25 वर्षों में हमें भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है : मोदी

नई दिल्ली , 28 मई (एजेंसी)। नई संसद भवन के उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पुराने संसद भवन में काम पूरा करना मुश्किल होता था और इस बात से सभी वाकिफ हैं। बैठने की जगह की कमी थी और तकनीकी दिक्कतें भी थीं। इसलिए दो दशक से भी अधिक समय से नए संसद भवन के निर्माण पर चर्चा चल रही थी। संसद के नए भवन का निर्माण समय की मांग थी. मुझे खुशी है कि यह नया भव्य भवन आधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण है। सफलता की पहली शर्त, सफल होने का विश्वास ही होती है. ये नया संसद भवन, इस विश्वास को नई बुलंदी देने वाला है।

ये विकसित भारत के निर्माण में हम सभी के लिए नई प्रेरणा बनेगा। ये संसद भवन हर भारतीय के कर्तव्य भाव को जागृत करेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पंचायत भवन से लेकर संसद भवन तक हमारे देश और यहां के लोगों का विकास ही हमारी प्रेरणा है। आज जब हम इस नई संसद के निर्माण पर गर्व महसूस कर रहे हैं, तो पिछले 9 वर्षों में देश में 4 करोड़ गरीबों के लिए घर और 11 करोड़ शौचालयों के निर्माण के बारे में सोचते हुए मुझे बहुत संतोष भी होता है। जब हम नई संसद में आधुनिक सुविधाओं की बात करते हैं, तो मुझे संतोष होता है कि हमने देश के गांवों को जोड़ने के लिए 4 लाख किलोमीटर से अधिक सड़कों का निर्माण किया है. आज से 25 साल बाद, भारत अपनी आजादी के 100 वर्ष पूरे करेगा। हमारे पास भी 25 वर्ष का अमृत कालखंड है। इन 25 वर्षों में हमें मिलकर भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई संसद में अपने संबोधन में कहा कि आजादी का यह अमृतकाल, देश को नई दिशा देने का अमृतकाल हैं।

अनंत सपनों को, असंख्य आकांक्षाओं को पूरा करने का अमृतकाल है. नई संसद की आवश्यकता थी। हमें यह भी देखना होगा कि आने वाले समय में सीटों और सांसदों की संख्या बढ़ेगी. इसलिए यह समय की मांग थी कि एक नई संसद बनाई जाए। कई वर्षों के विदेशी शासन ने हमारा गौरव हमसे छीन लिया था। आज भारत उस औपनिवेशिक मानसिकता को पीछे छोड़ चुका है। पीएम मोदी ने कहा कि हमारा लोकतंत्र ही हमारी प्रेरणा है, हमारा संविधान ही हमारा संकल्प है। इस प्रेरणा, इस संकल्प की सबसे श्रेष्ठ प्रतिनिधि हमारी ये संसद ही है।  गुलामी के बाद हमारा भारत ने बहुत कुछ खोकर अपनी नई यात्रा शुरू की थी। व​ह यात्रा कितने ही उतार-चढ़ावों से होते हुए, कितनी ही चुनौतियों को पार करते हुए आजादी के अमृतकाल में प्रवेश कर चुकी है।

आजादी का यह अमृतकाल विरासत को सहेजते हुए, विकास को नए आयाम गढ़ने का अमृतकाल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि इस ऐतिहासिक दिन पर संसद के इस नए भवन में पवित्र सेंगोल की स्थापना की गई है। चोल साम्राज्य में इसे कर्तव्य पथ, सेवा पथ और राष्ट्र पथ का प्रतीक माना जाता था। भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र ही नहीं, बल्कि लोकतंत्र की जननी भी है।

भारत आज वैश्विक लोकतंत्र का भी बहुत बड़ा आधार है. लोकतंत्र हमारे लिए सिर्फ एक व्यवस्था नहीं, एक संस्कार है, एक विचार है, एक परंपरा है। पीएम मोदी ने कहा कि ये नया भवन हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को साकार करने का माध्यम बनेगा. ये नया भवन आत्मनिर्भर भारत के सूर्योदय का साक्षी बनेगा। ये नया भवन. विकसित भारत के संकल्पों की सिद्धि होते हुए देखेगा. ये नया भवन नूतन और पुरातन के सह-अस्तित्व का भी आदर्श उदाहरण है। आज नया भारत नए लक्ष्य तय कर रहा है, नए रास्ते गढ़ रहा है।

पीएम मोदी ने कहा कि देश आजादी के 75 वर्ष होने पर अमृत महोत्सव मना रहा है। आज सुबह ही संसद परिसर में सर्वपंथ प्रार्थना हुई है। मैं सभी देशवासियों को भारतीय लोकतंत्र के इस स्वर्णिम क्षण की बधाई देता हूं। नया संसद भवन विश्व को भारत के दृढ़ संकल्प का संदेश देता है, यह हमारे लोकतंत्र का मंदिर है। नए रास्तों पर चलकर ही नए कीर्तिमान गढ़े जाते है। नया भारत नए लक्ष्य तय कर रहा है. नया जोश है, नया उमंग है, नया सफर है. नई सोच है, दिशा नई है, दृष्टि नई है.

संकल्प नया है, विश्वास नया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई संसद के लोकार्पण समारोह में अपने संबोधन में कहा कि हर देश की विकास यात्रा में कुछ पल ऐसे आते हैं जो अमर हो जाते हैं. 28 मई ऐसा दिन है। उन्होंने कहा कि नई संसद सिर्फ एक भवन नहीं ​बल्कि 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं और सपनों का प्रतिबिंब है।

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