एक मानवता के कल्याण का माध्यम है योग : योगी आदित्यनाथ

गोरखपुर/ कुशीनगर 21 जून (एजेंसी)  । उत्तर प्रदेश के  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुध्दवार को गोरखपुर में कहा कि योग भारतीय मनीषा की तरफ से विश्व मानवता के कल्याण के लिए दिया गया एक उपहार व माध्यम है।

मुख्यमंत्री 9वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर बुधवार सुबह गोरखनाथ मंदिर में योगाभ्यास करने के पूर्व योग साधकोंए प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए कहा कि  भारतीय ऋषि परंपरा से प्राप्त यह ऐसी विधा है जो शरीर और मस्तिष्क दोनों को स्वस्थ रखती है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में योग की महत्ता को अंगीकार कर आज दुनिया के लगभग दो सौ देश अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर योग के विभिन्न कार्यक्रमों के साथ जुड़कर भारत की ऋषि परंपरा के प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की बधाई दी और वैश्विक मंच पर योग की पुनर्प्रतिष्ठा के लिए पीएम मोदी के प्रति आभार जताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र संघ में इस बात के लिए लोगों को नई प्रेरणा दी कि वास्तव में अगर विश्व कल्याण का मार्ग प्रशस्त करना है तो तो केवल और केवल योग से हम इसको आगे बढ़ा सकते हैं। विश्व शांति का मार्ग आगे बढ़ाने में योग माध्यम बन सकता है।

योगी ने कहा कि भारत ऐसे ही विश्व गुरु नहीं हुआ। यहां जो कुछ भी है वह व्यवहारिक है पहले से प्रमाणित है और योग भी उसी परंपरा का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि हजारों वर्षों की भारतीय मनीषा की परंपरा योग हम सबकी विरासत का हिस्सा है। हमें योग की विरासत पर गौरव की अनुभूति होनी चाहिए। हजारों वर्षों से जिस योग को हम अपने जीवन का हिस्सा मानते रहे हैं वह आज वैश्विक मंच पर छाता हुआ पूरी दुनिया को अपनी और आकर्षित करता हुआ दिखाई दे रहा है।

मुख्यमंण्त्री ने दुनिया में पिछले तीनण्साढ़े तीन साल में जिस महामारी की चपेट में पूरी दुनिया आई थी उस कोरोना कालखंड में भी दुनिया के अंदर सर्वाधिक मांग भारतीय आयुष पद्धति की हो रही थी। सबने यह माना कि भारतीय आयुष पद्धति संपूर्ण आरोग्यता प्रदान कर सकती है। वास्तव में भारतीय आयुष पद्धति हमारी ऋषि परंपरा की तरफ से संपूर्ण आरोग्यता की लक्ष्य प्राप्ति हेतु मानवता के कल्याण का प्रशस्त पथ है जिसकी ओर पूरी दुनिया आकर्षित हो रही है।

उन्होंने कहा कि आयुष की मांग लगातार बढ़ रही है। जो लोग पहले चाय पीते थे कोल्ड ड्रिंक लेते थेए कोरोना कालखंड में उनमें से बहुतायत काढ़ा पीने लगे। यह भारत के आयुष की देन है। हल्दी भारत की रसोई का प्रमुख हिस्सा है और आज दुनिया के अंदर इसकी बढ़ती हुई मांग भारत के किसानों के लिए एक नए अवसर को भी प्रदान करती है।

मुख्यमंत्री  ने कहा कि हमारी परंपरा शरीर को धर्म का साधन मानती है।शरीर माध्यम खलु धर्म साधनम्ण्ण्। किसी भी क्षेत्र का व्यक्ति चाहे वह नौकरशाह होए उद्योगपति हो या फिर किसानण्मजदूरए अपना कार्य अच्छे से तभी कर पाएगा जब उसका शरीर स्वस्थ होगा। स्वस्थ शरीर के लिए स्वस्थ मस्तिष्क भी आवश्यक है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सामान्यतः शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हम लोग व्यायाम या एक्सरसाइज कर लेते हैं पर शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मानसिक स्वास्थ्य भी चाहिए। योग ऐसी विधा है जो स्वस्थ शरीर के साथ हमें स्वस्थ मस्तिष्क भी देती है।

योग के विभिन्न अंगों की महत्ता को विस्तार से समझाते हुए  योगी ने कहा कि प्राणायाम करने वाले लोगों पर कोरोना का प्रभाव न्यूनतम रहा। कोरोना के सेकेंड वेव में सबसे अधिक प्रभावी लंग्स यफेफड़ोंण् पर पड़ा था। लोगों को श्वांस लेने में दिक्कत हो रही थी पर प्राणायाम से शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत लोगों को कोरोना या तो छू नहीं पाया या फिर संक्रमित होने पर भी वे कुछ ही दिनों में आरोग्यता को प्राप्त कर लिए। उनके बीच मृत्यु दर न्यूनतम थी।

उन्होंने  कहा कि प्राणायाम हमको न केवल मजबूत करते हैं बल्कि शारीरिक शुद्धि का भी माध्यम बनते हैं। इसी तरह योग के आसन न केवल हमें स्थिरता देते हैं बल्कि शारीरिक सुदृढ़ता भी प्रदान करते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि एक योगी के लिए योग आध्यात्मिक क्षेत्र में प्रवेश करने का मार्ग होता है जो चेतना के विस्तृत आयाम को आगे बढ़ाता है। चेतना के बहुत छोटे से भाग का हम उपयोग कर पाते हैं लेकिन इसका क्षेत्र बहुत विस्तृत है। उस चेतना के विस्तृत क्षेत्र में प्रवेश करने का माध्यम है योग। जबकि एक सामान्य गृहस्थ या सामान्य नागरिक के लिए योग शारीरिक और मानसिक आरोग्यता प्राप्त करने का माध्यम है।

योग की परंपरा के साथ आज दुनिया जुड़ती दिखाई दे रही है। दुनिया में लोगों के सामने विभिन्न प्रकार की चुनौतियां हैं। कोई शारीरिक बीमारियों से तो कोई मानसिक रूप से परेशान है। ऐसे में संपूर्ण आरोग्यता प्रदान करने की दिशा में योग की बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका है।

श्री योगी  ने कहा कि योग परंपरा में सामान्यतः हम अष्टांग योग को महत्व देते हैं। जिसमें यम, नियम, आसन, प्राणायाम प्रत्याहार, धारणा,ध्यान,समाधि अलगण्अलग क्रियाएं हैं। अलगण्अलग प्रकार की ये विधाएं हैं हम सबको शारीरिक और मानसिक शुद्धि का माध्यम प्रदान करती हैं। इसी तरह हठयोग की कुछ विधाएं हैं। उसमें प्रारंभिक कार्यक्रमों को षट्कर्मों के साथ जोड़ दिया गया।

देश कालए परिस्थितिए खानण्पान या अन्य कारणों से व्यक्ति में कोई शारीरिक विकार आ गया है तो ये क्रियाएं शारीरिक शुद्धि का माध्यम बनती हैं। ये विशेष क्रियाएं नियमित नहीं होतीं उनके निश्चित पक्ष होते हैं। उसके अनुरूप कोई व्यक्ति अभ्यास करेगा तो कायिक रुप से स्वस्थ होगा।

मुख्यमंत्रण्ी  ने बताया कि योग तमाम वात जनितए कफ जनितए पित्त जनित विकारों से मुक्ति दिलाता है। उन्होंने आसनों व प्राणायाम का महत्व समझाने के साथ ही नाड़ियों के शुद्धिकरण पर भी चर्चा की। कहा कि प्रणायाम नाड़ियों की शुद्धि का माध्यम बनता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नाड़ी की क्रियाएं मन से जुड़ी क्रियाएं होती हैं। उन्होंने कहा कि मन की विचित्र स्थिति होती है। व्यक्ति के बंधन और मोक्ष दोनों का कारण मन होता है। एक स्वस्थ शरीर के लिए स्वस्थ मन भी आवश्यक है। चंचल मन व्यक्ति को चलायमान करता है। मन को एकाग्र न कर पाने के कारण भी बहुत से लोग प्रतिभा होने के बावजूद जीवन में सफलता को प्राप्त नहीं कर पाते। इसलिए मन की वृत्ति को जो चंचल है उसे नियंत्रित करने का माध्यम योगासन देता है।

उन्होंने कहा कि यद्यपि मन को नियंत्रित करना अत्यंत दुरुह कार्य है लेकिन व्यक्ति के जीने के लिए प्राणायाम से यह संभव है। नाथ पंथ की परंपरा में जिसे अजपा जप कहते हैं श्वांस पर ध्यान केंद्रित कर मन को साधा जा सकता है। प्राणायाम के माध्यम से मन को नियंत्रित कर लिया गया तो योग के अन्य उच्चतर सोपान को प्राप्त करने में सफलता प्राप्त हो सकती है।

योगी ने कहा कि आज के समय में आप देख रहे होंगे क्या स्थिति चल रही हैं जहां पर खानण्पान गलत है वहां पर एक तनावए ब्लड प्रेशरए शुगर के पेशेंट देखने को मिलते हैं। एक उम्र के बाद लोग जोड़ों यज्वाइंट्स को लेकर दिक्कत में आ जाते हैं। दुनिया में जा कर देखिए तो कई देशों में शुगरए बीपी आदि बीमारियों का रेट 25 से 30 पहुंच चुका है। एक डरावना दृश्य सबके सामने है।

तनाव को पालने की वजह से आप देखते होंगे कि सामान्य जीवन में आपको कभी बहुत जल्दी गुस्सा आ जा जाता होगा। ऐसे में दीर्घ श्वांस लीजिए बहुत आराम प्राप्त होगा। धीरेण्धीरे करके मन शांत होता दिखाई देगा। अनावश्यक तनाव व गुस्सा कई बार बड़ी घटना का कारण बन जाता है। योग इन सभी को नियंत्रित करने का माध्यम देता है।

मुख्यमंत्री ने  सभी लोगों से अपील की कि योग को नियमित दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। उन्होंने कहा कि योग साधकों के लिए भारतीय शास्त्र परंपरा में कहा गया है कि जो लोग नियमित योग करते हैं उनको बुढ़ापा नहीं आता और न ही किसी प्रकार का रोग पकड़ता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस वास्तव में नई प्रेरणा का दिवस है। यह दिवस हमें अपनी ऋषि परंपरा की विरासत पर गर्व की अनुभूति की प्रेरणा देता है। यह दिवस इस बात की प्रेरणा भी है कि योग के माध्यम से हम विश्व मानवता के कल्याण तथा आने वाली पीढ़ी के उज्ज्वल भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।

अतरराष्ट्रीय योग दिवस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखनाथ मंदिर के महंत दिग्विजयनाथ स्मृति सभागार में आयोजित कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लाइव संबोधन देखा व सुना। इसके बाद उन्होंने सभागार में उपस्थित योग साधकों व प्रशिक्षुओं के साथ योग का अभ्यास किया।

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