कोलकाता 27 फरवरी, (एजेंसी)। कलकत्ता हाईकोर्ट की एकल-न्यायाधीश पीठ ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वह तृणमूल कांग्रेस के विधायक और पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड (डब्ल्यूबीबीपीई) के पूर्व अध्यक्ष माणिक भट्टाचार्य की देश और विदेश में सभी संपत्तियों को जब्त करे।
माणिक करोड़ों रुपये के शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में न्यायिक हिरासत में हैं। कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने सोमवार दोपहर को भट्टाचार्य द्वारा शिक्षक भर्ती घोटाले से जुड़े दो मामलों में 7,00,000 रुपये के जुर्माने का भुगतान करने की समय सीमा चूकने पर संज्ञान लिया।
समय सीमा खत्म होने से नाराज न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने सीबीआई को भारत या विदेश में मौजूद भट्टाचार्य की सभी संपत्तियों को तुरंत जब्त करने का निर्देश दिया।
पहला जुर्माना कलकत्ता हाईकोर्ट में मायारानी पाल द्वारा दायर एक मामले में लगाया गया था, जो 2014 में शिक्षक पात्रता (टीईटी) के लिए लिखित परीक्षा में शामिल हुई थी।
उसने अदालत से शिकायत की कि चूंकि 2014 के परिणाम समय पर घोषित नहीं किए गए थे, इसलिए वह 2016 और 2020 में आगे की परीक्षाओं में शामिल नहीं हो पाई, जिसके बाद उसकी योग्यता आयु सीमा खत्म हो गई।
चूंकि उस दौरान डब्ल्यूबीबीपीई के अध्यक्ष भट्टाचार्य थे, इसलिए न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने उन्हें जिम्मेदार ठहराते हुए उन पर 2,00,000 रुपये का जुर्माना लगाया।
कुछ दिनों बाद एक अन्य उम्मीदवार साहिला परवीन ने कलकत्ता हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जहां उसने दावा किया कि उसने 2017 की टीईटी परीक्षा के लिए एक उम्मीदवार के रूप में आरटीआई के तहत अपनी लिखित परीक्षा की ऑप्टिकल मार्क रिकग्निशन (एमआर) शीट की एक प्रति मांगी थी और आवश्यक शुल्क भी जमा किया था।
हालांकि, डब्ल्यूबीबीपीई के अध्यक्ष भट्टाचार्य ने उन्हें ओएमआर शीट की प्रति उपलब्ध नहीं कराई। उस मामले में न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने 5,00,000 रुपये का जुर्माना लगाया था।
न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने पाया कि जुर्माने के भुगतान की समय सीमा चूकने के बावजूद न तो भट्टाचार्य ने भुगतान करने के लिए कोई पहल की और न ही इस मामले में अपनी असमर्थता के बारे में अदालत को सूचित किया, इसके बाद उन्होंने सीबीआई को उनकी सभी संपत्तियों को जब्त करने का निर्देश दिया।
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