आपदा प्रबंधन में किसी राज्य के साथ भेदभाव नहीं, 10 सालों में बेहतरी काम हुआ

संसद में बोले गृह मंत्री अमित शाह 

नई दिल्ली ,25 मार्च (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी)। आपदा प्रबंधन में आर्थिक सहायता देने में कुछ राज्यों के साथ भेदभाव के विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को राज्यसभा में दावा किया कि पिछले दस साल में भारत आपदा प्रबंधन के मामले में राष्ट्रीय ही नहीं क्षेत्रीय एवं वैश्विक ताकत बनकर उभरा है तथा इसे दुनिया भी यह स्वीकार कर रही है.

उच्च सदन में शाह ने आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि इसमें सत्ता के केंद्रीयकरण का कोई प्रश्न ही नहीं उठता है. उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन के बारे में इस विधेयक में न केवल प्रतिक्रियात्मक रवैया अपनाने बल्कि पहले से तैयारी करने, अभिनव प्रयासों वाले और सभी की भागीदारी वाले रवैये को अपनाने पर जोर दिया गया है.

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आपदा के जोखिमों को घटाने के लिए विश्व के समक्ष जो 10 सूत्री एजेंडा रखा है, उसे 40 देशों ने अपना लिया है और उसका पालन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि विधयक में न केवल राज्य सरकारों बल्कि आम लोगों की भागीदारी का प्रावधान किया गया है.

शाह ने कहा, ”पिछले दस सालों में आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में जो परिवर्तन आया है, हम राष्ट्रीय स्तर के साथ-साथ क्षेत्रीय एवं वैश्विक ताकत बनकर उभरे हैं, यह पूरी दुनिया स्वीकार करती है. भारत की सफलता गाथा को लंबे समय तक बनाये रखने के लिए यह विधेयक लाया गया है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह सफलता गाथा सरकार की नहीं पूरे देश की है.

शाह ने कहा कि आपदा प्रबंधन की लड़ाई संस्थाओं को अधिकार संपन्न बनाने के साथ-साथ जवाबदेह बनाये बिना नहीं लड़ी जा सकती है. उन्होंने कहा कि विधेयक में इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है.

उन्होंने कहा कि आपदा का सीधा रिश्ता जलवायु परिवर्तन से है. उन्होंने कहा कि आपदा रोकने के लिए आवश्यक है कि जलवायु परिवर्तन पर नजर रखी जाए और ग्लोबल वार्मिंग को रोका जाए. उन्होंने वेदों का जिक्र किया और कहा कि इसमें न केवल पृथ्वी बल्कि अंतरिक्ष तक को बचाने की बात कही गयी है. गृह मंत्री ने सृष्टि को बचाने के लिए भारत द्वारा प्राचीन समय से किए जा रहे उपायों का जिक्र करते हुए हड़प्पा सभ्यता का भी उल्लेख किया.

उन्होंने कहा कि सदस्यों ने सत्ता के केंद्रीयकरण को लेकर चिंता व्यक्त की है किंतु यदि विधेयक को ध्यान से देखा जाए तो क्रियान्वयन की सबसे बड़ी जिम्मेदारी जिला आपदा प्रबंधन की है जो राज्य सरकार के तहत आता है. शाह ने कहा कि विधेयक में कहीं भी संघीय ढांचे को नुकसान करने की संभावना ही नहीं है.

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