अपराधी के साथ शालीन भी था शोभराज

काठमांडू 25 Dec, (एजेंसी): काठमांडू जेल में 19 साल से अधिक समय बिताने के बाद कई हत्याओं के दोषी कुख्यात अपराधी चार्ल्स शोभराज (78), जिसे ‘द सर्पेंट’ और ‘बिकनी किलर’ के नाम से भी जाना जाता है, को जेल से रिहा कर दिया गया और नेपाली अधिकारियों ने उसे पेरिस रवाना कर दिया। बुधवार को नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने स्वास्थ्य और उम्र के आधार पर शोभराज को रिहा करने का आदेश दिया था। हाल के दिनों में शोभराज के करीब आए लोगों ने आईएएनएस को बताया कि शोभराज से बातचीत के दौरान उन्हें उसका अलग स्वरूप देखने को मिला।

शोभराज के वकील गोपाल शिवकोटि चिंतन के अनुसार, ‘द सर्पेंट’ फ्रांस पहुंच चुका है और क्रिसमस से पहले रिलीज होने से खुश है।

चिंतन ने उसकी उम्र और स्वास्थ्य कारणों से रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर किया था। शोभराज की 2017 में काठमांडू में दिल की सर्जरी हुई थी और मोतियाबिंद का ऑपरेशन भी हुआ था।

दिल की सर्जरी करने वाले रमेश कोइराला ने बाद में ‘चार्ल्स शोभराज: इनसाइड द हार्ट ऑफ द बिकनी किलर’ नामक एक किताब लिखी और शोभराज के साथ अपने इंटरफेस को भी बताया।

चिंतन के मुताबिक शोभराज एक विद्वान व्यक्ति लग रहा था।

चिंतन ने कहा, मैं कभी नहीं समझ पाया कि इस आदमी ने इतने लोगों को कैसे मार डाला। वह कम बोलता था और मैंने उसे एक अच्छा इंसान पाया।

शोभराज ने फ्रांस में एक महिला वकील के जरिए शनिवार को चिंतन को संदेश भिजवाया कि वह सकुशल पेरिस पहुंच गया है।

नेपाल सरकार द्वारा उसे काठमांडू में कुछ और दिनों तक नहीं रहने देने के बाद शोभराज को शुक्रवार को पेरिस डिपोर्ट कर दिया गया।

एक वरिष्ठ नेपाली अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, उन्हें अतिरिक्त 10’5 दिनों के लिए सुरक्षा प्रदान करना संभव नहीं था, जिसके लिए उन्हें निर्वासित कर दिया गया।

जब सरकार के फैसले की जानकारी शोभराज को दी गई तो वह भी खुश हुआ।

चिंतन ने कहा, जब हमने उस शुक्रवार को ही सरकार के निर्वासन के फैसले के बारे में बताया, तो शोभराज खुश था।

शोभराज ने चिंतन से कहा, मैं अब जाने से ज्यादा खुश हूं। मैं प्रेस और मीडिया से बचना चाहता हूं और शांतिपूर्ण जीवन जीना चाहता हूं।

उसने पुलिस और नेपाली अधिकारियों से कहा कि वह दशकों बाद अपने परिवार के साथ क्रिसमस मनाएगा।

काठमांडू जेल के एक सेवानिवृत्त जेलर ने आईएएनएस को बताया कि उन्हें शोभराज एक सभ्य और विद्वान व्यक्ति लगा।

जेलर ने कहा, हमारा उससे सीधा संपर्क नहीं था, लेकिन अन्य कैदियों से मिली रिपोर्ट के मुताबिक वह ज्यादातर समय अंतरराष्ट्रीय कानून, दर्शन और कल्पना से जुड़ी किताबें पढ़ता था।

शोभराज ने काठमांडू सेंट्रल जेल में 19 साल और दो महीने बिताए।

शोभराज 1975 में कनाडा के लैडी ड्यूपार और एनाबेला ट्रेमोंट नाम की एक अमेरिकी महिला की हत्याओं के लिए नेपाल में वांछित था, दोनों से उसकी दोस्ती काठमांडू में हुई थी। नेपाल पुलिस ने शोभराज को सितंबर 2003 में काठमांडू के एक पांच सितारा होटल से गिरफ्तार किया था।

मार्च 1986 में वह दिल्ली की तिहाड़ जेल से भाग गया था, क्योंकि उसे लग रहा था कि पटाया में एक समुद्र तट पर बिकनी पहने छह लड़कियों की हत्या के आरोप का सामना करने के लिए उसे थाईलैंड प्रत्यर्पित किया जाएगा। बाद में उसे अप्रैल 1986 में गोवा में फिर से गिरफ्तार कर लिया गया। 1997 में जेल से रिहा होने के बाद वह फ्रांस जाना चाहता था।

नेपाल में काठमांडू और भक्तपुर जिला अदालतों ने उसे 1975 में अमेरिकी और कनाडाई नागरिकों की हत्या का दोषी पाया था।

सुप्रीम कोर्ट ने 2010 में काठमांडू जिला अदालत द्वारा उसे सुनाई गई आजीवन कारावास की सजा का समर्थन किया था। 2014 में, भक्तपुर जिला अदालत ने उसे एक कनाडाई नागरिक की हत्या के लिए सजा सुनाई।

शालीन और मुखर शोभराज पश्चिमी बैकपैकर्स से दोस्ती करता था और उनका विश्वास अर्जित करने पर उन्हें नशा देता था और उनकी हत्या कर देता था व उनकी नकदी, कीमती सामान और पासपोर्ट लेकर भाग जाता था।

अपनी जिंदगी के 43 साल जेल में गुजारने के बाद शोभराज शायद दुनिया का इकलौता ऐसा अपराधी है, जिसने अपने जीवनकाल में दो अलग-अलग देशों में उम्रकैद की सजा काट ली है।

शोभराज की पत्नी निहिता बिस्वास, 32 वर्षीय नेपाली नागरिक हैं, जो उनसे 46 साल छोटी हैं, ने कहा, यह एक लंबी कानूनी लड़ाई रही है, न्याय के लिए एक लंबी यात्रा रही है। मैं राहत महसूस कर रही हूं और आज बहुत हल्का महसूस कर रही हूं।

वह अक्सर जेल में उससे मिलने जाती थी और बाद में उसने शादी कर ली, लेकिन शोभराज नेपाल से बाहर जाते समय उससे नहीं मिला।

ऐसी अटकलें हैं कि शोभराज और निहिता अलग हो गए हैं। निहिता ने जेल और इमिग्रेशन विभाग के बाहर उससे मिलने की कोशिश की, लेकिन असफल रही। निहिता की मां,शकुंतला, एक वकील हैं और उन्होंने अदालत में अपना मामला रखा था, लेकिन उनकी रिहाई पर वह भी उनसे नहीं मिल सकीं।

सेंट्रल जेल के जेलर ईश्वरी प्रसाद पांडेय ने बताया कि शोभराज एक अच्छा इंसान था, जो कई बीमारियों से पीड़ित था। ज्यादातर समय वह जेल की लाइब्रेरी में ही रहता था।

कभी-कभी वह अपने लिए खाना बनाता था व कभी-कभी अन्य कैदियों के साथ खाना खाता था। वह अपने स्वास्थ्य कारणों से अक्सर आम मेस में खाना नहीं खाता था। उसे नेपाली खाना भी ज्यादा पसंद नहीं था।

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