नई दिल्ली 25 June (एजेंसी)-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा ने चीन की चिंता बढ़ा दी है। यह चिंता उन अहम समझाैतों और करारों को लेकर है जोकि भारत और अमेरिका में मोदी के दाैरे के बाद हुए हैं या होने जा रहे हैं। भारत ने यूएस के साथ डिफेंस से लेकर चिप टेक्नोलॉजी तक कई डील साइन की हैं, जिससे चीन का सिरदर्द लगातार बढ़ता रहा।
टेलीकॉम टेक्नोलॉजी पर अमेरिका और भारत के बीच सहमति बनी है, उसमें चीन को ग्लोबल लेवल पर महारथी माना जाता है। अगर अमेरिका भारत की इस मोर्चे पर मदद करता है तो चीन के होश उड़ना लाजमी है। राजकीय यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी दो अवसरों पर अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करने वाले पहले भारतीय नेता बने।
दर्जनों बहुराष्ट्रीय कंपनियों के सीईओ से मिलने के अलावा, पीएम मोदी ने न्यूयॉर्क और वाशिंगटन में दो बार भारतीय प्रवासियों को भी संबोधित किया। , चीन की वैश्विक महत्वाकांक्षाएं हैं, चीन की विस्तारवादी नीति है, अगर भारत को चीन का मुकाबला करना है तो अमेरिका के समर्थन की जरूरत होगी। इसको नकारने से कोई फायदा नहीं होगा।
हमारी सशस्त्र सेनाओं को अगर चीन का बेहतर तरीके से मुकाबला करना है तो हथियारों का आधुनिकीकरण करना होगा, बेहतर इक्यूप्मेंट और बेहतर इंटेलिजेंस की जरूरत होगी। वैसे चीन को लेकर यह बात मशहूर है कि वह हमेशा पड़ोसियों की उन्नति से जलता है औऱ उसे लगता है कि उसका वर्चस्व खतरे में है।
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