नई दिल्ली 23 Aug. (एजेंसी): रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) में आमूलचूल बदलाव के लिए नौ सदस्यीय समिति का गठन किया है। प्रोफेसर के विजय राघवन की अध्यक्षता वाली समिति डीआरडीओ की भूमिका की समीक्षा करेगी और उसे फिर से परिभाषित करेगी और तीन महीने के भीतर एक रिपोर्ट सौंपेगी। राघवन भारत सरकार के पूर्व प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार हैं।
समिति के अन्य सदस्यों में लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सुब्रत साहा पूर्व उप सेना प्रमुख, वाइस एडमिरल एस एन घोरमडे पूर्व उप नौसेना स्टाफ प्रमुख, एयर मार्शल बी आर कृष्णा, पूर्व चीफ ऑफ इंटीग्रेटेड स्टाफ, सुजान आर चिनॉय, महानिदेशक, एमपी- आईडीएसए, आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मणिंद्र अग्रवाल, एसआईडीएम के अध्यक्ष एस.पी. शुक्ला, लार्सन एंड टुब्रो के जे.डी. पाटिल, रक्षा, डॉ. एस उन्नीकृष्णन नायर, प्रतिष्ठित वैज्ञानिक, इसरो, और रसिका चौबे, वित्तीय सलाहकार रक्षा मंत्रालय शामिल हैं।
समिति, रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग की भूमिका और शिक्षा व उद्योग के साथ उनके संबंध को बेहतर करने के लिए काम करेगी। अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों के विकास में शिक्षा जगत, एमएसएमई और स्टार्ट-अप की भागीदारी को अधिकतम करने का प्रयास किया जाएगा।
इसके अलावा उच्च गुणवत्ता वाली जनशक्ति को आकर्षित करना और बनाए रखना, जिसमें जवाबदेही के साथ प्रोत्साहन और निरुत्साहन की उचित प्रणाली, परियोजना आधारित जनशक्ति की प्रणाली शामिल है।
समिति सुनिश्चित करेगी की अत्याधुनिक और विघटनकारी रक्षा प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए एनआरआई व विदेशी सलाहकारों, अंतर-देशीय सहयोग की विशेषज्ञता का उपयोग करें। साथ ही परियोजनाओं के त्वरित कार्यान्वयन को प्राप्त करने के लिए प्रशासनिक, कार्मिक और वित्तीय प्रणालियों का आधुनिकीकरण करें।
प्रयोगशाला संरचनाओं और उनके प्रदर्शन मूल्यांकन प्रक्रिया का युक्तिकरण भी सुनिश्चित किया जाएगा। डीआरडीओ और संपूर्ण रक्षा अनुसंधान और उत्पादन इको-सिस्टम के कामकाज की समीक्षा करने का मोदी सरकार का निर्णय बहुप्रतीक्षित था क्योंकि सरकार संगठन में जवाबदेही और अनुसंधान के बारे में चिंतित थी।
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