*गरीब, जरूरतमंद एवं वंचितों को मिलेगा उनका अधिकार*
*योजनाओं से वंचित लोगों को आच्छादित करने का लक्ष्य*
रांची, 10.10.2022 (FJ)- मुख्यमंत्री 12 अक्तूबर को गिरिडीह से करेंगे “आपकी योजना-आपकी सरकार आपके द्वार” कार्यक्रम का शुभारंभ. राज्य सरकार का प्रयास रहा है कि योजनाओं का लाभ सभी जरूरतमंद को मिले।
इस सोच को अमलीजामा पहनाने के लिए विगत वर्ष सरकार ने भगवान बिरसा मुंडा की जयंती एवं सरकार के दो वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में 16 नवंबर 2021 से 28 दिसंबर 2021 तक पूरे राज्य में “आपके अधिकार-आपकी सरकार आपके द्वार” कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।
इस क्रम में प्रत्येक जिला में प्रतिदिन कम से कम चार से पांच पंचायतों में शिविरों का आयोजन हुआ था। कार्यक्रम के सकारात्मक परिणाम भी आये। लोगों को उनका हक-अधिकार प्राप्त हुआ।
इस अभियान में कुल 6,867 शिविर, कुल 35.94 लाख आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से 35.53 लाख आवेदन निष्पादित हुए एवं वर्तमान में कुल 42 हजार आवेदन निष्पादन की प्रक्रिया में हैं। इस दौरान करीब 99 प्रतिशत मामलों का निष्पादन हुआ था।
छुटे हुए लोगों को लाभ पहुंचाने का लक्ष्य
एक बार फिर से राज्य सरकार के तीन वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर राज्य सरकार “आपकी योजना आपकी सरकार आपके द्वार” कार्यक्रम का आयोजन कर रही है। यह दूसरा चरण उन व्यक्तियों को समर्पित होगा, जो पूर्व के अभियान में योजनाओं के लाभ से वंचित रह गए थे।
ऐसे छुटे हुए लोगों को योजनाओं से जोड़ने हेतु एक बार फिर सरकार लोगों के द्वार आएगी है। 12 अक्टूबर यह महाअभियान शुरू होगा। अभियान दो चरणों में आयोजित करने का निर्णय लिया गया है।
पहला चरण 12 से 22 अक्तूबर एवं दूसरा चरण 1 से 14 नवंबर तक आयोजित होगा। इसमें उन पंचायतों को विशेष प्राथमिकता दिया जायेगा, जहां गत वर्ष किसी वजह से शिविर नहीं लग पाया था।
समस्यायों का समाधान और परिसंपत्तियों का होगा वितरण
अभियान से सरकार की योजनाएं जैसे सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना, मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना, मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना, सर्वजन पेंशन योजना, बिरसा हरित ग्राम योजना, पोटो हो खेल विकास योजना, फूलो-झानो आशीर्वाद अभियान, सोना सोबरन धोती-साड़ी वितरण योजना, कंबल वितरण, छात्रवृत्ति योजना जैसी कई लोक कल्याणकारी योजनाओं से लोगों को लाभान्वित करना है। दूसरी ओर, मुख्यमंत्री दो चरणों में विभिन्न जिलों में आयोजित शिविर का निरीक्षण करेंगे।
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