ग्रीन कार्ड का इंतजार कर रहे भारतीयों की मुश्किलें बढ़ी

2.50 लाख बच्चों पर मंडराया अमेरिका से डिपोर्ट होने का खतरा

वाशिंगटन,30 जुलाई (एजेंसी)। भारतीय अमेरिकी बच्चों का अमेरिका से डिपोर्ट होने का रिस्क बढ़ता जा रहा है। दरअसल, जो बच्चे अपने माता-पिता के साथ छोटी उम्र में अमेरिका आए थे उन्हें डॉक्यूमेंटेड ड्रीमर्स कहा जाता है। हालांकि, जैसे ही इन बच्चों की उम्र 21 साल की हो जाएगी तो वह अपने माता-पिता के वीजा पर निर्भर नहीं रह सकते। अमेरिका के इस कानून के कारण ऐसे बच्चों पर निर्वासित होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे लगभग 2,50,000 से अधिक बच्चे है, जिसमे भारतीय-अमेरिकी बच्चों की संख्या सबसे अधिक हैं।

बढ़ती उम्र है इसका बड़ा कारण

दरअसल, अमेरिका से डिपोर्ट किए जाने का सबसे बड़ा कारण- बढ़ती उम्र को बताया गया है। नेशनल फाउंडेशन फॉर अमेरिकन पॉलिसी ने 2 नवंबर तक अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा के आंकड़ों को स्टडी किया और पाया कि डिपेंडेंट्स सहित 1.2 मिलियन से अधिक भारतीय वर्तमान में इमिग्रेशन एंड नेशनलिटी एक्ट के अनुसार, इस कैटगरी में अविवाहित और 21 वर्ष से कम आयु के बच्चे शामिल है।

अगर कोई व्यक्ति बच्चे के रूप में वैध स्थायी निवासी का दर्जा पाने के लिए आवेदन करता है, लेकिन ग्रीन कार्ड मिलने से पहले 21 वर्ष का हो जाता है, तो वह इमिग्रेशन प्रक्रिया के लिए अब बच्चा नहीं माना जाएगा।

इस प्रक्रिया को ‘एजिंग आउट’ कहा जाता है। इसका मतलब है कि व्यक्ति को ग्रीन कार्ड के लिए नया आवेदन करना पड़ सकता है या ग्रीन कार्ड के लिए अधिक समय तक इंतजार करना पड़ सकता है। हो सकता है कि वह अब इसके लिए पात्र ही न हो।

एजेंसी के अनुसार, व्हाइट हाउस ने इसके लिए रिपब्लिकन को दोषी ठहराया है और कहा है कि उन्होंने दो बार द्विदलीय समझौते को खारिज कर दिया था। 13 जून को, आव्रजन, नागरिकता और सीमा सुरक्षा पर सीनेट न्यायपालिका उपसमिति के अध्यक्ष सीनेटर एलेक्स पैडीला और प्रतिनिधि डेबोरा रॉस के नेतृत्व में 43 सांसदों के एक समूह ने बाइडन प्रशासन से इस मुद्दे के लिए तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया।

सांसदों ने कहा कि भारतीय-अमेरिकी युवा अमेरिका में पले-बढ़े हैं, अमेरिकी स्कूल प्रणाली में अपनी शिक्षा पूरी करते हैं और अमेरिकी संस्थानों से डिग्री लेकर ग्रेजुएट होते हैं। हालांकि, ग्रीन-कार्ड के लिए लंबे समय तक लंबित रहने के कारण, स्वीकृत अप्रवासी याचिकाओं वाले परिवारों को अक्सर स्थायी निवासी का दर्जा पाने के लिए दशकों तक इंतजार करना पड़ता है।

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