यूपीएससी ने परीक्षाओं में गड़बड़ी रोकने के लिए बनाई योजना

नईदिल्ली,24 जून (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी)। राष्ट्रीय प्रवेश सह-पात्रता परीक्षा (नीट)- यूजी 2024 में पेपर लीक और अनियमितता को लेकर देशभर में हंगामा हो रहा है।शिक्षा मंत्रालय के आदेश से केंद्रीय जांच ब्यूरो ने एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।इस बीच संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने अपनी परीक्षाओं में धोखाधड़ी या अनुचित साधनों की संभावना को रोकने के लिए नए उपाय शुरू करने की योजना तैयार कर ली है।

यूपीएससी द्वारा हर साल आयोजित 23 विभिन्न परीक्षाओं में करीब 26 लाख उम्मीदवार शामिल होते हैं। इनमें सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा में करीब 10 लाख उम्मीदवार बैठते हैं। यूपीएससी ने 10 जून को उम्मीदवारों के बायोमैट्रिक विवरणों का मिलान करने और परीक्षा में गड़बड़ी, अनुचित साधनों के इस्तेमाल और फर्जी परीक्षार्थियों जैसे मामले रोकने के लिए नवीनतम डिजिटल तकनीक का उपयोग करने के लिए निविदा मांगी थीं।अपेक्षित विशेषज्ञता वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम इसमें आवेदन कर सकते हैं।

निविदा दस्तावेजों के अनुसार, यूपीएससी ने कहा कि वह आधार-आधारित फिंगरप्रिंट प्रमाणीकरण (अन्यथा डिजिटल फिंगरप्रिंट कैप्चरिंग) और उम्मीदवारों के चेहरे की पहचान, ई-एडमिट कार्ड के क्यूआर कोड की स्कैनिंग और लाइव एआई -आधारित सीसीटीवी वीडियो निगरानी के माध्यम से निगाहें रखने जैसे कदम उठा रहा है।बता दें कि यूपीएससी एक संवैधानिक निकाय है, जिसका केंद्रीय सेवाओं में ग्रुप-ए और ग्रुप-बी पदों पर भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित करने में एक त्रुटिहीन रिकॉर्ड रहा है।

यूपीएससी देशभर के 80 शहरों के 3,000 परीक्षा केंद्रों पर 23 विभिन्न परीक्षाएं आयोजित करता है।आयोग का कहना है कि वह आधार-आधारित फिंगरप्रिंट प्रमाणीकरण प्रक्रिया, चेहरे की पहचान और क्यूआर कोड स्कैनिंग में उपयोग के लिए परीक्षा शुरू होने से 7 दिन पहले उम्मीदवार का विवरण जैसे नाम, रोल नंबर और फोटो आदि सेवा प्रदाता को उपलब्ध कराएगा।इसी तरह देशभर में संपूर्ण डाटाबेस और एप्लिकेशन सर्वर के रखरखाव की जिम्मेदारी सेवा प्रदाता की ही होगी।

यूपीएससी की शर्तों के अनुसार, सेवा प्रदाता को सख्त गोपनीयता बनाए रखनी होगी और असाइनमेंट या परीक्षा से संबंधित किसी भी जानकारी को किसी तीसरे पक्ष, व्यक्ति या निकाय के साथ साझा नहीं करेगा।बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण और क्यूआर कोड स्कैनिंग से परीक्षा केंद्रों पर फर्जी परीक्षार्थियों के मामले रोकने में बड़ी मदद मिल सकेगी।सुरक्षित वेब सर्वर से वास्तविक समय उपस्थिति निगरानी प्रणाली के साथ-साथ जीपीएस निर्देशांक से नामांकन गतिविधि की वास्तविक समय निगरानी भी हो सकेगी।

प्रत्येक परीक्षा स्थल पर लिए गए सभी डाटा को परीक्षा की प्रत्येक पारी खत्म होने से 30 मिनट पहले यूपीएससी को भेजना होगा। यूपीएससी द्वारा उम्मीदवार के विवरण को स्वचालित रूप से प्राप्त करने के लिए एडमिट कार्ड पर मौजूद क्यूआर कोड को स्कैन किया जाएगा।इसके बाद आधार-आधारित फिंगरप्रिंट प्रमाणीकरण किया जाएगा। सेवा प्रदाता को परीक्षा में बैठने की अनुमति देने से पहले उम्मीदवार के चेहरे की डिजिटल पहचान भी करनी होगी।

योजना के तहत यूपीएससी आयोग की परीक्षाओं के संचालन के लिए तैनात उम्मीदवारों और अन्य व्यक्तियों की विभिन्न गतिविधियों पर नजर रखने के लिए रिकॉर्डिंग और लाइव प्रसारण प्रणाली के साथ सीसीटीवी वीडियो निगरानी भी लागू करेगा।प्रत्येक कक्षा में पर्याप्त संख्या में सीसीटीवी रंगीन कैमरे लगाए जाएंगे।इनमें 24 उम्मीदवारों पर एक सीसीटीवी, परीक्षा केंद्र के प्रवेश और निकास के साथ नियंत्रण कक्ष में भी ये कैमरे होंगे और इनके जरिए 24 घंटे निगरानी की जाएगी।

अगर परीक्षा केंद्र के प्रवेश और निकास द्वार पर कोई हलचल पाई जाती है, कक्षाओं में फर्नीचर ठीक से व्यवस्थित नहीं है या फिर कैमरे ऑफलाइन हैं या मास्किंग या ब्लैक स्क्रीन पेज से प्रभावित हैं तो कैमरे सतर्कता का संकेत देंगे।इसी तरह परीक्षा से एक घंटे पहले या बाद में कक्षाओं में कोई हलचल होने, पर्यवेक्षक की गतिविधि संदिग्ध मिलने या किसी के पास मोबाइल फोन मिलने पर भी कैमरे सतर्क करेंगे।
दिल्ली में स्थापित नियंत्रण कक्ष में सभी डाटा की जानकारी जुटाने के लिए सभी सीसीटीवी कैमरों को इंटरनेट से जोड़ा जाएगा। इसी तरह सभी परीक्षा केंद्रों पर जैमर लगाए जाएंगे, जो परीक्षा के 30 मिनट पहले से लेकर 30 मिनट बाद तक सक्रिय रहेंगे।

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