सागर से शिखर तक का सपना पूरा करना चाहती है मछली बेचने वाली की बेटी सविता महतो

*उत्तराखंड के 7120 मीटर ऊंची त्रिशूल पर्वत की ऊंचाइयों को छू चुकी हैं सविता*

*मनाली से उम्लिंगा पास,लद्दाख की 570 किलोमीटर की दूरी को पैरो के बल पर 20 दिन में पूरा करेंगी सविता*

नई दिल्ली 14 अगस्त (एजेंसी)। जज्बा, जोश और जुनून के साथ जो जीते हैं उनके सपने कभी अधूरे नहीं रहते। साधारण सी दिखने वाली लड़की सविता महतो ने 25 साल की उम्र में उन उपलब्धियों को अभी ही हासिल कर लिया है जिसको पूरा करने में लोगों की उम्र बीत जाती है। सविता कहती है कि मैं तो सागर से शिखर की ऊंचाइयों को छूना चाहती हूं लेकिन आर्थिक समस्याएं सामने खड़ी है।

मैं तो फिलहाल साइकिल से पूरे देश का भ्रमण कर ली हूं लेकिन मेरा अंतिम लक्ष्य कन्याकुमारी यानी सागर से  माउंट एवरेस्ट की शिखर को फतह करने का है। इसके लिए मैं स्वयं को तैयार करने के लिए फिलहाल मैं 18 अगस्त को मनाली से उमलिंगा पास,लद्दाख की 570 किलोमीटर की पैदल दूरी को पूरा करने जा रही हूं ताकि मैं खुद को एवरेस्ट की चढ़ाई के लिए फीट रख सकूं।बिहार के छपरा जिले के पानापुर गांव के मछली बेचने वाली साधारण परिवार की बेटी सविता महतो के सपने मनाली से उमिलंगा पास के पैदल सफर को पूरा करने में जो भी आर्थिक सहायता जरूरत थी उसका पूरा खर्च सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक ने उठाया है।

अपने परोपकारी स्वभाव और हमेशा वंचितों के सपने को पंख देने में आगे रहने वाले समाजसेवी, पदम भूषण बिंदेश्वरी पाठक ने 14 अगस्त को सविता महतो को अपने पालम स्थित सुलभ इंटरनैशनल मुख्यालय से हरी झंडी दिखा कर रवाना किया। सविता की आंखों में एक अजीब सी चमक और विश्वास था की वह अपने सपनो को जरूर पूरा करेगी। बिंदेश्वर पाठक ने कहा कि मैं ऐसी लड़कियों के जज्बे को सलाम करता हूं जो अपने सपने को पूरा करने में अपना सबकुछ दांव पर लगा देती है। सविता महतो जैसी लड़कियां ही एक नई इबारते लिखती है। सुलभ का काम ही ऐसे लोगों को मुख्यधारा से जोड़कर उनके सपनों को साकार करने में एक छोटा सा योगदान देना।

मुझे उम्मीद है कि सविता का सपना जरूर पूरा होगा। गौरतलब है कि बिंदेश्वर पाठक का की संस्था सुलभ इंटरनेशनल अलवर के मैला ढोने वाले सैकड़ों परिवार को नरक से निकाल के बेहतर जीवन शैली दी हैं। इसके अलावा श्री पाठक ने वृंदावन की विधवा महिलाओं के लिए उल्लेखनीय काम किए हैं।

बकौल सविता, एक साधारण बिहारी परिवार की जो समस्या होती है उससे लड़ते हुए मैंने 2022 में लद्दाख की उमलिंगा पास की दुर्गम 19,300 फीट की ऊंचाई को साइकिल से पूरा किया। 2019 में उत्तराखंड की त्रिशूल पर्वत 7120 मीटर की ऊंचाइयों को छुआ. इसके अलावा मैने बंगलादेश की राजधानी ढाका से भारत के पश्चिमी क्षेत्र  5900 किलोमीटर की यात्रा 2017 में मैंने साइकिल चला कर पूरी की है। एडवेंचर मेरा जुनून है।  पड़ाव दर पड़ाव आगे हम अपने लक्ष्य की तरफ आगे बढ़ रहे है. कोई न कोई मेरे सपनो के सफर को पूरा करने में आगे आ ही जाता है।

इसी कड़ी में सुलभ इंटरनेशनल के वाइस प्रेसिडेंट सुतीर्थ सहरिया जी मिले और मेरी जैसी लड़की से बात करने के बाद उन्होंने हमें  बिंदेश्वर पाठक जी से मिलवाया उन्होंने मुझसे बात करते ही तुरंत हामी भर दी। और आज मैं अपने 570 किलोमीटर के पैदल सफर पर निकल रही हूं। मैं सफर को 20 दिन में पूरा करके 10 सितंबर तक दिल्ली लौट जाऊंगी।

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