कोहिमा 06 March (एजेंसी): नगालैंड में एक बार फिर भाजपा गठबंधन के साथ एनडीपीपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है और सरकार बनाने को तैयार है। राज्य में इस बार बिना विपक्ष के सरकार बनने जा रही है। तीसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी एनसीपी और जेडीयू समेत तमाम राजनीतिक दल बिना किसी शर्त के भाजपा गठबंधन को समर्थन देने के लिए तैयार हैं। यह पहली बार है जब नगालैंड विधानसभा चुनाव इतने सारे दलों की जीत का गवाह बना। यह भी पहली दफा होने जा रहा है कि विधानसभा में शपथ लेने से पहले सदन विपक्ष रहित होने वाला है।
सबसे अधिक संख्या में राजनीतिक दलों के नगालैंड विधानसभा चुनाव में शामिल होने के बावजूद नागालैंड की नई सरकार एक विपक्षी रहित सरकार की ओर बढ़ रही है। इसमें लगभग सभी दलों ने एनडीपीपी-बीजेपी गठबंधन को बिना शर्त समर्थन दिया है। 2 मार्च को घोषित हुए नतीजों में एनडीपीपी और भाजपा ने क्रमशः 25 और 12 सीटों पर जीत हासिल की थी, 60 सदस्यीय सदन में गठबंधन की कुल संख्या 37 है।
तीसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी एनसीपी अपने सात विधायकों के साथ भाजपा गठबंधन में जुड़ने का ऐलान कर चुकी है। नवनिर्वाचित एनसीपी विधायक वाई मोहनबेमो हम्त्सो ने रविवार को यह जानकारी दी। इसके अलावा एनपीपी ने पांच, लोजपा (रामविलास), नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) और आरपीआई (अठावले) ने दो-दो, जद (यू) ने एक और निर्दलीय ने चार सीटें जीती हैं।
यह पहली बार है जब नगालैंड राज्य विधानसभा चुनाव में इतने सारे राजनीतिक दलों की जीत का गवाह बना। इस बार नगालैंड में लोजपा (आरवी) और आरपीआई (अठावले) ने राज्य की राजनीति में एंट्री ली है। हालांकि एनडीपीपी-भाजपा ने अभी तक सरकार गठन का दावा पेश नहीं किया है, लेकिन उन्हें अपनी दूसरी पारी जारी रखने के लिए अन्य राजनीतिक दलों से बिना शर्त समर्थन मिला है।
सूत्रों ने कहा कि लोजपा (रामविलास), आरपीआई (अठावले), जद (यू) पहले ही गठबंधन सहयोगियों को समर्थन पत्र सौंप चुके हैं। इसी तरह, एनपीएफ के महासचिव अचुम्बेमो किकोन, जो नवनिर्वाचित विधायकों में से एक हैं, ने कहा कि अभी अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है लेकिन वे नई सरकार को अपना समर्थन दे सकते हैं।
विजयी एनडीपीपी-बीजेपी गठबंधन का समर्थन करने वाले सभी राजनीतिक दलों के साथ, नागालैंड में एक और सर्वदलीय सरकार होगी। पहले की बात करें तो 2015 और 2021 में विपक्ष-रहित सरकारें बनीं थी, लेकिन इस बार नगालैंड में पहली विधानसभा होगी, जो सदन के शपथ लेने से पहले ही विपक्ष-रहित होने वाली है।
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