कारम बांध ने खोली भ्रष्टाचार की पोल, सरकार लीपापोती में लगी : कमल नाथ

भोपाल ,16 अगस्त (आरएनएस/FJ)। मध्यप्रदेश के धार जिले में निमार्णाधीन कारम बांध की दीवार दरक जाने से हजारों लोग प्रभावित हुए हैं, साथ ही कई गड़बडिय़ां भी सामने आई हैं। कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कमल नाथ ने क्षतिग्रस्त बांध और उससे प्रभावित परिवारों से मुलाकात कर सरकार पर हमला बोला की वह भ्रष्टाचार पर लीपापोती करने की कोशिश में लगी है।

कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ मंगलवार को धार जिले के कारम नदी पर बने क्षतिग्रस्त बांध को देखने पहुंचे। उन्होंने बरसते पानी के बीच क्षतिग्रस्त बांध का अवलोकन किया और धरमपुरी तहसील के दूधी गांव में पहुंचकर प्रभावित ग्रामीण जनों से बातचीत की, उनका हाल जाना।

प्रभावित किसानों ने कमलनाथ को बताया कि इस आपदा में उनकी फसल बह गई है, घर बह गए हैं, खेत की मिट्टी भी बांध के पानी के साथ बह गई है, खेतों में पानी में बहकर पत्थर आ गये हैं, जिससे आगे अब खेती करना भी मुश्किल होगा। हम अभी भी पहाड़ों व जंगलो में रह रहे हैं।

ग्रामीणों ने आरेाप लगाया कि, सरकार ने अभी तक कोई सर्वे कार्य शुरू नहीं किया है, न हमें कोई मुआवजा मिला है, न हमारी कोई सुध लेने अभी तक आया है।

प्रभावित ग्रामीणजनों व जनप्रतिनिधियों का आरोप है कि इस बांध के निर्माण में भ्रष्टाचार व घटिया निर्माण की शुरू से कई शिकायतें की लेकिन सारी शिकायतों को अनदेखा किया गया, जिसके कारण यह स्थिति बनी।

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्य सरकार द्वारा बनाई गई जांच कमेटी पर सवाल उठाते हुए कहा कि जो बांध के ढहने के लिए जिम्मेदार हैं, उन्हीं की कमेटी बनाकर सरकार इस पूरे भ्रष्टाचार पर लीपापोती का प्रयास कर रही है।

कमल नाथ ने संवाददाताओं से चर्चा करते हुए कहा, यह बांध भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार की निशानी है, उनकी एक बड़ी लापरवाही है। मैं आज खराब मौसम में यहां आया हूं, यह देखने कि किस प्रकार शिवराज सरकार के भ्रष्टाचार का डैम फूटा है। मैंने आज देखा कि किस प्रकार से यह डैम मिट्टी से बना हुआ है।

कमल नाथ ने आरोप लगाया कि आज हर ठेके में भ्रष्टाचार है, जब तक भ्रष्टाचार न हो, सौदा पूरा नहीं होता है। आज इतनी सारी योजनाएँ रुकी पड़ी है क्योंकि दलाली का सौदा पूरा नहीं हुआ है।

कमल नाथ ने कारम बांध की ठेका प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा, सभी जानते है कि इस बांध की मुख्य निर्माण कंपनी दिल्ली की थी, पेटी कांटैक्ट किसी और को दिया, यह सब पहले से ही तय था। उस सार्थक कम्पनी का मालिक कौन, पार्टनर कौन, इसका भी जल्द खुलासा होगा।
इन्होंने नर्मदा पौधारोपण से लेकर, व्यापम, ई-टेंडर, अस्पताल, नर्सिंग कालेज, आयुष्मान योजना सभी में भ्रष्टाचार किया।

कमल नाथ ने कहा कि यह बांध टूटा है, यह सबूत करता है कि किस प्रकार पूरे प्रदेश में भ्रष्टाचार की दीमक लग गई है और यह दीमक नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। हर जिले में भ्रष्टाचार की व्यवस्था इन्होंने बनायी हुई है।

पंचायत से लेकर मंत्रालय तक यह व्यवस्था बनी हुई है। आज हर ठेके में 30-40 फीसदी कमीशन का खेल चल रहा है। आज प्रदेश भ्रष्टाचार की पटरी पर चल रहा है।

भाजपा की सरकार पर हमला करते हुए कमल नाथ ने कहा भाजपा सरकार सिर्फ नाटक- नौटंकी और इवेंट से जनता का ध्यान मोडऩे में लगी हुई है। यहां लोग बर्बाद हो गये इस पर बात नहीं करेंगे, यह बचाने की बात करेंगे। आज शिवराज जब तक झूठ नहीं बोल लें इवेंट, नाटक-नौटंकी न कर ले, इनका पेट नहीं भरता।

कमल नाथ की मांग है कि इस मामले में तत्काल प्रकरण दर्ज हो, गिरफ़्तारी हो, भ्रष्टाचार की जांच हो, प्रभावितों को फसल, घर, जमीन सभी का मुआवजा मिले। प्रभावित लोगों की मदद के लिए कांग्रेस सड़क से लेकर विधानसभा तक आवाज उठायेगी और उनकी हर संभव मदद करेगी।

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5 जी के लिए अब और इंतजार नहीं : मोदी

नयी दिल्ली ,16 अगस्त (एजेंसी)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में शीघ्र ही पांचवी पीढ़ी दूरसंचार सेवायें 5 जी शुरू किये जाने के संकेत देते हुये आज कहा  अब हम 5जी के दौर की ओर कदम रख रहे हैं। बहुत दूर इंतजार नहीं करना होगा, हम कदम मिलाने वाले हैं।

श्री मोदी ने 76 वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आज लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुये कहा कि देश के हर गांव में ऑप्टिकल फाइबर पहुंचायें जा रहे हैं। डिजिटल इंडिया का सपना गांव से गुजरेगा। उन्होने देश में कार्यरत चार लाख कॉमन सर्विस सेंटरों का उल्लेख करते हुये कहा कि अब गांव विकसित हो रहे हैं।

गांव के नौजवान बेटे-बेटियां कॉमन सर्विस सेंटर चला रहे हैं। देश गर्व कर सकता है कि गांव के क्षेत्र में चार लाख डिजिटल उद्यमी का तैयार होना और सारी सेवाएं लोग गांव के लोग उनके यहां लेने के लिए आदी बन जाएं, ये अपने-आप में टेक्नोलॉजी हब बनने की भारत की ताकत है।

उन्होंने कहा ये जो डिजिटल इंडिया का मूवमेंट है, जो सेमीकंडक्टर की ओर हम कदम बढ़ा रहे हैं, 5जी की ओर कदम बढ़ा रहे हैं, ऑप्टिकल फाइबर का नेटवर्क बिछा रहे हैं, ये सिर्फ आधुनिकता की पहचान है, ऐसा नहीं है। तीन बड़ी ताकतें इसके अंदर समाहित हैं। शिक्षा में आमूल-चूल क्रांति- ये डिजिटल माध्यम से आने वाली है। स्वास्थ्य सेवाओं में आमूल-चूल क्रांति डिजिटल से आने वाली है। कृषि जीवन में भी बहुत बड़ा बदलाव डिजिटल से आने वाला है। एक नया विश्व तैयार हो रहा है। भारत उसे बढ़ाने के लिए आगे बढ़ रहा है।

उन्होंने इसको प्रौद्योगिकी का दशक बताते हुये कहा कि मानव जाति के लिए टेकहेड का समय है। भारत के लिए तो ये टेकहेड जिसका मन टेक्नोलॉजी से जुड़ा हुआ है। आईटी की दुनिया में भारत ने अपना एक लोहा मनवा लिया है, ये टेकहेड का सामर्थ्य भारत के पास है।

उन्होंने कहा  हमारा अटल इनोवेशन मिशन, हमारे इनक्युबेशन सेंटर, हमारे स्टार्टअप एक नया, पूरे क्षेत्र का विकास कर रहे हैं, युवा पीढ़ी के लिए नए अवसर ले करके आ रहे हैं। स्पेस मिशन की बात हो, हमारे गहरा समुद्र मिशन की बात हो, समंदर की गहराई में जाना हो या हमें आसमान को छूना हो, ये नए क्षेत्र हैं, जिसको ले करके हम आगे बढ़ रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि देश में 5 जी सेवायें शुरू करने के लिए 1.5 लाख करोड़ रुपये के स्पेक्ट्रम की नीलामी की गयी है। कंपनियों ने इस सेवा के लिए काम भी करने लगी है। अक्टूबर महीने तक यह सेवा शुरू होने की उम्मीद है।

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शोपियां में आतंकियों ने की एक और कश्मीरी पंडित की हत्या

*जम्मू-कश्मीर में फिर टारगेट किलिंग*

श्रीनगर 16 Aug. (Rns/FJ): जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर टारगेट किलिंग की घटना सामने आई है। शोपियां जिले में मंगलवार को आतंकवादियों ने एक स्थानीय कश्मीरी पंडित की हत्या कर दी और उसके भाई को भी घायल कर दिया।

पुलिस सूत्रों ने बताया कि शोपियां जिले के छोटिगम गांव में आतंकवादियों ने अर्जुन नाथ के बेटे सुनील कुमार और उसके भाई पीतांबर उर्फ पिंटो पर गोलीबारी की। सूत्रों ने बताया, सुनील कुमार की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि उनके भाई पिंटो को अस्पताल में भर्ती कराया गया।

सूत्रों ने कहा, इलाके की घेराबंदी कर दी गई है और हत्यारों को पकड़ने के लिए गांव में अतिरिक्त बल तैनात किए गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों भाई यहां के स्थानीय निवासी थे और अपने पैतृक गांव में रह रहे थे।

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भारतीय सेना की ताकत में बढ़ोतरी, राजनाथ सिंह ने ‘निपुण’ समेत सौंपे कई स्वदेशी हथियार

नई दिल्ली 16 Aug. (Rns/FJ): रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को भारतीय सेना को कई स्वदेशी हथियार सौंप कर सेना की ताकत बढ़ाई। इन हथियारों में एंटी-कार्मिक लैंड माइन निपुण, पैंगोंग झील में संचालन के लिए लैंडिंग क्राफ्ट अटैक, पैदल सेना के लड़ाकू वाहन और कई अन्य प्रणालियां शामिल हैं। लेफ्टीनेंट जनरल हरपाल सिंह ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने में मदद करने के लिए भारत सरकार ने कई नीतिगत निर्णय लिए हैं। इन हथियारों में एंटी पर्सनेल माइंस, आमने सामने लड़ाई के हथियार, इन्फैंट्री के लड़ाकू वाहन शामिल हैं।

देश की सीमाओं पर बढ़ती चुनौतियों के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को कई स्वदेशी हथियार सेना को सौंपे। इनमें एके-203 और एफ-इंसास राइफलों के अलावा नई एंटी पसोर्नेल माइन ‘निपुण’ भी शामिल है। नए हथियार ईईएल व अन्य भारतीय कंपनियों ने विकसित किए हैं।

इस मौके पर भारतीय सेना के मुख्य इंजीनियर लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह ने सेना प्रमुख की ओर से देश को आश्वस्त किया है कि हम किसी भी खतरे से निपटने को तैयार हैं। भले वह पश्चिमी रेगिस्तान (पाकिस्तान) हो या लद्दाख सेक्टर में ऊंचाई वाले स्थान (चीन) से सटे इलाके। यह बात उन्होंने सेना को अत्याधुनिक हथियार प्रणालियां सौंपे जाने के दौरान कही। इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को भारतीय सेना के फ्यूचरिस्टिक इन्फैंट्री सोल्जर इन एसिस्टम (एफ-इंसास) की नई हथियार प्रणालियों और एके-203 असॉल्ट राइफल व शस्त्रों की जानकारी दी गई।

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नीतीश मंत्रिमंडल का हुआ विस्तार, 31 मंत्रियों ने ली पद और गोपनीयता की शपथ

पटना 16 Aug. (Rns/FJ): बिहार में नीतीश मंत्रिमंडल का मंगलवार को विस्तार किया गया और 31 मंत्रियों ने पद एवं गोपनीयता की शपथ ली। राजभवन के राजेंद्र मंडपम में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में राज्यपाल फागू चौहान ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के 16, जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के 11, कांग्रेस के 02, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के एक और एक निर्दलीय को मंत्री पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई।

इन 31 मंत्रियों ने ली शपथ
जदयू (11) – विजय कुमार चौधरी, बिजेंद्र यादव, श्रवण कुमार, अशोक चौधरी, लेसी सिंह, संजय झा, मदन सहनी, शीला कुमारी, सुनील कुमार,मोहम्मद जमा खान, जयंत राज

राजद (16)- तेज प्रताप यादव, आलोक मेहता, सुरेंद्र प्रसाद यादव, रमानंद यादव, कुमार सर्वजीत, ललित यादव, समीर कुमार, चंद्रशेखर, जितेंद्र कुमार राय, अनीता देवी, सुधाकर सिंह, इसराइल मंसूरी, सुरेंद्र राम, कार्तिकेय सिंह, शहनवाज आलम, शमीम अहमद

कांग्रेस (2)- आफाक आलम, मुरारी गौतम

हम (1)- संतोष कुमार

निर्दलीय (1)- सुमित कुमार सिंह

गौरतलब है कि 10 अगस्त को महागठबंधन की सरकार बनने के बाद जदयू नेता नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री और राजद के तेजस्वी प्रसाद यादव ने मंत्री के तौर पर शपथ ली थी। शपथ ग्रहण के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि मंत्रियों के बीच विभागों के बंटवारे के बाद आज ही शाम साढ़े चार बजे मंत्रिमंडल की बैठक भी होगी।

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मुंबई की एंटी नॉरकोटिक्स सेल ने की बड़ी कार्रवाई, जब्त की 516 किलो ड्रग्स

मुंबई 16 Aug. (Rns/FJ): मुंबई पुलिस ने आज बड़ी कार्रवाई करते हुए 516 किलो एमडी ड्रग्स जब्त की। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत 1026 करोड़ रुपए आंकी गई है। यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई, जब कुछ ही दिन पहले मुंबई पुलिस की एंटी नारकोटिक्स सेल (एएनसी) ने गुजरात की सीमा से लगे पालघर जिले के नाला सोपारा कस्बे से 1,403 करोड़ रुपये की भारी मात्रा में ड्रग्स बरामद की थी।

बता दें कि एएनसी ने 3 अगस्त की रात नाला सोपारा के चक्रधर नगर क्षेत्र में सीताराम बिल्डिंग से एक व्यक्ति को 702 किलोग्राम मेफ्रेडोन के साथ पकड़ा और दो पेडलर को गिरफ्तार किया था। जब्त ड्रग्स की कीमत 1,403.5 करोड़ रुपये बताई गई थी।

ड्रग्स की बरामदगी दो अन्य ड्रग पेडलर्स और एक महिला से पूछताछ के बाद संभव हुई, जिन्हें एएनसी ने 29 मार्च को उत्तर-पूर्वी मुंबई के गोवंडी से पकड़ा था।

गिरफ्तार तीनों में से एक को 250 ग्राम मेफ्रेडोन, जिसकी कीमत 37.50 लाख रुपये और दूसरे को 2.70 किलोग्राम मेफ्रेडोन के साथ, (जिसकी कीमत 4.14 करोड़ रुपये है) पकड़ा गया था।

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जाति विवाद : क्लीन चिट मिलने पर बोले समीर वानखेड़े, परिवार और बच्चों ने झेला तनाव

नई दिल्ली 16 Aug. (Rns/FJ): जाति विवाद : एनसीबी मुंबई के पूर्व जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े को कास्ट स्क्रूटनी कमिटी से क्लीन चिट मिल गई है। इस मौके पर समीर वानखेड़े ने कहा कि 11 महीने बाद उन्हें न्याय मिला है, लेकिन इसके बदले में उनके परिवार और बच्चों को तनाव झेलना पड़ा। महाराष्ट्र सरकार में मंत्री रहे नवाब मलिक ने मुंबई एनसीबी के पूर्व जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े पर आरोप लगाए थे कि समीर वानखेड़े मुस्लिम हैं और नौकरी पाने के लिए उन्होंने फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाया है। इस मामले में कास्ट स्क्रूटनी कमिटी ने इन तथ्यों को गलत पाया और समीर वानखेड़े को क्लीन चिट दे दी। कमिटी ने कहा कि समीर वानखेड़े अनुसूचित जाति के अंतर्गत महार जाति से ही ताल्लुक रखते हैं।

मामले की आगे की सुनवाई में शामिल होने नेशनल कमीशन फॉर शेड्यूल कास्ट के दफ्तर में पहुंचे समीर वानखेड़े ने कहा कि 11 महीने बाद आखिरकार मुझे न्याय मिला है। इसके लिए उन्होंने नेशनल कमीशन फॉर शेड्यूल कास्ट और केंद्र सरकार का धन्यवाद दिया। समीर वानखेड़े ने कहा कि मेरी 42 साल की जिंदगी में कभी इस तरह के आरोप नहीं लगे।

समीर वानखेड़े का कहना था, कि वो नवाब मलिक पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे, लेकिन जिस तरह के झूठे आरोप मेरे परिवार पर लगाए गए, उससे बच्चों तक ने बेहद तनाव का सामना किया है। समीर वानखेड़े ने बताया कि उन्होंने महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री नवाब मलिक के खिलाफ मुंबई के गोरेगांव पुलिस में मामला भी दर्ज करवाया है, साथ ही मानहानि की धाराओं में भी केस दर्ज किया गया है।

दरअसल, ये पूरा मामला तब सामने आया जब समीर वानखेड़े ने अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान समेत कई लोगों को मुंबई में क्रूज ड्रग्स मामले में पकड़ा था। आर्यन खान को तो इस मामले में क्लीन चिट दे दी गई, लेकिन जांच के दौरान नवाब मलिक ने समीर वानखेड़े पर फिरौती लेने, फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाने समेत कई गंभीर आरोप लगाए थे। इसके अलावा एक शिकायतकर्ता ने भी इसी तरह के आरोप लगाते हुए समीर वानखेड़े का कथित फर्जी जाति प्रमाण पत्र और निकाहनामा जमा किया था।

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न्याय की विरासत के साथ आगे बढ़ेगा छत्तीसगढ़ : भूपेश बघेल

*मुख्यमंत्री ने आजादी की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर राजधानी रायपुर के पुलिस परेड ग्राउंड में किया ध्वजारोहण

*गांधी जयंती से शुरू होंगे ‘रूरल इंडस्ट्रियल पार्क’: एक वर्ष में 300 पार्क की स्थापना का लक्ष्य

*जन्माष्टमी से ‘कृष्ण कुंज योजना’ की होगी शुरूआत

*छत्तीसगढ़ में 5.03 लाख से अधिक वन अधिकार पत्र वितरित

*पेसा कानून से ग्राम सभाओं को मिलेगा जल-जंगल-जमीन के बारे में खुद फैसला लेने का अधिकार

*आगामी शिक्षा सत्र से 422 स्कूलों में लागू होगी स्वामी आत्मानंद योजना

रायपुर, 16 अगस्त (आरएनएस/FJ)।  मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ के पावन और गौरवशाली अवसर पर राजधानी रायपुर के पुलिस परेड मैदान में ध्वजारोहण करने के बाद प्रदेशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की बधाई और शुभकामनाएं दी। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर जनता के नाम अपने स्वतंत्रता दिवस संदेश में कहा कि आजादी की 75वीं वर्षगांठ से फिर एक नया सफर शुरू होगा, जो न्याय की हमारी विरासत के साथ आगे बढ़ेगा और ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़’ का लक्ष्य पूरा करेगा।

मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और अमर शहीदों को नमन करते हुए कहा कि आजाद भारत के अमृत महोत्सव के मायने और मूल्यों को समझने के लिए हमें दो शताब्दियों की गुलामी को याद करना होगा। हमारे पुरखों ने अपनी जान दांव पर लगाकर, फिरंगी सरकार के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद किया था। उनका त्याग और बलिदान देश की भावी पीढिय़ों का जीवन खुशहाल बनाने के लिए था। हमारा कत्र्तव्य है कि उनके सपनों को साकार करें और उनकी स्मृतियों को चिरस्थायी बनाएं।

अमर शहीदों को नमन

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि अमर शहीदों गैंदसिंह, वीर नारायण सिंह, मंगल पाण्डे, भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्ला खां, रानी लक्ष्मीबाई, रानी अवंतिबाई लोधी जैसी हजारों विभूतियों की शहादत हमें देश के लिए सर्वोच्च बलिदान की प्रेरणा देती रहेगी। स्वतंत्रता संग्राम और आजाद भारत को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, डॉ. भीमराव अम्बेडकर, लाल बहादुर शास्त्री, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, सरदार वल्लभ भाई पटेल, लाल-बाल-पाल, मौलाना अबुुल कलाम आजाद जैसी विभूतियों ने राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व दिया था। वहीं वीर गुण्डाधूर, पं. रविशंकर शुक्ल, ठाकुर प्यारेलाल सिंह, बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव, डॉ. खूबचंद बघेल, पं. सुंदरलाल शर्मा, डॉ. ई.राघवेन्द्र राव, क्रांतिकुमार, बैरिस्टर छेदीलाल, लोचन प्रसाद पाण्डेय, यतियतन लाल, डॉ. राधाबाई, पं. वामनराव लाखे, महंत लक्ष्मीनारायण दास, अनंतराम बर्छिहा, मौलाना अब्दुल रऊफ खान, हनुमान सिंह, रोहिणीबाई परगनिहा, केकतीबाई बघेल, श्रीमती बेलाबाई, इंदरू केंवट, उदय राम वर्मा, खिलावन बघेल, घसिया मंडल जैसे अनेक स्वतंत्रता सेनानियों ने राष्ट्रीय आंदोलन में छत्तीसगढ़ की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की थी, मैं इन सभी को सादर नमन करता हूं। देश की एकता और अखण्डता, संविधान व लोकतंत्र के प्रति आस्था को बचाए रखना एक चुनौती थी और इसके लिए भी हमारे देश की सेनाओं व सुरक्षा बलों के जवानों ने शहादत दी है। मैं उन अमर शहीदों को भी सादर नमन करता हूं।

प्रकृति-सम्मत विकास की राह पर आगे बढ़ा छत्तीसगढ़

मुख्यमंत्री ने अपने स्वतंत्रता दिवस के संदेश में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आखिरी वसीयतनामे का उल्लेख करते हुए कहा था-‘भारत ने राजनीतिक स्वतंत्रता तो प्राप्त कर ली है, लेकिन उसे अभी शहरों और कस्बों से भिन्न अपने सात लाख गांवों के लिए सामाजिक, आर्थिक और नैतिक स्वतंत्रता प्राप्त करना बाकी है’। आज देश के सामने अनेक चुनौतियां हैं। कृषि व वन भूमि का कम होना, पर्यावरण असंतुलन, प्रदूषण, बीमारियों, महंगाई, बेरोजगारी आदि से लोगों का जीवन संकटमय हुआ है। हमने पुरखों की सीख और माटी की संस्कृति का सम्मान करते हुए कृषि तथा वन उत्पादों, परंपरागत ज्ञान, आधुनिक साधनों व रणनीतियों के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने का रास्ता चुना। मुझे गर्व है कि हम आजादी की 75वीं सालगिरह के अवसर पर देश और दुनिया के सामने, बापू के सिद्धांतों और विचारों के अनुरूप कार्य करने में सफल हुए हैं। इसमें प्रकृति-सम्मत विकास, हर व्यक्ति को गरिमा, न्याय व बराबरी के अवसर देने वाली योजनाएं और कार्यक्रम शामिल हैं।

राजीव गांधी किसान न्याय योजना: किसानों को 13 हजार करोड़ रूपए की इनपुट सब्सिडी

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने न्याय योजनाओं की जो पहल की थी, उसे निरंतर आगे बढ़ाने के लिए भी संकल्पबद्ध हैं। यही वजह है कि ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ अब तीसरे वर्ष में प्रवेश कर चुकी है और इससे लगभग 13 हजार करोड़ रुपए की राशि किसानों को दी जा चुकी है। इस तरह एक सीजऩ में किसानों को प्रति एकड़ 9 हजार रुपए की आदान सहायता देने वाला देश का पहला राज्य हमारा छत्तीसगढ़ है। ‘गोधन न्याय योजनाÓ भी तीसरे वर्ष में प्रवेश कर चुकी है, इसके अंतर्गत अब-तक गोबर विक्रेताओं, गौठान समितियों तथा स्व-सहायता समूहों को 312 करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं। देश में रासायनिक खाद की कमी और मूल्य वृद्धि के परिदृश्य में हमारे गौठानों में निर्मित जैविक खाद, अब एक बेहतर विकल्प बन रही है। किसानों की सिंचाई कर माफी की पहल में भी विस्तार किया गया है और 17 लाख से अधिक किसानों के 342 करोड़ रुपए की राशि माफ की जा चुकी है। किसानों को 4 वर्ष पहले मात्र 3 हजार 692 करोड़ रुपए कृषि ऋण के रूप में प्राप्त हुआ था। हमने इस वर्ष लक्ष्य बढ़ाकर 6 हजार 500 करोड़ रुपए कर दिया है, जिससे लगभग 75 प्रतिशत अधिक राशि ब्याजमुक्त ऋण के रूप में कृषि क्षेत्र में आएगी। ‘राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना’ अपने दूसरे वर्ष में प्रवेश कर चुकी है और इसके तहत अब-तक पात्र हितग्राहियों को 213 करोड़ रुपए की राशि दी जा चुकी है।

प्रदेश में 35 हजार से अधिक कृषि पंपों का ऊर्जीकरण

मुख्यमंत्री ने कहा कि 31 जनवरी 2021 तक लंबित कृषि पंपों के ऊर्जीकरण की घोषणा के अनुरूप हमने 35 हजार 151 कृषि पंपों को ऊर्जित करते हुए एक नया कीर्तिमान बना लिया है। अब 20 हजार 550 नए पंप कनेक्शनों का कार्य 31 मार्च 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य है।
छत्तीसगढ़ में खेती बनीं लाभ का जरिया

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने खेती को लाभ का जरिया बनाने का वादा भी निभाया है। लगातार बढ़ते हुए, इस वर्ष धान खरीदी 98 लाख मीटरिक टन के सर्वोच्च शिखर पर पहुंची है, जो 4 वर्ष पूर्व मात्र 57 लाख मीटरिक टन थी। धान बेचने वाले किसानों की संख्या भी अब बढ़कर 21 लाख 77 हजार से अधिक हो गई है, जो पहले मात्र 12 लाख 6 हजार थी। इस तरह हमारे प्रयासों से धान बेचने वाले किसानों की संख्या 9 लाख 71 हजार बढ़ी है। प्रदेश में धान के अलावा अन्य अनाजों का उत्पादन बढ़ाने के भी अनेक उपाय किए गए हैं, जिसके कारण अनाज उत्पादन के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ न सिर्फ स्वावलम्बी हुआ है बल्कि प्रदेश में कुल आवश्यकता का 270 प्रतिशत अधिक अनाज उत्पादन हुआ है। फसल विविधीकरण की गति बढ़ाने के लिए ‘टी-कॉफी बोर्ड’ का गठन किया गया है। दलहन-तिलहन का उत्पादन बढ़ाने के लिए हमने बहुत से कदम उठाए हैं। इस वर्ष से दलहन फसलों की खरीदी भी समर्थन मूल्य पर की जाएगी। खरीफ 2021 में धान के बदले 17 हजार 539 एकड़ क्षेत्र में दलहन, तिलहन एवं 240 एकड़ में वृक्षारोपण किया गया है। रबी 2021-22 में ग्रीष्मकालीन धान का रकबा 95 हजार हेक्टेयर कम करते हुए 42 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में मक्का एवं शेष रकबे में दलहन, तिलहन, साग-सब्जी की फसलें लगाई गई हैं। खरीफ 2022 में धान के 5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को दलहन-तिलहन एवं अन्य उद्यानिकी फसलों से प्रतिस्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है।

लघु धान्य फसलों को प्रोत्साहन

प्रदेश में लघु धान्य फसलों को प्रोत्साहित करने के लिए ‘छत्तीसगढ़ मिलेट मिशन’ का गठन किया गया है। कोदो, कुटकी, रागी का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित कर इनकी खरीदी करने वाला देश का पहला राज्य छत्तीसगढ़ है।

नरवा योजना: भू-जल स्तर में 30 प्रतिशत तक वृद्धि

मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘सुराजी गांव योजना’ से छत्तीसगढ़ को स्वावलंबी ग्रामीण अर्थव्यवस्था वाला राज्य बनाने, भू-जल संरक्षण व रिचार्जिंग को बढ़ाने और कृषि भूमि को जहरीले रसायनों से मुक्ति दिलाते हुए जैविक खेती में मदद मिल रही है। ‘नरवा योजना’ से विभिन्न नालों में 99 लाख से अधिक संरचनाओं का निर्माण किया गया है, जिससे उपचारित क्षेत्र में भू-जल स्तर में 30 प्रतिशत तक वृद्धि हुई है, वहीं नालों में पानी की उपलब्धता भी दो माह अधिक रहने लगी है। ‘गरुवा योजना’ में पहले हमने गौठानों के विकास पर जोर दिया। अब-तक 8 हजार 408 गौठानों को विकसित किया जा चुका है, जो ‘रोका-छेका अभियान’ के साथ आर्थिक-सांस्कृतिक गतिविधियों के केन्द्र बने हैं। गोबर से बिजली बनाने के लिए ‘भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर’ के साथ प्रौद्योगिकी साझा करने हेतु एमओयू किया गया है। गोबर से ऑयल पेंट तथा अन्य उत्पाद बनाने की दिशा में भी बहुआयामी पहल की जा रही है।

गांधी जयंती से ‘रूरल इंडस्ट्रियल पार्क’ की होगी शुरूआत

मुख्यमंत्री ने कहा कि गौठानों को आजीविका-केन्द्र के रूप में विकसित करने हेतु हम ‘ग्रामीण आजीविका पार्क’ अर्थात ‘रूरल इंडस्ट्रियल पार्क’ प्रारम्भ करने जा रहे हैं। इसका उद्देश्य ग्रामीण गरीब परिवारों के लिए आजीविका के माध्यम से अतिरिक्त आय के साधन बनाना है। गांधी जयंती अर्थात 2 अक्टूबर 2022 के अवसर पर इसका शुभारम्भ किया जाएगा और प्रथम वर्ष में 300 ऐसे पार्क स्थापित कर दिए जाएंगे। अब एक कदम और आगे बढ़ाते हुए हमने 4 रुपए प्रति लीटर की दर से गौ-मूत्र खरीदी की योजना भी शुरू कर दी है, जो ‘रासायनिक पेस्टिसाइड्स’ के मुकाबले एक बेहतर विकल्प है। ‘बाड़ी योजना’ अंतर्गत प्रति गौठान एक से डेढ़ एकड़ तक भूमि चिन्हांकित की गई है और अभी तक 3 लाख से अधिक बाडिय़ां विकसित की जा चुकी हैं। राज्य के बम्पर धान उत्पादन को किसानों की शक्ति बनाने के लिए हमने राज्य की जरूरतें पूरी होने के बाद, शेष धान से ‘बायो एथेनाल’ के उत्पादन की योजना बनाई है और 27 निवेशकों के साथ एमओयू भी किया है। विकासखण्डों में फूडपार्क बनाने की योजना के तहत अभी तक 112 स्थानों पर भूमि चिन्हांकित की जा चुकी है और इनमें से 52 विकासखण्डों में लगभग 621 हेक्टेयर भूमि का हस्तांतरण उद्योग विभाग को किया गया है। परम्परागत कौशल के वैल्यू-एडीशन के लिए हमने ‘सी-मार्ट’ की स्थापना का वादा भी निभाया है। इससे बुनकरों, कारीगरों, शिल्पकारों तथा स्व-सहायता समूहों के स्थानीय उत्पादों की बिक्री हेतु उचित बाजार मिलेगा।

मनरेगा में 2,709 अमृत सरोवर निर्मित

श्री बघेल ने अपने स्वतंत्रता दिवस संदेश में कहा कि ‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना’ को हम ग्रामीण अंचलों में मजदूरी से जीवन-यापन करने वाले परिवारों की जीवन रेखा मानते हैं। मुझे खुशी है कि वर्ष 2021-22 में हमने ‘लेबर बजट’ के विरूद्ध मांग के आधार पर लक्ष्य से 108 प्रतिशत अधिक मानव दिवस रोजगार सृजित किए। मनरेगा से हर जिले में कम से कम 75 अमृत सरोवर निर्मित करने का लक्ष्य था, हमने उससे अधिक 2 हजार 709 अमृत सरोवर निर्मित किए। गौठानों के निकट मछली पालन के 1 हजार 859 तालाब स्वीकृत किए गए हैं, जिसमें से 1 हजार 318 पूर्ण कर लिए गए हैं। मैंने मनरेगा को शहरी क्षेत्रों के लिए भी लागू करने का अनुरोध भारत सरकार से किया है।

सभी वर्गों को न्याय

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने श्रमिकों को न्याय दिलाने के लिए भी कई कदम उठाए हैं। आदिवासियों को विभिन्न तरीकों से न्याय देने के उपाय किए गए हैं। अदालतों में लंबित विभिन्न प्रकार के 1 हजार 275 प्रकरण वापस होने से उनकी सम्मानजनक रिहाई तथा घर वापसी हुई है। निरस्त वन अधिकार दावों की समीक्षा करते हुए ऐसे मामलों में आदिवासियों तथा अन्य परंपरागत वन निवासियों को उनकी काबिज भूमि के अधिकार देने का वादा हमने निभाया है। ‘मुख्यमंत्री नोनी सशक्तीकरण योजना’ का लाभ 3 हजार से अधिक हितग्राहियों को, ‘मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिक नि:शुल्क कार्ड योजना’ का लाभ 88 हजार से अधिक हितग्राहियों को मिला है। ‘मुख्यमंत्री सियान श्रमिक योजना’ के तहत निर्माण श्रमिकों को पात्रता अनुसार 10 हजार रुपए, श्रम कल्याण मंडल में पंजीकृत श्रमिक परिवारों के बच्चों को शैक्षणिक छात्रवृत्ति के रूप में 30 हजार रुपए तक राशि, ‘मेधावी शिक्षा पुरस्कार योजना’ के तहत 1 लाख रुपए तक की राशि, ‘खेलकूद प्रोत्साहन योजना’ के अंतर्गत 1 लाख 50 हजार रुपए तक की राशि देने का प्रावधान किया गया है।

चिटफंड कम्पनियों के विरूद्ध कार्रवाई: निवेशकों को 18 करोड़ रुपए की राशि लौटाई गई

श्री बघेल ने कहा कि पूर्व में आम जनता के साथ ठगी करने वाली चिटफंड कंपनियों के खिलाफ हमने ठोस कार्यवाही करते हुए उनके 622 पदाधिकारियों को गिरफ्तार किया है। माननीय न्यायालयों द्वारा लगभग 56 करोड़ रुपए की सम्पत्ति की नीलामी के आदेश दिए जा चुके हैं, जिसमें से 32 करोड़ रुपए की राशि नीलामी से प्राप्त हुई है और 28 हजार से अधिक निवेशकों को लगभग 18 करोड़ रुपए लौटाए जा चुके हैं। नीलामी से प्राप्त शेष राशि भी निवेशकों को लौटाने का कार्य प्रगति पर है। ऐसी अन्य कंपनियों के खिलाफ कार्यवाही भी जारी है।

वन निवासियों को व्यक्तिगत सामुदायिक और वन संसाधन अधिकार

मुख्यमंत्री ने कहा कि अनुसूचित जनजाति तथा परंपरागत वन निवासियों को अभी तक 5 लाख 3 हजार 993 व्यक्तिगत, सामुदायिक तथा वन संसाधन अधिकार पत्र दिए जा चुके हैं, जिसके तहत 38 लाख 85 हजार 900 हेक्टेयर भूमि के अधिमान्यता पत्र वितरित किए गए हैं। हमने तेंदूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक दर 2 हजार 500 रुपए प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 4 हजार रुपए किया। पूर्व में सिर्फ 7 लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी की जा रही थी। हमने 65 लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी प्रारंभ की। विगत 3 वर्षों में देश में समर्थन मूल्य पर हुई कुल लघु वनोपज खरीदी का 75 प्रतिशत हिस्सा छत्तीसगढ़ में क्रय किया गया, जो एक गौरवपूर्ण उपलब्धि है, इससे वनआश्रित परिवारों को करोड़ों रुपए की अतिरिक्त आय प्राप्त हुई। आदिवासी संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु देवगुड़ी व घोटुल स्थलों का पुनरुद्धार किया जा रहा है। नक्सली गतिविधियों से बाधित और बंद हुई 260 शालाओं का संचालन पुन: प्रारंभ किया गया है। विशेष पिछड़ी जनजातियों के 9 हजार 623 युवाओं को सरकारी नौकरी देने की घोषणा भी मैंने की है, जिसे शीघ्र पूरा किया जाएगा।

पेसा अधिनियम: ग्राम सभाओं होंगी सशक्त

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने आदिवासियों के हित में बरसों से लंबित ‘पेसा अधिनियम’ के अंतर्गत नियम बनाने का काम पूरा कर इसे लागू कर दिया है, जिससे ग्राम सभाओं की शक्ति बढ़ेगी और उन्हें जल-जंगल-जमीन के बारे में खुद फैसला लेने का अधिकार मिलेगा। मेरा मानना है कि हमारे पुरखों ने देश को आजाद कराने की जो अवधारणा विकसित की थी, वह बहुत व्यापक थी और उसमें सबसे प्रमुख तत्व न्याय दिलाना ही था। इसलिए हमने आर्थिक, सामाजिक क्षेत्रों के साथ ऐसे हर उपाय किए हैं, जिससे समाज के हर वर्ग को गरिमा के साथ जीने का अवसर मिले, उनके विकास के बंद रास्ते खुलें। जटिल नियम-प्रक्रियाओं के बंधन समाप्त हों। हर क्षेत्र में सुधार हों। जनता के संविधान सम्मत अधिकारों और सुविधाओं में निरंतर वृद्धि हो।

‘स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय योजना’: स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में एक नयी क्रांति

मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में हमने सुधार के स्थायी उपाय किए, जिसके तहत पहले चरण में 14 हजार से अधिक शिक्षकों की स्थायी भर्ती का कार्य शुरू किया गया, जो अब अंतिम चरणों में है। इसके अतिरिक्त 10 हजार शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। ‘स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय योजना’ से स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में एक नयी क्रांति आयी है। विगत वर्ष हमने 51 स्कूलों से यह योजना प्रारंभ की थी, जो अब बढ़कर 279 स्कूलों तक पहुंच चुकी है। इनमें से 32 स्कूल हिन्दी माध्यम के हैं तथा 247 स्कूलों में हिन्दी के साथ अंग्रेज़ी माध्यम में भी शिक्षा दी जा रही है। इस वर्ष 2 लाख 52 हजार 600 बच्चों ने इन स्कूलों में प्रवेश लिया है, जिसमें 1 लाख 3 हजार बच्चे अंग्रेज़ी माध्यम तथा 1 लाख 49 हजार 600 बच्चे हिन्दी माध्यम के हैं। इस योजना की सफलता को देखते हुए हमने निर्णय लिया है कि अधिक से अधिक स्कूलों को इस योजना के अंतर्गत लाया जाएगा। आगामी शिक्षा सत्र के पूर्व 422 स्कूलों में यह योजना लागू होगी, जिनमें से 252 स्कूल बस्तर एवं सरगुजा संभाग में होंगे और इनमें दंतेवाड़ा जिले के शत-प्रतिशत शासकीय हाई एवं हायर सेकेंडरी स्कूल होंगे। अपना वादा निभाते हुए हमने नवा रायपुर में अंतरराष्ट्रीय स्तर का बोर्डिंग स्कूल स्थापित करने की प्रक्रिया भी प्रारंभ कर दी है।

बच्चों को मातृभाषा में प्रारंभिक शिक्षा

मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चों को उनकी मातृभाषा में ही प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करने के लिए हमने हिन्दी के अलावा 16 स्थानीय भाषाओं में तथा 4 पड़ोसी राज्यों की भाषाओं में पाठ्यपुस्तकें प्रकाशित कराई हैं। ‘नि:शुल्क पाठ्य पुस्तक योजना’ के तहत कक्षा पहली से कक्षा दसवीं तक सभी शासकीय-अशासकीय शालाओं तथा कक्षा आठवीं तक मदरसों के बच्चों को लगभग 52 लाख पाठ्य पुस्तकें प्रदान की जा रही हैं।  नवमीं कक्षा में पढऩे वाली 1 लाख 55 हजार छात्राओं को इस वर्ष नि:शुल्क सायकल देने का लक्ष्य रखा गया है।

शिक्षा को रोजगार से जोडऩे की पहल
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की बेरोजगारी दर लगातार देश में न्यूनतम स्तर पर बनी हुई है, जो हमारी युवा कल्याण और रोजगारपरक योजनाओं की सफलता का प्रमाण है। ‘सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकॉनॉमी’ द्वारा जारी नए आंकड़ों के अनुसार जुलाई में राज्य की बेरोजगारी दर मात्र 0.8 प्रतिशत रही, जबकि देश की औसत बेरोजगारी दर 6.9 प्रतिशत दर्ज की गई है। हमने स्कूली शिक्षा को रोजगारमूलक बनाने के लिए उसका आईटीआई के साथ समन्वय किया गया है, ताकि स्कूली शिक्षा और आईटीआई प्रशिक्षित होने का प्रमाण-पत्र एक साथ प्राप्त हो सके। इस योजना के तहत 114 हायर सेकेण्डरी स्कूलों को जोड़ा जा चुका है। उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए 1 हजार 459 सहायक प्राध्यापकों, क्रीड़ा अधिकारियों और ग्रंथपालों की नियुक्ति की गई है। अतिथि व्याख्याताओं का मानदेय बढ़ाया गया है। सभी जिलों में कन्या महाविद्यालय खोलने के क्रम में मुंगेली में नया कन्या महाविद्यालय प्रारंभ कर दिया गया है। दुर्गम वन अंचलों में पीपीपी मॉडल पर महाविद्यालय खोलने, उत्कृष्ट शासकीय महाविद्यालयों में मुक्त दूरवर्ती शिक्षा केन्द्र की स्थापना, स्नातक स्तर पर 4 वर्षीय डिग्री पाठ्यक्रम, बस्तर विश्वविद्यालय में आदिवासी लोक नृत्य एवं संगीत पर सर्टिफिकेट कोर्स प्रारंभ करने की पहल जैसे उपायों से उच्च शिक्षा का दायरा बढ़ाया जा रहा है, जिससे युवाओं को पढ़ाई पूरी करने के साथ बेहतर रोजगार के अवसर मिलेंगे।

राजीव युवा मितान क्लब: युवाओं की ऊर्जा को मिली रचनात्मक दिशा

हमने युवाओं को सकारात्मक और रचनात्मक दिशा में आगे बढ़ाने के लिए 6 हजार 518 से अधिक ‘राजीव युवा मितान क्लब’ प्रारम्भ कर दिए हैं, जिसका विस्तार सभी पंचायतों तथा नगरीय-निकायों में किया जाएगा।

कर्मचारी हितैषी निर्णय: पुरानी पेंशन योजना बहाल

मुख्यमंत्री ने कहा कि 26 जनवरी 2022 को शासकीय कार्यालयों में पांच कार्य दिवस प्रति सप्ताह प्रणाली लागू करने की घोषणा की थी, जिसे तत्काल पूरा किया गया, जिससे हमारे कर्मचारी साथी अधिक ऊर्जा और उत्साह के साथ कार्य करने में सक्षम हुए हैं। इसी प्रकार हमने राज्य के शासकीय कर्मचारियों एवं उनके परिवारजनों के भविष्य की चिंता करते हुए, उनकी लंबित मांग पूरी की और 1 नवम्बर, 2004 अथवा उसके पश्चात नियुक्त शासकीय कर्मचारियों के लिये नवीन अंशदायी पेंशन योजना के स्थान पर पुरानी पेंशन योजना को बहाल कर दिया है।

सबके स्वास्थ्य का रखा ध्यान

हमने स्वास्थ्य सुविधाओं को जन-जन तक पहुंचाने के लिए अनेक योजनाएं लागू की हैं। ‘डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना’, ‘मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना’, ‘मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना’, ‘नि:शुल्क डायलिसिस कार्यक्रम’, ‘मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य सहायता योजना’, ‘मुख्यमंत्री दाई-दीदी क्लीनिक योजना’, ‘दीर्घायु वार्ड योजना’ के अंतर्गत 83 लाख से अधिक लोगों को स्वास्थ्य-लाभ मिला है। प्रदेश को मलेरियामुक्त बनाने के विशेष अभियान से 6 चरणों में मलेरिया की दर 4.6 प्रतिशत से घटकर 0.21 प्रतिशत हो गई है। उच्च गुणवत्ता की जेनेरिक दवाएं तथा सर्जिकल सामान 51 से 72 प्रतिशत तक छूट पर देने के लिए हमने ‘श्री धन्वंतरी जेनेरिक मेडिकल स्टोर योजना’ के अंतर्गत नगरीय क्षेत्रों में 184 दुकानें प्रारंभ कर दी हैं। जेनेरिक दवाओं के विक्रय से अब तक 19 लाख लोगों को 35 करोड़ रुपए की बचत हुई है। रियायती दर पर पैथोलॉजी जांच की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश में 10 जिलों व 3 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में ‘हमर लैब’ प्रारंभ किए गए हैं। विगत वर्ष प्रदेश में ‘हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर’ स्थापित करने के लिए निर्धारित लक्ष्य के विरुद्ध हमने 116 प्रतिशत उपलब्धि हासिल की और 4 हजार 512 ऐसे सेंटर स्थापित किए, जिसके कारण छत्तीसगढ़ को देश में दूसरा स्थान प्राप्त हुआ है। ‘टीबी मुक्त भारत अभियान’ में छत्तीसगढ़ को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है।

नये चिकित्सा महाविद्यालयों के लिए बजट प्रावधान

जगदलपुर तथा बिलासपुर में मल्टी सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सालय, बिलासपुर में राज्य कैंसर संस्थान, कोरबा-कांकेर तथा महासमुंद में नए चिकित्सा महाविद्यालयों की स्थापना हेतु राज्य शासन द्वारा समुचित बजट प्रावधान किया गया है। नवा रायपुर में भी अत्याधुनिक मल्टी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल की स्थापना हेतु 25 एकड़ जमीन चिन्हांकित कर दी गई है।

4.44 करोड़ से अधिक लोगों का कोरोना टीकाकरण

मुख्यमंत्री ने कहा कि, छत्तीसगढ़ में कोरोना से बचाव के लिए टीके लगाने का काम हम काफी तेजी से कर रहे हैं। अभी तक कुल 4 करोड़ 44 लाख 75 हजार टीके लगाए जा चुके हैं। मैं चाहंूगा कि आप सभी लोग कोरोना से बचाव के लिए पात्रतानुसार टीका लगवाएं। वर्तमान में जो नि:शुल्क ‘बूस्टर डोज’ की सुविधा उपलब्ध है, उसका लाभ भी बड़ी संख्या में उठाएं।

2.60 करोड़ लोगों को खाद्य सुरक्षा

हमने प्रदेश में सार्वभौम पीडीएस व्यवस्था लागू करने का वादा निभाया है। इस योजना के हितग्राहियों की संख्या 2 करोड़ 60 लाख हो गई है, जो वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार 100 प्रतिशत कवरेज है। आयरन फॉलिक एसिड युक्त, फोर्टिफाइड चावल का वितरण 10 आकांक्षी जिलों के साथ कबीरधाम एवं रायगढ़ जिलों में भी ‘मध्याह्न भोजन’ व ‘पूरक पोषण आहार योजना’ के तहत किया जा रहा है। वर्ष 2024 तक पीडीएस के अंतर्गत सभी जिलों में फोर्टिफाइड चावल का वितरण प्रारंभ किया जाएगा।

मुख्यमंत्री सुपोषण योजना: 2.11 लाख बच्चे कुपोषण से हुए मुक्त

छत्तीसगढ़ में महिलाओं की सुरक्षा, पोषण और स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी गई है। प्रदेश के 51 हजार 664 आंगनवाड़ी केन्द्रों में 26 लाख महिलाओं तथा बच्चों को गर्म पका हुआ भोजन दिया जा रहा है। ‘मुख्यमंत्री सुपोषण योजना’ से कुपोषित बच्चों की संख्या में 48 प्रतिशत की कमी आई है। योजना अवधि में अब तक 2 लाख 11 हजार बच्चे कुपोषण से मुक्त हुए हैं। ‘नोनी सुरक्षा योजना’ के अंतर्गत 43 हजार से अधिक बेटियों को लाभान्वित किया गया है। आंगनवाड़ी और प्राथमिक शाला के समन्वय से 5 हजार से अधिक आंगनवाड़ी को बालवाड़ी के रूप में विकसित किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘स्वच्छता अभियान’ में छत्तीसगढ़ की भागीदारी और सफलता की मिसाल है कि हमारे ‘ठोस अपशिष्ट प्रबंधन मॉडल’ को विगत 3 वर्षों से लगातार राष्ट्रीय स्तर पर ‘राज्य स्वच्छ सर्वेक्षण’ में प्रथम स्थान मिल रहा है। शहरी सुविधाओं में सुधार की दिशा में हमने शहरी क्षेत्रों में 5 हजार वर्गफुट भू-खण्ड के आवासों में ‘ट्रस्ट दैन वेरिफाई’ के सिद्धांत पर सीधे हितग्राही को भवन अनुज्ञा प्रदान करने का कार्य प्रारंभ किया है।

जन्माष्टमी से शुरू होगी ‘कृष्ण कुंज योजना’

नागरिकों को मानचित्र ऑनलाइन कम्प्यूटर से जांच उपरांत एक क्लिक एवं एक रुपए के आवेदन शुल्क की अदायगी पर पूरे वैधानिक प्रावधानों के साथ जारी किए जा रहे हैं। शहरों के पर्यावरण को स्वच्छ और हरा-भरा बनाए रखने के लिए हमने इस वर्ष जन्माष्टमी के अवसर पर ‘कृष्ण कुंज योजना’ शुरू करने का निर्णय लिया है, जिसके तहत सभी 170 नगरीय-निकायों में 226 एकड़ क्षेत्र में सांस्कृतिक महत्व के पौधों का रोपण किया जाएगा।

झुग्गीवासियों के लिए 1 लाख से अधिक आवासों का निर्माण

आम जनता को घर पहुंच नागरिक सुविधाएं प्रदान करने के लिए शुरू की गई, ‘मुख्यमंत्री मितान योजनाÓ का लाभ 14 नगर निगमों में 5 हजार से अधिक लोगों को मिल चुका है। ‘मोर जमीन-मोर मकानÓ एवं ‘मोर मकान-मोर चिन्हारीÓ योजनाओं के जरिए हमने झुग्गीवासियों के लिए 1 लाख से अधिक आवासों का निर्माण पूर्ण कर लिया है। अब शहरी किराएदारों को भी मकान उपलब्ध कराने की दिशा में कार्यवाही की जा रही है।

रियल इस्टेट क्षेत्र को प्रोत्साहन

हमने छोटे भू-खंडों की खरीदी-बिक्री से रोक हटाने का जो फैसला किया था, उसके सकारात्मक परिणाम मिले हैं, इससे लगभग 3 लाख 55 हजार छोटे भू-खंडों के पंजीयन हुए हैं, जिससे उनके परिवार की आर्थिक गतिविधियां शुरू र्हुइं और अनेक लंबित कार्य संभव होने से परिवारों में खुशियां आई हैं। हमने जमीनों की गाइडलाइन दरों में 30 प्रतिशत की कमी, महिलाओं के पक्ष में रियायत, आवासीय भवनों के पंजीयन में रियायत, पंजीयन हेतु ‘ऑनलाइन अपॉइंटमेंटÓ जैसे अनेक सुधार किए, जिससे कोरोना के बावजूद प्रदेश में स्थायी सम्पत्तियों का क्रय-विक्रय बढ़ा और लक्ष्य से अधिक राजस्व प्राप्ति हुई। इससे हमारी सरकार की सुधारों के प्रति व्यावहारिक दृष्टि और उसे जन-समर्थन मिलने की पुष्टि भी होती है। जनहित के लिए सुधारों के सिलसिले में अनधिकृत विकास के नियमितीकरण हेतु नया कानून, आवासीय कालोनियों के विकास हेतु एकल खिड़की प्रणाली-सीजी आवास, प्रमुख शहरों के जर्जर भवनों के पुनर्विकास हेतु योजना, छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल की विशेष भाड़ा योजना में विधवा, शासकीय कर्मचारी, निगम-मंडल के कर्मचारी, शासकीय व अद्र्धशासकीय विभागों के संविदा कर्मचारी, सैनिक व भूतपूर्व सैनिक तथा स्वास्थ्यकर्मी को कुल देय ब्याज की राशि में 10 प्रतिशत की छूट का लाभ भी मिलेगा।

राज्य में 21 हजार 494 करोड़ रूपए का पूंजी निवेश

प्रदेश में उद्योग-व्यापार तथा कारोबार में वृद्धि को कानून- व्यवस्था की बेहतर स्थिति तथा राज्य सरकार की सकारात्मक नीतियों का परिणाम माना जाता है। विगत साढ़े तीन वर्षों में छत्तीसगढ़ में 2 हजार 230 नई औद्योगिक इकाइयां स्थापित हुई हैं, जिनमें 21 हजार 494 करोड़ रुपए का पूंजी निवेश हुआ है और लगभग 41 हजार लोगों को रोजगार मिला है। खाद्य प्रसंस्करण की 502 इकाइयों में 970 करोड़ रुपए का पूंजी निवेश हुआ है। भारत सरकार द्वारा जारी स्टार्टअप रैंकिंग में छत्तीसगढ़ को स्टार्टअप ईको-सिस्टम के विकास तथा 748 स्टार्टअप इकाइयों के पंजीयन हेतु एस्पायरिंग लीडर का सम्मान मिला। इसके अतिरिक्त विगत साढ़े तीन वर्षों में नए उद्योगों की स्थापना हेतु 177 एमओयू किए गए हैं, जिनके माध्यम से लगभग 90 हजार करोड़ रुपए का पूंजी निवेश तथा 1 लाख 10 हजार लोगों को रोजगार देना प्रस्तावित है। इनमें से 11 इकाइयों में 1 हजार 513 करोड़ रुपए का पूंजी निवेश हुआ है। मुझे विश्वास है कि इलेक्ट्रिक व्हीकल एवं लीथियम आयन बैटरीज, जूट बैग निर्माण प्रोजेक्ट जैसे नए क्षेत्रों को विशेष निवेश प्रोत्साहन पैकेज देने का भी लाभ जल्दी मिलेगा।

फिल्म सेल का गठन

हमने छत्तीसगढ़ी फिल्म उद्योग को बढ़ावा देने के लिए फिल्म सेल का गठन किया है। ‘सिंगल विंडो पैनल सॉफ्टवेयरÓ विकसित किया है, जिसमें निर्माता-निर्देशक को समस्त विभागों से अनापत्ति प्रमाण-पत्र प्रदान करने हेतु जिला कलेक्टर को अधिकृत किया गया है।
98 लाख लोगों को मिला ऑनलाइन नागरिक सेवाओं का लाभ
मेरा मानना है कि शासन-प्रशासन की सुविधाएं आम जनता को व्यापक पारदर्शिता के साथ मिले तो यह भी न्याय है। हमने सूचना प्रौद्योगिकी आधारित नवाचारों से ऑनलाइन नागरिक सेवाओं पर जोर दिया, जिसके कारण प्रदेश में ऑनलाइन नागरिक सेवाओं का उपयोग करने वाले लोगों की संख्या 300 प्रतिशत से अधिक बढ़ी है और 98 लाख से अधिक लोगों ने ऑनलाइन शासकीय सेवाओं का लाभ लिया है।

परिवहन सेवाएं हुई ऑनलाइन

परिवहन से संबंधित सेवाओं का वास्ता अधिकांश लोगों से होता है। हमने लर्निंग लाइसेंस, यात्री वाहनों के पर्यटन आवेदन की प्रक्रिया ऑनलाइन की है। वाहनों के पंजीयन एवं चालक लाइसेंस ‘क्यू आर कोडÓ आधारित स्मार्ट कार्ड पर जारी किए जा रहे हैं। परिवहन कार्यालय आने-जाने से बचत हेतु ‘परिवहन सुविधा केन्द्रÓ खोले जा रहे हैं। ‘तुंहर सरकार-तुंहर दुआरÓ की संकल्पना को साकार करने हेतु आरसी बुक तथा लाइसेंस की घर पहुंच सेवा स्पीड पोस्ट के माध्यम से की गई, जिसके तहत अभी तक 11 लाख 41 हजार से अधिक दस्तावेज आवेदकों के घर भेजे जा चुके हैं।

बेहतर प्रबंधन से बढ़ा सिंचाई का रकबा

अधोसंरचना विकास के लिए हमने परिणाममूलक नजरिया अपनाया, जिसके कारण सिंचाई क्षेत्र में बेहतर प्रबंधन से वास्तविक सिंचाई का रकबा 10 लाख 90 हजार हेक्टेयर से बढ़कर 13 लाख 58 हजार हेक्टेयर हो गया।

जल जीवन मिशन: 13.08 लाख नल कनेक्शन

जल-जीवन मिशन के अंतर्गत राज्य के 56 लाख ग्रामीण परिवारों को घरेलू नल कनेक्शन के माध्यम से 55 लीटर पानी प्रति व्यक्ति, प्रतिदिन देने के लिए सितम्बर 2023 की समय-सीमा तय की गई है और 13 लाख 8 हजार नल कनेक्शन दिए जा चुके हैं।
24 हजार करोड़ रूपए लागत से हो रहा सड़क-पुल-पुलियों का निर्माण

प्रदेश में 24 हजार करोड़ रुपए से अधिक की लागत से सड़क-पुल-पुलियों का निर्माण कराया जा रहा है। राज्य की विशेष जरूरतों के अनुरूप ‘मुख्यमंत्री सुगम सड़क योजनाÓ में 495 करोड़ रुपए की लागत से 735 किलोमीटर सड़कें, एडीबी लोन के माध्यम से 3 हजार 535 करोड़ रुपए की लागत से 869 किलोमीटर सड़कें, आदिवासी बहुल एवं नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 1 हजार 637 करोड़ रुपए की लागत से 2 हजार 478 किलोमीटर सड़कें, छत्तीसगढ़ सड़क अधोसंरचना विकास निगम द्वारा 5 हजार 503 करोड़ रुपए की लागत से 3 हजार 169 किलोमीटर सड़कें तथा ‘जवाहर सेतु योजनाÓ के माध्यम से 620 करोड़ रुपए की लागत से 94 पुलों का निर्माण कराया जा रहा है।

हाफ बिजली बिल योजना: 41 लाख उपभोक्ताओं को 2500 करोड़ रूपए की बचत

मैंने कहा था कि प्रदेश में बिजली का उपभोग बढ़ाना हमारी प्राथमिकता होगी ताकि बिजली हमारे प्रदेश में रोजगार, उद्यमिता और जीवन स्तर उन्नयन का माध्यम बने। हमने ‘हाफ बिजली बिल योजनाÓ का वादा निभाया, जो अब अपने तीसरे वर्ष में प्रवेश कर चुकी है और इसके अंतर्गत 41 लाख से अधिक उपभोक्ताओं को 2 हजार 500 करोड़ रुपए की बचत हो चुकी है। आज मुझे यह कहते हुए खुशी है कि हमने वर्ष 2018’9 की सर्वाधिक मांग 4 हजार 640 के मुकाबले 5 हजार 300 मेगावाट का उच्चतम स्तर छुआ है। कुशल प्रबंधन से विद्यमान बिजली घरों में उच्चतम उत्पादन हुआ और पारेषण तथा वितरण की बेहतर व्यवस्था करने में भी सफल हुए। अब छत्तीसगढ़ एक सशक्त विद्युत प्रणाली वाला राज्य बन गया है, जिससे और भी अधिक सुदृढ़ करने के लिए हमने वर्ष 2025 तक की कार्ययोजना बनाकर कार्य प्रारंभ किया है।

छत्तीसगढ़ की माटी का बढ़ा मान

मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ की तासीर पर हम सबको गर्व होने के अनेक कारण हैं। एक ओर स्वतंत्रता संग्राम से लेकर देश की एकता और अखण्डता की रक्षा के दौरान छत्तीसगढ़ महतारी के वीर सपूतों और सुपुत्रियों के पराक्रम के साथ ही उनकी सत्याग्रह के प्रति अटूट आस्था के दर्शन होते हैं तो वहीं दूसरी ओर वह विशाल आदिवासी अंचल भी है, जिसने भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम बनाया था। भगवान राम की माता कौशल्या की जन्मभूमि का प्रताप भी हमारी धरती में समाया है, इसलिए हम राम वनगमन पर्यटन परिपथ का विकास कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ महतारी का चित्र जारी कर उसे समस्त सरकारी कार्यालयों में लगाने के निर्देश दिए गए हैं। अपनी माटी का मान बढ़ाने के लिए अक्षय तृतीया के दिन ‘माटी पूजन अभियान’ की शुरूआत तथा श्रम दिवस के दिन ‘बोरे बासी’ का सम्मान लौटाने की शुरूआत की गई। हरेली, तीजा-पोरा, भक्तमाता कर्मा जयंती, छेर-छेरा पुन्नी, विश्व आदिवासी दिवस, छठ पूजा आदि को लोक पर्व के रूप में स्थापित कर, हमने छत्तीसगढ़ी स्वाभिमान को नई ऊंचाई दी है। अब राज्य स्तरीय सम्मानों की सूची में ‘देवदास बंजारे स्मृति पंथी नृत्य पुरस्कारÓ और ‘लाला जगदलपुरी साहित्य पुरस्कार’ को भी शामिल किया गया है।

‘बस्तर फाइटर्स’ विशेष बल में 2 हजार 800 पदों पर भर्ती

हमें विरासत में जो नक्सलवाद की समस्या मिली थी, उसकी रोकथाम में मिल रही सफलता वास्तव में लोकतांत्रिक आस्थाओं की जीत है। इस जीत में ‘विश्वास, विकास और सुरक्षा’ की बड़ी भूमिका है। हमने विगत साढ़े तीन वर्षों में सकारात्मक कदम उठाकर पुलिस और सुरक्षा बलों का मनोबल बढ़ाया है। वर्ष 2018 में राज्य में पुलिस बल की संख्या 75 हजार 125 थी, जो अब बढ़कर 80 हजार 128 हो गई है। ‘बस्तर फाइटर्स’ विशेष बल में 2 हजार 800 पदों पर स्थानीय युवाओं की भर्ती की जा रही है, जो सुरक्षा बलों को नई शक्ति प्रदान करेंगे। हमारे प्रशासन व आपदा-मोचन बल की कुशलता और सक्षमता का प्रमाण जांजगीर-चांपा जिले के ग्राम पिहरीद में खुले बोरवेल में गिरे एक बच्चे के बचाव और बाढ़ में फंसे 68 लोगों को सुरक्षित बचाने के दौरान भी दिखा।

जनप्रतिनिधियों के मानदेय में वृद्धि

मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की क्षमता वृद्धि से जन-अपेक्षाओं की पूर्ति व विकास कार्यों का सीधा रिश्ता होता है। इसलिए हमने त्रिस्तरीय पंचायत राज संस्थाओं, नगरीय निकायों के पदाधिकारियों के मानदेय एवं वित्तीय अधिकारों में वृद्धि की है, साथ ही विधानसभा सदस्यों का वेतन भी बढ़ाया है। मैं चाहूंगा कि समस्त जनप्रतिनिधि अधिक सक्रियता के साथ जनसमस्याओं के निवारण और प्रदेश की प्रगति में अपनी भागीदारी निभाएं। आपसी विश्वास, समन्वय, सद्भाव, एकता और समझदारी की बदौलत हम भावी चुनौतियों का मुकाबला भी पूरी क्षमता से करेंगे।

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नीतीश कुमार बेल से वृक्ष नहीं बन पाए, गिरिराज सिंह ने की टिप्पणी

नई दिल्ली, 16 अगस्त (एजेंसी)। भाजपा का साथ छोड़कर आरजेडी संग सरकार बनाने वाले बिहार के सीएम नीतीश कुमार पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने तंज कसा है। वृक्ष नहीं बन सके हैं। उन्होंने कहा कि अमरलता हमेशा दूसरे पेड़ों पर ही लद जाता है और उसके पत्तों को ढक देता है और खुद का रंग ही दिखता है। गिरिराज सिंह ने इस तंज के जरिए दरअसल यह कहने की कोशिश की है कि नीतीश कुमार कम सीटों के बाद भी कैसे सीएम बन रहे हैं और दूसरे दल ज्यादा सीटों के बाद उनकी लीडरशिप को स्वीकार कर रहे हैं। यही नहीं उन्होंने 20 लाख रोजगार के वादे पर भी सवाल खड़े किए हैं। गिरिराज सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार का कॉम्पिटिशन अपने भतीजे से है।

सता की चाभी भतीजे के पास है। नीतीश कुमार जी शराबबंदी विफल रही है। लोग आजकल जेल से घर पहुंच जा रहे हैं। गिरिराज सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार जल्दी ही 20 लाख रोजगार देने के अपने ऐलान से यूटर्न ले लेंगे। गिरिराज सिंह ने ट्विटर पर नीतीश कुमार का एक पुराना वीडियो शेयर किया है। इस वीडियो के कैप्शन में गिरिराज सिंह ने लिखा, नीतीश कुमार ने 2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान वीडियो बयान में कहा कि 10 लाख नौकरियां कैसे दी जाएंगी और वे कैसे वेतन देने में कामयाब रहेंगे।

वहीं आरजेडी के प्रवक्ता मनोज झा ने भी भाजपा पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के महागठबंधन में आने के बाद से बिहार की तस्वीर एकदम बदल गई है। भाजपा सोच रही थी कि 2024 के उसके प्लान में बिहार अहम होगा। लेकिन अब तो उसे यहां पर एक या दो सीट जीतने के लिए भी बहुत संघर्ष करना होगा।

उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के विपक्ष में आने से ताकत बढ़ी है और इसकी वजह से भाजपा में बेचैनी देखी जा रही है। इस बीच भाजपा ने दिल्ली में बिहार कोर कमिटी की मीटिंग बुलाई है।

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पोस्टर लगाने को लेकर कर्नाटक में बवाल, धारा 144 लागू

शिमोगा, 16 अगस्त (एजेंसी)। शिमोगा के आमिर अहमद सर्कल में स्वतंत्रता सेनानी वीर विनायक दामोदर सावरकर और मैसूरु के शासक रहे टीपू सुल्तान के पोस्टर लगाने को लेकर हुए विवाद में सोमवार को दो युवकों पर चाकू से हमला कर दिया गया। घायल युवकों की पहचान प्रेम सिंह और प्रवीण के रूप में हुई है। युवकों का इलाज चल रहा है। चाकूबाजी की घटना के बाद हालात तनावपूर्ण हैं।

इलाके में तनाव को देखते हुए पूरे शहर में धारा 144 लगा दी गई है। वहीं, भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई है। शिवमोगा के कलेक्टर ने मंगलवार को शहर और भद्रावती टाउन लिमिट में स्कूल और कॉलेज बंद रखने का आदेश दिया है। कलेक्टर ने कहा कि इन दोनों जगहों पर 18 अगस्त तक धारा 144 लागू रहेगी। मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई ने कहा, घटना नहीं होनी चाहिए थी।

मैंने शांति भंग करने की कोशिश करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आदेश दिया है। इलाके में अतिरिक्त बल तैनात कर दिया गया है। शहर में 18 अगस्त तक निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है। 10 लोगों को हिरासत में लिया है।

चाकूबाजी करने वाले बदमाशों की तलाश शुरू कर दी गई है। 76वें स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान एक समूह ने सर्कल में हाई मास्ट लाइट पोल पर सावरकर का पोस्टर लगाने का प्रयास किया।

कुछ लोगों ने इसका विरोध किया और वहां टीपू सुल्तान का पोस्टर लगाने का प्रयास किया। इससे क्षेत्र में तनावपूर्ण स्थिति पैदा हो गई। दोनों पक्षों के लोग बड़ी संख्या में जमा हो गए थे।

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भारत दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, ग्लोबल आईटी इंडस्ट्री बना मुख्य केन्द्र

नई दिल्ली, 16 अगस्त (एजेंसी)। आजादी के बाद भारत के सामने चुनौतियां तो अनेक आईं लेकिन उन्हें पीछे छोड़ते हुए इसने दुनिया में अपना जो श्रेष्ठ स्थान बनाया है, उसकी मिसाल कम ही मिलती है। देश आजाद हुआ तब देशवासियों के सामने खाने-पीने-पहनने का संकट था, क्योंकि तब हम इन सबके लिए आयात पर निर्भर थे। लेकिन 75 वर्षों के बाद आज हम दुनिया की जरूरतें पूरी कर रहे हैं। साढ़े सात दशक में देश ने कई युद्ध लड़े, मंदी का साया कई बार गहराया, लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था अटल रही। आज भी जब अमेरिका और यूरोप के फिर मंदी में जाने की चर्चा हो रही है, दुनिया के तमाम एक्सपर्ट यही कह रहे हैं कि भारत सबसे तेज बढऩे वाली इकोनॉमी रहेगा।

अंग्रेजी शासन से तुलना करें तो आजादी से पहले 50 वर्षों तक भारत की औसत विकास दर सिर्फ 0.75 प्रतिशत थी।देश की कुछ उपलब्धियां देखिए। एग्रीकल्चर स्टैटिस्टिक्स एट ए ग्लांस के अनुसार 1950-51 से 2020-21 तक प्रति व्यक्ति आय 7114 रुपये से (स्थिर मूल्यों पर) 12 गुना बढ़कर 85110 रुपये हो गई। अनाज उत्पादन 508 लाख टन से छह गुना बढ़कर 3086 लाख टन पहुंच गया। तब बिजली उत्पादन 5 अरब किलोवाट का होता था, यह 275 गुना बढ़कर 1373 किलोवाट हो गया है। निर्यात में 3562 गुना की वृद्धि हुई है। 1950-51 में सिर्फ 608 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ था, जबकि 2020-21 में 29.16 लाख करोड़ रुपये का निर्यात हुआ है। इस दौरान देश की आबादी भी 36 करोड़ से बढ़कर 140 करोड़ हुई है

।भारत नॉमिनल जीडीपी के हिसाब से दुनिया की छठी और परचेजिंग पावर पैरिटी के हिसाब से तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी है। यहां का 47 लाख करोड़ रुपये का रिटेल मार्केट दुनिया में पांचवां सबसे बड़ा है। कारों की बिक्री के मामले में चीन, अमेरिका और जापान के बाद भारत चौथे नंबर पर है। हम दुनिया के छठे सबसे बड़े मैन्युफैक्चर भी हैं। हम न सिर्फ दुनिया के सबसे बड़े जेनेरिक ड्रग उत्पादक हैं, बल्कि सबसे बड़े वैक्सीन निर्माता भी हैं। इसलिए भारत को दुनिया की फार्मेसी भी कहा जाता है।

यूजर संख्या के लिहाज से यहां की टेलीकॉम इंडस्ट्री दुनिया में दूसरे नंबर पर पहुंच गई है। इंजीनियरिंग, जेम्स एंड ज्वैलरी, पेट्रोलियम, गारमेंट, आईटी जैसे सेक्टर में भारत बड़ा निर्यातक भी बन गया है। भारत ग्लोबल आईटी इंडस्ट्री का आधार तो है ही, आज देश में 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न हैं और इस मामले में यह तीसरे नंबर पर है।भारतीय अर्थव्यवस्था का अतीत भी स्वर्णिम रहा है। वर्ष 1700 के आसपास विश्व अर्थव्यवस्था में भारत का हिस्सा एक चौथाई था और यह समूचे यूरोप के बराबर था। ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग में भी भारत लगभग इतना ही योगदान करता था। लेकिन ब्रिटिश शासन के दौरान उद्योग बंद होने से वर्ष 1900 में भारत का औद्योगिक उत्पादन दुनिया का सिर्फ दो फीसदी रह गया।

आजादी के समय दुनिया की जीडीपी में भारत का हिस्सा सिर्फ चार फीसदी था। हालांकि अब भी यह 3.2त्न है, लेकिन अब विश्व अर्थव्यवस्था काफ ी बड़ी हो गई है। आर्थिक सुधारों से पहले 1991 में वह समय भी आया जब भारत की इकोनॉमी 17वें स्थान पर पहुंच गई थी। तब विदेशी मुद्रा भंडार सिर्फ 5.8 अरब डॉलर का रह गया था, अब 573 अरब डॉलर का है।भारत की विकास दर 1950 के दशक में ही आजादी से पहले की तुलना में पांच गुना हो गई थी।

इसका एक कारण यह था कि पहले हमारे देश की बचत बाहर चली जाती थी और यहां निवेश नहीं हो पाता था। आजादी के बाद देश में ही निवेश होने लगा। संसाधन कम थे, सो उनका बेहतर इस्तेमाल करना जरूरी था। इसलिए योजना आयोग बना, उद्योग और कृषि नीति बनी।

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अमरनाथ ड्यूटी से लौट रहे आइटीबीपी जवानों की बस खाई में गिरी, आधा दर्जन जवान शहीद

*30 से अधिक जवान घायल*

श्रीनगर, 16 अगस्त (एजेंसी)। स्वतंत्रता दिवस के दूसरे दिन जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में बड़ा हादसा हुआ है। आईटीबीपी जवानों को लेकर जा रही बस चंदनवाड़ी इलाके में खाई में गिर गई। हादसे में 6 जवानों की मौत हो गई है और 30 घायल हैं जिनमें कई की हालत गंभीर है।

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि घायल जवानों को इलाज के लिए श्रीनगर स्थित आर्मी हॉस्पिटल में एयरलिफ्ट किया जा रहा है।बताया जाता है कि पिछले कुछ दिनों से जम्मू और कश्मीर में भारी बारिश हो रही है

जिसके कारण पहाड़ी मार्गो में भूस्खलन एवं चट्टानों का गिरना लगातार देखा जा रहा है हो ना हो इस बड़े घटना का कारण यह भी हो सकता

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आज का राशिफल

मेष : (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)

आज समय आपके पक्ष में है। इसलिए इसका बेहतर सदुपयोग करें। पिछले कुछ समय से जिन कामों में रुकावट आ रही थी, आज वह बहुत ही सहज व आसान तरीके से हल हो जाएंगे। वस्त्र, आभूषण जैसी खरीदारी में भी समय व्यतीत होगा। सामाजिक दायरा बढेगा। जीवनसाथी का सहयोग कर मन प्रसन्न होगा। आराम को समय मिलेगा। स्वास्थ्य सुधार होगा।

वृष : (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वे, वो)

आज आपका दिन मनोनुकूल रहेगा। योजना फलीभूत होंगी। मित्रों का सहयोग प्राप्त होगा। आपके घर में परिवर्तन या सुधार संबंधी कुछ योजनाएं बनेंगी। व्यस्तता के बावजूद आप अपनी रूचि संबंधी कार्यों के लिए भी समय निकाल लेंगे। आपके मन मुताबिक इच्छा पूर्ति होने से आत्मिक खुशी व सुकून मिलेगा। स्वास्थ्य सही रहेगा।

मिथुन : (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)

आज आपका दिन आरामदायक रहेगा। परिवार का सहयोग मिलेगा। बड़ो का आशीर्वाद फलीभूत होगा। कार्यक्षेत्र में समय जैसा चल रहा है, उसी पर ध्यान केंद्रित रखें। किसी भी प्रकार की भविष्य संबंधी कार्य प्रणाली की योजना रुककर बनाएं। नौकरी पेशा व्यक्तियों को अपना टारगेट हासिल मेहनत से कर लेंगे। जीवनसाथी की सलाह से कार्य सिद्ध होंगे। स्वास्थ्य लाभ होगा।

कर्क : (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

आज आपका दिन बेहतर रहेगा। जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। संतान को कोई उपलब्धि हासिल होने से मन प्रसन्न रहेगा। तथा घर में भी उत्सव भरा वातावरण बना रहेगा। धन के निवेश संबंधी योजनाओं के लिए समय उत्तम है। घर में कोई धार्मिक कृत्य भी संपन्न हो सकता है। मित्रमंडली से शुभ समाचार मिल सकता है। स्वास्थ्य सामान्य रहेगा।

सिंह : (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

आज आपका दिन शुभ फलदायी होगा। मेहनत रंग अवश्य दिखाएगी। कार्यक्षेत्र में की गई मेहनत के परिणाम भी बेहतरीन हासिल होंगे। इस समय अपना पूरा ध्यान अपने काम पर केंद्रित रखें क्योंकि इससे व्यवसाय की स्थिति मजबूत रहेगी। नौकरी पेशा व्यक्तियों को किसी प्रकार सहयोग से फलप्राप्ति होगी। जीवनसाथी का सहयोग मिलेगा। स्वास्थ्य लाभ होगा।

कन्या : (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

आज आपका समय शुभ रहेगा। दिनचर्या में सुधार होगा। ग्रह गोचर इस समय आपके पक्ष में बेहतरीन परिस्थितियां बना रहे हैं। अपने अधूरे पड़े हुए कामों को पूरा करने के लिए समय बहुत ही उचित है। परिवार तथा मित्रों के साथ मनोरंजन तथा घूमने-फिरने का भी प्रोग्राम बनेगा। बड़ो का आशीर्वाद फलीभूत होगा। स्वाथ्य में हल्की थकान महसूस कर सकते हैं।

तुला : (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)

आज आपका दिन सामान्य रहेगा। मेहनत के अवसर प्राप्त होंगे। व्यवसाय की स्थिति पहले से बेहतर होगी। साथ ही वित्तीय मामलों में भी सुधार हो सकता है। नौकरी से संबंधित कामों में हालात सामान्य ही रहेंगे। किसी भी प्रकार का बदलाव करने की आवश्यकता नहीं होगी। धार्मिक महत्व की तरफ रूचि और बढेगी। स्वास्थ्य सही रहेगा।

वृश्चिक : (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)

आज आपका समय नवीन विचारधारा उत्पन्न करने वाला होगा। जीवनसाथी की सकारात्मक सोच उचित फैसले में मददगार रहेगी। समय संतोषजनक चल रहा है। परंतु जल्दबाजी की बजाय शांतिपूर्ण तरीके से काम करना ज्यादा प्रभावी रहेगा। घर के नवीनीकरण तथा साज-सज्जा से संबंधित वस्तुओं की खरीदारी भी रहेगी। स्वास्थ्य सुधार होगा।

धनु : (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)

आज आपका दिन मिलाजुला रहेगा। आप व्यस्त रहने से आराम को समय कम दे पाओगे। मेहनत शुभफलदायी रहेगी। पैसों के लेनदेन संबंधी कार्यों को करते समय सावधानी रखने की जरूरत है। नौकरी पेशा व्यक्ति अपने सहयोगियों के साथ मधुर संबंध बनाए रखें। मित्रमंडली व सगे सम्बन्धियों को समय दे। स्वास्थ्य सामान्य रहेगा।

मकर : (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)

आज आपका दिन शुभफलदायी रहेगा। सहयोगात्मक भावना से मानसिक शान्ति मिलेगी। साझेदारी संबंधी बिजनेस में पारदर्शिता रखें। इससे आपसी संबंध मजबूत बने रहेंगे। आज किसी नए काम को शुरू ना करें। बच्चों के साथ समय बिताएँ। जीवनसाथी के सहयोग से मानसिक प्रसन्नता बनेगी। स्वास्थ्य सुधार होगा।

कुंभ : (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)

आज आपका दिन शुभ रहेगा। पारिवारिक माहौल खुशनुमा बनेगा। बड़ो का आशीर्वाद फलदायी रहेगा।
रुका या उधार दिया हुआ पैसा हासिल करने के लिए भी आज का दिन उत्तम है। इसके लिए प्रयासरत रहें। आज आपकी मुख्य योजना अपने सभी कार्यों को योजनाबद्ध तरीके से निपटाने की रहेगी और आप इसमें काफी हद तक सफल भी रहेंगे। स्वास्थ्य उत्तम रहेगा।

मीन : (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)

आज आपका दिन शुभफलदायी रहेगा। घर का माहौल सामान्य रहेगा। मानसिक सन्तुष्टि मिलेगी। कार्यस्थल और आर्थिक मामलों में ध्यान बंट सकता है। किसी अनुभवी व्यक्ति का मार्गदर्शन और सलाह आपके लिए लाभदायक साबित होगी। शेयर्स तथा स्टॉक संबंधी कार्यों में सफलता मिलेगी। स्वास्थ्य सही रहेगा।

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वरिष्ठ फिल्म पत्रकार काली दास पाण्डेय झारखंड में सम्मानित

हजारीबाग, 15.08.2022  –  15 अगस्त 2022 को आज़ादी के 75वें वर्षगांठ के अवसर पर राष्ट्रीय स्तर पर संकल्पित आयोजन ‘अमृत महोत्सव’ के अवसर पर स्थानीय स्तर पर हजारीबाग बार एसोसिएशन के द्वारा आयोजित भव्य समारोह में अधिवक्ता संघ के तमाम सदस्यों व हजारीबाग व्यवहार न्यायालय के सभी न्यायिक पदाधिकारियों की मौजूदगी में, अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष श्री राजकुमार राजू द्वारा अधिवक्ता काली दास पाण्डेय को स्मृति चिन्ह व अंगवस्त्र दे कर  सम्मानित किया।

हजारीबाग बार एसोसिएशन के तरफ से यह सम्मान उन्हें वकालत पेशे के अलावा सामाजिक सरोकार से जुड़े  कार्यों व अतिरिक्त फिल्मी गतिविधियों के लिए दिया गया।

विदित हो कि इस वर्ष 26 मार्च को मालाबार हिल, वालकेश्वर रोड मुम्बई स्थित राज भवन में आयोजित राष्ट्रीय सेवा सम्मान समारोह में वरिष्ठ फिल्म पत्रकार/ अधिवक्ता काली दास पाण्डेय को महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री भगत सिंह कोश्यारी ने ‘राष्ट्रीय सेवा सम्मान’ अवार्ड दे कर सम्मानित किया था।

4 मई को अंधेरी (वेस्ट) मुम्बई स्थित मेयर हॉल में कृष्णा चौहान फाउंडेशन (केसीएफ) के द्वारा आयोजित भव्य समारोह में वरिष्ठ फिल्म पत्रकार काली दास पाण्डेय को लीजेंड दादा साहेब फाल्के अवार्ड दे कर सम्मानित किया जा चुका है। इसके साथ ही16 मई को अंधेरी (वेस्ट)मुम्बई स्थित मुक्ति फाउंडेशन के प्रेक्षागृह में आयोजित सिनेमा आजतक एचीवर्स अवार्ड 2022 समारोह में वरिष्ठ फिल्म पत्रकार सह अधिवक्ता काली दास पाण्डेय को फिल्म निर्माता निर्देशक सुजॉय मुखर्जी (अभिनेता स्व जॉय मुखर्जी के पुत्र) के द्वारा बेस्ट जर्नलिस्ट अवार्ड से नवाजा गया था।

यहाँ उल्लेखनीय है कि बॉलीवुड के चर्चित फिल्म पत्रकार काली दास पाण्डेय ने अपना करियर 1981 में स्वतंत्र पत्रकार के रूप में जमशेदपुर (झारखंड) से प्रकाशित हिंदी दैनिक समाचार पत्र ‘उदित वाणी’ से किया था। 80 के दशक से वर्तमान समय तक  बतौर फिल्म पत्रकार बॉलीवुड में सक्रियता जारी है । हजारीबाग (झारखंड) बार एसोसिएशन की सदस्यता ग्रहण कर 1992 से वकालत के पेशे में क्रियाशील काली दास पाण्डेय को बॉलीवुड में फिल्म निर्माता व निर्देशक रमेश सिप्पी की कालजयी फिल्म-‘शोले’ के इतिहास के साथ एक नया अध्याय जोड़ने वाले फिल्म पत्रकार के रूप में जाना जाता है।

70 के दशक की सर्वाधिक कमाई करने वाली फिल्म के रूप में ‘शोले’ की चर्चा आज के दौर में भी होते रहती है। 3 घंटा 24 मिनट की म्यूजिकल/कॉमेडी युक्त एक्शन फिल्म ‘शोले’ सिर्फ रमेश सिप्पी की नहीं, बल्कि पूरे भारतीय सिनेमा की अबतक की सदाबहार फिल्म है। 15 अगस्त 1975 को प्रदर्शित इस फिल्म की सफलता का श्रेय इसकी पटकथा और पार्श्व संगीत को ही दिया जाता है।

आसमान में गोलियों की गूंजती आवाज, झूले के चरचराहट, डाकुओं की फिल्म होते हुए भी नई कहानी के जरिये मध्यमवर्गीय जीवन के नए पहलू उद्घाटित हुए थे , इसी सबने मिलकर ‘शोले’ को महान बनाया। वर्ष 2005 में 50वें फिल्मफेयर समारोह में फिल्म को पिछले 50 साल की सर्वश्रेष्ठ फिल्म का दर्जा दिया गया था। साथ ही ब्रिटिश फिल्म इंस्टीट्यूट ने वर्ष 2002 की वोटिंग में शीर्ष 10 भारतीय फिल्मों की सूची में ‘शोले’ को प्रथम स्थान दिया था।

‘शोले’ के प्रदर्शित होते ही फिल्म के संवाद और कुछ साइलेंट पात्र की जीने वाले कलाकार बेहद लोकप्रिय हो गए थे उनमें से चरित्र अभिनेता मेजर आनंद का नाम सर्वोपरि है। वैसे अभिनेता मेजर आनंद अब इस दुनिया में नहीं हैं, उन्होंने 3 सितंबर 2020 को इस दुनियां को अलविदा कहा। फौज की नौकरी छोड़ कर 70 के दशक में ही रामसे ग्रुप की फिल्म-‘अंधेरा’ से फिल्मी कैरियर शुरू करने वाले अभिनेता मेजर आनंद ने अपने जीवन काल में ‘शोले’ समेत 75 फिल्मों में काम में काम किया।अभिनेता मेजर आनंद के अभिनय कौशल और लोकप्रियता को देखते हुए बी एफ सी पब्लिकेशन्स (लखनऊ) के द्वारा अभिनेता मेजर आनंद की बायोग्राफी प्रकाशित की गई है । इसके लेखक काली दास पाण्डेय हैं।

इसके साथ ही रमेश सिप्पी की फिल्म-‘शोले’ के इतिहास के साथ एक नया अध्याय जुड़ गया है। इसके पूर्व ‘शोले’ के नामचीन कलाकारों को छोड़ कर फिल्म से जुड़े किसी भी कैरेक्टर आर्टिस्ट की बायोग्राफी अब तक प्रकाशित नहीं हुई थी। फिल्म पत्रकार काली दास पाण्डेय द्वारा लिखी गई बायोग्राफी ‘मेजर आनंद- ख़्वाबों की मंज़िल का नायक’ (सफरनामा फौज से फिल्मों तक)  की खास बात यह है कि इसमें  अभिनेता मेजर आनंद के फिल्मी कैरियर से जुड़े अनछुए पहलुओं को शामिल किया गया है।

साथ ही साथ फिल्म विधा में रुचि रखने वाले नवोदित कलाकारों व फिल्म निर्माताओं के लिए इस बायोग्राफी में फिल्म डायरेक्टरी का भी समावेश किया गया है।

पाठकों के लिए यह बायोग्राफी काफी उपयोगी साबित होगी। बायोग्राफी का किंडल (ई बुक) संस्करण और पेपर बैक संस्करण अमेज़न और फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध है।

संवाद प्रेषक : राजदीप पाण्डेय 

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आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर देशवासियों को अनेक-अनेक शुभकामनाएं – प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी

नई दिल्ली, 15.08.2022 (एजेंसी) आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर देशवासियों को अनेक-अनेक शुभकामनाएं। बहुत-बहुत बधाई। न सिर्फ हिन्‍दुस्‍तान का हर कोना, लेकिन दुनिया के हर कोने में आज किसी न किसी रूप में भारतीयों के द्वारा या भारत के प्रति अपार प्रेम रखने वालों के द्वारा विश्‍व के हर कोने में यह हमारा तिरंगा आन-बान-शान के साथ लहरा रहा है। मैं विश्‍वभर में फैले हुए भारत प्रेमियों को, भारतीयों को आजादी के इस अमृत महोत्‍सव की बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

आज का यह दिवस ऐतिहासिक दिवस है। एक पुण्‍य पड़ाव, एक नई राह, एक नये संकल्‍प और नये सामर्थ्‍य के साथ कदम बढ़ाने का यह शुभ अवसर है। आजादी के जंग में गुलामी का पूरा कालंखड संघर्ष में बीता है। हिन्‍दुस्‍तान का कोई कोना ऐसा नहीं था, कोई काल ऐसा नहीं था, जब देशवासियों ने सैकड़ों सालों तक गुलामी के खिलाफ जंग न किया हो। जीवन न खपाया हो, यातनाएं न झेली हो, आहूति न दी हो। आज हम सब देशवासियों के लिए ऐसे हर महापुरूष को, हर त्‍यागी को, हर बलिदानी को नमन करने का अवसर है। उनका ऋण स्‍वीकार करने का अवसर है और उनका स्‍मरण करते हुए उनके सपनों को जल्‍द से जल्‍द पूरा करने का संकल्‍प लेने का भी अवसर है। हम सभी देशवासी कृतज्ञ है, पूज्‍य बापू के, नेता जी सुभाष चंद्र बोस के, बाबा साहेब अम्‍बेडकर के, वीर सावरकर के, जिन्‍होंने कर्तव्‍य पथ पर जीवन को खपा दिया। कर्तव्‍य पथ ही उनका जीवन पथ रहा। यह देश कृतज्ञ है, मंगल पांडे, तात्‍या टोपे, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू, चंद्रशेखर आजाद, अशफाक उल्ला खां, राम प्रसाद बिस्मिल अनगिनत ऐसे हमारे क्रांति वीरों ने अंग्रेजों की हुकुमत की नींव हिला दी थी। यह राष्‍ट्र कृतज्ञ है, उन वीरांगनाओं के लिए, रानी लक्ष्‍मीबाई हो, झलकारी बाई, दुर्गा भाभी, रानी गाइदिन्ल्यू, रानी चेनम्‍मा, बेगम हजरत महल, वेलु नाच्चियार, भारत की नारी शक्ति क्‍या होती है।

भारत की नारी शक्ति का संकल्‍प क्‍या होता है। भारत की नारी त्‍याग और बलिदान की क्‍या पराकाष्‍ठा कर सकती है, वैसी अनगिनत वीरांगनाओं का स्‍मरण करते हुए हर हिन्‍दुस्‍तानी गर्व से भर जाता है। आजादी का जंग भी लड़ने वाले और आजादी के बाद देश बनाने वाले डॉ. राजेन्‍द्र प्रसाद जी हों, नेहरू जी हों, सरदार वल्‍लभ भाई पटेल, श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी, लाल बहादुर शास्‍त्री, दीनदयाल उपाध्‍याय, जय प्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया, आचार्य विनाबाभावे, नाना जी देशमुख, सुब्रह्मण्‍यमभारती, अनगिनत ऐसे महापुरुषों को आज नमन करने का अवसर है।

हम आजादी की जंग की चर्चा करते हैं तो हम उन जंगलों में जीने वाले हमारे आदिवासी समाज का भी गौरव करना हम नहीं भूल सकते हैं। भगवान बिरसा मुंडा, सिद्धू कान्हू, अल्लूरी सीताराम राजू, गोविंद गुरू, अनगिनत नाम हैं जिन्‍होंने आजादी के आंदोलन की आवाज बनकर के दूर-सदूर जंगलों में भी…. मेरे आदिवासी भाई-बहनों, मेरी माताओं, मेरे युवकों में मातृभूमि के लिए जीने-मरने के लिए प्रेरणा जगाई। ये देश का सौभाग्‍य रहा है कि आजादी की जंग के कई रूप रहे हैं और उसमें एक रूप वो भी था जिसमें नारायण गुरू हो, स्‍वामी विवेकानंद हो, महर्षि अरविंदो हो, गुरुदेव रविन्‍द्र नाथ टैगोर हो, ऐसे अनेक महापुरुष हिन्‍दुस्‍तान के हर कोने में, हर गांव में भारत की चेतना को जगाते रहे। भारत को चेतनमन बनाते रहे।

अमृत महोत्‍सव के दौरान देश ने…. पूरे एक साल से हम देख रहे हैं। 2021 में दांढी यात्रा से प्रारंभ हुआ। स्‍मृति दिवस को संवरते हुए हिन्‍दुस्‍तान के हर जिले में, हर कोने में देशवासियों ने आजादी के अमृत महोत्‍सव के लक्ष्‍यावृद्धि कार्यक्रम किए। शायद इतिहास में इतना विशाल, व्‍यापक, लंबा एक ही मकसद का उत्‍सव मनाया गया हो वो शायद ये पहली घटना हुई है और हिन्‍दुस्‍तान के हर कोने में उन सभी महापुरुषों को याद करने का प्रयास किया गया जिनको किसी न किसी कारणवंश इतिहास में जगह ने मिली या उनको भूला दिया गया था। आज देश ने खोज-खोज करके हर कोने में ऐसे वीरों को, महापुरुषों को, त्‍यागियों को, बलिदानियों को सत्‍या‍वीरों को याद किया, नमन किया। अमृत महोत्‍सव के दरम्यिान इन सभी महापुरुषों को नमन करने अवसर रहा। कल 14 अगस्‍त को भारत ने विभाजन विभिषिका स्‍मृति दिवस भी बड़े भारी मन से हृदय के गहरे घावों को याद करते हुए उन कोटि-कोटि जनों ने बहुत कुछ सहन किया था, तिरंगे की शान के लिए सहन किया था। मातृभूमि की मिट्टी से मोहब्‍बत के कारण सहन किया था और धैर्य नहीं खोया था। भारत के प्रति प्रेम ने नई जिंदगी की शुरूआत करने का उनका संकल्‍प नमन करने योग्‍य है, प्रेरणा पाने योग्‍य है।

आज जब हम आजादी का अमृत महोत्‍सव मना रहे हैं तो पिछले 75 साल में देश के लिए जीने मरने वाले, देश की सुरक्षा करने वाले, देश के संकल्‍पों को पूरा करने वाले; चाहे सेना के जवान हों, पुलिस के कर्मी हों, शासन में बैठे हुए ब्‍यूरोक्रेट्स हों, जनप्रतिनिधि हों, स्‍थानीय स्‍वराज की संस्‍थाओं के शासक-प्रशासक रहे हों, राज्‍यों के शासक-प्रशासक रहे हों, केंद्र के शासक-प्रशासक रहे हों; 75 साल में इन सबके योगदान को भी आज स्‍मरण करने का अवसर है और देश के कोटि-कोटि नागरिकों को भी, जिन्‍होंने 75 साल में अनेक प्रकार की कठिनाइयों के बीच भी देश को आगे बढ़ाने के लिए अपने से जो हो सका वो करने का प्रयास किया है।

मेरे प्‍यारे देशवासियों,

75 साल की हमारी ये यात्रा अनेक उतार-चढ़ाव से भरी हुई है। सुख-दु:ख की छाया मंडराती रही है और इसके बीच भी हमारे देशवासियों ने उपलब्धियां की हैं, पुरुषार्थ किया है, हार नहीं मानी है। संकल्‍पों को ओझल नहीं होने दिया है। और इसलिए, और ये भी सच्‍चाई है कि सैंकड़ों सालों के गुलामी के कालखंड ने भारत के मन को, भारत के मानवी की भावनाओं को गहरे घाव दिए थे, गहरी चोटें पहुंचाई थीं, लेकिन उसके भीतर एक जिद भी थी, एक जिजीविषा भी थी, एक जुनून भी था, एक जोश भी था। और उसके कारण अभावों के बीच में भी, उपहास के बीच में भी और जब आजादी की जंग अंतिम चरण में था तो देश को डराने के लिए, निराश करने के लिए, हताश करने के लिए सारे उपाय किए गए थे। अगर आजादी आई अंग्रेज चले जाएंगे तो देश टूट जाएगा, बिखर जाएंगे, लोग अंदर-अंदर लड़ करके मर जाएंगे, कुछ नहीं बचेगा, अंधकार युग में भारत चला जाएगा, न जाने क्‍या—क्‍या आशंकाएं व्‍यक्‍त की गई थीं। लेकिन उनको पता नहीं था ये हिन्‍दुस्‍तान की मिट्टी है, इस मिट्टी में वो सामर्थ्‍य है जो शासकों से भी परे सामर्थ्‍य का एक अंतरप्रभाव लेकर जीता रहा है, सदियों तक जीता रहा है और उसी का परिणाम है, हमने क्‍या कुछ नहीं झेला है, कभी अन्‍न का संकट झेला, कभी युद्ध के शिकार हो गए।

आंतकवाद ने डगर-डगर चुनौतियां पैदा कीं, निर्दोष नागरिकों को मौत के घाट उतार दिया गया। छद्म युद्ध चलते रहे, प्राकृतिक आपदाएं आती रही, सफलता विफलता, आशा निराशा, न जाने कितने पड़ाव आए हैं। लेकिन इन पड़ाव के बीच भी भारत आगे बढ़ता रहा है। भारत की विविधता जो औरों को भारत के लिए बोझ लगती थी। वो भारत की विविधता ही भारत की अनमोल शक्ति है। शक्ति का एक अटूट प्रमाण है। दुनिया को पता नहीं था कि भारत के पास एक inherent सामर्थ्य है, एक संस्कार सरिता है, एक मन मस्तिष्क् का, विचारों का बंधन है। और वो है भारत लोकतंत्र की जननी है, Mother of Democracy है और जिनके जहन में लोकतंत्र होता है वे जब संकल्प कर के चल पड़ते हैं, वो सामर्थ्य दुनिया की बड़ी-बड़ी सल्तनतों के लिए भी संकट का काल लेकर के आती है। ये Mother of Democracy, ये लोकतंत्र की जननी, हमारे भारत ने सिद्ध कर दिया कि हमारे पास एक अनमोल सामर्थ्य है।

मेरे प्यारे देशवासियों,

हिमालय की कन्दराएँ हो, हर कोने में महात्मा गांधी का जो सपना था आखिरी इंसान की चिंता करने का, महात्मा गांधी जी की जो आकांक्षा थी अंतिम छोर पर बैठे हुए व्यक्ति को समर्थ बनाने की, मैंने अपने आप को उसके लिए समर्पित किया है, और उन 8 साल का नतीजा और आजादी के इतने दशकों का अनुभव आज 75 साल के बाद जब अमृत काल की ओर कदम रख रहे हैं, अमृत काल की ये पहली प्रभात है तब मैं एक एैसे सामर्थ्य को देख रहा हूं। और जिससे में गर्व से भर जाता हूं।

देशवासियों,

मैं आज देश का सबसे बड़ा सौभाग्य ये देख रहा हूं। कि भारत का जनमन आकांक्षित जनमन है। Aspirational Society किसी भी देश की बहुत बड़ी अमानत होती है। और हमें गर्व है कि आज हिन्दुस्तान के हर कोने में, हर समाज के हर वर्ग में, हर तबके में, आकांक्षाएं उफान पर हैं। देश का हर नागरिक चीजें बदलना चाहता है, बदलते देखना चाहता है, लेकिन इंतजार करने को तैयार नहीं है, अपनी आंखों के सामने देखना चाहता है, कर्तव्‍य से जुड़ कर करना चाहता है। वो गति चाहता है, प्रगति चाहता है। 75 साल में संजोय हुए सारे सपने अपनी ही आंखों के सामने पूरा करने के लिए वो लालयित है, उत्‍साहित है, उतावला भी है।

कुछ लोगों को इसके कारण संकट हो सकता है। क्‍योंकि जब aspirational society होती है तब सरकारों को भी तलवार की धार पर चलना पड़ता है। सरकारों को भी समय के साथ दौड़ना पड़ता है और मुझे विश्‍वास है चाहे केन्‍द्र सरकार हो, राज्‍य सरकार हो, स्थानीय स्‍वराज्‍य की संस्‍थाएं हों, किसी भी प्रकार की शासन व्‍यवस्‍था क्‍यों न हो, हर किसी को इस aspirational society को address करना पड़ेगा, उनकी आकांक्षाओं के लिए हम ज्‍यादा इंतजार नहीं कर सकते। हमारे इस aspirational society ने लंबे अरसे तक इंतजार किया है। लेकिन अब वो अपनी आने वाली पीढ़ी को इंतजार में जीने के लिए मजबूर करने को तैयार नहीं हैं और इसलिए ये अमृत काल का पहला प्रभात हमें उस aspirational society के आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए बहुत बड़ा सुनहरा अवसर लेकर के आई है।

मेरे प्‍यारे देशवासियों

हमने पिछले दिनों देखा है एक और ताकत का हमने अनुभव किया है और वो है भारत में सामूहिक चेतना पुनर्जागरण हुआ है। एक सामूहिक चेतना का पुनर्जागरण आजादी के इतने संघर्ष में जो अमृत था, वो अब संजोया जा रहा है, संकलित हो रहा है। संकल्‍प में परिवर्तित हो रहा है, पुरुषार्थ की पराकाष्ठा जुड़ रही है और सिद्धि का मार्ग नजर आ रहा है। ये चेतना, मैं समझता हूं कि चेतना का जागरण ये पुनर्जागरण ये हमारी सबसे बड़ी अमानत है। और ये पुनर्जागरण देखिए 10 अगस्‍त तक लोगों को पता तक नहीं होगा शायद कि देश के भीतर कौन सी ताकत है। लेकिन पिछले तीन दिन से जिस प्रकार से तिरंगे झंडे को लेकर के तिरंगा की यात्रा को लेकर करके देश चल पड़ा है। बड़े-बड़े social science के experts वे भी शायद कल्‍पना नहीं कर सकते कि मेरे भीतर के अंदर कि मेरे देश के भीतर कितना बड़ा सामर्थ है, एक तिरंगे झंडे ने दिखा दिया है। ये पुनर्चेतना, पुनर्जागरण का पल है। ये लोग समझ नहीं पाएं हैं।

जब देश जनता कर्फ्यू के लिए हिन्‍दुस्‍तान का हर कोना निकल पड़ता है, तब उस चेतना की अनुभूति होती है। जब देश ता‍ली, थाली बजाकर के corona warriors के साथ कंधे से कंधा मिलाकर के खड़ा को जाता है, तब चेतना की अनुभूति होती है। जब दीया जलाकर के corona warrior को शुभकामनाएं देने के लिए देश निकल पड़ता है, तब उस चेतना की अनुभूति होती है। दुनिया कोरोना के काल खंड में वैक्सिन लेना या न लेना, वैक्सिन काम की है या नहीं है, उस उलझन में जी रही थी। उस समय मेरे देश के गांव गरीब भी दो सौ करोड़ डोज दुनिया को चौंका देने वाला काम करके दिखा देते हैं। ये ही चेतना है, ये ही सामर्थ्य है इस सामर्थ्य ने आज देश को नई ताकत दी है।

मेरे प्‍यारे भाइयों-बहनों

इस एक महत्‍वपूर्ण सामर्थ्य को मैं देख रहा हूं जैसे aspirational society, जैसे पुनर्जागरण वैसे ही आजादी के इतने दशकों के बाद पूरे विश्‍व का भारत की तरफ देखने का नजरिया बदल चुका है। विश्‍व भारत की तरफ गर्व से देख रहा है, अपेक्षा से देख रहा है। समस्‍याओं का समाधान भारत की धरती पर दुनिया खोजने लगी है दोस्‍तों। विश्‍व का यह बदलाव, विश्‍व की सोच में यह परिवर्तन 75 साल की हमारी अनुभव यात्रा का परिणाम है।

हम जिस प्रकार से संकल्‍प को लेकर चल पड़े है दुनिया इसे देख रही है, और आखिरकार विश्‍व भी उम्‍मीदें लेकर जी रहा है। उम्‍मीदें पूरी करने का सामर्थ्‍य कहां पड़ा है वो उसे दिखने लगा है। मैं इसे स्‍त्री शक्ति के रूप में देखता हूं। तीन सामर्थ्‍य के रूप में देखता हूं, और यह त्रि-शक्ति है aspiration की, पुनर्जागणरण की और विश्‍व के उम्‍मीदों की और इसे पूरा करने के लिए हम जानते हैं दोस्‍तों आज दुनिया में एक विश्‍वास जगने में मेरे देशवासियों की बहुत बड़ी भूमिका है। 130 करोड़ देशवासियों ने कई दशकों के अनुभव के बाद स्थिर सरकार का महत्‍व क्‍या होता है, राजनीतिक स्थिरता का महत्‍व क्‍या होता है, political stability दुनिया में किस प्रकार की ताकत दिखा सकती है।

नीतियों में कैसा सामर्थ्‍य होता है, उन नीतियों पर विश्‍व का कैसे भरोसा बनता है। यह भारत ने दिखाया है और दुनिया भी इसे समझ रही है। और अब जब राजनीतिक स्थिरता हो, नीतियों में गतिशीलता हो, निर्णयों में तेजी हो, सर्वव्‍यापकता हो, सर्वसमाजविश्‍वस्‍ता हो, तो विकास के लिए हर कोई भागीदार बनता है। हमने सबका साथ, सबका विकास का मंत्र लेकर हम चलें थे, लेकिन देखते ही देखते देशवासियों ने सब‍का विश्‍वास और सबके प्रयास से उसमें और रंग भर दिए हैं। और इसलिए हमने देखा है हमारी सामूहिक शक्ति को, हमारे सामूहिक सामर्थ्‍य को हमने देखा है। आजादी का अमृत महोत्‍सव जिस प्रकार से मनाया गया, जिस प्रकार से आज हर जिले में 75 अमृत सरोवर बनाने का अभियान चल रहा है, गांव-गांव के लोग जुड़ रहे हैं, कार्य सेवा कर रहे हैं। अपने प्रयत्‍नों से अपने गांव में जल संरक्षण के लिए बड़ा अभियान चला रहे हैं। और इसलिए भाईयों-बहनों, चाहे स्‍वच्‍छता का अभियान हो, चाहे गरीबों के कल्‍याण का काम हो, देश आज पूरी शक्ति से आगे बढ़ रहा है।

लेकिन भाईयों-बहनों हम लोग आजादी के अमृतकाल में हमारी 75 साल की यात्रा को उसका गौरवगान ही करते रहेंगे, अपनी ही पीठ थपथपाते रहेंगे, तो हमारे सपने कहीं दूर चले जाएंगे। और इसलिए 75 साल का कालखंड कितना ही शानदार रहा हो, कितने ही संकटों वाला रहा हो, कितने ही चुनौतियों वाला रहा हो, कितने ही सपने अधूरे दिखते हो उसके बावजूद भी आज जब हम अमृतकाल में प्रवेश कर रहे हैं अगले 25 वर्ष हमारे देश के लिए अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण है और इसलिए जब मैं आज मेरे सामने लाल किले पर से 130 करोड़ देशवासियों के सामर्थ्‍य का स्‍मरण करता हूं, उनके सपनों को देखता हूं, उनके संकल्‍प की अनुभूति करता हूं तो साथियों मुझे लगता है आने वाले 25 साल के लिए हमें उन पंचप्रण पर अपनी शक्ति को केंद्रित करनी होगा। अपने संकल्‍पों को केंद्रित करना होगा। अपने सामर्थ्‍य को केंद्रित करना होगा। और हमें उन पंचप्रण को लेकर के, 2047 जब आजादी के 100 साल होंगे आजादी के दिवानों के सारे सपने पूरे करने का जिम्‍मा उठा करके चलना होगा।

जब मैं पंचप्रण की बात करता हूं तो पहला प्रण अब देश बड़े संकल्‍प लेकर ही चलेगा। बहुत बड़े संकल्‍प लेकर के चलना होगा। और वो बड़ा संकल्‍प है विकसित भारत, अब उससे कुछ कम नहीं होना चाहिए। बड़ा संकल्‍प- दूसरा प्रण है किसी भी कोने में हमारे मन के भीतर, हमारी आदतों के भीतर गुलामी का एक भी अंश अगर अभी भी कोई है तो उसको किसी भी हालत में बचने नहीं देना है। अब शत-प्रतिशत, शत-प्रतिशत सैंकड़ों साल की गुलामी ने जहां हमें जकड़ कर रखा है, हमें हमारे मनोभाव को बांध करके रखा हुआ है, हमारी सोच में विकृतियां पैदा करके रखी हैं। हमें गुलामी की छोटी से छोटी चीज भी कहीं नजर आती है, हमारे भीतर नजर आती है, हमारे आस-पास नजर आती है हमें उससे मुक्ति पानी ही होगी। ये हमारी दूसरी प्रण शक्ति है। तीसरी प्रण शक्ति, हमें हमारी विरासत पर गर्व होना चाहिए, हमारी विरासत के प्रति क्‍योंकि यही विरासत है जिसने कभी भारत को स्‍वर्णिम काल दिया था। और यही विरासत है जो समयानुकूल परिवर्तन करने आदत रखती है। यही विरासत है जो काल-बाह्य छोड़ती रही है। नित्‍य नूतन स्‍वीकारती रही है। और इसलिए इस विरासत के प्रति हमें गर्व होना चाहिए। चौथा प्रण वो भी उतना ही महत्‍वपूर्ण है और वो है एकता और एकजुटता। 130 करोड़ देश‍वासियों में एकता, न कोई अपना न कोई पराया, एकता की ताकत, ‘एक भारत श्रेष्‍ठ भारत’ के सपनों के लिए हमारा चौथा प्रण है। और पांचवां प्रण, पांचवां प्रण है नागरिकों का कर्तव्‍य, नागरिकों का कर्तव्‍य, जिसमें प्रधानमंत्री भी बाहर नहीं होता, मुख्‍यमंत्री भी बाहर नहीं होता वो भी नागरिक है। नागरिकों का कर्तव्‍य। ये हमारे आने वाले 25 साल के सपनों को पूरा करने के लिए एक बहुत बड़ी प्रण शक्ति है।

मेरे प्‍यारे देशवासियों

जब सपने बड़े होते हैं, जब संकल्‍प बड़े होते हैं तो पुरुषार्थ भी बहुत बड़ा होता है। शक्ति भी बहुत बड़ा मात्रा में जुड़ जाती है। अब कोई कल्‍पना कर सकता है कि देश उस 40-42 के काल खंड को याद कीजिए, देश उठ खड़ा हुआ था। किसी ने हाथ में झाड़ू लिया था, किसी ने तकली ली थी, किसी ने सत्‍याग्रह का मार्ग चुना था, किसी ने संघर्ष का मार्ग चुना था, किसी ने काल क्रांति की वीरता का रास्‍ता चुना था। लेकिन संकल्‍प बड़ा था ‘आजादी’ और ताकत देखिए बड़ा संकल्‍प था तो आजादी लेकर रहे। हम आजाद हो गये। अगर संकल्‍प छोटा होता, सीमित होता तो शायद आज भी संघर्ष करने के दिन चालू रहते, लेकिन संकल्‍प बड़ा था, तो हमने हासिल भी किया।

मेरे प्‍यारे देशवासियों

अब आज जब अमृत काल की पहली प्रभात है, तो हमें इन पच्‍चीस साल में विकसित भारत बना कर रहना है। अपनी आंखों के सामने और 20-22-25 साल के मेरे नौजवान, मेरे देश के मेरे सामने है, मेरे देश के नौजवानों जब देश आजादी के 100 साल मनाएगा। तब आप 50-55 के हुए होंगे, मतलब आपके जीवन का ये स्‍वर्णिम काल, आपकी उम्र के ये 25-30 साल भारत के सपनों को पूरा करने का काल है। आप संकल्‍प ले करके मेरे साथ चल पड़िए साथियों, तिंरगे झंडे की शपथ ले करके चल पड़िए, हम सब पूरी ताकत से लग जाएं। महासंकल्‍प, मेरा देश विकसित देश होगा, developed country होगा, विकास के हरेक पैरामीटर में हम मानवकेंद्री व्‍यवस्‍था को विकसित करेंगे, हमारे केंद्र में मानव होगा, हमारे केंद्र के मानव की आशा-आकांक्षाएं होंगी। हम जानते हैं, भारत जब बड़े संकल्‍प करता है तो करके भी दिखाता है।

जब मैंने यहां स्‍वच्‍छता की बात कही थी मेरे पहले भाषण में, देश चल पड़ा है, जिससे जहां हो सका, स्‍वच्‍छता की ओर आगे बढ़ा और गंदगी के प्रति नफरत एक स्‍वभाव बनता गया है। यही तो देश है, जिसने इसको करके दिखाया है और कर भी रहा है, आगे भी कर रहा है; यही तो देश है, जिसने वैक्‍सीनेशन, दुनिया दुविधा में थी, 200 करोड़ का लक्ष्‍य पार कर लिया है, समय-सीमा में कर लिया है, पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ करके कर लिया है, ये देश कर सकता है। हमने तय किया था देश को खाड़ी के तेल पर हम गुजारा करते हैं, झाड़ी के तेल की ओर कैसे बढ़ें, 10 प्रतिशत इथेनॉल ब्लेडिंग का सपना बड़ा लगता था। पुराना इतिहास बताता था संभव नहीं है, लेकिन समय से पहले 10 प्रतिशत इथेनॉल ब्लेडिंग करके देश ने इस सपने को पूरा कर दिया है।

भाइयों-बहनों,

ढाई करोड़ लोगों को इतने कम समय में बिजली कनेक्‍शन पहुंचाना, छोटा काम नहीं था, देश ने करके दिखाया। लाखों परिवारों के घर में ‘नल से जल’ पहुंचाने का काम आज देश तेज गति से कर रहा है। खुले में शौच से मुक्ति, भारत के अंदर आज संभव हो पाया है।

मेरे प्‍यारे देशवासियों,

अनुभव कहता है कि एक बार हम सब संकल्‍प ले करके चल पड़ें तो हम निर्धारित लक्ष्‍यों को पार कर सकते हैं। Renewable energy का लक्ष्‍य हो, देश में नए मेडिकल कॉलेज बनाने का इरादा हो, डॉक्‍टरों की तैयारी करवानी हो, हर क्षेत्र में पहले से गति बहुत बढ़ी है। और इसलिए मैं कहता हूं अब आने वाले 25 साल बड़े संकल्‍प के हों, यही हमारा प्रण, यही हमारा प्रण भी होना चाहिए।

दूसरी बात मैंने कही है, उस प्रण शक्ति की मैंने चर्चा की है कि गुलामी की मानसिकता, देश की सोच सोचिए भाइयो, कब तक दुनिया हमें सर्टिफिकेट बांटती रहेगी? कब तक दुनिया के सर्टिफिकेट पर हम गुजारा करेंगे? क्‍या हम अपने मानक नहीं बनाएंगे? क्‍या 130 करोड़ का देश अपने मानकों को पार करने के लिए पुरुषार्थ नहीं कर सकता है। हमें किसी भी हालत में औरों के जैसा दिखने की कोशिश करने की जरूरत नहीं है। हम जैसे हैं वैसे, लेकिन सामर्थ्‍य के साथ खड़े होंगे, ये हमारा मिजाज होना चाहिए। हमें गुलामी से मुक्ति चाहिए। हमारे मन के भीतर दूर-दूर सात समंदर के नीचे भी गुलामी का तत्‍व नहीं बचे रहना चाहिए साथियों। और मैं आशा से देखता हूं, जिस प्रकार से नई राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति बनी है, जिस मंथन के साथ बनी है, कोटि-कोटि लोगों के विचार-प्रवाह को संकलित करते हुए बनी है और भारत की धरती की जमीन से जुड़ी हुई शिक्षा नीति बनी है, रसकस हमारी धरती के मिले हैं। हमने जो कौशल्य पर बल दिया है, ये एक ऐसा सामर्थ्‍य है, जो हमें गुलामी से मुक्ति की ताकत देगा।

हमने देखा है कभी-कभी तो हमारा टेलेंट भाषा के बंधनों में बंध जाता है, ये गुलामी की मानसिकता का परिणाम है। हमें हमारे देश की हर भाषा पर गर्व होना चाहिए। हमें भाषा आती हो या न आती हो, लेकिन मेरे देश की भाषा है, मेरे पूर्वजों ने दुनिया को दी हुई ये भाषा है, हमें गर्व होना चाहिए।

मेरे साथियों,

आज डिजिटल इंडिया का रूप हम देख रहे हैं। स्टार्ट अप देख रहे हैं। कौन लोग हैं? ये वो टैलेंट है जो टीयर-2, टीयर-3 सीटी में किसी गांव गरीब के परिवार में बसे हुए लोग हैं। ये हमारे नौजवान हैं जो आज नई-नई खोज के साथ दुनिया के सामने आ रहे हैं। गुलामी की मानसिकता हमें उसे तिलांजलि देनी पड़ेगी। अपने सामर्थ्य पर भरोसा करने होगा।

दूसरी एक बात जो मैंने कही है, तीसरी मेरी प्रणशक्ति की बात है वो है हमारी विरासत पर। हमें गर्व होना चाहिए। जब हम अपनी धरती से जुड़ेंगे, जब हम अपनी धरती से जुड़ेंगे, तभी तो ऊंचा उड़ेंगे, और जब हम ऊंचा उड़ेंगे तो हम विश्व को भी समाधान दे पाएंगे। हमने देखा है जब हम अपनी चीजों पर गर्व करते हैं। आज दुनिया holistic health care की चर्चा कर रही है लेकिन जब holistic health care की चर्चा करती है तो उसकी नजर भारत के योग पर जाती है, भारत के आयुर्वेद पर जाती है, भारत के holistic lifestyle पर जाती है। ये हमारी विरासत है जो हम दुनिया का दे रहे हैं। दुनिया आज उससे प्रभावित हो रही है। अब हमारी ताकत देखिए। हम वो लोग हैं जो प्रकृति के साथ जीना जानते हैं। प्रकृति को प्रेम करना जानते हैं। आज विश्व पर्यावरण की जो समस्या से जूझ रहा है। हमारे पास वो विरासत है, ग्लोबल वार्मिंग की समस्याओं के समाधान का रास्ता हम लोगों के पास है। हमारे पूर्वजों ने दिया हुआ है।

जब हम lifestyle की बात करते हैं, environment friendly lifestyle की बात करते हैं, हम life mission की बात करते हैं तो दुनिया का ध्यान आकर्षित करते हैं। हमारे पास ये सामर्थ्य है। हमारा बड़ा धान मोटा धान मिलेट, हमारे यहां तो घर-घर की चीज रही है। ये हमारी विरासत है, हमारे छोटे किसानों के परिश्रम से छोटी-छोटी जमीन के टुकड़ों में फलने फुलने वाली हमारी धान। आज दुनिया अंतराष्ट्रीय स्तर पर millet year मनाने के लिए आगे बढ़ रही है। मतलब हमारी विरासत को आज दुनिया, हम उस पर गर्व करना सीखें। हमारे पास दुनिया को बहुत कुछ देना है। हमारे family values विश्व के सामाजिक तनाव की जब चर्चा हो रही है। व्यक्तिगत तनाव की चर्चा होती है, तो लोगों को योग दिखता है। सामुहिक तनाव की बात होती है तब भारत की पारिवारिक व्यवस्था दिखती है। संयुक्त परिवार की एक पूंजी सदियों से हमारी माताओं-बहनों के त्याग बलिदान के कारण परिवार नाम की जो व्यवस्था विकसित हुई ये हमारी विरासत है। इस विरासत पर हम गर्व कैसे करें। हम तो वो लोग हैं जो जीव में भी शिव देखते हैं। हम वो लोग हैं जो नर में नारायण देखते हैं। हम वो लोग हैं जो नारी का नारायणी कहते हैं। हम वो लोग हैं जो पौधे में परमात्मा देखते हैं। हम वो लोग हैं जो नदी को मां मानते हैं। हम वो लोग हैं जो हर कंकर में शंकर देखते हैं। ये हमारा सामर्थ्य है हर नदी में मां का रूप देखते हैं। पर्यावरण की इतनी व्यापकता विशालता ये हमारा गौरव जब विश्व के सामने खुद गर्व करेंगे तो दुनिया करेगी।

भाईयों बहनों,

हम वो लोग हैं जिसने दुनिया को वसुधैव कुटुम्बकम् का मंत्र दिया है। हम वो लोग हैं जो दुनिया को कहते हैं ‘एकं सद्विप्रा बहुधा वदन्ति।’ आज जो ‘holier than thou’ का संकट जो चल रहा है, तुझसे बड़ा मैं हूँ, ये जो तनाव का कारण बना हुआ है दुनिया को एकं सद्विप्रा बहुधा वदन्ति का ज्ञान देने वाली विरासत हमारे पास है। जो कहते हैं सत्य एक है जानकार लोग उसको अलग-अलग तरीके से कहते हैं। यह गौरव हमारा है। हम लोग हैं, जो कहते हैं यत् पिण्डे तत् ब्रह्माण्डे, कितनी बड़ी सोच है, जो ब्रह्माण्ड में है वो हर जीव मात्र में है। यत् पिण्डे तत् ब्रह्माण्डे, यह कहने वाले हम लोग हैं। हम वो लोग हैं जिसने दुनिया का कल्याण देखा है, हम जग कल्याण से जन कल्याण के राही रहे हैं। जन कल्याण से जग कल्याण की राह पर चलने वाले हम लोग जब दुनिया की कामना करते हैं, तब कहते हैं- सर्वे भवन्तु सुखिनः। सर्वे सन्तु निरामयाः। सबके सुख की बात सबके आरोग्य की बात करना यह हमारी विरासत है। और इसलिए हम बड़ी शान के साथ हमारी इस विरासत का गर्व करना सीखे, यह प्रण शक्ति है हमारी, जो हमें 25 साल के सपने पूरा करने के लिए जरुरी है।

उसी प्रकार से मेरे प्यारे देशवासियों,

एक और महत्वपूर्ण विषय है एकता, एकजुटता। इतने बड़े देश को उसकी विविधता को हमें सेलिब्रेट करना है, इतने पंथ और परंपराएं यह हमारी आन-बान-शान है। कोई नीचा नहीं, कोई ऊंचा नहीं है, सब बराबर हैं। कोई मेरा नहीं, कोई पराया नहीं सब अपने हैं। यह भाव एकता के लिए बहुत जरुरी है। घर में भी एकता की नींव तभी रखी जाती है जब बेटा-बेटी एकसमान हो। अगर बेटा-बेटी एकसमान नहीं होंगे तो एकता के मंत्र नहीं गुथ सकते हैं। जेंडर इक्वैलिटी हमारी एकता में पहली शर्त है। जब हम एकता की बात करते हैं, अगर हमारे यहां एक ही पैरामीटर हो एक ही मानदंड हो, जिस मानदंड को हम कहे इंडिया फर्स्ट मैं जो कुछ भी कर रहा हूँ, जो भी सोच रहा हूँ, जो भी बोल रहा हूँ इंडिया फर्स्ट के अनुकुल है। एकता का रास्ता खुल जाएगा दोस्त। हमें एकता से बांधने का वो मंत्र है, हमें इसको पकड़ना है। मुझे पूरा विश्वास है, कि हम समाज के अंदर ऊंच-नीच के भेदभावों से मेरे-तेरे के भेदभावों से हम सबकी पुजारी बनें। श्रमेव जयते कहते हैं हम श्रमिक का सम्मान यह हमारा स्वभाव होना चाहिए।

लेकिन भाइयों-बहनों,

मैं लाल किले से मेरी एक पीड़ा और कहना चाहता हूँ, यह दर्द मैं कहे बिना नहीं रह सकता। मैं जानता हूँ कि शायद यह लाल किले का विषय नहीं हो सकता। लेकिन मेरे भीतर का दर्द मैं कहाँ कहूँगा। देशवासियों के सामने नहीं कहूँगा तो कहाँ कहूंगा और वो है किसी न किसी कारण से हमारे अंदर एक ऐसी विकृति आयी है, हमारी बोलचाल में, हमारे व्यवहार में, हमारे कुछ शब्दों में हम नारी का अपमान करते हैं। क्या हम स्वभाव से, संस्कार से, रोजमर्रा की जिंदगी में नारी को अपमानित करने वाली हर बात से मुक्ति का संकल्प ले सकते हैं। नारी का गौरव राष्ट्र के सपने पूरे करने में बहुत बड़ी पूंजी बनने वाला है। यह सामर्थ्य मैं देख रहा हूँ और इसलिए मैं इस बात का आग्रही हूँ।

मेरे प्यारे देशवासियों,

मैं पांचवीं प्रणशक्ति की बात करता हूँ। और वो पांचवीं प्रणशक्ति है-नागरिक का कर्तव्य। दुनिया में जिन-जिन देशों ने प्रगति की है। जिन-जिन देशों ने कुछ achieve किया है, व्यक्तिगत जीवन में भी जिसने achieve किया है, कुछ बातें उभर करके सामने आती हैं। एक अनुशासित जीवन, दूसरा कर्तव्य के प्रति समर्पण। व्यक्ति के जीवन की सफलता हो, समाज की हो, परिवार की हो, राष्ट्र की हो। यह मूलभूत मार्ग है, यह मूलभूत प्रणशक्ति है।

दुनिया में जिन-जिन देशों ने प्रगति की है, जिन-जिन देशों ने कुछ achieve किया है। व्‍यक्तिगत जीवन में भी जिसने achieve किया है। कुछ बातें उभर करके सामने आती है। एक अनुशासित जीवन, दूसरा कर्तव्‍य के प्रति समपर्ण। व्‍यक्ति के जीवन की सफलता हो, समाज की हो, परिवार की हो, राष्‍ट्र की हो, यह मूलभूत मार्ग है। यह मूलभूत प्रणशक्ति है और इसलिए हमें कर्तव्‍य पर बल देना ही होगा। यह शासन का काम है कि बिजली 24 घंटे पहुंचाने के लिए प्रयास करे, लेकिन यह नागरिक का कर्तव्‍य है कि जितनी ज्‍यादा यूनिट बिजली बचा सकते है बचाएं। हर खेत में पानी पहुंचाना सरकार की जिम्‍मेदारी है, सरकार का प्रयास है, लेकिन ‘per drop more crop’ पानी बचाते हुए आगे बढ़ना मेरे हर खेत से आवाज़ उठनी चाहिए। केमिकल मुक्‍त खेती, ऑर्गेनिक फार्मिंग, प्राकृतिक खेती यह हमारा कर्तव्‍य है।

साथियों, चाहे पुलिस हो, या पीपुल हो, शासक हो या प्रशासक हो, यह नागरिक कर्तव्‍य से कोई अछूता नहीं हो सकता। हर कोई अगर नागरिक के कर्तव्‍यों को निभाएगा तो मुझे विश्‍वास है कि हम इच्छित लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने में समय से पहले सिद्धि प्राप्‍त कर सकते हैं।

मेरे प्‍यारे देशवासियों,

आज महर्षि अरबिंदों की जन्‍म जयंती भी है। मैं उस महापुरूष के चरणों में नमन करता हूं। लेकिन हमें उस महापुरूष को याद करना होगा जिन्‍होंने कहा था स्‍वदेशी से स्‍वराज, स्‍वराज से सुराज। यह उनका मंत्र है हम सबको सोचना होगा कि हम कब तक दुनिया के और लोगों पर निर्भर रहेंगे। क्‍या हमारे देश को अन्‍न की आवश्‍यकता हो, हम out source कर सकते हैं क्‍या? जब देश ने तय कर लिया कि हमारा पेट हम खुद भरेंगे, देश ने करके दिखाया या नहीं दिखाया, एक बार संकल्‍प लेते हैं तो होता है। और इसलिए आत्‍मनिर्भर भारत यह हर नागरिक का, हर सरकार का, समाज की हर ईकाई का यह दायित्‍व बन जाता है। यह आत्‍मनिर्भर भारत यह सरकारी एजेंडा, सरकारी कार्यक्रम नहीं है। यह समाज का जन आंदोलन है, जिसे हमें आगे बढ़ाना है।

मेरे साथियों, आज जब हमने यह बात सुनी, आजादी के 75 साल के बाद जिस आवाज़ को सुनने के लिए हमारे कान तरस रहे थे, 75 साल के बाद वो आवाज़ सुनाई दी है। 75 साल के बाद लाल किले पर से तिरंगे को सलामी देने का काम पहली बार Made In India तोप ने किया है। कौन हिन्‍दुस्‍तानी होगा, जिसको यह बात, यह आवाज़ उसे नई प्रेरणा, ताकत नहीं देगी। और इसलिए मेरे प्‍यारे भाई-बहनों में आज मेरे देश के सेना के जवानों का हृदय से अभिनंदन करना चाहता हूं। मेरी आत्‍मनिर्भर की बात को संगठित स्‍वरूप में, साहस के स्‍वरूप में मेरी सेना के जवानों ने सेना नायकों ने जिस जिम्‍मेदारी के साथ कंधे पर उठाया है। मैं उनको जितनी salute करूं, उतनी कम है दोस्‍तों। उनको आज मैं सलाम करता हूं। क्‍योंकि सेना का जवान मौत को मुट्ठी में ले करके चलता है। मौत और जिंदगी के बीच में कोई फासला ही नहीं होता है, और तब बीच में वो डट करके खड़ा होता है। और वो मेरे सेना का जवान तय करे कि हम तीन सौ ऐसी चीजें अब list करते हैं जो हम विदेश से नहीं लाएंगे। हमारे देश का यह संकल्‍प छोटा नहीं है।

मुझे इस संकल्‍प में भारत के ‘आत्‍मनिर्भर’ भारत के उज्‍जवल भविष्‍य के वो बीज मैं देख रहा हूं जो इस सपनों को वट वृक्ष में परिवर्तित करने वाले हैं। Salute! Salute! मेरे सेना के अधिकारियों को Salute. मैं मेरे छोटे छोटे बालकों को 5 साल 7 साल की आयु के बालक, उनको भी Salute करना चाहता हूं। उनको भी सलाम करना चाहता हूं। जब देश के सामने चेतना जगी, मैंने सैंकड़ों परिवारों से सुना है, 5-5, 7 साल के बच्‍चे घर में कह रहें हैं कि अब हम विदेशी खिलौने से नहीं खेलेंगे। 5 साल का बच्‍चा घर में विदेशी खिलौने से नहीं खेलेंगे, ये जब संकल्‍प करता है ना तब आत्‍मनिर्भर भारत उसकी रगों में दौड़ता है। आप देखिए पीएलआई स्‍कीम, एक लाख करोड़ रुपया, दुनिया के लोग हिन्‍दुस्‍तान में अपना नसीब आजमाने आ रहे हैं। टेक्‍नोलॉजी लेकर के आ रहे हैं। रोजगार के नये अवसर बना रहे हैं। भारत मैन्‍यूफैक्चिरिंग हब बनता जा रहा है। आत्‍मनिर्भर भारत कि बुनियाद बना रहा है। आज electronic goods manufacturing हो, मोबाइल फोन का manufacturing हो, आज देश बहुत तेजी से प्रगति कर रहा है। जब हमारा ब्रह्मोस दुनिया में जाता है, कौन हिन्‍दुस्‍तानी होगा जिसका मन आसमान को न छूता होगा दोस्तों। आज हमारी मेट्रो coaches, हमारी वंदे भारत ट्रेन विश्‍व के लिए आकर्षण बन रहा है।

मेरे प्‍यारे देशवासियों,

हमें आत्‍मनिर्भर बनना है, हमारे एनर्जी सेक्‍टर में। हम कब तक एनर्जी के सेक्‍टर में किसी और पर dependent रहेंगे और हमें सोलार का क्षेत्र हो, विंड एनर्जी का क्षेत्र हो, रिन्यूएबल के और भी जो रास्‍ते हों, मिशन हाइड्रोजन हो, बायो फ्यूल की कोशिश हो, electric vehicle पर जाने की बात हो, हमें आत्‍मनिर्भर बनकर के इन व्‍यवस्‍थाओं को आगे बढ़ाना होगा।

मेरे प्‍यारे देशवासियों,

आज प्राकृ‍तिक खेती भी आत्‍मनिर्भर का एक मार्ग है। फर्टीलाइज़र से जितनी ज्‍यादा मुक्ति, आज देश में नेनो फर्टीलाइज़र के कारखाने एक नई आशा लेकर के आए हैं। लेकिन प्राकृ‍तिक खेती, केमिकल फ्री खेती आत्‍मनिर्भर को ताकत दे सकती है। आज देश में रोजगार के क्षेत्र में ग्रीन जॉब के नए-नए क्षेत्र बहुत तेजी से खुल रहे हैं। भारत ने नीतियों के द्वारा ‘स्‍पेस’ को खोल दिया है। ड्रोन की बहुत दुनिया में सबसे प्रगतिशील पॉलिसी लेकर के आए हैं। हमने देश के नौजवानों के लिए नए द्वार खोल दिए हैं।

मेरे प्‍यारे भाईओ-बहनों,

मैं प्राइवेट सेक्‍टर को भी आह्वान करता हूं आइए… हमें विश्‍व में छा जाना है। आत्‍मनिर्भर भारत का ये भी सपना है कि दुनिया को भी जो आवश्‍यकताए हैं उसको पूरा करने में भारत पीछे नहीं रहेगा। हमारे लघू उद्योग हो, सूक्ष्‍म उद्योग हो, कुटीर उद्योग हो, ‘जीरो डिफेक्‍ट जीरो इफेक्‍ट’ हमें करके दुनिया में जाना होगा। हमें स्‍वदेशी पर गर्व करना होगा।

मेरे प्‍यारे देशवासियों,

हम बार-बार लाल बहादुर शास्‍त्री जी को याद करते हैं, जय जवान-जय किसान का उनका मंत्र आज भी देश के लिए प्रेरणा है। बाद में अटल बिहारी वाजपेयी जी ने जय विज्ञान कह करके उसमें एक कड़ी जोड़ दी थी और देश ने उसको प्राथमिकता दी थी। लेकिन अब अमृतकाल के लिए एक और अनिवार्यता है और वो है जय अनुसंधान। जय जवान-जय किसान-जय विज्ञान-जय अनुसंधान- इनोवेशन। और मुझे मेरे देश की युवा पीढ़ी पर भरोसा है। इनोवेशन की ताकत देखिए, आज हमारा यूपीआई-भीम, हमारा डिजिटल पेमेंट, फिनटेक की दुनिया में हमारा स्‍थान, आज विश्‍व में रियल टाइम 40 पर्सेंट अगर डिजिटली फाइनेशियल का ट्रांजेक्‍शन होता है तो मेरे देश में हो रहा है, हिन्‍दुस्‍तान ने ये करके दिखाया है।

मेरे प्‍यारे देशवासियों,

अब हम 5जी के दौर की ओर कदम रख रहे हैं। बहुत दूर इंतजार नहीं करना होगा, हम कदम मिलाने वाले हैं। हम ऑप्टिकल फाइबर गांव-गांव में पहुंचा रहे हैं। डिजिटल इंडिया का सपना गांव से गुजरेगा, ये मुझे पूरी जानकारी है। आज मुझे खुशी है हिन्‍दुस्‍तान के चार लाख कॉमन सर्विस सेंटर्स गांवों में विकसित हो रहे हैं। गांव के नौजवान बेटे-बेटियां कॉमन सर्विस सेंटर चला रहे हैं। देश गर्व कर सकता है कि गांव के क्षेत्र में चार लाख Digital Entrepreneur का तैयार होना और सारी सेवाएं लोग गांव के लोग उनके यहां लेने के लिए आदी बन जाएं, ये अपने-आप में टेक्‍नोलॉजी हब बनने की भारत की ताकत है।

मेरे प्‍यारे देशवासियों,

ये जो डिजिटल इंडिया का मूवमेंट है, जो सेमीकंडक्‍टर की ओर हम कदम बढ़ा रहे हैं, 5जी की ओर कदम बढ़ा रहे हैं, ऑप्टिकल फाइबर का नेटवर्क बिछा रहे हैं, ये सिर्फ आधुनिकता की पहचान है, ऐसा नहीं है। तीन बड़ी ताकतें इसके अंदर समाहित हैं। शिक्षा में आमूल-चूल क्रांति- ये डिजिटल माध्‍यम से आने वाली है। स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं में आमूल-चूल क्रांति डिजिटल से आने वाली है। कृषि जीवन में भी बहुत बड़ा बदलाव डिजिटल से आने वाला है। एक नया विश्‍व तैयार हो रहा है। भारत उसे बढ़ाने के लिए और मैं साफ देख रहा हूं दोस्तों ये Decade, मानव जाति के लिए tecahade का समय है, टेक्‍नोलॉजी का Decade है। भारत के लिए तो ये tecahade , जिसका मन टेक्‍नोलॉजी से जुड़ा हुआ है। आईटी की दुनिया में भारत ने अपना एक लोहा मनवा लिया है, ये tecahade का सामर्थ्‍य भारत के पास है।

हमारा अटल इनोवेशन मिशन, हमारे incubation centre, हमारे स्‍टार्टअप एक नया, पूरे क्षेत्र का विकास कर रहे हैं, युवा पीढ़ी के लिए नए अवसर ले करके आ रहे हैं। स्‍पेस मिशन की बात हो, हमारे Deep Ocean Mission की बात हो, समंदर की गहराई में जाना हो या हमें आसमान को छूना हो, ये नए क्षेत्र हैं, जिसको ले करके हम आगे बढ़ रहे हैं।

मेरे प्‍यारे देशवासियों,

हम इस बात को न भूलें और भारत ने सदियों से देखा हुआ है, जैसे देश में कुछ नमूना रूप कामों की जरूरत होती है, कुछ बड़ी-बड़ी ऊंचाइयों की जरूरत होती है, लेकिन साथ-साथ धरातल पर मजबूती बहुत आवश्‍यक होती है। भारत की आर्थिक वि‍कास की संभावनाएं धरातल की मजबूती से जुड़ी हुई हैं। और इसलिए हमारे छोटे किसान-उनका सामर्थ्‍य, हमारे छोटे उद्यमी-उनका सामर्थ्‍य, हमारे लघु उद्योग, कुटीर उद्योग, सूक्ष्‍म उद्योग, रेहड़ी-पटरी वाले लोग, घरों में काम करने वाले लोग, ऑटो रिक्‍शा चलाने वाले लोग, बस सेवाएं देने वाले लोग, ये समाज का जो सबसे बड़ा तबका है, इसका सामर्थ्‍यवान होना भारत के सामर्थ्‍य की गारंटी है और इसलिए हमारे आर्थिक विकास की ये जो मूलभूत जमीनी ताकत है, उस ताकत को सर्वाधिक बल देने की दिशा में हमारा प्रयास चल रहा है।

मेरे प्यारे देशवासियों

हमारे पास 75 साल का अनुभव है, हमने 75 साल में कई सिद्धियां भी प्राप्‍त की हैं। हमने 75 साल के अनुभव में नए सपने भी संजोए हैं, नए संकल्प भी लिए हैं। लेकिन अमृत काल के लिए हमारे मानव संसाधन का आप्टिमम आउटकम कैसे हो? हमारी प्राकृतिक संपदा का आप्टिमम आउटकम कैसे हो? इस लक्ष्य को लेकर के हमें चलना है। और तब मैं पिछले कुछ सालों के अनुभव से कहना चाहता हूँ। आपने देखा होगा, आज अदालत के अंदर देखिए हमारी वकील के क्षेत्र में काम करने वाली हमारी नारीशक्ति किस ताकत के साथ नजर आ रही है। आप ग्रामीण क्षेत्र में जनप्रतिनिधि के रूप में देखिए। हमारी नारीशक्ति किस मिजाज से समर्पित भाव से अपनी गांवों की समस्याओं को सुलझाने में लगी हुई हैं। आज ज्ञान का क्षेत्र देख लीजिए, विज्ञान का क्षेत्र देख लीजिए, हमारे देश की नारीशक्ति सिरमौर नजर आ रही है।

आज हम पुलिस में देखें, हमारी नारीशक्ति लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी उठा रही है। हम जीवन के हर क्षेत्र में देखें, खेल-कूद का मैदान देखें या युद्ध की भूमि देखें, भारत की नारी शक्ति एक नए सामर्थ्य, नए विश्वास के साथ आगे आ रही है। मैं इसको भारत की 75 साल की जो यात्रा में जो योगदान है, उसमें अब कई गुना योगदान आने वाले 25 साल मैं मेरी नारीशक्ति का देख रहा हूं, मेरी माताओं–बहनों का मेरी बेटियों का देख रहा हूं, और इसलिए ये सारे हिसाब–किताब से ऊपर है। सारे आपके पैरामीटर से अतिरिक्त है। हम इस पर जितना ध्यान देंगे, हम जितने ज्यादा अवसर हमारी बेटियों को देंगे, जितनी सुविधाएं हमारी बेटियों के लिए केंद्रित करेंगे, आप देखना वो हमें बहुत कुछ लौटाकर करके देंगी। वो देश को इस ऊंचाई पर ले जाएगी। इस अमृत काल में जो सपने पूरे करने में जो मेहनत लगने वाली है, अगर उसमें हमारी नारी शक्ति की मेहनत जुड़ जाएगी, व्यापक रूप से जुड़ जाएगी तो हमारी मेहनत कम होगी हमारा समय सीमा भी कम हो जाएगा, हमारे सपने और तेजस्वी होंगे, और ओजस्वी होंगे, और दैदीप्यमान होंगे

और इसलिए आइये साथियों,

हम जिम्मेदारियों को लेकर आगे बढ़ें। मैं आज भारत के संविधान के निर्माताओं का भी धन्यवाद करना चाहता हूं कि उन्होंने जो हमें federal structure दिया है, उसके स्पिरिट को बनाते हुए, उसकी भावनाओं का आदर करते हुए हम कंधे से कंधा मिलाकर के इस अमृतकाल में चलेंगे तो सपने साकार होकर के रहेंगे। कार्यक्रम भिन्न हो सकते हैं, कार्यशैली भिन्न हो सकती है लेकिन संकल्प भिन्न नहीं हो सकते, राष्ट्र के लिए सपने भिन्न नहीं हो सकते।

आइए हम एक ऐसे युग के अंदर आगे बढ़ें। मुझे याद है जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था। केंद्र में हमारे विचार की सरकार नहीं थी, लेकिन मेरे गुजरात में हर जगह पर मैं एक ही मंत्र लेके के चलता था कि भारत के विकास के लिए गुजरात का विकास। भारत का विकास हम कहीं पर भी हों, हम सबके मन मस्तिष्क में रहना चाहिए। हमारे देश के कई राज्य हैं, जिन्होंने देश को आगे बढ़ाने में बहुत भूमिका अदा की है, नेतृत्व किया है, कई क्षेत्रों में उदाहरणीय काम किए हैं। ये हमारे federalism को ताकत देते हैं। लेकिन आज समय की मांग है कि हमें cooperative federalism के साथ-साथ cooperative competitive federalism की जरूरत है, हमें विकास की स्पर्धा की जरूरत है।

हर राज्‍य को लगना चाहिए कि वो राज्‍य आगे निकल गया। मैं इतनी मेह‍नत करूंगा कि मैं आगे निकल जाऊंगा। उसने यह 10 अच्‍छे काम किए हैं मैं 15 अच्‍छे काम कर के दिखाऊंगा। उसने तीन साल में पूरा किया है मैं दो साल में कर के दिखाऊंगा। हमारे राज्‍यों के बीच में हमारी service सरकार की सभी इकाइयों के बीच में वो स्‍पर्धा का वातावरण चाहिए, जो हमें विकास की नई ऊंचाईयों पर ले जाने के लिए प्रयास करे।

मेरे प्‍यारे देशवासियों,

इस 25 वर्ष का अमृतकाल के लिए जब हम चर्चा करते हैं, तब मैं जानता हूं चुनौतियां अनेक है, मर्यादाएं अनेक हैं, मुसीबतें भी हैं, बहुत कुछ है, हम इसको कम नहीं आंकते। रास्‍ते खोजते हें, लगातार कोशिश कर रहे हैं लेकिन दो विषयों को तो मैं यहां पर चर्चा करना चाहता हूं। चर्चा अनेक विषयों पर हो सकती है। लेकिन मैं अभी समय की सीमा के साथ दो विषयों पर चर्चा करना चाहता हूं। और मैं मानता हूं हमारी इन सारी चुनौतियों के कारण, विकृतियों के कारण, बिमारियों के कारण इस 25 साल का अमृत काल उस पर शायद अगर हमने समय रहते नहीं चेते, समय रहते समाधान नहीं किए तो ये विकराल रूप ले सकते हैं। और इसलिए मैं सब की चर्चा न करते हुए दो पर जरूर चर्चा करना चाहता हूं। एक है भ्रष्‍टाचार और दूसरा है भाई-भतीजावाद, परिवारवाद। भारत जैसे लोकतंत्र में जहां लोग गरीबी से जूझ रहे हैं जब ये देखते हैं, एक तरफ वो लोग हैं जिनके पास रहने के लिए जगह नहीं है। दूसरी ओर वो लोग हैं जिनको अपना चोरी किया हुआ माल रखने के लिए जगह नहीं है। यह स्थिति अच्‍छी नहीं है दोस्तों। और इ‍सलिए हमें भ्रष्‍टाचार के खिलाफ पूरी ताकत से लड़ना है। पिछले आठ वर्षों में direct benefit transfer के द्वारा आधार, mobile इन सारी आधुनिक व्‍यवस्‍थाओं का उपयोग करते हुए दो लाख करोड़ रुपये जो गलत हाथों में जाते थे, उसको बचाकर के देश की भलाई के लिए लगाने में हम सफल हुए। जो लोग पिछली सरकारों में बैंकों को लूट-लूट कर के भाग गए, उनकी सम्‍पत्त्यिां जब्‍त कर के वापिस लाने की कोशिश कर रहे हैं। कईयों को जेलों में जीने के लिए मजबूर कर के रखा हुआ है। हमारी कोशिश है जिन्‍होंने देश को लूटा है उनको लौटना पड़े वो स्थिति हम पैदा करेंगे।

भाईयो और बहनों, अब भ्रष्‍टाचार के खिलाफ मैं साफ देख रहा हूं कि हम एक निर्णायक कालखंड में कदम रख रहे हैं। बड़े-बड़े भी बच नहीं पाएंगे। इस मिजाज के साथ भ्रष्‍टाचार के खिलाफ एक निर्णायक कालखंड में अब हिन्‍दुस्‍तान कदम रख रहा है। और मैं लाल किले की प्राचीर से बड़ी जिम्मेवारी के साथ कह रहा हूं। और इसलिए, भाईयों-बहनों भ्रष्‍टाचार दीमक की तरह देश को खोखला कर रहा है। मुझे इसके खिलाफ लड़ाई लड़नी है, लड़ाई को तेज करना है, निर्णायक मोड़ पर इसे लेकर के ही जाना है। तब मेरे 130 करोड़ देशवासी, आप मुझे आर्शिवाद दीजिए, आप मेरा साथ दीजिए, मैं आज आप से साथ मांगने आया हूं, आपका सहयोग मांगने आया हूं ताकि मैं इस लड़ाई को लड़ पाऊं। इस लड़ाई को देश जीत पाए और समान्‍य नागरिक की जिंदगी भ्रष्‍टाचार ने तबाह करके रखी हुई है। मैं मेरे इन समान्‍य नागरिक की जिंदगी को फिर से आन, बान, शान के लिए जीने के लिए रास्‍ता बनाना चाहता हूं। और इसलिए, मेरे प्‍यारे दशवासियों यह चिंता का विषय है कि आज देश में भ्रष्‍टाचार के प्रति नफरत तो दिखती है, व्‍यक्‍त भी होती है लेकिन कभी-कभी भ्रष्‍टाचारियों के प्रति उदारता बरती जाती है, किसी भी देश में यह शोभा नहीं देगा।

और कई लोग तो इतनी बेशर्मी तक चले जाते हैं कि कोर्ट में सजा हो चुकी हो, भ्रष्‍टाचारी सिद्ध हो चुका हो, जेल जाना तय हो चुका हो, जेल गुजार रहे हो, उसके बावजूद भी उनका महिमामंडन करने में लगे रहते हैं, उनकी शान-ओ-शौकत में लगे रहते हैं, उनकी प्रतिष्‍ठा बनाने में लगे रहते हैं। अगर जब तक समाज में गंदगी के प्रति नफरत नहीं होती है, स्‍चछता की चेतना जगती नहीं है। जब तक भ्रष्‍टाचार और भ्रष्‍टाचारी के प्रति नफरत का भाव पैदा नहीं होता है, सामाजिक रूप से उसको नीचा देखने के लिए मजबूर नहीं करते, तब तक यह मानसिकता खत्‍म होने वाली नहीं है। और इसलिए भ्रष्‍टाचार के प्रति भी और भ्रष्‍टाचारियों के प्रति भी हमें बहुत जागरूक होने की जरूरत है।

दूसरी एक चर्चा मैं करना चाहता हूं भाई-भतीजावाद, और जब मैं भाई-भतीजावाद परिवारवाद की बात करता हूं तो लोगों को लगता है मैं सिर्फ राजनीति क्षेत्र की बात करता हूं। जी नहीं, दुर्भाग्‍य से राजनीति क्षेत्र की उस बुराई ने हिन्‍दुस्‍तान की हर संस्‍थाओं में परिवारवाद को पोषित कर दिया है। परिवारवाद हमारी अनेक संस्‍थाओं को अपने में लपेटे हुए है। और इसके कारण मेरे देश के talent को नुकसान होता है। मेरे देश के सामर्थ्‍य को नुकसान होता है। जिनके पास अवसर की संभावनाएं हैं वो परिवारवाद भाई-भतीजे के बाद बाहर रह जाता है। भ्रष्‍टाचार का भी कारण यह भी एक बन जाता है, ताकि उसका कोई भाई-भतीजे का आसरा नहीं है तो लगता है कि भई चलो कहीं से खरीद करके जगह बना लूं। इस परिवारवाद से भाई-भतीजावाद से हमें हर संस्‍थाओं में एक नफरत पैदा करनी होगी, जागरूकता पैदा करनी होगी, तब हम हमारी संस्‍थाओं को बचा पाएंगे। संस्‍थाओं के उज्ज्वल भविष्‍य के लिए बहुत आवश्‍यक है। उसी प्रकार से राजनीति में भी परिवारवाद ने देश के सामर्थ्‍य के साथ सबसे ज्‍यादा अन्‍याय किया है। परिवारवादी राजनीति परिवार की भलाई के लिए होती है उसको देश की भलाई से कोई लेना-देना नहीं होता है और इसलिए लालकिले की प्राचीर से तिरंगे झंडे के आन-बान-शान के नीचे भारत के संविधान का स्‍मरण करते हुए मैं देशवासियों को खुले मन से कहना चाहता हूं, आइये हिन्‍दुस्‍तान की राजनीति के शुद्धिकरण के लिए भी, हिन्‍दुस्‍तान की सभी संस्‍थाओं की शुद्धिकरण के लिए भी हमें देश को इस परिवारवादी मानसिकता से मुक्ति दिला करके योग्‍यता के आधार पर देश को आगे ले जाने की ओर बढ़ना होगा। यह अनिवार्यता है। वरना हर किसी का मन कुंठित रहता है कि मैं उसके लिए योग्‍य था, मुझे नहीं मिला, क्‍योंकि मेरा कोई चाचा, मामा, पिता, दादा-दादी, नाना-नानी कोई वहां थे नहीं। यह मन:स्थिति किसी भी देश के लिए अच्‍छी नहीं है।

मेरे देश के नौजवानों मैं आपके उज्ज्वल भविष्‍य के लिए, आपके सपनों के लिए मैं भाई-भतीजावाद के खिलाफ लड़ाई में आपका साथ चाहता हूं। परिवारवादी राजनीति के खिलाफ लड़ाई में मैं आपका साथ चाहता हूं। यह संवैधानिक जिम्‍मेदारी मानता हूं मैं। यह लोकतंत्र की जिम्‍मेदारी मानता हूं मैं। यह लालकिले के प्राचीर से कही गई बात की ताकत मैं मानता हूं। और इसलिए मैं आज आपसे यह अवसर चाहता हूं। हमने देखा पिछले दिनो खेलों में, ऐसा तो नहीं है कि देश के पास पहले प्रतिभाएं नहीं रहीं होंगी, ऐसा तो नहीं है कि खेल-कूद की दुनिया में हिन्‍दुस्‍तान के नौजवान हमारे बेटे-बेटियां कुछ कर नहीं रहे। लेकिन selection भाई-भतीजेवाद के चैनल से गुजरते थे। और उसके कारण वो खेल के मैदान तक उस देश तक तो पहुंच जाते थे, जीत-हार से उन्‍हें लेना-देना नहीं था। लेकिन जब transparency आई योग्‍यता के आधार पर खिलाडि़यों का चयन होने लगा पूर्ण पारदर्शिता से खेल के मैदान में सामर्थ्‍य का सम्‍मान होने लगा। आज देखिए दुनिया में खेल के मैदान में भारत का तिरंगा फहरता है। भारत का राष्‍ट्रगान गाया जाता है।

गर्व होता है और परिवारवाद से मुक्ति होती है, भाई भतीजावाद से मुक्ति होती है तो यह नतीजे आते हैं। मेरे प्‍यारे देशवासियों यह ठीक है, चुनौतियां बहुत है, अगर इस देश के सामने करोड़ों संकट है, तो करोड़ों समाधान भी हैं और मेरा 130 करोड़ देश‍वासियों पर भरोसा है। 130 करोड़ देश‍वासी निर्धारित लक्ष्‍य के साथ संकल्प के प्रति समर्पण के साथ जब 130 करोड़ देश‍वासी एक कदम आगे रखते हैं न तो हिन्‍दुस्‍तान 130 कदम आगे बढ़ जाता है। इस सामर्थ्‍य को लेकर के हमें आगे बढ़ना है। इस अमृतकाल में, अभी अमृतकाल की पहली बेला है, पहली प्रभात है, हमें आने वाले 25 साल के एक पल भी भूलना नहीं है। एक-एक दिन, समय का प्रत्‍येक क्षण, जीवन का प्रत्‍येक कण, मातृभूमि के लिए जीना और तभी आजादी के दीवानों को हमारी सच्‍ची श्रं‍द्धाजलि होगी। तभी 75 साल तक देश को यहां तक पहुंचाने में जिन-जिन लोगों ने योगदान दिया, उनका पुण्‍य स्‍मरण हमारे काम आयेगा।

मैं देशवासियों से आग्रह करते हुए नई संभावनाओं को संजोते हुए, नए संकल्‍पों को पार करते हुए आगे बढ़ने का विश्‍वास लेकर आज अमृतकाल का आरंभ करते हैं। आजादी का अमृत महोत्‍सव, अब अमृतकाल की दिशा में पलट चुका है, आगे बढ़ चुका है, तब इस अमृतकाल में सबका प्रयास अनिवार्य है। सबका प्रयास ये परिणाम लाने वाला है। टीम इंडिया की भावना ही देश को आगे बढ़ाने वाली है। 130 करोड़ देश‍वासियों की ये टीम इंडिया एक टीम के रूप में आगे बढ़कर के सारे सपनों को साकार करेगी। इसी पूरे विश्‍वास के सा‍थ मेरे साथ बोलिए

जय हिन्‍द।

जय हिन्‍द।

जय हिन्‍द।

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय

वंदे मातरम,

वंदे मातरम,

वंदे मातरम,

बहुत-बहुत धन्‍यवाद!

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76 वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन का अभिभाषण

प्यारे झारखण्डवासियों,

जोहार!

भगवान बिरसा मुण्डा एवं वीर सिद्धो कान्हू जैसे अनेक महान सपूतों की बलिदानी भूमि पर मैं आप सभी का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ और समस्त झारखण्डवासियों तथा देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ देता हूँ।

आज हम भारत की आजादी की 75वीं वर्षगाँठ पूरे हर्षोल्लास के साथ मना रहे हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि आजादी के मतवाले अनेक वीर योद्धाओं के शहादत के बाद हमें यह आजादी नसीब हुई है।

राष्ट्रीय पर्व की इस पावन बेला में मैं, राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, डॉ भीमराव अम्बेदकर, डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, शहीद भगत सिंह, सरदार पटेल सहित उन तमाम देशभक्तों के प्रति अपनी सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ, जिनके कठिन संघर्ष, त्याग और बलिदान ने हमें आजादी दिलायी ।

स्वतंत्रता दिवस के इस पावन अवसर पर मैं, झारखण्ड के वीर सपूतों धरती आबा बिरसा मुण्डा, वीर सिद्धो-कान्हू, बाबा तिलका मांझी, चांद-भैरव, बहन फूलो-झानों, वीर बुद्धु भगत, जतरा टाना भगत, नीलाम्बर-पीताम्बर, पाण्डेय गणपत राय, टिकैत उमराव, शहीद विश्वनाथ शाहदेव को भी नमन करता हूँ, जिनके संघर्ष की गौरव गाथा आज भी हमें साहस और संबल प्रदान करती है।

देश के आंतरिक और बाह्य सुरक्षा में लगे सेना के और पुलिस के वीर जवानों को भी स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ देता हूँ और राष्ट्र के प्रति उनके समर्पण और बलिदान को सलाम करता हूँ।

आजादी के बाद हमारे देश के नीति निर्माताओं ने कल्याणकारी राज्य के आदर्शों के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया। मैं नमन करता हूँ देश के संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर को, जिन्होंने आदिवासियों, पिछड़ों, दलितों के जीवन स्तर को ऊँचा उठाने के लिए, उनको उनका हक दिलाने के लिए अथक प्रयास किया और इनके लिए संवैधानिक सुरक्षा सुनिश्चित की। महान एवं दूरदर्शी सोच रखने वाले बाबा साहेब ने कहा था कि राष्ट्रवाद तभी औचित्य ग्रहण कर सकता है जब लोगों के बीच जाति, नस्ल और रंग का भेद भुलाकर उनके बीच सामाजिक भाईचारा को सर्वोच्च स्थान दिया जाय।

अमर शहीद भगत सिंह ने भी कहा था कि भारत में संघर्ष तब तक जारी रहेगा, जब तक मुट्ठी भर शोषणकर्ता अपने हितों की पूर्ति के लिए सामान्य जनता के श्रम का शोषण करते रहेंगे। यह बात सही है कि देश के आदिवासी, पिछड़े एवं दलित वर्ग आजादी के बाद पिछले 75 वर्षों में सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक रूप से काफी सशक्त हुए हैं, लेकिन अभी भी हम ‘समतामूलक समाज’ की स्थापना के लक्ष्य से दूर हैं। मेरे विचार में हम तब तक इस लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकते जब तक हम व्यक्ति द्वारा व्यक्ति के शोषण को रोकने में सफल नहीं होंगे।

हमारी सरकार गठन के बाद हमने यह लक्ष्य तय किया कि आजादी के संघर्ष में बलिदान देने वाले झारखण्ड के वीर सपूतों के सपनों का झारखण्ड बनायेंगे। जिन उम्मीदों को लेकर अलग झारखण्ड राज्य का निर्माण हुआ था, हम उनको पूरा करने के लिए मजबूत एवं ईमानदार प्रयास करेंगे। हमारी सरकार विकासमूल मंत्र, आधार लोकतंत्र के दृष्टिकोण के साथ एक सशक्त राज्य के निर्माण हेतु निरतंर पय्रत्नशील है।

नवाचार सूचकांक में झारखण्ड का प्रदर्शन बेहतर हुआ है और हम कई पायदान आगे बढ़े हैं। स्वच्छता मानकों में भी हम कई राज्यों से बेहतर स्थिति में है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट के आधार पर राज्य में शिशु मृत्यु दर, कुपोषण तथा महिलाओं एवं बच्चों में व्याप्त एनीमिया में उल्लेखनीय रूप से कमी आयी है। हमारे नौनिहालों और गर्भवती माताओं के लिए अब राज्य में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा और देखभाल सुनिश्चित हुआ है। जहाँ कई राज्यों में पेड़ों और जंगलों को काटे जाने से हरियाली कम हुई है वहीं हमारे राज्य ने वन संरक्षण के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करते हुए वर्ष 2019 से वर्ष 2021 के बीच वन क्षेत्र में 110 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि दर्ज की है। राज्य में सड़क मार्ग, रेल मार्ग, वायुमार्ग और जल मार्ग का विस्तार हुआ है। राज्य में शिक्षा एवं स्वास्थ्य के स्तर में उन्नयन हुआ है। ये सब राज्य के विकास के पथ पर अग्रसर होने के सूचक हैं। वहीं दूसरी तरफ युवाओं के लिए रोजगार सुनिश्चित करना और श्रमिकों का पलायन अभी भी राज्य के लिए चुनौती बनी हुई है।

हमारी सरकार ने “झारखण्ड राज्य के निजी क्षेत्र में स्थानीय उम्मीदवारों का नियोजन अधिनियम, 2021” गठित किया है। इस अधिनियम के तहत् प्रत्येक नियोक्ता चालीस हजार रुपये तक के मासिक वेतन वाले पदों के कुल रिक्ति के 75 प्रतिशत पद पर स्थानीय उम्मीदवारों को नियोजित करेगा। 16 जुलाई, 2022 को निजी क्षेत्र में स्थानीय नियोजन नीति की उद्घोषणा एवं नियुक्ति हेतु ऑफर लेटर वितरण समारोह में करीब 11 हजार स्थानीय युवाओं को नियुक्ति हेतु ऑफर लेटर दिया गया है। स्थानीय युवाओं के लिए राज्य के भीतर ही रोजगार उपलब्ध कराने और पलायन को रोकने के लिए यह निर्णय मील का पत्थर साबित होगा।

यह बात सही है कि वर्तमान स्थिति में हम राज्य से पलायन को पूरी तरह से रोक नहीं सकते, पर विपदा की स्थिति में हम अपने प्रवासी श्रमिकों को हरसंभव सहायता पहुँचाने का प्रयास कर रहे हैं। किसी भी प्रकार की आकस्मिकता अथवा विपदा की स्थिति में, चाहे वह देश में हो या देश के बाहर, उन तक तत्काल सहायता पहुँचाने तथा श्रमिकों की सुरक्षित घर वापसी की व्यवस्था सरकार द्वारा की गई है। कई बार दुर्घटना आदि में श्रमिकों की मृत्यु हो जाती है। ऐसे मृत प्रवासी श्रमिक के आश्रितों को सरकार की ओर से 1 लाख रुपये की सहायता राशि भी दी जा रही है। मैं मजदूर भाईयों को यह भरोसा दिलाना चाहता हूँ कि हमारी सरकार हर कदम पर उनके साथ है।

खनिज संसाधनों से परिपूर्ण और संभावनाओं से भरे हमारे राज्य में विकास को गति देने के लिए नई नीतियाँ बनाई गई है। इसी उद्देश्य से सेक्टर्स खासकर खाद्य प्रसंस्करण, नवीकरणीय ऊर्जा, लॉजिस्टिक्स, खनिज तथा वस्त्र आधारित उद्योगों पर विशेष रूप से ध्यान केन्द्रित किया गया है। श्रम आधारित उद्योगों के स्थापना से राज्य में रोजगार के नये अवसर सृजित होंगे वहीं दूसरी तरफ नई एवं आधुनिक प्रौद्योगिकी पर आधारित उद्योगों की स्थापना से औद्योगिक राज्य के रूप में झारखण्ड की पहचान फिर से स्थापित होगी।

राज्य से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए राँची में वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर का शिलान्यास किया गया है। वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर में अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार विशेषकर निर्यात संवर्धन से संबंधित तमाम गतिविधियाँ एक ही छत के नीचे संचालित होंगी। इस अवसर पर राज्य के उद्यमियों को ऋण एवं अन्य सुविधा प्रदान करने के लिए SIDBI और उद्योग विभाग के बीच MoU भी साईन किया गया है। वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर झारखण्ड की आर्थिक गतिविधियों को मजबूत करने में अहम रोल निभाएगी।

हमारी सरकार द्वारा राज्य को Tourist destination के रूप में स्थापित करने के लिए नई पर्यटन नीति, 2021 अधिसूचित की गई है। इस पर्यटन नीति में राज्य में पर्यटन क्षेत्र में निवेश पर विभिन्न प्रकार के प्रोत्साहन दिये जाने का प्रावधान है।

इसके साथ ही राज्य एवं राज्य के बाहर से आने वाले पर्यटकों को सभी आवश्यक सुविधाएँ मुहैय्या कराने के लिए पर्यटक स्थलों एवं उसके आस-पास आधारभूत संरचना का निर्माण कराया जा रहा है।

राज्य सरकार द्वारा नियुक्ति की प्रक्रिया को गति प्रदान करने के लिए विभिन्न नियुक्ति एवं परीक्षा संचालन नियमावलियों के गठन तथा संशोधन की कार्रवाई प्राथमिकता के साथ की गयी है।

मैंने सभी विभागों को स्पष्ट निदेश दिया है कि राज्य सरकार के अधीन रिक्त पदों को तेजी से भरने की कार्रवाई की जाय। राज्य निर्माण के बाद पहली बार हमने अनुमंडल कृषि पदाधिकारी के पद पर युवकों/युवतियों को नियुक्त किया है। राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला में खाली पदों को हम भर चुके हैं। विभिन्न विश्वविद्यालयों में व्याख्याता के पद पर नियुक्ति पूर्ण कर ली गयी है एवं कुछ जगह नियुक्ति की प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में है। JPSC का नियमावली गठन करने के साथ-साथ हमने रिकॉर्ड 251 दिनों में विभिन्न विभागान्तर्गत 11 सेवाओं के कुल 252 रिक्त पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया पूर्ण करते हुए अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र दिया है।

सरकारी कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन बहाल करने के सम्बन्ध में मैंने वादा किया था। इस सम्बन्ध में कैबिनेट से प्रस्ताव भी पारित हो चुका है। SOP निर्माण की प्रक्रिया आगे बढ़ रही है, शीघ्र ही इसे पूर्णरुपेण लागू कर दिया जायेगा।

झारखण्ड सरकार राज्य के खिलाड़ियों को हर प्रकार की सुविधा देने के लिए दृढ़संकल्पित है। राज्य में खेल व खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने हेतु नई खेल नीति बनाई गई है। सरकार की ओर से खिलाड़ियों को समुचित सहयोग मिल सके, इसके लिए राज्य में पहली बार जिला खेल पदाधिकारियों की नियुक्ति की गई है। इन सब से राज्य में एक बेहतर माहौल तैयार हुआ है, जिससे खिलाड़ियों की प्रतिभा निखर कर सामने आयी है और राज्य के खिलाड़ी राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय फलक पर झारखण्ड की प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं।

पिछले दिनों Commonwealth Games, 2022 में राज्य की युवा खिलाड़ी लवली चौबे और रूपा रानी तिर्की ने लॉन बॉल प्रतिस्पर्द्धा में भारतीय टीम को गोल्ड मेडल दिलाकर देश और झारखण्ड को गौरवान्वित किया है। भारतीय महिला हॉकी टीम ने भी कांस्य पदक जीता है। झारखण्ड की बेटियाँ सलीमा टेटे, निक्की प्रधान एवं संगीता कुमारी इस विजेता टीम का हिस्सा थी। इसके पहले भी सलीमा टेटे एवं निक्की प्रधान ने ओलंपिक में अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन से सबका दिल जीता है। आज हमारे राज्य के कई खिलाड़ी विभिन्न खेल स्पर्द्धाओं में देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर झारखण्ड का नाम रौशन कर रहे हैं।

सर्वजन हिताय एवं सर्वजन सुखाय“  के सिद्धांत को लक्ष्य कर हमने      की शुरुआत की है जिससे समाज के अंतिम पायदान पर खड़े हमारे वृद्ध, निराश्रित महिलाएं एवं दिव्यांगजनों को सम्मान से जीवन जीने का हक प्राप्त हो सके। प्रारम्भ होने के बाद अब तक लगभग 12 लाख लाभुकों को इस योजना से जोड़ा जा चुका है।

राज्य के 29 हजार से अधिक गाँवों में करीब 35 लाख परिवारों को सखी मंडलों से जोड़ा जा चुका है। इन सखी मंडलों को 3700 करोड़ (तीन हजार सात सौ करोड़) रूपये से ज्यादा की राशि चक्रीय निधि के रूप में उपलब्ध करायी गई है। पलाश ब्राण्ड अंतर्गत ग्रामीण महिलाओं के द्वारा उत्पादित एवं संग्रहित उत्पादों को अलग पहचान मिली है तथा लोगों के द्वारा इन उत्पादों को काफी पसंद किया जा रहा है। सखी मंडल के उत्पादों को राज्य के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर पर पहचान स्थापित कर सखी मंडलों की अच्छी आमदनी सुनिश्चित की जा रही है।

ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी और पिछड़ापन दूर करने में मनरेगा महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। वर्ष 2020 में हमारी सरकार ने मनरेगा एवं अन्य योजनाओं के अभिसरण के माध्यम से चार महत्वपूर्ण योजनाओं यथा- ’बिरसा हरित ग्राम योजना’, ’नीलाम्बर-पीताम्बर जल समृद्धि योजना’, ’वीर शहीद पोटो हो खेल विकास योजना’ तथा ’दीदी बाड़ी योजना’ का शुभारम्भ किया गया था। उक्त सभी योजनाओं का सफलतापूर्वक संचालन किया जा रहा है। ’बिरसा हरित ग्राम योजना’ के अन्तर्गत इस वर्ष लगभग 21 हजार एकड़ भूमि में फलदार वृक्ष लगाये जा रहे हैं। ’नीलाम्बर-पीताम्बर जल समृद्धि योजना’ के तहत जलछाजन सिद्धांत को अपनाते हुए वर्तमान वित्तीय वर्ष में लगभग 20 हजार योजनाओं को पूर्ण किया गया है तथा लगभग 81 हजार योजनाओं पर कार्य जारी है। ’वीर शहीद पोटो हो खेल विकास योजना’ के तहत् 140 खेल मैदान का निर्माण का कार्य पूर्ण कर लिया गया है तथा 2487 खेल के मैदान का निर्माण कार्य प्रगति पर है। राज्य की लगभग 05 लाख महिलाओं को ’दीदी बाड़ी योजना’ से लाभान्वित किये जाने का लक्ष्य है। मनरेगा में राज्य सरकार द्वारा अपनी निधि से राशि की व्यवस्था करते हुए अब दैनिक मजदूरी के रुप में 237/- रुपयों का भुगतान कर रही है।

हमारे किसान भाई दिन रात मेहनत मजदूरी कर फसल उगाते हैं और राज्य के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। कृषि के विकास एवं किसानों की खुशहाली के लिए हमारी सरकार हर स्तर पर प्रयास कर रही है। कृषि ऋण के बोझ से दबे राज्य के छोटे एवं सीमान्त किसानों को राहत पहुँचाने के लिए वर्ष 2020 से झारखण्ड राज्य कृषि ऋण माफी योजना  संचालित की जा रही है। इस योजना अन्तर्गत अब तक कुल पंद्रह सौ उनतीस करोड़ रुपये की राशि तीन लाख तिरासी हजार एक सौ दो कृषकों के ऋण खाते में ट्रांसफर की गई है।

किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करने हेतु अब तक 4 लाख 28 हजार नये KCC आवेदन स्वीकृत करते हुए पन्द्रह सौ तिरासी करोड़ की राशि स्वीकृत की गई है। किसानों के प्रशिक्षण हते समेकित बिरसा ग्रामिण विकास योजना-सह-कृषक पाठशाला की शुरूआत की गई है। सरकार द्वारा किसानों को गुणवत्तायुक्त बीज 50 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध करायी जा रही है।

पिछले खरीफ वर्ष 2021-22 में राज्य में 74.16 लाख टन खाद्यान्न फसल का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ। वर्तमान खरीफ मौसम में सामान्य से कम वर्षा होने की रिपोर्ट मिल रही है। राज्य सरकार द्वारा इस पर सतत् निगरानी रखी जा रही है। वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए हमनें केन्द्र सरकार से झारखण्ड के लिए विशेष पैकेज की माँग की है। झारखण्ड राज्य के किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए उन्हें कृषि उत्पादन में आर्थिक नुकसान की भरपाई हेतु वित्तीय वर्ष 2021-22 से झारखण्ड राज्य फसल राहत योजना संचालित की जा रही है। इस वर्ष भी राज्य में वर्षा कम हुई हैव ऐसे में हम फसल राहत योजना के तहत तत्काल 100 करोड़ की राशि की व्यवस्था कर रहे हैं।

झारखण्ड को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने तथा स्वच्छ एवं प्रदूषण मुक्त ऊर्जा का पावर हाउस बनाने के लिए “झारखण्ड सौर ऊर्जा नीति, 2022” लागू की गई है। हमने वर्ष 2027 तक सौर ऊर्जा से 4000 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा है। राज्य के गिरिडीह शहर को “सोलर सिटी” के रूप में विकसित किया जा रहा है। इसके अलावा देवघर, सिमडेगा, गढ़वा एवं पलामू में 20-20 मेगावाट क्षमता के सोलर पावर पार्क की स्थापना की कार्रवाई की जा रही है। राज्य में आर्थिक रूप से कमजोर उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ कम करने हेतु 100 यूनिट तक की खपत करने वाले सभी घरेलू उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली प्रदान करने का निर्णय हमारी सरकार ने लिया है। राज्य के शहरी क्षेत्र को हरा-भरा बनाए रखने के लिए एक पेड़ लगाने पर 5 यूनिट बिजली मुफ्त उपलब्ध कराने की योजना पर कार्य किया जा रहा है।

राज्य सरकार शिक्षा के प्रति सजग और संवेदनशील है। राज्य सरकार के प्रयासों से शिक्षा के क्षेत्र में उत्तरोतर सुधार हो रहा है। इस वर्ष राज्य में माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक बोर्ड परीक्षा का परिणाम उत्साहवर्द्धक रहा है। मैट्रिक बोर्ड में पंचानवे दशमलव छः प्रतिशत छात्र/छात्रायें सफल हुए हैं जो अब तक का सर्वाधिक परिणाम प्रतिशत रहा है। विद्यालयों में शिक्षक एवं प्रयोगशाला सहायक आदि के 37000 पद रिक्त हैं। इन पदों पर नियुक्ति हेतु विशेष अभियान चलाकर अगले 6 माह में नियुक्ति प्रक्रिया पूर्ण करने हेतु कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। स्कूलों में आई॰सी॰टी॰ लैब और स्मार्ट क्लास की सुविधा भी उपलब्ध करायी जा रही है। राज्य में जिला स्तर पर 80 उत्कृष्ट विद्यालयों एवं प्रखंड स्तर पर 305 आदर्श विद्यालयों की स्थापना पर तेजी से कार्य जारी है।

15 नवम्बर से राज्य के युवाओं के लिए ‘CM-SARTHI’ योजना प्रारंभ की जा रही है जिसके तहत विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए निःशुल्क प्रशिक्षण उपलब्ध करवाने के साथ-साथ प्रोत्साहन भत्ता उपलब्ध करवाया जाएगा। देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में अध्ययन के लिए बच्चों के समक्ष आर्थिक परेशानी पैदा न हो इसके लिए हम ‘गुरूजी-स्चूडेंट क्रेडिट कार्ड’ योजना लेकर आ रहे हैं।

उच्च शिक्षा को और बेहतर एवं सर्वसुलभ बनाने के लिए ’झारखण्ड खुला विश्वविद्यालय’ एवं ’पंडित रघुनाथ मुर्मू जनजातीय विश्वविद्यालय’ की स्थापना की गई है। विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त 2,716 (दो हजार सात सौ सोलह) पदों पर नियुक्ति हेतु अधियाचना झारखण्ड लोक सेवा आयोग को भेज दी गई है तथा नियुक्ति की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है।

राज्य में सड़कों का जाल बिछाना हमारा लक्ष्य है। भारत सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के साथ बैठक कर राज्य के लिए कई महत्वपूर्ण राष्ट्रीय उच्च पथ का प्रस्ताव रखा गया था। राज्य सरकार के प्रयासों से 08 बड़ी सड़क परियोजनाओं पर सैद्धांतिक स्वीकृति प्राप्त हो गई है, जिसके तहत् लगभग 30,000 करोड़ की लागत से 1570 कि0मी0 फोरलेन सड़कों का निर्माण किया जाएगा । इसके अलावा “भारतमाला” के तहत स्वीकृत अन्य सड़कों और राज्य सरकार द्वारा स्टेट हाईवे के निर्माण पर भी तीव्र गति से कार्य किया जा रहा है। रांची एवं अन्य महत्वपूर्ण शहरों में फ्लाई ओवर का निर्माण भी कराया जा रहा है ताकि शहरों में ट्रैफिक जाम की समस्या से छुटकारा मिल सके।

राज्य सरकार के द्वारा राज्य के हर कोने के लोगों की समस्या को सुनने एवं उन्हें दूर करने के उद्देश्य से ‘आपके अधिकार आपकी सरकार आपके द्वार’ कार्यक्रम संचालित किया गया जिसमें 35 लाख से अधिक समस्याओं को सुनने के पश्चात् उनका निराकरण किया गया। सरकार शीघ्र ही इस अभियान के द्वितीय चरण को प्रारम्भ करने जा रही है ।

राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2020 में अनुसूचित जनजाति के 10 छात्र/छात्राओं को विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त करने हेतु मरड. गोमके जयपाल सिंह मुण्डा पारदेशीय छात्रवृत्ति योजना का आरम्भ किया गया था। वित्तिय वर्ष 2022-2023 से इस योजना का विस्तार करते हुए अनुसूचित जनजाति के अलावा अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग के छात्र/छात्राओं को भी इस योजना से लाभान्वित किये जाने का निर्णय लिया गया है। कमजोर एवं पिछड़े वर्ग के छात्र/छात्राओं के शिक्षा में कोई व्यवधान न हो, इसके लिए राज्य सरकार द्वारा प्री-मैट्रिक एवं पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत् इन्हें आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के अन्तर्गत 24 लाख छात्र/छात्राओं को 282 करोड़ रुपये की राशि एवं पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के अन्तर्गत 4 लाख छात्र/छात्राओं को 301 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान किया गया है।

असंतुलित विकास और प्रकृति के साथ छेड़-छाड़ के कारण आज समूचा विश्व जलवायु संकट एवं ग्लोबल वार्मिंग जैसे गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है। जल, जंगल और जमीन से जुड़ी हमारी समृद्ध परम्परा और प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर जीने की हमारी जीवन शैली सम्पूर्ण मानव जाति को जीने की सच्ची राह दिखाता है।

हमें अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखते हुए प्रगतिशील सोच के साथ विकास के राह पर आगे बढ़ना होगा। भारत की सबको साथ लेकर चलने वाली संस्कृति ही भारतीय राष्ट्रवाद की बुनियाद है। इसमें नफरत और अलगाव के लिए कोई जगह नहीं है। मैं राज्य के युवाओं को विशेष रूप से कहना चाहता हूँ कि युवा शक्ति अपनी रचनात्मक और सकारात्मक ऊर्जा का उपयोग झारखण्ड के नव निर्माण के लिए करें। मुझे पूरा भरोसा है कि हम सब मिलकर झारखण्ड को एक समृद्ध, खुशहाल एवं विकसित राज्य बनाने में जरूर सफल होंगे।

 

इन दो पंक्तियों के साथ मैं, अपनी बातों को विराम देना चाहूँगा

– “आओ मिलकर नया देश बनायें,

भारतवासी होने का हम फर्ज निभायें।

प्यार है हम सबको इस मिट्टी से,

इस मिट्टी का अब कर्ज चुकायें।

आप सबों को स्वतंत्रता दिवस की बहुत-बहुत बधाई और  शुभकामनाएँ।

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15 अगस्त, 2022 के अवसर पर उप राजधानी दुमका में माननीय राज्यपाल का अभिभाषण

झारखण्ड के मेरे प्यारे भाइयों, बहनों एवं बच्चों,

जोहार!

स्वतंत्रता दिवस के इस पावन मौके पर झारखण्ड की हृदयस्थली संथाल परगना से मैं आप सबका हार्दिक अभिनन्दन और स्वागत करता हूँ और समस्त झारखण्डवासियों तथा देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ देता हूँ।

   

पूरे हर्षोल्लास और उमंग के साथ हम भारत की आजादी की 75वीं वर्षगाँठ को “अमृत महोत्सव” के रूप में मना रहे हैं। इस अवसर पर राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, डा० राजेन्द्र प्रसाद, पंडित जवाहर लाल नेहरू,सरदार वल्लभ भाई पटेल, बाबा साहब डॉ० भीमराव अम्बेडकर,शहीद भगत सिंह के साथ-साथ झारखण्ड की महान विभूतियों भगवान बिरसा मुण्डा, बाबा तिलका मांझी, अमर शहीदसिद्धु-कान्हू, चाँद-भैरव, फूलो-झानो, वीर बुधु भगत, जतरा टाना भगत,शेख भिखारी,पाण्डेय गणपत राय, टिकैत उमराँव, ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव एवं नीलाम्बर-पीताम्बर सहित उन तमाम शहीदों के प्रति अपनी ओर से श्रद्धा-सुमन अर्पित करता हूँ, जिन्होंने देश की आज़ादी में अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया।

इस अवसर पर मैं, देश की पराक्रमी सेना, अर्द्धसैनिक बलों और पुलिस के जवानों को भी स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ देता हूँ तथा देश की सीमाओं की सुरक्षा में शहीद हुए बहादुर सैनिकों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।

प्यारे राज्यवासियों, आजादी के बाद हमारे देश ने सभी क्षेत्रों में तरक्की की है। विश्व के मानचित्र पर भारत की पहचान एक सफल लोकतांत्रिक देश के रूप में स्थापित हुई हैं। इस विकास यात्रा में हमने कई उतार-चढ़ाव भी देखे हैं, परन्तु देश के विकास के मार्ग में आनेवाली हर बाधा, हर मुश्किल का हमने मिल-जुल कर सामना किया है।

वर्तमान में झारखण्ड तेजी से विकास के पथ पर अग्रसर है। हमारी सरकार सुदूर इलाके में रह रहे नागरिकों तक विकास की किरण पहुँचाने के लिए  कृतसंकल्पित है। निरंतर प्रयासों का ही नतीजा है कि राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर झारखण्ड ने कई क्षेत्रों में अपनी विशिष्ट पहचान बनायी है।

हमारी सरकार कृषि, ग्रामीण विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य के साथ-साथ राज्य में औद्योगिक एवं पर्यटन विकास तथा नवाचार को भी बढ़ावा दे रही है। भारत सरकार की रिपोर्ट के अनुसार स्वच्छता तथा नवाचार में झारखण्ड की रैंकिंग में सुधार हुआ है और राज्य को कुपोषण, एनीमीया और शिशु मृत्यु दर को कम करने में भी उल्लेखनीय सफलता मिली है। राज्य में सड़क मार्ग, रेल मार्ग एवं वायु मार्ग का विस्तार हुआ है। हर क्षेत्र में सूचना तकनीक का प्रयोग बढ़ा है।हरे-भरे पेड़-पौधे और हरियाली हमारे झारखण्ड की पहचान है। भारत वन स्थिति रिपोर्ट, 2021 के अनुसार झारखण्ड में 110 कि०मी० वन क्षेत्र में वृद्धि दर्ज की गई है।

संथाल परगना क्षेत्र में भी विकास की गति तेज हुई है। माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा विगत माह देवघर एयरपोर्ट का उद्घाटन किया गया। देवघर एयरपोर्ट से कोलकाता एवं दिल्ली के लिए नियमित उड़ान संचालित हो रही हैं जिससे देवघर देश के दूसरे हिस्सों से सुगम एवं तीव्र यातायात व्यवस्था से जुड़ गया है। देवघर एयरपोर्ट के क्रियाशील होने से देवघर आने वाले श्रद्धालुओं को अब काफी सुविधा हो रही है। प्रसाद योजनान्तर्गत बैद्यनाथधाम, देवघर में शिवगंगा एवं जलसार का सौंदर्यीकरण तथा कांवरिया पथ में कांवरियों की सुविधा हेतु विभिन्न निर्माण कार्य कराया गया है। राज्य में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न जिलों में स्थित धार्मिक, ऐतिहासिक एवं पयर्टन स्थलों में आधारभूत संरचना का विकास किया जा रहा है।

भारत सरकार कीरीजनल कनेक्टिविटी स्कीम (उड़ान-उड़े देश का आम नागरिक) के तहत दुमका से कोलकाता, पटना तथा रांची के लिए सीधी उड़ान सेवा हेतु रूट स्वीकृत किया गया है। इसके लिए दुमका हवाई अड्डा के उन्नयन का कार्य पूरा किया जा चुका है तथा आवश्यक लाइसेंस प्राप्त होने के उपरांत दुमका रांची, कोलकाता तथा पटना से वायु मार्ग द्वारा जुड़ जायेगा। इससे संथाल परगना में विकास की गति और तेज होगी।

झारखण्ड राज्य के साहेबगंज जिला में राष्ट्रीय जलमार्ग-1 के अन्तर्गत गंगा नदी पर जलमार्ग विकास परियोजना के तहत मल्टी मॉडल टर्मिनल का निर्माण किया गया है। साहेबगंज जिला के आर्थिक एवं सामाजिक विकास हेतु एक औद्योगिक-सह-लजिस्टिक पार्कका भी निर्माण किया जाना प्रस्तावित है।

स्थानीय युवाओं के लिए राज्य के भीतर ही रोजगार उपलब्ध कराने और पलायन को रोकने के लिए हमारी सरकार द्वारा “झारखण्ड राज्य के निजी क्षेत्र में स्थानीय उम्मीदवारों का नियोजन अधिनियम, 2021” गठित किया गया है। इस कदम से राज्य के युवाओं को निजी क्षेत्र में रोजगार के अधिक अवसर प्राप्त होंगे।

राज्य सरकार द्वारा नियुक्ति की प्रक्रिया को गति प्रदान करने के लिए विभिन्न नियुक्ति एवं परीक्षा संचालन नियमावलियों के गठन तथा संशोधन की कार्रवाई प्राथमिकता के साथ की गयी है। संशोधित परीक्षा संचालन नियमावली के अनुसार अभ्यर्थियों को झारखण्ड राज्य में अवस्थित मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्थान से 10वीं एवं 12वीं की परीक्षा पास करना तथा स्थानीय रीति-रिवाज, भाषा एवं परिवेश का ज्ञान होना भी अनिवार्य किया गया है। इससे सरकारी नौकरियों में झारखण्ड के युवक/युवतियों की नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त होगा।

राज्य सरकार द्वारा सभी विभागों को निदेश दिया गया है कि रिक्त पदों को तेजी से भरने की कार्रवाई की जाय। झारखण्ड कर्मचारी चयन आयोग द्वारा 6 हजार से अधिक विभिन्न कोटि के पदों पर नियुक्ति हेतु विज्ञापन प्रकाशित किया जा चुका है। झारखंड संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा नियमावली, 2021 का गठन कर इसके आधार पर 7वीं से 10वीं संयुक्त असैनिक सेवा प्रतियोगिता परीक्षा का जे०पी०एस०सी० द्वारा आयोजन किया गया एवं विभिन्न विभागान्तर्गत 11 सेवाओं के कुल 252 रिक्त पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया रिकॉर्ड अवधि में पूर्ण करते हुए अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र दे दिये गये हैं।

झारखण्ड में प्रचुर प्राकृतिक संसाधन उपलब्ध हैं। हमारी सरकार द्वारा राज्य में औद्योगिक निवेश को आकर्षित करने तथा स्थापित इकाईयों को प्रोत्साहित करने और राज्य में रोजगार को बढ़ावा देने हेतु झारखण्ड औद्योगिक निवेश एवं प्रोत्साहन नीति-2021 लागू किया गया है। राज्य से निर्यात को बढ़वा देने के लिए एच०ई०सी० स्थित कोर कैपिटल एरिया में वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर का निर्माण किया जा रहा है। वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर में अर्न्तराष्ट्रीय व्यापार,विशेषकर निर्यात संर्वधन से संबंधित तमाम गतिविधियाँ एक ही छत के नीचे संचालित होंगी। वर्ल्ड ट्रेड सेंटर झारखण्ड की अर्थिक गतिविधियों को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाएगा।

संथाल परगना प्रक्षेत्र के औद्योगिक विकास के लिए भारत सरकार के सहयोग से देवघर के देवीपुर में प्लास्टिक पार्क का निर्माण प्रगति पर है तथा शीघ्र ही निर्माण कार्य पूर्ण हो जाएगा। मार्च,2023 तक इसे पूर्णतः क्रियाशील करने का लक्ष्य है। इसमें लगभग 100 इकाईयाँ स्थापित होंगी तथा लगभग 7000 लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा।

झारखण्ड रेशम उत्पादन में देश का प्रमुख एवं अग्रणी राज्य है, जिसमें संथाल परगना क्षेत्र की प्रमुख भूमिका है। इसके अलावा संथाल परगना क्षेत्र में पारंपरिक रूप से बांस शिल्प का हुनर पाया जाता है। संथाल परगना के सभी जिलों को एक्सपोर्ट हब के रुप में विकसित किए जाने हेतु निर्यात किये जाने वाले उत्पादों को चिन्हित किया गया है। निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक्शन प्लान भी तैयार किया जा रहा है। वर्ष 2021-22 में दुमका प्रक्षेत्र में 1375 तसर उत्पादकों को उन्नत तकनीक का प्रशिक्षण दिया गया। मेगा हैंडलूम कलस्टर के द्वारा दुमका प्रक्षेत्र के बुनकरों को लाभान्वित किया जा रहा है।

हमारी सरकार द्वारा सैलानियों को आकर्षित करने तथा राज्य में पर्यटन संबंधी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए नई पर्यटन नीति अधिसूचित की गई है। इस पर्यटन नीति में राज्य में पर्यटन क्षेत्र में निवेश पर विभिन्न प्रकार के प्रोत्साहन दिये जाने का प्रावधान है।यह पर्यटन नीति राज्य के आर्थिक विकास के साथ-साथ स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नये अवसर भी सृजित करेगी।

खेल के क्षेत्र में झारखण्ड की एक अलग पहचान रही है। राज्य में खेल व खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने हेतु नई खेल नीति बनाई गई है। हमारी सरकार द्वारा खिलाड़ियों को हर संभव सुविधा और सहायता उपलब्ध करायी जा रही है। पिछले दिनों राष्ट्रमंडल खेल,2022में राज्य की युवा खिलाड़ी लवली चौबे और रूपा रानी तिर्की ने लॉनबॉल-4 प्रतिस्पर्द्धा में भारतीय टीम को गोल्ड मेडल दिलाकर देश और झारखण्ड को गौरवान्वित किया है। भारतीय महिला हॉकी टीम ने भी कांस्य पदक जीता है। झारखण्ड की बेटियाँ सलीमा टेटे, निक्की प्रधान एवं संगीता कुमारी इस विजेता टीम का हिस्सा थी। इसके पहले भी सलीमा टेटे एवं निक्की प्रधान ने ओलंपिक में अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन ने सबका दिल जीता है।आज हमारे राज्य के कई खिलाड़ी विभिन्न खेल स्पर्द्धाओं में देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर झारखण्ड का नाम रौशन कर रहे हैं।

झारखण्ड की 70 प्रतिशत से ज्यादा आबादी गाँवों में रहती है। हमारी सरकार द्वारा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए बहुआयामी प्रयास किये जा रहे हैं। कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्रों के विकास के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार को बढ़ावा दिया जा रहा है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत झारखण्ड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाईटी के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब परिवार की महिलाओं को सखी मंडल में संगठित कर उनको आजीविका के सशक्त साधनों से जोड़ा जा रहा है। पलाश ब्रांड के अन्तर्गत ग्रामीण महिलाओं के द्वारा उत्पादित एवं संग्रहित उत्पादों को अलग पहचान मिली है। दुमका जिले में 10 पलाश ब्राण्ड आउटलेट खोले गये हैं, ताकि उत्पादों की खरीद-बिक्री सुगमता से हो सके।

हमारी सरकार ने मनरेगा एवं अन्य योजनाओं के अभिसरण के माध्यम से चार महत्वपूर्ण योजनाओं यथा- ’बिरसा हरित ग्राम योजना’, ’नीलाम्बर-पीताम्बर जल समृद्धि योजना’, ’वीर शहीद पोटो हो खेल विकास योजना’ तथा ’दीदी बाड़ी योजना’ को लागू किया गया है। उक्त सभी योजनायें संथाल परगना सहित पूरे राज्य में सफलतापूर्वक संचालित की जा रही है। इन योजनाओं के लागू किये जाने से जहाँ एक तरफ किसानों की आय में वृद्धि हुई है वहीं दूसरी तरफ राज्य में जल एवं भूमि संरक्षण भी सुनिश्चित हुआ है।

किसानों की खुशहाली पर ही राज्य की खुशहाली निर्भर होती है। कृषि के विकास एवं किसानों की सशक्त बनाने के लिए हमारी सरकार हर स्तर पर प्रयास कर रही है। कृषि ऋण के बोझ से दबे राज्य के छोटे एवं सीमान्त किसानों को झारखण्ड राज्य कृषि ऋण माफी योजना के तहत सहायता पहुँचाई जा रही है। इस योजना अन्तर्गत अब तक कुल 1529 करोड़ रुपये की राशि 3,80,000 (तीन लाख अस्सी हजार) कृषकों के ऋण खाते में ट्रांसफर की गई है। झारखण्ड राज्य के किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए उन्हें कृषि उत्पादन में आर्थिक नुकसान की भरपाई हेतु झारखण्ड राज्य फसल राहत योजना भी संचालित की जा रही है।

किसानों के प्रशिक्षण हेतु समेकित बिरसा ग्राम विकास योजना-सह-कृषक पाठशाला की शुरूआत की गई है। सरकार किसानों को गुणवत्तायुक्त बीज 50 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध करा रही है। कृषि के यंत्रीकरण के साथ-साथ कृषि के क्षेत्र में ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजीजैसे आधुनिकतम तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है।

किसानों की मेहनत और राज्य सरकार द्वारा कृषकों को दिये जा रहे समर्थन एवं सहयोग की बदौलत पिछले खरीफ वर्ष 2021-22 में राज्य में 74.16 लाख टन खाद्यान्न फसल का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ। वर्तमान खरीफ मौसम में सामान्य से 50 प्रतिशत कम वर्षा होने की सूचना है। राज्य सरकार द्वारा इस पर सतत् निगरानी रखी जा रही है। सुखाड़ की स्थिति का आकलन कर राज्य सरकार द्वारा समुचित निर्णय लिया जायेगा।

स्वच्छ एवं प्रदूषण मुक्त ऊर्जा समय की माँग है। हमारी सरकार द्वारा झारखण्ड को प्रदूषण मुक्त ऊर्जा में अग्रणी बनाने के लिए “झारखण्ड सौर ऊर्जा नीति, 2022” लागू की गई है। राज्य के गिरिडीह शहर को “सोलर सिटी” के रूप में विकसित किया जा रहा है। इसके अलावा देवघर, सिमडेगा, गढ़वा एवं पलामू में 20-20 मेगावाट क्षमता के सोलर पावर पार्क की स्थापना की कार्रवाई की जा रही है। राज्य में आर्थिक रूप से कमजोर उपभोक्ताओं पर बोझ कम करने हेतु 100यूनिट तक की खपत करने वाले सभी घरेलू उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली प्रदान करने का निर्णय हमारी सरकार ने लिया है। इससे उपभोक्ता बिजली की खपत को कम करने के लिए प्रेरित होंगे तथा ऊर्जा की बचत को भी बढ़ावा मिलेगा।

राज्य सरकार के प्रयासों से शिक्षा के स्तर में उत्तरोत्तर सुधार हो रहा है। इस वर्ष राज्य में माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक बोर्ड परीक्षा का परिणाम उत्साहवर्द्धक रहा है। मैट्रिक बोर्ड में राज्य स्तर पर 95.60 प्रतिशत छात्र/छात्रायें सफल हुए हैं जो अब तक का सर्वाधिक परिणाम प्रतिशत रहा है। विद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पद पर नियुक्ति हेतु कार्रवाई प्रारंभ कर दिया गया है। राज्य सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में एक विशेष पहल करते हुए 80 उत्कृष्ट विद्यालय,325 प्रखण्ड स्तरीय लीडर स्कूल तथा 4091 पंचायत स्तरीय आदर्श विद्यालय की स्थापना की कार्रवाई की जा रही है।

उच्च शिक्षा को और बेहतर एवं सर्वसुलभ बनाने के लिए’झारखण्ड खुला विश्वविद्यालय’ एवं ’पंडित रघुनाथ मुर्मू जनजातीय विश्वविद्यालय’ की स्वीकृति दी गई है। विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त 2,716 (दो हजार सात सौ सोलह) पदों पर नियुक्ति हेतु अधियाचना झारखण्ड लोक सेवा आयोग को भेज दी गई है तथा नियुक्ति की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है।

.राज्य की जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने हेतु हमारी सरकार सतत् प्रयत्नशील है। राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के उन्नयन हेतु प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं जिला अस्पतालों में उपकरणों, दवाओं एवं चिकित्सकों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के अन्तर्गत रिक्तियों को भरने की भी कार्रवाई की जा रही है। जननी सुरक्षा योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को ग्रामीण क्षेत्र में संस्थागत प्रसव हेतु 1400 रुपये एवं शहरी क्षेत्र में 1000 रुपये दिये जा रहे हैं। साथ ही निःशुल्क दवा, भोजन और जाँच की सुविधा भी दी जा रही है। देवघर में एम्स (AIIMS)के क्रियान्वित होने से संथाल परगना क्षेत्र में लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिलना सुनिश्चित हुआ है।

विकास का पहिया, उन्नत पथों पर ही गतिमान होता है। राज्य के विकास में पथों के महत्व को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2022-23 में लगभग 1200 कि०मी० पथ एवं 20 पुल के निर्माण  का लक्ष्य है। केंद्र सरकार से समन्वय स्थापित कर राज्य सरकार द्वारा 30,000 करोड़ की लागत से 8 बड़ी सड़क परियोजनाओं के अंतर्गत 1570 कि०मी० फोरलेन सड़कों का निर्माण कियाजाना है। “भारतमाला” के तहत स्वीकृत अन्य सड़कों और राज्य सरकार द्वारा स्टेट हाईवे के निर्माण पर भी तीव्र गति से कार्य किया जा रहा है। दुमका प्रक्षेत्र में लगभग 1326 करोड़ के लागत से 729 कि०मी० पथों के राईडिंग क्वालिटी में सुधार एवं मजबूतीकरण एवं लगभग 227 कि०मी० पथों का चौड़ीकरण एवं मजबूतीकरण एवं चार स्टैंड अलोनपुलों की स्वीकृति दी गई।

राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2020 में अनुसूचित जनजाति के 10 छात्र/छात्राओं को विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त करने हेतु मरड.गोमके जयपाल सिंह मुण्डा पारदेशीय छात्रवृत्ति योजना का आरम्भ किया गया था। आगामी वित्तीय वर्ष से इस योजना का विस्तार करते हुए अनुसूचित जनजाति के अलावा अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग के छात्र/छात्राओं को भी इस योजना से लाभान्वित किये जाने का निर्णय लिया गया है।

कमजोर एवं पिछड़े वर्ग के छात्र/छात्राओं के शिक्षा में कोई व्यवधान न आए, इसके लिए राज्य सरकार द्वारा प्री-मैट्रिक एवं पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत इन्हें आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के अन्तर्गत 24 लाख छात्र/छात्राओं को 282 करोड़ रुपये की राशि एवं पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के अन्तर्गत 4 लाख छात्र/छात्राओं को 301 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान किया गया है।

हमारी सरकार महिला सशक्तिकरण और बालिका शिक्षा पर जोर दे रही है। इस निमित राज्य सरकार द्वारा “मुख्यमंत्री सुकन्या योजना” एवं “मुख्यमंत्री कन्यादान योजना” सफलतापूर्वक संचालित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री सुकन्या योजनान्तर्गत विगत वर्ष 2 लाख से अधिक बालिकाओं को लाभान्वित किया गया है, वहीं 10 हजार से अधिक नव-विवाहिता को मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत आर्थिक सहायता उपलब्ध करायी गयी।

राज्य से कुपोषण के उन्मूलन हेतु हमारी सरकार दृढ़ संकल्पित है। राज्य में आँगनबाड़ी केन्द्रों को संरचनात्मक तथा संसाधानात्मक रूप से सशक्त बनाने का प्रयास किया जा रहा है। राज्य के 06 वर्ष तक के बच्चों, गर्भवती महिलाओं, धातृ माताओं, स्कूल नहीं जाने वाली किशोरियों को उच्च पोषक तत्वों से युक्त पूरक पोषाहार नियमित रूप से उपलब्ध कराया जा रहा है। लगभग 38 लाख लाभुकों को पोषाहार नियमित रूप से उपलब्ध कराया जा रहा है।

विकास के साथ-साथ हमारी सरकार लोक-कल्याणकारी दायित्वों का निर्वहन भी पूरी तत्परता के साथ कर रही है। राज्य के वृद्ध, दिव्यांग, निराश्रित महिला तथा आदिम जनजाति परिवारों को सामाजिक सुरक्षा के तहत पेंशन प्रदान किया जा रहा है। राज्य सरकार ने सभी योग्य लाभुकों को सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध करने हेतु सर्वजन पेंशन योजना आरम्भ की है और इस योजना में लाभुकों के लिए पात्रता को सरल बना दिया गया है। यह बताते हुए मुझे गर्व हो रहा है कि इस तरह की सार्वभौमिक पेंशन योजना लाने वाला झारखण्ड देश का पहला राज्य है। इसके माध्यम से सभी योग्य लाभुकों को इस योजना में शामिल किया जायेगा।

विकास का लाभ राज्य के सभी वर्गों, विशेषकर वंचित वर्गों तक पहुँचे,सरकार इस दिशा में प्रयास कर रही है। जनता की सहभागिता एवं रचनात्मक सहयोग से राज्य के समक्ष आने वाली चुनौतियों का सामना करने में सरकार सक्षम होगी, ऐसा मेरा विश्वास है। आइये, आज हम सभी एक समृद्धशाली व खुशहाल झारखण्ड का निर्माण करने के लिए एकजुट होकर प्रयास करने का संकल्प लें।

मैं इस अवसर पर परेड में भाग लेने वाले जवानों को बधाई देता हूँ तथा उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन की सराहना करता हूँ। एक बार मैं पुनः आप सभी को आजादी की 75वीं वर्षगाँठ की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ और बधाई देता हूँ।

 

जय हिन्द!                         जय झारखण्ड!

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दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान पर पहुंचा

नई दिल्ली ,14 अगस्त (आरएनएस/FJ)। दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर 205.33 मीटर के खतरे के निशान को छू गया। इससे पहले दिल्ली में यमुना पर बने पुराने रेलवे ब्रिज (ओआरबी) पर नदी के पानी का स्तर 205.92 मीटर था। इसको देखते हुए दिल्ली के सभी संबंधित जिलाधिकारियों और उनकी जिला सेक्टर समितियों, सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग, दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, दिल्ली पुलिस और अन्य हितधारकों को हाई अलर्ट मोड पर रखा है।

पुलिस कर्मियों के अलावा दिल्ली सरकार ने प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने और स्थानांतरित करने के लिए सिविल डिफेन्स वालंटियर्स (सीडीवी) को तैनात किया है। सिविल डिफेन्स वालंटियर्स नदी के आसपास निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को जागरूक करने के लिए भी लगातार काम कर रहे हैं।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में यमुना नदी के बढते जलस्तर पर कहा, दिल्ली में यमुना का जलस्तर बढ़ गया है, सभी से मेरी अपील कि नदी के किनारों की तरफ जाने से बचें। यमुना के आस-पास रहने वाले लोगों के लिए हमने पर्याप्त बंदोबस्त कर रखे हैं। सरकार और प्रशासन का सहयोग करें। हम स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं।

इससे पहले 11.08.2022 को, हथिनी कुंड बैराज से 221781 क्यूसेक प्रति घंटे की भारी मात्रा में पानी छोडऩे के कारण, केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) ने एक एडवाइजरी जारी की थी जिसमें कहा गया था कि पुराने रेलवे ब्रिज पर यमुना नदी में जल स्तर ( ओआरबी) जल्द ही 205.65 मीटर के स्तर पर पहुंच जाएगा। हरियाणा के हथिनी कुंड बैराज से छोड़े जाने के बाद दिल्ली में पानी पहुंचने में लगभग 36 से 48 घंटे लगते हैं।

इस एडवाइजरी के मद्देनजर एक बैठक की गई थी जिसमें सभी संबंधित डीएम, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग के अधिकारी और आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिकारी उपस्थित थे। उन्हें यमुना नदी में बढ़ते जल स्तर को देखते हुए किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया गया था । उन्हें यह भी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया था कि कोई भी व्यक्ति नदी के पास न जाए।

आवश्यकता पडऩे पर लोगों को प्रभावित क्षेत्र से निकालने और आश्रय, भोजन, पानी, दवा आदि जैसी सभी आवश्यक सुविधाएं देकर सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित करने का भी निर्देश दिया गया। दिल्ली, यूपी और हरियाणा के सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग को आपस में समन्वय के साथ काम करने को भी कहा गया था ताकि हथिनी कुंड बैराज से पानी छोडऩे के चरण से लेकर ओखला बैराज में गेट खोलने तक एक-दूसरे के साथ समन्वय स्थापित रहे जिससे नदी का पानी दिल्ली से सुचारू रूप से गुजर सके।

साथ ही, डीएम (दक्षिण-पश्चिम) को नजफगढ़ ड्रेन में जल स्तर पर कड़ी नजर रखने और सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग के साथ समन्वय में काम करने का निर्देश दिया गया था।

बढ़ते जल स्तर से दिल्ली में लगभग 36,746 लोगों के प्रभावित होने की आशंका है। सरकार पहले ही प्रभावित लोगों के लिए विशेष राहत शिविर लगा चुकी है। उत्तरी जिले में लगभग 4,449 की आबादी प्रभावित होने का अनुमान है, उत्तर पूर्व जिले में ऐसे लोगों की संख्या 6,600-8,200 के बीच है। इसी तरह मध्य और शाहदरा जिलों में ऐसी आबादी की संख्या क्रमश लगभग 6,670 और 608 है। पूर्व और दक्षिण पूर्व जिलों में यह संख्या क्रमश: 12,739 और 4,080 तक जाने की उम्मीद है। अब तक कुल 7,720 लोगों को निकाला गया है, जिनमें से 2095 लोग उत्तर पूर्व जिले में, 5000 पूर्वी जिले में और 625 दक्षिण पूर्व जिले में थे।

दिल्ली सरकार ने मुनादी और बचाव कार्य के लिए 51 नावों को ड्यूटी पर तैनात किया है। दिल्ली के राजस्व मंत्री कैलाश गहलोत स्थिति पर कड़ी नजर रख रहे हैं और उन्होंने सभी संबंधित डीएम और उनकी सेक्टर समितियों को अलर्ट मोड पर रहने और आई एंड एफसी विभाग, पुलिस, डीजेबी, डीयूएसआईबी और अन्य हितधारकों के साथ समन्वय में प्रभावी ढंग से काम करने का निर्देश दिया है।

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सीआईएसएफ ने दिल्ली एयरपोर्ट पर 40 लाख के विदेशी नोटों के साथ 3 यात्रियों को पकड़ा

नई दिल्ली ,14 अगस्त (आरएनएस/FJ)। एयरपोर्ट की सुरक्षा में तैनात सीआईएसएफ ने दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर 3 यात्रियों को हिरासत में लिया है। इन सभी के पास से करीब 40 लाख भारतीय मूल्य के विदेशी नोट जप्त किए हैं। सीआईएसएफ ने रविवार को यह जानकारी दी।

केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) ने आज दिल्ली के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर बड़ी कार्रवाई करते हुए 40 लाख भारतीय मूल्य के विदेशी नोट बरामद किए हैं। सीआईएसएफ ने जब चेक इन बैग की जांच के दौरान 3 यात्रियों के बैग की जांच की तो पता चला कि बैग में मौजूद छोटे छोटे डब्बों में विदेशी नोट छिपाकर रखे गए थे। ये नोट इस तरह से डब्बों में छुपाकर रखे थे, ताकि किसी को इसकी भनक ना लगे।

सीआईएसएफ के मुताबिक बरामद किए गए लगभग 40 लाख मूल्य के इन विदेशी नोटों की तीनों यात्री कोई जानकारी या दस्तावेज नहीं दिखा पाए। गौरतलब है कि एक तय सीमा से ज्यादा कैश लाने और ले जाने पर पाबंदी है।

सीआईएसएफ ने इस मामले में तीनों यात्रियों को हिरासत में ले लिया। आगे की जांच और पूछताछ के लिए पैसे और आरोपियों दोनों को कस्टम विभाग के हवाले कर दिया गया है।

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लाल किला इलाका स्वतंत्रता दिवस समारोह को लेकर बना अभेद किला

नई दिल्ली ,14 अगस्त (आरएनएस/FJ) । लाल किला इलाका स्वतंत्रता दिवस समारोह को लेकर बना अभेद किला. 15 अगस्त को लेकर दिल्ली में लाल किले के आस पास जमीन से लेकर आसमान तक ऐसी सुरक्षा व्यवस्था की गई है कि परिंदा भी पर न मार सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले की प्राचीर से तिरंगा फहराएंगे और देश को संबोधित करेंगे। पूरे इलाके को अभेद किले में तब्दील कर दिया गया है।

हालांकि स्वतंत्रता दिवस समारोह को लेकर आतंकी हमले की धमकी को देखते हुए भी सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए हैं। लाल किले की ओर जाने वाली सभी सड़कों को आम लोगों के लिए बंद कर दिया गया है। इसके साथ ही लाल किले के चारों ओर पांच किलोमीटर के दायरे में हवाई क्षेत्र को भी चिह्न्ति किया गया है।

15 अगस्त पर खुफिया एजेंसियों ने दिल्ली में ड्रोन हमले का अलर्ट जारी किया है, डिआरडीओ द्वारा विकसित काउंटर-ड्रोन सिस्टम को छोटे ड्रोन से किसी भी संभावित खतरे से निपटने के लिए लाल किला के ठीक सामने तैनात किया गया है, ताकि हवाई हमले से बचाव किया जा सके।

यह काउंटर ड्रोन सिस्टम पांच किलोमीटर तक के रेडियस से ड्रोन की पहचान कर उसे नष्ट करने में मदद करेगा। वहीं तिरंगा फहराए जाने तक लाल किले के आसपास के पांच किलोमीटर के क्षेत्र को नो काइट फ्लाइंग जोन के रूप में चिह्न्ति किया गया है।

इसके अलावा लाल किले की सुरक्षा के चलते 10,000 से अधिक सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है। लाल किले के प्रवेश द्वार पर चेहरे की पहचान प्रणाली (एफआरएस) वाले कैमरे लगाए गए हैं। वहीं लाल किले को जोडऩे वाले सभी मार्गो पर पुलिस की गश्त बढ़ा दी गई है और सैकड़ों की संख्या में कैमरे भी लगाए गए हैं।

लाल किले के आसपास रहने वाले लोगों की जानकारी भी इक_ी की गई है, वहीं जो लोग किराए पर रहते हैं उनकी भी जानकारी पुलिस ने जमा की है। लाल किले के आसपास गाडिय़ों की पार्किंग को आम लोगों के लिए बंद कर दिया गया है और वहां भी पुलिसकर्मियों को तैनात किया है।

वहीं, 14 अगस्त को रात 10 बजे से अगले दिन सुबह 11 बजे तक वाणिज्यिक और परिवहन वाहनों की आवाजाही के लिए ये दिल्ली की सीमाएं बंद रहेंगी।

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उपराष्ट्रपति ने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर देशवासियों को बधाई दी

उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर देशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं। उनका संदेश इस प्रकार है-

“मैं 76वें स्वतंत्रता दिवस के उल्लासपूर्ण अवसर पर देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई देता हूं।

आज जब हम विगत पचहत्तर वर्षों में देश की उपलब्धियों का उत्सव मना रहे हैं, हम यह भी याद रखें कि यह आज़ादी कितने कठिन संघर्ष के बाद अर्जित की गई। स्वतंत्रता दिवस हमें उन वीर स्वतंत्रता सेनानियों को स्मरण करने तथा उन्हें श्रद्धांजलि देने का भी अवसर है, जिनके साहस और बलिदान ने हमें एक दमनकारी औपनिवेशिक शासन से मुक्ति दिलायी।

आज, आधुनिक भारत के उन निर्माताओं के प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करने का भी दिन है जिनके श्रम और संकल्प ने एक संप्रभु, स्थायी और सुदृढ़ गणतंत्र की नींव डाली। आज, भारत संभावनाओं और सामर्थ्य से परिपूर्ण देश है जो सर्वांगीण विकास के पथ पर तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।

आज जब हम आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, यह समय है कि हमारे महान क्रांतिकारियों और स्वाधीनता सेनानियों की प्रेरणादायक शौर्यगाथाऐं बारंबार सुनी और सुनायी जाएं जिससे हमारी युवा पीढ़ी को देशभक्ति, बलिदान तथा सेवा जैसे सद्गुणों को आत्मसात करने की प्रेरणा मिल सके।

आज इस स्वाधीनता दिवस के अवसर पर हम ‘भारत’ के सभ्यतागत संस्कारों तथा संवैधानिक मूल्यों के प्रति पुनः कटिबद्ध हों तथा एक समावेशी, प्रगतिशील और समृद्ध भारत के निर्माण के लिए स्वयं को समर्पित करें।”

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भारत की माननीया राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का 76वें स्वाधीनता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संदेश

मेरे प्यारे देशवासियो,

नमस्कार!

छिहत्तरवें स्वाधीनता दिवस की पूर्व संध्या पर देश-विदेश में रहने वाले सभी भारतीयों को मैं हार्दिक बधाई देती हूं। इस गौरवपूर्ण अवसर पर आपको संबोधित करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है। एक स्वाधीन देश के रूप में भारत 75 साल पूरे कर रहा है। 14 अगस्त के दिन को विभाजन-विभीषिका स्मृति-दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इस स्मृति दिवस को मनाने का उद्देश्य सामाजिक सद्भाव, मानव सशक्तीकरण और एकता को बढ़ावा देना है। 15 अगस्त 1947 के दिन हमने औपनिवेशिक शासन की बेड़ियों को काट दिया था। उस दिन हमने अपनी नियति को नया स्वरूप देने का निर्णय लिया था। उस शुभ-दिवस की वर्षगांठ मनाते हुए हम लोग सभी स्वाधीनता सेनानियों को सादर नमन करते हैं। उन्होंने अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया ताकि हम सब एक स्वाधीन भारत में सांस ले सकें।

भारत की आजादी हमारे साथ-साथ विश्व में लोकतंत्र के हर समर्थक के लिए उत्सव का विषय है। जब भारत स्वाधीन हुआ तो अनेक अंतरराष्ट्रीय नेताओं और विचारकों ने हमारी लोकतान्त्रिक शासन प्रणाली की सफलता के विषय में आशंका व्यक्त की थी। उनकी इस आशंका के कई कारण भी थे। उन दिनों लोकतंत्र आर्थिक रूप से उन्नत राष्ट्रों तक ही सीमित था। विदेशी शासकों ने वर्षों तक भारत का शोषण किया था। इस कारण भारत के लोग गरीबी और अशिक्षा से जूझ रहे थे। लेकिन भारतवासियों ने उन लोगों की आशंकाओं को गलत साबित कर दिया। भारत की मिट्टी में लोकतंत्र की जड़ें लगातार गहरी और मजबूत होती गईं।

अधिकांश लोकतान्त्रिक देशों में वोट देने का अधिकार प्राप्त करने के लिए महिलाओं को लंबे समय तक संघर्ष करना पड़ा था। लेकिन हमारे गणतंत्र की शुरुआत से ही भारत ने सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार को अपनाया। इस प्रकार आधुनिक भारत के निर्माताओं ने प्रत्येक वयस्क नागरिक को राष्ट्र-निर्माण की सामूहिक प्रक्रिया में भाग लेने का अवसर प्रदान किया। भारत को यह श्रेय जाता है कि उसने विश्व समुदाय को लोकतंत्र की वास्तविक क्षमता से परिचित कराया।

मैं मानती हूं कि भारत की यह उपलब्धि केवल संयोग नहीं थी। सभ्यता के आरंभ में ही भारत-भूमि के संतों और महात्माओं ने सभी प्राणियों की समानता व एकता पर आधारित जीवन-दृष्टि विकसित कर ली थी। महात्मा गांधी जैसे महानायकों के नेतृत्व में हुए स्वाधीनता संग्राम के दौरान हमारे प्राचीन जीवन-मूल्यों को आधुनिक युग में फिर से स्थापित किया गया। इसी कारण से हमारे लोकतंत्र में भारतीयता के तत्व दिखाई देते हैं। गांधीजी सत्ता के विकेंद्रीकरण और जन-साधारण को अधिकार-सम्पन्न बनाने के पक्षधर थे।

पिछले 75 सप्ताह से हमारे देश में स्वाधीनता संग्राम के महान आदर्शों का स्मरण किया जा रहा है। ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ मार्च 2021 में दांडी यात्रा की स्मृति को फिर से जीवंत रूप देकर शुरू किया गया। उस युगांतरकारी आंदोलन ने हमारे संघर्ष को विश्व-पटल पर स्थापित किया। उसे सम्मान देकर हमारे इस महोत्सव की शुरुआत की गई। यह महोत्सव भारत की जनता को समर्पित है। देशवासियों द्वारा हासिल की गई सफलता के आधार पर ‘आत्मनिर्भर भारत’ के निर्माण का संकल्प भी इस उत्सव का हिस्सा है। हर आयु वर्ग के नागरिक पूरे देश में आयोजित इस महोत्सव के कार्यक्रमों में उत्साहपूर्वक भाग ले रहे हैं। यह भव्य महोत्सव अब ‘हर घर तिरंगा अभियान’ के साथ आगे बढ़ रहा है। आज देश के कोने-कोने में हमारा तिरंगा शान से लहरा रहा है। स्वाधीनता आंदोलन के आदर्शों के प्रति इतने व्यापक स्तर पर लोगों में जागरूकता को देखकर हमारे स्वाधीनता सेनानी अवश्य प्रफुल्लित हुए होते।

हमारा गौरवशाली स्वाधीनता संग्राम इस विशाल भारत-भूमि में बहादुरी के साथ संचालित होता रहा। अनेक महान स्वाधीनता सेनानियों ने वीरता के उदाहरण प्रस्तुत किए और राष्ट्र-जागरण की मशाल अगली पीढ़ी को सौंपी। अनेक वीर योद्धाओं तथा उनके संघर्षों विशेषकर किसानों और आदिवासी समुदाय के वीरों का योगदान एक लंबे समय तक सामूहिक स्मृति से बाहर रहा। पिछले वर्ष से हर 15 नवंबर को ‘जन-जातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाने का सरकार का निर्णय स्वागत-योग्य है। हमारे जन-जातीय महानायक केवल स्थानीय या क्षेत्रीय प्रतीक नहीं हैं बल्कि वे पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

प्यारे देशवासियो,

एक राष्ट्र के लिए, विशेष रूप से भारत जैसे प्राचीन देश के लंबे इतिहास में, 75 वर्ष का समय बहुत छोटा प्रतीत होता है। लेकिन व्यक्तिगत स्तर पर यह काल-खंड एक जीवन-यात्रा जैसा है। हमारे वरिष्ठ नागरिकों ने अपने जीवनकाल में अद्भुत परिवर्तन देखे हैं। वे गवाह हैं कि कैसे आजादी के बाद सभी पीढ़ियों ने कड़ी मेहनत की, विशाल चुनौतियों का सामना किया और स्वयं अपने भाग्य-विधाता बने। इस दौर में हमने जो कुछ सीखा है वह सब उपयोगी साबित होगा क्योंकि हम राष्ट्र की यात्रा में एक ऐतिहासिक पड़ाव की ओर आगे बढ़ रहे हैं। हम सब 2047 में स्वाधीनता के शताब्दी-उत्सव तक की 25 वर्ष की अवधि यानि भारत के अमृत-काल में प्रवेश कर रहे हैं।

हमारा संकल्प है कि वर्ष 2047 तक हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों को पूरी तरह साकार कर लेंगे। इसी काल-खंड में हम बाबासाहब भीमराव आम्बेडकर के नेतृत्व में संविधान का निर्माण करने वाली विभूतियों के vision को साकार कर चुके होंगे। एक आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में हम पहले से ही तत्पर हैं। वह एक ऐसा भारत होगा जो अपनी संभावनाओं को साकार कर चुका होगा।

दुनिया ने हाल के वर्षों में एक नए भारत को उभरते हुए देखा है, खासकर COVID-19 के प्रकोप के बाद। इस महामारी का सामना हमने जिस तरह किया है उसकी सर्वत्र सराहना की गई है। हमने देश में ही निर्मित वैक्सीन के साथ मानव इतिहास का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू किया। पिछले महीने हमने दो सौ करोड़ वैक्सीन कवरेज का आंकड़ा पार कर लिया है। इस महामारी का सामना करने में हमारी उपलब्धियां विश्व के अनेक विकसित देशों से अधिक रही हैं। इस प्रशंसनीय उपलब्धि के लिए हम अपने वैज्ञानिकों, डॉक्टरों, नर्सों, पैरामेडिक्स और टीकाकरण से जुड़े कर्मचारियों के आभारी हैं। इस आपदा में कोरोना योद्धाओं द्वारा किया गया योगदान विशेष रूप से प्रशंसनीय है।

कोरोना महामारी ने पूरे विश्व में मानव-जीवन और अर्थ-व्यवस्थाओं पर कठोर प्रहार किया है। जब दुनिया इस गंभीर संकट के आर्थिक परिणामों से जूझ रही थी तब भारत ने स्वयं को संभाला और अब पुनः तीव्र गति से आगे बढ़ने लगा है। इस समय भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही प्रमुख अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक है। भारत के start-up eco-system का विश्व में ऊंचा स्थान है। हमारे देश में start-ups की सफलता, विशेषकर unicorns की बढ़ती हुई संख्या, हमारी औद्योगिक प्रगति का शानदार उदाहरण है। विश्व में चल रही आर्थिक कठिनाई के विपरीत, भारत की अर्थ-व्यवस्था को तेजी से आगे बढ़ाने का श्रेय सरकार तथा नीति-निर्माताओं को जाता है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान physical और digital infrastructure के विकास में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। प्रधानमंत्री गति-शक्ति योजना के द्वारा connectivity को बेहतर बनाया जा रहा है। परिवहन के जल, थल, वायु आदि पर आधारित सभी माध्यमों को भली-भांति एक दूसरे के साथ जोड़कर पूरे देश में आवागमन को सुगम बनाया जा रहा है। प्रगति के प्रति हमारे देश में दिखाई दे रहे उत्साह का श्रेय कड़ी मेहनत करने वाले हमारे किसान व मजदूर भाई-बहनों को भी जाता है। साथ ही व्यवसाय की सूझ-बूझ से समृद्धि का सृजन करने वाले हमारे उद्यमियों को भी जाता है। सबसे अधिक खुशी की बात यह है कि देश का आर्थिक विकास और अधिक समावेशी होता जा रहा है तथा क्षेत्रीय विषमताएं भी कम हो रही हैं।

लेकिन यह तो केवल शुरुआत ही है। दूरगामी परिणामों वाले सुधारों और नीतियों द्वारा इन परिवर्तनों की आधार-भूमि पहले से ही तैयार की जा रही थी। उदाहरण के लिए ‘Digital India’ अभियान द्वारा ज्ञान पर आधारित अर्थ-व्यवस्था की आधारशिला स्थापित की जा रही है। ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ का उद्देश्य भावी पीढ़ी को औद्योगिक क्रांति के अगले चरण के लिए तैयार करना तथा उन्हें हमारी विरासत के साथ फिर से जोड़ना भी है।

आर्थिक प्रगति से देशवासियों का जीवन और भी सुगम होता जा रहा है। आर्थिक सुधारों के साथ-साथ जन-कल्याण के नए कदम भी उठाए जा रहे हैं। ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ की सहायता से गरीब के पास स्वयं का घर होना अब एक सपना नहीं रह गया है बल्कि सच्चाई का रूप ले चुका है। इसी तरह ‘जल जीवन मिशन’ के अंतर्गत ‘हर घर जल’ योजना पर कार्य चल रहा है।

इन उपायों का और इसी तरह के अन्य प्रयासों का उद्देश्य सभी को, विशेषकर गरीबों को, बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना है। भारत में आज संवेदनशीलता व करुणा के जीवन-मूल्यों को प्रमुखता दी जा रही है। इन जीवन-मूल्यों का मुख्य उद्देश्य हमारे वंचित, जरूरतमंद तथा समाज के हाशिये पर रहने वाले लोगों के कल्याण हेतु कार्य करना है। हमारे राष्ट्रीय मूल्यों को, नागरिकों के मूल कर्तव्यों के रूप में, भारत के संविधान में समाहित किया गया है। देश के प्रत्येक नागरिक से मेरा अनुरोध है कि वे अपने मूल कर्तव्यों के बारे में जानें, उनका पालन करें, जिससे हमारा राष्ट्र नई ऊंचाइयों को छू सके।

प्यारे देशवासियो,

आज देश में स्वास्थ्य, शिक्षा और अर्थ-व्यवस्था तथा इनके साथ जुड़े अन्य क्षेत्रों में जो अच्छे बदलाव दिखाई दे रहे हैं उनके मूल में सुशासन पर विशेष बल दिए जाने की प्रमुख भूमिका है। जब ‘राष्ट्र सर्वोपरि’ की भावना से कार्य किया जाता है तो उसका प्रभाव प्रत्येक निर्णय एवं कार्य-क्षेत्र में दिखाई देता है। यह बदलाव विश्व समुदाय में भारत की प्रतिष्ठा में भी दिखाई दे रहा है।

भारत के नए आत्म-विश्वास का स्रोत देश के युवा, किसान और सबसे बढ़कर देश की महिलाएं हैं। अब देश में स्त्री-पुरुष के आधार पर असमानता कम हो रही है। महिलाएं अनेक रूढ़ियों और बाधाओं को पार करते हुए आगे बढ़ रही हैं। सामाजिक और राजनीतिक प्रक्रियाओं में उनकी बढ़ती भागीदारी निर्णायक साबित होगी। आज हमारी पंचायती राज संस्थाओं में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों की संख्या चौदह लाख से कहीं अधिक है।

हमारे देश की बहुत सी उम्मीदें हमारी बेटियों पर टिकी हुई हैं। समुचित अवसर मिलने पर वे शानदार सफलता हासिल कर सकती हैं। अनेक बेटियों ने हाल ही में सम्पन्न हुए राष्ट्रमंडल खेलों में देश का गौरव बढ़ाया है। हमारे खिलाड़ी अन्य अंतर-राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भी देश को गौरवान्वित कर रहे हैं। हमारे बहुत से विजेता समाज के वंचित वर्गों में से आते हैं। हमारी बेटियां fighter-pilot से लेकर space scientist होने तक हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैं।

प्यारे देशवासियो,

जब हम स्वाधीनता दिवस मनाते हैं तो वास्तव में हम अपनी ‘भारतीयता’ का उत्सव मनाते हैं। हमारा भारत अनेक विविधताओं से भरा देश है। परंतु इस विविधता के साथ ही हम सभी में कुछ न कुछ ऐसा है जो एक समान है। यही समानता हम सभी देशवासियों को एक सूत्र में पिरोती है तथा ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।

भारत अपने पहाड़ों, नदियों, झीलों और वनों तथा उन क्षेत्रों में रहने वाले जीव-जंतुओं के कारण भी अत्यंत आकर्षक है। आज जब हमारे पर्यावरण के सम्मुख नई-नई चुनौतियां आ रही हैं तब हमें भारत की सुंदरता से जुड़ी हर चीज का दृढ़तापूर्वक संरक्षण करना चाहिए। जल, मिट्टी और जैविक विविधता का संरक्षण हमारी भावी पीढ़ियों के प्रति हमारा कर्तव्य है। प्रकृति की देखभाल माँ की तरह करना हमारी भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रहा है। हम भारतवासी अपनी पारंपरिक जीवन-शैली से पूरी दुनिया को सही राह दिखा सकते हैं। योग एवं आयुर्वेद विश्व-समुदाय को भारत का अमूल्य उपहार है जिसकी लोकप्रियता पूरी दुनिया में निरंतर बढ़ रही है।

प्यारे देशवासियो,

हमारे पास जो कुछ भी है वह हमारी मातृभूमि का दिया हुआ है। इसलिए हमें अपने देश की सुरक्षा, प्रगति और समृद्धि के लिए अपना सब कुछ अर्पण कर देने का संकल्प लेना चाहिए। हमारे अस्तित्व की सार्थकता एक महान भारत के निर्माण में ही दिखाई देगी। कन्नड़ा भाषा के माध्यम से भारतीय साहित्य को समृद्ध करने वाले महान राष्ट्रवादी कवि ‘कुवेम्पु’ ने कहा है:

नानु अलिवेनीनु अलिवे

नम्मा एलुबुगल मेले

मूडुवुदु मूडुवुदु

नवभारत-द लीले।

अर्थात

मैं नहीं रहूंगा

न रहोगे तुम

परन्तु हमारी अस्थियों पर

उदित होगीउदित होगी

नये भारत की महागाथा।‌

उस राष्ट्रवादी कवि का यह स्पष्ट आह्वान है कि मातृ-भूमि तथा देशवासियों के उत्थान के लिए सर्वस्व बलिदान करना हमारा आदर्श होना चाहिए। इन आदर्शों को अपनाने के लिए मैं अपने देश के युवाओं से विशेष अनुरोध करती हूं। वे युवा ही 2047 के भारत का निर्माण करेंगे।

अपना सम्बोधन समाप्त करने से पहले मैं भारत के सशस्त्र बलों, विदेशों में स्थित भारतीय मिशनों और अपनी मातृभूमि को गौरवान्वित करने वाले प्रवासी-भारतीयों को स्वाधीनता दिवस की बधाई देती हूं। मैं सभी देशवासियों के सुखद और मंगलमय जीवन के लिए शुभकामनाएं व्यक्त करती हूं।

धन्यवाद,

जय हिन्द!

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दिल्ली : बांग्लादेशी नागरिक दर्जन भर पासपोर्ट के साथ पकड़े गए

नई दिल्ली ,14 अगस्त (आरएनएस/FJ)। दिल्ली पुलिस ने 75वें स्वतंत्रता दिवस से ठीक एक दिन पहले रविवार को कहा कि उन्होंने दो बांग्लादेशी नागरिकों को लगभग एक दर्जन पासपोर्ट और विभिन्न मंत्रालयों के 10 नकली टिकटों के साथ गिरफ्तार किया है।

पुलिस उपायुक्त (द्वारका) एम. हर्षवर्धन ने कहा कि आगामी स्वतंत्रता दिवस के मद्देनजर नियमित विशेष जांच अभियान चलाया जा रहा है और रामफल चौक में ऐसे ही एक अभियान के दौरान पुलिस वहां रहने वाले दो बांग्लादेशी नागरिकों के घर गई।

बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान मोहम्मद मुस्तफा (28) और मोहम्मद हुसैन शेख के रूप में की गई है।

डीसीपी ने कहा, खोज करने पर, उनके पास बांग्लादेशी नागरिकों के 11 पासपोर्ट और बांग्लादेश के विभिन्न मंत्रालयों और नोटरी के 10 नकली टिकट पाए गए। नकली रबर स्टैंप के बारे में, उनके पास कोई ठोस जवाब नहीं था।

तदनुसार, पुलिस ने दोनों के खिलाफ कानून की उपयुक्त धाराओं (विदेशी अधिनियम और 468 आईपीसी) के तहत मामला दर्ज किया है और मामले की जांच शुरू कर दी है।

आरोपी युगल ने कहा कि वे बांग्लादेशी नागरिकों के लिए एजेंट के रूप में काम करते थे जो इलाज के लिए आते हैं।

अधिकारी ने कहा, हालांकि उनके पास से बड़ी संख्या में नकली टिकटों की बरामदगी की जांच की जा रही है।

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आजादी के अमृत महोत्सव पर शहडोल संभाग के बच्चों के बस्ते का बोझ हुआ कम

शहडोल ,14 अगस्त (आरएनएस)।  आजादी का अमृत महोत्सव शहडोल संभाग के स्कूली बच्चों के लिए खुशहाली का संदेश लेकर आया है। यहां के स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों के बस्ते का बोझ कम हो गया है। बच्चों के स्कूल के बैग का बढ़ता वजन हर किसी के लिए चिंता का सबब रहा है। यही कारण है कि केंद्र सरकार ने नेशनल स्कूल बैग नीति 2020 बनाई।

इस नीति में यह तय किया गया कि बच्चों के वजन से 10 फीसदी से अधिक बैग का भार नहीं होना चाहिए, इसके लिए मध्यप्रदेश में भी कदम आगे बढ़ाए गए। इस मामले में शहडोल संभाग प्रदेश के दूसरे संभागों को पीछे छोड़ते हुए आगे निकल गया है, क्योंकि यहां बच्चों के बैग के वजन को कम कर दिया गया है।

शहडोल के संभाग आयुक्त राजीव शर्मा ने बच्चों के स्कूली बैग का वजन कम करने की रणनीति बनाई। इसके लिए उन्होंने एक टीम बनाई और इस टीम को सरकारी और निजी स्कूलों में भेजा गया, जब बच्चों के बैग का वजन लिया गया तो वे वह निर्धारित मापदंड से दो और तीन गुना तक ज्यादा वजन निकला।

इस पर तमाम प्राचार्यों और शिक्षा अधिकारियों को हिदायत देने के साथ स्कूलों का निरीक्षण किया गया। बीते एक पखवाड़े तक चली मुहिम का नतीजा यह हुआ कि 12 दिन की कवायद के बाद बच्चों के बैग का वजन बच्चों के वजन के मुकाबले 10 फीसदी कम कर दिया गया।

शहडोल के संभाग आयुक्त शर्मा बताते है कि नेशनल स्कूल बैग नीति के अनुसार सभी स्कूलों में बच्चों के बैग का वजन लिया गया तो यह बात सामने आई कि बैग का वजन बहुत ज्यादा है। इस पर बैग के बोझ को कम करने की रणनीति बनाकर उस पर अमल किया गया, जिसके चलते बस्ते का बोझ कम कर हो गया है।

मध्य प्रदेश का शहडोल पहला ऐसा संभाग बन गया है जहां बच्चों के बैग का वजन कम कर दिया गया है। आजादी के अमृत महोत्सव के मौके पर यह बड़ी सौगात मिली है स्कूली बच्चों को।

संभाग के पूरी तरह बच्चों के स्कूली बैग अतिरिक्त बोझ से मुक्त हो जाएंगे। इसकी स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि द्वारा घोषणा भी की जाएगी।

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