नाक में दम करती मंहगाई यदि इसी तरह बढ़ती रही तो..

वेद प्रताप वैदिक -नाक में दम करती मंहगाई.  मंहगाई यदि इसी तरह बढ़ती रही तो देश में अराजकता भी फैल सकती है। ताजा सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस समय थोक चीजों के दाम में 15.08 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो गई है। इतनी मंहगाई 31 साल बाद बढ़ी है। इन तीन दशकों में मंहगाई जब थोड़ी-सी भी बढ़ती दिखाई देती थी तो देश में शोर मचना शुरु हो जाता था। संसद में शोर मचने लगता था, सड़कों पर प्रदर्शन होने लगते थे और सरकारों की खाट खड़ी होने लगती थी लेकिन इस वर्ष बढ़ी मंहगाई को लोग दो कारणों से अभी तक बर्दाश्त किए हुए हैं। एक तो कोरोना महामारी की वजह से और दूसरे यूक्रेन-युद्ध के कारण!

कोरोना महामारी ने देश के करोड़ों लोगों को लंबे समय तक बेरोजगार कर दिया और यूक्रेन-युद्ध ने तेल की कीमतों में वृद्धि करवा दी। तेल की कीमतें बढ़ीं तो उसके कारण देश में एक जगह से दूसरी जगह जानेवाली हर चीज की कीमत बढ़ गई। भयंकर गर्मी के कारण साग-सब्जी, फलों और दूध की कीमतों ने भी उछाल ले लिया। पेट्रोल, डीजल और गैस की कीमतें इतनी उचका दी गईं कि मध्यम-वर्ग के लोग भी हैरान और परेशान हैं।

गांव के लोग तो फिर भी चूल्हे-अंगीठी से गुजारा कर सकते हैं और कार व फटफटी की बजाय साइकिल से अपने काम निकाल सकते हैं लेकिन शहरी लोग क्या करें? बसों और मेट्रो के किराए लगभग दुगुने हो गए हैं। आम आदमी की मुसीबतें ज्यादा बढ़ गई हैं। अनाज, दाल, मसालों जैसी रोजमर्रा की चीजें खरीदते वक्त उसके पसीने छूटने लगते हैं। मध्यम वर्ग, कर्मचारी वर्ग और मेहनतकश लोगों की आमदनी तो जस की तस है लेकिन उनका खर्च सवाया-डेढ़ा बढ़ गया है।

कुछ लोगों को तो अपना रोजमर्रा का जीवन चलाने के लिए बैंकों से अपनी स्थायी जमा राशियों को तुड़ाना पड़ गया है। लेकिन हमारी तेल बेचनेवाली कंपनियों ने इस दौर में अरबों रु. का मुनाफा कमाया है। जीएसटी की जरिए सरकारों को भी अभूतपूर्व आमदनी हो रही है लेकिन सरकार ने आम जनता को इधर कौनसी विशेष राहत दी है? सरकार 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज बांट रही है, यह तो बहुत अच्छा है लेकिन उसने अपने खर्चें में कौनसी कटौती की है? मंत्रियों, सांसदों, विधायकों और पार्षदों के वेतन, भत्ते, और तरह-तरह के खर्चों में बचत की क्या जरुरत नहीं है?

इसके अलावा यदि थोक चीजों के दाम 15 प्रतिशत बढ़े हैं तो जऱा बाजारों में जाकर मालूम कीजिए की उनके खुदरा दाम कितने बढ़े हैं? कई चीजों के दाम दुगुने-तिगुने हो गए हैं। उन्हें रोकने के लिए सरकार क्या कर रही है? इस मंहगाई ने मालदार लोगों को पहले से कहीं ज्यादा मालदार बना दिया है। वे बेलगाम खर्चीली जिंदगी बिता रहे हैं।
अच्छा होता कि हमारे नेता लोग अपने खर्चे भी घटाते और मालदार लोगों को कम खर्च में जिंदगी चलाने की प्रेरणा भी देते। मुनाफाखोरों और मिलावटखोरों के विरुद्ध आवश्यक सख्ती भी कहीं दिखाई नहीं पड़ रही है।

मंहगाई यदि बर्दाश्त के बाहर हो गई तो प्रचंड बहुमतवाली इस लोकप्रिय सरकार की नाक में दम हो सकता है।

***************************

तपती धरती का जिम्मेदार कौन?

मिलावटखोरों को सजा-ए-मौत ही इसका इसका सही जवाब

जल शक्ति अभियान ने प्रत्येक को जल संरक्षण से जोड़ दिया है

इसे भी पढ़ें : भारत और उसके पड़ौसी देश

इसे भी पढ़ें : चुनावी मुद्दा नहीं बनता नदियों का जीना-मरना

इसे भी पढ़ें : *मैरिटल रेप या वैवाहिक दुष्कर्म के सवाल पर अदालत में..

इसे भी पढ़ें : अनोखी आकृतियों से गहराया ब्रह्मांड का रहस्य

इसे भी पढ़ें : आर्द्रभूमि का संरक्षण, गंगा का कायाकल्प

इसे भी पढ़ें : गुणवत्ता की मुफ्त शिक्षा का वादा करें दल

इसे भी पढ़ें : अदालत का सुझाव स्थाई व्यवस्था बने

इसे भी पढ़ें : भारत की जवाबी परमाणु नीति के मायने

इसे भी पढ़ें : संकटकाल में नयी चाल में ढला साहित्य

Leave a Reply

Exit mobile version