राजेश इस्सर – ‘अग्निपथ’ आधुनिक सेनाओं में एक आजमाया हुआ मॉडल हैरक्षा बलों में अग्निवीरों की भर्ती की केंद्र की योजना के विरोध में हिंसा की मात्रा इस सेवा में भर्ती के प्रतिशत के अनुपात से कहीं अधिक है। अब इस बात के सबूत उभरकर सामने आ रहे हैं कि इस तरह की संगठित अशांति के कारण क्या हैं।
वैश्विक शांति सूचकांक की गणना के अनुसार इस तरह के आंदोलन और हिंसा के कारण भारत को 646 अरब अमरीकी डॉलर का नुकसान हुआ है। यह ग्रे जोन वारफेयर की कीमत है, जिससे भारत लड़ रहा है। देश को ऐसे कानून बनाने की जरूरत है जिसके द्वारा आगजनी और तोडफ़ोड़ में शामिल पाए गए लोगों के विरुद्ध आपराधिक मामलों के अलावा, किसी भी सरकारी नौकरी, सब्सिडी या विशेषाधिकार से जुड़े सभी प्रकार के लाभों से वंचित कर दिया जाए।
यह कैच-दैम-यंग और गंभीर चयन, 4 साल बाद सशस्त्र बलों के लिए मददगार तो होगा, किंतु उन लोगों के लिए नहीं जो केवल सरकारी नौकरी और भविष्य की पेंशन को ध्यान में रखते हैं। आने वाले समय के युद्ध में ऐसे सैनिकों की आवश्यकता है जो बहु-कुशल हैं, सिस्टम की एक प्रणाली में प्रौद्योगिकी के माध्यम से नेटवर्क पर काम करते हैं, और सामान्य रूप से उच्च संज्ञानात्मक क्षमता रखते हैं। यह सशस्त्र बलों की एक युवा प्रोफाइल को सक्षम करेगा।
कारगिल युद्ध और दुनिया भर में अन्य सैनिक कार्रवाइयों ने साबित कर दिया है कि 20 से 30 वर्षकी उम्र की शुरुआत में, शारीरिक क्षमता के अनुसार, जोखिम लेने की प्रवृत्ति और क्षमता सबसे अधिक होती है।
लेह में एओसी के रूप में, मैंने पीएलए (देपसांग और चुमार) के खिलाफ दो बार आमने-सामने का मुकाबला देखा और सियाचिन ग्लेशियर पर वायु सैनिकों की नियमित तैनाती देखी। एलएसी पर युवा सैनिकों ने जीत हासिल की। पुराने सैनिकों की तुलना में उनमें कहीं अधिक प्रेरणा, लचीलापन और शारीरिक क्षमता देखी जाती है।
प्रौद्योगिकी की जानकारी रखने वाले युवाओं को शामिल करना बेहतर होगा, क्योंकि इसमें लंबी अवधि के लिए कोई बंधन नहीं है जब तक कि कोई इसका विकल्प नहीं चुनता है। रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सैटेलाइट इमेजरी, लेजर-निर्देशित हथियार आदि के साथ आधुनिक युद्ध हाई-टेक हो गए हैं, जो किसी भी युद्ध-कुशल बल के शस्त्रागार का एक अच्छा हिस्सा हैं।
सेना छोडऩे वाले 75 प्रतिशत युवा राष्ट्र के लिए एक संसाधन होंगे। युवा लोगों को आत्म-अनुशासन, परिश्रम और विशेष ध्यान वाले क्षेत्र के बारे में गहरी समझ होगी और वे अन्य क्षेत्रों में योगदान करने के लिए कुशल होंगे। सेवा छोडऩे के बाद सेवा निधि के रूप में मिलने वाला धन उन्हें स्वरोजगार, कौशल के लिए उच्च शिक्षा जैसे भविष्य के उनके प्रयासों मैं मददगार होगा। अनुशासन के इस आधार को व्यापक बनाकर, कौशल-युक्त और उपयोगी मानसिकता के बल पर आने वाले समय में अपना देश अच्छी स्थिति में होगा।
इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह राष्ट्र को समय पर रक्षा बजट से जुड़े तनाव को दूर करने में मददगार है। बजट संबंधी तनाव के कारण आधुनिक युद्ध मशीनों और उपकरणों की खरीद के लिए बहुत ही कम धनराशि बचती है। अनुमान के अनुसार, वार्षिक रक्षा परिव्यय का लगभग 60 प्रतिशत वेतन और पेंशन के एकल शीर्ष के कारण होता है, जो महंगाई सूचकांक के साथ जुड़ाव के कारण उत्तरोत्तर बढ़ता जाता है।
यह कोई अजनबी मॉडल नहीं है, बल्कि दुनिया भर की सभी आधुनिक सेनाओं के साथ आजमाया और परखा गया है। लोग इस योजना पर प्रतिक्रिया के लिए सरकार की संचार रणनीति को दोषी ठहराते हैं।
लेकिन यह योजना कुछ समय के लिए खुले डोमेन में थी, आंतरिक नीति-निर्माण संरचनाओं में चर्चा की गई थी, रक्षा मंत्री और तीनों सेना प्रमुखों ने स्वयं रोलआउट के दौरान प्रश्नों का उत्तर दिया, आदि आदि। ऐसा कुछ भी नहीं होता, यदि एक नापाक राजनीतिक टूलकिट की कारगुजारी नहीं होती। इसके लिए अलग तैयारी और हैंडलिंग की आवश्यकता होती है।
(लेखक ने भारतीय वायु सेना में एयर वाइस मार्शल के रूप में सेवा की है)
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