*05 डॉक्टर्स सहित 11 लोगों की टीम ने आठ घंटे के ऑपरेशन में पाई सफलता*
जयपुर 23 फरवरी, (एजेंसी)। भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में एक जटिल सर्जरी के दौरान कैंसर ग्रस्त लिंग को हटाकर, रोगी के हाथ की त्वचा, रक्त वाहिनियों व नसों के जरिए नया लिंग बनाकर क्रियाशील लिंग पुन निर्माण किया गया। राज्य में पहली बार हाथ पर लिंग बनाकर यथास्थान प्रत्यारोपण करने का केस किया गया है। करीब आठ घंटे चली इस सर्जरी में पांच डॉक्टर्स सहित 11 लोगों की टीम ने सफलता पाई।
बीएमसीएचआरसी के कैंसर सर्जन डॉ प्रषांत शर्मा ने बताया कि बूंदी निवासी, 72 बर्षीय गुजर सिंह (परिवर्तित नाम) ने उपचार के दौरान लिंग हटाने की बात जानकर पहले उपचार के लिए मना कर दिया था। लिंग के हटने के बाद मरीज को पेषाब करने में दिक्कत होती है और उन्हें बैठकर पेषाब करना पड़ता है। दिनचर्या में आने वाले ऐसे बदलावों का रोगी की मानसिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
इस सर्जरी में पहले डॉ प्रषांत शर्मा की टीम ने कैंसर ग्रस्त लिंग को हटाया। इसके पष्चात प्लास्टिक एंड रिकंसट्रक्टिव सर्जन डॉ उमेष बंसल और डॉ सौरभ रावत की टीम ने लिंग पुन:निर्माण की प्रकिया की। डॉ उमेष बंसल ने बताया कि कैंसर ग्रस्त लिंग को हटाकर सम्पूर्ण लिंग पुन:र्निमाण एक ही ऑपरेषन में करना एक जटिल प्रकिया है, लेकिन यह दोनों प्रकिया साथ होने से रोगी की मानसिक स्थिति पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता।
सर्जरी के दौरान पहले रोगी के बाए हाथ की त्वचा, रक्त वाहिनियों व नसों को लेकर लिंग का निर्माण किया गया। उसके बाद माइक्रोस्कोपिक तकनीक से नवनिर्मित लिंग को यथा स्थान पर प्रत्यारोपित कर दिया गया और उसमें रक्त प्रवाह शुरू किया गया। इस सर्जरी में माइक्रो सर्जिकल तकनीक का इस्तेमाल किया। लिंग पुनर्निर्माण का उद्देश्य सही आकार, लंबाई और मूत्रमार्ग बनाने के साथ ही लिंग में संवेदना देना होता है। साथ ही जिस हाथ पर लिंग का निर्माण किया गया, उस हाथ की कार्य क्षमता और आकार में कोई परिवर्तन नहीं आया। ऐसे में रोगी पुन:निर्मित लिंग के साथ ही पूर्ण रूप से सामान्य जीवन जी सके।
करीब चार प्रतिशत कैंसर रोगियों में परेशानी
डॉ प्रशांत शर्मा ने बताया कि कैंसर रोगियों में से करीब चार प्रतिशत रोगी पुरुष जननांग अंग के कैंसर के होते हैं। इन रोगियों में करीब 50 फीसदी रोगियों में उपचार स्वरूप लिंग को हटाना पडता। प्लास्टिक सर्जन डॉ सौरभ रावत ने बताया कि राज्य की प्रथम लिंग पुन:निर्माण सर्जरी 2017 बीएमसीएचआरसी में ही की गई थी। चिकित्सालय में अब तक 10 लिंग पुन:निर्माण हो चुके है। इन सभी सर्जरी में ना सिर्फ सफलता मिली बल्कि नया लिंग हूबहू प्राकृतिक जैसा बनाया गया। पुन:निर्माण दो सप्ताह के अंदर व्यक्ति सामान्य रूप से चलना-फिरना और अन्य दैनिक कार्य आसानी से कर सकता है। डॉ रावत ने बताया कि किसी व्यक्ति का लिंग चोट, कैंसरग्रस्त या अन्य किसी कारण से हटाया गया हो या जन्मजात लिंग नहीं हो तो लिंग पुन:निर्माण संभव है।
****************************