एक घंटे की बैठक के दौरान वैमानिकी प्रशिक्षण, बिहारी श्रमिकों एवं बिहार की वर्तमान राजनीतिक घटनाओं पर हुई चर्चा
* बैठक में बिहार में विधानसभा मार्च के दौरान शहीद विजय कुमार सिंह पर हुआ विमर्श
* आसाम के विकास में बिहारी श्रमिकों के योगदान पर भी हुआ विमर्श
* बिहार के प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षा और आकस्मिक घटनाओं में त्वरित वित्तीय सहायता की नीति बनाने की रुडी की मांग
* नीतिगत खामियों के कारण प्रवासी श्रमिकों को होना पड़ता है उत्पीड़न का शिकार
* असम में निर्माण श्रमिक, तकनीशियन, कुशल, अर्ध-कुशल बिहारी श्रमिक
* मुख्यमंत्री हिमन्त बिश्व शर्मा का आश्वासन, असम सरकार में नीति बनाने की होगी पहल
* 4 करोड़ से अधिक बिहारी प्रवासी देश के अन्य राज्यों के विकास में दे रहे है योगदान
गुवाहाटी, 20 जुलाई (एजेंसी) । बिहार की प्रगति और बिहारियों के उत्थान के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री, सांसद सह भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव प्रताप रुडी निरंतर प्रयासरत रहते है। काफी अधिक संख्या में बिहार के लोग भारत के अन्य राज्यों में आजीविका के लिए रहते है। संबंधित राज्य की प्रगति में जीतोड़ मेहनत कर अपना योगदान दे रहे है। ऐसे लोग जो बिहार में स्थित अपना घर-द्वार छोड़कर अन्य प्रदेशों में रह रहे है वहां की प्रगति में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे है। उनकी प्रगति के लिए और उन्हें योजनागत लाभ दिलाने के लिए अन्य राज्यों की सरकारों से भी निरंतर संवाद कायम रखते है। इसी संदर्भ में बुधवार 19 जुलाई को असम के मुख्यमंत्री हिमन्त बिश्व शर्मा से मुलाकात की।
मुलाकात के दौरान रुडी ने मुख्यमंत्री को बिहार के लोगों के असम में रहने और वहां के विकास में योगदान देने के मुद्दे को उठाया और उनके कल्याण के लिए मुख्यमंत्री से गुजारिश की। एक घंटे की बैठक के दौरान एयरो क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष होने के नाते सांसद रुडी ने फ्लाईंग ट्रेनिंग का विस्तार पूर्वोत्तर क्षेत्र में करने के विषय पर भी विमर्श किया और वैमानिकी प्रशिक्षण के संदर्भ में भी चर्चा हुई।राजीव प्रताप रूडी ने मुख्यमंत्री को बताया कि प्रवासी श्रमिक भारतवर्ष में एक बहुत कार्यबल है और राज्यों के साथ-साथ देश के विकास का एक अहम हिस्सा है जिनका अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ा योगदान होता है।
परन्तु राज्य सरकारों की नीतिगत खामियों के कारण प्रवासी श्रमिकों को उत्पीड़न का शिकार होना पड़ता है। उन्होंने कहा कि कभी-कभी इन प्रवासी श्रमिकों को कई आकस्मिक दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप कभी-कभी उनकी मौत या स्थायी अंग भंग होने से दिव्यांग हो जाते है। ऐसी स्थिति में राज्य सरकारें अपनी योजनाओं और कल्याणकारी पहल से अनुग्रह राशि का भुगतान कर उनकी जन्मभूमि में उनके परिवारों को सहायता सुनिश्चित करती हैं।रुडी ने कहा कि प्रवासी श्रमिकों को उनके मेजबान राज्य में सुरक्षा सुनिश्चित, त्वरित सहायता और मृतक के परिवार को वित्तीय सहायता के लिए एक प्रभावी नीतिगत योजना बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग करते हुए कहा कि इस तरह की योजना को असम सरकार बनाये।
उन्होंने कहा कि यदि राज्य सरकार ऐसा करती है तो यह एक ऐतिहासिक निर्णय होगा और मील का पत्थर साबित होगा जो अन्य राज्य सरकारों के लिए अनुकरणीय होगा। रुडी ने पत्रकारों से बातचीत के बाद बताया कि मुख्यमंत्री से चर्चा सकारात्मक रही है और उम्मीद है कि वहां रह रहे बिहारियों के उत्थान के लिए योजना और नीति बनाई जायेगी।
रुडी ने कहा कि बिहार के 4 करोड़ से अधिक लोग अपना घर-द्वार, अपना परिवार और अपनी जन्मभुमि को छोड़कर रोजी रोटी की तलाश में पलायन कर गये है। ये बिहारी देश के अन्य राज्यों में उनके विकास में अपना योगदान दे रहे है। एक बार असम सरकार द्वारा उनकी सुरक्षा व उनके हित में नीति बनाने के उपरान्त वे अन्य राज्य सरकारों से भी संपर्क करेंगे और ऐसी नीति बनाने की बात करेंगे जिससे प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके और उनका उत्पीड़न न हो सके।
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