नई दिल्ली 19 जनवरी, (एजेंसी)। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) पर रोक लगाने की तकनीकी दिग्गज की याचिका पर सुनवाई करते हुए गूगल के वकील से कहा कि प्रभुत्व के मामले में उसके पास किस तरह का अधिकार है, इस पर गौर करें।
प्रतिस्पर्धा आयोग ने उस पर 1,337 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाने का आदेश दिया है। प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने गूगल का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता ए.एम. सिंघवी से कहा, डॉ. सिंघवी, आपने हमें डेटा के संदर्भ में जो कुछ भी दिया है, वह वास्तव में आपके तर्क के विरुद्ध है।
प्रभुत्व डेटा के संदर्भ में आप किस प्रकार के प्राधिकार को देखते हैं, यह 15,000 एंड्रॉइड मॉडल, 500 मिलियन संगत डिवाइस 1500 ओईएम को इंगित करता है। जब आपके पास उस तरह का बाजार होता है, तो आप जोर देकर कहते हैं कि मेरे पास मेरा गुलदस्ता है, आप सीधे प्रभावित कर रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि ओईएम जो करता है, उसका अंतिम उपभोक्ता पर असर पड़ता है।
सिंघवी ने कहा, मैं इस पारिस्थितिकी तंत्र में अन्य खिलाडिय़ों में से एक हूं, और लोग गूगल प्ले स्टोर को उसकी उत्कृष्टता के कारण चुनते हैं न कि प्रभुत्व के कारण।
उन्होंने प्रश्न किया कि यदि एंड्रायड नहीं होता, तो क्या टेलीफोनी में यह क्रांति हुई होती?
सिंघवी ने तर्क दिया कि यह मुफ़्त है, अनन्य नहीं है, आप और क्या कर सकते हैं?
11 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) के एक फैसले के खिलाफ गूगल की एक अपील की जांच करने पर सहमति व्यक्त की थी, जिसमें प्रतिस्पर्धा आयोग द्वारा लगाए गए 1,337.76 करोड़ रुपये के जुर्माने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
एनसीएलएटी में झटके के बाद गूगल ने शीर्ष अदालत का रुख किया।
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