नई दिल्ली 10 Jan, (एजेंसी): शिवसेना-यूबीटी ने शिंदे समेत 16 शिवसेना विधायकों को अयोग्य घोषित करने के संवेदनशील मामले पर फैसले से पहले 7 जनवरी को दोपहर के भोजन पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के बीच बैठक पर आपत्ति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक हलफनामा दाखिल किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर को आदेश दिया था कि वह उद्धव ठाकरे और शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना के दो प्रतिद्वंद्वी गुटों द्वारा एक-दूसरे के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं पर 10 जनवरी तक अपने फैसले का ऐलान करें।
शिवसेना-यूबीटी नेता सुनील प्रभु द्वारा दायर आवेदन में कहा गया है कि “अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने से सिर्फ तीन दिन पहले स्पीकर के लिए एकनाथ शिंदे से मिलना बेहद अनुचित है”।
आगे कहा गया है, “दसवीं अनुसूची के तहत निर्णायक प्राधिकारी के रूप में अध्यक्ष को निष्पक्ष तरीके से कार्य करना जरूरी है। अध्यक्ष के आचरण से विश्वास प्रेरित होना चाहिए और अपने उच्च कार्यालय में व्यक्त संवैधानिक विश्वास को उचित ठहराना चाहिए। हालांकि, अध्यक्ष का वर्तमान कार्य शीर्ष अदालत के समक्ष दायर आवेदन में कहा गया है, माननीय अध्यक्ष निर्णय लेने की प्रक्रिया की निष्पक्षता और निष्पक्षता पर सवाल उठाते हैं।”
इसमें कहा गया कि फैसले की समय सीमा से ठीक पहले सीएम शिंदे से उनके आवास पर मुलाकात करने का स्पीकर का कृत्य कानूनी सिद्धांत का उल्लंघन है कि न्याय न केवल किया जाना चाहिए, बल्कि न्याय होते हुए दिखना भी चाहिए।
जून 2022 में पार्टी में विभाजन के बाद शिवसेना के दोनों गुटों ने दलबदल विरोधी कानून के तहत एक-दूसरे के खिलाफ याचिकाएं दायर कीं।
बाद में मुख्यमंत्री शिंदे और उनके खेमे के खिलाफ दायर अयोग्यता कार्यवाही पर निर्णय लेने में अध्यक्ष द्वारा की गई देरी के खिलाफ शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट ने शीर्ष अदालत का रुख किया।
मई 2023 में सुप्रीम कोर्ट की एक संविधान पीठ ने निर्देश दिया था कि महाराष्ट्र स्पीकर को शिंदे सहित 16 शिवसेना विधायकों के खिलाफ “अयोग्यता याचिकाओं पर उचित समय में फैसला करना चाहिए”, जिन पर पार्टी विरोधी गतिविधियों का आरोप था।
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