असम में इंटरनेट बंद कर ली जा रही सरकारी नौकरी की परीक्षा

गुवाहाटी ,28 अगस्त (आरएनएस/FJ)। असम सरकार ने अपने एक आदेश के माध्यम से बताया है कि रविवार को प्रदेश के 35 में से 26 जिलों में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं चार घंटे के लिए बंद कर दी गई हैं। इसका कारण यह बताया गया है कि इसके चलते प्रदेश सरकार बिना किसी गड़बड़ी के विभिन्न विभागों में नौकरियों के लिए लिखित परीक्षा आयोजित कर सकेगी। आठ दिनों में दूसरी बार ऐसा निर्णय लिया गया है।

पारदर्शी परीक्षा कराने के लिए लिया गया फैसला

दरअसल, असम के कई सरकारी विभागों में तृतीय श्रेणी के पदों की भर्ती के लिए रविवार को होने वाली लिखित परीक्षा को निष्पक्ष व पारदर्शी तरीके से कराने के लिए यह फैसला लिया गया है। इसी कड़ी में रविवार को कई जिलों में मोबाइल इंटरनेट सेवा करीब चार घंटे के लिए स्थगित रहेगी। यह जानकारी एक सरकारी आदेश में दी गई है।

प्रदेश भर में लाखों उपयोगकर्ता प्रभावित हुए

रिपोर्ट के मुताबिक सर्विस बंद करने का समय सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे और दोपहर 2 बजे से शाम 4 बजे तक निर्धारित था लेकिन रविवार को कुछ सेवा प्रदाताओं ने सुबह से ही सेवाओं को निलंबित कर दिया। बताया गया कि इसके चलते प्रदेश भर में लाखों उपयोगकर्ता प्रभावित हुए हैं। परीक्षा से पहले शनिवार को एक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि परीक्षा सुचारू रूप से हो।

मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति नहीं

सीएम ने पुलिस अधिकारियों को भी निर्देश दिए कि कोई ट्रैफिक जाम न हो जो उम्मीदवारों को समय पर केंद्रों तक पहुंचने से बाधित करे। असल में पहले ऐसे कई मामले सामने आए जब सरकारी नौकरियों की परीक्षाओं के दौरान प्रश्न पत्र लीक हो गए। इसलिए यह सुनिश्चित करने के लिए ऐसा कदम उठाया गया था कि ऐसी चीजें न हों। इसके अलावा उम्मीदवारों और पर्यवेक्षकों को परीक्षा केंद्रों के अंदर मोबाइल फोन और कोई अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण ले जाने की अनुमति नहीं है।

गुवाहाटी उच्च न्यायालय में रिट याचिका

बता दें कि परीक्षा के दौरान मोबाइल इंटरनेट सेवा स्थगित करने के फैसले के खिलाफ गुवाहाटी उच्च न्यायालय में रिट याचिका दाखिल की गई थी, लेकिन शुक्रवार को अदालत ने सरकार के इस फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति सुमन श्याम ने टिप्पणी की और कहा कि मोबाइल इंटरनेट बंद होने के कारण अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है।

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