जल शक्ति मंत्रालय की निष्क्रियता
नई दिल्ली, 08 जनवरी (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी)। जल शक्ति मंत्रालय की निष्क्रियता से केन्द्रीय जा आयोग के चार भ्रष्टाचारी अधिकारी छुट्टे घूम रहे है । 120 से अधिक सरकारी अधिकारियों की मेहनत की कमाई के लगभग ₹20 करोड़ हड़पने वाले इन अधिकारियों के कान पर जूं नहीं रेंग रहा ।
जल शक्ति मंत्रालय, गृह मंत्रालय, रेल मंत्रालय, डाक और तार मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, खुफिया ब्यूरो (आईबी), केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी), केंद्रीय मृदा और सामग्री अनुसंधान स्टेशन (सीएसएमआरएस), राष्ट्रीय जल अकादमी (एनडब्ल्यूए) और अन्य विभागों के 120 से अधिक सरकारी अधिकारी भूमि पूलिंग नीति से जुड़ी एक धोखाधड़ी योजना का शिकार हो गए हैं।
उनकी मेहनत की कमाई की ₹20 करोड़ से अधिक की राशि धोखाधड़ी करने वाले सलाहकार/भूमि डेवलपर श्री मुकेश कुमार के साथ मिलकर केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा हड़प ली गई, इनमें (1) श्री ए.के. खरया, मुख्य अभियंता; (2) श्री अभिषेक सिन्हा, निदेशक; (3) श्री विमल कुमार, निदेशक; और (4) श्री प्रदीप ठाकुर, निदेशक। इन मामलें में आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने आईपीसी की धारा 406, 420 और 120बी के तहत दर्ज एफआईआर संख्या 55/2020 के तहत सभी आरोपियों को विश्वासघात, धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक साजिश रचने का दोषी पाया। नतीजतन, उन पर आईपीसी की धारा 420/409/406/120बी के तहत आरोप-पत्र दायर किया गया, जिसमें आजीवन कारावास का प्रावधान है।
आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ आरोप एक जैसे थे, केवल सलाहकार/डेवलपर को अगस्त 2020 में गिरफ्तार किया गया और जेल में डाल दिया गया, जो जून 2024 तक जेल में रहा। हालांकि, आरोपी सीडब्ल्यूसी अधिकारियों ने गिरफ्तारी और अनुशासनात्मक कार्रवाई से बचने के लिए सीडब्ल्यूसी स्तर और जल शक्ति मंत्रालय में कैडर-नियंत्रण प्राधिकरण दोनों पर अपने प्रभाव का लाभ उठाया।
मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (सीएमएम) कोर्ट, द्वारका ने 14 अगस्त 2024 के अपने आदेश में कहा कि प्रतिष्ठित अधिकारी कल्याण सोसायटी (ईओडब्ल्यूएस) के पास आवासीय सोसायटी के विकास के लिए धन एकत्र करने का अधिकार नहीं था, क्योंकि उन्होंने डीडीए/रेरा से आवश्यक लाइसेंस या अनुमोदन प्राप्त नहीं किया था। इसके अलावा, न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा है कि धोखाधड़ी का इरादा था और आरोपी व्यक्तियों के बीच आपराधिक साजिश की उपस्थिति शुरू से ही प्रचलित थी।
इस मामलें में अदालत की टिप्पणी के बाद भी जल शक्ति मंत्रालय कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई करने या किसी भी प्रकार का न्याय प्रदान करने में विफल रहा है, जिसके परिणामस्वरूप ईमानदार अधिकारियों का मनोबल गंभीर रूप से कम हुआ है। 2022 से मंत्रालय और सीडब्ल्यूसी से बार-बार की गई अपीलें अनसुनी रही हैं, क्योंकि वरिष्ठ अधिकारी आरोपियों को बचाते हैं, जिससे पीड़ितों को मानसिक उत्पीड़न और वित्तीय नुकसान हुआ है।
इस संदर्भ में सीडब्ल्यूसी के अध्यक्ष ने 16 दिसंबर 2024 को प्रख्यात अधिकारी कल्याण सोसायटी (ईओडब्ल्यूएस) के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक के दौरान आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई का आश्वासन दिया। हालांकि, आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
ईओडब्ल्यूएस के पीड़ित सदस्य अब आर-पार की लड़ाई के मूड में है । यदि जल शक्ति मंत्रालय इस मामले में तुरंत कोई प्रशासनिक फैसले या अनुसाशासनात्मक कार्रवाई नहीं करती है तो प्रधानमंत्री दफ्तर और कैबिनेट सचिवालय पर प्रदर्शन को बाध्य होंगे ।
ईओडब्ल्यूएस के सदस्य जो की भारत सरकार के सेवारत और सेवानिवृत्त अधिकारी हैं अपनी दुर्दशा को उजागर करने और दोषियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई के लिए, न्याय और कानून के शासन के अनुसार कार्रवाई की मांग करते हैं। वे अधिकारियों द्वारा अपने पदों का दुरुपयोग करके और अधिक देरी या गुमराह करने को बर्दाश्त नहीं करेंगे।
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