीकृत किया गया है।
चिह्नित हुए गांव, पहुंची बिजली
झारखण्ड बिजली वितरण निगम लिमिटेड द्वारा वैसे सुदूरवर्ती गांवों को चिह्नित किया गया, जहां अबतक पारम्परिक ऊर्जा स्रोतों के माध्यम से विद्युत आपूर्ति या दुर्गम पहाड़ियों एवं वनों से आच्छादित होने के कारण पारंपरिक ऊर्जा स्रोत से विद्युत आपूर्ति बहाल करना वित्तीय एवं भौगोलिक दृष्टिकोण से व्यवहार्य नहीं था। ऐसी स्थिति में वैसे गांवों को सोलर एनर्जी के माध्यम से विद्युतीकृत किया गया, जिससेे न सिर्फ उक्त ग्रामों की ऊर्जा की आवश्यकता को पूर्ण किया जा सका, बल्कि ऐसे गांवों को आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाने हेतु ग्रामीण औधोगिकीकरण की संभावनाओं को देखते हुए विद्युत की आवश्यकता को पूर्ण किया जा रहा है।
इस लक्ष्य से कार्य कर रही सरकार
राज्य सरकार का लक्ष्य हरेक गांव, कस्बों, टोलों का विद्युतीकरण करना है। कई गांवों में दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण परंपरागत विद्युत आपूर्ति तकनीकी और व्यावहारिक रूप से सहज नहीं है। ऐसे में सरकार का मानना है कि वहां अक्षय ऊर्जा परियोजना स्थानीय जरूरतों के अनुरूप एक बेहतर विकल्प साबित हो सकती है। ऐसे गांवों या कस्बों को 100 प्रतिशत सब्सिडी के तहत स्थापित मिनी ग्रिड अथवा सोलर स्टैंड एलोने होम लाइटिंग सिस्टम के जरिए विद्युतीकृत करने की योजना पर कार्य हो रहा है, जिससे हर गरीब के घर तक बिजली पहुंच सके।
दो माध्यम से हो रहा विद्युतीकरण
सरकार दो माध्यम से सुदूरवर्ती गांवों को रोशन कर रही है।पहला सोलर स्टैण्ड एलोन सिस्टम के जरिये 50 से कम घर होने अथवा गांव की भौगोलिक स्थिति में गांव का विस्तार, ग्रामीण जनसंख्या का घनत्व विभिन्न टोलों में बांटकर दूर दूर होने की स्थिति में उस ग्राम को सोलर स्टैण्ड एलोन सिस्टम के माध्यम से विद्युतीकृत किया जाना प्रस्तावित है। इसके तहत प्रत्येक घर में 200-250 वाट का मॉड्यूल 9 वाट के 4 अदद एल.ई.डी. लाईट, 1 अदद डी०सी० पंखा उपलब्ध कराया जायेगा। साथ ही एक मोबाईल चार्जिंग प्वाइंट एवं 1 एल.ई.डी. टी०वी० हेतु उपयुक्त क्षमता के पावर प्वाईंट की व्यवस्था के साथ विद्युतकृत किया जायेगा। उक्त के अतिरिक्त यदि ग्राम में सामुदायिक भवन अथवा विद्यालय उपलब्ध है, तो उसमें भी उपयुक्त क्षमता के अनुसार सोलर स्टैण्ड एलोन सिस्टम के माध्यम से विद्युत आपूर्ति किया जाना प्रस्तावित है। प्रत्येक 10 घरों की आबादी पर एक अदद 12 वाट एल.ई.डी. सोलर स्ट्रीट लाईट लगाकर गांव की गलियों को रोशन किया जायेगा। दूसरा, मिनी/माईक्रो ऑफ ग्रिड सोलर पावर प्लांट के तहत घरों की संख्या 50 से अधिक होने पर एवं ग्राम का वास्तविक फैलाव, आबादी का घनत्व सघन होने की स्थिति में उस ग्राम को मिनी, माईक्रो ग्रिड सोलर पावर प्लांट के माध्यम से प्रत्येक घर में 200-250 वाट क्षमता का विद्युत लोड निर्धारित करते हुए पोल एवं तार के माध्यम से प्रत्येक घर में विद्युत आपूर्ति किया जाना प्रस्तावित है।
ये गांव हुए रोशन
साहेबगंज के बरहेट स्थित चपेल पहाड़, बास्को पहाड़ और टेंगरा पहाड़ स्थित गांव सौर ऊर्जा से रोशन हो चुके हैं। वहीं पतना प्रखंड के छः गांवों में सौर ऊर्जा का कार्य जारी है। जबकि हजारीबाग के इचाक, चतरा के सिमरिया के एक-एक गांव एवं सिमडेगा के चार गांवों को सौर ऊर्जा से आच्छादित करने का कार्य जारी है।
आलोक पुराणिक –
कई राज्यों में चुनावी मंडियां सज चुकी हैं, दुकानदार हुंकारे लगा रहे हैं। दुकानदारी की एक तरकीब यह भी है कि पड़ोसी दुकानदार का माल घटिया बताया जाये और अपना माल चकाचक बताया जाये। मेरे घर के करीब की सब्जी मंडी में एक आलूवाला पड़ोसी के आलुओं की ओर इशारा करते हुए हुंकारा लगाता है-घटिया आलू उधर हैं, बढिय़ा आलू इधर हैं। और कमाल यह है कि कभी घटिया आलू वाले से आलू उधार लेकर अपनी दुकान पर रखता है, अगर मांग बहुत ही ज्यादा हो जाये उसकी दुकान पर। उधर का घटिया आलू इधर आते ही बढिय़ा हो जाता है।
वादे उड़ रहे हैं मक्खियों की तरह, गिनती मुश्किल है। अगर वैज्ञानिक कुछ जुगाड़ ऐसा कर दें कि कोरोना के सारे वायरस चुनावी झूठ से मरने लगें, तो कम से कम पंजाब, उत्तराखंड, यूपी में तो कोरोना रातों रात गायब हो जायेगा। झूठ से अब कोई नहीं मरता, बल्कि झूठ से तो कइयों को रोजगार-धंधे मिल रहे हैं। टीवी चैनलों को इश्तिहार मिल रहे हैं, प्रिंटिंग प्रेसों को पोस्टर छापने का रोजगार मिल रहा है। झूठों की इतनी वैरायटी है इन दिनों कि झूठ की रेंज आश्चर्यचकित करती है।
22 करोड़ की कुल जनसंख्या वाले राज्य में कोई कह रहा है कि 50 करोड़ रोजगार दे दिये जायेंगे। गंजों को हेयर ड्रायर बेचे जा सकते हैं। कमाल यह है कि रोजगार के वादे करके नेता का रोजगार चलता जाता है। नेता तो आम तौर पर टॉप रोजगार अपनी फैमिली के लिए ही सुरक्षित रखता है। वादे अलबत्ता सबके लिए हैं और मुफ्त हैं। इतने रोजगार पैदा हो सकते हैं यह बात नेताओं को चुनावों में ही क्यों समझ में आती है, पहले क्यों नहीं बताते। चुनाव से पहले इस मारधाड़ में लगी रहती हैं कई पार्टियां कि जीजाजी ज्यादा कमा गये या बहू जी ज्यादा कमा गयीं। चुनाव से पहले परिवार ही कारोबार होता है, चुनाव के ठीक पहले जनता में परिवार दिखने लगता है।
चुनाव है जी चुनाव है, कोरोना का इस्तेमाल हम कैसे करें—एक नेता ने मुझसे पूछा। मैंने बताया कि सिंपल—दूसरी पार्टी से जब बंदों को तोड़कर लाओ, तो बताओ कि नये मंत्रालय बनाये जायेंगे, नये मंत्री बनाये जायेंगे। कोरोना इतने लंबे समय से है, अभी लंबा चलेगा, तो हम कोरोना मंत्रालय बनायेंगे, कोरोना मंत्रालय में एक कैबिनेट रैंक का मंत्री होगा और कम से कम तीन उपमंत्री होंगे। कोरोना कैबिनेट मंत्री-कोरोना उपमंत्री-अल्फा वेरिएंट, कोरोना उपमंत्री डेल्टा वेरिएंट, कोरोना उपमंत्री ओमीक्रोन वेरिएंट। कोरोना आम आदमी को भले ही बेरोजगार कर रहा हो, पर नेता इसमें भी रोजगार तलाश सकता है। कामयाब नेता दरअसल कामयाब दुकानदार होता है, माल बेचना आता है उसे।
अनूप भटनागर
राजीव गांधी सरकार के कार्यकाल में वर्ष 1985 में देश में पहली बार बनाया गया दल बदल कानून विवादों के निपटारे में अत्यधिक विलंब की वजह से अपनी प्रासंगिकता खो रहा है। दसवीं अनुसूची के तहत बने इस कानून के अभी तक के अनुभव और दल बदल के खिलाफ याचिकाओं के निपटारे के मामले में अध्यक्षों की भूमिका के परिप्रेक्ष्य में अब इसमें व्यापक संशोधन करने और ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए एक स्थाई न्यायाधिकरण की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
सदन का अध्यक्ष भी चूंकि राजनीतिक दल का ही सदस्य होता है, इसलिए दल बदल संबंधी विवादों के निष्पादन में निष्पक्षता की कमी महसूस होती है। इस बाबत शीर्ष अदालत ने दो साल पहले सुझाव दिया था कि संसद को दसवीं अनुसूची के तहत ऐसे विवादों के निपटारे की जिम्मेदारी अर्द्ध न्यायाधिकरण के रूप में अध्यक्षों को सौंपने के प्रावधान पर नये सिरे से विचार करना चाहिए।
इसकी एक प्रमुख वजह दल बदल करने वाले सांसदों और विधायकों को संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत बने कानून के तहत अयोग्य घोषित करने की याचिकाओं के निपटारे के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं होने की वजह से अध्यक्ष द्वारा ऐसे मामलों में फैसला करने में अत्यधिक विलंब भी है। इस संबंध में तमिलनाडु, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और मणिपुर सहित अनेक विधान सभा अध्यक्षों के समक्ष लंबित ऐसे मामलों का उदाहरण दिया जा सकता है।
राज्यों की विधान सभाओं में दल बदल करने वाले सदस्यों को अयोग्य घोषित करने के लिए मूल राजनीतिक दल की याचिकाओं पर निपटारे में अत्यधिक विलंब की वजह से कई बार ये मामले सर्वोच्च अदालत तक पहुंचे। शीर्ष अदालत ने पिछले साल जुलाई में ही एक मामले में दल बदल कानून के तहत लंबित याचिकाओं के निपटारे के लिए समय सीमा और दिशा-निर्देश प्रतिपादित करने से इंकार कर दिया था। न्यायालय का स्पष्ट मत था कि यह काम संसद का है और उसे ही इस पर विचार करना होगा। यही नहीं, कर्नाटक विधान सभा में हुए दल बदल से संबंधित मामले में 2019 में शीर्ष अदालत ने बहुत ही स्पष्ट शब्दों में कहा था कि सदन का अध्यक्ष अगर तटस्थ रहने का संवैधानिक दायित्व नहीं निभा सकता है तो वह इस पद के योग्य नहीं है।
संसद और विधानमंडल में निर्वाचित सदस्यों की आया राम-गया राम की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के लिए 1985 में संविधान में संशोधन कर दल बदल कानून बनाया गया था। इस कानून में हालांकि, कुछ संशोधन भी किए गए लेकिन इसके बाद भी सदन में पाला बदलने वाले सांसदों और विधायकों के बारे निर्णय का अधिकार पूरी तरह से अध्यक्ष के पास ही था। ऐसे मामलों के निपटारे में हो रहे विलंब का ही नतीजा था कि 21 जनवरी, 2020 को सर्वोच्च अदालत ने सुझाव दिया कि संसद को दल बदल कानून के तहत सदस्यों की अयोग्यता से संबंधित विवाद सुलझाने के लिए संविधान में संशोधन करके एक स्थाई न्यायाधिकरण की स्थापना करने पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
न्यायालय का विचार था कि संसद को दल बदल करने वाले सदस्य के मामले में फैसला करने का अधिकार एक अर्द्ध-न्यायाधिकरण के रूप में अध्यक्ष को सौंपने संबंधी व्यवस्था पर पुनर्विचार करना चाहिए। दरअसल, ऐसे विवाद का निपटारा करते समय भी अध्यक्ष एक राजनीतिक दल विशेष का ही सदस्य होता है।
इसकी निष्पक्षता बनाए रखने के लिए न्यायाधिकरण का अध्यक्ष शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश या उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश को बनाने का प्रावधान किया जा सकता है।
दरअसल, आज जहां दल बदल करने वाले निर्वाचित प्रतिनिधियों के मामले में फैसला होने में अत्यधिक समय लग रहा है तो दूसरी ओर दल बदल कानून की मार से बचने के लिए निर्वाचित प्रतिनिधि सदन के कार्यकाल के अंतिम साल में चुनाव नजदीक आने पर पाला बदलने का रास्ता अपना रहे हैं। चुनावी साल में निर्वाचित प्रतिनिधियों के अपने राजनीतिक दल से इस्तीफा देकर दूसरे दल में शामिल होने की इस बीमारी से हालिया दिनों में सभी दल पीडि़त हैं। अक्सर ऐसी गतिविधियां भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती हैं।
सरकार अगर वास्तव में दल बदल जैसी समस्या पर अंकुश पाना चाहती है तो उसे कानून में यह प्रावधान करने पर विचार करना चाहिए कि चुनावी साल में सदन और मूल राजनीतिक दल से इस्तीफा देने वाला व्यक्ति कम से कम एक साल तक किसी अन्य राजनीतिक दल का प्रत्याशी बनने के अयोग्य होगा।
यह सर्वविदित है कि न्यायिक हस्तक्षेप से ही लोकतांत्रिक प्रक्रिया की स्वच्छता, पारदर्शिता और पवित्रता बनाये रखने और इससे संदिग्ध छवि वाले व्यक्तियों को बाहर रखने में काफी सफलता मिली है। उम्मीद है कि सरकार सर्वोच्च अदालत के सुझावों पर और समय गंवाए बगैर ही उचित कदम उठायेगी।
भरत झुनझुनवाला –
चुनाव के इस माहौल में मुफ्त बांटने के वादे करने की होड़ मची हुई है। कोई साड़ी बांटता है, कोई साइकिल, कोई लैपटॉप और कोई मुफ्त में बस यात्रा। यहां तक कि कहीं तो शराब भी मुफ्त बांटने की बात की जा रही है। कुछ मतदाता मानते हैं कि कम से कम जनता को 5 साल में एक बार ही सही, कुछ तो हासिल हो। सरकार ने नोटबंदी और जीएसटी जैसी नीतियां लागू कर जनता के रोजगार और धंधे को पस्त कर दिया है इसलिए मुफ्त में जो मिले कुछ लोग उसका स्वागत करते हैं। लेकिन विचारणीय यह है कि मुफ्त क्या बांटा जाए? ऐसे में यदि सच्ची अंग्रेजी शिक्षा को ही मुफ्त बांट दीजिए तो जनता भी सुखी हो जाएगी और पार्टी को संभवत: जीत भी हासिल हो जाए? कहावत है कि किसी व्यक्ति को मछली देने के स्थान पर मछली पकडऩा सिखाना ज्यादा उत्तम है क्योंकि यदि मछली पकडऩा सीख लेगा तो वह आजीवन अपनी आय अर्जित कर सकता है। इसी प्रकार यदि हम युवाओं को मुफ्त साइकिल और लैपटॉप वितरित करने के स्थान पर यदि मुफ्त अंग्रेजी शिक्षा दें तो वे साइकिल और लैपटॉप स्वयं खरीद लेंगे और आजीवन अपनी जीविका भी चला सकेंगे।
जनता में अंग्रेजी शिक्षा की गहरी मांग है। शहरों में घरों में काम करने वाली सहायिकाओं द्वारा भी अपने बच्चों को 1,500 से 2,000 रुपए प्रतिमाह की फीस देकर अच्छी अंग्रेजी के लिए प्राइवेट स्कूल में भेजने का प्रयास किया जाता है। वे अपनी आय का लगभग तिहाई हिस्सा बच्चों की फीस देने में व्यय कर देती हैं। इससे प्रमाणित होता है कि शिक्षा की मांग है लेकिन अच्छी शिक्षा खरीदने की उनकी क्षमता नहीं है। दिल्ली की आप सरकार ने सरकारी शिक्षा में महत्वपूर्ण सुधार किए हैं लेकिन इसके बावजूद सरकारी विद्यालयों के हाई स्कूल में 72 प्रतिशत विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए जबकि प्राइवेट स्कूलों में 93 प्रतिशत विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए। दूसरे राज्यों में सरकारी विद्यालयों की स्थिति बहुत अधिक दुरूह है जबकि इन पर सरकार द्वारा भारी खर्च किया जा रहा है।
वर्ष 2016-17 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सरकारी प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों में प्रति छात्र 25,000 रुपये प्रतिवर्ष खर्च किए जा रहे थे। वर्तमान वर्ष 2021-22 में यह रकम लगभग 30,000 रुपये हो गई होगी। इसमें भी सरकारी विद्यालयों में तमाम दाखिले फर्जी किए जा रहे हैं। बिहार के एक अध्ययन में 9 जिलों में 4.3 लाख फर्जी विद्यार्थी सरकारी विद्यालयों में पाए गए। इन फर्जी दाखिलों को दिखाकर स्कूल के कर्मचारी मध्यान्ह भोजन और यूनिफॉर्म इत्यादि की रकम को हड़प जाते हैं। किसी अन्य आकलन के अभाव में हम मान सकते हैं कि 20 प्रतिशत विद्यार्थी फर्जी दाखिले के माध्यम से दिखाए जाते होंगे। इन्हें काट दें तो उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रति सच्चे विद्यार्थी पर 37,000 रुपये प्रति वर्ष खर्च किया जा रहा है। नेशनल सैंपल सर्वे के अनुसार, लगभग 60 प्रतिशत बच्चे वर्तमान में सरकारी विद्यालयों में जा रहे हैं। अत: यदि इस 37,000 रुपये प्रति सच्चे छात्र की रकम को प्रदेश के सभी छात्रों यानी सरकारी एवं प्राइवेट स्कूल दोनों में पढऩे वाले छात्रों में वितरित किया जाए तो प्रत्येक छात्र पर उत्तर प्रदेश सरकार लगभग 20,000 रुपये प्रति वर्ष खर्च रही है।
चुनाव के समय पार्टियां वादा कर सकती हैं कि इस 20,000 रुपये की रकम में से 12,000 रुपये प्रदेश के सभी छात्रों को मुफ्त वाउचर के रूप में दे दिये जाएंगे। इस वाउचर के माध्यम से वे अपने मनचाहे विद्यालय में फीस अदा कर सकेंगे। यह 12,000 रुपये प्रति वर्ष प्रति छात्र सरकारी शिक्षकों के वेतन में से सीधे कटौती करके किया जा सकता है। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि सरकारी अध्यापकों का वेतन वास्तव में कम हो जाएगा। वे अपने विद्यालय को आकर्षक बना कर पर्याप्त संख्या में छात्रों को आकर्षित करेंगे तो वे अपने वेतन में हुई इस कटौती की भरपाई वाउचर से मिली रकम से कर सकते हैं। जैसे वर्तमान में तमाम विश्वविद्यालयों में सेल्फ फाइनेंसिंग कोर्स चलाए जा रहे हैं। इन कोर्सों में छात्र द्वारा भारी फीस दी जाती है, जिससे पढ़ाने वाले अध्यापकों के वेतन का पेमेंट किया जाता है। इसी तर्ज पर सरकारी प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक, छात्रों को आकर्षित कर उनके वाउचर हासिल कर अपने वेतन की भरपाई कर सकते हैं।
ऐसा करने से सरकारी तथा निजी दोनों प्रकार के विद्यालयों को लाभ होगा। सरकारी विद्यालयों के लिए अनिवार्य हो जाएगा कि वे अपनी शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाएं, जिससे कि वे पर्याप्त संख्या में छात्रों को आकर्षित कर सकें, उनके वाउचर हासिल कर सकें और अपने वेतन में हुई कटौती की भरपाई कर सकें। प्राइवेट विद्यालयों के लिए भी यह लाभप्रद हो जाएगा क्योंकि उनमें दाखिला लेने वाले छात्र 1,000 रुपये प्रति माह की फीस इन वाउचरों के माध्यम से कर सकते हैं और शेष फीस वह अपनी आय से दे सकते हैं। जो सहायिका अपने 6,000 रुपये के मासिक वेतन में से वर्तमान में 1,500 रुपये अंग्रेजी स्कूल में बच्चे की फीस अदा करने के लिए कर रही है उसे अपनी कमाई में से केवल 500 रुपये ही देने होंगे। जिस प्राइवेट विद्यालय द्वारा आज 600 रुपये प्रति माह फीस के रूप में लिए जा रहे हैं उसे वाउचर के माध्यम से 1,000 रुपये मिल जायेंगे और कुल 1,600 रुपये की रकम से वे अच्छे अध्यापक की नियुक्ति कर सकेंगे। प्राइवेट विद्यालयों की गुणवत्ता में भी सुधार होगा।
वर्तमान समय में रोबोट और बड़ी कंपनियों द्वारा सस्ते माल का उत्पादन किए जाने से आम आदमी के रोजगार का भारी हनन हो रहा है। इसके सतत जारी रहने का अनुमान है। इसलिए आम आदमी की जीविका को आगे आने वाले समय में बनाए रखने के लिए जरूरी है कि वह अंग्रेजी शिक्षा प्राप्त करें, जिससे इंटरनेट आदि के माध्यम से वे सॉफ्टवेयर, संगीत, अनुवाद इत्यादि सेवाओं की बिक्री कर सकें और अपनी जीविका चला सकें। वर्तमान चुनाव के माहौल में पार्टियों को चाहिए कि साड़ी, साइकिल और लैपटॉप बांटने के वादों के स्थान पर सच्ची शिक्षा को मुफ्त बांटने पर विचार करें, जिससे उन्हें चुनाव में जीत हासिल हो और सरकार पर आर्थिक बोझ भी न पड़े। वहीं जनता को आने वाले समय में और रोजगार भी उपलब्ध हो जाए। (लेखक आर्थिक मामलों के जानकार हैं।)
शान से एंटरटेनमेंट के बैनर तले निर्मित रोमांटिक और सेंसेशनल म्यूजिक वीडियो ‘तेरी आशिकी में’ 3 फरवरी को रिलीज होगा। इस म्यूजिक वीडियो का निर्देशन ‘बेईमान लव’ और ‘रेड’ फेम वाले राजीव चौधरी ने किया है। रेमो डिसूजा के साथ काम कर चुके जीत सिंह ने गाने की कोरियोग्राफी की है वहीं अनुभवी डीओपी अकरम खान हैं। एडिटिंग फेमस पार्थ भट्ट द्वारा किया गया है, जो हिमेश रेशमिया के एल्बमों का एडिटिंग करते हैं, डीआई, कलर करेक्शन और वीफएक्स का कार्य अमित जालान (इमेज डिवाइसेस) ने किया है। बॉलीवुड के पॉपुलर सिंगर अमन त्रिखा और कोमल के स्वर से सजे रोमांटिक और भावविभोर कर देने वाले गीत को निर्देशक राजीव चौधरी ने बड़े ही कलात्मक ढंग से अभिनेता शांतनु भामरे (Shantanu Bhamare) और अभिनेत्री एलेना टुटेजा पर फिल्माया है। संजय अमान के द्वारा संचालित सान म्यूजिक कंपनी द्वारा रिलीज की जा रही इस म्यूजिक वीडियो में शांतनु भामरे और अभिनेत्री एलेना टुटेजा की रोमांटिक जोड़ी है। जहाँ एक ओर कला और वाणिज्य के क्षेत्र में शांतनु भामरे एक जाने माने शख्सियत हैं और राजीव चौधरी एवं अशोक त्यागी की फिल्म ‘रेड’ में अभिनेता कमलेश सावंत (फेम दृश्यम) और मेगा स्टार अमिताभ बच्चन के साथ ‘भूतनाथ रिटर्न्स’ आदि में काम कर चुके हैं वहीं दूसरी ओर मास्को(रशिया) में पैदा हुई एलेना टुटेजा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मॉडल व अभिनेत्री के तौर पर काफी ख्याति अर्जित कर चुकी हैं। उन्होंने बॉलीवुड फिल्म “कहता है ये दिल” (2020) में अभिनय किया, जबकि उनका आगामी अंग्रेजी फिल्म ‘किलिंग माईसेल्फ’का ट्रेलर फिल्म अभिनेता सोनू सूद द्वारा हाल ही में जारी किया गया है। फ़िलवक्त एलेना टुटेजा बॉलीवुड में काफी सक्रिय हैं। म्यूजिक सिंगल ‘तेरी आशिकी में’ को वीडियो फॉर्मेट के अलावा ऑडियो फॉर्मेट में भी 3 फ्लेवर में जारी किया जाएगा, एक डुएट में, दूसरा सोलो और तीसरा इंटरनेशनल ट्रैक (सिर्फ म्यूजिक)। ऑडियो फॉर्मेट को संगीत प्रेमियों के लिए अलग अलग डिजिटल प्लेटफॉर्म क्रमशः अमेज़ॉन म्यूजिक, एमएक्स प्लेयर, यूट्यूब म्यूजिक, गाना, जीओ सावन, स्पॉटीफाई, हंगामा म्यूजिक, आई ट्यून स्टोर, जिओ सावन, रेसो, साउंड क्लाउड, विंक, और कई अन्य प्लेटफॉर्म पर जारी किया जाएगा।
पिछली आधी सदी से इंडिया गेट पर प्रज्वलित ‘अमर जवान ज्योति’ हर देशवासी को राष्ट्र की बलिदानी गाथा से जोड़ती रही है। अमर जवान ज्योति 26 जनवरी, 1972 को अस्तित्व में आई थी, जिसे वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद जवानों की स्मृति में प्रज्वलित किया गया था। वहीं 25 फरवरी, 2019 को इसके निकट ही राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का उद्घाटन हुआ, जहां आजाद भारत में शहीद हुए पच्चीस हजार से अधिक जवानों के नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित हैं, जिनकी याद में वहां भी अमर जवान ज्योति प्रज्वलित है। मोदी सरकार ने दोनों ज्योतियों के विलय के बारे में फैसला लिया था और देश के महानायक नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जन्मशती को इस मौके के रूप में चुना। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडिया गेट पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया और ऐतिहासिक गलती सुधारने की बात कही। साथ उन असंख्य बलिदानी स्वतंत्रता सेनानियों का स्मरण किया जो त्याग और बलिदान के बावजूद चर्चाओं में न आ सके। दरअसल, इंडिया गेट 1921 में प्रथम विश्व युद्ध तथा तीसरे एंग्लो अफगान युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की याद में बनाया गया था। सत्ता पक्ष के लोग जहां इसे साम्राज्यवादी ब्रिटिश सत्ता का प्रतीक मानते रहे हैं वहीं विपक्षी दलों का कहना है कि आजादी से पहले भारतीय सैनिकों के बलिदान को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। अतीत को लेकर एक समग्र दृष्टि की जरूरत है। बहरहाल, देश में एक समग्र राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की कमी जरूर पूरी हुई है जो देश के बहादुर शहीद सैनिकों के प्रति राष्ट्र की कृतज्ञता का ही पर्याय है। इसका निर्माण भी नई दिल्ली में विकसित सेंट्रल विस्टा एवेन्यू में इंडिया गेट के पास ही किया गया है जहां अमर जवान ज्योति का विलय राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में प्रज्वलित ज्योति में हुआ है। निस्संदेह, कृतज्ञ राष्ट्र अपने शहीदों के बलिदान से कभी उऋण नहीं हो सकता है। उनके बलिदान की अखंड ज्योति हमेशा नई पीढ़ी को प्रेरणा देती रहेगी कि देश ने अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिये कितनी बड़ी कीमत चुकायी है।
बहरहाल, यह तार्किक ही है कि शहादत को समर्पित ज्योति को दिल्ली में एक ही स्थान पर रखा जाना चाहिए। हालांकि, इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति की अमिट स्मृतियां भारतीय जनमानस के दिलो-दिमाग में सदैव ही रही हैं। इस मार्ग से गुजरते लोगों का ध्यान बरबस इस ओर सम्मान से चला ही जाता था। वहीं सरकार व सेना का मानना रहा है कि राष्ट्रीय युद्ध स्मारक ही वह एकमात्र स्थान हो सकता है जहां शहीदों को गरिमामय सम्मान मिल सकता है। दूसरी ओर, इंडिया गेट क्षेत्र में छत्र के नीचे जहां नेताजी सुभाष चंद्र बोस की होलोग्राम प्रतिमा लगायी गई है, वहां कभी इंग्लैंड के पूर्व राजा जॉर्ज पंचम की प्रतिमा हुआ करती थी। निस्संदेह स्वतंत्र भारत में उसका कोई स्थान नहीं हो सकता था। माना जा रहा है कि इस महत्वपूर्ण स्थान में नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा का लगाया जाना, उनके अकथनीय योगदान का सम्मान ही है। विगत में सरकारों के अपने आदर्श नायक रहे हैं और उन्हीं के स्मारक नजर भी आते हैं, जिसके मूल में वैचारिक प्रतिबद्धताएं भी शामिल रही हैं। इसके बावजूद देशवासियों में आत्मसम्मान व गौरव का संचार करने वाले नायकों को उनका यथोचित सम्मान मिलना ही चाहिए जो कालांतर में आम नागरिकों में राष्ट्र के प्रति समर्पण व राष्ट्रसेवा का भाव ही जगाते हैं। शहादत की अमर ज्योति भी देशवासियों के दिलों में शहीदों के प्रति उत्कट आदर की अभिलाषा को ही जाग्रत करती है। वहीं स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमा देश की स्वतंत्रता की गौरवशाली लड़ाई का पुनर्स्मरण भी कराती है कि हमने आजादी बड़े संघर्ष व बलिदान से हासिल की थी। ऐसे में यदि ज्योति में ज्योति मिलने से राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की आभा में श्रीवृद्धि होती है तो यह बलिदानियों का कृतज्ञ राष्ट्र द्वारा किया जाने वाला सम्मान ही कहा जायेगा। वहीं नेताजी की प्रतिमा लगने से इंडिया गेट को भी प्रतिष्ठा मिलेगी।
केएम चंद्रशेखर और टीकेए नायर –
भारतीय प्रशासनिक सेवा सुर्खियों में है, क्योंकि पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों द्वारा आईएएस अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति संबंधी नियमों में केंद्र सरकार के प्रस्तावित संशोधनों पर गंभीर आपत्तियां दर्ज करायी गईं हैं। प्रभावी शासन के लिए और सहकारी संघवाद की भावना का सम्मान करते हुए, नियमों में किसी भी बड़े बदलाव के लिए राज्यों के साथ परामर्श किया जाना चाहिए।
आईएएस अधिकारियों की भर्ती, नियुक्ति, उन्हें प्रशिक्षण देने तथा विभिन्न राज्य कैडर में आवंटित करने का कार्य केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है, आईएएस अधिकारियों को न केवल अपने राज्य कैडर में बल्कि, केंद्र सरकार में भी, जब भी ऐसा करने के लिए कहा जाये, सेवाएँ प्रदान करने का कार्यादेश दिया जाता है।
केंद्र सरकार में उप सचिव/निदेशक से सचिव तक के वरिष्ठ पदों पर विभिन्न राज्य कैडर से आईएएस अधिकारियों की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति एवं अन्य सेवाओं के अधिकारियों, क्षेत्र-विशेष के विशेषज्ञों तथा अन्य अधिकारियों की नियुक्ति होने की उम्मीद की जाती है।
इस प्रकार आईएएस अधिकारी उन राज्य सरकारों, जिनसे वे संबंधित हैं और केंद्र सरकार जो उनकी नियुक्ति प्राधिकारी है, के दोहरे नियंत्रण में होते हैं। आईएएस की योजना और संरचना में केंद्र और राज्य दोनों को- देश के प्रभावी शासन के लिए अधिकारियों की सेवाओं का उपयोग करने में सक्षम बनाने के लिए शक्ति के विभाजन की परिकल्पना की गई है।
आईएएस अधिकारियों की सेवा शर्तों से संबंधित मामलों में अंतिम अधिकार केंद्र सरकार में निहित है, जिसमें नियुक्ति, स्थानान्तरण और अनुशासनात्मक कार्रवाई शामिल हैं, लेकिन राज्य सरकारों के पास भी प्रासंगिक नियमों के माध्यम से इन मामलों में भागीदारी की भूमिका है।
इसलिए केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित आईएएस कैडर नियमों में बदलाव को हमारी अर्ध-संघीय राजनीति के अंतर्गत केंद्र एवं राज्य सरकारों की संरचना और कामकाज के संदर्भ में देखा जाना चाहिए।
विभिन्न मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार द्वारा 5 और 12 जनवरी को लिखे दो पत्रों में आईएएस कैडर नियमों में बदलाव करने और कुछ जोडऩे का प्रस्ताव दिया गया है। पहले पत्र में प्रस्ताव है कि राज्य सरकारें केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति के लिए विभिन्न स्तरों पर पात्र अधिकारी उपलब्ध कराएंगी, जिन्हें प्रतिनियुक्ति आरक्षित माना जायेगा। इसकी गणना केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से की जाएगी और असहमति की स्थिति में केंद्र सरकार का विचार अंतिम रूप से मान्य होगा। इसके अलावा, यह राज्य सरकारों को एक निर्दिष्ट अवधि के भीतर केंद्र सरकार के निर्देश को पूरा करने का कार्यादेश देता है।
12 जनवरी को लिखे पत्र के माध्यम से और आगे जाते हुए, केंद्र ने किसी भी केंद्रीय पद पर नियुक्ति के लिए किसी राज्य में किसी भी आईएएस अधिकारी की सेवाओं को प्राप्त करने का अधिकार अपने पास रखा है, जहां राज्य सरकार निर्धारित समय के भीतर केंद्र के निर्णय को प्रभाव में लायेगी। अधिक बदलाव के साथ यह कहा गया है कि यदि राज्य सरकार केंद्र सरकार द्वारा निर्दिष्ट अवधि के भीतर इस निर्देश की उपेक्षा करती है, तो अधिकारी (अधिकारियों) को केंद्र सरकार द्वारा निर्दिष्ट तिथि से कैडर से कार्यभार-मुक्त कर दिया जाएगा।
इन कदमों में जल्दबाजी दिखती है। ऐसा करना जरूरी हो गया, क्योंकि केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने वाले अधिकारियों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गयी है। एक अनुमान के मुताबिक, अनिवार्य आरक्षित वर्ग 2014 के 69 फीसदी से कम होकर 2021 में 30 फीसदी रह गया है।
यह निश्चित रूप से गंभीर कमी को दर्शाता है, लेकिन नियमों में बड़े बदलावों का प्रस्ताव करने के बजाय, भारत सरकार को पहले आत्मनिरीक्षण करना चाहिए और जांच करनी चाहिए कि केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति अब पहले की तरह लोकप्रिय क्यों नहीं रह गई है।
क्या केंद्र में सेवा की शर्तें राज्यों की तुलना में खराब हो गई हैं, जिससे केंद्रीय प्रतिनियुक्ति राज्यों में नियुक्त अधिकारियों के लिए कम आकर्षक हो गई है? क्या उच्च स्तर पर पैनल प्रणाली में बदलाव ने उन अधिकारियों के लिए दरवाजे बंद कर दिए हैं जो अन्यथा केंद्र में सेवा के लिए उपलब्ध होते? क्या केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर आईएएस अधिकारियों के सेवा कार्यकाल में अनिश्चितता बढ़ गई है?
भारत सरकार को इस तथ्य से भी अवगत होना चाहिए कि जमीनी स्तर के प्रशासन की जिम्मेदारी राज्यों की होती है। यहां तक कि केंद्रीय योजनाओं को भी बड़े पैमाने पर राज्य सरकारों के माध्यम से लागू किया जाता है। राज्यों से केंद्र में अधिकारियों का मनमाना और अचानक स्थानांतरण राज्य में शासन को कमजोर करते हुए अत्यधिक हानिकारक हो सकता है।
इसके अलावा, गैर-भाजपा राज्य इस बात से चिंतित हैं कि वे अपने संवैधानिक रूप से प्रदत्त शासन करने के अधिकार के गंभीर उल्लंघन के रूप में देखते हैं, जिसमें कुछ औचित्य भी है राज्य संस्थानों के माध्यम से शासन करते हैं, जिनका एक महत्वपूर्ण हिस्सा आईएएस होते हैं।
केंद्र सरकार और गैर-भाजपा राज्य सरकारों के बीच बढ़ते मतभेदों और टकराव के क्षेत्रों की पृष्ठभूमि में, प्रस्तावित संशोधनों पर विवाद टाला जा सकता है।
इसलिए यह अच्छा है कि केंद्र सरकार ने राज्यों के साथ परामर्श की प्रक्रिया शुरू की है। उन्हें अधिकारियों को भी शामिल करते हुए प्रक्रिया को व्यापक करने की सलाह दी जाएगी। इसके बाद राज्य तय करें कि केंद्र में प्रतिनियुक्ति के लिए विभिन्न स्तरों पर आईएएस अधिकारियों की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए प्रस्तावित संशोधन सही दिशा में हैं, या नहीं – इसके साथ ही राज्यों के प्राधिकार, शासन की जिम्मेदारी और कार्यात्मक दक्षता को भी कमजोर नहीं किया जाना चाहिए तथा अधिकारियों पर अनुचित संकट और उनके पारिवारिक जीवन में व्यवधान भी पैदा नहीं होना चाहिए।
अंत में, यह कहा जा सकता है कि समाधान, सहकारी संघवाद में निहित है। जैसा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2015 में बर्नपुर में एक समारोह में कहा था, हमारे संविधान ने हमें एक संघीय ढांचा दिया है। अफसोस की बात है कि केंद्र-राज्य संबंध लंबे समय से तनावपूर्ण थे। मैं मुख्यमंत्री रहा हूं, और मैं जानता हूं कि ऐसा नहीं होना चाहिए। इसलिए हमने सहकारी संघवाद पर फोकस रखते हुए बदलाव किये हैं… इसलिए मैं टीम इंडिया कहता हूं… टीम इंडिया के दृष्टिकोण के बिना देश आगे नहीं बढ़ सकता।
(लेखक-केएम चंद्रशेखर, पूर्व कैबिनेट सचिव, भारत सरकार रहे हैं और
टीकेए नायर ने पीएम मनमोहन सिंह के प्रधान सचिव के रूप में कार्य किया है।)
नई दिल्ली (आरएनएस) । पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी द्वारा विवादित बयान दिए जाने को लेकर भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि मोदी विरोध अब देश विरोध में बदल चुका है। जो लोग अल्पसंख्यक वोटों का फायदा उठाते थे वे अब देश में मौजूदा सकारात्मक माहौल को लेकर चिंतित है। बुधवार को 26 जनवरी के मौके पर हामिद अंसारी ने एक अमेरिकी संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रम को वर्चुअल तरीके से संबोधित करते हुए भारतीय लोकतंत्र पर सवाल उठाए और कहा कि देश में नागरिक राष्ट्रवाद को सांस्कृतिक राष्ट्रवाद में बदलने की कोशिश हो रही है। हामिद अंसारी के इन बयानों पर भाजपा नेता व केंद्रीय मंत्री मुख़्तार अब्बास नकवी ने पलटवार करते हुए कहा कि मोदी का विरोध करते करते देश विरोधी हो गए।अमेरिकी संस्था भारतीय अमेरिकी मुस्लिम परिषद द्वारा आयोजित वर्चुअल पैनल चर्चा में भाग लेते हुए पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने हिंदू राष्ट्रवाद के उदय के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हाल के वर्षो में हमने देखा है कि नागरिक राष्ट्रवाद को ख़त्म कर सांस्कृतिक राष्ट्रवाद स्थापित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि धार्मिक और एकाधिकार वाली राजनीतिक शक्ति की आड़ में चुनावी बहुमत पेश करने की कोशिश हो रही है। इन्हीं वजहों से असहिष्णुता, अन्याय, अशांति और असुरक्षा को बढ़ावा देने का भी प्रयास किया जा रहा है और ये लोग चाहते हैं कि नागरिकों को उनकी आस्था के आधार पर बांट दिया जाए। साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसे ट्रेंड्स से क़ानूनी और राजनीतिक रूप से लडऩे की जरूरत है।अमेरिकी संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रम में हामिद अंसारी के द्वारा दिए गए इन बयानों को लेकर भाजपा नेता व केंद्रीय मंत्री मुख़्तार अब्बास नकवी ने जोरदार पलटवार करते हुए हमला बोला। नकवी ने कहा कि मोदी विरोध अब देश विरोध में बदल चुका है। जो लोग अल्पसंख्यक वोटों का फायदा उठाते थे, वे अब देश में मौजूदा सकारात्मक माहौल को लेकर चिंतित हैं।वहीं बिहार सरकार के मंत्री शाहनवाज हुसैन ने भी निशाना साधते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी से बड़ा इंसान मुसलमानों के लिए नहीं हो सकता, पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी पहले से कई विवादित बयान देते रहे हैं, जिस देश के लोगों ने बड़ा पद दिया उसके खिलाफ बात बर्दाश्त नहीं।
*बोकारो को एजुकेशन हब बनाने में सहयोग करे सेल – हेमन्त सोरेन, मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन से भारतीय इस्पात प्राधिकरण (स्टील अथॉरिटी ऑफ इण्डिया लिमिटेड, SAIL) की चेयरमैन श्रीमती सोमा मण्डल ने मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोल इंडिया की तर्ज पर सेल प्रबंधन भी स्थानीय विस्थापितों को एक करोड़ रुपये तक की निविदा में प्राथमिकता दे। उन्होंने कहा राज्य सरकार बोकारो को एजुकेशन हब बनाना चाहती है। ऐसे में सेल पुराने स्कूल की आधारभूत संरचनाओं को राज्य सरकार को हस्तांतरित कर दें। ताकि इस दिशा में सरकार आगे कदम बढ़ा सके। सेल की चेयरपर्सन ने इस दिशा में सकारात्मक पहल करने की बात मुख्यमंत्री से कही। इस अवसर पर मुख्य सचिव श्री सुखदेव सिंह मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री राजीव अरुण एक्का, मुख्यमंत्री के सचिव श्री विनय कुमार चौबे, उद्योग सचिव श्रीमती पूजा सिंघल उपस्थित थे।
नईदिल्ली (आरएनएस)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के 73वें गणतंत्र दिवस पर शुभकामनाओं के लिए दुनियाभर के नेताओं को धन्यवाद दिया। नेपाल के प्रधानमंत्री के एक ट्वीट के जवाब में पीएम ने कहा कि आपके गर्मजोशी भरे अभिनंदन के लिए धन्यवाद पीएम शेर बहादुर देउबा। हमारी सदियों पुरानी मित्रता को और मजबूती देने के लिए हम मिलकर काम करना जारी रखेंगे।
भूटान के पीएम के एक ट्वीट के जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के गणतंत्र दिवस पर हार्दिक शुभकामनाओं के लिए भूटान के प्रधानमंत्री को धन्यवाद। भारत भूटान के साथ अपनी अनूठी और पुरानी मित्रता को बहुत महत्व देता है। भूटान की सरकार और वहां के लोगों को ताशी डेलेक। हमारे संबंध और मजबूत बनें। श्रीलंका के पीएम के एक ट्वीट के जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा कि धन्यवाद प्रधानमंत्री राजपक्षे। यह साल विशेष है क्योंकि दोनों देश अपनी स्वतंत्रता के 75 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं। हमारे लोगों के बीच संबंध और मजबूत हों, यही कामना है।
इजराइल के पीएम के एक ट्वीट के जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा कि पीएम नफ्ताली बेनेट, भारत के गणतंत्र दिवस पर शुभकामनाओं के लिए आपका धन्यवाद। मुझे पिछले साल नवंबर में हुई मुलाकात याद है। मुझे विश्वास है कि भारत-इजराइल रणनीतिक साझेदारी भविष्य में भी आगे बढ़ती रहेगी।
बॉलीवुड एक्ट्रेस सोनल चौहान फिल्म ‘द घोस्ट’ में नागार्जुन के साथ काम करती नजर आ सकती है। जैकलीन फर्नांडीस फिल्म ‘द घोस्टÓ में काम करने वाली थी लेकिन बात नहीं बन सकी।
अक्किनेनी नागार्जुन की फिल्म ‘द घोस्ट’ से जैकलीन का पत्ता कट गया है। जी हां, फिल्म में जैकलीन पहले नागार्जुन के साथ लीड रोल में नजर आने वाली थीं, लेकिन अब पता चला है कि उनकी जगह ‘जन्नत’ फेम सोनल चौहान को यह ऑफर दिया गया है।
मेकर्स का मानना है कि फिल्म में नागार्जुन के अपोजिट सोनल एकदम सही रहेंगी। सोनल और नागार्जुन की जोड़ी फ्रेश है। मेकर्स का मानना है कि नागार्जुन और सोनल की केमिस्ट्री खूब जमेगी।
यह खबर जहां एक ओर जैकलीन के फैंस के लिए बुरी है, वहीं सोनल चौहान के फैंस इससे बेहद खुश होंगे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ‘द घोस्ट’ के मेकर्स का मानना है कि फिल्म में नागार्जुन के अपोजिट सोनल चौहान एकदम सटीक रहेंगी। सोनल और नागार्जुन की जोड़ी फ्रेश है। सोनल की अच्छी खासी फैन फॉलोइंग है।
आजकल मार्केट में कई तरह के कुकिंग ऑयल मौजूद है, इसलिए लोग हमेशा इस बात को लेकर असमंजस में रहते हैं कि खाने के लिए कौन से तेल का इस्तेमाल करना बेहतर है या फिर कौन सा तेल स्वास्थ्यवर्धक है? अगर आपको भी ऐसे ही सवालों से दो चार होना पड़ता है तो अब ऐसा नहीं होगा। आइए आज हम आपको कुछ ऐसी बातें बताते हैं, जिन्हें अगर ध्यान में रखकर कुकिंग ऑयल खरीदा जाए तो उसका सही चयन होगा।
खरीदने से पहले लेबल चेक करें
जब भी आप कुकिंग ऑयल खरीदने जाएं तो इसके लेबल को पहले थोड़ा ध्यान से पढ़ें। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि कुछ लोग बिना लेबल पढ़े ही कुकिंग ऑयल खरीद लेते हैं लेकिन ऐसा करना गलत है। दरअसल, कुछ कंपनियां कुकिंग ऑयल में मिलाई जाने वाली सामग्रियों और शुद्धता आदि की जानकारी पैकेट के ऊपर ही बहुत छोटे अक्षरों में दे देती है, इसलिए हमेशा लेबल पढऩे के बाद कुकिंग ऑयल खरीदें।
ओमेगा 3 और ओमेगा 6 का होना चाहिए अच्छा कॉम्बिनेशन
कोई भी कुकिंग ऑयल खरीदते समय इस बात पर खास ध्यान दें कि उसमें ओमेगा 3 और ओमेगा 6 का रेशियो कैसा है। बेहतर होगा कि आप ऐसा कुकिंग ऑयल खरीदें, जिसमें ओमेगा-3 और ओमेगा-6 के बीच 1:2 का रेश्यो हो क्योंकि इन्हें सेहत के लिए काफी अच्छा माना जाता है। बता दें कि सरसों के तेल, कनोला ऑयल, ऑलिव ऑयल और सोयाबीन के तेल आदि में ओमेगा 3 और ओमेगा 6 का यहीं रेशियो होता है।
कुकिंग ऑयल में मौजूद ट्रांस फैट की मात्रा पर दें ध्यान
ओमेगा 3 और ओमेगा 6 के साथ ही कुकिंग ऑयल में मौजूद ट्रांस फैट की मात्रा पर भी ध्यान देना जरूरी है। बता दें कि जीरो ट्रांस फैट से युक्त कुकिंग ऑयल का इस्तेमाल करना बेहतर है। अगर किसी कुकिंग ऑयल की पैकिंग पर ट्रांस फैट के बारे में नहीं लिखा हुआ है तो उसे खरीदने से बचें। इसके अलावा. कुकिंग ऑयल पर नॉन हाइड्रोजिनेटिड और नॉन पीएचवीओ भी लिखा हो।
अधिक मात्रा में न खरीदें कुकिंग ऑयल
कई लोग सहूलियत और बचत के लिहाज से एक बार में अधिक मात्रा में कुकिंग ऑयल खरीद तो लेते हैं, लेकिन ऐसा करना गलत है। दरअसल, कुकिंग ऑयल की भी एक्सपायरी डेट होती है। सील खुलने के बाद कुकिंग ऑयल को दो से तीन महीने में ही खत्म कर देना चाहिए। ध्यान रखें कि जब कुकिंग ऑयल खराब होने लगते हैं तो उनका स्वाद और रंग बदल जाता है।
क्या आप जानते हैं?
भले ही आप खाने के लिए किसी भी कुकिंग ऑयल का इस्तेमाल करें, लेकिन इसकी मात्रा पर खास ध्यान दें। एक दिन में कम से कम तीन चम्मच यानी 20 मिली कुकिंग ऑयल का इस्तेमाल करना बेहतर माना जाता है।
आजकल हर दूसरा व्यक्ति माइग्रेन की समस्या से परेशान हैं। इस परेशानी की गिरफ्त में आने की मुख्य वजह खराब लाइफस्टाइल और गलत खानपान है। माइग्रेन से पीडि़त व्यक्ति को बेहद असहनीय दर्द का सामना करना पड़ता है। खासकर सर्दियों के मौसम में तो माइग्रेन का दर्द जीना मुहाल कर देता है। सिर में हवा लगने, ठंड के चलते, खून का बहाव कम होने और आदि कारणों की वजह से दर्द का सामना करना पड़ता है। जब भी ये दर्द होता है तो किसी भी काम को करना काफी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में दवा भी काम नहीं आती और तो और कई मामलों में इंजेक्शनों तक लेने की नौबत आ जाती है। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कुछ आयुर्वेदिक नुस्खे के बारे में जिनके इस्तेमाल से आप माइग्रेन के दर्द से छुटकारा पा सकते हैं। आइए जानते हैं।
माइग्रेन सिरदर्द की समस्या का ही एक प्रकार है जिसमें सिर्फ सिर के आधे हिस्से में होता है। कई बार यह दर्द इतना तेज होता है कि इसे बर्दाश्त कर पाना काफी मुश्किल होता है। माइग्रेन की समस्या होने पर घबराहट, उल्टियां, आँखो में दर्द होना, जैसी कई समस्याएं हो सकती हैं।
मुलेठी
आयुर्वेदिक जड़ी बूटी मुलेठी कई औषधीय गुणों से भरपूर होता है। आमतौर पर इसका इस्तेमाल पौधे के तने की छाल को सुखाकर किया जाता है। ये एक ऐसा घरेलू नुस्खा है जिसका इस्तेमाल कई बीमारियों से बचने के लिए किया जा सकता है। अगर आपको माइग्रेन की समस्या हैं तो मुलेठी पाउडर का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए बस आप शहद में मुलेठी पाउडर मिलाकर इसकी कुछ बूंदे नाक में डाल लें। इससे आपको काफी राहत मिलेगी।
मखाना और खसखस
मखाना और खसखस एक ऐसा आर्युवेदिक उपाय है जिसे भयंकर माइग्रेन में भी राहत मिलती है। इसके लिए बस आप मखाना और खसखस की खीर बनाकर इसका सेवन करें।
अश्वगंधा
अश्वगंधा कई स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने में कारगर है। ये माइग्रेन की समस्या में भी काफी लाभदायक मानी जाती है। इसके लिए बस आप अश्वगंधा की जड़ को उबालकर इसे दूध के साथ खाएं। इससे माइग्रेन के दर्द में काफी मदद मिलती है। इसके अलावा दूध के साथ अश्वगंधा चूर्ण का सेवन करने से इम्यूनिटी बूस्ट करने में मदद मिलती है।
लौंग का पाउडर
अगर आपको सिर में बहुत तेज दर्द है तो इसमें लौंग का पाउडर आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है। इसके लिए बस आप लौंग के पाउडर में नमक मिलाकर, दूध के साथ इसका सेवन करें। इससे आपको तुरंत राहत मिलेगी।
लैवेंडर ऑयल
लैवंडर ऑयल माइग्रेन के दर्द को दूर करने में काफी असरदार होता है। इसमें एंटी-एंग्जायटी और एंटीडिप्रेसन्ट गुण मौजूद होते हैं जो देर्द में आराम दिलाते हैं। इसके लिए आप करीब 15 मिनट तक लैवंडर ऑयल को इनहेल कर सकते हैं।
प्राकृतिक सौंदर्य एवं खनिज सम्पदा से सुशोभित, वीर सपूतों के संघर्ष एवं बलिदान से सिंचित संथाल परगना की इस सांस्कृतिक, आध्यात्मिक एवं ऐतिहासिक भूमि से मैं समस्त झारखण्डवासियों को 73 वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई देता हूँ तथा अभिनन्दन करता हूँ।
इस पावन अवसर पर मैं राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, डाॅ0 राजेन्द्र प्रसाद, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, बाबा साहब डाॅ0 भीमराव अम्बेदकर, मौलाना अबुल कलाम आजाद, सरदार बल्लभ भाई पटेल सदृश्य राष्ट्र निर्माताओं के साथ-साथ झारखण्ड के सभी महान विभूतियों भगवान बिरसा मुण्डा, तिलका मांझी, वीर शहीद सिदो-कान्हू, चाँद-भैरव, बहन फूलो-झानो, बीर बुधु भगत, जतरा टाना भगत, नीलाम्बर-पीताम्बर, शेख भिखारी, पाण्डेय गणपत राय एवं शहीद विश्वनाथ शाहदेव को श्रद्धासुमन अर्पित करता हूँ।
आज के दिन मैं सेना के सभी जवानों तथा देश की सीमाओं की रक्षा में तैनात अन्य सुरक्षा बलों को भी गणतंत्र दिवस की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। यह उनके राष्ट्र के प्रति समर्पण एवं बलिदान का ही प्रतिफल है कि आज हम अमन और चैन की सांस ले पा रहे हैं।
आजादी की लड़ाई के समय हमारे पूर्वजों ने एक ऐसे राष्ट्र के निर्माण का सपना देखा था, जो अपनों के द्वारा गणतांत्रिक पद्धति से शासित हो, जिसमें न तो आर्थिक विषमता हो और न ही सामाजिक पिछड़ापन। एक ऐसा राष्ट्र जहां सामाजिक न्याय, धार्मिक सद्भाव एवं सहिष्णुता जैसी उदार भावनायें प्रचलित हों। इन सपनों को साकार करने के लिए आज ही के दिन सन् 1950 में हमने अपने संविधान को लागू किया था और भारत एक गणतंत्र देश के रूप में विश्व के मानचित्र पर स्थापित हुआ था।
हमारी सरकार संविधान की भावनाओं के अनुरूप राज्य के सर्वांगीण विकास एवं जनता का अधिकतम कल्याण सुनिश्चित करने के लिए पूरी निष्ठा, लगन एवं तत्परता के साथ काम कर रही है।
हमने एक ऐसे झारखण्ड के निर्माण का सपना देखा है जो भय, भूख एवं भ्रष्टाचार के साथ-साथ अपराध एवं उग्रवाद से मुक्त हो, जहाँ कमजोर से कमजोर व्यक्ति की बातंे भी सत्ता के उच्च स्तर तक पहुँचे। जहां लोकतांत्रिक व्यवस्था में हर व्यक्ति का अधिकार सुरक्षित हो सके और कोई भी व्यक्ति पिछड़ा न रहे तथा सबों को विकास का समान अवसर एवं अधिकार प्राप्त हो सके। विकास की इस यात्रा में हम सभी झारखण्ड वासियों की सहभागिता चाहते हैं।
हमारी सरकार ने अल्प समय में ही राज्य के कई क्षेत्रों में विकास के लिए गंभीर एवं सार्थक प्रयास किये हैं। सरकार द्वारा राज्य में बेरोजगारी दूर करने, आर्थिक सबलता प्रदान करने, प्रशासन एवं विकास की प्रक्रिया में आमजनों की सहभागिता सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है। हम आप सबों के सहयोग से स्वच्छ, पारदर्शी एवं संवेदनशील प्रशासन प्रदान करने की दिशा में कार्य कर रहे हैं।
शिक्षा विकास का आधार है। मानव विकास एवं समाज में वैज्ञानिक सोच विकसित करने में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। हम शिक्षा के प्रति सजग एवं संवेदनशील हंै। मुझे आप सबों को यह जानकारी देने में प्रसन्नता हो रही है कि भारत सरकार द्वारा जारी किये गये शैक्षणिक सूचकांक में विगत एक वर्ष में राज्य को 29 अंको का फायदा हुआ है, जो पूरे देश में सर्वाधिक है।
राज्य सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में एक विशेष पहल की गयी है। इस निमित्त राज्य सरकार द्वारा 80 उत्कृष्ट विद्यालय, 325 प्रखण्ड स्तरीय लीडर स्कूल तथा 4,091 ग्राम पंचायत स्तरीय आदर्श विद्यालयों को विकसित करने का कार्य किया जा रहा है। संथाल परगना प्रमण्डल में 20 उत्कृष्ट विद्यालयों के निर्माण हेतु लगभग 72 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है। इन विद्यालयों में सभी आवश्यक मूलभूत संरचनाओं के विकास के साथ-साथ पर्याप्त शिक्षकों की व्यवस्था भी की जाएगी।
विगत 02 वर्षों से कोविड-19 महामारी के प्रकोप के कारण हमंे विद्यालयों को बंद रखने हेतु बाध्य होना पड़ा है। महामारी में कमी होने की स्थिति में कक्षा 06 से 12 के विद्यालय खोले गये थे, परन्तु महामारी बढ़ने के कारण विद्यालयों को पुनः बन्द करना पड़ा है। महामारी की इस घड़ी में भी हमने अपने विद्यार्थियों के लिए आॅनलाईन शिक्षा की व्यवस्था डीजी-साथ कार्यक्रम के तहत की है। इसके अतिरिक्त दूरदर्शन एवं आकाशवाणी के माध्यम से भी पठन-पाठन का कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। लेकिन इससे काम नहीं चलेगा, हमें आॅन-लाईन शिक्षा को और सुगम एवं कारगर बनाने की आवश्यकता है।
राज्य में माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक बोर्ड परीक्षा का परिणाम उत्साहवर्द्धक रहा है। मैट्रिक बोर्ड में 96 प्रतिशत छात्रों ने सफलता प्राप्त की है, जबकि संथाल परगना प्रमण्डल में कुल 95 प्रतिशत छात्रों ने सफलता हासिल की है। यह अब तक का सर्वश्रेष्ठ परिणाम प्रतिशत रहा है। महामारी की कठिन घड़ी में इस बेहतरीन उपलब्धि के लिए मैं राज्य के शिक्षकों तथा विद्यार्थियों को बधाई देता हूं।
राज्य के विभिन्न क्षेत्रों की भाषाओं को ध्यान में रखते हुए मातृभाषा आधारित बहुभाषी शिक्षण व्यवस्था हेतु सामग्रियों को विकसित किया गया है। हमने विभिन्न जिलों के 250 विद्यालयों को विशेष रूप से चिन्ह्ति करते हुये प्रायोगिक तौर पर मातृभाषा आधारित शिक्षण व्यवस्था लागू करने की योजना तैयार की है। इस योजना के फलाफल के आधार पर अन्य विद्यालयों में भी इस व्यवस्था को लागू किया जायेगा। इसका सीधा लाभ हमारे राज्य के उन बच्चों को मिलेगा जो मातृभाषा में पढ़ाई नहीं होने के कारण विद्यालय जाना छोड़ देते थे।
आप सब अवगत हैं कि संथाल परगना से मजदूरों का पलायन होता है। इन मजदूरों को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ब्वअपक स्वबाकवूद के दौरान इन पर जो बीती वह पूरा देश जानता है। हम सब जानते हैं कि पलायन को पूर्णतः समाप्त नहीं किया जा सकता है। हम इनकी बेहतरी के लिए कुछ करना चाहते हैं। झारखण्ड के प्रवासी श्रमिकों के सुरक्षित प्रवास एवं प्रवासन हेतु “Safe and Responsible Migration Initiative”कार्यक्रम द्वारा प्रारंभ किया जा रहा है। यह कार्यक्रम पायलट-प्रोजेक्ट के रूप में दुमका, गुमला एवं पश्चिमी सिंहभूम में चलाया जाएगा। इसके माध्यम से अगले 18 माह के अन्दर झारखण्ड से मजदूरों के प्रवास से जुड़ी सभी समस्याओं का अध्ययन करके एक ‘समग्र प्रवासन नीति’ तैयार की जाएगी, जिससे भविष्य में प्रवासी श्रमिकों की समस्याओं का निदान करने में सुविधा होगी।
असंगठित श्रमिकों का निबंधन कराने हेतु ई-श्रम पोर्टल Launch किया गया है। इस पोर्टल पर झारखण्ड राज्य के कुल 80 लाख से अधिक श्रमिकों का निबंधन किया जा चुका है। इसके तहत निमार्ण कार्य करने वाले श्रमिक, घरेलु मजदूर, कृषि श्रमिक, रेहड़ी-पटरी वाले एवं अन्य सभी असंगठित क्षेत्र के मजदूर सम्मिलित हो सकेंगे।
राज्य सरकार द्वारा वर्षों से लम्बित रहे रिक्त पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया को गति प्रदान करने हेतु विभिन्न नियुक्ति नियमावलियों एवं परीक्षा संचालन नियमावलियों के गठन/संशोधन की कार्रवाई की गयी है। राज्य के युवाओं को सरकारी नौकरी में अधिक-से-अधिक अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से विभिन्न नियुक्ति/परीक्षा संचालन नियमावली अन्तर्गत अनिवार्य शैक्षणिक योग्यता के रूप में अभ्यर्थियों का मैट्रिक/10वीं कक्षा तथा इंटरमीडिएट/10$2 कक्षा झारखण्ड राज्य में अवस्थित मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्थान से उत्तीर्ण होना अनिवार्य किया गया है। अभ्यर्थियों को स्थानीय रीति-रिवाज, भाषा एवं परिवेश का ज्ञान होना भी अनिवार्य किया गया है। झारखण्ड राज्य की आरक्षण नीति से आच्छादित अभ्यर्थियों के मामले में इस प्रावधान को शिथिल किया गया है ताकि राज्य के आरक्षण नीति से आच्छादित होने वाले छात्रों का सरकार के अधीन नियोजन में दावा सुरक्षित रह सके। सेवा शत्र्त नियमावलियों के गठन एवं संशोधन के उपरांत अबतक 4,142 (चार हजार एक सौ बयालीस) रिक्त पदों पर नियुक्ति हेतु अधियाचना झारखण्ड कर्मचारी चयन आयोग को भेज दी गई है।
युवाओं को प्रशिक्षण देकर निजी क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध कराने के लिए हमारी सरकार ने HCL कम्पनी के साथ MOU किया है। इसके तहत् 12वीं पास छात्र एवं छात्राओं को आई॰टी॰ सेक्टर में रोजगार देने के लिए Placement Linked Training Programme TECHBEE से जोड़ा जाएगा। TECHBEE HCL में योग्य छात्र/छात्राओं का चयन कर उन्हें एक वर्ष की ट्रेनिंग दी जाएगी। ट्रेनिंग के उपरांत प्रशिक्षित युवाओं को HCL में ही नौकरी मिल सकेगी।
झारखण्ड के आदिवासी युवाओं को विश्वस्तरीय शिक्षा के अवसर प्रदान करने हेतु राज्य सरकार द्वारा मरङ गोमके जयपाल सिंह मुण्डा पारदेशीय छात्रवृति योजना लागू की गई है। इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक वर्ष अनुसूचित जनजाति के 10 (दस) प्रतिभावान छात्र/छात्राओं को चयनित कर इंग्लैंड और नाॅर्थन आयरलैण्ड में अवस्थित विश्वविद्यालयों/संस्थानों में कतिपय कोर्स में उच्चस्तरीय शिक्षा प्राप्त करने हेतु वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। इस वर्ष अनुसूचित जनजाति समुदाय के 07 छात्र-छात्राओं को लाभान्वित किया गया है। भविष्य में इस योजना का विस्तार किया जाएगा। एक छात्र पर लगभग एक करोड़ रुपये की राशि सरकार खर्च कर रही है।
राज्य अन्तर्गत निजी क्षेत्र में स्थापित कारखानों/उद्योगों/संयुक्त उद्यमों तथा पी॰पी॰पी॰ के तहत् संचालित परियोजनाओं में होने वाली नियुक्तियों में 75% आरक्षण स्थानीय युवाओं के लिए करने हेतु झारखण्ड राज्य के निजी क्षेत्र में स्थानीय उम्मीदवारों का नियोजन अधिनियम, 2021 लागू किया गया है। हमारा यह प्रयास बेरोजगारी तथा पलायन की समस्या को कम करने में अत्याधिक सार्थक भूमिका निभाएगा।
हमने सर्वजन पेंशन योजना की शुरूआत की है, जो सरकार के कल्याणकारी दायित्वों के निर्वहन में एक महत्वपूर्ण कदम है। क्षेत्र भ्रमण के क्रम में मुझे यह जानकारी मिलती थी कि सीमित लक्ष्य के कारण लाखों की संख्या में जरूरतमंद वृद्धजनों को इस योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा। यह देखकर मुझे पीड़ा होती थी और मैंने दो वर्ष पूर्व यह संकल्प लिया था कि अगर हमारी पार्टी की सरकार बनेगी तो हम इसका स्थायी निदान करेंगे। अब हमने यह निर्णय लिया है कि Tax-Net की श्रेणी में आने वालों को छोड़कर शेष सभी वृद्धजन इस योजना का लाभ पाने के पात्र होंगे। राज्य स्थापना दिवस के ऐतिहासिक अवसर पर प्रारंभ किये गये “आपके अधिकार-आपकी सरकार आपके द्वार” कार्यक्रम के दौरान इस योजना का लाभ तीन लाख से अधिक लोगों को दिया गया है।
क्षेत्रीय सांस्कृतिक गतिविधियों को विस्तार देने एवं स्थानीय कलाकारों को मंच सुलभ कराने के उद्देश्य से दुमका में तेईस करोड़ रुपए की लागत से कंवेन्शन सेंटर का निर्माण कार्य प्रगति पर है, जिसे मार्च, 2022 तक पूर्ण कर लिया जाएगा। गोड्डा में अड़तीस करोड़ की लागत से नए समाहरणालय भवन का निर्माण पूर्णता की ओर है। जामताड़ा में ई0वी0एम0 मशीनों के उचित रख-रखाव हेतु वेयर हाउस के निर्माण की स्वीकृति प्रदान की गई है।
हमारा देश कृषि प्रधान देश है और कृषि इसकी अर्थव्यवस्था की नींव भी है। यहाँ कृषि केवल खेती करना नहीं है, बल्कि जीवन जीने की एक कला है। राज्य में फसल उत्पादन एवं उत्पादकता को बढ़ाने एवं उन्नत कृषि प्रौद्योगिकी को प्रदर्शित करने के लिए राजकीय कृषि प्रक्षेत्रों की भूमि में कृषक पाठशाला स्थापित करने एवं इनकी परिधि में अवस्थित ग्रामों को बिरसा ग्राम के रूप में विकसित करने हेतु 61 करोड़ रुपये की लागत से समेकित बिरसा ग्राम विकास योजना-सह-कृषक पाठशाला योजना लागू की गयी है।
खरीफ विपणन मौसम 2020-21 के दौरान धान अधिप्राप्ति योजनान्तर्गत छः लाख मीट्रिक टन लक्ष्य के विरूद्ध छः लाख पच्चीस हजार मीट्रिक टन धान की अधिप्राप्ति की गई है। विपणन मौसम 2021-22 में धान अधिप्राप्ति 15 दिसम्बर, 2021 से प्रारंभ कर दी गई है। किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए किसानों से अधिप्राप्त धान के 50 प्रतिशत मूल्य का भुगतान धान अधिप्राप्ति के साथ ही किया जा रहा है। भारत सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य के अतिरिक्त राज्य सरकार द्वारा किसानों को 110 रुपये प्रति क्विंटल बोनस भी दिया जा रहा है।
वर्तमान वित्तीय वर्ष में मनरेगा अंतर्गत 885 लाख अनुमोदित मानव दिवस के विरूद्ध अब तक कुल 927 लाख मानव दिवस का सृजन किया गया है। मनरेगा मजदूरों को दैनिक मजदूरी के रूप में 225/- रुपए का भुगतान किया जा रहा है। दैनिक मजदूरी के रूप में बढ़ी हुई राशि 27/- रुपए प्रति मानव दिवस के भुगतान हेतु अब तक राजकोष से कुल 250 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है।
राज्य के करीब एक लाख अस्सी हजार सखी मंडलों को तीन हजार दो सौ करोड़ रुपए की राशि क्रेडिट लिंकेज के रूप में बैंक से उपलब्ध कराया जा चुका है, जिससे ग्रामीण महिलाओं की आजीविका सशक्त हो रही है। सखी मंडल के 62 प्रकार के उत्पादों को विशेषकर सरसों तेल, साबुन, मसाले, हनी इत्यादि की बिक्री ‘‘पलाश ब्रांड‘‘ के रूप में की जा रही है। इस पहल से करीब 2 लाख ग्रामीण महिलाओं को लाभ हो रहा है। राज्य में अब तक 159 पलाश मार्ट स्थापित किए जा चुके हैं। इस वित्तीय वर्ष में करीब 17 करोड़ का टर्न ओवर दर्ज किया गया है।
महिलाओं के सशक्तिकरण एवं उनके कल्याण हेतु प्रतिबद्ध हमारी सरकार ने राज्य में हड़िया-दारू निर्माण एवं बिक्री से जुड़ी ग्रामीण महिलाओं को सम्मानजनक आजीविका के वैकल्पिक साधन उपलब्ध कराकर समाज के मुख्य धारा में जोड़ने हेतु फूलो-झानो आशीर्वाद योजना प्रारंभ की गई है। इस योजना अन्तर्गत चिन्हित् महिलाओं को आजीविका सशक्तिकरण के लिए 10 हजार रूपये ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराने का प्रावधान है। अब तक 14,000 से अधिक महिलाओं को हड़िया-दारू निर्माण एवं बिक्री कार्य से मुक्त कराकर आजीविका के अन्य साधनों से जोड़ा गया है।
हमारी सरकार द्वारा सोना सोबरन धोती-साड़ी वितरण योजना के अन्तर्गत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 तथा मुख्यमंत्री खाद्य सुरक्षा योजना से आच्छादित राज्य के सभी लाभुक परिवारों को वर्ष में दो बार एक धोती/लुंगी तथा एक साड़ी दस रूपये प्रति वस्त्र की दर से उपलब्ध कराया जा रहा है। इस योजना के तहत अब तक 51 लाख परिवारों को लाभान्वित किया गया है।
हमने कोरोना महामारी से निबटने के लिए पहले दिन से ही सतर्कता की नीति अपनाई और COVID-19 से बचाव हेतु सभी संभव कदम उठाये। राष्ट्रव्यापी LOCK DOWNके दौरान राज्य से बाहर फंसे अपने प्रवासी मजदूरों, कामगारों, छात्रों को सुरक्षित निकालने को प्राथमिकता दी। हमारी सरकार के लिए राज्य की जनता एवं उनकी सुरक्षा सर्वोपरि है। वर्तमान में कोरोना का नया स्वरूप ओमिक्रोन समस्त मानव जाति को फिर से चुनौती दे रहा है। लेकिन थकना, हारना, टूटना-बिखरना हमने सीखा ही नहीं है। सतर्क रहते हुए कोरोना के खिलाफ लड़ाई जीतने के लिए हम तैयार हैं। हमने कोरोना के इस तीसरी लहर में समय से आवश्यक कदम उठाये हैं और राज्य की जनता की सुरक्षा हेतु आवश्यक दिशा-निर्देश निर्गत किये हैं। कोरोना के इस तीसरी लहर के प्रसार को रोकने हेतु हमने सभी आवश्यक व्यवस्था की है।
राज्य के सभी चिकित्सक एवं चिकित्साकर्मी सम्पूर्ण समर्पण एवं सेवा भाव के साथ राज्य की जनता को इस आपदा से निजात दिलाने हेतु दिन-रात एक किये हुए हैं। उनके सेवा भाव का ही परिणाम है कि अब तक हमारा राज्य कोरोना के इस लहर को रोकने में कामयाब रहा है। कोरोना के विरूद्ध इस लड़ाई में हम तभी सफल हो सकते हैं, जब आपका सम्पूर्ण सहयोग सरकार को प्राप्त हो। आपसे अपेक्षा है कि कोरोना से बचाव हेतु सरकार द्वारा निर्गत दिशा-निर्देशों का पालन करंे और इस लड़ाई में हमारा साथ दें। आप लोगों को गुणवत्तायुक्त स्वास्थ्य सुविधायें उपलब्ध कराने की हमारी कोशिशें लगातार जारी रहेंगी।
झारखण्ड को विश्वस्तरीय पर्यटन स्थल के रूप में पहचान दिलाने हेतु हमारी सरकार नई पर्यटन नीति, 2021 ले कर आई है। इस नीति का उद्देश्य राज्य को देश के पर्यटन मानचित्र पर महत्वपूर्ण स्थान दिलाने के साथ-साथ पर्यटन क्षेत्र में रोजगार में वृद्धि कराना, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक व प्राकृतिक विरासत को संरक्षित रखते हुए राज्य के लोगों के आर्थिक विकास में एक महत्वपूर्ण हिस्सेदार बनाना है। दुमका में 31 करोड़ रुपये की लागत से Cultural Museum के स्थापना की स्वीकृति प्रदान की गई है।
दुमका जिलान्तर्गत सुन्दर जलाशय योजना के मुख्य नहर का लाईनिंग सहित पुनरूद्धार कार्य हेतु लगभग 85 करोड़ रुपये की लागत से कार्य प्रगति पर है। इसके पूर्ण हो जाने से लगभग 3,600 हेक्टयर खरीफ एवं 2,000 हेक्टेयर रब्बी फसल की सिंचाई क्षमता पुनर्बहाल हो जाएगी। मसलिया एवं रानेश्वर प्रखण्ड में अपेक्षित सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने हेतु करीब बारह सौ करोड़ की लागत से मसलिया रानेश्वर मेगा लिफ्ट योजना की स्वीकृति प्रदान की गई है। शीघ्र ही इस योजना का निर्माण कार्य प्रारंभ कराया जाएगा।
जल ही जीवन है। राज्य के प्रत्येक व्यक्ति तक शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के संकल्प पर सरकार सतत् प्रयत्नशील है। वर्ष 2024 तक जल जीवन मिशन के तहत् राज्य के लगभग 59 लाख ग्रामीण परिवारों को कार्यरत नल (FHTC) के द्वारा शुद्ध पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित किये जाने के लक्ष्य तय हैं। इस योजना के तहत हमारी सरकार ने दो वर्ष के कार्यकाल में ग्रामीण जलापूर्ति हेतु कुल पन्द्रह हजार करोड़ रुपए की लागत से करीब एकसठ हजार योजनाओं की स्वीकृति प्रदान की है।
राज्य के विकास में पथों के महत्व को ध्यान में रखते हुए पथों का उन्नयन एवं विकास पर बल दिया गया है। इस वित्तीय वर्ष में पथ निर्माण विभाग के अंतर्गत 850 कि0मी0 पथ एवं 20 पुल निर्माण का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। इस वित्तीय वर्ष में लगभग बाईस सौ कि0मी0 पथों के राईडिंग क्वालिटी में सुधार तथा मजबूतीकरण एवं लगभग छः सौ कि0मी0 पथों के चैड़ीकरण एवं मजबूतीकरण कार्य की स्वीकृति दी गई है।
ग्रामीण पथों के निर्माण एवं सुदृढीकरण की दिशा मे कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए है। राज्य संपोषित सड़क निर्माण योजना एवं प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना फेज-3 के अन्तर्गत लगभग पाँच हजार कि0मी0 ग्रामीण सड़कों का निर्माण करने का लक्ष्य है, जिसके विरूद्ध करीब अठारह सौ कि0मी0 की स्वीकृति दी जा चुकी है। दुर्गम एवं वन-आच्छादित जिलों में 776 कि0मी0 के अतिरिक्त सड़कों को स्वीकृत किया गया है। इस वर्ष ग्रामीण क्षेत्रों में 231 पुलों का निर्माण स्वीकृत किया गया है, जिसमें से 51 पुल अबतक पूर्ण किये जा चुके हैं।
क्षेत्रीय सांस्कृतिक गतिविधियों को विस्तार देने एवं स्थानीय कलाकारों को मंच सुलभ कराने के उद्देश्य से दुमका में तेईस करोड़ रुपए की लागत से कंवेन्शन सेंटर का निर्माण कार्य प्रगति पर है, जिसे मार्च, 2022 तक पूर्ण कर लिया जाएगा। गोड्डा में अड़तीस करोड़ की लागत से नए समाहरणालय भवन का निर्माण पूर्णता की ओर है। जामताड़ा में ई0वी0एम0 मशीनों के उचित रख-रखाव हेतु वेयर हाउस के निर्माण की स्वीकृति प्रदान की गई है।
हमारे राज्य में औद्योगिक निवेश को आकर्षित करने एवं स्थापित इकाइयों को प्रोत्साहित करने हेतु नई झारखण्ड औद्योगिक निवेश एवं प्रोत्साहन नीति- 2021 लागू की गई है। प्रदेश में निवेश को बढ़ावा देने के लिए खाद्य प्रसंस्करण, नवीकरणीय ऊर्जा, लाॅजिस्टिक्स, खनिज तथा वस्त्र आधारित उद्योगों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। राज्य से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए केन्द्र सरकार के सहयोग से लगभग 48 करोड़ रूपये की लागत से TIES Scheme के अन्तर्गत रांची में World Trade Centre की स्थापना की जायेगी।
भगवान बिरसा के जन्मदिवस के पावन अवसर पर प्रारम्भ किये गये “आपके अधिकार-आपकी सरकार आपके द्वार” कार्यक्रम के दौरान सम्पूर्ण राज्य में कुल 6,727 शिविरों का आयोजन किया गया, जिसमें 35 लाख से अधिक आवेदन प्राप्त हुए, इनमें से 24.51 लाख आवेदनों का निष्पादन शिविर में ही निर्धारित समयावधि में कर दिया गया शेष आवेदनों के निष्पादन की प्रक्रिया भी जारी है।
शासन को जबावदेह बनाये रखकर आम नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मीडिया को लोकतांत्रिक व्यवस्था का चैथा स्तम्भ माना गया है। लोकतंत्र के इस चैथे स्तम्भ को और सशक्त बनाने के उद्देश्य से हमारी सरकार ने झारखण्ड राज्य पत्रकार स्वास्थ्य बीमा योजना नियमावली, 2021 का गठन किया है। इसके माध्यम से बीमाधारक मीडिया प्रतिनिधि सहित उनके पति/पत्नी एवं 21 वर्ष तक की आयु के दो अविवाहित एवं निर्भर संतान को ग्रुप मेडिक्लेम के रूप में कुल 5 लाख रुपये तक की चिकित्सा-खर्च की सुविधा प्राप्त हो सकेगी।
राज्य में न्याय और कानून व्यवस्था सुदृढ़ करने के लिए हमारी सरकार प्रभावी कदम उठा रही है। इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए सरकार ने भीड़ हिंसा रोकथाम और माॅब लिंचिंग विधेयक, 2021 पारित किया है। प्रदेश में फैले विभिन्न माफियाओं और अवैधानिक गतिविधियों में लिप्त अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। सरकार के इन प्रयासों से आमजनों में कानून व्यवस्था के प्रति विश्वास पैदा हुआ है।
मुख्यमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के अंतर्गत कुल लगभग 1200 युवक/युवती सहायता प्राप्त कर उद्यमी बनने का सपना साकार किये हैं। आज ये लोग 4795 लोगों को रोजगार दे रहे हैं। इस योजना की सफलता को देखते हुए हमने इसमें बजट बढ़ाने का निर्णय लिया है। 100 करोड़ अतिरिक्त राशि की व्यवस्था की जा रही है।
राज्य निर्माण के 20 से ज्यादा वर्षों के बाद भी झारखण्ड अपने आन्दोलनकारियों की सुध नहीं ले पाया यह कष्टप्रद है। जिनके कारण आज हम एक राज्य के रूप में पहचान बना पाए उनके अधिकार और सम्मान के प्रति मैं संकल्पित हूँ। झारखण्ड अलग राज्य निर्माण में शामिल आन्दोलनकारियों एवं उनके आश्रितों के लिए पेंशन के साथ-साथ सरकारी नौकरियों में 5ः का क्षैतिज आरक्षण की योजना को हमने लागू कर दिया है। आन्दोलनकारी चिन्हीतिकरण आयोग के सदस्य राज्य के विभिन्न हिस्सों का अपना दौरा भी बलिदानी धरती ‘पीरटांड’ से प्रारंभ कर दिए हैं।
हमने ‘ट्राइबल यूनिवर्सिटी’ के निर्माण कार्य को आगे बढ़ा दिया है। इसके माध्यम से मुख्य रूप से झारखंडी भाषा संस्कृति, लोक कल्याण, शोध से सम्बंधित विषय को बढ़ावा दिया जाएगा। उम्मीद है कि इससे आदिवासी समाज एवं झारखण्ड से जुड़े प्राचीन ज्ञान को संरक्षित रखने के साथ-साथ इनकी विशिष्ट समस्याओं के समाधान को भी बल मिलेगा।
सरकार की दूसरी वर्षगांठ के अवसर पर मैंने वादा किया था कि गरीब एवं जरुरतमंद दू-पहिया वाहन धारकों को महंगाई से राहत देने के लिए 26 जनवरी से 25 रुपये प्रति लीटर की दर से पेट्रोल पर अनुदान दिया जायेगा।
आज मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आज से पुरे राज्य में CM-SUPPORTS योजना के माध्यम से प्रत्येक गरीब एवं जरुरतमंद दू-पहिया वाहन मालिकों को प्रतिमाह 10 लीटर पेट्रोल के लिए 25 रुपये प्रति लीटर की दर से 250 रूपये की राशि उनके खाते में सीधे भेज दी जायेगी।
इसके अलावे बहुत सारी कल्याणकारी योजनाओं को हमारी सरकार ने लागू किया है। जिन सबका उल्लेख करना संभव नहीं है। साथ ही साथ अभी बहुत कुछ करना है।
अंत में मैं, आप सभी को गणतंत्र दिवस की पुनः बधाई देता हूँ और आह्वान करता हँू कि इस गणतंत्र दिवस के अवसर पर हम एक ऐसा झारखण्ड बनाने का संकल्प लें, जो उन स्वप्नों एवं आशाओं के अनुरूप हो, जिसके लिए काफी त्याग और बलिदान के बाद इस राज्य का सृजन हुआ। मैं एक ऐसे झारखण्ड की परिकल्पना करता हँू, जो गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा एवं भ्रष्टाचार आदि से मुक्त हो, जिसको साकार करने में आप सभी अपनी सक्रिय भागीदारी निभायें तथा हमारे साथ-साथ आप भी अपनी वचनबद्धता दिखाएँ।
आइये, हम सब मिल कर राज्य में स्थिरता, शान्ति और समरसता का माहौल बनायें और अपनी सृजनशीलता और सकारात्मक ऊर्जा से राज्य की सर्वांगीण प्रगति और उन्नति को अभूतपूर्व गति और ऊँचाई प्रदान करें।
दुमका, मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन से आज राजभवन, दुमका में आम जनता ने अपनी परेशानियों और समस्याओं को साझा किया । लोगों ने सरकार के द्वारा जनहित में किए जा रहे कार्यों के लिए मुख्यमंत्री की सराहना की । उन्होंने कहा कि सरकार के द्वारा संचालित कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उन्हें मिल रहा है। मुख्यमंत्री ने लोगों को आश्वासन दिया कि उनकी जो भी समस्याएं हैं, उसका यथोचित निराकरण होगा । इस दिशा में उन्होंने उपस्थित अधिकारियों को भी आवश्यक निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने लोगों को गणतंत्र दिवस की बधाई और शुभकामनाएं दी। इस मौके पर मंत्री हफीजुल हसन अंसारी , विधायक श्री बसंत सोरेन और उपायुक्त, पुलिस अधीक्षक समेत कई अधिकारी मौजूद थे ।
बिग बॉस तमिल की प्रतियोगी और अभिनेत्री शिवानी नारायणन को निर्देशक सेल्वाकुमार की बम्पर की नायिका के रूप में चुना गया है। फिल्म में अभिनेता वेत्री मुख्य भूमिका में हैं। केरल बंपर लॉटरी पर आधारित तमिल फिल्म में अभिनेता थंगादुरई भी एक दिलचस्प भूमिका में होंगे।
यूनिट के करीबी सूत्रों का कहना है कि टीम ने केरल सरकार से जरूरी अनुमति लेकर पेरूवाझी पाथाई रूट पर पहले शेड्यूल की शूटिंग कर ली है।
निर्देशक सेल्वाकुमार ने कहा कि केरल बंपर लॉटरी इस फिल्म की पृष्ठभूमि है। वेत्री नायक की भूमिका निभा रहे हैं, और अभिनेता हरीश पेराडी एक बहुत ही महत्वपूर्ण किरदार निभा रहे हैं।
नेदुनलवादाई, एमजीआर मगन, आलम्बाना और कदामैयै सेई जैसी फिल्मों में काम कर चुके विनोथ रथिनासामी फिल्म के छायाकार हैं।
सूत्रों ने कहा अगला शेड्यूल जल्द ही शुरू होगा, और शूटिंग फरवरी में पूरी की जाएगी।
गोविंद वसंता ने बम्पर के लिए संगीत दिया है, जिसे वेथा पिक्च र्स के लिए एस त्यागराज द्वारा निर्मित किया गया है। (एजेंसी)
रोजाना कुछ मिनट माउंटेन क्लाइंबर एक्सरसाइज करने से आपको अनगिनत स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं। सबसे अच्छी बात तो यह है कि इस एक्सरसाइज के लिए न तो आपको किसी मशीन की जरूरत पड़ती है और न ही डंबल और बारबेल की। हालांकि, कई लोग माउंटेन क्लाइंबर एक्सरसाइज करते समय अनजाने में कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं, जिनसे चोट लगने की संभावना बढ़ जाती है। चलिए फिर आज ऐसी ही कुछ सामान्य गलतियों के बारे में जानते हैं।
हाथों को जमीन पर ठीक से न रखना
माउंटेन क्लाइंबर करते समय अगर आप हाथों को जमीन पर ठीक से नहीं रखते हैं तो आपकी इस गलती के कारण आपके लिए एक्सरसाइज के दौरान संतुलन बनाना मुश्किल हो सकता है। यह एक्सरसाइज करते समय सबसे पहले अपनी उंगलियों और हथेलियों को फैलाकर जमीन पर रखें। इसके बाद आपको एक्सरसाइज के दौरान धीरे-धीरे आगे होते समय अपनी हथेलियों पर दबाव डालना है और पीछे होते वक्त हथेलियों पर हल्का दबाव डालना है।
रीढ़ की हड्डी को सीधा न रखना
अगर आप माउंटेन क्लाइंबर करते समय अपनी पीठ को सीधा नहीं रखते हैं तो इसके कारण आपको पीठ के निचले हिस्से में दर्द की समस्या हो सकती है। इससे स्लिप डिस्क और सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस जैसी रीढ़ की हड्डी से जुड़ी कई तरह की समस्याओं का खतरा भी उत्पन्न हो सकता है। इसलिए अगर आप इससे स्वास्थ्य लाभ चाहते हैं तो एक्सरसाइज करते समय अपने शरीर को एकदम सीधा रखें ताकि आपको ऐसी समस्याओं का सामना ही न करना पड़े।
ठीक से सांस न लेना
बहुत से लोग माउंटेन क्लाइंबर एक्सरसाइज करते समय ठीक से सांस नहीं लेते हैं, लेकिन ऐसा करना उनकी सबसे बड़ी गलती है क्योंकि इससे उनको नुकसान पहुंच सकता है। बता दें कि इस एक्सरसाइज के दौरान सांस लेते समय आगे बढऩा होता है और पीछे होते समय सांस छोडऩी होती है। अगर आप इस एक्सरसाइज के दौरान सांस पर ध्यान नहीं देते हैं तो आपको इसके कारण सांस से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
शरीर पर नियंत्रण न होना
अगर आप यह चाहते हैं कि माउंटेन क्लाइंबर का आपके शरीर पर सकारात्मक असर पड़े तो इसके लिए जरूरी है कि आप एक्सरसाइज के दौरान अपने शरीर को नियंत्रित रखें। कई बार एक्सरसाइज करते समय ऐसा होता है कि हमारे शरीर पर हमारा नियंत्रण नहीं रहता। ऐसा अधिक वजन की वजह से भी हो सकता है। हालांकि, आप यह एक्सरसाइज करते समय अपने शरीर पर नियंत्रण रखें क्योंकि ऐसा न होने के कारण चोट लगने का डर बना रहता है।
माउंटेन क्लाइंबर करते समय जरूर बरतें ये सावधानियां
अगर आपके कंधों या फिर हाथों में किसी तरह की तकलीफ है तो इस एक्सरसाइज को न करें। जिन लोगों को घुटनों में चोट लगी हो या जिनकी सर्जरी हुई हो, वे भी इस एक्सरसाइज को न करें। गर्भवती महिलाएं भी इस एक्सरसाइज को न करें। अगर हाल ही में पेट की सर्जरी हुई है तो भी माउंटेन क्लाइंबर एक्सरसाइज को करने से बचना चाहिए। शुरूआत में यह एक्सरसाइज किसी विशेषज्ञ की निगरानी में ही करें। (एजेंसी)
मूंगफली न सिर्फ दोस्तों और परिवार के बीच हंसी-ठिठोली और टाइम पास का जरिया है, बल्कि यह पौष्टिक तत्वों का खजाना भी है। हालांकि, इतना ध्यान रखें कि ज्यादा मूंगफली का सेवन आपको फायदे की बजाय नुकसान पहुंचाने का कारण बन सकता है यानी इस वजह से आपका शरीर कई तरह की समस्याओं की चपेट में आ सकता है। आइए जानते हैं कि मूंगफली के अधिक सेवन से आपको किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
बढ़ सकती है सूजन
अगर आपका मानना यह है कि शरीर में सूजन आना कई बीमारियों का सिर्फ एक लक्षण है तो आपको बता दें कि मूंगफली के अधिक सेवन से भी यह समस्या हो सकती है। दरअसल, मूंगफली ओमेगा-6 जैसे जरूरी अनसैचुरेटेड फैट से युक्त होती हैं और जब आप मूंगफली का अधिक सेवन करते हैं तो शरीर में अनसैचुरेटेड फैट की मात्रा काफी बढ़ जाती है, जो सूजन का कारण बनती है। हालांकि, शरीर में सूजन आने पर डॉक्टरी जांच जरूर कराएं।
मोटापे का रहता है खतरा
मूंगफली वसा और कैलोरी से युक्त होती हैं और अगर आप इनका अधिक सेवन करते हैं तो वसा और कैलोरी की मात्रा भी अधिक होगी, जिसके कारण आपको मोटापे का सामना करना पड़ सकता है। मोटापा एक गंभीर शारीरिक समस्या है क्योंकि यह समस्या शरीर को कई बीमारियों का घर बना सकती है। इसलिए बेहतर होगा मूंगफली और इसकी जैसी कैलोरी और वसा से युक्त चीजों का अधिक सेवन करने से बचें।
ज्यादा हो सकता है ब्लड प्रेशर
अगर आपको हाई ब्लड प्रेशर यानी उच्च रक्तचाप की समस्या रहती है तो ऐसे में आपको भूल से भी मूंगफली का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए। दरअसल, मूंगफली में सोडियम के साथ-साथ कुछ ऐसे कंपाउंड पाए जाते हैं, जो ब्लड प्रेशर को ज्यादा कर सकते हैं। इसलिए अगर आपको पहले से ही हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है तो मूंगफली का अधिक सेवन करना आपके लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
लिवर की बीमारियां
मूंगफली का अधिक सेवन लिवर के स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है और इसे कमजोर कर सकता है। दरअसल, मूंगफली प्रोटीन युक्त होती हैं, जिसकी अधिक मात्रा शरीर में पहुंचकर शरीर की तंत्रिकाओं और कोशिकाओं में सूजन पैदा करता है, जिसकी वजह से लिवर कमजोर होने लगता है। इसके अलावा, मूंगफली का अधिक सेवन करने से फैटी लिवर की बीमारी भी हो सकती है। इसलिए बेहतर होगा कि आप रोजाना सीमित मात्रा में ही मूंगफली का सेवन करें।
मूंगफली कई ऐसे पोषक तत्वों से समृद्ध होती हैं, जो शरीर के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं और न्यूट्रीशियनिस्ट की मानें तो एक दिन में एक मुट्ठी मूंगफली का सेवन करना ही लाभदायक है। (एजेंसी)
दुनिया के सौ से ज्यादा अरबपति एक अपील लेकर सामने आए हैं। उनका कहना है कि उन पर जो टैक्स लगाया जा रहा है, वह काफी नहीं है। उनसे और ज्यादा टैक्स लिया जाए और अभी लिया जाए। पहली नजर में अजीब सी लगती इस अपील के पीछे कुछ ही दिनों पहले आई वह स्टडी रिपोर्ट है, जो बताती है कि दुनिया में अमीर और गरीब के बीच का अंतर तेजी से बढ़ रहा है।
ग्लोबल चैरिटी ऑक्सफैम द्वारा तैयार की गई इस रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के दस सबसे अमीर लोगों ने अपनी संपत्ति महामारी वाले उन दो वर्षों में दोगुना बढ़ाकर 1.5 ट्रिलियन डॉलर कर ली, जब दुनिया के ज्यादातर लोग तरह-तरह की तकलीफों से गुजरते हुए गरीबी में और गहरे धंस गए। ऐसे में इन 102 अरबपतियों ने अपनी इस साझा अपील के जरिए यह बात उठाई है कि मौजूदा टैक्स सिस्टम न्यायपूर्ण नहीं है। इसे जानबूझकर ऐसा रखा गया है, जिससे अमीर और अमीर, गरीबी और गरीब होते जाएं। इसीलिए इस टैक्स सिस्टम में बदलाव लाते हुए अमीरों पर और ज्यादा टैक्स लगाने की पहल की जानी चाहिए।
हालांकि कहां कितना टैक्स लगाना है, यह हर देश की सरकार अपने हिसाब से ही तय कर सकती है, फिर भी इस पत्र में सुझाव के तौर पर 50 लाख डॉलर तक की संपति वालों पर 2 फीसदी, 5 करोड़ डॉलर तक पर तीन फीसदी और सौ करोड़ से ऊपर की संपत्ति वालों पर पांच फीसदी का वेल्थ टैक्स लगाने की बात कही गई है। अगर इतना वेल्थ टैक्स लगाया जाए तो सालाना इतनी रकम इक_ा हो जाएगी कि न केवल सबको मुफ्त टीका लगाया जा सकेगा बल्कि सबको स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के साथ ही कम और मध्यम आय वर्ग के देशों के 3.6 अरब लोगों को सामाजिक सुरक्षा भी दी जा सकेगी।
अपने देश में भी हालात कुछ अलग नहीं हैं। ऑक्सफैम की ही रिपोर्ट के मुताबिक मात्र 98 सबसे अमीर भारतीयों के पास इतनी संपत्ति है जितनी कि सबसे गरीब 55 करोड़ लोगों के पास भी नहीं है। और अगर सिर्फ इन 98 भारतीयों की संपत्ति पर चार फीसदी का अतिरिक्त टैक्स लगा दिया जाए तो उससे इतना पैसा आ जाएगा है कि अगले 17 साल तक मिड-डे मील स्कीम बिना किसी बाहरी मदद के चलती रहेगी। देश में सिर्फ एक फीसदी संपत्ति कर से पूरी स्कूली शिक्षा का खर्च निकल सकता है। सचमुच वक्त आ गया है, जब सरकारों को इस दिशा में गंभीरता से सोचना चाहिए।
अनु जैन रोहतगी –
नैशनल कमिशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स ने सुप्रीम कोर्ट में दिए अपने आंकड़ों में बताया है कि अप्रैल 2021 से अब तक देश में कोरोना के कारण 10,094 बच्चों के सिर से मां-बाप का साया उठ गया। 1,36,910 बच्चों के मां या पिता कोरोना की भेंट चढ़ गए और 488 बच्चों को अनाथों की तरह छोड़ दिया गया।
इसके बरक्स एक और रिपोर्ट ध्यान देने लायक है कि देश में बच्चों को गोद देने के काम को नियंत्रित करने वाली नोडल एजेंसी ‘सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्स एजेंसी'(कारा) की लिस्ट में दिसंबर 2021 तक सिर्फ 1,936 बच्चे ही गोद देने कि लिए उपलब्ध थे जबकि गोद लेने की चाहत रखने वाले कपल्स की लिस्ट 36 हजार तक लंबी है। बता दें कि यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल, दि इंपिरियल कॉलेज ऑफ लंदन और ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी तक ने भारत में कोरोना के कारण अनाथ हुए बच्चों के भविष्य पर चिंता जताई है। एक मार्च 2020 से 30 अप्रैल 2021 तक देश में एक लाख 19 हजार बच्चों ने अपने माता-पिता और रखरखाव करने वाले ग्रैंड पैरंट्स खो दिए।
ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि पिछले डेढ़-दो सालों में कोरोना के कारण हजारों बच्चों के सिर से मां-बाप का साया उठ जाने के बावजूद इन्हें गोद देने के लिए सही समय पर सरकारी प्रक्रिया क्यों नहीं अपनाई गई? बता दें कि जब कोई भी अनाथ, लावारिस, घर से भागा बच्चा मिलता है तो उसे सबसे पहले उस स्थान की चाइल्ड वेल्फेयर कमिटी के समक्ष पेश किया जाता है। कमिटी पूरी जांच-पड़ताल के बाद उसे देखभाल के लिए अलग-अलग बाल गृहों, अडॉप्शन एजेंसियों में भेजती है। इसके बाद कमिटी निर्णय लेती है कि कौन-कौन से बच्चे कानूनी रूप से गोद दिए जाने की स्थिति में हैं। उन बच्चों को चिह्नित कर उनके लिए प्रमाणपत्र जारी किया जाता है और उसके बाद प्रमाणपत्र और बच्चे के पूरे विवरण को ‘कारा’ की ओर से संचालित बच्चा गोद देने की नोडल लिस्ट में अपलोड किया जाता है।
लेकिन यह प्रक्रिया उतनी सरल नहीं जितनी दिखती है। अगर सरकारी आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो पता चलता है कि वर्ष 2015 से 2021 के बीच दो साल से कम उम्र के 18,415, दो से चार साल के 1,782, चार से छह साल के 1,398 और छह से आठ साल के 797 बच्चों को गोद दिया गया है। ये संख्याएं अपने आप में ही एजेंसियों के काम पर सवाल खड़ा करती हैं। कोरोना काल में कई कारणों से हालात बद से बदतर हुए हैं। आंकड़े यह भी बताते हैं कि पिछले पांच साल के मुकाबले वर्ष 2020-21 में कोरोना के चलते सबसे कम केवल 3,142 बच्चों को गोद दिया गया। गोद देने वाली संस्थाओं का कहना है कि वित्तीय संकट के कारण वे अनाथ बच्चों को अपने यहां जगह नहीं दे सकीं। कुछ संस्थाओं की शिकायत है कि कोरोना काल में उन्हें राज्य सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिली।
हैरानी की बात है कि जब एक तरफ देश में अनाथ बच्चों की संख्या इतनी अधिक है तो दूसरी तरफ कानूनी रूप से बच्चा गोद लेने का फैसला करने के बाद भी कपल्स को अमूमन दो-तीन साल का इंतजार करना पड़ जाता है। इसके पीछे एक बड़ा कारण यह भी है कि देश में अनाथ, घर से निकाले गए या छोड़ दिए गए बच्चों की देखभाल करने और उनसे जुड़ी सारी जानकारी एकत्र करने के बाद उनका नाम अडॉप्शन पूल लिस्ट में डालने में मदद करने वाली संस्थाएं बहुत कम हैं। सवाल है कि क्या इन संस्थाओं की संख्या या इनका संसाधन बढ़ाने के उपाय क्यों नहीं किए जा रहे।
कोरोना काल ने हमें बहुत सी सीख दी है। एक सीख बच्चों की देखभाल करने में लगी संस्थाओं, अडॉप्शन एजेंसियों, कारा और सरकार को भी लेनी चाहिए कि कोरोना के कारण अनाथ हुए बच्चों को जल्दी से जल्दी एक नया घर-परिवार देने के लिए सिस्टम में सुधार के जरूरी कदम जल्द से जल्द उठाने हैं। इस दिशा में की गई पहल अनाथ बच्चों को एक नया भविष्य देने के साथ बच्चों की किलकारियां और शरारतें सुनने-देखने को तरसते कपल्स के लिए भी वरदान के समान होगी।
वेदप्रताप वैदिक –
पाकिस्तान ने 14 जनवरी को पहली बार अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा नीति की घोषणा की है। जब से पाकिस्तान बना है, ऐसी घोषणा पहले कभी नहीं की गई। इसका अर्थ यह नहीं है कि पाकिस्तान की कोई सुरक्षा नीति ही नहीं थी। यदि ऐसा होता तो वह अपने पड़ोसी भारत के साथ कई युद्ध कैसे लड़ता और आतंकवाद को अपनी स्थायी रणनीति क्यों बनाए रखता? परमाणु बम तो वैसी स्थिति में बन ही नहीं सकता था। अफगानिस्तान के साथ वह कई-कई बार युद्ध के कगार पर कैसे पहुंच जाता? अफगानिस्तान के सशस्त्र गिरोहों को पिछले 50 साल से वह शरण क्यों देता रहता? किसी सुरक्षा नीति के बिना अमेरिका के सैन्य-गुटों में वह शामिल क्यों हो गया था? पहले अमेरिका और अब चीन का पिछलग्गू बनने के पीछे उसका रहस्य क्या है? बस वही, सुरक्षा नीति! सुरक्षा किससे? भारत से।
डर से उपजी नीति
जब से पाकिस्तान बना है, उसके दिल में यह डर बैठा हुआ है कि भारत उसका वजूद मिटा देगा। भारत उसे खत्म करके ही दम लेगा। भारत ने 1971 में पूर्वी पाकिस्तान को तोड़कर बांग्लादेश बना दिया। उसे लगता है कि वह पाकिस्तान के कम से कम चार टुकड़े करना चाहता रहा है। एक पंजाब, दूसरा सिंध, तीसरा बलूचिस्तान और चौथा पख्तूनिस्तान। तो पाकिस्तान भी भारत के टुकड़े करने की कोशिश क्यों न करे? उसकी कोशिश कश्मीर, खालिस्तान, असम, नगालैंड और मिजोरम को खड़ा करने की रही है। तू डाल-डाल तो हम पात-पात! नहले पर दहला मारने की यही नीति पाकिस्तान की सुरक्षा नीति रही है। भारत ने परमाणु बम बनाया तो पाकिस्तान ने भी जवाबी बम बना लिया।
ऐसी सुरक्षा नीति की भला कोई सरकार घोषणा कैसे कर सकती थी? उसे जितना छिपाकर रखा जाए, उतना ही अच्छा। लेकिन उसके नतीजों को आप कैसे छिपा सकते हैं? पिछले 7-8 दशकों में वे नतीजे सारी दुनिया के सामने अपने आप आने लगे। अपने आप को तुर्रम खां बताने वाले पाकिस्तान के फौजी तानाशाहों, राष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्रियों को मालदार मुल्कों के आगे भीख का कटोरा फैलाए खड़े रहना पड़ता रहा है। मोहम्मद अली जिन्ना ने पाकिस्तान का जो गुब्बारा 1947 में फुलाया था, उसकी हवा आज तक निकली पड़ी है। जिन्ना के सपनों का पाकिस्तान एक आदर्श इस्लामी राष्ट्र क्या बनता, वह दक्षिण एशिया के सबसे पिछड़े राष्ट्रों में शुमार हो गया।
अब इमरान सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा नीति की जो घोषणा की है, उसमें आर्थिक सुरक्षा का स्थान सबसे ऊंचा है। इसीलिए उसमें साफ-साफ कहा गया है कि पाकिस्तान अब सामरिक सुरक्षा के बजाय आर्थिक सुरक्षा पर अपना ध्यान केंद्रित करेगा। यदि वह सचमुच ऐसा करेगा तो बताए कि उसका रक्षा-बजट कुल बजट का 16 प्रतिशत क्यों है? यदि अपने इस 9 बिलियन डॉलर के फौजी बजट को वह आधा कर दे तो क्या बचे हुए पैसों का इस्तेमाल पाकिस्तानियों की शिक्षा, चिकित्सा और भोजन की कमियों को पूरा करने में नहीं किया जा सकता? इस नई सुरक्षा नीति की घोषणा के बाद देखना है कि अब उसका बजट कैसा आता है।
यह नई सुरक्षा नीति कोई रातोरात बनकर तैयार नहीं हुई है। पिछले सात साल से इस पर काम चल रहा है, नवाज शरीफ के जमाने से। मियां नवाज के विदेश मंत्री और सुरक्षा सलाहकार रहे बुजुर्ग नेता सरताज अजीज ने इस नई नीति पर काम शुरू किया था। उन्हीं दिनों भारत में बीजेपी की नरेंद्र मोदी सरकार कायम हुई थी। मियां नवाज के घर मोदी अचानक जाकर उनकी नातिन की शादी में शामिल भी हुए थे। उसके पहले मोदी के शपथ-विधि समारोह में नवाज और अजीज ने शिरकत की थी। उन्हीं दिनों इस नई सुरक्षा नीति की नींव पड़ी थी, लेकिन अब जो दस्तावेज प्रकट हुआ है, उसमें मोदी और संघ की कटु आलोचना है। इस नीति की घोषणा करते समय कही गई इस बात पर कौन भरोसा करेगा कि पाकिस्तान अगले सौ साल तक भारत से अपने संबंध सहज बनाए रखेगा? सचमुच आपका यही इरादा है तो अभी भी आपने आधी नीति छिपाकर क्यों रखी है?
भारत ने तो अफगानिस्तान के लिए 50 हजार टन अनाज और दवाइयां भिजवाने की घोषणा की थी, लेकिन पाकिस्तान ने अभी तक उसे काबुल पहुंचाने का रास्ता नहीं खोला है। भारत ने अफगानिस्तान पर बात करने के लिए पड़ोसी राष्ट्रों की बैठक में पाकिस्तान को भी बुलाया था। लेकिन उसने चीन के साथ मिलकर उसका बहिष्कार कर दिया। अफगान-संकट ने तो ऐसा मौका पैदा कर दिया था कि उसका मिल-जुलकर समाधान करते हुए भारत और पाकिस्तान के बीच दोस्ती हो सकती थी। यदि पाकिस्तान को आर्थिक रूप से समृद्ध होना है तो उसे दक्षिण और मध्य एशिया के बीच एक सेतु की भूमिका तुरंत स्वीकार करनी चाहिए। यदि वह एक सुरक्षित पुल बन जाए तो मध्य एशिया के गैस, तेल, लोहा, तांबा, यूरेनियम आदि से भारत और पाकिस्तान मालामाल हो सकते हैं। अभी तो भारत-पाक व्यापार पर भी तालाबंदी लगी हुई है।
संवाद पर हो जोर
नई नीति में यह ठीक कहा गया है कि अब पाकिस्तान कश्मीर के कारण भारत से बातचीत बंद नहीं करेगा। लेकिन तब भी वह राग कश्मीर अलापता ही रहेगा। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की अब कश्मीर में कोई रुचि नहीं है। चीन भी उस पर चुप ही रहता है। लेकिन हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर कश्मीर को घसीटने से पाकिस्तान बाज नहीं आता। अच्छा हो कि इमरान सरकार इस मुद्दे पर भारत सरकार से सीधे संवाद की पहल करे। पाकिस्तान के जितने भी राष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों और बुद्धिजीवियों से पिछले 50 साल में मेरा संवाद हुआ है, उनसे मैंने यही कहा है कि जुल्फिकार अली भुट्टो का यह कथन आप भूल जाइए कि कश्मीर लेने के लिए आप हजार साल तक भारत से लड़ते रहेंगे। कश्मीर का हल लात से नहीं, बात से ही होगा। कश्मीर के बहाने पाकिस्तान ने सारी दुनिया से बदनामी मोल ले ली। वह आतंक और फौजी तानाशाही का गढ़ बन गया। भारत के साथ उसकी दुश्मनी खत्म हो जाए तो उसे अमेरिका या चीन जैसे राष्ट्रों का चरणदास नहीं बनना पड़ेगा और पाकिस्तान के लोग भारतीयों की तरह लोकतंत्र और खुशहाली में जी सकेंगे।