नई दिल्ली 13 अपै्रल (एजेंसी)। मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं और सब्जियों की कीमतों में नरमी के कारण देश में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति मार्च 2023 में गिर कर 5.66 पर आ गयी। इस साल फरवरी में यह यह 6.44 प्रतिशत तथा पिछले साल मार्च में 6.95 प्रतिशत थी।
विश्लेषकों को उम्मीद है कि मुद्रास्फीति में गिरावट से भारतीय रिजर्व बैंक के लिए नीतिगत ब्याज दर में वृद्धि पर रोक को अभी कुछ और समय तक रोके रख कर आर्थिक वृद्धि को प्राथमिकता देने का मौका मिलेगा।
खुदरा मुद्रास्फीति का यह ताजा आंकड़ा रिजर्व बैंक द्वारा तय सहज सीमा के भीतर है। केंद्रीय बैंक को मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ की ढील के साथ चार प्रतिशत के आस पार रखने की जिम्मेदारी दी गयी है।
लम्बे समय तक रिजर्व बैंक की सहज सीमा से ऊपर रहने के बाद खुदरा मुद्रास्फीति पिछले साल के अंतिम कुछ महीनों में नीचे आ गयी थी लेकिन इस वर्ष जनवरी-फरवरी में यह फिर से छह प्रतिशत के ऊपर निकल गयी थी।
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा बुधवार को जारी किए गए आंकड़ों में इस साल मार्च में खाद्य मुद्रास्फीति पिछले महीने के 5.95 प्रतिशत से घटकर 4.79 प्रतिशत रही।
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने छह अप्रैल को नीतिगत रेपो दर को 6.5 पर अपरिवर्तित रखने का सर्वसममति से निर्णय किया।
इससे पहले मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने के लिए आरबीआई ने पिछले साल मई से लगातार छह बार में नितिगत ब्याज दर रेपो को कुल मिला कर 2.50 प्रतिशत ऊंचा कर दिया था।
खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर टिप्पणी करते हुए मिलवुड केन इंटरनेशनल के संस्थापक और सीईओ निश भट्ट ने कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति इस समय 15 महीने के निचले स्तर आ गयी है। यह रुझान इस वर्ष आगे मुद्रास्फीति का दबाव कम होने के अनुमान को सही साबित करता है।
उन्होंने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति, और सब्जियों की कीमतों में गिरावट से मुद्रास्फीति में मार्च में यह बड़ी कमी आयी है।
श्री भट्ट ने कहा, मुद्रास्फीति का ताजा आंकड़ा केंद्रीय बैंक को अगले कुछ महीनों तक ब्याज दर वृद्धि को रोके रखने में मदद करेगा।
नाइट फ्रैंक इंडिया के निदेशक अनुसंधान,विवेक राठी को उम्मीद की है कि मुद्रास्फीति में यह कमी ब्याज दरों के प्रति उदार रुख अपने के आरबीआई के दृष्टिकोण को मजबूत करेगी और केंद्रीय बैंक आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित कर सकेगा।
उन्होंने कहा कि ईंधन मुद्रास्फीति भी कम हो कर 8.9 तक आ गयी है पर ओपेक देशों द्वारा कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती के बाद ब्रेंट क्रूड की कीमतों में हाल ही में 15 प्रतिशत की वृद्धि के साथ, ईंधन की कीमतों में वृद्धि का जोखिम बना हुआ है।
उन्होंने कहा कि गैर-खाद्य और ईंधन श्रेणी पर कीमतों का दबाव स्थिर बना हुआ है। कपड़े, घरेलू सामान और सेवाओं आदि जैसी श्रेणियों में मूल्य वृद्धि लगातार उच्च बनी हुई है।
इस प्रकार, यह घरेलू खर्च करने योग्य आय को कम करता है जिससे उनकी खर्च करने की क्षमता कम हो जाती है। हालांकि, थोक कीमतों में काफी गिरावट आई है जिसका फायदा उपभोक्ताओं तक पहुंचाए जाने की उम्मीद बनी है।
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