बाबा साहेब के विचार भाजपा के कृतित्व का हिस्सा हैं

भोपाल,14 अप्रैल (आरएनएस)। बाबा साहेब के विचार भाजपा के कृतित्व का हिस्सा हैं. मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने कहा है कि भाजपा संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर के विचार भाजपा के कृतित्व का हिस्सा हैं। पार्टी उनके विचारों पर काम करते हुए गरीबों के उत्थान के लिए काम करती है।

शर्मा आज यहां बोर्ड ऑफिस चौराहा स्थित भारत रत्न डॉ भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। माल्यार्पण के अवसर पर उपस्थित पार्टी पदाधिकारी एवं कार्यकर्ताओं ने ‘डॉ. भीमराव अंबेडकर अमर रहें और ‘जब तक सूरज-चांद रहेगा बाबा साहब का नाम रहेगा के नारे लगाए। श्री शर्मा ने कहा कि आजादी के बाद कांग्रेस की सरकार इतने वर्षों तक रही, लेकिन उन्होंने कभी भी बाबा साहेब के विचारों पर ध्यान नहीं दिया। लेकिन जब से देश में और प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी तब से बाबा साहेब के विचारों को जमीन पर उतारने और गरीबों के उत्थान के काम हुए।

प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि बाबा साहेब के पंच तीर्थों पर भी भाजपा की सरकारों ने काम किए। उन्होंने कहा कि भाजपा के कार्यकर्ता भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती पर आज पूरे प्रदेश के 65 हजार बूथों पर माल्यार्पण कर बाबा साहेब के विचारों को जन-जन तक पहुंचाएंगे।
इस अवसर पर प्रदेश शासन के मंत्री विश्वास सारंग, पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष आलोक शर्मा, सीमा सिंह जादौन, प्रदेश महामंत्री भगवानदास सबनानी, प्रदेश मंत्री राहुल कोठारी, जिला अध्यक्ष सुमित पचौरी, विधायक रामेश्वर शर्मा, अजा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कैलाश जाटव, पूर्व विधायक ध्रुवनारायण सिंह, पूर्व सांसद आलोक संजर सहित जिला पदाधिकारी एवं कायकर्ताओं ने बाबा साहेब अंबेडकर को पुष्पांजलि अर्पित की।

*********************************************

इसे भी पढ़ें : भारत और उसके पड़ौसी देश

इसे भी पढ़ें : चुनावी मुद्दा नहीं बनता नदियों का जीना-मरना

इसे भी पढ़ें : *मैरिटल रेप या वैवाहिक दुष्कर्म के सवाल पर अदालत में..

इसे भी पढ़ें : अनोखी आकृतियों से गहराया ब्रह्मांड का रहस्य

इसे भी पढ़ें : आर्द्रभूमि का संरक्षण, गंगा का कायाकल्प

इसे भी पढ़ें : गुणवत्ता की मुफ्त शिक्षा का वादा करें दल

इसे भी पढ़ें : अदालत का सुझाव स्थाई व्यवस्था बने

इसे भी पढ़ें : भारत की जवाबी परमाणु नीति के मायने

इसे भी पढ़ें : संकटकाल में नयी चाल में ढला साहित्य

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version