हैदराबाद ,26 दिसंबर(एजेंसी)। तेलंगाना उच्च न्यायालय ने भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के चार विधायकों की कथित खरीद-फरोख्त के मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी। न्यायमूर्ति बी. विजयसेन रेड्डी की पीठ ने आरोपियों की याचिकाओं पर सुनवाई के बाद सनसनीखेज मामले की जांच केंद्रीय एजेंसी को सौंपी, जिसमें तर्क दिया गया था कि उन्हें राज्य सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) की जांच पर भरोसा नहीं है।
अदालत के आदेश को राज्य में बीआरएस सरकार के लिए एक झटके के रूप में देखा जा रहा है और इससे राज्य में पहले से ही गरमाए राजनीतिक माहौल और गर्म होने की संभावना है।
न्यायाधीश ने राज्य सरकार द्वारा मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित करने के सरकारी आदेश (जीओ) को रद्द कर दिया।
अदालत ने सीबीआई जांच के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया कि यह एक तीसरा पक्ष है क्योंकि मामला राज्य और अभियुक्तों के बीच है।
हाईकोर्ट ने नवंबर में सीबीआई जांच की याचिका खारिज कर दी थी। हालांकि आरोपी रामचंद्र भारती, के. नंद कुमार और डी.पी.एस.के.वी. एन. सिम्हायाजी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसने तब हाई कोर्ट को सीबीआई को जांच स्थानांतरित करने की मांग वाली याचिकाओं पर फैसला करने का निर्देश दिया था।
तीनों आरोपियों को साइबराबाद पुलिस ने 26 अक्टूबर की रात को हैदराबाद के पास मोइनाबाद के एक फार्महाउस से गिरफ्तार किया था, जब वे कथित रूप से भारी धन की पेशकश के साथ बीआरएस के चार विधायकों को लुभाने की कोशिश कर रहे थे।
साइबराबाद पुलिस ने एक विधायक पायलट रोहित रेड्डी की गुप्त सूचना पर छापा मारा। उन्होंने आरोप लगाया कि आरोपियों ने उन्हें भाजपा में शामिल होने के लिए 100 करोड़ रुपये और तीन अन्य को 50-50 करोड़ रुपये की पेशकश की।
राज्य सरकार ने बाद में हैदराबाद पुलिस आयुक्त सी.वी. आनंद की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन किया था, जो मामले की जांच करेंगे।
भाजपा महासचिव बी.एल. संतोष, भारत धर्म जन सेना (बीडीजेएस) के अध्यक्ष तुषार वेल्लापल्ली और केरल के एक डॉक्टर जग्गू स्वामी,
वकील श्रीनिवास और प्रताप गौड़ और नंद कुमार की पत्नी चित्रलेखा को भी एसआईटी ने पूछताछ के लिए बुलाया था।
संतोष, वेल्लापल्ली और जग्गू स्वामी ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और नोटिस पर रोक लगा दी।
हाई कोर्ट ने एक दिसंबर को आरोपी को सशर्त जमानत दी थी।
हालांकि, रामचंद्र भारती और नंद कुमार को उनके खिलाफ दर्ज अन्य मामलों के सिलसिले में 8 दिसंबर को जेल से रिहा होने के तुरंत बाद पुलिस ने फिर से गिरफ्तार कर लिया था।
जहां रामचंद्र भारती पर कई पासपोर्ट, आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज रखने का मामला दर्ज किया गया था, वहीं नंद कुमार के खिलाफ धोखाधड़ी और अन्य अपराधों के लिए पांच मामले दर्ज किए गए थे।
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