कोलकाता 16 जनवरी, (एजेंसी)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने एक आंतरिक जांच के बाद अपने चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया है, जो बीरभूम जिले के रामपुरहाट में एजेंसी के उस कैंप कार्यालय में मौजूद थे, जहां पिछले साल 12 दिसंबर को ललन शेख की रहस्यमय तरीके से मौत हो गई थी।
ललन शेख पिछले साल मार्च में बगटुई नरसंहार में 9 लोगों की मौत का मुख्य आरोपी था। सूत्रों ने कहा कि ड्यूटी में लापरवाही बरतने के आरोप में चारों अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक, निलंबित किए गए लोगों में उपाधीक्षक विलास बाला माधघुट, इंस्पेक्टर राहुल प्रिदर्शी के साथ-साथ कांस्टेबल भास्कर मंडल व एक अन्य कांस्टेबल भी शामिल हैं।
जब घटना हुई थी, तब केंद्रीय एजेंसी के ये चार कर्मचारी 12 दिसंबर की शाम रामपुरहाट स्थित कैंप कार्यालय में मौजूद थे। हालांकि, आंतरिक जांच के बाद, सीबीआई ने पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के मवेशी-तस्करी घोटाले के लिए एजेंसी के जांच अधिकारी सुशांत भट्टाचार्य को क्लीन चिट दे दी थी, लेकिन बाद में बीरभूम जिला पुलिस द्वारा ललन शेख की मौत पर एफआईआर में उनका नाम लिया गया था।
जिस पर फिलहाल पश्चिम बंगाल पुलिस का आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) जांच कर रहा है। सीबीआई सूत्रों ने आगे कहा कि निलंबित किए गए चार अधिकारियों के स्थान पर दूसरे अफसरों की व्यवस्था की जा चुकी है। सीबीआई के सूत्रों ने कहा, निलंबन एक मानक संचालन प्रक्रिया है। आमतौर पर, हिरासत में मौत के ऐसे मामलों में, जब आंतरिक जांच की जाती है तो संबंधित हिरासत के लिए जिम्मेदार लोग निलंबित रहते हैं।
मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट को भी अवगत करा दिया गया है क्योंकि वहां ललन शेख की हिरासत में मौत का मामला चल रहा है। 11 जनवरी को, न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता की कलकत्ता उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने ललन शेख की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट पर संदेह व्यक्त किया और संबंधित टिप्पणियों के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली, साथ ही कोलकाता में एसएसकेएम मेडिकल कॉलेज और अस्पताल दोनों को भी फॉरवर्ड किया गया।सीबीआई ने पहले ही कलकत्ता उच्च न्यायालय में राज्य पुलिस की एफआईआर को चुनौती दी हैा।
****************************