राम के लिए बलिदान कोठारी बंधुओं की बहन ने कहा, एक बार मोदी जी से मिलना है…

सिलीगुड़ी 02 Jan, (एजेंसी) : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नित्य सैकड़ों लोगों से मिलते हैं। 33 साल पहले दो भाईयों के बलिदान होने के बाद दुख और गर्व के साथ राम मंदिर के लिए संघर्ष करने वाली एक बहन भी उनसे मिलने को आतुर हैं। वह उन्हें दंडवत प्रणाम करना चाहती हैं। उनकी मां के आंसू नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद थम गए थे।

उसके पहले मां अयोध्या जाती थीं तो रामलला के पास खड़ी होकर खूब रोती थीं। बिलखती थीं। लोग अचरज से देखते थे। यह कौन रामभक्त हैं…जो उन्हें देखकर रोती है? फिर पता चलता था कि यह राम कोठारी और शरद कोठारी की मां हैं।

1990 में जिन्होंने राम मंदिर आंदोलन में भाग लेकर मुलायम सिंह सरकार में पुलिस की गोली से बलिदान हो गए। कोठारी बंधुओं की मां जानकर लोग उनके पैर छूने लगते थे। वर्दी वाले जवान भी उन्हें प्रणाम करने लगते थे। 2014 में मोदी प्रधानमंत्री बने तो वह पूरे विश्वास से कहती थीं कि अब रोने की जरूरत नहीं है।

अब अयोध्या में राम आएंगे। 2016 में राम और शरद कोठारी की मां सुमित्रा लाल कोठारी का निधन हो गया। बहन पूर्णिमा कोठारी कोलकाता में रहती हैं। अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए उनके पास आमंत्रण पत्र आया है, लेकिन वह 10 जनवरी को ही अयोध्या पहुंच जाएंगी।

वह अयोध्या में राम के ‘आगमनÓ के पूर्व की प्रत्येक गतिविधि और घटना को अपने हृदय में बसा लेना चाहती हैं। वर्षों तक उन्होंने इस दिन का इंतजार किया है। पूर्णिमा कहती हैं कि 1990 के बाद राम मंदिर के लिए अधिसंख्य संघर्ष में वह अयोध्या गई हैं। तब लगता था कि दशरथ की यह नगरी उदास है। उजाड़ है।

राम के आगमन की खबर आई तो मौसम ही बदल गया। अपनी अयोध्या में अपने राम आ रहे हैं। मन में भी ढोल-नगाड़े बजते हैं। पूर्णिमा 1990 के पूर्व अपने घर-आंगन को याद करती हैं। वह घरेलू लड़की थीं।

दोनों भाई राम, अयोध्या और राष्ट्रनिर्माण की बातें करते थे। वह सुनती थीं, लेकिन बहुत मतलब नहीं रहता था। भाई बलिदान हुए तो माता-पिता और पूर्णिमा दुख से नहीं घिरे। घर से निकल पड़े।

भाईयों के नाम पर संगठन बनाया। राम मंदिर के लिए हर संघर्ष में शामिल हुए। पूर्णिमा के पिता हीरा लाल कोठारी और माता सुमित्रा लाल कोठारी राम मंदिर निर्माण का शुभ दिन देखने के पूर्व ही दिवंगत हो गए, लेकिन पूर्णिमा को लगता है कि वह आसपास ही हैं।

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