जिस तकनीक पर 9 साल पहले बैन लगाया, उसी ने बचाई श्रमिकों की जान

देहरादून 28 Nov, (एजेंसी)-जिस रैट होल माइनिंग की तकनीक के सहारे सिलक्यारा टनल (Silkyara Tunnel) से मजदूरों को बाहर निकालने का आपरेशन पूरा हुआ उस तकनीक पर करीब 9 साल पहले बैन लगा दिया गया था। बैन की वजह थी अवैध रूप से इस पद्धति का प्रयोग करना।

आखिर आप जानना चाहेंगे कि आखिर यह पद्धति होती क्या है। रैट का मतलब है चूहा, होल का मतलब है छेद और माइनिंग मतलब खुदाई। साफ है कि छेद में घुसकर चूहे की तरह खुदाई करना। इसमें पतले से छेद से पहाड़ के किनारे से खुदाई शुरू की जाती है और पोल बनाकर धीरे-धीरे छोटी हैंड ड्रिलिंग मशीन से ड्रिल किया जाता है। हाथ से ही मलबे को बाहर निकाला जाता है।

इस तरीके से होने वाली खुदाई से सुरक्षा खतरे उत्पन्न हो गए। ऐसा इसलिए क्योंकि खनिक सुरक्षा उपाय किए बिना गड्ढे में उतर जाते थे और कई बार हादसों का शिकार हो जाते थे।

ऐसे कई मामले भी आए जहां बरसात में रैट होल माइनिंग के कारण खनन क्षेत्रों में पानी भर गया, जिसके चलते श्रमिकों की जानें गईं। यही कारण है कि साल 2014 में राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने मेघालय में इस पद्धति से होने वाली खुदाई पर पाबंदी लगा दिया।

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