भोपाल 07 Feb, (एजेंसी): मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने केंद्र सरकार की ओर से ”सिकलसेल एनीमिया” जैसे गंंभीर रोग की रोकथाम के उद्देश्य से उठाए गए कदमों की आज सराहना करते हुए कहा कि यह एक ऐसी बीमारी है, जिसकी तरफ सामान्य तौर पर सरकार और समाज का ध्यान नहीं जा पाता है।
चौहान ने यहां मीडिया से चर्चा के दौरान कहा कि कैंसर और अन्य रोगों की तरफ ध्यान दे दिया जाता है, लेकिन ”सिकलसेल एनीमिया” ”साइलेंट किलर” है। जो परिवार इस बीमारी की चपेट में आ जाता है, वह तबाह हो जाता है। इसलिए इस रोग की रोकथाम पर ध्यान देना जरूरी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ओर ध्यान देकर संवेदनशीलता का परिचय दिया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर विशेष रूप से आदिवासी भाई बहनों के बीच रहकर इस बीमारी को देखा और उनके दर्द को समझा है। इसलिए प्रधानमंत्री मोदी ने तय किया है कि देश में सात करोड़ लोगों की स्क्रीनिंग की जाएगी। क्योंकि कई पीड़ितों को इस रोग के बारे में पता ही नहीं चलता है। जो इससे पीड़ित होते हैं, उनकी शादी हो गयी तो उनकी संतान भी इस बीमारी से ग्रसित हो जाती हैं और उनका जीवन तकलीफदेह बन जाता है।
चौहान ने कहा कि संदिग्धों की स्क्रीनिंग के दौरान बीमारी की पहचान करना और फिर उसका निदान करने की योजना है। यह पीड़ित मानवता की सेवा है और इस कार्य के लिए वे मोदी को धन्यवाद देना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि खासतौर से जनजातीय क्षेत्रों में फैली इस बीमारी के उन्मूलन का कार्य छह दशकों तक हाशिए पर रहा। वर्ष 2014 में मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद इस बीमारी की रोकथाम की दिशा में कदम उठाए गए और केंद्र सरकार के वित्त वर्ष 2023 24 के बजट में सिकलसेल एनीमिया को जड़ से समाप्त करने के लिए कार्ययोजना की घोषणा की गयी है। इसके तहत 2047 तक इस बीमारी को जड़ से समाप्त करने का लक्ष्य तय किया गया है।
बताया गया है कि मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडि़सा जैसे राज्यों के जनजातीय क्षेत्र इस बीमारी से ग्रस्त हैं। यह रोग अनुवांशिक माना जाता है और इससे प्रभावित मरीज के शरीर के मुख्य अंग भी कार्य करना बंद कर देते हैं। इसकी वजह से मरीज की जान पर बन जाती है। इससे पीड़ित मरीज के हीमोग्लोबिन का स्तर काफी कम हो जाता है।
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