तीस्ता तलवाड़ की जमानत याचिका रद्द होने पर सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सवाल, सीजेआई के पास भेजा

अहमदाबाद 02 Jully (एजेंसी): गुजरात हाईकोर्ट ने एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड की जमानत याचिका खारिज कर दी और उन्हें तुरंत आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया। सीतलवाड़ अब मुंबई में रहती हैं, उन पर 2002 के गुजरात दंगों के सिलसिले में सबूत गढऩे का आरोप है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट के फैसले पर सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या आप ये भरोसा देने को तैयार हैं कि आप तुरंत हिरासत में नहीं लेंगे?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तीस्ता सीतलवाड़ पिछले 8-9 महीने से जमानत पर है। अगर वो तुरंत सरेंडर नहीं करेंगी तो आसमान नहीं टूट पड़ेगा। गुजरात सरकार की दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाते हुए कहा कि हाईकोर्ट को कम से कम सांस लेने का वक्त देना चाहिए था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों की इस मुद्दे पर राय अलग-अलग रही इस कारण इस मामले को सीजेआई के पास भेज दिया गया है।

अदालत का यह फैसला सितंबर 2022 में सीतलवाड को सुप्रीम कोर्ट द्वारा अंतरिम जमानत दिए जाने के बाद आया है, जिसने उन्हें अब तक गिरफ्तारी से बचाए रखा था। न्यायमूर्ति निरज़ार देसाई के फैसले पर वरिष्ठ वकील मिहिर ठाकोर ने अदालत से इसके क्रियान्वयन पर 30 दिनों के लिए रोक लगाने का अनुरोध किया। हालांकि जस्टिस देसाई ने इसे भी खारिज कर दिया।

सीतलवाड को गुजरात पुलिस ने अहमदाबाद डिटेक्शन ऑफ क्राइम ब्रांच (डीसीबी) द्वारा दायर एक एफआईआर के आधार पर 25 जून, 2022 को गिरफ्तार किया था। सीतलवाड पर 2002 के गुजरात दंगों के सिलसिले में निर्दोष व्यक्तियों को झूठा फंसाने की साजिश रचने का आरोप है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को विशेष जांच दल द्वारा दी गयी क्लीन चिट को चुनौती दी थी।

अपने फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने कानूनी प्रक्रिया के ऐसे दुरुपयोग में शामिल सभी लोगों को परिणामों का सामना करने की आवश्यकता पर जोर दिया था। विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा दायर आरोप पत्र के अनुसार, सीतलवाड़ ने कथित तौर पर “तत्कालीन मुख्यमंत्री (और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी), राज्य सरकार के उच्च अधिकारियों और भाजपा के शीर्ष नेताओं” को फंसाने की साजिश रची थी। उनके खिलाफ 2002 के सांप्रदायिक दंगों से सम्बंधित झूठे सबूत दिए गए।

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