प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में एक नई पहल

तीन दिवसीय साहित्यिक उत्सव और पुस्तक मेले का आयोजन का हुआ आरम्भ

नई दिल्ली, 28 फरवरी (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी)। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में एक नई पहल के तहत तीन दिनों के साहित्यिक उत्सव और पुस्तक मेले का आयोजन किया गया। पहले दिन कई पत्रकारों और वरिष्ठ लेखकों की किताबें लॉन्च हुई साथ ही पत्रकारिता से जुड़े कई ज़रूरी मुद्दों पर चर्चा भी हुई। इसमें क़रीब 80 प्रकाशकों और बुक स्टोर ने हिस्सा लिया जिसमें राजकमल प्रकाशन, वाणी प्रकाशन, NBT, दिल्ली प्रेस, मिडलैंड जैसे प्रकाशक और बुक स्टोर शामिल रहे।

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष गौतम लाहिड़ी ने इसकी शुरुआत करते हुए कहा कि ये आयोजन पत्रकार और किताब लेखन के गहरे रिश्ते को आगे बढ़ाने की कोशिश है और पत्रकारों के लिए एक मौका है उनकी मीडिया रिपोर्ट्स के अलावा उनके लेखन को सबके सामने रखने की। लाहिड़ी ने कहा कि इस आयोजन का मकसद ये भी ज़ाहिर करना है कि ये महज़ एक क्लब नहीं बल्कि एक इंस्टीट्यूशन है।

प्रेस क्लब के महासचिव नीरज ठाकुर ने सभी के सहयोग के लिए शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा कि प्रेस कल्ब में पेट की भूख तो मिटती रही है अब आपके ज्ञान की भूख भी मिटेगी और ऐसे आयोजन आगे भी होंते रहेंगे। पहले सेशन में फ्री प्रेस की चुनौतियों पर चर्चा हुई जिसमें हरतोष सिंह बल, उर्मिलेश, विनोद शर्मा परंजय गुहा ठाकुरता, आशुतोष भारद्वाज, प्रज्ञा सिंह जैसे वरिष्ठ पत्रकारों ने हिस्सा लिया।

पत्रकार संगीता बरुआ ने इस सेशन का संचालन किया जिसमें विनोद शर्मा ने कहा कि मीडिया की आज़ादी के लिए और पेशेवर ज़िम्मेदारियों को निभाने के लिए पत्रकारों को साथ मिलकर एक नया प्लेटफॉर्म बनाना चाहिए। हरतोष सिंह बल ने रिपोर्टिंग के मानकों में गिरावट की ज़िममेदारी न लेते हुए विविधता लाने में विफल रहने वाले न्यूज़ रूम की दोहरी चुनौतियों पर प्रकाश डाला।

उर्मिलेश ने ऐसे माहौल में सामाचार रिपोर्टिंग की दीर्घकालिक चुनौती पर कहा कि राज्य का हस्तक्षेप एक स्थाई और बढ़ती हुई चिंता है। परंजॉय गुहा ठाकुरता ने मीडिया में बढ़ती उस भावना की बात की जब राज्य को आलोचना का एहसास होता है तो वो प्रतिशोधी हो सकता है जिससे ऐसा माहौल बनता है जहां मीडिया के लिए तथ्यों को रिपोर्ट करना मुश्किल हो रहा है। आशुतोष भारद्वाज ने हिंदी भाषा की रिपोर्टिंग में चुनौतियों की बात करते हुए कहा कि कई डिजिटल प्लेटफॉर्मों की ख़बरों में मूल रिपोर्टिंग की कमी है।

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