नई दिल्ली, 22 जून (एजेंसी)। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष सरदार हरमीत सिंह कालका ने कहा है कि श्री अकाल तख्त साहिब के पूर्व जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह द्वारा उन पर दबाव बनाए जाने का खुलासा समूची कौम के लिए चिंता का विषय है व दिल्ली कमेटी ने निर्णय लिया है कि जत्थेदार साहिबान की नियुक्ति की प्रक्रिया पर चर्चा के लिए सिख बुद्धिजीवियों व पंथक शख्सियतों की एक बैठक बुलाई जाएगी।
आज यहां जारी एक बयान में सरदार हरमीत सिंह कालका ने कहा कि यह लगातार दूसरी बार है जब श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार पर दबाव बनाया गया जोकि सिख कौम के लिए बेहद चिंता का विषय है । इससे पूर्व डेरा मुखी गुरमीत राम रहीम को माफी देने के लिए तत्कालीन जत्थेदार श्री अकाल तख्त साहिब ज्ञानी गुरबचन सिंह पर दबाव बनाया गया और अब बरगाड़ी कांड की माफी देने के लिए ज्ञानी हरप्रीत सिंह पर दबाव बनाया गया है।
उन्होंने कहा कि ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने आज अपनी प्रेस वार्ता में स्पष्ट कहा कि उन्होंने इंग्लैंड दौरे के दौरान कहा था कि अगर उन पर दबाव बनाया गया तो वह अपने घर चले जाएंगे और अब वह घर आ गए हैं। इससे स्पष्ट है कि ज्ञानी हरप्रीत सिंह पर दबाव बनाने का प्रयास किया गया ताकि एक परिवार को राजनीतिक लाभ मिल सके।
उन्होंने कहा कि इस परिवार ने हमेशा श्री अकाल तख्त साहिब का प्रयोग केवल अपने राजनीति स्वार्थों की पूर्ति के लिए किया। इस परिवार ने गुरु हरिगोबिंद सिंह साहिब जी के इस पवित्र तख्त जिसे सिखों का सर्वोच्च स्थल माना जाता है उसकी मर्यादा का उल्लंघन किया है और इसकी छवि को गहरी ठेस पहुंचाई है जो कि चिंता का विषय है। प्रेस वार्ता के दौरान ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने शिरोमणि कमेटी को जत्थेदार साहिब की नियुक्त हेतु नियम व विधि तय करने के लिए 2 बार अनुस्मारक भेजे गए।
अब दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी ने निर्णय लिया है कि जल्द जत्थेदार साहिब की नियुक्ति प्रक्रिया हेतु कोई जल्द ही सिख बुद्धिजीवियों और पंथक शख्सियतों की एक बैठक बुलाई जाएगी जिसमें शिरोमणि कमेटी द्वारा जत्थेदार साहिबों की नियुक्ति प्रक्रिया तय करने की विफलता व सिख समुदाय को एक ठोस प्रक्रिया अपनाने की जरूरत पर चर्चा की जाएगी ताकि श्री अकाल तख्त साहिब को एक परिवार के कब्जे से निकालकर कौम का सर्वोच्च अकाल तख्त बनाया जाए जिसके जत्थेदार साहिबान की नियुक्ति पूर्णतः पारदर्शी हो।
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