जानलेवा सड़कें

भारत की सड़कों पर दुर्घटनाओं में प्रतिदिन सैकड़ों लोगों की मौत गंभीर चिंता का विषय होना चाहिए। यह भी चिंता की बात है कि हरियाणा में पिछले साल प्रतिदिन औसतन 13 लोगों की सड़क हादसों में मौत हुई। दुर्घटना उन्मुख क्षेत्रों पर केंद्र सरकार के ध्यान देने के बावजूद स्थिति गंभीर बनी हुई है। पिछले दिनों लोकसभा में केंद्र सरकार ने बताया कि वर्ष 2020 के दौरान एक्सप्रेस-वे सहित राष्ट्रीय राजमार्गों पर दुर्घटनाओं में 47,984 लोग मारे गये। वहीं वर्ष 2019 में यह आंकड़ा 53,872 था। महामारी के पहले वर्ष में कोविड के चलते लॉकडाउन और कई अन्य तरह की वजह से आवाजाही में रोक के चलते मौत के आंकड़ों में गिरावट दर्ज की गई। इसके बावजूद एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, 2020 में सभी प्रकार की सड़क दुर्घटनाओं में 1.33 लाख लोग मारे गये। ये आंकड़े स्थिति की गंभीरता दर्शाते हैं। वहीं वर्ष 2021 में वेस्टर्न और ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे पर 151 दुर्घटनाओं में 125 लोगों की जान चली गई और 105 लोग घायल हुए। वहीं कुंडली मानेसर पलवल यानी केएमपी और कुंडली गाजियाबाद पलवल एक्सप्रेस-वे पर अधिकांश दुर्घटनाओं की मुख्य वजह गलत साइड से ओवरटेकिंग रही। साथ ही ओवर स्पीडिंग, अचानक लेन बदलना, अनुपयुक्त प्रकाश व्यवस्था आदि भी दुर्घटना की वजह रही हैं। ऐसे में भारी वाहन चालकों के लिये जागरूकता अभियान चलाये जाने की जरूरत है, जिनकी वजह से बड़ी दुर्घटनाएं होती हैं।
यदि हम राष्ट्रीय राजमार्गों पर हादसों के कारणों की पड़ताल करते हैं तो कई कारण सामने आते हैं, जिनमें प्रमुख वजह वाहनों को तेज गति से चलाना है। इसके अलावा नशे में धुत्त होकर गाड़ी चलाना, गलत तरफ से ड्राइविंग, सड़कों का डिजाइन व स्थिति तथा वाहन चलाते समय समय मोबाइल पर बात करते रहना भी वजह रही। यदि वर्ष 2020 में होने वाली दुर्घटनाओं पर नजर डालें तो साठ फीसदी लोगों की मौत तेज रफ्तार की वजह से हुई। निस्संदेह सड़क दुर्घटनाओं को रोकने तथा आपराधिक लापरवाही करने वाले चालकों को दंडित करने के लिये बड़े पैमाने पर आधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाना चाहिए। राजमार्गों पर बड़ी संख्या में क्लोज सर्किट टीवी यानी सीसीटीवी कैमरे लगाने से चालक कानून के उल्लंघन के प्रति सतर्क रहेंगे। यदि तुरंत चालान मिलने लगेंगे तो लोग कायदे-कानूनों के उल्लंघन के प्रति सजग रहेंगे। वाहन चालकों को अपनी लेन में चलने के लिये प्रेरित किया जाना चाहिए ताकि लेन बदलने से होने वाली दुर्घटनाओं से बचा जा सके। वर्ष 2020 में लापरवाह ड्राइविंग तथा ओवरटेकिंग की वजह से 24 फीसदी दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें पैंतीस हजार लोगों की जान गई। ऐसे स्थिति में जब देश में राष्ट्रीय व राज्य मार्गों की कुल लंबाई पूरे सड़क नेटवर्क का सिर्फ पांच से दस प्रतिशत ही है, इनमें दुर्घटनाओं का अनुपात बेहद ज्यादा है। वहीं इन दुर्घटनाओं में समय पर चिकित्सा सहायता न मिलने से बड़ी संख्या में यात्री चोटों के कारण दम तोड़ देते हैं। राष्ट्रीय व राज्य मार्गों पर चौबीस घंटे की गश्त बढ़ाने के लिये केंद्र व राज्य अतिरिक्त प्रयास करें।

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