विपक्षी मोर्चे का पहला मुकाम राष्ट्रपति का चुनाव होने वाला था

अजीत द्विवेदी, 20.03.2022 – अब अचानक सारी चीजें थम गई हैं। विपक्षी मोर्चे का पहला मुकाम राष्ट्रपति का चुनाव होने वाला था, जिसका खेला अब खत्म हो गया है। पांच में से चार राज्यों में भाजपा को मिली जीत के बाद विपक्ष की उम्मीदें खत्म हैं।

विपक्षी नेताओं की ओर से की जा रही पहल का निष्कर्ष यह था कि अगर भाजपा उत्तर प्रदेश में चुनाव हारती तो विपक्ष का एक साझा उम्मीदवार उतारा जाता।

पांच राज्यों में हुए हाल के विधानसभा चुनावों के दौरान विपक्षी पार्टियां गजब राजनीति करती दिख रही थीं। जो पार्टियां इन पांच राज्यों में चुनाव लड़ रही थीं उनको छोड़ कर बाकी प्रादेशिक पार्टियों के नेता जबरदस्त भागदौड़ कर रहे थे।

ममता बनर्जी, एमके स्टालिन, के चंद्रशेखर राव, शरद पवार, उद्धव ठाकरे, हेमंत सोरेन, तेजस्वी यादव आदि प्रादेशिक क्षत्रपों का इन पांच राज्यों में कुछ भी दांव पर नहीं लगा था लेकिन इनके नतीजों से पहले ये सारे नेता विपक्ष का मोर्चा बनाने या भाजपा विरोधी राजनीति के दांव-पेंच में लगे थे।

ममता दिल्ली-मुंबई की दौड़ लगा रही थीं तो चंद्रशेखर राव दिल्ली-मुंबई-रांची की दौड़ लगा रहे थे। केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ संघीय मोर्चा बन रहा था और दिल्ली या हैदराबाद में विपक्षी मुख्यमंत्रियों की बैठक होने वाली थी। राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष का साझा उम्मीदवार तय किया जाना था।

लेकिन अब अचानक सारी चीजें थम गई हैं।विपक्षी मोर्चे का पहला मुकाम राष्ट्रपति का चुनाव होने वाला था, जिसका खेला अब खत्म हो गया है। पांच में से चार राज्यों में भाजपा को मिली जीत के बाद विपक्ष की उम्मीदें खत्म हैं।

विपक्षी नेताओं की ओर से की जा रही पहल का निष्कर्ष यह था कि अगर भाजपा उत्तर प्रदेश में चुनाव हारती तो विपक्ष का एक साझा उम्मीदवार उतारा जाता। शरद पवार को साझा उम्मीदवार के तौर पर देखा जा रहा था। लेकिन उत्तर प्रदेश में भाजपा को बड़ी जीत मिली है। देश में उसके अपने विधायकों की संख्या 1,543 है और दोनों संसद के दोनों सदनों में उसके सदस्यों की संख्या चार सौ है। अगर उसकी सहयोगी पार्टियों के विधायकों और सांसदों की संख्या जोड़ दें तो राष्ट्रपति चुनने वाले इलेक्टोरल कॉलेज में भाजपा के पास 40 से 45 फीसदी तक वोट हो जाते हैं।

उसके बाद जिस राज्य या समूह के व्यक्ति को उम्मीदवार बनाया जाता है उसका वोट आमतौर पर मिल जाता है। सो, भाजपा बहुत आसानी से राष्ट्रपति के अपने उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित कर लेगी।इसके बाद विपक्ष का दूसरा प्रयास राज्यों के अधिकारों के अतिक्रमण के खिलाफ एक संघीय मोर्चा बनाने का है। यह एक बड़ा मुद्दा है और दक्षिण भारत के राज्यों ने इसे बहुत गंभीरता से लिया है।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और उनके वित्त मंत्री ने इस मसले पर विपक्षी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात की है। जीएसटी में राज्यों का हिस्सा कम होने या मुआवजे की समय सीमा दो साल और बढ़ाने का मसला संसद के चालू बजट सत्र में भी विपक्षी पार्टियों ने उठाया है। इसके अलावा केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी घटने और बीएसएफ का दायरा राज्यों के अंदर 50 किलोमीटर तक करने के मामले में भी राज्यों में एकजुटता है।

ऐसा लग रहा था कि संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण शुरू होते ही विपक्षी मुख्यमंत्रियों की बैठक दिल्ली में होगी लेकिन पांच राज्यों के चुनाव नतीजों के बाद इस मसले पर भी पार्टियां सुस्त पड़ गई हैं।तीसरा प्रयास भाजपा के खिलाफ एक साझा राजनीतिक मोर्चा बनाने का है। इसकी पहल कैसे होगी और कौन करेगा यह यक्ष प्रश्न है। कांग्रेस पार्टी अंदरूनी कलह से जूझ रही है। पार्टी के नेता आलाकमान से अलग बैठकें कर रहे हैं और पार्टी में बड़ी टूट का अंदेशा भी जताया जा रहा है।

अगर अगले दो-तीन महीने में कांग्रेस अपने को संभालती है और अगस्त से पहले तक पार्टी एक पूर्णकालिक अध्यक्ष का चुनाव करके संगठन को मजबूत करती है फिर उम्मीद की जा सकती है कि कांग्रेस विपक्षी मोर्चा बनाने की पहल का केंद्र रहेगी। हालांकि तब भी यह आसान नहीं होगा क्योंकि कई प्रादेशिक पार्टियां कांग्रेस के साथ सहज महसूस नहीं कर रही हैं।

कम से कम दो प्रादेशिक क्षत्रपों- ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल की महत्वाकांक्षा इतनी बड़ी हो गई है कि किसी भी दूसरी पार्टी का नेतृत्व स्वीकार करने में इनको दिक्कत होगी।अगर कांग्रेस की बजाय विपक्षी मोर्चा बनाने की पहल कहीं और से होती है, जैसे प्रशांत किशोर पहल करते हैं तो वह एक बड़ा प्रयास होगा लेकिन उसमें कांग्रेस के शामिल होने पर संदेह रहेगा।

अभी तक का इतिहास रहा है कि चुनाव नतीजों के बाद कांग्रेस तीसरे मोर्चे की सरकार को समर्थन देती रही लेकिन चुनाव से पहले किसी तीसरे मोर्चे की पार्टियों के पीछे चलने का कांग्रेस का इतिहास नहीं रहा है। अब भी यह संभव नहीं लग रहा है कि वह किसी ऐसे मोर्चे का हिस्सा बनेगी, जिसकी कमान उसके हाथ में न रहे।

ऐसे में यह बड़ा सवाल है कि विपक्ष का एक साझा मोर्चा कैसे बनेगा? अगले कुछ दिनों में कांग्रेस का संगठन चुनाव हो जाएगा, जिसके बाद संभावना है कि राहुल गांधी अध्यक्ष बनेंगे। उसके बाद कांग्रेस चाहेगी कि कांग्रेस की कमान में राहुल के चेहरे पर चुनाव हो। दूसरी ओर मोदी बनाम ममता और मोदी बनाम केजरीवाल की तैयारी अलग चल रही है।

अब तक का इतिहास रहा है कि चुनाव दो बड़ी पार्टियों या बड़ी ताकतों के बीच होता है। जब कांग्रेस भारतीय राजनीति की केंद्रीय ताकत थी तब भी उसका मुकाबला दूसरी बड़ी ताकत से होता था। किसी एक या दो राज्य का नेता चाहे कितना भी लोकप्रिय क्यों न हो वह राजनीति की केंद्रीय ताकत को चुनौती नहीं दे सकता है।

कांग्रेस के शीर्ष पर रहते विपक्ष में अनेक चमत्कारिक नेता हुए और राज्यों में भी कई करिश्माई नेता रहे लेकिन वे कांग्रेस को चुनौती नहीं दे सके। वैसे ही अभी किसी राज्य में कोई कितना भी चमत्कारिक नेता क्यों न हो वह भाजपा और नरेंद्र मोदी को चुनौती नहीं दे सकता है। ध्यान रहे आम चुनाव सिर्फ चेहरों का चुनाव नहीं होता है।

वह विचारधारा और संगठन का भी चुनाव होता है। भाजपा को चुनौती देने वाली विचारधारा अब भी कांग्रेस के पास है और संगठन के लिहाज से भी भाजपा विरोधी स्पेस का प्रतिनिधित्व कांग्रेस ही कर रही है। इसलिए अगले दो साल में होने वाले विधानसभा चुनावों के नतीजे चाहे जो आएं, कांग्रेस अपने दम पर और अपने बचे हुए सहयोगियों को साथ लेकर भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ेगी।

राज्यों के प्रादेशिक क्षत्रपों का एक मोर्चा अलग बन सकता है, जो मुख्य रूप से उन राज्यों में होगा, जहां कांग्रेस और भाजपा का सीधा मुकाबला नहीं है। अगर प्रशांत किशोर कांग्रेस और प्रादेशिक क्षत्रपों के मोर्चे का रणनीतिक तालमेल कराने और सीटों के एडजस्टमेंट में कामयाब होते हैं तो चुनाव दिलचस्प होगा।

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कांग्रेस के लिए किसी गांव तक में नहीं गए कपिल सिब्बल

गांधी-नेहरू खूंटा तभी कांग्रेस और विकल्प भी!

20.03.2022 – हरिशंकर व्यास – कांग्रेस को ले कर स्यापा है। कोई उस पर परिवारवाद का ठीकरा फोड़ रहा है, उसे प्राइवेट लिमिटेड करार दे रहा है तो कोई उसे खत्म मान रहा है।

कोई राहुल गांधी को कोस रहा है तो कोई उसके कारण सन् 2024 का चुनाव नरेंद्र मोदी का तय मान रहा है। ऐसे ही कई लोग सोनिया-राहुल-प्रियंका को असली-सच्ची कांग्रेस बनाने में बाधक मानता है।

मोटा मोटी कांग्रेसी हताश हैं, निराश हैं और अधिकांश राहुल गांधी को नासमझ, निकम्मा, नालायक मान सोच रहे होंगे कि उन्हें कब अक्ल आएगी? कब सोनिया गांधी समझेंगी? राहुल के चक्कर में प्रियंका की संभावना भी खत्म कर दी है। क्यों यूपी में भाई-बहन ने ऐसे प्रतिष्ठा दांव पर लगाई? क्यों सोनिया गांधी पुत्रमोह में राहुल गांधी का कहना मान रही हैं?

वे क्यों नहीं किसी गैर-परिवार नेता को अध्यक्ष बना कांग्रेस में जान डालती हैं? सोनिया गांधी को भी सोचना चाहिए कि पार्टी को ऐसे खत्म होने दे कर वे अपने ही परिवार की विरासत को मिटा देने का

इतिहासजन्य पाप करेंगी!दरअसल, देश का हर वह व्यक्ति सोनिया-राहुल गांधी से दुखी है जो नरेंद्र मोदी के आइडिया ऑफ इंडिया में घुटन महसूस करता है। हर वह नेता सोनिया-राहुल गांधी को कोसते हुए है, जो मोदी राज के कारण सत्ता से बेदखल है।

पॉवर का भूखा है। हर वह जमात, वह वर्ग नाराज है, जिसने सेकुलर आइडिया ऑफ इंडिया के वक्त में मलाई खाई।

जो लुटियन दिल्ली का एलिट था। ये सब सोचते और मानते हैं कि नरेंद्र मोदी लगातार जीत रहे हैं तो वजह राहुल गांधी हैं। उनकी नासमझी और निकम्मेपन की लोगों के दिल-दिमाग में ऐसी छाप पैठी है कि वे मोदी के बतौर विकल्प क्लिक नहीं हो सकते।

इसलिए उनसे (गांधी-नेहरू परिवार) कांग्रेस की मुक्ति जरूरी है।कैसे? जवाब में तमाम तरह की पतंगबाजी है। हाल-फिलहाल की सुर्खियों में कपिल सिब्बल की दलील है कि वक्त का तकाजा है जो घर की जगह सबकी कांग्रेस बने!

उधर अमेरिकी मॉडल पर मतदाताओं के कच्चे माल को फैक्टरी में अलग-अलग फॉर्मूलों से पका कर प्रोडक्शन लाइन पर भक्त वोटरों में कन्वर्ट करने के पेशेवर प्रशांत किशोर की थीसिस है कि कांग्रेस विकल्प’ के स्पेस पर कब्जा जमाए हुए है सो, वह उसे खाली करे।

लोगों के दिमाग में भाजपा और मोदी के आगे कांग्रेस और राहुल का चेहरा बना हुआ है, वह विकल्प के बोर्ड पर है तो जब तक विपक्ष की दुकान पर लगा खानदानी चेहरों का बोर्ड नहीं हटेगा तब तक लोगों में विकल्प की दुकान लोक-लुभावन नहीं होगी।

सो, विकल्प के खातिर नई कांग्रेस बने, नई दुकान और उसका बोर्ड हो या तृणमूल जैसी कोई अपने को अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस बनाए तो उसकी लीडरशीप में फिर क्षेत्रीय पार्टियों का ग्रैंड एलायंस बनना संभव होगा। तब सन् 2024 में नरेंद्र मोदी हार सकेंगे।

सो परिवारवादी खूंटे से कांग्रेस को छूटाना सन् 2024 के चुनाव की तात्कालिकता से है तो दीर्घकालीन मकसद सेकुलर आइडिया ऑफ इंडिया के इकलौते प्रणेता-पोषक परिवारवादी गांधी-नेहरू खूंटे को हमेशा के लिए मिटाना है।

अपना मानना है कि न सोनिया-राहुल-प्रियंका और न कपिल सिब्बल एंड जी-23 नेताओं को समझ है कि नरेंद्र मोदी-संघ परिवार के मकसद में कैसी दीर्घकालीन राजनीति छुपी हुई है और उसमें देश के आइडिया व अस्तित्व के गंभीर पहलू भी हैं।

परिवार की नासमझी अपनी जगह है तो कपिल सिब्बल, गुलाम नबी, आनंद शर्मा याकि दुखी-अंसुतष्ट-सत्ता भूखे कांग्रेसी चेहरों और प्रशांत किशोर ले देकर सन् 2024 के चुनाव की जल्दी में हैं। वे इस रियलिटी को सोच नहीं पा रहे हैं कि बिना गांधी परिवार के न कांग्रेस रह सकती है, न उसका असली कांग्रेस या सबकी कांग्रेस का रूपांतरण संभव है और न मोदी को हरा सकने का विकल्प संभव।

क्यों? तब आजाद भारत की राजनीति पर गौर करें। सबको ध्यान रखना चाहिए कि 1969 में कांग्रेस की दो बैलों की जोड़ी जब बिखरी थी और इंदिरा गांधी के खिलाफ बगावत हुई व मोरारजी, कामराज, संजीवैय्या रेड्डी ने सबकी कांग्रेस’ के ख्याल में जो संगठन कांग्रेस’ नाम की पार्टी बनाई तो उसका क्या भविष्य हुआ? जगजीवन राम-बहुगुणा ने 1977 में कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी बनाई तो उनका और उनकी कथित असली कांग्रेस का क्या हुआ?

ऐसे ही एक दफा नारायण दत्त तिवारी, अर्जुन सिंह ने अलग कांग्रेस बनाई तो क्या हुआ? ऐसे कई प्रयोग हुए।  ममता बनर्जी, शरद पवार आदि कईयों ने विद्रोह किया। पार्टियां बनाईं लेकिन गांधी-नेहरू के खूंटे से बाहर होने के बाद एक भी कोई नेता व उसकी पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर नहीं चली।वह सब याद कराना त्रासद है तो अपने लोकतंत्र व राजनीति की कमियों का खुलासा भी है।

सोचे, जब ऐसी रियलिटी है तो कपिल सिब्बल या ममता बनर्जी, शरद पवार को क्यों यह गलतफहमी पालनी चाहिए कि परिवारवादी कांग्रेस को खत्म करके या उसे दरकिनार करके नरेंद्र मोदी को हरा सकते हैं? या संघ परिवार के आइडिया ऑफ इंडिया के आगे अपने बूते नया-टिकाऊ विकल्प बना सकते हैं? संभव ही नहीं है।

इससे उलटे 2024-2029 में लगातार भाजपा मजे से चुनाव जीतेगी। अगले दस सालों में ममता बनर्जी और उनकी तृणमूल कांग्रेस का अता-पता भी नहीं होगा। न ही महाराष्ट्र में अघाड़ी पार्टियां बचेंगी और न तेजस्वी या अखिलेश यादव या अरविंद केजरीवाल का हल्ला चलता हुआ होगा।मैं फतवाई निष्कर्ष लिख दे रहा हूं।

भारत के हर सुधी नागरिक को समझना चाहिए कि मोदी-शाह-संघ परिवार ने अखिल भारतीय स्तर पर भारत को दो पालों में बांट दिया है। एक पाला शुद्ध भक्त हिंदुओं का है, जिसमें 2024 आते-आते 40 प्रतिशत वोट होंगे और बाकी वोट गैर-हिंदू व सेकुलर होने की अलग पहचान, आईडेंटिटी के बावजूद बिखरे हुए होंगे। 140 करोड़ लोग और वे दो हिस्सों में मोदी जिताओ और मोदी हटाओ के दो पालों में। निश्चित ही 55-60 प्रतिशत वोट मोदी हटाओ की बहुसंख्या वाले।

मगर ये विरोधी वोट इसलिए बेमतलब व जीरो हैसियत लिए हुए होंगे क्योंकि कपिल सिब्बल एंड पार्टी कांग्रेस को खत्म कर चुकी होगी तो प्रशांत किशोर नई कांग्रेस का कोई नया शॉपिंग मॉल लिए हुए होंगे। ममता-केजरीवाल अपने को राष्ट्रीय नेता मान उड़ते हुए होंगे तो मोदी-शाह महाराष्ट्र-झारखंड की विरोधी सरकारों में उथल-पुथल करवा कर, विधानसभा चुनावों से कांग्रेस का उत्तर भारत में पूरा सफाया करके विपक्ष में लडऩे की ताकत ही नहीं बचने देंगे। झूठ के नैरेटिव से क्षत्रप याकि ममता-अखिलेश-तेजस्वी मुस्लिमपरस्त तो केजरीवाल खालिस्तानी-खालिस्तानी के शोर में लिपटे हुए।

मोदी सरकार इन सबकों ऐसे तोड़ेगी-मरोड़ेगी कि मजबूरन ओवैसी से लेकर, मायावती, केजरीवाल सब अलग-अलग लड़ मोदी हटाओ की चाहना वाले 55-60 प्रतिशत वोटों को छितरा देंगे।क्या यह सिनेरियो सोनिया-राहुल, कपिल सिब्बल, ममता, केजरीवाल, प्रशांत किशोर, अखिलेश आदि को दिखलाई नहीं दे रहा होगा?

क्या ये नेता इतना भी नहीं बूझ सकते हैं कि आपस में एक-दूसरे को हरा कर अपना स्पेस बनाना संभव है लेकिन सन् 2024 में नरेंद्र मोदी (या जैसे अभी चार राज्यों में) जीते तो उसके बाद प्रदेशों के चिडीमार नेताओं का सारा स्पेस धरा रह जाएगा। आपस में एक-दूसरे से लड़ कर भले छोटा-मोटा स्पेस बना लें लेकिन वह सब नरेंद्र मोदी के अंगूठे के नीचे!

इसमें मील के पत्थर जैसा मामला परिवार से कांग्रेस की मुक्ति का है। कल्पना करें कांग्रेस खत्म हो जाए। वह सन् 2024 का लोकसभा चुनाव लडऩे लायक नहीं रहे (इसका मिशन है और इस पर कल) तो कपिल सिब्बल-प्रशांत किशोर क्या विकल्प का नया स्पेस बना कर (नई धुरी बना कर) उससे सभी क्षत्रपों को जोड़ करके नरेंद्र मोदी को हरा सकेंगे?

लोगों के जेहन में क्या ममता का चेहरा बनेगा या केजरीवाल का? क्या केजरीवाल 2014-15 जैसे तेवर लिए मोदी के खिलाफ बोलते हुए होंगे? कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा, गुलाम नबी क्या नारा लगा सकते हैं कि मोदी हटाओ देश बचाओ? प्रशांत किशोर किसी भी एक्सवाईजेड नेता या पार्टी को उत्तर भारत में बतौर विकल्प मोदी विरोधियों के जहन में पैठा सकते हैं?कतई नहीं!

विपक्ष के लिए सन् 2024 का चुनाव कायदे से लड़ सकना तभी संभव है जब परिवारवादी कांग्रेस जिंदा रहे। परिवार के तीनों चेहरों को समझदार होना होगा तो उन नेताओं, पार्टियां को भी समझदारी बनानी होगी जो चाहते है मोदी को हटाना।

55-60 प्रतिशत मोदी विरोधी वोटों के सभी प्रतिनिधि चेहरों को पहले यह समझना होगा कि उनकी असुरक्षा, उनका पॉवर से दूर रहना मोदी-संघ परिवार व उनके आइडिया ऑफ इंडिया की वजह से है न कि विरोधी पाले में एक-दूसरी की धक्का-मुक्की याकि कांग्रेस बनाम आप बनाम सपा बनाम राजद बनाम बसपा के छोटे-छोटे स्वार्थों और ईगो से।

निश्चित ही समझ की कसौटी में सबसे पहले राहुल गांधी, प्रियंका और सोनिया गांधी को प्राथमिक तौर पर समझदार होना होगा। वे जाने कि वे कैसे सन् 2024 में चुनाव लडऩे लायक नहीं रह सकेंगे।

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कांग्रेस का आजादी व देश के विकास में योगदान अहम!

भारत की गौरवशाली परंपरा को बहाल करने की जरूरत – उपराष्ट्रपति

कांग्रेस के लिए किसी गांव तक में नहीं गए कपिल सिब्बल

 

मुझे बचाने कोई न आया मैं कश्मीरी पंडित हूं!

जगदीश सिंह – 20.03.2022, मेरी पीडा मुझसे न पूछ मैं खुद के घर से दंडित हूं! सवाल सियासत का नहीं! मुझे बचाने कोई न आया मैं कश्मीरी पंडित हूं!सवाल हिमाकत का नहीं! सवाल वक्त के नजाकत नहीं! सवाल सिर्फ सवाल इन्सानियत का है!आखिर कहां चले गये सर्व धर्म सम्भाव का ढपोरशंखी भाषण पिलाने वाले!

कहां चले गये थे सारे जहां से अच्छा का तराना गाने वाले! कहा चले गये थे मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर करना का सगूफा सुनाने वाले! कहां चले गये थे इस देश में इन्सानियत का फर्ज निभाने वाले! कहा चले गये थे

धर्म मजहब के ठिकेदार जो सबको समान आदर सबको सामान समादर से सलूक करने की गली गली गला फाड़ फाड़ कर तकरीर करते हैं?वो कहां मर गये थे!जिन्हें दम्भ है की देश की सत्ता हमारी कौम के बिना नहीं चल सकती है?

सदीयो सदियों से राजसत्ता से लेकर सियासत तक में दमदार दखल रखने वाले परशुराम के बंशज जो सैकड़ों संगठन बनाकर सियासत की दूकान चला रहें है?कश्मीरी पंडितों के समर्थन में क्यो नहीं उतरे सड़कों पर! क्यो नहीं कश्मीर कूच का ऐलान किया? क्यो गिरवी रख दिये अपना मान सम्मान स्वाभिमान ! जब कश्मीरी पंडितों का कत्लेयाम सरेयाम हो रहा था! कहां सो रहे थे इस देश के रहनुमा!

जो सबका भारत होने का दावा करते है! राष्ट्र वादी होने का दिखावा करते हैं?। बात निकलेगी तो बहुत दूर तलक जायेगी! बहुत दर्द हैआज जो कुछ दिखाया जा रहा है देख कर शर्म आ रही है! चुल्लू भर पानी में डुब मरो चाणक्य के बशजों! भगवान परशुराम के अनुयाइयों! इन दंगाईयों को सबक सिखाने की हिम्मत नहीं जुटा पाये!अपने भाईयों को आजाद भारत में बे मौत मरते देखते रहे! कोई पैदा नहीं हुआ चनद्रशेखर आजाद! बर्बाद हो गया कश्मीरी पंडितों का समाज!

बेशर्म सियासत के दोगले रहनुमा 1990से आज तक उन सांपों को दूध पिलाते रहे! गाते रहे सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा!भला हो उस निर्माता का जो असलियत को दुनियां के सामने परोस दिया! दोगले सियासत बाजों की जबान को खामोश कर दिया!दहल उठा है सारा देश! बदल गया घर घर का परिवेश!

आज हम अपने को भाग्यशाली मानते है की देश भक्त मोदी महान ने सम्मान के साथ हिन्दुस्तान के कलंकित इतिहास पर आधारित द कश्मीर फाईल्स मूबी का उद्घाटन कर उच्चाटन मन्त्र का जाप शुरू करा दिया? सोते समाज को जगा दिया! देश में हलचल है!आग फैलती जा रही है! लोगों के दिलों में नफरत की आंधी चल रही है! मगर यह हिन्दू समाज तफरका में बिश्वास नहीं रखता बसुधैव कूटुम्बकम का सूत्र उसके खून में समाहित है।

इसी लिये उसका इतिहास कलंकित है!!इतिहास गवाह है इस देश के आन बान शान को बरवाद करने के लिये बिधर्मियो ने बार बार सनातनी समाज को विखंडित करने का कुत्सित प्रयास किया! सैकड़ों साल तक अत्याचार का खेल खेला! मगर कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी!देश को लूट कर चले आक्रान्ता! चले गये ब्यापारी! मगर आज भी सनातनी समाज सम्बृधी के साथ समता का बिजारोपण करते हुये वैभवशाली ब्यवस्था का अनुगामी बना हुआ है!

सनातनी समाज के लिये 1990 की घटना ने आखरी तबाही की कील कश्मीर मे ठोक दिया !हजारों लोगों को मौत के मुंह में झोंक दिया! आज उसी पर आधारित सच द कश्मीर फाईल्स मूबी का प्रदशर्न जन जागरण करा रही है।कश्मीरी पंडितों की तबाही अत्याचार की कहानी बता रही हैं।

देश द्रोही गद्दारों की जमात इसका भी विरोध कर रही है! जगह जगह अवरोध कर रही है।मगर जन सैलाब कि आवाज बन चुकी मूबी को रोकना आसान नहीं! यह 1990का हिन्दुस्तान नहीं है।मोदी है तो कुछ भी मुमकिन है।मानवाधिकार जिसका हौवा बनाती है सरकार! कश्मीर मैं नाकाम है!वह भी वहीं कामयाब है जहां मुद्दा बेकार है।

आजाद भारत में दुसरी बार कश्मीर में हैवानियत का खेला सियासतदारो की मिलीभगत से खेला गया!तत्कालीन सरकार तत्कालीन रसूखदार तत्कालीन मानवाधिकार संगठन आंखें मूंद कर तमाशा देखते रहे।कश्मीर जलती रही! कश्मीरी पंडितों का बलिदान होता रहा! देश का सम्विधान रोता रहा। शर्म से सर झुक जाता है अपने को हिन्दुस्तानी कहने पर जितना अत्याचार हुआ कश्मीरी बहनों पर! उठो सिंह सावको मां भारती पुकार रही है! मिटा दो कलंकित इतिहास के पन्नों को!

जनसमर्थन के सैलाब से मजबूत सरकार का निर्माण करो! ताकी राणा शिवा के शौर्य गाथा दुबारा सिंहनाद हो सके।आताताईयो का सम्पुर्ण बिनाश हो सके! सियासत के जहरीले सांप विष बमन कर रहें हैं! रोज रोज रंग बदल रहे हैं! समय की मांग है जो तुमको कांटा बुये ताहि बोई तू भाला!——? सठेशाठ्यम समाचरेत! जैसे को तैसा की जरुरत आन पड़ी है।

लेकिन इसके साथ ही सरकार पर की जिम्मेदारी है कश्मीरी पंडितों को कश्मीर में पुनर्स्थापित करें!उनके जान-माल सुरक्षा की ब्यवस्था करें! उनका हक दिलावे!ऐसा नहीं हुआ तो केवल मूबी से लोग कुछ दिनों तक बदले की आग में जलते रहेंगे! फिर सब कुछ यथावत हो जायेगा!कश्मीर की घटना इतिहास में कहावत हो जायेगा?आज नहीं तो कल इसी को लेकर बगावत हो जायेगा!

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कांग्रेस का आजादी व देश के विकास में योगदान अहम!

भारत की गौरवशाली परंपरा को बहाल करने की जरूरत – उपराष्ट्रपति

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हकीकत यह है कि कोरोना महामारी अभी दुनिया से गई नहीं है

20.03.2022 हकीकत यह है कि कोरोना महामारी अभी दुनिया से गई नहीं है। इस बात का ख्याल सबको रखना चाहिए। फिलहाल, इसकी सबसे तीखी मार वही देश झेल रहा है, जहां से इस महामारी की शुरुआत हुई थी। चीन और हांगकांग में संक्रमण के रोज नए मामले आने के रिकॉर्ड बन रहे हैँ।भारत में लोग आम जिंदगी शुरू कर चुके हैँ। बल्कि अब आम तौर पर किसी के मन में कोरोना संक्रमण का भय भी नजर नहीं आता। मास्क और सेनेटाइजर का इस्तेमाल न्यूनतम हो चुका है।

वैसे यह अच्छी बात है। लोगों का भरोसा देख कर बेहतर दिनों का भरोसा बनता है। लेकिन हकीकत यह है कि कोरोना महामारी अभी दुनिया से गई नहीं है। इस बात का ख्याल सबको रखना चाहिए। फिलहाल, इसकी सबसे तीखी मार वही देश झेल रहा है, जहां से इस महामारी की शुरुआत हुई थी। चीन में संक्रमण के रोज नए मामले आने के रिकॉर्ड बन रहे हैँ। महामारी की शुरुआत में भी जितने लोग एक दिन में संक्रमित नहीं हो रहे थे, उतने अब हो रहे हैँ। खबरों के मुताबिक महामारी के इस नए दौर के लिए कोरोना वायरस के डेल्टा और ओमीक्रोन दोनों वैरिएंट जिम्मेदार हैं। यहां यह याद रखना चाहिए कि चीन अब संभवत: अकेला देश बचा है, जहां जीरो कोविड की नीति अभी भी लागू है। यानी वहां संक्रमण के एक भी मामले को अस्वीकार्य माना जाता है। संक्रमण की सूचना मिलते ही सख्त कदम उठाए जाते हैँ।

लेकिन उससे महामारी के नए दौर को आने से रोका नहीं जा सकता है। नतीजतन, कई शहरों में लॉकडाउन लगाया गया है। शेनजेन समेत देशभर में 10 इलाकों में लोगों को घर पर ही रहने के आदेश दिए गए हैँ। यह प्रकोप हांगकांग में पहले ही अपना भीषण रूप दिखा चुका है।हांगकांग में तो वायरस ने तबाही मचा रखी है। वो रोजाना बीसियों लोगों की मौत का कारण बन रहा है। चीन के मुख्य भूभाग में स्वास्थ्य अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि और कड़े कदम भी उठाए जा सकते हैं।

शेनजेन में अधिकारियों ने बताया है कि शहरी ग्रामीण इलाकों और फैक्ट्रियों में छोटे स्तर पर कई क्लस्टर पाए गए हैं। इससे सामुदायिक संचार के बड़े खतरे के संकेत मिलते हैं। पूर्वोत्तर में जिलिन प्रांत में लगातार दो दिनों तकएक हजार से ज्यादा मामले सामने आए। मार्च की शुरआत से इस प्रांत के कम से कम पांच शहरों में तालाबंदी लागू की जा चुकी है। तो सबक यह है कि इस महामारी को खत्म ना माना जाए। दुनिया के किसी भी हिस्से में ये मौजूद है, तो फिर यह कहीं पहुंच सकती है। इसलिए बेहतर होगा कि लोग मास्क और सेनेटाइजर से अभी तौबा ना करेँ।

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ओटीटी पर रिलीज होगी विक्रम प्रभु की फिल्म तानाक्करन

20.03.2022- निर्देशक तमीज की बहुप्रतीक्षित एक्शन ड्रामा तानाक्करन, जिसमें अभिनेता विक्रम प्रभु, अंजलि नायर और लाल मुख्य भूमिका में हैं, डिज्नी प्लस हॉटस्टार तमिल पर रिलीज होगी।

इंस्टाग्राम पर ले जाते हुए, अभिनेता विक्रम प्रभु ने फिल्म का एक पोस्टर डाला और कहा कि हियर यू गो, तानाक्करन जल्द ही डिज्नी प्लस हॉटस्टार तमिल पर रिलीज होगी।फिल्म ने कई कारणों से बड़ी उम्मीदें जगाई हैं। प्राथमिक कारणों में से एक यह है कि इसे तमीज द्वारा निर्देशित किया गया है, जिन्होंने समीक्षकों द्वारा प्रशंसित कोर्ट रूम ड्रामा, जय भीम में प्रतिपक्षी (एक पुलिस अधिकारी) की भूमिका निभाई थी।कम ही लोग जानते हैं कि निर्देशक तमीज फिल्म निर्देशक बनने से पहले एक पुलिस अधिकारी थे।तमीज ने बताया था कि मैं लगभग 12 वर्षों तक एक पुलिसकर्मी था।

मैंने तिहाड़ सहित कई जगहों पर सेवा की है। 2014 में, मैंने फिल्मों में प्रवेश करने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी थी।तानाक्करन एक पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज की कहानी है। लाल पुलिस प्रशिक्षण अकादमी में एक प्रशिक्षक की भूमिका निभा रहे हैं, और विक्रम प्रभु एक कैडेट की भूमिका निभा रहे हैं। फिल्म के ट्रेलर ने प्रशंसकों के बीच फिल्म को लेकर काफी दिलचस्पी पैदा कर दी है।फिल्म के पिछले साल दिसंबर में स्क्रीन पर आने की उम्मीद थी। हालांकि, यह अब ओटीटी प्लेटफॉर्म डिज्नी प्लस हॉटस्टार तमिल पर रिलीज हो रही है।

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भारत की गौरवशाली परंपरा को बहाल करने की जरूरत – उपराष्ट्रपति

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भारत की गौरवशाली परंपरा को बहाल करने की जरूरत – उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडु ने आज प्राचीन शिक्षा प्रणालियों और पारंपरिक ज्ञान पर फिर से चर्चा की.  उन्हें वर्तमान समय के लिए प्रासंगिक बनाने के लिए शिक्षा क्षेत्र में भारत की उस गौरवशाली परंपरा को बहाल करने का आह्वान किया।

आज हरिद्वार में साउथ एशिया इंस्टीट्यूट ऑफ पीस एण्ड रिकंसिलिएशन (एसएआईपीआर) का उद्घाटन करने के बाद सभा को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत की प्रसिद्ध और सदियों पुरानी शिक्षा प्रणाली लंबे समय तक विदेशी शासन की वजह से बुरी तरह प्रभावित हुई है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि लंबे समय तक औपनिवेशिक शासन ने महिलाओं सहित एक बड़े वर्ग को शिक्षा से वंचित रखा। औपनिवेशिक शासन में केवल एक छोटे अभिजात वर्ग को ही औपचारिक शिक्षा सुलभ थी। उन्होंने कहा, “सभी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना आवश्यक है, तभी हमारी शिक्षा समावेशी और लोकतांत्रिक हो सकती है।” श्री नायडु ने हमारी शिक्षा प्रणाली का भारतीयकरण करने के राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रयास पर भी प्रसन्नता व्यक्त की और उस मानसिकता के लिए कड़ी अस्वीकृति व्यक्त की जो हर भारतीय चीज को कमतर आंकती है।

​ अपनी जड़ों से फिर से जुड़ने की आवश्यकता पर बल देते हुए उपराष्ट्रपति ने इच्छा जताई कि परिवार के बुजुर्ग छोटे बच्चों के साथ अधिक समय बिताएं ताकि वे हमारे समृद्ध सांस्कृतिक मूल्यों और परंपराओं को बेहतर ढंग से आत्मसात कर सकें। उन्होंने युवाओं को प्रकृति के साथ समय बिताने की भी सलाह दी और प्रकृति को सर्वश्रेष्ठ शिक्षक बताया।

हमारे जीवन में मातृभाषा के महत्व पर जोर देते हुए उपराष्ट्रपति ने युवाओं को अपनी मातृभाषा का अभ्यास करने, उसका विस्तार और प्रचार करने के लिए प्रोत्साहित किया। श्री नायडु ने कहा, “मैं वो दिन देखना चाहता हूं जब हर भारतीय अपने साथी देशवासियों से अपनी मातृभाषा में बात करें, प्रशासन का काम मातृभाषा में चले और सभी सरकारी आदेश लोगों की अपनी भाषा में जारी किए जाएं।” उन्होंने अदालती कार्यवाही में भी स्थानीय भाषाओं के इस्तेमाल का आह्वान किया।

संघर्षग्रस्त दुनिया में सामाजिक और अन्य तनावों के बढ़ने पर उपराष्ट्रपति ने कहा कि मानवता की प्रगति के लिए शांति पहली जरूरत है। उन्होंने कहा, “शांति का व्यापक प्रभाव पड़ता है – यह सामाजिक सद्भाव को बढ़ाता है और प्रगति तथा समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है।” उन्होंने कहा कि ‘शांति का लाभांश’ प्रत्येक हितधारक को लाभान्वित करता है और समाज में धन और खुशी लाता है।

श्री नायडु ने ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ और ‘लोक: समस्तः सुखिनो भवन्तु’ के हमारे सदियों पुराने सभ्यतागत मूल्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि शांति और मानवता के कल्याण के लिए भारत की प्रतिबद्धता भौगोलिक सीमाओं से परे है। उन्होंने कहा कि, “भारत को शांति की भूमि के रूप में जाना जाता है। हमने हमेशा शांति बनाए रखने और समाज के सभी वर्गों के सौहार्दपूर्ण जीवन को सुनिश्चित करने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है।”

दक्षिण एशियाई देशों के साझा इतिहास और सभ्यता को देखते हुए उन्होंने इस क्षेत्र में भाषाई, जातीय और सांस्कृतिक विविधताओं का सम्मान करने का भी आह्वान किया, जो सहिष्णुता और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के मूल मूल्यों को प्रदर्शित करते हैं। उन्होंने कहा, “दुनिया की ‘आध्यात्मिक राजधानी’ के रूप में, भारत शांति बनाए रखने और सद्भाव सुनिश्चित करने में अपनी भूमिका निभाता रहेगा।”

उपराष्ट्रपति ने साउथ एशिया इंस्टीट्यूट ऑफ पीस एण्ड रिकंसिलिएशन (एसएआईपीआर) की स्थापना में शामिल सभी लोगों को बधाई देते हुए आशा व्यक्त की कि यह संस्थान अकादमिक विचार-विमर्श के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बन जाएगा और शांति एवं समन्वय के मूल्यों को फैलाने में आगे बढ़ने की एक प्रेरणा (स्प्रिंगबोर्ड) के रूप में कार्य करेगा। उल्लेखनीय है कि गायत्री तीर्थ के स्वर्ण जयंती वर्ष में हरिद्वार के देव संस्कृति विश्वविद्यालय में एसएआईपीआर की स्थापना की गई है।

इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने भगवान बुद्ध और सम्राट अशोक को याद किया और कहा कि उन्होंने ‘युद्ध घोष’ (युद्ध) पर धम्म घोष को प्राथमिकता दी और भगवान बुद्ध द्वारा प्रतिपादित पंचशील हमारी विदेश नीति का आधार है।

श्री नायडु ने योग और ध्यान को दुनिया भर में लोकप्रिय बनाने के लिए विभिन्न संस्थानों के सहयोग से देव संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा किए जा रहे प्रयासों की भी सराहना की। उन्होंने योग को मानवता के लिए भारत का अनूठा उपहार बताया।

उपराष्ट्रपति श्री नायडु ने इस संस्थान का उद्घाटन करने के बाद एसएआईपीआर और एशिया के पहले बाल्टिक संस्कृति एवं अध्ययन केंद्र का दौरा किया। उन्होंने प्रज्ञेश महाकाल मंदिर में भी दर्शन किए और विश्वविद्यालय परिसर में रुद्राक्ष का पौधा लगाया। विश्वविद्यालय की यात्रा के दौरान उन्हें संस्थान में कागज निर्माण इकाई, कृषि और गाय आधारित उत्पाद केंद्र और हथकरघा प्रशिक्षण केंद्र जैसी विभिन्न सुविधाएं भी दिखाई गईं। उपराष्ट्रपति ने डीएसवीवी परिसर में ‘वॉल ऑफ हीरोज़’ पर शहीदों को श्रद्धांजलि भी दी और विश्वविद्यालय की नई वेबसाइट सहित विश्वविद्यालय के विभिन्न प्रकाशनों का शुभारंभ किया।

इस कार्यक्रम में उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह, पीवीएसएम, यूवाईएसएम, एवीएसएम, वीएसएम (सेवानिवृत्त), देव संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ प्रणव पंड्या, कुलपति श्री शरदपर्धी, प्रति कुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या, कुलसचिव श्री बलदाऊ देवांगन, संकाय सदस्य, छात्र और अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए।

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श्री अमित शाह ने जम्मू और कश्मीर की सुरक्षा समीक्षा की

जम्मू ,केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने जम्मू में जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की। इस बैठक में  जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा और भारत सरकार व जम्मू-कश्मीर प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे.

केंद्रीय गृह मंत्री ने सुरक्षा स्थिति में सुधार, 2018 में हुई 417 आतंकी घटनाएँ कम होकर 2021 में 229 होने और 2018 में शहीद हुए सुरक्षा बलों के जवानों की संख्या 91 से घटकर 2021 में 42 होने की सराहना की। श्री अमित शाह ने आतंकवादियों के खिलाफ सक्रिय अभियानों और उन्हें सुरक्षित पनाहगाह या वित्तीय सहायता से वंचित करने पर ज़ोर दिया। उन्होंने सुरक्षा बलों और पुलिस को प्रभावी आतंकवाद विरोधी अभियानों और जेलों से आतंकवादियों की निगरानी गतिविधियों के लिए वास्तविक समय आधारित समन्वय (Real Time Coordination) सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। गृह मंत्री ने नार्को आतंकवाद को रोकने के लिए जम्मू-कश्मीर में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) को और मजबूत करने का आदेश दिया।

श्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के शांतिपूर्ण और समृद्ध जम्मू-कश्मीर के सपने को साकार करने के लिए सीमा पार से ज़ीरो घुसपैठ सुनिश्चित करने और आतंकवाद को पूरी तरह से खत्म करने के लिए सुरक्षा ग्रिड को और मजबूत किया जाना चाहिए। (PIB)

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राष्ट्रपति ने होली की पूर्व संध्या पर देशवासियों को दी बधाई

नई दिल्ली ,17 मार्च (आरएनएस)। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने होली की पूर्व संध्या पर सभी देशवासियों को अपनी शुभकामनाएं दी हैं।
राष्ट्रपति ने अपने संदेश में कहा होली के शुभ अवसर पर, मैं देश और विदेश में रह रहे सभी भारतीयों को बधाई और शुभकामनाएं देता हूं।
वसंत ऋतु के आगमन का शुभ समाचार लेकर आने वाला रंगों का पर्व होली, हमारे जीवन में खुशियां और उमंग लेकर आता है। यह पर्व सामाजिक सद्भाव और मेल-मिलाप का जीवंत उदाहरण है। हर उम्र और हर वर्ग के बच्चे, युवा, पुरुष और महिलाएं पूरे उल्लास के साथ इस त्योहार को मनाते हैं।
मेरी कामना है कि रंगों का यह त्योहार सभी के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करे तथा राष्ट्र निर्माण की भावना को भी प्रबल बनाए।

उपराष्ट्रपति ने होली की पूर्व संध्या पर देशवासियों को दी बधाई

नई दिल्ली ,17 मार्च (आरएनएस)। उपराष्ट्रपति एम.वेंकैया नायडु ने होली के अवसर पर लोगों को बधाई दी है। उन्होंने अपने संदेश में कहा-
रंगों के त्योहार होली के शुभ अवसर पर मैं देशवासियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं।
देशभर में पारंपरिक हर्षोल्लास एवं उत्साह के साथ मनाया जाने वाला होली का त्योहार परिवार एवं मित्रों के साथ मिलने और जीवन की स्फूर्त एवं आनंदमयी उत्सव की भावना का आनंद लेने का अवसर है। होली की पूर्व-संध्या पर आयोजित किया जाने वाला ‘होलिका दहन’ बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
होली के इस पावन अवसर पर, आइए हम अपने समाज को एक सूत्र में पिरोकर रखने वाली मित्रता और मेल-जोल के बंधन को मजबूत करने का प्रयास करें।
मेरी कामना है कि यह त्योहार हमारे जीवन में शांति, सौहार्द, समृद्धि और खुशियां लेकर आए।

फिल्मकार सावन कुमार टाक ने किया ‘वेख्या शहर बंबई’ का विमोचन

फिल्म निर्माता गुरचरण सग्गू द्वारा लिखी गई किताब ‘वेख्या शहर बंबई’ का विमोचन बॉलीवुड के चर्चित फिल्म निर्माता- निर्देशक सावन कुमार टाक ने पिछले दिनों मुम्बई में किया। फिल्म जगत में अपनी पहचान बनाने की चाहत ले कर मुम्बई पहुँचने वाले नवोदित कलाकारों व फिल्म मेकरों को समर्पित यह 208 पन्नों की किताब पंजाबी में है। किताब के नाम का अर्थ ‘बॉम्बे सिटी देखा’ है। इस कार्यक्रम में टीना घई, प्रीति सप्रू, राजन लायलपुरी, गोपी भल्ला, अरुण बख्शी और विजय टंडन के अलावा बॉलीवुड के गणमान्य लोग उपस्थित थे।

विदित हो कि 90 के दशक में गुरचरण सग्गू इंग्लैंड से फिल्म प्रोड्यूस करने आए थे। उन्होंने सुनील घोष केे निर्देशन में जैकी श्रॉफ और नीलम को लेकर फिल्म ‘चौथी दुनिया’ का निर्माण कार्य शुरू किया परंतु पूरी फिल्म की शूटिंग कर लेने के बाद उन्हें नए सिरे से सुखवंत दद्दा के निर्देशन में दोबारा शूटिंग करनी पड़ी और फिल्म का टाइटल ‘अंतिम न्याय’ करना पड़ा। इसमें बड़ी रकम खर्च हुई थी। गुरचरण सग्गू को अपने दुस्साहस की कीमत चुकानी पड़ी। उनका घर बिक गया और उसका व्यवसाय भी बुरी तरह प्रभावित हुआ था।

अपने फिल्मी सफर में आये उतार चढ़ाव को इस किताब में उन्होंने विस्तार से वर्णन करते हुए ये बताने का प्रयास किया है कि कैसे उन्हें फिल्म उद्योग में विचलित किया गया। पंजाबी संस्करण के बाद यह किताब हिंदी और अंग्रेजी में भी प्रकाशित होने वाली है। यह किताब उन लोगों के लिए प्रकाशस्तंभ का काम करेगी जो फिल्म उद्योग में आना चाहते हैं।
प्रस्तुति : काली दास पाण्डेय

कांग्रेस के लिए किसी गांव तक में नहीं गए कपिल सिब्बल

नई दिल्ली ,17 मार्च (आरएनएस)। उत्तर प्रदेश, पंजाब समेत 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों में करारी हार झेलने वाली कांग्रेस में अब आतंरिक कलह मची है। कांग्रेस के सीनियर नेता कपिल सिब्बल ने इस हार के लिए गांधी परिवार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा था कि उन्हें किसी और नेता को कमान देनी चाहिए। यही नहीं राहुल गांधी पर सीधा अटैक करते हुए कपिल सिब्बल ने कहा था कि वह पार्टी के अध्यक्ष नहीं हैं, लेकिन अब भी सारे फैसले वही लेते हैं। कपिल सिब्बल ने कहा था कि अब वक्त आ गया है कि कांग्रेस में आमूलचूल परिवर्तन किया जाना चाहिए।

हालांकि उनकी सलाह पार्टी के कई नेताओं को नागवार गुजरी है। पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खडग़े ने कपिल सिब्बल पर पलटवार करते हुए कहा है कि वह एक अच्छे नेता नहीं रहे हैं। खडग़े ने कहा कि कपिल सिब्बल एक अच्छे वकील हो सकते हैं, लेकिन कांग्रेस पार्टी के लिए बढिय़ा नेता नहीं हैं। मल्लिकार्जुन खडग़े ने सिब्बल पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, वह कभी कांग्रेस के काम के लिए किसी गांव तक नहीं गए। वह जानबूझकर पार्टी को कमजोर करने का काम कर रहे हैं।

कोई भी सोनिया गांधी और कांग्रेस को कमजोर नहीं कर सकता है।

5 राज्यों में करारी हार के बाद से कांग्रेस में हलचल मची है। अब सोनिया गांधी ने पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू समेत 5 राज्यों के नेताओं से इस्तीफे मांग लिए हैं। नवजोत सिंह सिद्धू तो पद से इस्तीफा भी दे चुके हैं। कांग्रेस ने रविवार को कार्यसमिति की बैठक भी बुलाई थी, जिसमें उन्होंने राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और अपने इस्तीफे की पेशकश की थी, जिसे सदस्यों ने खारिज कर दिया। कांग्रेस में अगस्त महीने में संगठन के चुनाव होने वाले हैं। माना जा रहा है कि उस दौरान कुछ और बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।

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गोवा में कांग्रेस की स्थिति समझेंगी रजनी पाटिल

अध्यक्ष पद समेत कई चुनौतियों से होगा सामना

पणजी ,17 मार्च (आरएनएस)। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने चुनाव के बाद की स्थिति की समीक्षा और संगठन में बदलाव के सुझाव के लिए 5 नेताओं को नियुक्त किया है। इनमें राज्यसभा सांसद रजनी पाटिल का नाम भी शामिल है। पार्टी नेतृत्व के लिए गोवा के सियासी हाल की जानकारी जुटाने निकलीं पाटिल के लिए समय व्यस्त रहने वाला है। क्योंकि इस दौरान वे गोवा में पार्टी को हार के दौर से उबारने की कोशिश करेंगी। खास बात है कि पार्टी को गोवा में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद थी, लेकिन नतीजों में निराशा हाथ लगी। इसके अलावा गिरीश चूड़ांकर की तरफ से इस्तीफे की घोषणा के बाद राज्य में पार्टी लीडरशिप को लेकर भी चर्चाएं तेज हो रही हैं। नेताओं के पार्टी बदलने और सरकार के खिलाफ नाराजगी के बीच कांग्रेस 11 सीटें ही हासिल कर सकी। हालांकि, इससे पहले भी साल 2012 में ऐसा दौर आया था, जब पार्टी को 9 सीटें ही मिल सकी थी। 2022 चुनाव में कांग्रेस के सहयोगी दल गोवा फॉरवर्ड पार्टी ने 3 सीटों पर चुनाव लड़ा और एक जीतने में सफलता हासिल की।
राज्य में पार्टी की हार के बाद ही गोवा कांग्रेस के अध्यक्ष गिरीश चूड़ांकर ने भी पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया है। साल 2018 में पार्टी तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की तरफ से प्रदेश इकाई के प्रमुख बनाए गए चूड़ांकर के कार्यकाल में कांग्रेस को कई चुनावों में हार का सामना करना पड़ा। इनमें 2019 के उपचुनाव शामिल है, जहां पार्टी को एक ही सीट मिल सकी थी। यहां भी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लडऩे वाले एटेनाजियो मॉन्जरेट भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे। यहां तक कि चूड़ांकर ने भी पणजी उपचुनाव और उत्तर गोवा सीट से लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमाई, लेकिन दोनों बार उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा।
चूड़ांकर को पार्टी की कमान ऐसे समय पर दी गई थी, जब कांग्रेस राहुल गांधी के साथ नेतृत्व स्तर के पदों के लिए युवा चेहरों के लिए उत्साहित थी। लेकिन दल बदल और नेतृत्व पर भरोसे की कमी से जूझ रही पार्टी को एकजुट करने में चूड़ांकर असफल रहे। हालांकि, इससे पहले भी वे पद से इस्तीफा देने की पेशकश कर चुके हैं, लेकिन पार्टी ने उन्हीं के साथ बने रहने का फैसला किया।
कौन संभाल सकता है पद?
फिलहाल, यह साफ नहीं है कि चूड़ांकर की जगह कौन लेगा। स्थिति देखी जाए, तो पार्टी के पास पद के लिए ज्यादा विकल्प भी मौजूद नहीं हैं। वरिष्ठ नेताओं में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष और वर्तमान में कार्यकारी अध्यक्ष एलेक्सियो सीक्वेरा का नाम है। वहीं, युवा चेहरे को देखें, तो गोवा प्रदेश युवा अध्यक्ष संकल्प अमोनकर का नाम सामने आता है। भाजपा के मिलिंद नाइक को हराकर अमोनकर इस महीने पहली बार चुने गए हैं। दोनों में से खासतौर से कोई ऐसा विकल्प नहीं है, जो कांग्रेस को दोबारा तैयार कर सकेगा।
गोपनीयता की शर्त पर एक कांग्रेस नेता बताते हैं, अमोनकर कांग्रेस के बारे में जानते हैं और पार्टी के संगठन से परिचित हैं। विधायक होने के चलते शीर्ष पद के लिए उनका दावा भी मजबूत हुआ है। जबकि, चुनाव में बार-बार असफल होने के चलते चूड़ांकर में यह कमी थी।
कई सीटों पर नजदीकी हार के बाद कांग्रेस में एक रणनीतिकार की कमी पर सभी का ध्यान गया है। इनमें से कई सीटों पर अगर कांग्रेस समान सोच वाले प्रतिद्विंदियों को चुनाव से हटाने में सफल हो जाती है, तो यह जीत में बदल सकती थीं। कम से कम तीन सीटों (नावेलिम, वेलिम और दाबोलिम) में पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के वोटों से हार गई। पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र की सरकार में दोनों पार्टियां गठबंधन का हिस्सा हैं।
उम्मीदवारों के नाम तय करने में देरी के चलते भी कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा है। वहीं, कई सीटों पर कमजोर उम्मीदवार उतारने के फैसले ने भी अन्य सीटों पर असर डाला। पार्टी को सत्ता में आने के लिए बची हुई सीटों पर 100 फीसदी स्ट्राइक रेट की जरूरत पड़ी।
इसके अलावा आम आदमी पार्टी और रिवॉल्युशनरी गोअन्स जैसी पार्टियों के चलते कांग्रेस को वोट शेयर के मामले में भी नुकसान हु आहै। हालांकि, केवल एक विधायक (दिगंबर कामत) के साथ मैदान उतरी कांग्रेस का आंकड़ा 11 पर पहुंच गया है। वहीं, पहले 27 सीटों पर जीतने वाली भाजपा 20 सीटों पर आ गई है। साथ ही पार्टी ने भाजपा के दोनों मुख्यमंत्रियों की हार को भी सुनिश्चित किया।
इधर, कांग्रेस ने उत्तरी गोवा की बरदेज तालुका में भाजपा को हाथों गंवाई सियासी जमीन को भी दोबारा हासिल कर लिया। मुख्य रूप से इसका श्रेय भाजपा सरकार के पूर्व मंत्री रहे माइकल लोबो को जाता है, जो कांग्रेस में शामिल हो गए। पार्टी ने उनके सहारे 7 में से चार सीटें जीती और 5वीं सीट पर मुकाबला नजदीकी रहा। इस प्रदर्शन के साथ ही लोबो राज्य में कामत के बाद दूसरे सबसे अहम नेता बन गए हैं। अब सवाल है कि क्या कांग्रेस नेतृत्व बड़े पद को लेकर उनपर भरोसा करेगा?

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ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी को ईडी का समन

कोयला घोटाले में पूछताछ के लिए बुलाया

कोलकाता ,17 मार्च (आरएनएस)। प्रवर्तन निदेशालय ने तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी रुजीरा बनर्जी को समन भेजा है। इन दोनों से कोयला घोटाले के सिलसिले में अगले हफ्ते पूछताछ होगी। ईडी ने अभिषेक को 21 मार्च और उनकी पत्नी को 22 मार्च को जांचकर्ताओं के सामने पेश होने को कहा है। अभिषेक को ईडी ने पहले भी इस मामले में तलब किया था और वह दिल्ली में जांच अधिकारियों के सामने पेश हुए थे।
पिछले साल 21 फरवरी को, सीबीआई की एक टीम ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक के आवास का दौरा किया था। ईडी ने कोयला घोटाले में कथित संबंध को लेकर अभिषेक की पत्नी और उनकी भाभी मेनका गंभीर को तलब किया था। रुजिरा से पूछताछ के बाद सीबीआई के अधिकारियों ने कहा कि वे उसके जवाब से संतुष्ट नहीं हैं।

अभिषेक-रुजीरा को दिल्ली हाई कोर्ट से लगा था झटका

कुछ दिन पहले ही अभिषेक और रुजीरा को दिल्ली हाई कोर्ट से उस वक्त तगड़ा झटका लगा था, जब अदालत ने इस मामले में जारी समन को रद्द करने की मांग नहीं मानी थी। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 48 जांच एजेंसी को आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के मामले में क्षेत्रीय रूप से प्रतिबंधित नहीं करती है। कोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी अपने अधिकार क्षेत्र के प्रयोग के संदर्भ में पुलिस अधिकारियों पर लगाए गए क्षेत्रीय सीमाओं की ओर इशारा करता है।
ईडी ने पीएमएलए के प्रावधानों के तहत सीबीआई की ओर से दर्ज नवंबर 2020 की प्राथमिकी के आधार पर मामला दर्ज किया है। इसमें आसनसोल और उसके आसपास राज्य के कुनुस्तोरिया और कजोरा इलाकों में ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की खदानों से संबंधित करोड़ों रुपये का कोयला चोरी का आरोप लगाया गया था। स्थानीय कोयला संचालक अनूप मांझी उर्फ लाला को इस मामले में मुख्य संदिग्ध बताया जा रहा है। ईडी ने दावा किया था कि टीएमसी सांसद इस अवैध कारोबार से प्राप्त धन के लाभार्थी हैं। हालांकि सांसद ने सभी आरोपों से इनकार किया है।

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बालीगंज उपचुनाव में सायरा हलीम मैदान में

 सीपीआई ने बनाया उम्मीदवार

कोलकाता ,17 मार्च (आरएनएस)। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) ने बालीगंज उपचुनाव में अभिनेता नसीरुद्दीन शाह की भतीजी सायरा हलीम को उम्मीदवार बनाया है। वाम दल ने यह घोषणा की। उनका सामना तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार और पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो से होगा। सायरा राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर और नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शनों में शामिल रही हैं। बालीगंज विधानसभा सीट पर 12 अप्रैल को चुनाव होने हैं।
सायरा और सुप्रियो के चुनावी मैदान में उतरने के साथ ही बालीगंज का मुकाबला हाईप्रोफाइल हो गया है। हालांकि, भारतीय जनता पार्टी ने दोपहर तक उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं किया था। मंत्री और दिग्गज नेता रहे सुब्रत मुखर्जी के निधन के बाद दक्षिण कोलकाता की यह सीट खाली हो गई थी। 2021 विधानसभा चुनाव में टीएमसी ने राज्य में 294 सीटों पर जीत दर्ज की थी। जबकि, भाजपा के खाते में 77 सीटें आई थी।
सायरा ने परिवार की पहचान को आकस्मिक बताया। उन्होंने कहा, मुझे अपने पिता और अंकल पर गर्व है, लेकिन परिवार की पहचान मेरे लिए केवल आकस्मिक है। मैंने हमेशा लोगों के लिए काम किया, सीएए और एनआरसी के खिलाफ आंदोलन में हिस्सा लिया और रक्तदान और डायलिसिस कैंप चलाने में पति की मदद की। बालीगंज क्षेत्र में लोग जानते हैं कि मैं अपनी विचारधारा नहीं बदलूंगी।
सेना के उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल जमीर उद्दीन शाह की बेटी सायरा के पति डॉक्टर फुआद हलीम भी सीपीआई (एम) के नेता हैं। वे गरीबों के लिए हेल्थ कैंप्स और कम खर्च में डायलिसिस क्लीनिक चलाने के लिए जाने जाते हैं। वे विधानसभा के पूर्व स्पीकर हसीम अब्दुल हलीम के बेटे हैं।
सायरा कहती हैं, पिछले विधानसभा चुनाव में मैंने पति के लिए प्रचार किया था, लेकिन चुनावी राजनीति के साथ मेरा परिचय यह हुआ है। मैं नर्वस और साथ ही उत्साहित हूं, क्योंकि इसमें कई बड़े नाम शामिल हैं। मेरे पास केवल अच्छी इच्छा शक्ति है। मैं उम्मीद करती हूं कि बालीगंज सही फैसला करेगा। क्षेत्र में लोगों ने मुझे सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में देखा है।
राज्य में केवल बालीगंज ही नहीं आसनसोल लोकसभा सीट भी हाई प्रोफाइल बन गई है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने भाजपा सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे और अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा को यहां से उतारा है। भाजपा के लिए दो बार सीट जीतने वाले सुप्रियो के पार्टी छोडऩे के बाद यह जगह खाली हो गई थी। इसके अलावा सीपीआई(एम) ने पार्थ मुखर्जी को आसनसोल इंडस्ट्रियल बेल्ट से उम्मीदवार बनाया है।

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पंजाब में करारी हार के बाद अकाली दल में दो फाड़

डीएसजीएमसी चीफ ने किया अलग पार्टी बनाने का ऐलान

चंडीगढ़ ,17 मार्च (आरएनएस)। पंजाब में करारी हार के बाद शिरोमणि अकाली दल में पार्टी के सीनियर नेता और दिल्ली सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमिटी के अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका ने एक अलग अकाली दल बनाने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने कहा कि 26 अन्य सदस्यों के साथ यह फैसला किया गया है। पार्टी ने 47 में से 27 सदस्यों के साथ डीएसजीएमसी का चुनाव जीता था।
कालका के इस ऐलान के बाद एसएडी ने एक बैठक बुलाई और उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया। इसके अलावा पार्टी की दिल्ली यूनिट का विलय करवा दिया गया है। अकाली दल के उपाध्यक्ष प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने कहा कि तब तक पूर्व अध्यक्ष अवतार सिंह इस यूनिट की कमान संभालेंगे।
पंजाब में बठिंडा शहर से अकाली दल के उम्मीदवार और पूर्व विधायक सरूप सिंह सिंहला ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने बादल परिवार पर आरोप लगाया कि उन्होंने अपने चचेरे भाई और कांग्रेस नेता मनप्रीत सिंह बादल का सहयोग किया इसलिए वह चुनाव हार गए। यहां आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी ने चुनाव जीता है।
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी के दो अकाली नेता भी पार्टी में विद्रोह कर चुके हैं। बलदेव सिंह चुंगा और किरनजोत कौर ने बादल परिवार का विरोध किया। उन्होंने आरोप लगाया कि बादल परिवार की गलत नीतियों की वजह से अकाली दल का यह हाल हुआ है। बादल परिवार सिख पंथ को छोड़कर डेरा की शरण में पहुंच गया।

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होली के बाद लोजद का राजद में विलय करेंगे शरद यादव

पटना ,17 मार्च (आरएनएस)। पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव ने अपनी पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल को लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के विलय करने का ऐलान किया है।  यादव ने कहा है कि 20 मार्च को उनकी पार्टी का आरजेडी में विलय हो जाएगा।  यादव के मुताबिक जनता परिवार को मजबूत करने की कोशिश के तहत वो ये कदम उठा रहे हैं।

कहा जा रहा है कि खराब सेहत की वजह से भी शरद यादव अपनी पार्टी का विलय करना चाहते हैं। नीतीश कुमार से अलग होने के बाद से लोकतांत्रिक जनता दल कभी अपना प्रभाव नहीं दिखा सकी। राष्ट्रीय जनता दल में लोकतांत्रिक जनता दल के विलय को शरद यादव और लालू यादव के राजनीतिक करियर के विराम के तौर पर भी देखा जा रहा है।

गौरतलब है कि चारा घोटाले में नाम आने के बाद लालू यादव 1997 में जनता दल से बाहर निकल गए थे और खुद की पार्टी बनाई थी। इसके पीछे कारण ये था कि चारा घोटाले को लेकर पार्टी के भीतर ही लालू यादव पर सवाल उठने लगे थे क्योंकि वो इस घोटाले के मुख्य आरोपी थे। शरद यादव को उस वक्त लालू यादव का विरोधी समझा जाता था। 2005 में शरद यादव ने बिहार में लालू यादव के 15 साल के शासन को खत्म करने के लिए नीतीश कुमार का साथ भी दिया.

शरद यादव ने अपनी पार्टी के विलय के सवाल पर कहा कि जनतांत्रिक जनता पार्टा की विलय जनता परिवार को साथ लाने की उनकी कोशिश का नतीजा है। आज देश के राजनीतिक हालात को देखते हुए ऐसा करना जरूरी हो गया था शरद यादव ने ये भी कहा कि बीजेपी सरकार पूरी तरह फेल हो चुकी है और देश की जनता मजबूत विपक्ष की तलाश में है।

शरद याव ने कहा कि 1989 में अकेले 143 सांसद जनता दल के थे. बाद में धीरे-धीरे पार्टी सामाजिक न्याय के एजेंडे को भूलती चली गई। आज समय है कि उसे फिर से जिंदा किया जाए. शरद यादव की बेटी ने 2020 में आरजेडी की टिकट पर बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ा था लेकिन वो हार गई थीं।

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लोकगीतों में खूब जमता है होली का रंग

डा0 श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट –  देश के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग तरीकों से होली मनाई जाती है। मध्य प्रदेश के मालवा अंचल में होली के पांचवें दिन रंगपंचमी मनाई जाती है।यह मुख्य होली से भी अधिक जोर-शोर से मनाई जाती है।ब्रज की होली पूरे भारत में मशहूर है। बरसाना की लट्ठमार होली देखने के लिए देश विदेश से लोग आते हैं। हरियाणा में भाभी द्वारा देवर को सताने की परंपरा है। महाराष्ट्र में रंग पंचमी के दिन सूखे गुलाल से खेलने की परंपरा है।दक्षिण गुजरात के आदि-वासियों के लिए होली एक खास पर्व है। छत्तीसगढ़ में होली पर लोक-गीतों का प्रचलन है।
विभिन्न रंगो का पर्व होली एक ऐसा सामाजिक त्यौहार है जिसे सभी मिलकर हर्षोल्लास के साथ मनाते है। फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होली का मुख्य पर्व मनाया जाता है। भद्रा रहित लग्न में सायंकाल के बाद होलिका दहन करने की होली पर परम्परा है। इससे पूर्व दिन भर होलिका का पूजन किया जाता है तथा घर की बालिकाओं द्वारा गोबर से बनाये गए बडकल्ले भी होलिका पर चढाये जाते है।होलिका दहन
के बाद होलिका की राख ठन्डी होने पर उसे भस्म रूप में शरीर पर लगाने की भी परम्परा है। ताकि मन और शरीर वर्षभर स्वस्थ्य रह सके। वैदिक काल में होली पर्व को नवान्नेष्टि यज्ञ कहा जाता था। खेत में पैदा हुए अधपके अन्न को यज्ञ में आहुत किया जाता था और यज्ञ में पके अन्न को होला कहा जाता था। इसी कारण इस पर्व का नाम होला से होली पडा है। एक अन्य मान्यता के अनुसार
होली अग्नि देव की पूजा का माध्यम भी है। चूंकि इस दिन मनु
महाराज का जन्म हुआ था इस कारण इस पर्व को मन्वादितिथि भी कहा जाता है। इस पर्व का एक उददेश्य काम दहन से भी है। कहा जाता है कि भगवान शंकर ने अपनी क्रोधाग्नि से कामदेव को
भस्म कर दिया था, तभी से इस पर्व की शुरूआत होना बताई गई
है।प्रकृति जब अपना आवरण बदलने लगे ,मौसम में बासंती ब्यार बहने लगे और लोगो में मस्ती का भाव जगने लगे तो समझो फाल्गुन आ
गया और होली लोगो के दिलो पर दस्तक देकर उन्हे अपने रगं में रगंने लगती है। प्रकृति का यही उल्लास लोगो के मन में एक
नई उमंग,एक नई खुशी, एक नई स्फूर्ति को जन्म देकर उनके
मन को आल्हादित करती है। प्रकृति की इस अनूठी छटा व मादकता के उत्सव को होलिकोत्सव के रूप में मनाए जाने की परम्परा सदियों
से चली आ रही है। जिस पर हम सब रंगो से सराबोर हो जाते है।
होली के इस पर्व को यौवनोत्सव,मदनोत्सव,बसंतोत्सव दोलयात्रा व शिमागा के रूप में मनाये जाने की परम्परा है।लेकिन इस पर्व की
वास्तविक शुरूआत प्रकृति परिवर्तन से ही होती है। प्रकृति अपना आवरण बदलती है। पेड पोधे अपने पुराने पत्तो को त्यागकर पेड का तना
अपने बक्कल को छोडकर नये पत्तो व नये स्वरूप में परिवर्तित होते है। इसी प्रकार मनुष्य के शरीर की खाल तक धीरे धीरे बदल जाती है।
पांच तत्वों से बना हमारा शरीर भी चूंकि प्रकृति का अंग है
इसकारण वह भी मन और शरीर दोनो तरह से अपने आपमें परिवर्तन का अनुभव करता है। यही अनुभव हम होली के रूप में तहसूस करते है।
धार्मिक पुस्तको व शास्त्रों में होली को लेकर विभिन्न दन्त
कथायें प्रचलित है। इन कथाओं के अनुसार नारद पुराण में यह
पर्व हिरण्यकश्यप की बहन होलिका के अन्त व भक्त प्रहलाद की ईश्वर के प्रति आस्था के प्रति विजय का प्रतीक है। प्रचलित कथा के अनुसार हिरण्य कश्यपको जब उनके पुत्र प्रहलाद ने भगवान मानने से इंकार कर
दिया तो अहंकारी शासक हिरण्य कश्यप ने अपने पुत्र प्रहलाद की हत्या के लिए उसे आग में न जलने का वरदान प्राप्त होलिका की गोद में जलती
चिता में बैठा दिया किन्तु होलिका का आग में न जलने का वरदान
काम नही आया और वह आग में जलकर भस्म हो गई। जबकि प्रहलाद सकुशल बच गया। तभी से होलिकोत्सव पर होली दहन की परम्परा की शुरूआत हुई।
होली पर्व पर गाये जाने वाले होली से जुडे लोकगीतो की
अनूठी परम्परा है। मै कैसे खेलू होली सांवरियां के संगए कोरे
कोरे कलस भराये उनमें धोला रंग।जैसे लोक गीत का गायन कर महिलाएं झूम झूम कर होली पर नृत्य भी करती है। होली के
लोकगीतो में
ब्रज में हरि होरी मचाईए
इतते निकली सुधर राधिका
उतते कुंवर कन्हाईखेलत फाग परस्पर हिलमिलए
शोभा वरनी न जाई।
जहां लोकप्रिय हैए वही होली आई रे कन्हाई ब्रज के रसिया
एहोली आई रे भी जोर सोर से गाया जाता है।
चाहे शहर हो या गांव हर गली मोहल्ले में पुरातन परम्परा
से जुडी महिलायें पूर्णिमा की चांदनी में एकत्र होकर होली के
गीत गाती है और होली नृत्य करती है। इन होली लोकगीतो
में ,होली खेलो जी राधे सम्भाल के।जमना तट श्याम खेले
होरी जमना तट ।होरी खेलन आयों श्यामएआज याको रंग में
बोरो सखी वृन्दावन के बीच आज ढफ बाजे है।
।फागुन आयों रे ऐ ली फागण आयों रे ,मेरी भीजे
रेशम चुनरी रे,मै कैसे खेलूं होरी रे।होरी खेल रहे नन्द
लाल मथुरा की कुंज गलिन मे।एआज बिरज की होरी रे रसिया
होरी तो होरी बरजोरी रे रसिया उडत अबीर गुलाल कुमकुम केसर की
पिचकारी रे रसिया। आदि शामिल है।
होली के पर्व को मुगल शासक भी शान से मनाया करते थे।
मुगल बादशाह अकबर अपनी महारानी जोधाबाई के साथ जमकर होली खेलते थे। बादशाह जहांगीर ने भी अपनी पत्नी नूरजहां के साथ रंगो की होली खेली। इसी तरह बादशाह औरंगजेब उनके
पुत्र शाह आलम और पोत्र जहांदर शाह ने भी होली का त्योहार रंगो के साथ मस्ती के आलम में मनाया जिसका उल्लेख इतिहास में पढने को मिलता है। जिससे स्पष्ट है कि हिन्दू ही नही मुस्लमान भी होली का पर्व मनाते रहे है। पिरान कलियर के वार्षिक उर्स में
पाकिस्तान से आने वाले जायरीन हर साल फूलो की होली खेलते है
जिसमें हिन्दू और मुस्लमान दोनो शामिल होते है। राजस्थानी की होली रेगिस्तान की पहचान राजस्थान में सांभर की होली का अपना महत्व है। सांभर की होलीमनाने के लिए आदिवासी समाज की लडकियां वस्त्रो की जगह अपने शरीर को टेसू की फूल मालाओं से
ढककर अपने प्रेमियों के साथ नदी किनारे जाकर सर्प नृत्य करती है।
इस सर्प नृत्य के बाद इन लडकियो की शादी उनके प्रेमियों के साथ कर दी जाती है।
होली जिसमें देवर भाभी व जीजा शाली एक दुसरे को कोडे मार
कर होली के रगं में रंग जाते है। इसी राजस्थान में होली पर
अकबर बीरबल की शोभा यात्रा निकालकर होली का रगं व गुलाल
खेला जाता है। राजस्थान के बाडमेंर में तो होली की मस्ती
के लिए जीवित व्यक्तियों की शवयात्रा बैण्डबाजे के साथ निकालने की
परम्परा है। वही राजस्थान के जालोर क्षेत्र में होली पर लूर नृत्य
किया जाता है तो झालावाड क्षेत्र में गधे पर बैठकर होली की
मस्ती में झूमने की परम्परा है। बीहड क्षेत्र में तो पुरूष धाधरा
चोली पहन कर ढोल नंगाडे बजाते हुए होली का नृत्य करते है
तथा होली का गायन करते है। मथुरा की लठठमार होली बीकानेर
की डोलचीमार होली की कहानी भी गजब है।
मथुरा की लठठमार होली
लठठमार होली मथुरा के बरसाने में खेली जाती है।
जिसमें महिलाए पुरूषो पर लठठ से प्रहार करती है और पुरूष ढाल का
उपयोग कर अपना बचाव करते है।इस लठठमार होली को देखने के
लिए देश विदेश से बडी सख्ंया में श्रद्धालु मथुरा आते है। भले
ही इस होली को लठठमार होली के रूप में मनाया जाता हो परन्तु
किसी के भी मन में होली खेलते समय कोई बैर भाव नही
होता सभी प्यार और माहब्बत को नया जन्म देने के लिए यह होली
खेलते है।
होली यानि पवित्र होने का दिन
यूं तो होली रंगों का त्यौहार है ताकि जीवन रंग बिरगां रहे
और कोई भी दुख दर्द पास न आने पाये लेकिन साथ ही यह पर्व
पांच विकारों को त्यागने का भी एक बडा अवसर है। होली शब्द
का अर्थ यदि हम अंग्रेजी के में देखे तो पवित्र होता है जिसका मायने है कि हमें होली पर पवित्र बनने का सकल्ंप लेना चाहिए। जिसके लिए जरूरी है काम,क्रोध,मोह लोभ और अहंकार से मुक्त हो
जाना। तभी हमारा जीवन देवतूल्य बन सकता है और होली पर्व की सार्थकता हो सकती है। लेकिन कुछ लोग होली पर नशा करते है। एक दुसरे पर कीचड उछालते है और होली के रंग को बदरंग बना देते है। जो कि पूरी तरह से गलत है। होली का सही मायने है।
आपसी भाई चारा बढाना और जो भी बैर भाव किसी के प्रति है
उसे हमेशा हमेशा के लिए समाप्त कर देना। तभी होली का असली
रसानन्द प्राप्त किया जा सकता है। होली का रंग
चढऩे लगा है
हर कोई मदमस्त
होने लगा है
प्रकृति भी खिली खिली
दिखने लगी
मौसम मे गर्माहट सी
होने लगी
पर होली पर हुड़दंग
ठीक नही है
होली पर बदरंगता
ठीक नही है
होली पर होली
रहना जरूरी है
बुराईयों से मुक्ति
पाना जरूरी है
जो भी विकार बचे है
जला दो होली मे
आत्मा का परमात्मा से
योग लगा लो होली में।

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टाइगर श्रॉफ की हीरोपंती 2 का नया पोस्टर जारी

टाइगर श्रॉफ अभिनीत फिल्म हीरोपंती 2 के निर्माताओं ने फिल्म का एक नया पोस्टर जारी किया। यह फिल्म 2014 की रोमांटिक एक्शन फिल्म का सीक्वल है जिसमें टाइगर को कृति सनोन के साथ उनकी पहली भूमिका में देखा गया था।पोस्टर में टाइगर श्रॉफ के बबलू के किरदार को बंदूकों के साथ दिखाया गया है। उनका चरित्र ऐसी मुश्किल स्थिति में भी शांत और रचित लगता है।इस फिल्म का निर्देशन अहमद खान ने किया है। साजिद नाडियाडवाला ने फिल्म को पड्र्यूस किया है, जो इससे पहले टाइगर के साथ बागी 2 और बागी 3 जैसी हिट फिल्में दे चुके हैं। इस बार ब्लॉकबस्टर के सीक्वल को बड़े बजट में बनाया गया है और टाइगर ने इसमें बहुत सारे एक्शन सीन किए हैं।इस फिल्म को रजत अरोड़ा ने लिखा है। फिल्म में ग्रैमी पुरस्कार विजेता संगीतकार ए.आर. रहमान का संगीत है और यह 29 अप्रैल को ईद के अवसर पर सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है। (एजेंसी)

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अपहरण 2 में पहली बार एक बदमाश महिला की भूमिका निभाई

अभिनेत्री सुखमनी सदाना ने वेब सीरीज अपहरण 2 में अपने किरदार के बारे में खुलकर बात की है, जिसमें उन्होंने नफीसा नाम की एक मजबूत भूमिका निभाई है।अपने किरदार के बारे में बात करते हुए सुखमनी कहती हैं, मैं अपहरण 2 में नफीसा की भूमिका निभा रही हूं। यह पहली बार है जब मैंने एक बदमाश महिला की भूमिका निभाई है।

नफीसा वह है जिससे हर कोई डरता है, वह सुपर हार्डकोर, मजबूत, सख्त और बहुत खतरनाक है। लेकिन सबसे अच्छी बात यह भी नहीं है।सुखमनी सेक्रेड गेम्स और तांडव में अपनी भूमिकाओं के लिए जानी जाती हैं। वह लाइव कार्यक्रमों की मेजबानी के अलावा टेलीविजन पर कई यात्रा शो का भी हिस्सा रही हैं।अभिनेत्री का कहना है कि वेब सीरीज को और दिलचस्प बनाने में उनका किरदार अहम भूमिका निभाता है।अपहरण के सबसे रोमांचक हिस्सों में से एक है जब नफीसा एक ट्विस्ट और एक सरप्राइज एलिमेंट लेकर आती है।

अधिक जानने के लिए आपको शो देखना होगा, वह आगे कहती हैं।अपहरण 2 में निधि सिंह, वरुण बडोला, जीतेंद्र और स्नेहिल मेहरा भी हैं। संतोष सिंह द्वारा निर्देशित अपहरण 2 का प्रीमियर 18 मार्च को वूट सेलेक्ट पर होगा। (एजेंसी)

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द कश्मीर फाइल्स ने एक ही दिन में कमाए 15 करोड़

निर्देशक विवेक अग्निहोत्री की हाल ही में रिलीज हुई फिल्म द कश्मीर फाइल्स बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त कमाई करती दिख रही है। फिल्म ट्रेड एनालिस्ट तरण आदर्श ने कहा, फिल्म, (जिसने अपने शुरूआती दिन में 3.55 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया) ने अपने पहले सोमवार को 15 करोड़ रुपये की कमाई की, जिसने आलिया भट्ट की हालिया रिलीज गंगूबाई काठियावाड़ी के दिन के चार दिन के कलेक्शनों को पीछे छोड़ दिया।रिपोर्ट के अनुसार, जिस तरह का बिजनेस द कश्मीर फाइल्स एक छोटे बजट की फिल्म के लिए वास्तव में ऐतिहासिक है।

पिछली बार एक फिल्म ने इतना प्रभावशाली बिजनेस 1975 में जय संतोषी मां के साथ देखा था। फिल्म सोमवार और रविवार की तरह मंगलवार के अंत तक और 15 करोड़ रुपये कमाने के लिए तैयार है।फिल्म के कारोबार में भारी उछाल आया है और इसका अधिकांश हिस्सा स्क्रीन की बढ़ी हुई संख्या से हुआ है।सूत्रों ने आगे कहा, इसे 600 स्क्रीन्स पर रिलीज किया गया था। रविवार को गिनती बढ़कर 2,000 हो गई। अभी यह भारत में 2,500 स्क्रीन्स पर चल रही है।

जहां तक फिल्म के लाइफटाइम कलेक्शन का सवाल है, सूत्रो ने कहा कि 200-250 करोड़ रुपए के कलेक्शन से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।जहां तक बॉक्स ऑफिस पर फिल्म के चलने की बात है, तो इसका असर अक्षय कुमार-स्टारर बच्चन पांडे के कलेक्शन पर पड़ सकता है।सूत्रों ने आगे बताया, यदि द कश्मीर फाइल्स वर्तमान में जितनी स्क्रीनें हैं, उन्हें बनाए रखती है तो यह बच्चन पांडे के व्यवसाय को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है। (एजेंसी)

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सोनल चौहान पर फिर चढ़ा बोल्डनेस का खुमार

 शर्ट खिसकाते हुए कैमरे में हुईं कैद

फिल्म जन्नत से एक्टिंग में डेब्यू करने वाली सोनल चौहान को आज किसी पहचान की मोहताज नहीं है. उन्होंने इस फिल्म में इमरान हाशमी के साथ बोल्ड सीन देकर तहलका मचा दिया था। बेशक सोनल लंबे समय से बड़े पर्दे से दूर हैं, लेकिन इसके बावजूद वह सुर्खियों का हिस्सा बनी रहती हैं.सोनल अक्सर अपने लुक्स को लेकर चर्चा में रहती हैं।सोनल ने अपनी एक्टिंग से ज्यादा अपनी खूबसूरती और दिलकश अदाओं से लोगों को अपना दीवाना बनाया है. आज दुनिया में उनके लाखों चाहने वाले हैं, जो उनके हर लुक को देखने के लिए बेताब रहते हैं. सोनल अक्सर अपने लुक्स को लेकर चर्चा में रहती हैं। उनका यह फोटोशूट फैंस के बीच काफी छाया रहता है. एक बार फिर सोनम का ग्लैमरस अवतार देखने को मिला है.सोनल ने कुछ समय पहले अपने इंस्टाग्राम पेज पर एक ऐसी तस्वीर शेयर की है जिसे देखने के बाद लोगों के पसीने छूट गए हैं. इस फोटो में सोनल को नाव पर बैठे देखा जा सकता है। इस दौरान उन्होंने नियॉन कलर का ब्रालेट कैरी किया है। इसी के साथ सोनल ने ऊपर से सफेद रंग की शर्ट पहनी हुई है.हालांकि, बोल्डनेस दिखाने के लिए सोनल ने इस शर्ट को कंधे से थोड़ा हटकर शिफ्ट किया है। फैंस उनकी हॉटनेस को देखकर बेकाबू हो गए हैं. सोनल ने अपने लुक को पूरा करने के लिए लाइट मेकअप किया है। यहां उसने अपने ताले खुले रखे हैं।सोनल का ये अवतार देख लोगों के होश उड़ गए हैं. अब उनकी ये तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. यहां लोगों के लिए उनके स्टाइल से नजर हटाना मुश्किल हो गया है। अब सोनल के फैंस इस पर कमेंट करते हुए उनकी खूब तारीफ कर रहे हैं.गौरतलब है कि सोनल ने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत 2008 में आई फिल्म जन्नत से की थी। उसके बाद उन्हें कई फिल्मों में देखा गया। सोनल हिंदी सिनेमा के अलावा साउथ फिल्म इंडस्ट्री में भी काफी एक्टिव हैं। फिलहाल वह तेलुगु फिल्म एफ3: फन एंड फ्रस्ट्रेशन को लेकर चर्चा में बनी हुई हैं। यह फिल्म इसी साल रिलीज होने की उम्मीद है। (एजेंसी)

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मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को होली की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं दीं

* होली भारत की सनातन परम्परा का प्रमुख पर्व है : मुख्यमंत्री

लखनऊ,16 मार्च (आरएनएस)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने होली के अवसर पर प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं दी हैं।
अपने बधाई संदेश में मुख्यमंत्री ने कहा कि होली भारत की सनातन परम्परा का प्रमुख पर्व है। सामाजिक समता, सौहार्द व उल्लास का प्रतीक यह पर्व सम्पूर्ण समाज व प्रदेशवासियों के लिए मंगलमय हो। उन्होंने कहा कि पर्व व त्योहारों की लम्बी श्रृंखला, भारत की प्राचीन गौरवशाली परम्परा का उदाहरण है। सनातन परम्परा में पर्व व त्योहार हर्षोल्लास व राष्ट्रीयता को दृढ़ता प्रदान करने का प्रेरणास्पद क्षण भी है। समाज और राष्ट्र में परिवर्तन की महत्वपूर्ण घटनाओं को हमारी ऋषि परम्परा ने पर्व व त्योहारों के रूप में धार्मिक मान्यता देकर अगली पीढ़ी को प्रेरणा व प्रकाश का आधार प्रदान किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि होली का पर्व हमें अधर्म, असत्य व अन्याय जैसी नकारात्मक प्रवृत्तियों से लडऩे की प्रेरणा देता है। हमारे पर्व व त्योहारों में शोक और सन्ताप का कोई स्थान नहीं है, लेकिन हर्षोल्लास के प्रतीक इन पर्वों में जोश के साथ होश भी आवश्यक है। अपने पर्व व त्योहार की पवित्रता व मर्यादा हम सबको बनाये रखनी है। इस दृष्टि से कोई भी ऐसा कार्य न हो, जिससे पर्व व त्योहार की मर्यादा भंग होती हो।
मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को समरसता, सद्भाव व उल्लास के पर्व होली की अनन्त शुभकामनाएं देते हुए कहा कि होली के पर्व को सौहार्दपूर्ण व गरिमामय ढंग से मनाएं।
मुख्यमंत्री ने होली के अवसर पर आयोजित किए जाने वाले समस्त कार्यक्रमों में कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन किए जाने की अपील की है।

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वैश्विक स्तर से मिले सकारात्मक संकेतों के साथ ही घरेलू स्तर पर हुई चौतरफा लिवाली

मुंबई ,16 मार्च । वैश्विक स्तर से मिले सकारात्मक संकेतों के साथ ही घरेलू स्तर पर हुई चौतरफा लिवाली के बल पर आज शेयर बाजार में तूफानी तेजी दर्ज की गई. जिससे सेंसेक्स और निफ्टी में 1.85 प्रतिशत से अधिक की तेजी रही और इससे निवेशकों ने 4.56 लाख करोड़ रुपए से अधिक की कमाई की। बीएसई का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 1039.80 अंकों की बढ़त के साथ 56816.65 अंक पर और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 312.35 अंक उछलकर 16975.35 अंक पर रहा। इस दौरान छोटी और मझौली कंपनियों में भी लिवाली हुई जिससे बीएसई का मिडकैप 1.80 प्रतिशत बढ़कर 23572.74 अंक पर और स्मॉलकैप 1.47 प्रतिशत चढ़कर 27383.82 अंक पर रहा। इस तेजी से बीएसई का बाजार पूंजीकरण पिछले दिवस के 25166630.06 करोड़ रुपये की तुलना में 456878.40 करोड़ रुपये की बढ़त के साथ 25623508.46 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
इस तरह से निवेशकों ने 4.56 लाख करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की। बीएसई में शामिल सभी समूहों में तेजी रही जिसमें रियल्टी में सबसे अधिक 3.66 प्रतिशत और हेल्थकेयर में सबसे कम 0.72 प्रतिशत की तेजी रही। बीएसई में कुल 3534 कंपनियों में कारोबार हुआ जिसमें से 2265 हरे निशान में और 1168 लाल निशान में रही जबकि 101 में कोई बदलाव नहीं हुआ। वैश्विक स्तर पर लगभग सभी बड़े सूचकांक हरे निशान में रहे जिसमें हांगकांग का हैंगसेंग 9.08 प्रतिशत, चीन का शंघाई कंपोजिट 3.48 प्रतिशत, जर्मनी का डैक्स 3.26 प्रतिशत, जापान का निक्केई 1.64 प्रतिशत और ब्रिटेन का एफटीएसई 1.22 प्रतिशत शामिल है। (एजेंसी)

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मुंबई में दिल्ली कैपिटल्स टीम की बस पर हमला

बाहरी को कॉन्ट्रैक्ट देने पर हुआ बवाल

मुंबई ,16 मार्च।मुंबई में मंगलवार को दिल्ली कैपिटल्स की टीम बस पर हमला किया गया। आईपीएल सीजन 15 की शुरुआत 26 मार्च से होने जा रही है।  सभी टीमों की तैयारियां जोरो शोरों से चल रही है। इस बार सभी मैच मुंबई और पुणे में खेले जाएंगे। मुंबई के तीन स्टेडियम वानखेड़े, ब्रेबॉन और डीवाई पाटिल में खेले जाएंगे। इसके लिए सभी टीमें मुंबई में इकट्टा होने लगी हैं। इस सबके बीच खिलाडिय़ों की सुरक्षा में बड़ी चूक सामने आई है।
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के 5-6 कार्यकर्ताओं ने पार्किंग में खड़ी दिल्ली कैपिटल्स की बस पर हमला किया और तोडफ़ोड़ की। पुलिस न यहां पर इन सभी लोगों पर केस दर्ज कर लिया है।
पुलिस द्वारा आईपीसी की धारा 143, 147, 149 और 427 के तहत केस दर्ज किया गया है। गनीमत की बात यह है कि इस घटना में किसी को भी कोई चोट नहीं पहुंची है।
बस में तोडफ़ोड़ करने वाले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के कार्यकर्ता हैं, जो राज ठाकरे की पार्टी है। ताज होटल के पास खड़ी बसों में इन्होंने तोडफ़ोड़ की। आरोप है कि आईपीएल में टीमों ने बस का कॉन्ट्रैक्ट दिल्ली की कंपनी को दिया है, जबकि इनकी मांग है कि ये लोकल यानी महाराष्ट्र की कंपनी को देना चाहिए। (एजेंसी)

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