मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने स्वर कोकिला लता मंगेशकर जी के निधन पर गहरी संवेदना जताई,  कहा -देश के लिए अपूरणीय क्षति

*मुख्यमंत्री ने कहा- लता जी भले ही हमारे बीच नहीं है, लेकिन उनकी आवाज हमेशा हमारे दिलों पर राज करेगी

मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने भारतरत्न स्वर कोकिला लता मंगेशकर जी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है ।  मुख्यमंत्री ने कहा कि लता जी के निधन से मर्माहत हूं।  यह देश और देशवासियों के लिए अपूरणीय क्षति है। आज हर किसी की आंखें नम है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने  विभिन्न भाषाओं में लगभग तीस हज़ार गानों को अपनी सुरीली आवाज दी थी । उनकी आवाज ही उनकी पहचान थी ।  आज उनके हमारे बीच नहीं होने से सुरों का एक कारवां थम सा गया है। लेकिन, वे अपनी आवाज से हमेशा हमारे दिलों में राज करेंगी। लता जी भले ही इस दुनिया में अब नहीं है, लेकिन उनके गाने हमेशा उनकी याद दिलाती रहेगी। परमात्मा दिवंगत पुण्यात्मा को अपने चरणों में स्थान दे एवं उनके असंख्य प्रशंसकों को दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।

रुला गया लता दीदी का जाना

28 सितंबर 1929 दिन शनिवार को लता दीदी इंदौर की धरा पर अवतरित हुई थीं और संयोग ही है कि बसंत पंचमी 5 फरवरी 2022 दिन शनिवार को उनकी हालत बेहद नाजुक हो गई और वो कोमा में चली गईं उसके बाद 6 फरवरी रविवार को उनके निधन का समाचार हृदय को व्यथित कर गया। हुई आंखें नम और दिल भर आया। सरस्वती पूजा के अगले ही दिन सरस्वती का स्वर और गायन थम गया। जानकारी के अनुसार सुबह 8.12 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। आठ जनवरी को वह कोरोना संक्रमित हुई थीं। खराब स्वास्थ्य की समस्या से जूझ रहीं  92  वर्षीय लता जी पिछले करीब एक महीने से मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती थीं। अपने लगभग 78 साल के करियर में करीब 25 हजार गीतों को अपनी आवाज देने वाली लता मंगेशकर को कई पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा गया था। तीन बार उन्होंने राष्ट्रीय अवार्ड अपने नाम किया था। अपनी मधुर आवाज से लोगों को मोह लेने वाली लता मंगेशकर को प्रतिष्ठित भारत रत्न और दादा साहेब फालके अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था। लता जी का निधन संपूर्ण कला जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। बॉलीवुड में आज सन्नाटा पसरा हुआ है। जिसकी वजह स्वर कोकिला लता मंगेशकर का यूं अचानकर इस दुनिया को अलविदा कहकर चले जाना है। स्वर कोकिला के निधन से आम हो या फिर खास हर किसी की आँख नम है।

प्रस्तुति – काली दास पाण्डेय

विलुप्त होते औषधीय पौधो को नया जीवन दे रही औषधीय वाटिका

*कोरोनाकाल में वरदान साबित हुई औषधीय वाटिका

 *राज्य में 17 जिलो के 35  प्रखंडों में 6500 दीदियां औषधीय वाटिका से जुड़ीं

 रांची, खूंटी के बिरहु बड़का टोली की अनिता सांगा ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि तुलसी , गिलोय , चिरोंजी, सतावर, घोडवार आदि औषधीय पौधों की नर्सरी उनकी आजीविका का साधन बन सकता है। नवीन आजीविका किसान उत्पादक समूह की सदस्य अनिता सांगा आज 50 से अधिक औषधीय पौधों की खेती कर कर रही हैं । पहले सिर्फ वनोपज आधारित आजीविका पर निर्भर अनिता सखी मंडल की महिलाओं के साथ मिल कर औषधीय पौधों और फलों की नर्सरी कर अच्छी आमदनी कर रही रही हैं। अनिता की नर्सरी के पौधे आज औषधीय वाटिका से जुड़ी सखी मंडल के दीदियों की इम्युनिटी बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। झारखण्ड स्टेट लाईवलीहुड प्रमोशन सोसाईटी के तहत औषधीय एवं सुगंधित पौधो की खेती की पहल से जुड़कर अनिता जैसी कई महिलाएं औषधीय पौध नर्सरी का संचालन कर रहीं हैं। वहीं हजारों महिलाएं अपने घरों में औषधीय वाटिका बनाकर अपने परिवार को स्वस्थ जीवन का उपहार दे रही हैं। इस पहल से एक ओर जहां ग्रामीण महिलाओं को औषधीय पौधे सस्ते दर पर नर्सरी के माध्यम से उपलब्ध हो रहे हैं, वहीं राज्य की जनजातीय चिकित्सा पद्धति होड़ोपैथी को पुनर्जीवित कर लोगों को प्राकृतिक उत्पादों के जरिए रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने में वरदान साबित हो रहा है।

 *कोरोनाकाल में वरदान साबित हुई औषधीय वाटिका

 औषधीय वाटिका का लक्ष्य सखी मंडल की दीदियों के जरिए पुरातन प्राकृतिक उपायों से रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना एवं रोग निवारक उपायों को बढ़ावा देना है। इससे एक ओर जहां नेचुरोपैथी एवं होड़ोपैथी को पुनर्जीवित किया जा रहा है, वहीं गांव की महिलाएं आमदनी भी कर रही हैं। हज़ारीबाग जिले के दारु प्रखंड अंतर्गत पेटो गांव की आशा देवी पिछले डेढ़ साल से औषधीय वाटिका परियोजना से जुड़ कर न सिर्फ कोरोना के कठिन समय में कारगर तुलसी , गिलोय, हरसिंगार सहित 30  से ज्यादा औषधीय पौधों की खेती कर अपने परिवार और आसपास के लोगो की मदद की, बल्कि इन औषधीय पौधों की बिक्री के जरिए कुछ आमदनी भी कर लेती हैं।

 *17 जिलो के 35  प्रखंडों में 6500 किसानों के साथ चल रही परियोजना

 पिछले कुछ दशकों में होडोपैथी औषधीय पौधो की कमी के कारण विलुप्ति के कगार पर पहुंच गयी थी। ऐसे में झारखण्ड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाईटी ने महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना अंतर्गत औषधीय वाटिका पहल के जरिये प्राचीन औषधीय चिकत्सा प्रणालियों को पुनर्जीवित कर इसके संरक्षण को बढ़ावा दिया है। वर्तमान में परियोजना राज्य के 17 जिलों के 35  प्रखंडों में 6500 किसानों के साथ चलाई जा रही है। इसके अंतर्गत 30 से अधिक औषधीय और सुंगधित पौधों जैसे  हर्रा, बहेड़ा, करंज, कुसुम, लेमनग्रास  आदि को बढ़ावा दिया जा रहा  है, जो मुख्य रूप से औषधीय वाटिका के तहत उगाए जाते हैं। इसके अलावा वन आधारित औषधीय पौधों का वैज्ञानिक संग्रहण, खेती तथा सुगंधित पौधे को बढ़ावा देकर राज्य में आजीविका के नये अवसर उत्पन्न करने का प्रयास भी जोरो पर है।

 

सखी मंडल की बहनों को औषधीय पौधों की खेती से जोड़कर सशक्त अभिनव आजीविका का अवसर उपलब्ध कराया जा रहा है। अब तक करीब 10 औषधीय पौधो की नर्सरी का संचालन ग्रामीण महिलाओं के द्वारा किया जा रहा है। आने वाले दिनों में नेशनल मेडिसिनल प्लान्ट बोर्ड के साथ अभिसरण के जरिए 50 से ज्यादा नर्सरी की स्थापना का लक्ष्य है। इस पहल से करीब 11 हजार ग्रामीण परिवार औषधीय वाटिका से जुड़ेंगे, जिसका लाभ एक लाख से ज्यादा परिवारों को होगा।

माली में फंसे झारखण्ड के 33 श्रमिकों में से सात श्रमिकों की हुई झारखण्ड वापसी

*श्रमिकों को कंपनी द्वारा किया जायेगा वेतन का भुगतान

रांची, मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन के आदेश के बाद वेस्ट अफ्रीका के माली में फंसे गिरिडीह और हजारीबाग के 33 श्रमिकों में से सात श्रमिक दिलीप कुमार, छेदीलाल महतो, संतोष महतो, लालमणि महतो, इन्द्रदेव ठाकुर, लोकनाथ महतो और इन्द्रदेव प्रसाद की झारखण्ड वापसी हो गई। श्रमिकों के दूसरे समूह की रविवार को माली से रवाना होने की संभावना है।

 *ये था मामला

 जनवरी 2022 में सोशल मीडिया के माध्यम से श्रमिकों ने अपनी स्थिति से मुख्यमंत्री और श्रम मंत्री को अवगत कराया गया। मुख्यमंत्री को बताया गया कि वे सभी वर्ष 2021 से कल्पतरु पावर ट्रैन्ज़्मिशन लिमिटेड में फिटर के रूप में कार्यरत हैं। ठेकेदार ने उनका पासपोर्ट जब्त कर रखा है और वह भारत वापस आ चुका है। तीन महीने से ज्यादा हो गया है, लेकिन उन्हें वेतन नहीं दिया गया एवं उनके पास दो दिन का खाना ही बचा था। मामले पर संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री ने राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष को श्रमिकों की सुरक्षित वापसी का आदेश दिया। इसके बाद राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष द्वारा कंपनी के कंट्री हेड एवं मेनेजर से संपर्क कर उन्हें श्रमिकों की समस्या से अवगत कराते हुए उनके खाने की उचित व्यवस्था और वेतन का भुगतान करने को कहा गया।

 *हुआ समझौता

 मामले की गंभीरता को देखते हुए माली स्थित भारतीय दूतावास से संपर्क कर घटना से अवगत कराया गया। दूतावास द्वारा कंपनी, ठेकेदार एवं श्रमिकों के प्रतिनिधियों को दूतावास कार्यालय बातचीत के लिए बुलाया गया। इसके बाद तीनों पक्ष के प्रतिनिधि द्वारा दूतावास कार्यालय में समझौता पत्र में हस्ताक्षर किया गया और श्रमिकों की वापसी सुनिश्चित हुई।

भारतीय पुरूष हॉकी टीम एफआईएच प्रो लीग के लिये दक्षिण अफ्रीका रवाना

बेंगलुरू, भारतीय पुरूष हॉकी टीम एफआईएच प्रो लीग में दक्षिण अफ्रीका और फ्रांस के खिलाफ आठ से 13 फरवरी तक होने वाले मुकाबलों के लिये जोहानिसबर्ग रवाना हो गई जबकि ‘बीमारीÓ के कारण ऐन मौके पर सीनियर फॉरवर्ड ललित उपाध्याय और मिडफील्डर जसकरण सिंह नहीं जा सके ।
मनप्रीत सिंह की कप्तानी वाली टीम दोहा के रास्ते जोहानिसबर्ग पहुंचेगी । उसे फ्रांस से आठ फरवरी को पहला मैच खेलना है और अगले दिन दक्षिण अफ्रीका से सामना होगा । फ्रांस से फिर 12 फरवरी को मैच होगा और अगले दिन मेजबान से खेलना है ।
टीम आत्मविश्वास से ओतप्रोत है और सकारात्मक शुरूआत को लालायित भी हालांकि दो सीनियर खिलाडिय़ों से यूं बाहर होने से हलका झटका लगा है । मुख्य कोच ग्राहम रीड ने हॉकी इंडिया द्वारा जारी बयान में कहा , भारत के फॉरवर्ड ललित कुमार उपाध्याय और जसकरण सिंह दक्षिण अफ्रीका नहीं जा रहे हैं । स्टैंडबाय सुमित मिडफील्ड में जसकरण की जगह लेंगे जबकि ललित की जगह गुरसाहिबजीत सिंह ने ली है ।
उन्होंने कहा , यह हमारे लिये हलका झटका है लेकिन हम इस तरह की स्थिति के लिये तैयार थे और हमारे पास पांच स्टैंडबाय थे ।

(एजेंसी)

28 माह में आकांक्षी जिलों के 1.1 करोड़ घरों में नल से जलापूर्ति उपलब्ध कराई गई

*जल जीवन मिशन

नईदिल्ली (आरएनएस)  जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल और स्वच्छता विभाग ने आकांक्षी जिलों में सुनिश्चित पोर्टेबल जल आपूर्ति और ओडीएफ प्लस पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी-सीईओ, अमिताभ कांत ने मुख्य भाषण दिया। उन्होंने कहा, आकांक्षी जिले कई मायनों में अद्वितीय हैं और कई चुनौतियों का सामना करते हैं। इन क्षेत्रों में काम करने के मॉडल की संयुक्त राष्ट्र सहित कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने सराहना की है। पानी और स्वच्छता का प्रभाव कई गुना है और स्वास्थ्य तथा पोषण को सीधे प्रभावित करता है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि जिला कलेक्टर और नीति निर्माता यह सुनिश्चित करने के लिए अति आवश्यक नेतृत्व प्रदान करें कि शौचालय की सुविधा और नल का पानी दिए गए समय में हर ग्रामीण घर तक पहुंचे। श्रीमती विनी महाजन, सचिव डीडीडब्ल्यूएस, मुख्य सचिव, अरुण बरोका, अपर सचिव, डीडीडब्ल्यूएस, एसीएस और राज्यों के प्रधान सचिव तथा डीडीडब्ल्यूएस, केंद्रीय मंत्रालयों, नीति आयोग, राज्य सरकारों के एक हजार से अधिक अधिकारियों और महत्वाकांक्षी जिलों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी-सीईओ / उपायुक्तों-डीसी ने ई-सम्मेलन में भाग लिया।
सम्मेलन के एजेंडे को निर्धारित करते हुए श्रीमती महाजन ने ग्रामीण घरों में नल के पानी की आपूर्ति और ओडीएफ यानी खुले में शौच से मुक्ति के बाद हर समय शौचालय का उपयोग सुनिश्चित करने में जिलों द्वारा की गई प्रगति की सराहना की। उन्होंने कहा, चूंकि जल जीवन मिशन और स्वच्छ भारत मिशन दोनों समयबद्ध हैं, इसलिए नल का पानी और स्वच्छता सुविधा प्रदान करने के लिए कोई भी छूटा नहीं है आदर्श वाक्य के साथ, मिशन मोड के कार्यक्रम के अंतर्गत यह महत्वपूर्ण है कि कार्यक्रम की दीर्घकालिक स्थिरता के लिए पानी और स्वच्छ शौचालय की उपलब्धता सभी के द्वारा लगातार प्रयास किए जाएं।
अरुण बरोका, अपर सचिव, डीडीडब्ल्यूएस ने ओडीएफ प्लस में 117 आकांक्षी जिलों और नल से जल आपूर्ति प्रदान करने के प्रदर्शन की प्रस्तुत दी। 15 अगस्त 2019 को जल जीवन मिशन के शुभारंभ के समय आकांक्षी जिलों के 3.39 करोड़ घरों में से केवल 24 लाख घरों में नल का पानी था, लेकिन आज हम 1.34 करोड़ (39.53 प्रतिशत) घरों में नल का पानी उपलब्ध करा रहे हैं। तेलंगाना के तीन आकांक्षी जिलों और हरियाणा के 1 जिले ने 100 प्रतिशत कवरेज प्राप्त की है। आकांक्षी जिलों में 5,090 गांवों में ठोस कचरा और 3,663 गांवों में तरल कचरा प्रबंधन शुरू किया गया है।
बरोका ने कहा कि आकांक्षी जिलों के लिए यह आवश्यक है कि वे प्रयासों में तेजी लाएं और यह सुनिश्चित करें कि लक्ष्य की समय सीमा से पहले कारी समाप्त हो जाए। उन्होंने जोर देकर कहा कि स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों में पीने, मध्याह्न भोजन पकाने, हाथ धोने और शौचालयों में उपयोग के लिए नल के पानी की व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए।
महाराष्ट्र में गढ़चिरौली के मुख्य कार्यकारी अधिकारी-सीईओ कुमार आशीर्वाद, आरके शर्मा, डीसी, नामसाई, अरुणाचल प्रदेश, उदय प्रवीण, डीसी, उदालगुड़ी, असम और दीपक सोनी, डीसी, दंतेवाड़ा छत्तीसगढ़ ने अभिनव समाधानों के माध्यम से चुनौतियों पर काबू पाने के लिए अपने जिलों में स्वच्छ नल का पानी और स्वच्छता सुविधाएं प्रदान करने में किए गए प्रासों के बारे में अपने अनुभव साझा किए।
जल जीवन मिशन को बॉटम-अप यानी नीचे से ऊपर के दृष्टिकोण के बाद विकेन्द्रीकृत तरीके से कार्यान्वित किया जाता है, जिसमें स्थानीय ग्राम समुदाय, योजना बनाने से लेकर कार्यान्वयन और प्रबंधन से संचालन तथा रखरखाव तक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके लिए राज्य समुदाय के साथ जुडऩे और पानी समिति को मजबूत करने जैसी सामुदायिक गतिविधियों को अंजाम देता है। इस बारे में बातचीत कराते हुए अमिताभ कांत ने जल निकायों के कायाकल्प, जल स्रोतों के संरक्षण, वर्षा जल संचयन और सतही जल के संवर्धन के प्रयासों पर बल दिया। उन्होंने कहा, समुदायों को शामिल करना कार्यक्रम का मूल होना चाहिए। परिवर्तन लाने और कार्यक्रम को जन आंदोलन बनाने के लिए सामाजिक और व्यवहारिक परिवर्तन महत्वपूर्ण है। यह महत्वपूर्ण है कि सभी डीपीआर को मार्च, 2022 तक स्वीकृत किया जाए ताकि मार्च 2023 तक सभी आकांक्षी जिलों को हर घर जल बनाने का काम तेजी से पूरा किया जा सके।
जल जीवन मिशन का उद्देश्य सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास की तर्ज पर काम करते हुए, पीने योग्य नल के पानी की आपूर्ति की सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित बनाना है। 2019 में मिशन की शुरुआत में, देश के कुल 19.20 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से केवल 3.23 करोड़ (17 प्रतिशत) परिवारों के पास ही नल के पानी की आपूर्ति उपलब्ध थी। पिछले 28 महीनों के दौरान, कोविड -19 महामारी और लॉकडाउन व्यवधानों के बावजूद, जल जीवन मिशन को तेजी से लागू किया गया है और आज, 5.69 करोड़ ग्रामीण परिवारों को नल के पानी के कनेक्शन प्रदान किए गए हैं। वर्तमान में, देश भर में 8.93 करोड़ (46.34 प्रतिशत) ग्रामीण परिवारों में नल के पानी की आपूर्ति उपलब्ध है। गोवा, तेलंगाना, हरियाणा राज्यों और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और पुडुचेरी, दादरा और नगर हवेली और दमण तथा दीव के केंद्र शासित प्रदेशों के ग्रामीण क्षेत्रों में 100 प्रतिशत घरेलू नल कनेक्शन से जल की आपूर्ति सुनिश्चित की गई है। वर्तमान में 97 जिलों के प्रत्येक घर और 1.34 लाख से अधिक गांवों को अपने घरों में नल का पानी मिल रहा है।
जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए, जल जीवन मिशन के बारे में सभी जानकारी सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध है।

अजवाइन के निर्यात में 2013 के बाद से लगभग 158 प्रतिशत की वृद्धि

*भारत का वस्तु निर्यात जनवरी 2022 में लगभग 336 बिलियन डॉलर तक पहुंचा

नईदिल्ली  (आरएनएस) भारत के अजवाइन का निर्यात अप्रैल-दिसंबर 2013 के 1.5 मिलियन डॉलर की तुलना में अप्रैल-दिसंबर 2021 में लगभग 158 प्रतिशत बढ़कर 3.7 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया।
अजवाइन के भारतीय निर्यात के प्रमुख गंतव्य स्थान हैं: अमेरिका (23.3 प्रतिशत), सऊदी अरब (20.1 प्रतिशत), कनाडा (11.2 प्रतिशत), नेपाल (11 प्रतिशत) तथा ब्रिटेन (9.1 प्रतिशत)।
भारत के निर्यात में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। उल्लेखनीय है कि जनवरी 2022 में भारत के वस्तु निर्यात में जनवरी 2021 के 27.54 बिलियन डॉलर के मुकाबले 23.69 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई और यह बढ़कर 34.06 बिलियन डॉलर तक जा पहुंचा। जनवरी 2020 के 25.85 बिलियन डॉलर के मुकाबले इसमें 31.75 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
भारत का वस्तु निर्यात 2021-22 (अप्रैल-जनवरी) में 2020-21 (अप्रैल-जनवरी) के 228.9 बिलियन डॉलर की तुलना में 46.53 प्रतिशत बढ़कर 335.44 बिलियन डॉलर तक जा पहुंचा। 2019-20 (अप्रैल-जनवरी) के 264.13 बिलियन डॉलर की तुलना में इसमें 27.0 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई।
सरकार निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कई सक्रिय कदम उठाती रही है। बाधाओं, समस्याओं तथा विशेष रूप से महामारी के दौरान निर्यातक समुदाय के समक्ष आने वाले व्यवधानों को दूर करने के लिए एक निर्यात निगरानी डेस्क का गठन किया गया है।
पुराने तथा अप्रचलित प्रावधानों को हटाने के लिए वाणिज्य विभाग के तहत विभिन्न अधिनियमों की समीक्षा की जा रही है। बड़े उत्साह के साथ कई द्विपक्षीय व्यापार समझौतों को आगे बढ़ाया जा रहा है। सरकार एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) जैसी पहलों के जरिये भारत के प्रत्येक जिले को एक निर्यात हब के रूप में विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है। निर्यातकों को विभिन्न निर्यातक केंद्रित योजनाओं के माध्यम से सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। विवेकीकरण तथा गैर अपराधीकरण के जरिये अनुपालनों में कमी लाने के प्रयास किए जा रहे हैं तथा व्यवसाय करने की सुगमता में सुधार लाने के लिए कई अभिनव पहलें की जा रही हैं।
निर्यातकों को लाइसेंसिंग प्रदान करने तथा कार्य से संबंधित उनकी शिकायतों को दूर करने के लिए एक आईटी आधारित प्लेटफार्म उपलब्ध कराया जा रहा है। सरकार एक भरोसेमंद आपूर्तिकर्ता के रूप में भारत की वैश्विक स्थिति में सुधार के लिए भारतीय निर्यात की ब्रांडिंग के मूल्य को बढ़ाने पर भी काम कर रही है और देश को वैश्विक मूल्य श्रृंखला के साथ जोडऩे के लिए सक्रिय कदम उठाये जा रहे हैं।

इलियाना डिक्रूज को सता रही वेकेशन की याद

बॉलीवुड अभिनेत्री इलियाना डिक्रूज सोशल मीडिया पर बहुत सक्रीय रहती हैं. वह आए दिन अपनी ग्लैमरस फोटोज फैंस के लिए सोशल मीडिया पर साझा करती रहती हैं. नए वर्ष के अवसर पर इलियाना मालदीव वेकेशन मना रही है. जहां की उन्होंने ढेर सारी फोटोज साझा की है. अब इलियाना को अपने इस वेकेशन की याद आने लगी है. वह इस ट्रिप की पुरानी फोटोज शेयर कर रही हैं जो पोस्ट होते ही वायरल हो गई हैं. इन फोटोज में इलियाना बिकिनी पहने दिखाई दे रही है.
कोरोना वायरस के कारण से सेलेब्स भी कम जगह घूमने के लिए ही जाने मिल पा रहा है. इसके कारण से वह अपने पुराने वेकेशन को याद करके उनकी फोटोज भी साझा करते रहते हैं. सेलेब्स की पुरानी फोटोज देख फैंस भी बहुत खुश हो जाते हैं. इलियाना ने लैवेंडर बिकिनी में फोटोज साझा की हैं जिसे देख फैंस दीवाने हो गए हैं.
फोटोज में इलियाना बहुत खूबसूरत लग रही हैं. वह समुद्र के किनारे खड़े होकर नजारे का आनंद लेती दिखाई दे रही है. फोटोज में व्यू बहुत ही सुंदर लग रहा है. इलियाना ने अपनी बिकिनी फोटोज के साथ खाने और स्थान की भी फोटोज साझा की हैं. जिसे देखकर किसी का भी मन करने लगे घूमने जाने का.
इलियाना की इन तस्वीरों से फैंस की निगाह नहीं हट रही है. वह ढेर सारे कमेंट कर रहे हैं. एक फैन ने लिखा- मेरी फेवरेट इलियाना. वहीं दूसरे ने लिखा- उफ्फफफफ साथ ही हार्ट इमोजी पोस्ट की. (एजेंसी)

अनन्या पांडे के इस अंदाज़ के फैंस भी हुए दीवाने

अनन्या पांडे ने अपने इंस्टाग्राम पर कुछ फोटोज साझा की है. जिनमें वो बिल्कुल ही अलग और बिंदास अंदाज में दिखाई दे रही है. उनका ये नया लुक फैंस को पसंद आने लगा है. उन्होंने बहुत इंटेंस लुक में पोज दिया है. अनन्या ने फोटोशूट अपनी आने वाली मूवी गहराइयां के प्रमोशनल इवेंट्स के बीच खिंचवाया है. उन्होंने इसके कैप्शन में भी अपनी आने वाली मूवी का जिक्र किया है.
अनन्या सोशल मीडिया पर हमेशा ही सक्रीय रहती हैं. अपने फैंस के लिए कुछ न कुछ नया पोस्ट करती करना उन्हें बहुत ही पसंद है . उन्होंने कैप्शन ले लिखा है कि गहराइयां के प्रमोशन के दूसरा दिन मैं इस मूवी के लिए बहुत उत्साहित हूं. जिसके ट्रेलर को बहुत प्यार मिल रहा है. अनन्या पांडे, दीपिका पादुकोण के साथ फिल्म गहराइयां में दिखाई देने वाली है. इए मूवी में सिद्धांत चतुर्वेदी भी मुख्य भूमिका में नजऱ आने वाले है. इस मूवी के ट्रेलर रिलीज के उपरांत से अनन्या के लुक और परफॉर्मेंस को लेकर बहुत चर्चा हो रही है. बताया जा रहा है कि वो बहुत अच्छी लग रही हैं इस फिल्म में.
जिसके अतिरिक्त अनन्या, विजय देवरकोंडा की मूवी लाइगर में भी काम कर रही हैं. इसकी शूटिंग लॉस एंजिलिस शुरू हो गई है. इसका फर्स्ट लुक टीजर सोशल मीडिया पर छा गया था. मूवी में अमेरिका के मशहूर बॉक्सर माइक टायसन भी दिखाई देने वाले है.

(एजेंसी)

कान की गंदगी निकालने के लिए अपनाये ये घरेल नुस्खे

आज के समय में कान साफ़ करने से कई लोग डरते हैं क्योंकि कान के पर्दे को इससे बड़ा नुकसान हो सकता है। ऐसे में कई बार लोगों को कान साफ़ करने से कई बड़ी परेशानियां हो जाती है लेकिन आप कुछ घरेलू उपायों से कान की गंदगी साफ़ कर सकते हैं। आज हम आपको उन्ही उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं जो आप कर सकते हैं और उससे आपका कान साफ़ हो सकता है।

बादाम का तेल- कान का मैल निकालने के लिए बादाम का तेल सबसे पुराने तरीकों में से एक है। जी हाँ और इस इस्तेमाल करने के लिए आप इस तेल को पहले गुनगुना कर लें उसके बाद दो या तीन बूंद बादाम का तेल कान में डालकर कुछ मिनट के लिए छोड़ दे। इस तेल से कान का मैल मुलायम हो कर आराम से बाहर निकल जाएगा।

सरसों, जैतून और नारियल का तेल- सरसों, जैतून और नारियल का तेल भी बादाम के तेल की तरह कान का मैल निकालने में बेहतरीन है। इस दौरान इस बात का ध्यान रखें कि बाजार से हमेशा अच्छी क्वालिटी का ही तेल लाएं और अब आप इनमें से किसी भी तेल में लहसुन की तीन से चार कलियां डालकर गर्म करें, तेल दो चम्मच ही ले। इस लहसुन तेल को थोड़ा सा गुनगुना हो जाने पर कुछ बूंद कान में डालकर रूई से कान बंद कर लें। इससे लाभ होगा।

बेबी ऑयल तेल- कान की गंदगी निकालने के लिए बेबी ऑयल तेल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए आप अपने कानों में 3 से 4 बूंदें बेबी ऑयल को डाल कर रूई से बंद कर दें और फिर 5 मिनट बाद रूई को निकाल दें।

सेब का सिरका और हाइड्रोजन पराक्साइड – इसके लिए थोड़ा सा हाइड्रोजन पेरोक्साइड को लेकर पानी में घोलें और इस मिक्सचर को कान में डालें। वहीं उसके बाद इस घोल को कान से बाहर निकाल दें। वैसे इसके अलावा सिरका की मदद से भी कान की सफाई कर सकते हैं। इसके लिए आप थोड़े से सिरके को एक चम्मच पानी में मिला ले और अब इसको कान में डाल दें।

गुनगुना पानी- वैसे आप गुनगुने पानी की मदद से भी कान का मैल साफ कर सकते हैं। इसके लिए पानी को थोड़ा सा गुनगुना कर लें और फिर रूई की सहायता से कान के अंदर डालें। अंत में उलटे होकर मेल बाहर निकाले।

प्याज का रस- इसे इस्तेमाल करने के लिए रूई की मदद से कुछ बूंदे कान के अंदर डालें क्योंकि इससे कान की गंदगी आसानी से बाहर आ जाएगी।

(एजेंसी)

यूक्रेन में रूसी-अमेरिकी हितों का टकराव

जी. पार्थसारथी – 
दिसंबर, 1991 में जब सोवियत संघ का विघटन हुआ तो मुख्य चिंता संघ के घटक रहे मध्य एशियाई इस्लामिक प्रजातांत्रिक देशों में बड़ी संख्या में बसे रूसियों के भविष्य को लेकर थी। सौभाग्य से यह मुद्दा अधिकांशत: राजनीतिक और शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाया जा चुका है। हालांकि चेचन्या के मुस्लिम बहुल इलाके में होने वाली हिंसा और सशस्त्र विद्रोह से सख्ती से निपटा गया था, जब इस गुट ने कुछ इस्लामिक देशों की मदद से हथियारबंद बगावत कर दी थी। मुस्लिम बहुल एशियाई प्रजातांत्रिक मुल्क मसलन कजाखिस्तान, उजबेकिस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गीज़स्तान और तुर्कमेनिस्तान की सोवियत संघ के अलग होने की प्रक्रिया शांतिपूर्ण संपन्न हुई थी। इससे आगे समूचे मध्य एशिया में ज्यादातर धर्म-सहिष्णु सरकारें बन पाईं।
इन मुल्कों का नेतृत्व उन हाथों में बना रहा जो सोवियत संघ बिखरने से पहले भी प्रभावशाली थे। उन्होंने अक्लमंदी दिखाते हुए रूस और अपने रूसी भाई-बंदों से अच्छे संबंध कायम रखे और ठीक इसी वक्त धार्मिक कट्टरवाद को त्यागे रखा। इसके बदले में उन्हें रूस से धार्मिक चरमपंथियों से पार पाने में तगड़ी सहायता मिली जिन्हें अफगान तालिबान सहित बाहरी ताकतों की मदद प्राप्त थी। इतना ही नहीं, इन मध्य एशियाई देशों में विशाल संख्या में बसे रूसी वहीं बने रहे। जबकि सोवियत संघ के तीन पूर्व सदस्य यानी एस्टोनिया, लातविया और लिथुएनिया के अलावा सोवियत-वारसा संधि के भागीदार मुल्क बुल्गारिया, रोमानिया और स्लोवाकिया अमेरिका के नेतृत्व वाले नाटो सैनिक गठबंधन में शामिल हो गए।
लेकिन रूस और इसके पश्चिमी पड़ोसी यूक्रेन के बीच थल और जलीय सीमा क्षेत्र को लेकर तनाव गहराता गया। इसके पीछे रूस और यूक्रेन के बीच प्रतिद्वंद्विता और मतभेद का इतिहास रहा है। इसमें वर्ष 2004 में यूक्रेन में अमेरिकी दखलअंदाजी के बाद और इजाफा हुआ जब अमेरिका की शह प्राप्त राजनीतिक नेतृत्व ने राजधानी कीव में रूस मित्र यूक्रेनी सरकार को सत्ताच्युत कर दिया। रूस ने इस अमेरिकी हरकत को काला सागर और भूमध्य सागर के गर्म जलीय मार्गों तक उसकी पहुंच को नियंत्रित करने वाले यत्न की तरह लिया। राष्ट्रपति पुतिन ने इस खतरे का पूर्वानुमान लगाते हुए फरवरी, 2014 में निर्णायक कार्रवाई कर क्रीमिया क्षेत्र पर नियंत्रण बना लिया। इस तरह काला सागर तक रूस की निर्बाध पहुंच बनाए रखी।
क्रीमियाई प्रायद्वीप पर अपना शिकंजा कसने के बाद रूस ने अफगानिस्तान की सीमा से लगते मध्य एशियाई पूर्ववर्ती सोवियत घटक रहे मुस्लिम बहुल देश, जैसे कि उजबेकिस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गीस्तान और तुर्कमेनिस्तान में सुरक्षा की भावना भरने पर ध्यान केंद्रित कर दिया। इन जटिलताओं के आलोक में पुतिन के नेतृत्व वाला रूस तालिबान के साथ व्यावहारिक रिश्ता बनाने में अग्रसर है। अफगानिस्तान के घटनाक्रम को लेकर रूस और भारत के बीच निकट संपर्क बना हुआ है। हालांकि यूरेशिया क्षेत्र पर रूस की चीन के साथ समझ बनी हुई है लेकिन रूस को पता है कि सीमा संबंधी मुद्दे पर चीनी हरकतों पर निकट नजर रखने की जरूरत है।
अमेरिका की गलतफहमी की परवाह न करते हुए भारत ने साफ कर दिया है कि वह रूस के साथ अपना पुराना निकट संबंध कायम रखेगा। अमेरिका की इस धमकी के बावजूद कि जो कोई मुल्क रूस से हथियार खरीदेगा उसे प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा, भारत ने रूस से महत्वपूर्ण रक्षा उपकरण पाने की प्रक्रिया पर आगे बढऩे का निर्णय लिया है, इसमें जमीन से हवा में मार करने वाली परिष्कृत एस-400 मिसाइल प्रणाली भी शामिल है। अधिक महत्वपूर्ण यह कि पुतिन सरकार ने रूस-भारत संयुक्त उपक्रम से विकसित की गई और सटीक निशाने में समर्थ ब्रह्मोस मिसाइलें फिलीपींस को देने के निर्णय पर टोकने की बजाय भारत के साथ अपना रक्षा सहयोग मजबूत बनाए रखा है। कोविड महामारी के चरम के बावजूद राष्ट्रपति पुतिन भारत की यात्रा पर आए थे, यह दर्शाता है कि रूस भारत के साथ रिश्ते को कितना महत्व देता है।
रूस के विरुद्ध सार्वजनिक तौर पर अपने विचार जताने के बाद राष्ट्रपति बाइडेन ने यूक्रेन सरकार तक हथियारों की खेप पहुंचाई है, जिसके रूस के साथ इलाकाई और अन्य गंभीर विवाद चल रहे हैं। अफगानिस्तान से अपने शर्मनाक और अव्यवस्थित पलायन के बाद बाइडेन की घरेलू लोकप्रियता में खासी कमी आई थी, लिहाजा अमेरिका के लिए कोई कड़ा ‘संज्ञान’ प्रदर्शित करना जरूरी हो गया। हालांकि रूस के पास यूक्रेन पर चढ़ाई करने की कोई वजह नहीं है और न ही वह किसी बड़े सैन्य द्वंद्व में खुद को अकारण फंसाना चाहता है। अलबत्ता यूक्रेन के सीमावर्ती इलाके में, जहां रूसी लोगों की खासी तादाद है, वहां राष्ट्रपति पुतिन सीमित सैन्य कार्रवाई करें, इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। जहां अमेरिका के अधिकांश यूरोपियन सहयोगी अमेरिकी रवैये का मोटे तौर पर समर्थन कर रहे हैं वहीं कुछ मुल्क मसलन फ्रांस और जर्मनी को गंभीर अंदेशा है कि कहीं नाटो गठबंधन द्वारा की गई कार्रवाई बड़े सैन्य द्वंद्व में न तब्दील हो जाए। रूस को नेक सलाह है कि यूक्रेन में वह अपनी क्रिया और प्रतिक्रिया में सावधानीपूर्ण कोई कदम उठाए।
इसी बीच, चीन यह पाकर कि उपरोक्त घटनाक्रम से उसके द्वारा अपने प्रशांत-एशियाई पड़ोसियों की जलीय सीमा उल्लंघनों वाले कृत्यों पर अतंर्राष्ट्रीय ध्यान बंट गया है, वह राष्ट्रपति पुतिन के साथ खड़े होने का आभास देकर, इस इलाके में ‘शांति कायम रखने वाले’ की भूमिका का आनंद उठा रहा है। हालांकि चीन का मंतव्य रूस और अमेरिका के बीच अविश्वास के बीज बोना है ताकि रूस के लगातार बढ़ते जा रहे फालतू तेल और गैस भंडारों से आपूर्ति पश्चिम में जर्मनी या अन्य यूरोपियन-बाल्टिक मुल्कों की बजाय पूरबी ‘मध्यस्थ सम्राट’ यानी चीन की ओर मुड़ जाए। पश्चिमी यूरोप पर अपना प्रभाव बनाने की रूसी आकांक्षा में गैस की सप्लाई एक महत्वपूर्ण अंग है।
सोवियत संघ के टूटने के बाद रूस का प्रभाव वारसा-संधि सदस्यों पर घटना लाजिमी था। हालांकि रूस के साथ लगते पूरबी यूरोपियन देशों में अनेक को रूस द्वारा प्रभुत्व बनाने का डर सताता रहता है। यह भाव मध्य एशियाई मुस्लिम देशों पर कायम रूसी प्रभाव से एकदम उलट है, जिनका प्रशासनिक ताना-बाना रूस के साथ रहे ऐतिहासिक रिश्तों, आधुनिकीकरण में उसकी भूमिका और धार्मिक सहिष्णुता बरकरार रखने में काफी निर्भर है, जिसका आनंद ये मुल्क ले रहे हैं। रूस अपने तेल और गैस भंडारों की बदौलत वैश्विक स्तर पर अपना प्रभाव आज भी कायम रखे हुए है, जो न केवल उसकी घरेलू जरूरतें पूरी करने में बल्कि नॉर्ड-स्ट्रीम पाइपलाइन के जरिए यूरोप भर में, खासकर जर्मनी की ऊर्जा आवश्यकता पूरी करता है।
मौजूदा अमेरिकी नीतियां अब ज्यादातर रूस के यूक्रेन के साथ संबंध पर केंद्रित हैं, जबकि चीन नए कानून के जरिए अपने तटीय प्रभाव को सक्रियता से मजबूत कर रहा है और पड़ोसी मुल्कों की समुद्री सीमा पर अपने बेजा दावे लागू करने में जोर-जबरदस्ती करने पर उतारू है। इन देशों में फिलीपींस, मलेशिया, वियतनाम और इंडोनेशिया उल्लेखनीय हैं। भारत को क्षेत्रीय सहयोगियों और क्वाड गुट के साथ मिलकर काम करना होगा ताकि चीन की समुद्री सीमा विस्तार महत्वाकांक्षा से सुरक्षा पर पडऩे वाले गंभीर असरातों पर अमेरिका और अन्य देशों का खासा ध्यान बरकरार रहे। भारत को मध्य एशियाई देशों के साथ आर्थिक एवं निवेश सहयोग को विस्तार देने हेतु अब नए उपाय करने पर और अधिक ध्यान देना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी और मध्य एशियाई मुल्कों के नेतृत्व के बीच हुई हालिया शिखर वार्ता को फलीभूत करने में, ईरान में चाबहार बंदरगाह का विकास और क्षेत्र में अर्थपूर्ण आर्थिक भागीदारी बनाने में भारत को काम जारी रखना होगा।
(लेखक पूर्व वरिष्ठ राजनयिक हैं।)

आर्द्रभूमि का संरक्षण, गंगा का कायाकल्प

जी. अशोक कुमार –
एक संवेदनशील क्षेत्र के तौर पर वेटलैंड्स (आद्रभूमि) ऐसे अनोखे इकोसिस्टम हैं जहां जमीनी और जलीय प्राकृतिक वास आपस में मिलते हैं। ये झीलों, नदियों से इतर पानी से सराबोर रहने वाले क्षेत्र होते हैं। ये न तो पूरी तरह से शुष्क भूमि होती है और न ही पूरी तरह से पानी में डूबी होती है। इसमें दोनों विशेषताएं मौजूद होती हैं। रामसर कन्वेंशन के तहत आर्द्रभूमि को परिभाषित किया गया है। इसके अनुसार दलदल भूमि, पानी भरा रहने वाला मैदान, पिट (नमी वाला कोयला या अन्य) और पानी चाहे वह प्राकृतिक हो या कृत्रिम, स्थायी हो या अस्थायी, पानी रुका हो या बह रहा हो, ताजा, खारा या नमकीन, समुद्री जल क्षेत्र, जो कम ज्वार पर छह मीटर से अधिक गहरे न हो- आदि को आर्द्रभूमि कहते हैंÓ। आर्द्रभूमि एक प्रकार से प्राकृतिक अपशिष्ट जल शोधन वाले स्थान हैं क्योंकि वे प्रदूषकों को रोकने के साथ हानिकारक जीवाणुओं को बेअसर करने में सक्षम होते हैं। कार्बन सोखने की क्षमताओं के कारण, आर्द्रभूमि जलवायु परिवर्तन को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। आर्द्रभूमि भोजन का भी एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं जहां चावल और मछली होती है जिससे अरबों लोगों का पेट भरता है।
आर्द्रभूमि के नष्ट होने और इसे बेकार भू-भाग समझकर सुखाने, भरने और दूसरे उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल करने के विचार को देखते हुए, 2 फरवरी को हर साल ‘विश्व आर्द्रभूमि दिवसÓ मनाया जाता है। इसका मकसद पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में इन महत्वपूर्ण जल क्षेत्रों की भूमिका के बारे में दुनियाभर में जागरूकता फैलाना है। इसी दिन 2 फरवरी 1971 में ईरान के रामसर शहर में वेंटलैंड्स कन्वेंशन आयोजित हुआ था। विश्व आर्द्रभूमि दिवस 2022 का विषय लोगों और प्रकृति के लिए आर्द्रभूमि संरक्षण की कार्रवाई है, जिससे मानवीय उद्देश्यों के लिए आर्द्रभूमि के संरक्षण और सतत उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए किए जाने वाले कार्यों के महत्व पर जोर दिया जा सके।
भूजल के स्तर को बढ़ाने के अलावा, आर्द्रभूमि विशाल स्पंज (जलशोषक) या जलाशयों की तरह भी काम करती है जो भारी बारिश के दौरान अतिरिक्त पानी को अवशोषित कर लेती है। यहां बहुत ही समृद्ध जलीय जैव-विविधता पाई जाती है और ये महत्वपूर्ण पोषक तत्व परिवर्तक के रूप में कार्य करते हैं। आर्द्रभूमि पक्षियों की कई प्रजातियों के प्रजनन के लिए उचित वातावरण प्रदान करती है। आर्द्रभूमि में पर्यटन की भी अपार संभावनाएं हैं और हंटिंग, लंबी पैदल यात्रा, मछली पकडऩे, पक्षियों को देखना और फोटोग्राफी जैसे कई लोकप्रिय मनोरंजक गतिविधियां भी यहां की जा सकती हैं। संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) एक सार्वभौमिक एजेंडा सामने रखता है, जिसमें पानी की कमी को दूर करने के लिए आर्द्रभूमि सहित पानी के अन्य पारिस्थितिकी तंत्र के प्रबंधन और उसके पुनरोद्धार की जरूरत पर जोर दिया गया है। इस तरह, आर्द्रभूमि दुनियाभर में पानी, भोजन और जलवायु से संबंधित कई चुनौतियों का समाधान करने के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण हो जाती हैं।
नदी के कायाकल्प में आर्द्रभूमि का संरक्षण विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह नदियों की पारिस्थितिक और भूगर्भीय चीजों के संरक्षण में मदद करता है। नदियों में प्राकृतिक बहाव को बनाए रखने में आर्द्रभूमि का योगदान नदियों, विशेष रूप से गंगा को बचाने में इन जल क्षेत्रों की सबसे महत्वपूर्ण भूमिकाओं में से एक है।
भारत में लगभग 4.6 प्रतिशत भूमि आर्द्रभूमि के रूप में है, जो 15.26 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करती है। भारत में ऐसी 47 जगहें हैं जिन्हें अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि (रामसर साइट्स) के रूप में मान्यता मिली हुई है, जिसके सतह का क्षेत्रफल 1.08 मिलियन हेक्टेयर से अधिक है। भारत के 47 रामसर स्थलों में से 21 गंगा बेसिन में हैं। अधिकतर रामसर स्थल उत्तर प्रदेश राज्य (9) में हैं, जो एक गंगा बेसिन राज्य है।
वेटलैंड्स दुनिया के सबसे चुनौतीपूर्ण नदी कायाकल्प परियोजना में से एक-नमामि गंगे कार्यक्रम से अटूट रूप से जुड़े हैं। आर्द्रभूमि नदी के बेसिन क्षेत्र में समग्र जल विज्ञान में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और उप-सतह व नदी धाराओं में जल प्रवाह में अहम योगदान करती है। गंगा बेसिन भारत में सबसे समृद्ध नदी प्रणाली है और इससे विविध प्राकृतिक और मानव निर्मित आर्द्रभूमि तैयार होती है जो गंगा और उसकी सहायक नदियों के साथ पारिस्थितिक और जलीय रूप से जुड़े हुए हैं। 4500 से अधिक जलाशय गंगा बेसिन की आर्द्रभूमि व्यवस्थाओं का एक अभिन्न हिस्सा हैं। एमओईएफ एंड सीसी द्वारा राष्ट्रीय प्राथमिकता के रूप में चिन्हित 180 वेटलैंड्स में से 49 गंगा बेसिन में स्थित हैं (हिमाचल प्रदेश में एक, उत्तराखंड में सात, हरियाणा में दो, राजस्थान में चार, मध्य प्रदेश में नौ, उत्तर प्रदेश में 16, बिहार में तीन और पश्चिम बंगाल में सात)। साल 2020 में, भारत में घोषित कुल 14 स्थलों में से 9 रामसर स्थलों को गंगा के मुख्य प्रवाह पथ- उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और बिहार में घोषित किया गया है। सुर सागर कीठम, काबर ताल और आसन इसके कुछ उदाहरण हैं। आर्द्रभूमि की सूची में नया नाम भी उत्तर प्रदेश के गंगा बेसिन- हैदरपुर वेटलैंड का है, जिसे दिसंबर 2021 में मान्यता मिली। 2021 और 2022 में शामिल किए गए अन्य वेटलैंड्स में त्सो कर आर्द्रभूमि क्षेत्र, लद्दाख, लोनार झील, महाराष्ट्र, थोल झील वन्यजीव अभयारण्य और वाधवाना वेटलैंड (गुजरात) और हरियाणा में सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान व भिंडावास वन्यजीव अभयारण्य शामिल हैं। सुंदरबन खारे पानी का दलदली क्षेत्र है जो भारत और बांग्लादेश के भूभाग में फैला हुआ है। यह दुनिया में सबसे बड़ा मैंग्रोव वन है और पश्चिम बंगाल में गंगा नदी के डेल्टा के पास बहकर आई मिट्टी पर स्थित है। पर्यावरण मंत्रालय के साथ मिलकर काम करते हुए, गंगा बेसिन में राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरणों को मजबूत किया जा रहा है और अन्य राज्यों को आर्द्रभूमि को मान्यता देने व रामसर स्थलों के लिए काम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
नमामि गंगे कार्यक्रम विश्व वन्य कोष (डब्लूडब्लूएफ), भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्लूआईआई), राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण आदि जैसे कई साझीदारों के साथ मिलकर काम कर रहा है जिससे आर्द्रभूमि के संरक्षण के लिए एक संस्थागत संरचना तैयार की जा सके। 27 जिलों में गंगा नदी के 10 किमी के बफर क्षेत्र के भीतर राज्य में 282 गंगा के बाढ़ वाले वेटलैंड्स के व्यापक संरक्षण और प्रबंधन के लिए जून 2020 में उत्तर प्रदेश में गंगा के बाढ़ के मैदानों का संरक्षण और सतत प्रबंधन परियोजना को मंजूरी दी गई थी। शहरी आर्द्रभूमि के प्रबंधन के लिए शहरी आर्द्रभूमि/जल निकाय प्रबंधन दिशा-निर्देश नामक एक टूल किट भी एसपीए, नई दिल्ली द्वारा तैयार किया गया है। विकेंद्रीकृत जल भंडारण प्रणालियों के रूप में कार्य करते हुए पेयजल उपलब्ध कराने में छोटे वेटलैंड्स की भूमिका को देखते हुए, एनएमसीजी ने डब्लूडब्लूएफ के सहयोग से जिला स्तर की संस्थाओं को आर्द्रभूमि की पहचान करने, वस्तुसूची बनाने, जमीनी सत्यापन करने और उनके संरक्षण के लिए कार्य योजना विकसित करने में सहयोग करने के लिए जिला गंगा समितियों के साथ एक कार्यक्रम शुरू किया है। आर्द्रभूमि की सुरक्षा और संरक्षण एनएमसीजी की प्राथमिकताओं में से एक है, जो आर्द्रभूमि संरक्षण को बेसिन स्तर पर लाने का प्रयास कर रहा है।
हाल के समय में, आर्द्रभूमि के संरक्षण और बचाव को सामान्य रूप से भारत के जल संरक्षण प्रयासों और विशेष रूप से नदी कायाकल्प पहलों में सबसे आगे रखा जा रहा है। जल सुरक्षा सुनिश्चित करने में आर्द्रभूमि के महत्व को स्वीकार करते हुए, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ एंड सीसी) ने नेशनल सेंटर फॉर सस्टेनेबल कोस्टल मैनेजमेंट, चेन्नई के एक हिस्से के रूप में अपनी तरह का पहला वेटलैंड संरक्षण और प्रबंधन केंद्र (सीडब्लूसीएम) स्थापित किया है। इस केंद्र की स्थापना विशिष्ट अनुसंधान जरूरतों और जानकारी जुटाने के साथ-साथ एकीकृत तरीके से आर्द्रभूमि के संरक्षण, प्रबंधन और बेहतर उपयोग में सहायता के लिए की गई है। इस केंद्र को पिछले साल रामसर कन्वेंशन पर हस्ताक्षर करने की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर शुरू किया गया था। पिछले साल के विश्व आर्द्रभूमि दिवस (आर्द्रभूमि और जल) का विषय भी महत्वपूर्ण था जिसने जल, आर्द्रभूमि और जीवन के एक दूसरे से जुड़े होने का महत्व समझाया। गांधी जयंती 2021 के अवसर पर एमओईएफ एंड सीसी ने एक वेब पोर्टल-वेटलैंड्स ऑफ इंडिया- को आर्द्रभूमि से संबंधित सभी सूचनाओं के लिए सिंगल प्वाइंट एक्सेस वेबसाइट के रूप में लॉन्च किया है। ये सभी पहल भारत में आर्द्रभूमि को दिए गए महत्व का प्रमाण हैं, विशेष रूप से जल शक्ति अभियान और जल जीवन मिशन, जो स्रोत निरंतरता के जरिए जल संरक्षण को जन आंदोलन बनाने और भारत के हर घर में सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से काम कर रहा है।
आर्द्रभूमि के महत्व- उसके पानी, भोजन और जलवायु परिवर्तन से सीधे संबध को लेकर जागरूकता फैलाना समय की मांग है। भारत सरकार इन छोटे, पर भारत की नदी प्रणालियों के अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्से को संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस विश्व आर्द्रभूमि दिवस पर, आइए हम भारत को जल-समृद्ध बनाने के लिए अपनी आर्द्रभूमि का संरक्षण करने का संकल्प लें।
लेखक महानिदेशक, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन हैं

पंजाबी फिल्म ‘मेरा व्याह करा दो’ प्रदर्शन के लिए तैयार

राजू चड्ढा प्रेजेंटेशन और मैक्सर मूवीज की बहुप्रतीक्षित पंजाबी फिल्म ”मेरा व्याह करा दो’ प्रदर्शन के लिए तैयार है। संगीतमय प्रेम कहानी युक्त इस पारिवारिक मनोरंजक फिल्म के निर्माता राजू चड्ढा और विभा दत्ता खोसला हैं। निर्देशक सुनील खोसला के निर्देशन में बनी इस फिल्म के कर्णप्रिय गीतों को कुलदीप कंडियारा, विजय धाम्मि और जंग संधू ने लिखा है और संगीत से सजाया है संगीतकार क्रमशः गुरमीत सिंह, जेएसएल सिंह, गुरमोह और शमिता भाटकर ने।स्वर दिया है सिंगर मन्नत नूर, ज्योति नूरन, शिप्रा गोयल, गुरमीत सिंह और वज़ीर सिंह, अभिजीत वघानी ने। इस फिल्म के मुख्य कलाकार दिलप्रीत ढिल्लों  मैंडी, हॉबी धालीवाल, रूपिंदर रूपी, सनी गिल, संतोष मल्होत्रा, विजय टंडन, रेणु मोहाली, गोनी सागू, परमिंदर गिल, ओनिका, नविया सिंह, मनजोत सिंह और आरती शर्मा आदि हैं।

प्रस्तुति – काली दास पाण्डेय

मोरहाबादी मैदान के आसपास अतिक्रमित भूमि की मापी

*मैदान के उत्तरी छोर की भूमि की मापी

*सीओ टाउन श्री अमित भगत की देखरेख में जमीन मापी

*लगभग ढाई एकड़ में अस्थाई अतिक्रमण चिन्हित

*जल्द ही हटाया जाएगा अतिक्रमण

रांची (By Divya Rajan) मोरहाबादी मैदान के उत्तरी छोर में आज दिनांक 03 फरवरी 2022 को अतिक्रमण में समाहित अतिक्रमित भूमि की मापी की गयी। अंचल अधिकारी शहर श्री अमित भगत की देखरेख में भूमि की मापी की गई।

अंचल निरीक्षक, राजस्व कर्मचारी और अंचल आमीन के टीम ने होटल संस्कार से मान्या पैलेस तक भूमि की मापी की। इस दौरान करीब ढाई एकड़ में अस्थायी अतिक्रमण चिन्हित किया गया।

शहर अंचल अधिकारी श्री अमित भगत ने बताया कि मजिस्ट्रेट और फोर्स की मांग करते हुए जल्द ही अतिक्रमित भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराया जाएगा।

 

नीट पीजी परीक्षा 2022 स्थगित

*स्वास्थ्य मंत्रालय ने लिया बड़ा फैसला

नईदिल्ली  (आरएनएस)। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने फैसला लिया है कि नीट पीजी 2021 काउंसलिंग के चलते नीट पीजी 2022 परीक्षा को स्थगित किया गया है। मंत्रालय ने कहा है कि इस वर्ष की परीक्षा 6-8 सप्ताह आगे के लिए टाल दी गई है। नीट पीजी 2022 परीक्षा 12 मार्च को आयोजित की जानी थी।
दरसअल, एक याचिका में राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (नीट) पीजी परीक्षा टालने की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट में छात्रों के एक समूह ने याचिका दायर कर यह मांग की थी। परीक्षा के आयोजन के लिए नई तिथियों के बारे में मंत्रालय और राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड की समिति 6-8 सप्ताह के बाद समीक्षा कर फैसला लेगी।
पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल कोर्स में दाखिले के इच्छुक छात्रों ने याचिका में दावा किया था कि कई एमबीबीएस स्नातक छात्र अनिवार्य इंटर्नशिप अवधि पूरी न होने के कारण मार्च 2022 की नीट परीक्षा नहीं दे पाएंगे। इसलिए परीक्षा टाल देनी चाहिए। छह एमबीबीएस स्नातकों द्वारा दुबे लॉ चैंबर्स के माध्यम से दायर याचिका में राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड को निर्धारित परीक्षा को तब तक स्थगित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी, जब तक कि पीजी परीक्षा के पात्रता नियमों में निर्धारित उम्मीदवारों की अनिवार्य इंटर्नशिप अवधि को पूरा करने जैसी विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा नहीं किया जाता है।
याचिकाकर्ताओं छात्रों का कहना था कि सैकड़ों एमबीबीएस स्नातक, जिनकी इंटर्नशिप कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए लगाई गई उनकी ड्यूटी के कारण अटकी हुई थी। ऐसे सैकड़ों छात्र इस अनिवार्य इंटर्नशिप ड्यूटी को पूरी नहीं कर पाने के कारण नीट पीजी 2022 की परीक्षा में शामिल होने से चूक जाएंगे। जबकि इसमें उनकी कोई गलती नहीं है। इसलिए, याचिका में परीक्षा स्थगित करने की मांग की गई है।
याचिका के जरिये नीट पीजी के सूचना बुलेटिन में दी गई शर्त, इंटर्नशिप पूरा करने के लिए 31 मई, 2022 की समय सीमा, को भी को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ताओं ने 1500 उम्मीदवारों के समर्थन के साथ आग्रह किया है कि वे वर्ष 2021 में कोविड ड्यूटी में थे और इसलिए उनकी इंटर्नशिप स्थगित कर दी गई थी। याचिका में 31 मई से इंटर्नशिप पूरा करने की समय-सीमा बढ़ाने और फिर परीक्षा टालने की मांग की गई है।

शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 17 पैसे मजबूत

मुंबई,  अमेरिकी मुद्रा के कमजोर होने से शुक्रवार को शुरुआती कारोबार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 17 पैसे चढ़कर 74.71 पर पहुंच गया।
हालांकि, कच्चे तेल की ऊंची कीमतों और घरेलू शेयर बाजार में गिरावट की वजह से रुपया में बढ़त सीमित रही।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 74.71 पर खुला, जो पिछले बंद भाव के मुकाबले 17 पैसे की बढ़त को दर्शाता है।
रुपया पिछले सत्र में डॉलर के मुकाबले 74.88 पर बंद हुआ था।
इस बीच छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.25 प्रतिशत की गिरावट के साथ 95.14 पर था।
वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 0.49 प्रतिशत बढ़कर 91.56 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर था।
शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक बृहस्पतिवार को पूंजी बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे और उन्होंने 1,597.54 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे। (आरएनएस)

मेटा के शेयर औंधे मुंह गिरे

एक ही दिन में ज़करबर्ग की संपत्ति अरबों रुपए घटी

नईदिल्ली, फेसबुक के यूजर्स में गिरावट का झटका मेटा के सीईओ मार्क ज़करबर्ग को भी जोर से ही लगा है। मेटा के शेयरों में आई करीब 25 फीसदी की गिरावट के कारण एक दिन में ही मार्क ज़करबर्ग की संपत्ति $31 अरब घट गई है। इसी के साथ ज़करबर्ग दुनिया के टॉप 10 धनी लोगों की सूची से भी बाहर हो गए हैं। वर्ष 2015 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि ज़करबर्ग धनकुबेरों की टॉप 10 में नहीं हैं। मेटा के सह-संस्थापक डस्टिन मोस्कोविट्ज़ की संपत्ति भी मेटा के शेयरों की कीमत में कमी होने से करीब 3 बिलियन डॉलर कम होकर 21.2 बिलियन डॉलर रह गई। डस्टिन दुनियां के 79वें सबसे धनी व्यक्ति हैं।
फिलहाल उनकी संपत्ति $92 अरब है जो बुधवार को बाज़ार बंद होने पर $120.6 अरब थी। शेयरों की कीमतों में गिरावट के कारण किसी व्यक्ति की संपत्ति में भारी कमी आने की यह दूसरी घटना है। इससे पहले टेस्ला के एलन मस्क नवंबर में शेयरों के औंधे मुंह गिरने के कारण एक दिन में ही 35 बिलियन डॉलर खो चुके हैं। टेस्ला के शेयरों में गिरावट की वजह खुद मस्क ही थे। उन्होंने एक ट्विटर पोल के जरिये लोगों से पूछा था की, क्या उन्हें टेस्ला में से 10 फीसदी हिस्सा बेच देना चाहिये। इस पोल के बाद टेस्ला के शेयर औंधे मुंह गिरे। (आरएनएस)

प्रकृति परिवर्तन का पर्व बसंत पंचमी

बसंत पंचमी पर विशेष

डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट –
बसंत पंचमी का पावन पर्व माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है।इस दिन मां सरस्वती की पूजा अर्चना करने का विधान है। बसंत पंचमी 5 फरवरी को सिद्ध साध्य और रवि योग के त्रिवेणी योग में मनायी जाएगी। अबूझ मुहूर्त के कारण सभी इस घड़ी को विवाह योग के रूप में उपयोग कर सकते है। मंदिर में मां सरस्वती का विशेष श्रृंगार और पूजा की जाएगी। इस बार बसंत पंचमी 5 फरवरी, के दिन मनाई जा रही है। धार्मिक मान्यता है कि मां सरस्वती की पूजा करने से व्यक्ति को करियर और परीक्षा में सफलता मिलती है। खासतौर पर नौकरी-पेशा, स्कूल-कॉलेज, संस्थान और कला के क्षेत्र से जुड़े लोग इस दिन मां सरस्वती की पूजा करते हैं। आज ही के दिन पृथ्वी की अग्नि, सृजन की तरफ अपनी दिशा करती है। जिसके कारण पृथ्वी पर समस्त पेड़ पौधे फूल मनुष्य आदि गत शरद ऋतु में मंद पड़े अपने आंतरिक अग्नि को प्रज्जवलित कर नये सृजन का मार्ग प्रशस्त करते हैं। दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि स्वयं के स्वभाव प्रकृति एवं उद्देश्य के अनुरूप प्रत्येक चराचर अपने सृजन क्षमता का पूर्ण उपयोग करते हुए, जहां संपूर्ण पृथ्वी को हरी चादर में लपेटने का प्रयास करता है, वहीं पौधे रंग—बिरंगे सृजन के मार्ग को अपनाकर संपूर्णता में प्रकृति को वास्तविक स्वरूप प्रदान करते हैं। इस रमणीय, कमनीय एवं रति आदर्श ऋतु में पूर्ण वर्ष शांत रहने वाली कोयल भी अपने मधुर कंठ से प्रकृति का गुणगान करने लगती है। एवं महान संगीतज्ञ बसंत रस के स्वर को प्रकट कर सृजन को प्रोत्साहित करते हैं। प्रकृति में प्रत्येक सौंदर्य एवं भोग तथा सृजन के मूल माने जाने वाले भगवान शुक्र देव अपने मित्र के घर की यात्रा के लिए बेचैन होकर इस उद्देश्य से चलना प्रारंभ करते हैं कि उत्तरायण के इस देव काल में वह अपनी उच्च की कक्षा में पहुंच कर संपूर्ण जगत को जीवन जीने की आस व साहस दे सकें।

शास्त्रों के अनुसार बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती के मंत्रों का जाप और सरस्वती वंदना अवश्य करनी चाहिए।इसके बाद मां सरस्वती की आरती करना बिल्कुल न भूलें।तभी सरस्वती की पूजा संपन्न मानी जाती है और पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है।

कहते है,सृष्टि के आरम्भ में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा ने जीवों की रचना की थी। जिनमे मनुष्य का भी उदभव हुआ।लेकिन अपनी सर्जना से वे संतुष्ट नहीं थे, उन्हें लगा कि कुछ कमी रह गई है, जिसके कारण चारों ओर मौन छाया रहा।तब भगवान विष्णु से अनुमति लेकर ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से पृथ्वी पर जल छिड़का, पृथ्वी पर जलकण बिखरते ही उसमें कम्पंन होने लगा। तभी एक चतुर्भुजी स्त्री के रूप में अदभुत शक्ति का प्राकट्य हुआ, जिसके एक हाथ में वीणा तथा दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला प्रतिष्ठित थीं।
ब्रह्मा जी ने प्रकट हुई देवी से वीणा बजाने का अनुरोध किया। जैसे ही देवी ने वीणा का मधुर नाद किया, संसार के समस्त जीव-जंतुओं को वाणी प्राप्त हो गई। जलधारा में कोलाहल हो गया व हवा चलने से सरसराहट होने लगी। तब ब्रह्माजी ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती नाम दिया। मां सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादिनी और बाग्देवी आदि अनेक नामों से पुकारा जाता है। यह देवी विद्या और बुद्धि की प्रदाता हैं, संगीत की उत्पत्ति करने के कारण यह संगीत की देवी भी कहलाती हैं।वही वसंत पंचमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने मां सरस्वती को वरदान दिया था कि उनकी प्रत्येक ब्रह्मांड में माघ शुक्ल पंचमी के दिन विद्या आरम्भ के शुभ अवसर पर पूजा होगी। श्रीकृष्ण के वर प्रभाव से प्रलयपर्यन्त तक प्रत्येक कल्प में मनुष्य, मनुगण, देवता, मोक्षकामी, वसु, योगी, सिद्ध, नाग, गन्धर्व और राक्षस आदि सभी बड़ी भक्ति के साथ सरस्वती की पूजा करते है। पूजा के अवसर पर विद्वानो द्वारा सम्यक् प्रकार से मां सरस्वती का स्तुति-पाठ होता है। भगवान श्री कृष्ण ने सर्वप्रथम देवी सरस्वती की पूजा की थी, तत्पश्चात ब्रह्मा, विष्णु , शिव और इंद्र आदि देवताओं ने मां सरस्वती की आराधना की। तब से मां सरस्वती सम्पूर्ण प्राणियों द्वारा सदा पूजित हो रही है। बसंत पंचमी पर मां सरस्वती को पीले रंग का फूल और फूल अर्पण किए जाते हैं। शुभ मुहूर्त में कई गई पूजा और साधना का भी महत्व है। यह दिन बसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक माना जाता है। इसलिए श्रद्धालु गंगा मां के साथ-साथ अन्य पवित्र नदियों में डुबकी लगाने के साथ आराधना भी करते है। वहीं इस समय फूलों पर बाहर आ जाती है, खेतों में सरसों के फूल चमकने लगते हैं, गेहूं की बालियां भी खिलखिला उठती हैं। इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनने के साथ पतंग और स्वादिष्ट चावल बनाए जाते हैं। पीला रंग बसंत का प्रतीक है।संगीत के क्षेत्र से जुड़े लोग इस दिन का सालभर से इंतजार करते हैं। बसंत पंचमी के अवसर पर इस साल दो उत्तम योग बन रहे हैं, जिसके कारण पूरे जिन शुभ कार्य किए जा सकते हैं। इस दिन लोग पीले वस्त्र पहनकर सुबह सवेरे मां सरस्वती की अराधना करते हैं।

बसंत पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए। कोशिश करनी चाहिए कि सूर्योदय से कम से कम दो घंटे पहले बिस्तर छोड़ देने चाहिए।बसंत पंचमी के दिन स्नान करके साफ कपड़े पहनने चाहिए।

बसंत पंचमी के दिन मंदिर की सफाई करनी चाहिए। मां सरस्वती को पूजा के दौरान पीली वस्तुएं अर्पित करनी चाहिए। जैसे पीले चावल, बेसन का लड्डू आदि।सरस्वती पूजा में पेन, किताब, पेसिंल आदि को जरूर शामिल करना चाहिए और इनकी पूजा करनी चाहिए।बसंत पंचमी के दिन लहसुन, प्याज से बनी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। महाकवि कालिदास ने ऋतुसंहार नामक काव्य में इसे ”सर्वप्रिये चारुतर वसंते” कहकर अलंकृत किया है। गीता में भगवान श्री कृष्ण ने ”ऋतूनां कुसुमाकरा:” अर्थात मैं ऋतुओं में वसंत हूं, कहकर वसंत को अपना स्वरुप बताया है। वसंत पंचमी के दिन ही कामदेव और रति ने पहली बार मानव ह्रदय में प्रेम और आकर्षण का संचार किया था। इस दिन कामदेव और रति के पूजन का उद्देश्य दांपत्त्य जीवन को सुखमय बनाना है, जबकि सरस्वती पूजन का उद्देश्य जीवन में अज्ञानरूपी अंधकार को दूर करके ज्ञान का प्रकाश उत्त्पन्न करना है।वसंत पंचमी के दिन यथाशक्ति ”? ऐं सरस्वत्यै नम: ” का जाप करें। माँ सरस्वती का बीजमंत्र ” ऐं ” है, जिसके उच्चारण मात्र से ही बुद्धि विकसित होती है। इस दिन से ही बच्चों को विद्या अध्ययन प्रारम्भ करवाना चाहिए। ऐसा करने से बुद्धि कुशाग्र होती है और माँ सरस्वती की कृपा बच्चों के जीवन में सदैव बनी रहती है।इस बार पंचमी तिथि 5 फरवरी को प्रात: 3.47 बजे से अगले दिन छठे दिन प्रात: 3.46 बजे तक रहेगी। इस अवसर पर अगले दिन शाम 4 बजे से शाम 7.11 बजे से शाम 5.42 बजे तक सिद्धयोग रहेगा। 5.43 बजे से दिन तक साध्य योग रहेगा। इसके अलावा रवि योग का संयोग भी बना रहा। ये संयोग दिन को शुभ बना रहे हैं। इससे पहले गुप्त नवरात्रि 2 फरवरी से शुरू हो जाएगी।बसंत पंचमी 5 फरवरी शनिवार के दिन मनाई जाएगी। इस विशेष अवसर पर सिद्ध, साध्य और रवि योग के त्रिवेणी योग में ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा की जाएगी। जो कार्य में शुभता और सिद्धि प्रदान करती है। अबूझ मुहूर्त के चलते शहर भर में एक हजार से अधिक विवाह कार्यक्रम होंगे। इसके साथ ही विद्यारंभ समारोह होगा और मंदिरों में मां सरस्वती का विशेष श्रृंगार और पूजा की जाएगी। माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 5 फरवरी को प्रात: 3.47 बजे से अगले दिन छठे दिन प्रात: 3.46 बजे तक रहेगी। इस अवसर पर अगले दिन शाम 4 बजे से शाम 7.11 बजे से शाम 5.42 बजे तक सिद्धयोग रहेगा। 5.43 बजे से दिन तक साध्य योग रहेगा। इसके अलावा रवि योग का संयोग भी बना रहा। ये संयोग दिन को शुभ बना रहे हैं। इससे पहले गुप्त नवरात्रि 2 फरवरी से शुरू होगी।
बसंत पंचमी का दिन दोषमुक्त दिन माना जाता है। इसी वजह से इसे सेल्फ साइडिंग और अबूझ मुहूर्त भी कहा जाता है। इसी वजह से इस दिन बड़ी संख्या में शादियां होती हैं। विवाह के अलावा मुंडन समारोह, यज्ञोपवीत, गृह प्रवेश, वाहन खरीदना आदि शुभ कार्य भी किए जाते हैं। इस दिन को बागेश्वरी जयंती और श्री पंचमी के नाम से भी जाना जाता है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार है)

आर्थिकी के अहम मुद्दों की अनदेखी

भरत झुनझुनवाला –
वित्तमंत्री ने बजट में ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा दिया है। उन्होंने कई मशीनों पर आयात कर बढ़ाया है, जिनका भारत में उत्पादन हो सकता था। इससे भारत में मशीनों के उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। जैसे मोबाइल फोन के घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहन देने के लिए मोबाइल फोन के लेंस के आयात पर छूट दी गई है। केमिकल में भी जहां देश में उत्पादन क्षमता उपलब्ध है वहां आयात करों को बढ़ाया गया है। सोलर बिजली के उत्पादन के लिए घरेलू सोलर पैनल के उत्पादन को प्रोत्साहन दिया गया है। रक्षा क्षेत्र में कुल बजट का पिछले साल 58 प्रतिशत घरेलू स्रोतों से खरीद की जा रही थी जो इस वर्ष बढ़ाकर 68 प्रतिशत कर दिया गया है। यह सभी कदम सही दिशा में हैं। इनसे घरेलू उत्पादन में वृद्धि होगी और मेक इन इंडिया बढ़ेगा।
लेकिन इसके बावजूद अर्थव्यवस्था पुन: चल निकलेगी इस पर संशय है। मुख्य कारण यह है कि सरकार सप्लाई बढ़ाने की अपनी पुरानी गलत नीति पर ही चल रही है। जैसे घरेलू उत्पादन को ‘प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव’ यानी उत्पादन के अनुसार उन्हें सहयोग मात्रा दिए जाने को बढ़ावा दिया गया है। लेकिन प्रश्न उठता है कि जब बाजार में मांग नहीं है तो उद्यमी उत्पादन करेगा क्यों और ‘प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव’ लेने की स्थिति में पहुंचेगा कैसे? उद्यमी के लिए प्रमुख बात होती है कि वह अपने माल को बाजार में बेच सके। जब तक देश के नागरिकों की क्रय शक्ति नहीं बढ़ेगी और वे बाजार में माल खरीदने को नहीं उतरेंगे तब तक बाजार में मांग उत्पन्न नहीं होगी और घरेलू उत्पादन नहीं बढ़ेगा। जैसे यदि किसी की जेब में नोट न हो तो बाजार में आलू 20 रुपये के स्थान पर 10 रुपये प्रति किलो में भी उपलब्ध हो तो वह खरीदता नहीं है। इसी प्रकार ‘प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव’ की उपयोगिता तब है जब बाजार में मांग हो। लेकिन वित्तमंत्री ने आम आदमी की क्रय शक्ति को बढ़ाने के लिए कोई भी कदम नहीं उठाए हैं। करना यह चाहिए था कि सरकारी कर्मियों के वेतन में कटौती और सरकारी कल्याणकारी योजनाओं में रिसाव को खत्म करके आम आदमी को सीधे नगद वितरण करना चाहिए, जिससे कि आम आदमी बाजार से माल खरीद सके और अर्थव्यवस्था चल सके। जो रकम ‘प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव’ में दी जा रही है उसे सीधे जनता के हाथ में वितरित करना चाहिए, जिससे वित्तमंत्री चूक गईं।
वित्तमंत्री ने कहा है कि सरकारी निवेश में वृद्धि की गई है। यह भी सही है लेकिन बड़ा सच यह है कि सरकार के कुल बजट में 5 लाख करोड़ की वृद्धि हुई है, जिसमे पूंजी खर्चों में 2 लाख करोड़ की और सरकारी खपत में 3 लाख करोड़ की। कहा जा सकता है कि यह 2 लाख करोड़ की वृद्धि अच्छी है और है भी। लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। इस समय जब देश आयातों से हर तरफ से पिट रहा है, उस स्थिति में अपने देश में बुनियादी संरचना एवं अन्य पूंजी खर्चों में भारी वृद्धि करने की जरूरत थी, जिससे कि हम अंतर्राष्ट्रीय बाजार में खड़े हो सकें। उस जरूरत को देखते हुए सरकारी खपत में 3 करोड़ की वृद्धि और सरकारी निवेश में 2 करोड़ की वृद्धि उचित नहीं दिखती है। अधिक वृद्धि पूंजी खर्चों में की जानी चाहिए थी जो कि वित्तमंत्री ने नहीं की है। इसलिए हम विश्व अर्थव्यवस्था में वर्तमान की तरह पिटते रहेंगे ऐसी संभावना है। सरकारी कर्मियों के लिए एसयूवी खरीदने से हम विश्व बाजार में खड़े नहीं होंगे।
वित्तमंत्री ने जीएसटी की वसूली में अप्रत्याशित वृद्धि की बात कही है जो कि सही भी है। लेकिन प्रश्न यह है कि यदि जीएसटी में पिछले समय की तुलना में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है; तो जीडीपी में मात्र 9 प्रतिशत की वृद्धि क्यों? कारण यह है कि जो 9 प्रतिशत की वृद्धि बताई जा रही है यह विवादास्पद है। जीडीपी की गणना अपने देश में मुख्यत: संगठित क्षेत्र के आंकड़ों के आधार पर की जाती है। जीएसटी में वृद्धि उत्पादन के कारण नहीं बल्कि इसलिए हो रही है कि असंगठित क्षेत्र पिट रहा है, असंगठित क्षेत्र का उत्पादन घट रहा है और वह उत्पादन जो अभी तक असंगठित क्षेत्र में होता था वह अब संगठित क्षेत्र में होने लगा है। जैसे बस स्टैंड पर पहले रेहड़ी पर लोग चना बेचते थे और अब पैकेट में बंद चना बिक रहा है। असंगठित रेहड़ी वाले का धंधा कम हो गया और उतना ही उत्पादन संगठित पैकेटबंद चने का बढ़ गया। कुल उत्पादन उतना ही रहा। लेकिन जीएसटी रेहड़ी वाला नहीं देता था और पैकेटबंद उत्पादक जीएसटी देता है इसलिए जीएसटी की वसूली बढ़ गई। वित्तमंत्री को जीएसटी की वृद्धि को गंभीरता से समझना चाहिए कि इसके समानांतर जीडीपी में वृद्धि क्यों नहीं हो रही है? मेरे अनुसार यह एक खतरे की घंटी है कि छोटे आदमी का धंधा कम हो रहा है, उसकी क्रय शक्ति कम हो रही है और देश का कुल उत्पादन सपाट है जबकि जीएसटी बढ़ रही है।
जीएसटी की वसूली का दूसरा पक्ष राज्यों की स्वायत्तता का है। जून, 2022 में केंद्र सरकार द्वारा राज्यों द्वारा जीएसटी में जो वसूली की कमी हुई है, उसकी भरपाई करना बंद हो जाएगा। जुलाई, 2022 के बाद राज्यों को जीएसटी की कुल वसूली में अपने हिस्से मात्र से अपने बजट को चलाना होगा। कई राज्यों की आय 25 से 40 फीसदी तक एक ही दिन में घट जाएगी। इस समस्या से निपटने के लिए वित्तमंत्री ने राज्यों के लिए ऋण लेना और आसान कर लिया है जो कि तात्कालिक समस्या के लिए ठीक है लेकिन ऋण लेकर राज्य कब तक अपना बजट चलाएंगे? उन्हें कहीं न कहीं से आय तो अर्जित करनी ही पड़ेगी। आज के संकट को 5 साल बाद पीछे धकेल देने से संकट समाप्त नहीं होता है। इसी संकट को जीएसटी को लागू करते समय 5 साल के लिए पीछे धकेला गया था और अब इसे और पीछे धकेला जा रहा है। वित्तमंत्री को जीएसटी में लचीलापन लाना चाहिए और राज्यों को अपने विवेक के अनुसार अपने राज्य की सरहद में बिकने वाले माल पर जीएसटी की दर में परिवर्तन करने की छूट देनी चाहिए। इस बजट का एकमात्र गुण मेक इन इंडिया के तहत विशेष वस्तुओं के आयात कर में वृद्धि करना है। बाकी अर्थव्यवस्था की सभी मूल समस्याओं की अनदेखी की गई है।

लो ब्लड प्रेशर की समस्या से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं ये प्राणायाम

वयस्कों में सामान्य ब्लड प्रेशर 120/80 एमएमएचजी होता है और इससे कम होने पर लो ब्लड प्रेशर की समस्या होती है। बार-बार चक्कर आना या अचानक धुंधला दिखना लो ब्लड प्रेशर के लक्षण हो सकते हैं और इससे हृदय रोग जैसी घातक बीमारियां भी हो सकती हैं। आइए आज हम आपको कुछ ऐसे प्राणायामों के अभ्यास का तरीका बताते हैं, जिन्हें रोजाना करते रहने से लो ब्लड प्रेशर को ठीक किया जा सकता है।

भस्त्रिका प्राणायाम

भस्त्रिका प्राणायाम के लिए पहले योगा मैट पर सुखासन की अवस्था में बैठकर अपनी दोनों आंखें बंद करें। अब मुंह को बंद करते हुए नाक के दोनों छिद्रों से गहरी सांस लें, फिर एक झटके में दोनों नाक के छिद्रों से भरी हुई सांस को छोड़ें। ध्यान रखें कि सांस छोडऩे की गति इतनी तीव्र हो कि झटके के साथ फेफड़े सिकुड़ जाने चाहिए। कुछ मिनट इस प्राणायाम का अभ्यास करने के बाद धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में आ जाएं।

सूर्यभेदी प्राणायाम

सूर्यभेदी प्राणायाम के लिए योगा मैट पर पद्मासन की मुद्रा में बैठकर आंखें बंद करें। अब दाएं हाथ की छोटी और अनामिका उंगलियों से नाक के बाएं छेद को बंद करके दाएं छेद से सांस लें। इसके बाद ठोड़ी से सीने से लगाकर दबाव बनाएं और कुछ देर सांस को रोकें, फिर सिर को ऊपर करके दाएं हाथ के अंगूठे से नाक के दाएं छेद को बंद करके बाएं छेद से सांस छोड़ें। कुछ मिनट के बाद प्राणायाम छोड़ दें।

कपालभाति प्राणायाम

कपालभाति प्राणायाम के अभ्यास के लिए पहले योगा मैट पर पद्मासन की मुद्रा में बैठें और अपने दोनों हाथों को घुटनों पर ज्ञान मुद्रा में रखें। इसके बाद अपनी दोनों आंखों को बंद करें और अपने पूरे शरीर को ढीला छोड़कर नाक से गहरी सांस लें, फिर पेट की मांसपेशियों को सिकोड़ते हुए इस सांस को छोड़ें। कुछ मिनट तक इस प्रक्रिया को दोहराते रहें। इसके बाद धीरे-धीरे अपनी आंखों को खोलें और प्राणायाम का अभ्यास बंद कर दें।

अनुलोम विलोम प्राणायाम

अनुलोम विलोम प्राणायाम के लिए पहले योगा मैट पर पद्मासन की मुद्रा में बैठें और अपनी दोनों आंखों को बंद कर लें। अब अपने दाएं हाथ के अंगूठे से नाक के दाएं छिद्र को बंद करके नाक के बाएं छिद्र से सांस लें, फिर अपने दाएं हाथ की अनामिका उंगली से नाक के बाएं छिद्र को बंद करके दाएं छिद्र से सांस छोड़ें। कुछ मिनट इस प्रक्रिया दोहराने के बाद धीरे-धीरे अपनी आंखें खोलें और प्राणायाम का अभ्यास छोड़ दें।

(एजेंसी)

ब्लश की बजाय अपनाएं ये घरेलू नुस्खे, प्राकृतिक तरीके से गाल हो जाएंगे गुलाबी

अमूमन महिलाएं गालों को गुलाबी करने के लिए ब्लश या फिर लिपबाम को लगा लेती हैं, लेकिन ये मेकअप प्रोडक्ट्स केमिकल्स होते हैं, जिससे गालों को नुकसान भी पहुंच सकता है। अगर आप भी ऐसा ही कुछ करती हैं तो आज से ऐसा करना छोड़ दें। आइए आज हम आपको कुछ ऐसे घरेलू नुस्खे बताते हैं, जिन्हें अपनाकर आप अपने गालों को प्राकृतिक और सुरक्षित तरीके से गुलाबी कर सकती हैं।

नारियल का तेल लगाएं

नारियल के तेल में हाइड्रेटिंग और मॉइश्चराइजिंग गुण मौजूद होते हैं, जो गालों को प्राकृतिक तरीके से गुलाबी करने में मदद कर सकते हैं। इसके लिए आवश्यकतानुसार नारियल के तेल को हथेलियों पर मसलकर अपने चेहरे और गर्दन पर हल्के हाथों से मलते हुए लगाएं। इसके बाद टिश्यू पेपर से चेहरे और गर्दन से अतिरिक्त नारियल तेल को साफ कर दें। अच्छे परिणामस्वरूप हफ्ते में दो बार इस प्रक्रिया को दोहराएं।

चुकंदर आएगा काम

चुकंदर प्राकृतिक रूप से गहरे गुलाबी रंग का होता है, इसलिए इसकी मदद से गालों को गुलाबी किया जा सकता है। इसके लिए एक छोटे कंटेनर में एक चुकंदर (कद्दूकस किया हुआ), एक चम्मच चीनी और एक से दो चम्मच पानी या गुलाबजल डालकर मिलाएं, फिर इस मिश्रण से कुछ देर गालों को स्क्रब करें। इसके बाद चेहरे को पानी से धो लें। इसके अतिरिक्त, गुलाबी गाल पाने के लिए रोजाना एक गिलास चुकंदर का जूस भी पिएं।

गाजर का जूस करेगा मदद

गाजर का जूस विटामिन- सी और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण से समृद्ध होता है, जो शरीर कोई स्वास्थ्य लाभ देने के साथ ही त्वचा को ग्लोइंग और गालो को गुलाबी बनाने में मदद कर सकते हैं। इसके लिए एक कटोरी में आवश्यकतानुसार गाजर (कद्दूकस की हुई) और थोड़ा शहद मिलाएं, फिर इस मिश्रण को गालों पर हल्के हाथों से मलें। इसके बाद चेहरे को ठंडे पानी से धो लें। अच्छे परिणामस्वरूप हफ्ते में दो बार इस प्रक्रिया को दोहराएं।

पर्याप्त मात्रा में करें पानी का सेवन

रोजाना पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन कई तरह के त्वचा संबंधित लाभ दे सकता है। गुलाबी गाल पाने के लिए भी पानी का सेवन करना लाभदायक साबित हो सकता है। वहीं, जब आप फटे और रूखे गालों की समस्या का सामना करें तो ढेर सारा पानी पीना शुरु कर दें क्योंकि डिहाइड्रेशन भी फटे और रूखे गालों का एक कारण हो सकता है। पानी का सेवन डिहाइड्रेशन को दूर करके गालों को खूबसूरत बना सकता है।  (एजेंसी)

आत्मनिर्भरता की पहल

मंगलवार को जब संसद में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने अपना चौथा आम बजट पेश किया तो कई मायनों में यह अलग था। कई परंपराएं बदलीं, ये पेपरलेस बजट और भाषण संक्षिप्त था। पांच राज्यों के चुनाव के बीच आये बजट में भले ही नये करों का प्रावधान नहीं था, लेकिन यह लोकलुभावन बजट भी नहीं था। वर्ष 2022-23 के बजट में नौकरीपेशा वर्ग को आयकर में छूट न मिलने पर निराशा जरूर हुई, जो कोरोना संकट में आय संकुचन के दौर में राहत की उम्मीद लगाये हुए था। दरअसल, सरकार का पूरा ध्यान इन्फ्रास्ट्रक्चर पर रहा। लेकिन महंगाई और बेरोजगारी दूर करने को बड़ी पहल होती नजर नहीं आई। सरकार का कहना है कि अमृतकाल में देश को आत्मनिर्भर बनाने की पहल हुई है। इसके अलावा भारत में दखल बनाती क्रिप्टो करंसी पर तीस फीसदी टैक्स लगाने, इसके लेन-देन में टीडीएस लगाने, आरबीआई द्वारा इस वर्ष डिजिटल करंसी जारी करने, डाकघरों को मुख्य बैंकिंग व्यवस्था से जोडऩे, ई-पासपोर्ट सेवा आरंभ करने जैसी कई महत्वपूर्ण घोषणाएं बजट में की गई। वहीं पूर्वोत्तर के विकास हेतु 1500 करोड़ रुपये आवंटित करने तथा आगामी तीन सालों में चार सौ वंदे भारत ट्रेनों के परिचालन की घोषणा की गई। सरकार ने अर्थव्यवस्था में गति लाने के क्रम में राजस्व घाटा 6.4 फीसदी रहने का अनुमान जताया है तथा वर्ष 2022-23 में कुल खर्च 39.45 लाख करोड़ रुपये रहने का आकलन है। वहीं विपक्ष कह रहा है कि देश में रिकॉर्ड महंगाई और बेरोजगारी को नियंत्रित करने के लिये कोई ठोस पहल नहीं हुई है। कोरोना संकट से जूझते आम आदमी को यह बजट राहत नहीं देता। यह भी कि एक ओर सरकार सौर ऊर्जा को बढ़ावा तथा पर्यावरण सुरक्षा को प्राथमिकता देने की बात करती है, वहीं नदी जोड़ योजना के जरिये पारिस्थितिकीय संतुलन से खिलवाड़ कर रही है।
दरअसल, लगातार दो साल से महामारी का दंश झेल रहे और आय के स्रोतों के संकुचन से त्रस्त लोग आस लगाये बैठे थे कि सरकार की तरफ से उनकी क्रयशक्ति बढ़ाने की दिशा में पहल होगी। मगर सरकार ने आपूर्ति शृंखला को ही प्राथमिकता दी है। लेकिन आपूर्ति बढ़ाना तभी सार्थक होगा, जब लोगों की क्रय क्षमता बढऩे से बाजार में मांग बढ़ेगी। वह भी उन वैश्विक रिपोर्टों के बीच कि कोरोना संकट में देश के अस्सी फीसदी लोगों की आय में संकुचन हुआ है और अमीर लोगों की आय दुगुनी से अधिक हो गई है। वहीं लंबे किसान आंदोलन के बाद उम्मीद थी कि सरकार किसानों को राहत देने के लिये कुछ बड़ा करेगी क्योंकि प्रधानमंत्री ने इस साल तक किसानों की आय दुगुनी करने का लक्ष्य रखा था। कुछ लोग देश की आधी आबादी को रोजगार देने वाले कृषि क्षेत्र की आय को बढ़ाने के लिये बड़ी पहल की उम्मीद कर रहे थे। निस्संदेह कोरोना संकट में कृषि क्षेत्र ने ही भारतीय अर्थव्यवस्था को संबल दिया था। वहीं पीएम किसान सम्मान निधि में वृद्धि की उम्मीद भी जतायी जा रही थी। हालांकि, बजट में किसान ड्रोन, प्राकृतिक खेती, लैंड डिजिटाइजेशन, एमएसपी के लिये 2.37 लाख करोड़ रखने, नाबार्ड के जरिये कृषि स्टार्टअप्स के वित्तीय पोषण, 1208 मीट्रिक टन धान-गेहूं की खरीद के प्रावधान रखने से किसानों को राहत देने की पहल जरूर हुई है। दूसरी ओर वक्त की जरूरत के हिसाब से एनिमेशन, विजुअल इफेक्ट, गेमिंग और कॉमिक्स सेक्टर में रोजगार को बढ़ावा देने के लिये प्रमोशन टास्क फोर्स बनाने का फैसला किया गया है। साथ ही व्यावसयिक शिक्षा के लिए डिजिटल यूनिवर्सिटी बनाने का निर्णय हुआ है। अगले पांच साल के लिये छह हजार करोड़ रुपये का प्रावधान बताता है कि एमएसएमई सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है। दो लाख आंगनवाड़ी अपग्रेड करने का मकसद कुपोषण व अशिक्षा के खिलाफ लड़ाई को तेज करने का प्रयास है। लेकिन हेल्थ सेक्टर में महामारी के दौर में अपेक्षित बजट वृद्धि की कमी खलती है। इसके बावजूद साठ लाख रोजगारों का सृजन, अस्सी लाख घर बनाने का लक्ष्य, डाकघरों में एटीएम, पीएम ई-विद्या टीवी चैनल बढ़ाने तथा पच्चीस हजार किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग बनाने का लक्ष्य सरकार के कल्याणकारी एजेंडे को ही दर्शाता है।

सान म्यूजिक कंपनी ने जारी किया म्यूजिक वीडियो ‘तेरी आशिकी में’

संजय अमान के द्वारा संचालित सान म्यूजिक कंपनी के तत्वाधान में  मुम्बई स्थित रहेजा क्लासिक क्लब में  आयोजित एक भव्य समारोह के दौरान शांतनु भामरे और अभिनेत्री एलेना टुटेजा अभिनीत रोमांटिक म्यूजिक वीडियो ‘तेरी आशिकी में’ जारी किया गया।

शान से एंटरटेनमेंट के बैनर तले निर्मित इस म्यूजिक सिंगल को वीडियो फॉर्मेट के अलावा इसे ऑडियो फॉर्मेट में 3 फ्लेवर में भी जारी किया जाएगा, एक डुएट में, दूसरा सोलो और तीसरा इंटरनेशनल ट्रैक (सिर्फ म्यूजिक) ऑडियो के विभिन्न फ्लेवर के लिए है। ऑडियो जारी किया जाएगा वो कुछ प्लेटफॉर्म्स है जिसे अमेज़ॉन म्यूजिक, एमएक्स प्लेयर, यूट्यूब म्यूजिक, गाना, जीओ सावन, स्पॉटीफाई, हंगामा म्यूजिक, आई ट्यून स्टोर, जिओ सावन, रेसो, साउंड क्लाउड, विंक, और कई अन्य प्लेटफॉर्म पर जारी किया जाएगा। इस म्यूजिक वीडियो की खास बात यह है कि बॉलीवुड के पॉपुलर सिंगर अमन त्रिखा और कोमल के स्वर से सजे रोमांटिक और भावविभोर कर देने वाले गीत को निर्देशक राजीव चौधरी ने बड़े ही कलात्मक ढंग से अभिनेता शांतनु भामरे (Shantanu Bhamare) और अभिनेत्री एलेना टुटेजा पर फिल्माया है। रेमो डिसूजा के साथ काम कर चुके जीत सिंह ने गाने की कोरियोग्राफी की है वहीं अनुभवी डीओपी अकरम खान हैं। एडिटिंग फेमस पार्थ भट्ट द्वारा किया गया है, जो हिमेश रेशमिया के एल्बमों का एडिटिंग करते हैं, डीआई, कलर करेक्शन और वीफएक्स का कार्य अमित जालान  (इमेज डिवाइसेस) ने किया है। बहुप्रतीक्षित इस म्यूजिक वीडियो को लेकर बॉलीवुड में यह क़यास लगाया जा रहा है कि आने वाले वैलेंटाइन वीक में दर्शकों के लिए यह एक प्यारा सा ट्रीट होगा।

प्रस्तुति – काली दास पाण्डेय

पर्यटन के जरिये ग्रामीण अर्थव्यवस्था का होगा सशक्तिकरण

इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने की होगी पहल

रांची, झारखण्ड सरकार राज्य में पर्यटन को विश्व पटल पर लाने के प्रति संजीदा है। ऱाज्य की भौगोलिक स्थिति व प्राकृतिक सौंदर्य पर्यटन के लिहाज से अनुकूल है भी। सरकार ने राज्य में पर्यटकों को आकर्षित करने और उन्हें गुणवत्तापूर्ण सुविधा उपलब्ध कराने के उदेश्य से पर्यटन के क्षेत्र में निजी निवेश आकर्षित करने के लिए नई पर्यटन नीति बनाई है। पर्यटन नीति की मंत्रिपरिषद से स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है। इसमें कोई संदेह नहीं कि आने वाले दिनों में पर्यटन से रोजगार के अवसर सृजित करने और राजस्व में बढ़ोतरी करने के विजन के साथ झारखण्ड पर्यटन के क्षेत्र में बदलाव का वाहक बनेगा। राज्य पर्यटन विकास की संभावनाओं से भरा है। राज्य के 33 प्रतिशत वन से आच्छादित भू-क्षेत्र को पर्यटन के लिहाज से बड़ा बाजार बनाने की दिशा में सरकार ने कदम बढ़ा दिया है।

सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था का सशक्तिकरण भी

ग्रामीण विकास और ग्रामीणों का आर्थिक सशक्तिकरण सरकार की  प्राथमिकता वाला क्षेत्र है। इस निमित्त पर्यटन विभाग, झारखण्ड के विभिन्न पर्यटन स्थलों के आसपास के क्षेत्रों में होमस्टे को बढ़ावा देने जा रहा है। इन होमस्टे को राज्य के पर्यटन स्थलों के पास रहने वाले ग्रामीण आबादी के सहयोग से विकसित किया जाएगा। इससे न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी, बल्कि रोजगार के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष अवसर भी सृजित होंगे। साथ ही झारखण्ड की परंपरा और संस्कृति के बारे में लोगों को रूबरू कराने में भी मदद मिलेगी। पर्यटन स्थल के पास स्थित गांव में प्रवास को विकसित करने की योजना के साथ सरकार कुछ प्रमुख पर्यटन स्थलों पर रहने की सुविधाओं की कमी को भी दूर करने की कोशिश कर रही है। होम स्टे के निर्माण में सरकार अनुदान से लेकर अन्य सुविधाएं देने के प्रावधान की दिशा में कार्य करने जा रही है।

राज्य भर में पर्यटक सुविधा केंद्र

प्रदेश भर में पर्यटक सुविधा केंद्र विकसित करने की भी योजना पर्यटन नीति के तहत समाहित की गई है। योजना के अनुसार पर्यटन विभाग पर्यटन स्थलों की ओर जाने वाले रास्तों पर पर्यटक सुविधा केंद्र बनाएगा। ये केंद्र पर्यटकों को सूचना देने के साथ सभी मूलभूत सुविधाओं से लैस होंगे। इन केंद्रों से पर्यटक जो लंबी सड़क यात्राएं करते हैं, उन्हें ठहरने और भोजन की सुविधा मिलेगी। राज्य सरकार रास्ते के किनारे की सुविधाएं, पर्यटक सूचना केंद्र, शिल्प केंद्र, एटीएम सहित आवश्यक सुविधाएं, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के लिए मंच सहित बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने का कार्य करेगी।

इको-टूरिज्म को बढ़ावा

झारखण्ड में इको-टूरिज्म के क्षेत्र में विकास की अपार संभावनाएं हैं। हरे-भरे जंगल, जलप्रपात, भू-भाग, समृद्ध वन्य जीवन इसे वन ट्रेल्स, नेचर वॉक, जंगल सफारी, ट्रेकिंग, रॉक क्लाइम्बिंग आदि झारखण्ड को इको- टूरिज्म के विकास के लिए एक आदर्श स्थान प्रदान करता है। लातेहार-नेतरहाट-बेतला-चांडिल-दलमा-मिरचैया-गेतलसूद सर्किट को ईको-सर्किट के रूप में विकसित किया जाएगा.

Exit mobile version